शासन व्यवस्था
प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन (PM-SYM) योजना
चर्चा में क्यों?
श्रम और रोज़गार मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) ने प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन [Pradhan Mantri Shram Yogi Maan-dhan (PM-SYM)] योजना लॉन्च की है। अंतरिम बजट में घोषित इस योजना को श्रम मंत्रालय द्वारा हाल ही में अधिसूचित किया गया है।
योजना के पात्र
- इस योजना के पात्र 18-40 वर्ष की आयु समूह के घर से काम करने वाले श्रमिक, स्ट्रीट वेंडर, मिड डे मील श्रमिक, सिर पर बोझ ढोने वाले श्रमिक, ईंट-भट्टा मज़दूर, चर्मकार, कचरा उठाने वाले, घरेलू कामगार, धोबी, रिक्शा चालक, भूमिहीन मज़दूर, खेतिहर मज़दूर, निर्माण मज़दूर, बीड़ी मज़दूर, हथकरघा मज़दूर, चमड़ा मज़दूर, ऑडियो-वीडियो श्रमिक तथा इसी तरह के अन्य व्यवसायों में काम करने वाले ऐसे श्रमिक होंगे जिनकी मासिक आय 15,000 रुपए या उससे कम है।
- पात्र व्यक्ति को नई पेंशन योजना (New Pension Scheme-NPS), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (Employees’ State Insurance Corporation-ESIC) और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation-EPFO) के लाभ के अंतर्गत कवर न किया गया हो तथा उसे आयकर दाता नहीं होना चाहिये।
योजना की प्रमुख विशेषताएँ
न्यूनतम निश्चित पेंशन (Minimum Assured Pension) : PM-SYM के अंतर्गत प्रत्येक अभिदाता को 60 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद प्रति महीने न्यूनतम 3,000 रुपए की निश्चित पेंशन मिलेगी।
परिवार को पेंशन (Family Pension) : यदि पेंशन प्राप्ति के दौरान अभिदाता (subscriber) की मृत्यु हो जाती है तो लाभार्थी को मिलने वाली पेंशन की 50 प्रतिशत राशि फैमिली पेंशन के रूप में लाभार्थी के जीवनसाथी (Spouse) को मिलेगी।
- परिवार पेंशन/फैमिली पेंशन केवल जीवनसाथी के मामले में लागू होती है।
- यदि लाभार्थी ने नियमित अंशदान किया है और किसी कारणवश उसकी मृत्यु (60 वर्ष की आयु से पहले) हो जाती है तो लाभार्थी का जीवनसाथी योजना में शामिल होकर नियमित अंशदान करके योजना को जारी रख सकता है या योजना से बाहर निकलने और वापसी के प्रावधानों के अनुसार योजना से बाहर निकल सकता है।
अभिदाता द्वारा अंशदानः अभिदाता का अंशदान उसके बचत बैंक खाता/जनधन खाता से ‘ऑटो डेबिट’ (auto-debit) सुविधा के माध्यम से किया जाएगा। PM-SYM योजना में शामिल होने की आयु से 60 वर्ष की आयु तक अभिदाता को निर्धारित अंशदान राशि देनी होगी।योजना में प्रवेश के दौरान आयु के अनुसार विशेष मासिक अंशदान का विवरण इस प्रकार हैः
प्रवेश आयु | योजना पूरी होने के समय | आयु सदस्य का मासिक अंशदान (रुपए में) | केंद्र सरकार का मासिक अंशदान (रुपए में) | कुल मासिक अंशदान (रुपए में) |
(1) | (2) | (3) | (4) | (5)= (3)+(4) |
18 | 60 | 55 | 55 | 110 |
19 | 60 | 58 | 58 | 116 |
20 | 60 | 61 | 61 | 122 |
21 | 60 | 64 | 64 | 128 |
22 | 60 | 68 | 68 | 136 |
23 | 60 | 72 | 72 | 144 |
