प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना पर कैग की रिपोर्ट
प्रीलिम्स के लिये:
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
मेन्स के लिये:
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (The Comptroller and Auditor General of India-CAG) द्वारा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana-PMUY) से संबंधित एक रिपोर्ट संसद में पेश की गई है।
रिपोर्ट से संबंधित मुख्य बिंदु:
- इस रिपोर्ट में CAG द्वारा PMUY के तहत प्रदान किये जाने वाले घरेलू सिलेंडर के व्यावसायिक उपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की गई है क्योंकि CAG द्वारा किये गए ऑडिट (Audit) में 1.98 लाख लाभार्थियों को औसतन 12 से अधिक सिलेंडरों की वार्षिक खपत करते पाया गया।
- CAG ने कहा कि इस तरह के लाभार्थियों द्वारा खपत का यह स्तर उनकी बीपीएल (Below Poverty Line-BPL) स्थिति की तुलना में अत्यधिक था।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना के तहत 13.96 लाख उपभोक्ताओं द्वारा एक महीने में 3 से 41 बार तक LPG सिलेंडर रिफिल कराए जा रहे हैं, वहीं इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) के आँकड़ों के मुताबिक, 3.44 लाख ऐसे उपभोक्ताओं का मामला भी सामने आया है जो एक दिन में 2 से 20 LPG सिलेंडर रिफिल करा रहे हैं, जबकि इनके कनेक्शन की वैधता केवल एक सिलेंडर तक सीमित है।
- रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च, 2019 तक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा 7.19 करोड़ कनेक्शन जारी किये गए जो कि मार्च 2020 तक तय किये गए 8 करोड़ कनेक्शन के लक्ष्य का लगभग 90 फीसदी था।
- रिपोर्ट के अनुसार, PMUY योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान में शिथिलता बरती गई तथा 9978 LPG कनेक्शन सामाजिक, आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना ( Socio-Economic and Caste Census-SECC) की संक्षिप्त घरेलू सूची, अस्थायी पहचान संख्या (Abridged Household List Temporary Identification Numbers-AHL TINs) में पंजीकृत न होने के बावजूद भी प्रदान किये गए।
पुरुषों को भी दिया गया लाभ:
- यह योजना BPL परिवार की महिलाओं के लिये प्रारंभ की गई थी परंतु IOCL सॉफ्टवेयर में इनपुट सत्यापन जाँच की कमी के कारण पुरुषों को भी 1.88 लाख कनेक्शन जारी किये गए।
नाबालिगों को भी कनेक्शन:
- सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की वजह से 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को 80 हज़ार कनेक्शन जारी करने की अनुमति दी गई, वहीं 8.59 लाख कनेक्शन उन लाभार्थियों को जारी किये गए जो SECC-2011 के आँकड़ों के अनुसार नाबालिग थे। यह प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के दिशा-निर्देशों तथा एलपीजी कंट्रोल ऑर्डर, 2000 (LPG Control Order, 2000) का उल्लंघन है।
रिपोर्ट से संबंधित अन्य तथ्य:
- 12.46 लाख लाभार्थी ऐसे भी पाए गए जिनके नाम SECC-2011 तथा PMUY के आँकडों में समान नहीं थे।
- लगभग 12,465 मामलों में डुप्लीकेट कनेक्शन की समस्या सामने आई।
- इनपुट सत्यापन जाँच में कमी के कारण लगभग 42,187 ऐसे कनेक्शन जारी किये गए जिनका विवरण SECC-2011 में अनुपस्थित था।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, 4.35 लाख कनेक्शन ऐसे भी थे जिन्हें जारी होने में निर्धारित 7 दिन की समय-सीमा से अधिक लगभग 365 दिन से अधिक का समय लगा।
- लाभार्थियों में 5 किलोग्राम के सिलेंडर का वितरण न करते हुए इसके उपयोग को प्रोत्साहन नहीं दिया गया।
- LPG गैस के निरंतर उपयोग को प्रोत्साहित करना एक बड़ी चुनौती भी है क्योंकि लाभार्थियों के एक वर्ग के वार्षिक औसत रिफिल खपत में गिरावट आई है।
- इस योजना के तहत जिन 1.93 करोड़ उपभोक्ताओं को कनेक्शन दिया गया था, उनमें से एक उपभोक्ता वार्षिक रूप से केवल 3.66 LPG ही रिफिल करवा पाता है।
- वहीं 31 दिसंबर, 2018 तक 3.18 करोड़ उज्ज्वला उपभोक्ताओं के आधार पर देखा जाए तो प्रति उपभोक्ता सिर्फ 3.21 रिफिल का प्रयोग ही कर रहा है। इसका अर्थ यह है कि लोगों को इस योजना के तहत LPG कनेक्शन तो मिल गया है परंतु वे उसे रिफिल नहीं करवा पा रहे हैं।
PMUY के संबंध में CAG की अनुशंसाएँ:
- प्रत्येक लाभार्थी परिवार के सभी वयस्क सदस्यों की आधार संख्या का विवरण रखा जाना चाहिये ताकि फर्जी तथा दोहरे कनेक्शन जारी करने से बचा जा सके।
- योजना के कार्यान्वयन के आकलन के लिये किसी भी तीसरे पक्ष से समय-समय पर इसका ऑडिट करवाया जा सकता है।
