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डेली न्यूज़

  • 15 Mar, 2019
  • 22 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण और वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests-MOEF) के इको-सेंसिटिव ज़ोन (Eco-Sensitive Zone-ESZ) की विशेषज्ञ समिति की 33वीं बैठक आयोजित हुई।

  • इसमें बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क के कुछ क्षेत्रों को इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • हाल में पर्यावरण और वन मंत्रालय की ESZ की विशेषज्ञ समिति की बैठक में 5 नवंबर, 2018 के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के आधार पर बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क के आस-पास के लगभग 168.84 वर्ग किमी. क्षेत्र को ESZ क्षेत्र घोषित किया गया।
  • 2016 में जारी पहले ड्राफ्ट नोटिफिकेशन से 268.9 वर्ग किमी. का ESZ क्षेत्र चिह्नित किया गया था।
  • नए ESZ संरक्षित क्षेत्र की परिधि 100 मीटर (बंगलुरु की ओर) से 1 किलोमीटर (रामनगरम ज़िले) तक होगी।
  • ESZ कमेटी के अनुमान के अनुसार, बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क में 150 से 200 के बीच हाथी देखे गए।

इको-सेंसिटिव ज़ोन

  • इको-सेंसिटिव ज़ोन या पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संरक्षित क्षेत्र, राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के आसपास के अधिसूचित क्षेत्र हैं।
  • इको-सेंसिटिव ज़ोन में होने वाली गतिविधियाँ 1986 के पर्यावरण (संरक्षण अधिनियम) के तहत विनियमित होती हैं और ऐसे क्षेत्रों में प्रदूषणकारी उद्योग लगाने या खनन करने की अनुमति नहीं होती है।
  • सामान्य सिद्धांतों के अनुसार, इको-सेंसिटिव ज़ोन का विस्तार किसी संरक्षित क्षेत्र के आसपास 10 किमी. तक के दायरे में हो सकता है। लेकिन संवेदनशील गलियारे, कनेक्टिविटी और पारिस्थितिक रूप से महत्त्वपूर्ण खंडों एवं प्राकृतिक संयोजन के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्र होने की स्थिति में 10 किमी. से भी अधिक क्षेत्र को इको-सेंसिटिव ज़ोन में शामिल किया जा सकता है।
  • इको-सेंसिटिव ज़ोन के लिये घोषित दिशा-निर्देशों के तहत निषिद्ध उद्योगों को राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आस-पास के क्षेत्रों में काम करने की अनुमति नहीं है।
  • ये दिशा-निर्देश वाणिज्यिक खनन, जलाने योग्य लकड़ी के वाणिज्यिक उपयोग और प्रमुख जल-विद्युत परियोजनाओं जैसी गतिविधियों को प्रतिबंधित करते हैं।
  • कुछ गतिविधियों जैसे कि पेड़ गिराना, भूजल दोहन, होटल और रिसॉर्ट्स की स्थापना सहित प्राकृतिक जल संसाधनों का वाणिज्यिक उपयोग आदि को इन क्षेत्रों में नियंत्रित किया जाता है।
  • इसका मूल उद्देश्य राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास की गतिविधियों को नियंत्रित करना है ताकि संरक्षित क्षेत्रों के निकटवर्ती संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र पर ऐसी गतिविधियों के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।

बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क

  • कर्नाटक के बंगलूरू में स्थित बन्नेरघट्टा उद्यान की स्थापना 1972 में की गई थी और 1974 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
  • 2002 में उद्यान के एक हिस्से को जैविक रिज़र्व बना दिया गया जिसे बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान कहा जाता है।
  • 2006 में देश का पहला तितली पार्क यहीं स्थापित किया गया।
  • यहाँ जंगली बिल्लियों, भारतीय तेंदुओं, बाघ, चीतों एवं हाथियों को नैसर्गिक रूप से देखा जा सकता है।
  • यह एक चिड़ियाघर, पालतू जानवरों का कार्नर, पशु बचाव केंद्र, तितली पार्क, मछलीघर, सांपघर, मगरमच्छ फॉर्म और सफारी पार्क के साथ ही एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।
  • कर्नाटक का चिड़ियाघर प्राधिकरण, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बंगलूरू और अशोक ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड एन्वायरमेन्ट (ATREE), बंगलूरू इसकी सहयोगी एजेंसियाँ हैं।

