सामाजिक न्याय
मध्याह्न भोजन योजना
चर्चा में क्यों?
पिछले तीन वर्षों में भारत के सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के उपभोग के कारण भारत में लगभग 900 से अधिक बच्चे बीमार हुए।
प्रमुख बिंदु
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Human Resource Development Ministry) के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में भोजन की खराब गुणवत्ता के संबंध में लगभग 15 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से 35 शिकायतें मंत्रालय में दर्ज हुई।
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार, “पिछले तीन वर्षों और वर्तमान वर्ष में देश में कुल 930 बच्चे बीमार हुए लेकिन उनमें से किसी की मृत्यु नहीं हुई। साथ ही यह भी कहा गया कि बच्चों को पका हुआ और पौष्टिक मध्याह्न भोजन देने की समग्र ज़िम्मेदारी राज्य सरकारों की है।
- मध्याह्न भोजन योजना मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (Department of School Education and Literacy) के अंतर्गत आती है।
मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme)
- मिड डे मील कार्यक्रम को एक केंद्रीय प्रवर्तित योजना के रूप में 15 अगस्त, 1995 को पूरे देश में लागू किया गया था।
- इसके पश्चात् सितंबर 2004 में कार्यक्रम में व्यापक परिवर्तन करते हुए मेनू आधारित पका हुआ गर्म भोजन देने की व्यवस्था प्रारंभ की गई थी।
- इस योजना के तहत न्यूनतम 200 दिनों हेतु निम्न प्राथमिक स्तर के लिये प्रतिदिन न्यूनतम 300 कैलोरी ऊर्जा एवं 8-12 ग्राम प्रोटीन तथा उच्च प्राथमिक स्तर के लिये न्यूनतम 700 कैलोरी ऊर्जा एवं 20 ग्राम प्रोटीन देने का प्रावधान है।
- मिड डे मील कार्यक्रम एक बहुद्देशीय कार्यक्रम है तथा यह राष्ट्र की भावी पीढी के पोषण एवं विकास से जुड़ा हुआ है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- प्राथमिक शिक्षा के सार्वजनीकरण को बढ़ावा देना।
- विद्यालयों में छात्रों के नामांकन में वृद्धि तथा छात्रों को स्कूल में आने के लिये प्रोत्साहित करना।
- स्कूल ड्राप-आउट को रोकना।
- बच्चों की पोषण संबंधी स्थिति में वृद्धि तथा सीखने के स्तर को बढ़ावा देना।
स्रोत: द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
वीज़ा मुक्त प्रवेश पर भारत-पाक सहमत
चर्चा में क्यों?
भारत और पाकिस्तान के मध्य हुई दूसरी औपचारिक वार्ता में पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब के पवित्र गुरुद्वारे में भारतीय तीर्थयात्रियों को वर्ष भर के लिये वीज़ा मुक्त प्रवेश देने पर सहमति व्यक्त की है।
मुख्य बिंदु:
- समझौते के अनुसार, पाकिस्तान एक वर्ष की अवधि में प्रतिदिन लगभग 5,000 लोगों को प्रवेश की अनुमति देगा।
- भारत की ओर से यह आग्रह किया गया है कि इस समझौते के तहत किसी विशेष अवसर और त्योहार पर कम-से-कम 10,000 और लोगों को प्रवेश की अनुमति दी जाए।
- इसी के साथ भारत ने पाकिस्तान से इस ऐतिहासिक पहल का दुरुपयोग करने वाले खालिस्तान समर्थकों को रोकने के लिये भी कहा है।
- भारत ने इस संदर्भ में अपनी तैयारियों का जायज़ा देते हुए कहा कि भारतीय पक्ष की आधारभूत संरचना एक दिन में देश विदेश के तक़रीबन 15,000 तीर्थयात्रियों को संभालने में सक्षम है।
- इसके अतिरिक्त भारत ने पाकिस्तान से निम्नलिखित आग्रह किये हैं:
- धर्म के लिहाज से तीर्थयात्रियों पर कोई प्रतिबंध न लगाया जाए।
- तीर्थयात्रियों के पास अकेले या समूह में जाने का विकल्प होना चाहिये।
- तीर्थयात्रियों के लिये लंगर एवं प्रसाद के निर्माण एवं वितरण की व्यवस्था होनी चाहिये।
स्रोत: द हिंदू
जैव विविधता और पर्यावरण
अपशिष्ट प्रबंधन पर CPCB के निर्देश