24 | 60 | 76 | 76 | 152 |
25 | 60 | 80 | 80 | 160 |
26 | 60 | 85 | 85 | 170 |
27 | 60 | 90 | 90 | 180 |
28 | 60 | 95 | 95 | 190 |
29 | 60 | 100 | 100 | 200 |
30 | 60 | 105 | 105 | 210 |
31 | 60 | 110 | 110 | 220 |
32 | 60 | 120 | 120 | 240 |
33 | 60 | 130 | 130 | 260 |
34 | 60 | 140 | 140 | 280 |
35 | 60 | 150 | 150 | 300 |
36 | 60 | 160 | 160 | 320 |
37 | 60 | 170 | 170 | 340 |
38 | 60 | 180 | 180 | 360 |
39 | 60 | 190 | 190 | 380 |
40 | 60 | 200 | 200 | 400 |
केंद्र सरकार द्वारा बराबर का अंशदान (Matching contribution by the Central Government) : PM-SYM 50:50 के अनुपात आधार पर एक स्वैच्छिक तथा अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें निर्धारित आयु विशेष अंशदान (Age-Specific Contribution) लाभार्थी द्वारा किया जाएगा और तालिका के अनुसार बराबर का अंशदान केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
- उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति की आयु 29 वर्ष है तो उसे 60 वर्ष की आयु तक प्रति महीने 100 रुपए का अंशदान करना होगा। केंद्र सरकार द्वारा बराबर का यानी 100 रुपए का अंशदान किया जाएगा।
PM-SYM योजना के अंतर्गत नामांकनः
- अभिदाता के पास मोबाइल फोन, बचत बैंक खाता तथा आधार संख्या होना अनिवार्य है। पात्र अभिदाता नज़दीकी सामुदायिक सेवा केंद्रों (Community Service Centers-CSCs) पर जाकर आधार संख्या तथा बचत बैंक खाता/जनधन खाता संख्या को स्वप्रमाणित करके PM-SYM के लिये नामांकन करा सकते हैं।
- बाद में अभिदाता को PM-SYM वेब पोर्टल पर जाने तथा मोबाइल एप डाउनलोड करने की सुविधा दी जाएगी और अभिदाता आधार संख्या /स्वप्रमाणित आधार पर बचत बैंक खाता/जनधन खाता का इस्तेमाल करते हुए अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
नामांकन एजेंसियाँ (Enrollment Agencies)
- इस योजना के लिये नामांकन का कार्य सामुदायिक सेवा केंद्रों (CSCs) द्वारा किया जाएगा।
- असंगठित श्रमिक आधार कार्ड तथा बचत बैंक खाता, पासबुक/जनधन खाता के साथ नज़दीकी CSCs जाकर योजना के लिये अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
- पहले महीने में अंशदान राशि का भुगतान नकद करना होगा और इसकी रसीद दी जाएगी।
सहायता केंद्र
- भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation-LIC) के सभी शाखा कार्यालयों, ESIC/EPFO के कार्यालयों तथा केंद्र तथा राज्य सरकारों के सभी श्रम कार्यालयों द्वारा असंगठित श्रमिकों को योजना, उसके लाभों तथा प्रक्रियाओं के बारे में बताया जाएगा।
कोष प्रबंधन (Fund Management) : PM-SYM केंद्र की योजना है, जिसका संचालन श्रम और रोज़गार मंत्रालय द्वारा किया जाएगा तथा भारतीय जीवन बीमा निगम और CSC के माध्यम से लागू किया जाएगा।
- LIC पेंशन फंड मैनेजर (Pension Fund Manager) होगी और पेंशन भुगतान के लिये उत्तरदायी होगी।
- PM-SYM पेंशन योजना के अंतर्गत एकत्रित राशि का निवेश भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट निवेश तरीकों के अनुसार किया जाएगा।