- अयोग्य लाभार्थियों को LPG कनेक्शन जारी करने पर रोक लगाने के लिये वितरकों द्वारा सॉफ्टवेयर में उचित इनपुट नियंत्रण, डेटा सत्यापन और अनिवार्य योग्यताओं के सही ब्यौरे की जाँच की जाने चाहिये।
- सही जानकारी सुनिश्चित करने और PMUY के लाभार्थियों की वास्तविकता को प्रमाणित करने के लिये ई-केवाईसी शुरू करने की आवश्यकता है।
- नाबालिग लाभार्थियों को जारी किये गए कनेक्शन परिवार के वयस्क सदस्य के नाम पर स्थानांतरित किये जा सकते हैं।
- PMUY के लाभार्थियों द्वारा LPG के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये सुरक्षा अभियान आयोजित किये जाने की आवश्यकता है।
- निम्न उपभोग श्रेणी या बिलकुल उपभोग न करने के मामले में PMUY के लाभार्थियों को निरंतर LPG उपयोग के लिये प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- उच्च खपत के मामलों पर अंकुश लगाने के लिये इसकी नियमित रूप से समीक्षा की जानी चाहिये।
- संपूर्ण LPG डेटाबेस के साथ-साथ अयोग्य लाभार्थियों की पहचान कर उन्हें प्रतिबंधित करने के लिये भौतिक रिकॉर्ड की जाँच करने की आवश्यकता है।
- नियमित निरीक्षण के अभाव में जोखिम के खतरों से बचने के लिये अनिवार्य निरीक्षण की लागत को सब्सिडी के रूप में देने का विकल्प भी अपनाया जा सकता है।
स्रोत- द हिंदू, बिज़नेस लाइन, टाइम्स ऑफ इंडिया
न्यायाधीशों की नियुक्ति
प्रीलिम्स के लिये:
कोलेजियम प्रणाली
मेन्स के लिये:
न्यायाधीशों की संख्या तथा कोलेजियम प्रणाली से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के लिये कोलेजियम द्वारा अनुशंसित 213 पद केंद्र सरकार की स्वीकृति न मिलने के कारण लंबित हैं।
मुख्य बिंदु:
- 1 दिसंबर, 2019 तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिये स्वीकृत कुल पदों के 38% पद रिक्त हैं।
- आंध्र प्रदेश और राजस्थान सहित कुछ राज्यों के उच्च न्यायालयों में वास्तविक क्षमता के आधे से भी कम न्यायाधीश हैं।
नियुक्ति संबंधी प्रावधान:
- सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिये छह महीने की समयावधि तय की है जिनके नाम पर सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम, उच्च न्यायालय और सरकार ने सहमति व्यक्त की है।
- उच्च न्यायपालिका के लिये न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया पर प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति के अंतिम अनुमोदन हेतु निर्दिष्ट समय-सीमा तय की गई है।
- मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (Memorandum of Procedure) के अनुसार, एक पद रिक्त होने के कम-से-कम छह महीने पहले नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ की जानी चाहिये तथा उसके बाद छह सप्ताह का समय राज्य द्वारा केंद्रीय कानून मंत्री को सिफारिश भेजने के लिये निर्दिष्ट किया गया है। तत्पश्चात् चार सप्ताह के अंदर प्रक्रिया संबंधी संक्षिप्त विवरण सर्वोच्च न्यायालय के कोलेजियम के पास भेजा जाता है।
- एक बार जब कॉलेजियम द्वारा नामों की मंजूरी दे दी जाती है तो कानून मंत्रालय को इसे तीन सप्ताह में प्रधानमंत्री को सिफारिश के लिये भेजना होगा।
- गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा तबादले के लिये राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम बनाया था, जिसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। वर्ष 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस अधिनियम को यह कहते हुए असंवैधानिक करार दिया था कि ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ अपने वर्तमान स्वरूप में न्यायपालिका के कामकाज में एक हस्तक्षेप मात्र है।
- हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को भेजे गए नामांकनों पर कार्रवाई नहीं करने के लिये केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अगर कोलेजियम द्वारा इन नामों को पुनः नामांकित किया जाता है तो सरकार के पास न्यायाधीशों को नियुक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच मतभेदों का सार्वजनिक होना लोकतंत्र के लिये नुकसानदायक है। संसदीय लोकतंत्र में कार्यपालिका और न्यायपालिका के अपने-अपने अधिकार क्षेत्र हैं। संविधान के तहत दोनों की सुपरिभाषित भूमिकाएँ हैं और अदालतों की भूमिका अंततः विधि का शासन सुनिश्चित कराने की है। न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों अपना-अपना काम करती हैं। विधायिका कानून बनाती है और इसे लागू करना कार्यपालिका का तथाविधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों के संविधान सम्मत होने की जाँच करना न्यायपालिका का काम है।
स्रोत-द हिंदू
आवर्तनशील कृषि
प्रीलिम्स के लिये
आवर्तनशील कृषि क्या है?