चर्चा में क्यों ?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board-CPCB) ने अमेज़न, फ्लिपकार्ट और पतंजलि जैसी 52 कंपनियों को उनके द्वारा फैलाए गए अपशिष्टों के उचित प्रबंधन हेतु निर्देश दिये हैं।
प्रमुख बिंदु:
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 (2018 में संशोधित) के अनुसार, पैकेजिंग और उत्पादन के दौरान प्लास्टिक अपशिष्ट के निपटान की ज़िम्मेदारी कंपनियों की होगी।
- निष्पादन योग्य अपशिष्ट के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी को विस्तारित निर्माता ज़िम्मेदारी (Extended Producers Responsibility-EPR) कहते हैं। EPR हेतु कंपनी किसी मध्यस्थ कंपनी का भी प्रयोग कर सकती है।
- अपशिष्ट प्रबंधन के लिये स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायतों और खुदरा विक्रेताओं को भी EPR के दायरे में रखा गया है।
- CPCB के अनुसार, जिन 52 कंपनियों को अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में निर्देश दिये गए हैं, उन्होंने अपशिष्ट के निपटान से संबंधित किसी भी योजना का विवरण मंत्रालय को नहीं दिया है।
- नए निर्देशों का पालन न करने की स्थिति में इन कंपनियों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत ज़ुर्माना लगाया जा सकता है या उन्हें कारावास की सज़ा हो सकती है।
अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति
- विभिन्न कानूनों के बावजूद भी भारत में अपशिष्टों के निपटान को लेकर बहुत कम प्रगति देखी गई है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा वर्ष 2015 में जारी अनुमानों के अनुसार, भारतीय शहरों में प्रतिदिन लगभग 15,000 टन प्लास्टिक अपशिष्ट का उत्पादन होता है और इनमें से लगभग 70 प्रतिशत प्लास्टिक अपशिष्ट के रूप में ही समाप्त हो जाता है।
- भारत में लगभग 40 प्रतिशत प्लास्टिक अपशिष्ट को न तो एकत्र किया जाता है और न ही उनका पुनर्चक्रण हो पाता है। यही अपशिष्ट अंततः भूमि और जल को प्रदूषित करता है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट का सर्वाधिक उत्पादन पैकेजिंग के दौरान होता है।
- राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal-NGT) के अनुसार, 30 अप्रैल 2019 तक 25 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (Plastic Waste Management Rules) 2016 के नियमों का पालन नहीं किया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
(Central Pollution Control Board- CPCB)
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के अंतर्गत सितंबर 1974 को किया गया।
- इसके पश्चात् केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गए।
- यह बोर्ड क्षेत्र निर्माण के रूप में कार्य करने के साथ-साथ पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी उपलब्ध कराता है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख कार्यों को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत वर्णित किया गया है।
अपशिष्ट प्रबंधन एवं नवीन विधिक प्रावधान
हानिकारक और अन्य अपशिष्ट नियम, 2016 संशोधन
स्रोत: द हिंदू
जैव विविधता और पर्यावरण
ऑर्किड का व्यापक सर्वेक्षण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India) द्वारा की गई ऑर्किड की पहली व्यापक जनगणना के अनुसार, भारत में ऑर्किड (Orchid) प्रजाति या वर्गिकी (Taxa) की कुल संख्या 1,256 पाई गई।
ऑर्किड (Orchid)
- ऑर्किड वनस्पति जगत का सुंदर पुष्प है जो अदभुत रंग-रूप, आकार एवं आकृति तथा लंबे समय तक ताज़ा बने रहने की गुण के कारण अंतर्राष्ट्रीय पुष्प बाज़ार में विशेष स्थान रखता है।
- अनूठे आकार और अलंकरण के साथ बेहद खूबसूरत फूलों वाले ऑर्किड में जटिल पुष्प संरचना होती है। यह जैव-परागण में सहायता प्रदान करती है तथा इसे अन्य पौधों के समूहों से क्रमिक रूप से श्रेष्ठ बनाती है।