योजना से बाहर निकलने और वापसी संबंधी प्रावधान (Exit and Withdrawal) : असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के रोज़गार के अनिश्चित स्वभाव को देखते हुए योजना से बाहर निकलने के प्रावधान लचीले रखे गए हैं जो इस प्रकार हैं-
- यदि अभिदाता 10 वर्ष से कम की अवधि में योजना से बाहर निकलता है तो उसे केवल लाभार्थी के अंशदान के हिस्से को बचत बैंक ब्याज दर के साथ दिया जाएगा।
- यदि अभिदाता 10 वर्षों या उससे अधिक की अवधि के बाद लेकिन 60 वर्ष की आयु से पहले योजना से बाहर निकलता है तो उसे लाभार्थी के अंशदान के हिस्से के साथ कोष द्वारा अर्जित संचित ब्याज के साथ या बचत बैंक ब्याज, दर जो भी अधिक हो, के साथ दिया जाएगा।
- यदि लाभार्थी ने नियमित अंशदान किया है और किसी कारणवश उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसका जीवनसाथी नियमित अंशदान करके इस योजना को आगे जारी रख सकता है या कोष द्वारा अर्जित एकत्रित वास्तविक ब्याज या बचत बैंक ब्याज दर, जो भी अधिक हो, के साथ लाभार्थी का अंशदान लेकर योजना से बाहर निकल सकता है।
- यदि लाभार्थी ने नियमित अंशदान किया है और 60 वर्ष की आयु से पहले किसी कारणवश स्थायी रूप से दिव्यांग हो जाता है और योजना के अंतर्गत अंशदान करने में अक्षम होता है तो उसका जीवनसाथी नियमित अंशदान करके इस योजना को आगे जारी रख सकता है या कोष द्वारा अर्जित एकत्रित वास्तविक ब्याज या बचत बैंक ब्याज दर, जो भी अधिक हो, के साथ लाभार्थी का अंशदान प्राप्त कर योजना से बाहर निकल सकता है।
- अभिदाता और उसके जीवनसाथी दोनों की मृत्यु के बाद संपूर्ण राशि कोष में जमा करा दी जाएगी।
- NSSB की सलाह पर सरकार द्वारा तय योजना से बाहर निकलने का कोई अन्य प्रावधान।
अंशदान में चूकः
- यदि अभिदाता ने निरंतर अपने अंशदान का भुगतान नहीं किया है तो उसे सरकार द्वारा निर्धारित दंड राशि के साथ पूरी बकाया राशि का भुगतान करके अंशदान को नियमित करने की अनुमति होगी।
पेंशन भुगतानः
- 18-40 वर्ष की प्रवेश आयु में योजना में शामिल होने के बाद 60 वर्ष की उम्र तक तक लाभार्थी को अंशदान करना होगा। 60 वर्ष की उम्र पूरी होने पर अभिदाता को परिवार पेंशन लाभ के साथ प्रति महीने 3000 रुपए की निश्चित मासिक पेंशन प्राप्त होगी।
संदेह तथा स्पष्टीकरणः
- योजना को लेकर किसी तरह के संदेह की स्थिति में JS & DGLW (Joint Secretory & Directorate General Labour Welfare) द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण अंतिम होगा।
PM-SYM योजना के अंतर्गत निर्धारित ब्याज दर
- हालाँकि यह योजना भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा चलाई जाएगी लेकिन भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India) ने अभी तक इसके परिचालन के पहले साल के ब्याज दर की घोषणा नहीं की है।
- यह संभव है कि PM-SYM को अधिक आकर्षक बनाने के लिये इसकी ब्याज दर को लगभग संगठित क्षेत्र के पेंशन फंड की दर के समान रखा जाए।
PM-SYM कैसे अलग है अटल पेंशन योजना से?