मेन्स के लिये
भारत में कृषि समस्याओं से निपटने में आवर्तनशील कृषि की भूमिका
संदर्भ:
कृषि में हाइब्रिड प्रजाति के बीजों के बढ़ते प्रयोग, जल की बढ़ती मांग तथा उर्वरकों और कीटनाशकों के माध्यम से रसायनों के अनियंत्रित प्रयोग ने वर्तमान में कई समस्याओं को जन्म दिया है। इसमें मृदा की प्राकृतिक उर्वरता में कमी, भू-जल स्तर का नीचे गिरना एवं जल के प्राकृतिक संसाधनों का दूषित होना आदि शामिल हैं। इस समस्या से निपटने में आवर्तनशील कृषि एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।
आवर्तनशील कृषि क्या है?
- कृषि की यह पद्धति सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व (Harmonious Co-existence) के सिद्धांत पर आधारित है।
- इसके अनुसार, पृथ्वी पर उपस्थित सभी पशु-पक्षी, वृक्ष, कीड़े व अन्य सूक्ष्म जीवों के जीवन का एक निश्चित क्रम है। यदि मानव इनके क्रम को नुकसान न पहुँचाए तो ये कभी नष्ट नहीं होंगे।
- कृषि की इस पद्धति में इन सभी जीवों का समन्वय तथा सहयोग आवश्यक है जिससे कृषि को धारणीय, वहनीय एवं प्राकृतिक वातावरण के अनुकूल बनाया जा सके।
- आवर्तनशील कृषि में एक बड़े जोत को इस प्रकार बाँटा जाता है कि उसमें सब्जियाँ व अनाज उगाने, पशुपालन, मछलीपालन तथा बागवानी आदि के लिये पर्याप्त स्थान मौजूद हो।
- इसके अतिरिक्त इस पद्धति में एकल कृषि (Monoculture) के स्थान पर मिश्रित कृषि (Mixed Farming) तथा मिश्रित फसल (Mixed Cropping) पर बल दिया जाता है।
- कृषि की इस पद्धति में रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर गोबर, सब्जियों के छिलके, बचा हुआ खाना व अन्य जैव अपशिष्ट पदार्थों के प्रयोग से बनी जैविक खाद, कंपोस्ट (Compost), वर्मीकंपोस्ट (Vermi Compost) व नाडेप (NADEP) विधि से बनी खाद का प्रयोग किया जाता है।
- इस प्रकार की कृषि में सिंचाई के लिये जल का सीमित उपयोग तथा वर्षा के जल का संरक्षण किया जाता है।
- आवर्तनशील कृषि में इस बात पर विशेष बल दिया जाता है कि कृषि उत्पादों को सीधे बाज़ार में बेचने की बजाय लघु स्तर पर प्रसंस्करण (Processing) किया जाए।
- इससे न केवल इन उत्पादों का मूल्यवर्द्धन होगा बल्कि किसानों को उनके उत्पाद की उचित कीमत भी मिलेगी।
- इस पद्धति के अंतर्गत उत्पादित अनाज के एक हिस्से को संरक्षित किया जाता है ताकि अगली फसल की बुआई के लिये बाज़ार से बीज खरीदने की आवश्यकता न पड़े।
आवर्तनशील कृषि के लाभ:
- इस प्रकार की कृषि में रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक खाद का उपयोग किया जाता है। इससे मृदा की प्राकृतिक उर्वरता बनी रहती है तथा मृदा की जल धारण क्षमता का विकास होता है।
- रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों तथा हाइब्रिड बीजों की खरीद में अतिरिक्त लागत न लगने की वजह से आवर्तनशील कृषि आधुनिक परंपरागत कृषि के स्थान पर एक सस्ता एवं धारणीय विकल्प है।
- भारत में स्थित सूखाग्रस्त क्षेत्र जहाँ किसानों की एक बड़ी आबादी सिंचाई के लिये वर्षा के जल पर निर्भर है, वहाँ इस पद्धति द्वारा उनकी समस्याओं को कम किया जा सकता है।
- वर्तमान भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण, बेरोज़गारी, किसानों द्वारा आत्महत्या, युवाओं का शहरों की तरफ पलायन आदि प्रमुख समस्याएँ है। आवर्तनशील कृषि इन समस्याओं का एक बेहतर समाधान हो सकती है।
- क्योंकि इस पद्धति में जीव-जंतुओं, वृक्षों तथा मानवीय समन्वय पर ज़ोर दिया जाता है इसलिये पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने का यह एक प्रभावी तरीका है।
आवर्तनशील कृषि की आलोचना:
- भारत में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या लगभग 85 प्रतिशत है तथा औसत जोत का आकार (Average Landholding) लगभग 1.08 हेक्टेयर है। इस संदर्भ में आवर्तनशील कृषि अधिकांश किसानों के लिये नामुमकिन साबित हो सकती है क्योंकि इसके लिये एक बड़े जोत की आवश्यकता होती है।
- इस प्रकार की कृषि को प्रारंभ करने में बड़ी लागत की आवश्यकता होती है, जबकि नीति आयोग के अनुसार, वर्ष 2017 में देश के किसानों की औसत वार्षिक आय (Average Annual Income) लगभग 46,000 रुपए प्रतिवर्ष थी। इस वजह से भारतीय किसान आवर्तनशील कृषि के उपयोग को लेकर निरुत्साहित हो सकता है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
तकनीकी वस्त्र
प्रीलिम्स के लिये
तकनीकी वस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग
मेन्स के लिये
तकनीकी वस्त्रों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये सरकार के प्रयास
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मुंबई में टेकटेक्सटिल इंडिया (Techtextil India) के सातवें संस्करण का आयोजन हुआ जिसमें तकनीकी वस्त्रों (Technical Textile) की प्रदर्शनी आयोजित की गई। इसके अलावा भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय (Ministry of Textiles) ने भी देश में उत्पादित तकनीकी वस्त्रों की खरीद पर ज़ोर दिया है।
मुख्य बिंदु:
- तकनीकी वस्त्र (Technical Textile) उन वस्त्रों को कहते हैं जिनका निर्माण गैर-सौंदर्यपूर्ण (Non-Aesthetics) कार्यों के स्थान पर तकनीकी तथा उससे संबंधित आवश्यकताओं के लिये किया जाता है। इनके निर्माण का मुख्य उद्देश्य कार्य-संपादन (Functionality) होता है।
- तकनीकी वस्त्रों का उपयोग कृषि, वैज्ञानिक शोध, चिकित्सा, सैन्य क्षेत्र, उद्योग तथा खेलकूद के क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर होता है।
- तकनीकी वस्त्रों के उपयोग से कृषि, मछलीपालन तथा बागवानी की उत्पादकता में वृद्धि होती है।
- ये सेना, अर्द्ध-सैनिक बल, पुलिस एवं अन्य सुरक्षा बलों की बेहतर सुरक्षा के लिये भी अहम हैं। इसके अलावा यातायात अवसंरचना (Transportation Infrastructure) को मज़बूत और टिकाऊ बनाने के लिये इनका प्रयोग रेलवे, बंदरगाहों तथा हवाई जहाज़ों में किया जाता है।
- भारत में तकनीकी वस्त्र का विकास उद्योगों तथा अन्य प्रायोगिक आवश्यकताओं की आर्थिक उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने के लिये अत्यंत आवश्यक है।
- ये अपने वाणिज्यिक उपयोग के अलावा सरकार द्वारा संचालित कई महत्त्वपूर्ण मिशनों जैसे- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission), जल जीवन मिशन (Jal Jivan Mission), राष्ट्रीय बागवानी मिशन (National Horticulture Mission) तथा राजमार्गों, रेलवे एवं बंदरगाहों के विकास के लिये आवश्यक हैं।
- भारत में तकनीकी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं।
- विदेशी व्यापार नीति के तहत तकनीकी वस्त्र्रों के 207 उत्पादों को हार्मोनाइज़्ड सिस्टम ऑफ़ नॉमेनक्लेचर (Harmonised System of Nomenclature-HSN) कोड प्रदान किया गया है।
- विविध क्षेत्रों में तकनीकी वस्त्रों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये वर्तमान में 10 केंद्रीय मंत्रालयों के अधीन 92 अनुप्रायोगिक क्षेत्रों (Application Araes) की पहचान की गई है जहाँ तकनीकी वस्त्रों का प्रयोग अनिवार्य है।
- भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards-BIS) ने तकनीकी वस्त्रों के 348 उत्पादों के लिये मानक निर्धारित किया है।
- वस्त्र मंत्रालय ने कौशल विकास कार्यक्रम (Skill Development Programme) के अंतर्गत संचालित समर्थ (Samarth) योजना के तहत 6 अतिरिक्त पाठ्यक्रम जोड़े हैं।
- सरकार ने तकनीकी वस्त्रों पर नए बेसलाइन सर्वेक्षण (Baseline Survey) हेतु आईआईटी दिल्ली को चुना है।
स्रोत: पी.आई.बी.