- आर्किड परिवार को CITES के परिशिष्ट II (कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड ऑन एंडेंजर्ड स्पीशीज़ ऑफ़ वाइल्ड फॉना एंड फ्लोरा) के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है और इसलिये किसी भी जंगली ऑर्किड के विश्व स्तर पर व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- डेंड्रोबियम (Dendrobium), फेलेनोप्सिस (Phalaenopsis), ऑन्किडियम (Oncidium) और सिंबिडियम (Cymbidium), जैसे ऑर्किड फूलों की खेती हेतु काफी लोकप्रिय हैं। देश के भीतर और बाहर दोनों स्थानों पर इनकी काफी मांग है।
प्रमुख बिंदु
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा भारत में पाए जाने वाली ऑर्किड की सभी प्रजातियों का विवरण प्रकाशित किया गया था।
- इसके अनुसार, ऑर्किड की 1,256 प्रजातियाँ, 155 वंश से हैं जिसमें लगभग 388 प्रजातियाँ भारत के लिये स्थानिक हैं। विवरण में लगभग 775 प्रजातियों की तस्वीरें भी उपस्थित हैं।
- मोटे तौर पर ऑर्किड को उनके जीवन के प्रारूप के आधार पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- एपीफाइटिक (Epiphytic)
- स्थलीय (Terrestrial)
- माइकोहेट्रोट्रॉफिक (Mycoheterotrophic)
- भारत में पाई जाने वाली ऑर्किड की 60% प्रजातियों की संख्या लगभग 775 है जो कि एपिफाइटिक है, 447 स्थलीय हैं तथा 43 माइकोहेट्रोट्रॉफिक हैं।
एपीफाइटिक ऑर्किड (Epiphytic Orchid):
- ये चट्टानों पर उगने वाले पौधों से अपना पोषण प्राप्त करते हैं।
- समुद्र तल से 1800 मीटर तक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं तथा इससे ज़्यादा ऊँचाई वाले क्षेत्रों में वृद्धि होने से इनकी संख्या घट जाती है।
स्थलीय ऑर्किड (Terrestria Orchid):
- ज़मीन पर पाए जाने वाले पौधों या लताओं से अपना पोषण प्राप्त करते हैं।
- सीधे मिट्टी में उगते हैं तथा समशीतोष्ण एवं अल्पाइन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
माइकोहेट्रोट्रॉफिक ऑर्किड (Mycoheterotrophic Orchid):
- कवक या संवहनीय पौधों से अपना पोषण प्राप्त करते हैं।
- ये ज़्यादातर एक्टोमाइकोराइज़ल कवक से जुड़े होते हैं। ये समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में परजीवियों के साथ बढ़ते हैं।
राज्य आधारित वितरण
- ऑर्किड प्रजातियों के राज्य आधारित वितरण के अनुसार हिमालय, देश के उत्तर-पूर्व भाग और पश्चिमी घाट इन पौधों की प्रजातियों के हॉट-स्पॉट हैं।
- ऑर्किड प्रजातियों की सबसे अधिक संख्या अरुणाचल प्रदेश (612), सिक्किम (560), तथा पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग हिमालय (479) में पाई गईं।
- ऑर्किड प्रजातियों की लगभग 388 प्रजातियाँ भारत की स्थानिक हैं, इनमें से लगभग एक तिहाई पश्चिमी घाट में पाई जाती हैं। इन स्थानिक प्रजातियों में से केरल में 111, जबकि तमिलनाडु में 92 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- भारत के 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में हिमालयी क्षेत्र आर्किड प्रजातियों के मामले में सबसे समृद्ध है। इसके बाद पूर्वोत्तर, पश्चिमी घाट, डेक्कन पठार और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह आते हैं।
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण
(Botanical Survey of India- BSI)
- इसकी स्थापना वर्ष 1890 में की गई।
- इसका उद्देश्य देश के पौधों के संसाधनों की खोज एवं आर्थिक गुणों के साथ पौधों की प्रजातियों की पहचान करना था।
- वर्ष 1954 में सरकार ने इसका पुनर्गठन किया।
उद्देश्य:
- देश में पौधों की उत्पत्ति, वितरण, पारिस्थितिकी एवं आर्थिक उपयोगिता के बारे में गहन पुष्प सर्वेक्षण करना तथा इनकी सटीक व विस्तृत जानकारी एकत्र करना।
- शैक्षिक एवं अनुसंधान संस्थानों के लिये उपयोग की जाने वाली सामग्रियों का संग्रह, पहचान और वितरण करना।