- PM-SYM, अटल पेंशन योजना जिसकी शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी, का एक बेहतर संस्करण है।
- अटल पेंशन योजना के तहत ब्याज दर लगभग 7.5% है लेकिन PM-SYM को अधिक आकर्षक बनाने के लिये इसकी ब्याज दर को अटल पेंशन योजना की ब्याज दर से अधिक रखा जा सकता है।
- अटल पेंशन योजना की शुरुआत आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को पेंशन अथवा वृद्धावस्था में आय सुरक्षा के दायरे में लाने के उद्देश्य से की गई थी, जबकि प्रधानमंत्री श्रम मान-धन योजना की शुरुआत असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिये की गई है। उल्लेखनीय है कि देश के असंगठित क्षेत्र में लगभग 42 करोड़ श्रमिक काम करते हैं।
स्रोत : पी.आई.बी
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
भारत के आधे से ज्यादा ऊर्जा संयंत्र बेकार
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विज्ञान और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा किये गए एक विश्लेषण में कहा गया है कि भारत में गैर-जैवनिम्नीकरण कचरे (Non-Biodegradable Waste) को परिवर्तित कर अपशिष्ट-से-ऊर्जा (Waste-to-Energy-WTE) बनाने वाले लगभग आधे से अधिक संयंत्र खराब हो चुके हैं। इसके कारण मौजूदा संयंत्रों में क्षमता से कम काम हो रहा है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- 1987 के बाद देश भर में 15 WTE संयंत्र स्थापित किए गए। हालाँकि इनमें से सात संयंत्र बंद हो चुके हैं जिनमें दिल्ली, कानपुर, बंगलूरू, हैदराबाद, लखनऊ, विजयवाड़ा और करीमनगर के संयंत्र शामिल हैं।
- इनके बंद होने के प्रमुख कारणों में मिश्रित ठोस अपशिष्ट और बिजली उत्पन्न करनें में आने वाली उच्च लागत को वहन करने में इन संयंत्रों की अक्षमता है जिससे बिजली कंपनियाँ इनके उपयोग किये जाने से बचती हैं।
- पिछली उपलब्धियों ने हालाँकि सरकार को WTE के क्षेत्र में बड़े प्रयास करने हेतु हतोत्साहित नहीं किया है। साथ ही नीति आयोग ने अपने स्वच्छ भारत मिशन के हिस्से के रूप में 2018-19 में स्थापित WTE संयंत्रों से 800 मेगावाट उर्जा प्राप्ति की परिकल्पना की है, जो सभी मौजूदा WTE संयंत्रों की क्षमता का 10 गुना है।
- इसमें भारत के अपशिष्ट-से-ऊर्जा निगम (Waste-to-Energy Corporation of India) की स्थापना का भी प्रस्ताव दिया गया है, जो पीपीपी मॉडल (Public Private Partnership Model) के माध्यम से संयंत्रों का निर्माण करेगा।
- वर्तमान में 40 विवादित (Odd) WTE संयंत्र निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।
अपशिष्ट प्रबंधन पर रिपोर्ट
- रिपोर्ट में यह पाया गया है कि संयंत्र के विवादित या बेकार होने का मूलभूत कारण अपशिष्ट की गुणवत्ता और संरचना है। भारत में MSW (Municipal Solid Waste) में कम कैलोरी और उच्च नमी की मात्रा पाई जाती है।
- WTE संयंत्रों में भेजे जाने वाले अधिकांश अपशिष्टों में अत्यंत निष्क्रिय पदार्थ मौजूद होते हैं जो संयंत्र में अपशिष्ट को पृथक करने के लिये उपयुक्त नहीं हैं। अतः इसके लिये अतिरिक्त ईंधन की आवश्यकता होती है, जिससे संयंत्रों को चलाना महँगा हो जाता है।
क्या कहते हैं आँकड़े?