बन्नेरघट्टा पार्क के इको-सेंसिटिव ज़ोन में कमी

स्रोत - द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

वेस्ट नील वायरस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केरल के मालापुरम में एक सात वर्षीय बच्चे में वेस्‍ट नील वायरस (West Nile Virus- WNV) के लक्षण देखे गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • WNV एक मच्‍छर जनित बीमारी है। यह बीमारी मुख्यत: संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के द्वीपीय क्षेत्रों में पाई जाती है।
  • इसकी खोज पहली बार 1927 में युगांडा के पश्चिमी नील उप-क्षेत्र में की गई थी।
  • WNV का पहला गंभीर प्रकोप 1990 के दशक के मध्य में अल्जीरिया और रोमानिया में हुआ था।
  • यह वायरस संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में 1999 में सामने आया। उस वर्ष न्यूयॉर्क में 62 मनुष्य, 25 घोड़े और अनगिनत पक्षी इस वायरस से ग्रसित पाए गए थे।
  • तब से कम-से-कम 48 राज्यों में WNV से प्रभावित लोगों की 40,000 से अधिक रिपोर्ट्स प्राप्त की गई हैं और यह अमेरिका में मच्छरों से मनुष्यों में फैलने वाला आम वायरस है।

WNV के लक्षण

  • WNV से संक्रमित लगभग 80% लोगों में WNV का या तो कोई लक्षण नहीं दिखता है या हल्का बुखार हो सकता है।
  • इसमें सिरदर्द, तेज़ बुखार, थकान, शरीर में दर्द, उल्टी, कभी-कभी त्वचा पर चकत्ते और लसीका ग्रंथियों (Lymph Glands) में सूजन आ सकती है।
  • यह वायरस किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है। हालाँकि, 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और कुछ प्रत्यारोपण के रोगियों के WNV से संक्रमित होने पर गंभीर रूप से बीमार पड़ने का अधिक खतरा होता है।
  • वेस्ट नील वायरस मनुष्यों में एक घातक न्यूरोलॉजिकल बीमारी का कारण बन सकता है।
  • वर्तमान में WNV के लिये कोई टीका (Vaccine) उपलब्ध नहीं है।

स्रोत: PIB, VDCI (Vector Disease Control International)


जैव विविधता और पर्यावरण

भारत के लिये एक जलवायु भेद्यता सूचकांक

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology-DST) ने देश के विभिन्न राज्यों के सामने आने वाले जलवायु जोखिमों का आकलन करने के लिये एक अध्ययन शुरू करने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के आगामी अध्ययन से जिलेवार आँकड़ों के साथ पोर्टल तैयार किया जाएगा। इसके अंतर्गत 12 हिमालयी राज्यों द्वारा सामना किये जा रहे ग्लोबल वार्मिंग जोखिमों का मूल्यांकन किया जाएगा।
  • इसके तहत असम, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्य जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील राज्यों को विशेष रूप से संदर्भित किया जाएगा जो पिछले साल यू.एन. जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में चर्चा में आए थे।
  • इस पोर्टल के अंतर्गत देश के किसी भी राज्य के पर्यावरणीय, सामाजिक, आर्थिक या अन्य किसी भी तरह के जोखिम को देखा जा सकेगा।

सामान्य कार्यप्रणाली

  • पिछले साल मंडी और गुवाहाटी के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), और बंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान ने असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी जिलों के राज्य प्राधिकारियों के साथ समन्यव कर जलवायु परिवर्तन की जटिलताओं से निपटने के लिये सामान्य कार्यप्रणाली विकसित करने का प्रयास किया।
  • इसके अंतर्गत शोधकर्त्ताओं ने ज़िला स्तर के आँकड़ों के आधार पर इनमें से प्रत्येक राज्य का 'भेद्यता सूचकांक' तैयार किया। जिसमें भेद्यता (Vulnerability) को मुख्य रूप से भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर निहित जोखिमों के रूप में संदर्भित किया गया।
  • वैज्ञानिकों ने राज्यों के साथ कार्यशालाएँ आयोजित कर आठ प्रमुख मापदंडों को अपनाया, जिसके आधार पर भेद्यता स्कोर बनाया जा सकता है।
  • पैमाने पर 0-1 अंक तक अधिसूचित किया गया है जिसमें 1 भेद्यता के उच्चतम संभावित स्तर को दर्शाता है, असम को 0.72 के स्कोर के साथ शीर्ष पर एवं 0.71 अंक के साथ मिज़ोरम दूसरे स्थान पर है। सिक्किम, 0.42 के सूचकांक स्कोर के साथ अपेक्षाकृत कम असुरक्षित है।
  • विभिन्न कारकों ने राज्य के भेद्यता सूचकांक में योगदान दिया। जैसे कि अरुणाचल प्रदेश में प्रमुख कारक निम्न महिला साक्षरता और बीपीएल से ऊपर की आबादी का उच्च प्रतिशत है, जबकि नगालैंड में प्रमुख मुद्दे हैं वन कवर, खड़ी ढलान और उच्च उपज परिवर्तनशीलता का नुकसान।

climate

स्रोत - द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (15 March)