- स्थानीय, ज़िला, राज्य एवं राष्ट्रीय वनस्पतियों के रूप में सुनियोजित जड़ी-बूटियों तथा पौधों के संसाधनों के दस्तावेज़ीकरण में प्रामाणिक संग्रह के संरक्षक के रूप में कार्य करना।
स्रोत- द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
पाकिस्तान ने भारत के लिये वायु क्षेत्र खोलने के लिये रखी शर्त
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने पाकिस्तान से अपना वायु क्षेत्र खोलने के लिये आधिकारिक रूप से आग्रह किया है। इसके एवज में पाकिस्तान ने भारत से अपने अग्रिम एयरबेस से लड़ाकू विमानों को हटाने की शर्त रखी है।
मुख्य बिंदु
- पुलवामा आतंकी हमले के पश्चात् भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में चल रहे आतंकी कैंप पर हवाई हमला किया था। इसमें प्रमुख निशाना आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट कैंप को बनाया गया।
- भारत की एयर स्ट्राइक के पश्चात् पाकिस्तान ने भारत की वायु सेवा कंपनियों के लिये अपने वायु क्षेत्र को बंद कर दिया था। ज्ञात हो कि आरंभ में पाकिस्तान ने अपने वायु क्षेत्र को पूर्णतः यात्री विमानों के लिये बंद कर दिया था।
- इससे पश्चिम एशिया एवं अन्य पश्चिमी देशों के साथ भारत का प्रत्यक्ष मार्ग से वायु संपर्क बाधित हो गया है। इससे न केवल भारतीय कंपनियों को आर्थिक एवं समय की हानि उठानी पड़ रही है बल्कि उत्तर भारत के हवाई अड्डो की सेवाएँ प्रमुख रूप से प्रभावित हुई हैं।
- इस संदर्भ में भारत ने पाकिस्तान से अपना वायु क्षेत्र खोलने का आग्रह किया था। लेकिन पाकिस्तान द्वारा शर्त रखे जाने के पश्चात् भारत अब अन्य रास्तों पर भी विचार कर रहा है। भारत ने अफगानिस्तान तथा चीन के रास्ते कुछ वायु मार्गों का इस्तेमाल शुरू किया है ताकि पश्चिम एशिया के साथ संपर्क को सुधारा जा सके।
- पाकिस्तान द्वारा रखी गई शर्त को भारत ने गैर-वाजिब और अतार्किक बताया है। साथ ही इस मुद्दे के संबंध में भारत अंतर्राष्ट्रीय उड्डयन नियामक एजेंसियों से भी बातचीत कर रहा है।
स्रोत: द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय विरासत और संस्कृति
मार्कंडेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार का प्रयास
चर्चा में क्यों?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archaeological Survey of India-ASI) द्वारा महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मौजूद मार्कंडेश्वर मंदिर (Markandeshwar Temple) समूह के जीर्णोद्धार का प्रयास किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु :
- ASI से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, दो बार (सर्वप्रथम 1960 और फिर 1980 में) आकाशीय बिजली गिरने के कारण इस परिसर को काफी नुकसान पहुँच चुका है, हालाँकि स्थानीय स्तर पर इसे सुधारने के प्रयास किये गए थे, परंतु वे प्रयास जल रिसाव को रोकने में समर्थ नहीं हुए।
- इसके अतिरिक्त 19वीं सदी में ASI के पूर्व निदेशक सर एलेक्जेंडर कनिंघम ने अपने दस्तावेज़ीकरण (Documentation) में यह बताया था कि लगभग 200 साल पहले भी मंदिर का मुख्य भाग और महामंडप का शिखर, आकाशीय बिजली गिरने से खंडित हो गया था, जिसकी मरम्मत उस वक्त के स्थानीय गोंड शासक ने करवाई थी, परंतु वह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो सका था।
ASI के समक्ष जीर्णोद्धार से संबंधित चुनौतियाँ:
- कई बार आकाशीय बिजली के हमलों से प्रभावित मंदिर परिसर कई टुकड़ों में बँट गया था, जिन्हें एक साथ लाकर जोड़ना काफी चुनौती पूर्ण कार्य था।
- ASI के समक्ष एक बड़ी चुनौती यह थी कि जिस शैली और पत्थरों का प्रयोग कर मंदिरों का निर्माण किया गया था, वह अब स्थानीय स्तर पर विलुप्त हो गई है। ASI के अनुसार, इस समस्या से निपटने के लिये उन्होंने राजस्थान और मध्य प्रदेश के कारीगरों से संपर्क किया।