- देश भर में प्रतिदिन लगभग 1.43 लाख टन (Tonnes Per Day-TPD) नगरपालिका का ठोस कचरा उत्पन्न होता है। इसमें से लगभग 1.11 लाख TPD (77.6%) कचरा एकत्र किया जाता है, जबकि 35,602 TPD (24.8%) को ही संसाधित किया जाता है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, भारत में 25,940 TPD प्लास्टिक कचरा पाया जाता है, जिसमें से 15,342 TPD ही एकत्र किया जाता है।
- केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय के अनुसार, नगरपालिका का ठोस कचरा उत्पादन 2031 तक 4.5 लाख TPD और 2050 तक 11.9 लाख TPD तक पहुँच जाएगा।
- नागरिकों द्वारा WTE का व्यापक रूप से विरोध किया जाता रहा है। जैसे ओखला WTE संयंत्र का वहाँ के लोगों द्वारा पर्यावरण को प्रदूषित करने के कारण लगातार विरोध किया गया।
- 2016 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal-NGT) ने इस संयंत्र पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिये 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
- इसके अलावा इन कारखानों से उत्पादित विद्युत की दर लगभग 7 रुपए प्रति यूनिट है जो कि थर्मल एवं सौर स्रोतों से प्राप्त 3-5 रुपए प्रति यूनिट की अपेक्षा काफी महँगी है।
स्रोत – द हिंदू
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
ब्रह्मांड की उत्पत्ति का पता लगाने के लिये टेलीस्कोप: SPHEREx
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) ने 2023 में एक नया स्पेस टेलीस्कोप मिशन स्पेक्ट्रो-फोटोमीटर फॉर द हिस्ट्री ऑफ द यूनिवर्स, एपोच ऑफ रियनाइज़ेशन एंड आईसेस एक्सप्लोरर (Spectro-Photometer for the History of the Universe, Epoch of Reionization and Ices Explorer-SPHEREx) लॉन्च करने की जानकारी दी है।
- यह खगोलविदों को ब्रह्मांड (Universe) के इतिहास को समझने में मदद कर सकता है जैसे कि कैसे ब्रह्मांड की उत्त्पत्ति हुई और हमारी आकाशगंगा में ग्रहीय प्रणाली के जीवन के सामान्य संघटक कितने हैं।
मिशन के उद्देश्य
- SPHEREx (Spectro-Photometer for the History of the Universe, Epoch of Reionization and Ices Explorer) दृश्य प्रकाश और अवरक्त प्रकाश में आकाश का सर्वेक्षण करेगा।
- इस मिशन का उपयोग खगोल विज्ञानी 300 मिलियन से अधिक आकाशगंगाओं साथ ही अपनी आकाशगंगा में पाए जाने वाले 100 मिलियन से अधिक सितारों के आँकड़े (डेटा) एकत्र करने के लिये करेंगे।
- मिशन के तहत 96 अलग-अलग रंग के बैंडों में पूरे आकाश का नक्शा बनाया जाएगा।
मिशन का महत्त्व
- यह मिशन आकाशगंगा में जीवन के लिये आवश्यक पानी और कार्बनिक अणुओं की खोज करेगा। तारों के प्रारंभिक जीवन अर्थात ये कैसे बनते हैं, ऐसे क्षेत्र जहाँ सितारे गैस और धूल से पैदा होते हैं, साथ ही सितारों के चारों ओर का क्षेत्र जहाँ अन्य नए ग्रह हो सकते हैं, इन सबका पता लगाएगा।
- इस प्रकार अद्वितीय आँकड़ों का भंडार प्राप्त किया जा सकेगा।
- यह ब्रह्मांड के इतिहास के प्रारंभिक क्षणों का फिंगरप्रिंट (Fingerprints) लेकर आकाशगंगा का एक अभूतपूर्व मानचित्र प्रदान करेगा जिससे विज्ञान के सबसे गूढ़ रहस्यों को उजागर किया जा सकेगा।
- यह विज्ञान के सबसे गूढ़ रहस्यों में से एक को नई राह प्रदान करेगा कि बिग-बैंग के बाद ब्रह्मांड का विस्तार नैनो सेकंड से कम समय में हुआ था या नहीं।
- SPHEREx प्रत्येक छह माह में पृथ्वी उपग्रहों और मंगल अंतरिक्ष यान की अनुकूलित तकनीकों का उपयोग करके पूरे आकाश का सर्वेक्षण करेगा।
- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, यह नासा के भविष्य के मिशनों जैसे - जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) और वाइड फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे टेलीस्कोप (Wide Field Infrared Survey Telescope) द्वारा अधिक विस्तृत अध्ययन के लिये लक्ष्यों की पहचान करेगा।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप
James Webb Space Telescope
- जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (इसे JWST या वेब्ब भी कहा जाता है) 6.5 मीटर प्राथमिक प्रतिबिंब के साथ एक बड़ा अवरक्त दूरबीन है जिसे 2021 में फ्रेंच गुयाना से एरियन 5 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
- यह हमारे ब्रह्मांड के इतिहास में हुए हर चरण का अध्ययन करेगा, साथ ही बिग-बैंग के बाद पहली चमकदार उद्वीप्ति के विस्तार, सौरमंडल के गठन, पृथ्वी जैसे जीवन जीने में सक्षम ग्रहों और हमारे अपने सौर मंडल के विकास का विस्तृत अध्ययन करेगा।
- यह नासा (NASA), यूरोपियन स्पेस एजेंसी (European Space Agency-ESA) और कनाडाई स्पेस एजेंसी (Canadian Space Agency-CSA) के बीच एक अंतरराष्ट्रीय मिशन है।
वाइड फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे टेलीस्कोप
(Wide Field Infrared Survey Telescope-WFIRST)
WFIRST नासा का एक मिशन है जिसे कृष्ण ऊर्जा (Dark Energy) का अध्ययन करने, आकाशगंगा (Galactic) और बाह्य-आकाशगंगा (Extragalactic) सर्वेक्षण करने और वाह्य ग्रहों (Exoplanets) का पता लगाने के लिये विकसित किया गया है।
स्रोत – बिज़नेस स्टैंडर्ड
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (15 February)
- जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को CRPF के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक हुई। इसमें हमले के बाद सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की गई और इस बारे में आगे की कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया गया। सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस ले लिया है। आपको बता दें कि MFN एक आर्थिक दर्जा है जो एक देश किसी दूसरे देश को देता है या दोनों देश एक-दूसरे को देते हैं। कोई देश जिन किन्हीं देशों को यह दर्जा देता है, उस देश को उन सभी के साथ व्यापार की शर्तें एक जैसी रखनी होती हैं। जिन देशों को MFN का दर्जा दिया जाता है, उन्हें व्यापार में अन्य के मुकाबले कम शुल्क, ज्यादा व्यापारिक सहूलियतें और उच्चतम आयात कोटा की सुविधा दी जाती है।
- हाल ही में नई दिल्ली में भारत-अमेरिका वाणिज्यिक संवाद बैठक और भारत-अमेरिका CEO फोरम का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने की। अमेरिका के वाणिज्य सचिव विल्बर रॉस को भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेना था, लेकिन खराब मौसम और कुछ तकनीकी समस्याओं की वज़ह से उड़ान रद्द होने के कारण शामिल नहीं हो सके। उन्होंने टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसमें भाग लिया। दूसरी तरफ टाटा संस के अध्यक्ष एन. चंद्रशेखरन और अमेरिकन टावर कॉर्पोरेशन के CEO जेम्स डी. टाइसलेट ने CEO फोरम की सह-अध्यक्षता की। यह फोरम उन महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करने के लिये एक प्रभावी मंच है जो व्यावसायिक संस्थाओं को प्रभावित करते हैं और दोनों अर्थव्यवस्थाओं के पारस्परिक लाभ के लिये निकट सहयोग क्षेत्रों की पहचान करते हैं। गौरतलब है कि भारत और अमेरिका की सरकारों द्वारा दिसंबर 2014 में इसके पुनर्गठन के बाद इसकी यह तीसरी बैठक थी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सबसे तेज़ चलने वाली ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस को नई दिल्ली से हरी झंडी दिखाकर वाराणसी के लिये रवाना किया। वंदे भारत एक्सप्रेस को T18 के नाम से भी जाना जाता है और इसकी टॉप स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा है। ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत इस ट्रेन को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई ने 18 महीने में तैयार किया है। यह देश की पहली इंजन रहित ट्रेन है, जो बिजली से चलेगी और इसमें लोकोमोटिव इंजन नहीं होगा, जैसा कि मेट्रो ट्रेनों में होता है। इसमें कार्बन फुटप्रिंट रोकने के लिये रि-जेनरेटिव ब्रेक प्रणाली लगाई गई है जिससे 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक ऊर्जा की बचत होगी।