  • रिज़र्व बैंक ने एक बड़ा कदम उठाते हुए IDBI बैंक को निजी क्षेत्र के बैंक की श्रेणी में रख दिया है। भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) द्वारा IDBI बैंक में बहुलांश हिस्सेदारी के अधिग्रहण के बाद यह कदम उठाया गया है। IDBI बैंक में चुकता शेयर पूंजी का LIC द्वारा 51 प्रतिशत हिस्सा अधिग्रहण करने के बाद इस बैंक को निजी श्रेणी में डाला गया है। आपको बता दें कि LIC द्वारा IDBI में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने से NPA के बोझ से दबे बैंक को करीब 10 हज़ार करोड़ से 13 हज़ार करोड़ रुपए तक का पूंजी समर्थन मिला। सार्वजनिक क्षेत्र के IDBI बैंक में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने से LIC को लगभग 2000 बैंक शाखाएँ उपलब्ध होंगी। IDBI बैंक को रिज़र्व बैंक की तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई रूपरेखा के अंतर्गत रखा गया है।
  • अमेरिका और भारत सुरक्षा व असैन्य परमाणु सहयोग को मजबूत करने और भारत में 6 अमेरिकी परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने पर सहमत हुए हैं। वाशिंगटन में दो दिनों तक चली बातचीत के बाद दोनों देश इस मसौदे पर सहमत हुए। भारत की तरफ से विदेश सचिव विजय गोखले और अमेरिका के स्टेट फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी विभाग की अंडर सेक्रेटरी एंड्रिया थॉम्पसन ने बातचीत में हिस्सा लिया। आपको बता दें कि दोनों देश लगभग एक दशक से इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं, लेकिन भारत को अमेरिकी न्यूक्लियर रिएक्टर्स की आपूर्ति की दिशा में ठोस कुछ नहीं हो पाया है। 18 जुलाई 2006 को जब भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौता हुआ था, तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इस पर हस्ताक्षर किये थे। अब अमेरिकी सहयोग से छह परमाणु संयंत्र स्थापित होने के बाद भारत को अतिरिक्त ऊर्जा मिलने लगेगी। इससे भारत की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के साथ जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता भी कम होगी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष 3 जुलाई को दिये अपने आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि जिन पुलिस अधिकारियों का सेवाकाल कम-से-कम 6 महीने से अधिक बचा है, उनके नामों पर पुलिस महानिदेशक (DGP) पद पर नियुक्ति के लिये विचार किया जाना चाहिये। लेकिन इसमें मेरिट का ध्यान रखना अनिवार्य है और यह नियुक्ति सभी तरह के दबावों और हस्तक्षेप से मुक्त होनी चाहिये। गौरतलब है कि इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कार्यवाहक DGP की नियुक्ति नहीं होनी चाहिये और वर्तमान DGP के सेवानिवृत्त होने के 3 महीने पहले अगले DGP की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिये। आपको बता दें कि नियुक्ति के बाद DGP का न्यूनतम दो वर्ष का निश्चित कार्यकाल होना चाहिये, चाहे उसकी सेवानिवृत्ति की तिथि कुछ भी क्यों न हो।
  • हाल ही में यह खबर आई कि केरल के मालापुरम में सात वर्ष का एक बच्चा वेस्ट नाइल वायरस (West Nile Virus-WNV) से पीड़ित है। इसके मद्देनज़र भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और केंद्र तथा राज्य स्तर पर निगरानी रखी जा रही है। देश के अन्य भागों में इस वायरस के फैलने के बारे में की कोई रिपोर्ट नहीं आई है। आपको कि बता दें कि वेस्ट नाइल वायरस मच्छर जनित बीमारी है और यह बीमारी अधिकतर द्वीपीय संयुक्त राज्य अमेरिका में पाई जाती है। वेस्ट नाइल वायरस पहली बार 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल ज़िले की एक महिला में पाया गया था। पक्षियों (कौवे और कोलंबीफॉर्म) में इसकी पहचान 1953 में नील नदी के डेल्टा क्षेत्र में हुई थी। 1997 से पहले इस वायरस को पक्षियों के लिये रोगजनक नहीं माना जाता था। यह वायरस कुछ विशेष पक्षियों में प्राकृतिक रूप से अपना घर बना लेते हैं। वेस्ट नाइल वायरस मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों के काटने से लोगों में फैलता है। यह वायरस घोड़ों में गंभीर बीमारी और मृत्यु का कारण बन सकता है तथा घोड़ों में इसकी रोकथाम के लिये टीके उपलब्ध हैं, लेकिन लोगों के लिये अभी तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं हैं।