- इसके अतिरिक्त गढ़चिरौली में माओवाद की मौजूदगी भी इस जीर्णोद्धार की परियोजना में सबसे बड़ी बाधा रही।
मार्कंडेश्वर मंदिर परिसर:
- 9वीं से 12वीं शताब्दी के मध्य महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मौजूद मार्कंडेश्वर मंदिर परिसर में 24 अलग-अलग प्रकार के मंदिर हुआ करते थे। वर्तमान में इन 24 मंदिरों में से 18 खंडहर हो चुके हैं।
- यह वेनगंगा नदी के किनारे मरकंडा गाँव में स्थित है।
- इस मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य वर्ष 2017 से चल रहा है।
- इन्हीं मंदिरों की वजह से गढ़चिरौली को ‘मिनी खजुराहो’ या ‘विदर्भ का खजुराहो’ भी कहा जाता है।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण
(Archaeological Survey of India- ASI)
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातत्त्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिये एक प्रमुख संगठन है।
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय महत्त्व के प्राचीन स्मारकों तथा पुरातत्त्वीय स्थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है ।
- इसके अतिरिक्त प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार, यह देश में सभी पुरातत्त्वीय गतिविधियों को विनियमित करता है।
- यह पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी विनियमित करता है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया
जैव विविधता और पर्यावरण
संकट में भूमध्यसागरीय शार्क
चर्चा में क्यों?
14 जुलाई शार्क जागरूकता दिवस (Shark Awareness Day) के अवसर पर विश्व वन्यजीव कोष ((World Wildlife Fund- WWF) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें भूमध्यसागरीय क्षेत्र में शार्क के जोखिमों पर प्रकाश डाला गया है।
- शार्क जागरूकता दिवस 2019 की थीम ‘The sharks in crisis: a call to action for the Mediterranean’ है।
- पर्यावरण संरक्षणविदों ने शार्क के विलुप्त होने के लिये भूमध्यसागर में प्लास्टिक प्रदूषण की अधिकता तथा अधिक मात्रा में इनके शिकार को ज़िम्मेदार ठहराया है।
- विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund- WWF) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, भूमध्यसागर में आधे से अधिक शार्क (Sharks) एवं ‘रे’ (Ray) प्रजातियाँ खतरे में हैं, जिनमें से लगभग एक-तिहाई विलुप्त होने की कगार पर पहुँच गई हैं।
- यह रिपोर्ट शार्क जागरूकता दिवस से पहले जारी की गई।
- लीबिया और ट्यूनीशिया में एक वर्ष में लगभग 4,200 टन शार्क का शिकार किया जाता है जो समस्त विश्व में सबसे अधिक है। इसके बाद इटली में भी भारी मात्रा में शार्क का शिकार किया जाता है।
- वर्तमान में शिकार के अलावा प्लास्टिक प्रदूषण के कारण शार्क की आबादी खतरे में पड़ गई है। WWF के अनुसार, भूमध्यसागर में मछली पकड़ने के जाल में उलझी हुई 60 से अधिक शार्क प्रजातियाँ पाई गईं।
- लुप्तप्राय प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में 79 लुप्तप्राय शार्क और 120 लुप्तप्राय ‘रे’ (Ray) प्रजातियाँ शामिल हैं।
प्रकृति संरक्षण हेतु विश्वव्यापी कोष
Worldwide Fund for Nature-WWF
- WWF का गठन वर्ष 1961 में हुआ तथा यह पर्यावरण के संरक्षण, अनुसंधान एवं रख-रखाव संबंधी विषयों पर कार्य करता है।
- इससे पूर्व, इसका नाम विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund) था।
- इसका मुख्यालय ग्लैंड (स्विट्ज़रलैंड) में है।
- इसका उद्देश्य पृथ्वी के प्राकृतिक वातावरण के क्षरण को रोकना और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना है जिसमें मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकें।