- 1980 बैच के IRS अधिकारी वर्तमान में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अध्यक्ष सुशील चंद्रा को चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति को राष्ट्रपति से मंज़ूरी मिल गई है। सुशील चंद्रा के CBDT के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल को एक वर्ष के लिये बढ़ा दिया गया था जो कि इस वर्ष 31 मई को समाप्त होना था। आपको बता दें कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा दो चुनाव आयुक्त होते हैं। वर्तमान में सुनील अरोड़ा मुख्य चुनाव आयुक्त हैं और नवनियुक्त सुशील चंद्रा के अलावा अशोक लवासा चुनाव आयुक्त हैं।
- 11 फरवरी को इंटरनेशनल डे ऑफ वीमेन एंड गर्ल्स इन साइंस (International Day of Women and Girls in Science) का आयोजन किया गया। संयुक्त राष्ट्र महिलाओं और लड़कियों के लिये विज्ञान के क्षेत्र में पूर्ण और समान पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 11 फरवरी को यह दिवस आयोजित करता है। इसके लिये 22 दिसंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव स्वीकार किया था। गौरतलब है कि STEM (Science, Technology, Engineering & Mathematics) विषयों में महिलाओं का वैश्विक अनुपात पुरुषों की तुलना में केवल 22% है,जो काफी कम है। इस वर्ष के इंटरनेशनल डे ऑफ वीमेन एंड गर्ल्स इन साइंस का फोकस Investment in Women and Girls in Science for Inclusive Green Growth पर है।
- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ब्रह्मांड की उत्पति और विकास का पता लगाने के लिये एक नया मिशन The Spectro-Photometer for the History of the Universe, Epoch of Reionization and Ices Explore-'SPHEREx' शुरू करने जा रही है। इसके तहत एक नया स्पेस टेलीस्कोप 2023 तक लॉन्च किया जा सकता है। लगभग 1700 करोड़ रुपए (लॉन्चिंग पर आने वाला खर्च शामिल नहीं) की लागत वाले इस मिशन की अवधि 2 साल होगी। इससे अंतरिक्ष में जाने वाले वैज्ञानिकों को 30 करोड़ आकाशगंगाओं पर डेटा जुटाने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि NASA (National Aeronautics & Space Administration) का गठन 1 अक्तूबर, 1958 को The National Advisory Committee for Aeronautics के स्थान पर किया गया था और इसका मुख्यालय वॉशिंगटन में है।
- 2019 का प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार Martin Ennals Award जिनेवा में एक समारोह में सूडानी शरणार्थी अब्दुलअज़ीज़ मुहम्मद (Abdulaziz Muhamat) को दिया गया है। मानवाधिकार और मानवतावादी कार्यकर्त्ता के रूप में पहचाने जाने वाले अब्दुलअज़ीज़ मुहम्मद ने अपने साथी शरणार्थियों के लिये जो प्रयास किये उसने दुनियाभर का ध्यान आकर्षित किया। सूडान से भागने के बाद उन्होंने बतौर शरणार्थी पापुआ न्यू गिनी के मानुस (Manus) द्वीप पर स्थित शरणार्थी केंद्र में पाँच साल से अधिक समय बिताया।
- पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के भाषणों का एक संकलन Selected Speeches: Volume-1 नई दिल्ली में जारी किया। इस पुस्तक में वेंकैया नायडू के 11 अगस्त, 2017 को कार्यभार संभालने के बाद 400 से अधिक कार्यक्रमों में दिये गए चुनिंदा भाषणों को शामिल किया गया है। इस पुस्तक में उनके 92 भाषण हैं और उन्हें 6 विस्तृत वर्गों– ‘विधायिका के कामकाज’, ‘राष्ट्र और राष्ट्रवाद’, ‘राज्य व्यवस्था और शासन’, ‘आर्थिक विकास’, ‘मीडिया’ तथा ‘भारत और विश्व‘ में बाँटा गया है।