  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT) ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को गंगा के पानी की गुणवत्ता की मासिक रिपोर्ट सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है। दोनों राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को सभी प्रमुख स्थलों पर गंगा के पानी की गुणवत्ता की मासिक रिपोर्ट सार्वजनिक करनी होगी। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली NGT की पीठ ने चेतावनी दी है कि इसमें असफल रहने पर दोनों राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। साथ ही NGT ने राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन के तहत कानपुर से बक्सर और बक्सर से गंगा सागर तक के हिस्से की बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल द्वारा स्पष्ट जानकारी न देने की आलोचना की। इन राज्यों को स्पष्ट कार्ययोजना बनाने के लिये 30 अप्रैल तक का समय दिया गया है।
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( DRDO) ने जैसलमेर की पोकरण फायरिंग रेंज में मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह इस मिसाइल का यूज़र ट्रायल था जो पूरी तरह सफल रहा। परीक्षण में मिसाइल ने अपनी अधिकतम मारक क्षमता ढाई किलोमीटर की दूरी तक जाकर अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेद दिया। इन्फेंट्री के लिये विकसित की गई इस मिसाइल से सेना को मदद मिलेगी। यह एक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है, जिसे पोर्टेबल होने की वज़ह से आसानी से ले जाया जा सकता है। इसे टैंक और हेलीकॉप्टर या युद्धक विमान के अलावा कंधे पर रखकर भी दागा जा सकता है। अभी इस मिसाइल का नामकरण नहीं किया गया है।
  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 14 मार्च को राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा स्थापना समारोह में वीरता पुरस्कार तथा विशिष्ट सेवा सम्मान प्रदान किये। अद्भुत वीरता, अदम्य साहस और कर्त्तव्य परायणता का प्रदर्शन करने के वाले सशस्त्र बलों के कर्मियों को 3 कीर्ति चक्र और 15 शौर्य चक्र प्रदान किये गए। इनमें 2 कीर्ति चक्र और एक शौर्य चक्र मरणोपरांत प्रदान किये गए हैं। इसके अलावा विशिष्ट सेवाओं के लिये सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को 15 परम विशिष्ट सेवा पदक, एक उत्तम युद्ध सेवा पदक और 25 अति विशिष्ट सेवा पदक भी प्रदान किये। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत सहित 19 वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया। आपको बता दें कि परम विशिष्ट सेवा पदक शांतिकाल का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है। जनरल रावत के अलावा जिन्हें यह सम्मान दिया गया है, उनमें 15 लेफ्टिनेंट जनरल व तीन मेजर जनरल हैं।
  • केंद्र सरकार ने एम.आर. कुमार को जीवन बीमा निगम (LIC) का चेयरमैन नियुक्त किया है। वह प्रबंध निदेशक हेमंत भार्गव का स्थान लेंगे। उन्हें पाँच साल के लिये LIC का चेयरमैन बनाया गया है। वह इससे पहले उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक (प्रभारी) थे। इनके अलावा टी.सी. सुशील कुमार और विपिन आनंद को पाँच साल के लिये LIC का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया है। सुशील कुमार दक्षिण मध्य क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक (प्रभारी) और विपिन आनंद पश्चिमी क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक (प्रभारी) के पद पर कार्यरत हैं। आपको बता दें कि LIC के कार्यकारी बोर्ड में 1 चेयरमैन और 4 प्रबंध निदेशक होते हैं।
  • अमेरिका की सीनेट ने भारतीय मूल की अमेरिकी कानूनविद नियोमी राव की डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया सर्किट कोर्ट ऑफ अपील में जज के रूप में नियुक्ति की पुष्टि कर दी है। अमेरिका की येल और शिकागो विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट नियोमी राव ब्रेट कोवनोह का स्थान लेंगी। फिलहाल वह प्रबंधन एवं बजट कार्यालय में ‘एडमिनिस्ट्रेटर ऑफ द ऑफिस ऑफ इनफॉर्मेशनइन्फॅर्मेशन एंड रेग्युलेटरी अफेयर्स’ के पद पर कार्यरत हैं। आपको बता दें कि अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के बाद यह दूसरी बड़ी अदालत है और इसके पास महत्त्वपूर्ण नियामक, राष्ट्रीय सुरक्षा और शक्तियों के पृथक्करण जैसे विषयों पर सुनवाई करने का अधिकार है।

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