- WWF द्वारा प्रत्येक दो वर्ष में प्रकाशित लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट (Living Planet Report) एक लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (Living Planet Index) तथा इकोलॉजिकल फुटप्रिंट कैलकुलेशन (Ecological Footprint Calculation) पर आधारित है।
स्रोत: द हिंदू
शासन व्यवस्था
सतलज-यमुना नहर विवाद
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार को सतलज-यमुना को जोड़ने वाली नहर (Satluj-Yamuna Link Canal-SYL) से जुड़े मुद्दे को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से हल करने को कहा है।
पृष्ठभूमि
- इस विवाद की शुरुआत 1 नवंबर, 1966 को हुए राज्य पुनर्गठन के बाद से ही शुरू हो गई थी। राज्य पुनर्गठन के चलते भौगोलिक रूप से हरियाणा राज्य तो अस्तित्व में आया लेकिन नदियों के जल के बँटवारे को सुनिश्चित नहीं किया जा सका।
- समस्या समाधान के प्रयासों के क्रम में सर्वप्रथम तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष 1981 में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई।
- इसी समय एक अध्ययन से यह पता चला कि इन नदियों में जल की उपलब्धता 158.50 मिलियन एकड़ फीट से बढ़कर 171.50 मिलियन एकड़ फीट हो गई है।
- इस बैठक में यह समझौता हुआ कि अतिरिक्त जल पंजाब को दिया जाएगा और पंजाब सतलज यमुना नहर के अपने हिस्से के 121 किमी. का निर्माण करवाएगा।
- इस समझौते के तहत हरियाणा और पंजाब के जल विवाद संबंधी सभी विवादों को सर्वोच्च न्यायालय से वापस ले लिया गया।
- इस समझौते के तहत सतलज-यमुना नहर परियोजना का निर्माण कार्य वर्ष 1991 तक पूरा हो जाना चाहिये था, लेकिन इसी समय अकाली नेता संत हरचंद सिंह लोंगोवाल ने इस मुद्दे को धार्मिक रंग दे दिया।
- सतलज-यमुना नहर परियोजना का विरोध पूरे पंजाब में होने लगा। इसी दौरान पंजाब में उग्रवादी गतिविधियाँ शुरू हो गई और यह परियोजना बीच में ही फंस गई।
- राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस परियोजना के संदर्भ में फिर से गंभीर प्रयास किये गए और वर्ष 1985 में पंजाब समझौते (राजीव-लोंगोवाल समझौता) में इस परियोजना को भी शामिल किया गया।
- समझौते के बाद तात्कालिक मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला ने सतलज-यमुना नहर का कार्य भी शुरू कराया, लेकिन इसी समय उग्रवादियों ने कार्य स्थल पर ही कई मज़दूरों और इंजीनियरों की हत्या कर दी जिसके परिणामस्वरूप यह परियोजना ठप्प हो गई।
- मार्च 2016 में पंजाब सरकार ने सतलज यमुना नहर से संबंधित सभी समझौतों को रद्द करते हुए नहर निर्माण के लिये अधिग्रहीत भूमि के आवंटन को भी रद्द कर दिया।
ध्यातव्य है कि पाकिस्तान के साथ जल समझौते के तहत भारत को सतलज, रावी और ब्यास के जल के उपयोग का अधिकार मिला था।
इराडी अधिकरण (Eradi Tribunal) : सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश वी. बालकृष्ण इराडी की अध्यक्षता में वर्ष 1986 में जल विवाद के समाधान के लिये इराडी अधिकरण का गठन किया गया। अधिकरण ने वर्ष 1987 में पंजाब और हरियाणा को मिलने वाले पानी के हिस्से में क्रमशः 5 मिलियन एकड़ फीट और 3.83 मिलियन एकड़ फीट की बढ़ोतरी की सिफारिश की।
पंजाब का पक्ष: पंजाब सरकार का कहना है कि पिछले तीन दशकों में जल की आपूर्ति की स्थिति खराब हो गई है। एक अध्ययन के अनुसार, राज्य के लगभग 79 प्रतिशत क्षेत्र में भूजल का अत्यधिक दोहन हुआ है, इसलिये कई क्षेत्र वर्ष 2029 के बाद सूख सकते हैं। राज्य में धान और गेहूँ की अधिक खेती होने से सिंचाई में पहले ही भूजल का अत्यधिक दोहन हो चुका है। पंजाब रिपेरियन सिद्धांत के अनुसार भी नदियों के जल पर अपना ज़्यादा अधिकार बताता है।
रिपेरियन सिद्धांत (Riparian Principle)- इस सिद्धांत के अनुसार नदी के जल पर उस राज्य या देश का अधिकार होता है, जहाँ से होकर यह बहती है
हरियाणा का पक्ष : हरियाणा के दक्षिणी भागों में, जहाँ भूमिगत जल का स्तर गिरकर 1700 फीट तक पहुँच गया है, वहाँ सिंचाई हेतु जल उपलब्ध करा पाना राज्य के लिये एक कठिन कार्य है। बढ़ती नगरीय जनसंख्या के कारण पेयजल की समस्या विकृत हो गई है।
निष्कर्ष : इस मुद्दे के राजनीतिकरण से बचते हुए सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रख कर समाधान के प्रयास करने चाहिये। विशेषज्ञों के अनुसार सतलज-यमुना नहर से हरियाणा को जल देने के बाद राजस्थान में जलापूर्ति की समस्या हो सकती है, इसलिये इन क्षेत्रों में जल समस्या के निदान के लिये जल संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (15 July)
- संयुक्त राष्ट्र की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2006 से 2016 तक 10 साल की अवधि में 27.1 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर निकले। गरीबी के वैश्विक सूचकांक Multidimensional Poverty Index (MPI) में भारत ने इस मामले में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है। 11 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव द्वारा तैयार इस सूचकांक में 101 देशों के 1.3 अरब लोगों का अध्ययन किया गया। इसमें 31 न्यूनतम आय, 68 मध्यम आय और 2 उच्च आय वाले देश शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 1.30 अरब लोग बहुआयामी रूप से गरीब हैं। बहुआयामी गरीबी के पैमानों में कम आय के साथ ही खराब स्वास्थ्य, काम की गुणवत्ता में कमी और हिंसा का खतरा भी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पोषण, स्वच्छता, बच्चों की स्कूली शिक्षा, बिजली, स्कूल में उपस्थिति, आवास, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति जैसे क्षेत्रों में काफी सुधार हुआ है। ये क्षेत्र गरीबी सूचकांक को मापने के 10 पैमानों में शामिल हैं। आँकड़ों के आधार पर इन सभी ने सतत विकास लक्ष्य 1 प्राप्त करने के लिये उल्लेखनीय प्रगति की। सतत विकास लक्ष्य 1 में सभी रूपों में हर जगह गरीबी को समाप्त करने की बात कही गई है।
- भारत और रूस ने भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ में सहायता देने सहित अंतरिक्ष के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को अगले स्तर तक बढ़ाने के लिये उच्चस्तरीय वार्ता की। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉस्मोस के महानिदेशक दिमित्री रोगोज़िन ने दोनों पक्षों का नेतृत्व किया। बैठक में रूस ने भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिये हर प्रकार की सहायता प्रदान करने का वादा किया और गगनयान मिशन के लिए सहयोग से संबंधित जानकारियों पर चर्चा की। साथ ही रूस ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में भाग लियेने को लियेकर भारत को समर्थन देने की पेशकश की। गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही इसरो ने वर्ष 2022 में गगनयान मिशन के लिये भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने हेतु Glavcosmos के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत Glavcosmos उम्मीदवारों की मेडिकल जाँच करेगा और उन्हें अंतरिक्ष यात्रा के लिये प्रशिक्षित भी करेगा।
- भारत ने अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ावा देने की अपनी नीति के तहत 12 जुलाई को भूटान के माल (कार्गो) से लदे एक जहाज़ को ब्रह्मपुत्र नदी (राष्ट्रीय जलमार्ग 2) और भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट के ज़रिये बांग्लादेश के लिये रवाना किया। यह अपनी तरह की पहली माल ढुलाई है, जिसके तहत दो देशों- यथा भूटान और बांग्लादेश को आपस में जोड़ने के लिये एक भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग का उपयोग किया जा रहा है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के जहाज़ MV AAI पर 1000 मीट्रिक टन गिट्टी (क्रश्ड स्टोन) लादकर उसे असम के धुबरी बंदरगाह से बांग्लादेश के नारायणगंज तक ले जाना है। इस गिट्टी को ट्रकों के ज़रिये भूटान के फुंटशोलिंग से लाया गया था, जो असम स्थित धुबरी घाट जेटी से 160 किलोमीटर दूर है। भूटान स्थल मार्ग के ज़रिये बांग्लादेश में विभिन्न निर्माण परियोजनाओं के लिये व्यापक मात्रा में गिट्टी का निर्यात करता रहा है। इस कार्गो से भारत के अंतर्देशीय जलमार्गों के ज़रिये भूटान और बांग्लादेश के बीच गिट्टी के साथ-साथ अन्य कार्गो के निर्यात की संभावना बन सकती है। भूटान के निर्यातकों और आयातकों को इस मार्ग का इस्तेमाल करने से परिवहन लागत में पर्याप्त बचत हो सकती है।
- भारत और अमेरिका के बीच 12 जुलाई को नई दिल्ली में व्यापार प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उच्च भारतीय व्यापार दरों पर टिप्पणी के बीच दोनों देशों के बीच यह वार्ता हुई। इसके तहत यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव के एक दल ने वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की। जी-20 सम्मेलन के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार के मुद्दे पर हुई यह पहली वार्ता थी। वार्ता में भारत और अमेरिका के बीच विवादित कारोबारी मुद्दों पर विस्तार से बातचीत हुई। अमेरिका ने डेयरी और मेडिकल उपकरणों का भारतीय बाज़ार में प्रवेश आसान बनाने के लिए अपना पक्ष रखा, तो भारत ने अमेरिका की तरफ से स्टील और एल्यूमिनियम पर लगाए गए आयात शुल्क को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया। विदित हो कि इस वर्ष 5 जून से अमेरिका ने भारत को निर्यात पर मिल रही रियायतें वापस ले ली थीं, जिसके बाद 16 जून को भारत ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका से आयात होने वाले 28 उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि कर दी थी।
- ICC विश्व कप क्रिकेट के 12वें संस्करण में लंदन के लॉर्ड्स मैदान पर खेले गए बेहद रोमांचक फाइनल मैच में 14 जुलाई को इंग्लैंड ने न्यूज़ीलैंड को हराकर पहली बार विजेता बनने का गौरव हासिल किया। इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच गया फाइनल मैच पहलिये टाई हुआ क्योंकि दोनों ही टीमों ने निर्धारित 50 ओवरों में 241 रन बनाए। इसके बाद मैच में सुपर ओवर खेला गया, जिसमें इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाज़ी की और एक ओवर में 15 रन बनाए। इसके बाद न्यूजीलैंड ने भी सुपर ओवर में 15 रन बनाए। इस प्रकार सुपर ओवर भी टाई हो गया। लेकिन ICC के नियमानुसार इंग्लैंड को विजेता घोषित किया गया, क्योंकि उसने अपनी पारी के दौरान ज़्यादा चौके मारे थे। इंग्लैंड के बेन स्टोक्स को मैन ऑफ द मैच तथा न्यूज़ीलैंड के कप्तान केन विलियमसन को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया।
- लॉन टेनिस की सर्वाधिक प्रतिष्ठित मानी जाने वाली विंबलडन प्रतियोगिता के 133वें संस्करण का आयोजन लंदन में हुआ। प्रतियोगिता में महिला वर्ग के फाइनल में रोमानिया की सिमोना हालेप ने 8 बार की विंबलडन विजेता अमेरिका की सेरेना विलियम्स को हराकर पहली बार महिला वर्ग का खिताब जीता। पुरुष वर्ग के रोमांचक फाइनल में पिछले विजेता सर्बिया के नोवाक जोकोविच ने स्विट्ज़रलैंड के रोज़र फेडरर को पराजित किया। 4 घंटे 57 मिनट तक चला मैच यह विंबलडन के इतिहास में सबसे लंबे समय तक चला फाइनल मैच था। ज्ञातव्य है कि विंबलडन दुनिया में सबसे पुराना टेनिस टूर्नामेंट है और प्रतियोगियों के लिये अनिवार्य ड्रेस कोड इसकी परंपराओं का एक हिस्सा है।