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में संकुचन
प्रीलिम्स के लिये:
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, मुद्रास्फीति जनित मंदी, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
मेन्स के लिये:
अर्थव्यवस्था पर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में संकुचन का प्रभाव
चर्चा में क्यों?
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation-MoSPI) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, अक्तूबर 2019 के लिये औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production-IIP) का त्वरित अनुमान 127.7 है, जो कि अक्तूबर 2018 की तुलना में 3.8% कम है। इस संकुचन का कारण अर्थव्यवस्था में मांग की कमी और विनिर्माण, बिजली, बुनियादी ढाँचे आदि जैसे क्षेत्रों की गतिविधियों में गिरावट है।
प्रमुख बिंदु:
- खुदरा मुद्रास्फीति (जो कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापी जाती है) नवंबर 2019 में बढ़कर पिछले 40 महीनों में सबसे अधिक 5.54% हो गई है जिसके परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फीति में भी वृद्धि हो रही है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि औद्योगिक गतिविधियों में संकुचन के साथ-साथ बढती मुद्रास्फीति के चलते विशेषज्ञों अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति जनित मंदी (स्टैगफ्लेशन) की ओर अग्रसर हो सकती है।
मुद्रास्फीति जनित मंदी
(STAGFLATION):
- कीमतों में वृद्धि के साथ आर्थिक संवृद्धि में गिरावट स्टैगफ्लेशन की विशेषता है।
- इसे अर्थव्यवस्था में ऐसी स्थिति के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ विकास दर धीमी हो जाती है, बेरोज़गारी का स्तर लगातार उच्च बना रहता है और फिर भी मुद्रास्फीति या मूल्य स्तर एक ही समय में उच्च रहता है।
- अर्थव्यवस्था के लिये खतरनाक:
- सामान्यतः निम्न संवृद्धि दर की स्थिति में, केंद्रीय बैंक और सरकार मांग का सृजन करने के लिये उच्च सार्वजनिक खर्च और कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध करवाकर अर्थव्यवस्था को उत्तेजित करने का प्रयास करते हैं।
- ये उपाय भी कीमतों में वृद्धि करते हैं और मुद्रास्फीति का कारण बनते हैं। इसलिये इन उपायों/साधनों को तब नहीं अपनाया जा सकता है जब मुद्रास्फीति पहले से ही उच्च स्थिति में हो, परिणामस्वरूप निम्न संवृद्धि और उच्च मुद्रास्फीति (स्टैगफ्लेशन) के जाल से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
- इसका एकमात्र समाधान उत्पादकता में वृद्धि करना है जो मुद्रास्फीति में वृद्धि किये बिना ही विकास को बढ़ावा देगा।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक क्या है?
- यह सूचकांक अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के विकास का विवरण प्रस्तुत करता है, जैसे कि खनिज खनन, बिजली, विनिर्माण आदि।
- इसे सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office-CSO), द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।
- IIP एक समग्र संकेतक है जो कि प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) एवं उपयोग आधारित क्षेत्र के आधार पर आँकड़े उपलब्ध कराता है।
इसमें शामिल आठ प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) निम्नलिखित हैं:
रिफाइनरी उत्पाद (Refinery Products) | 28.04% |
विद्युत (Electricity) | 19.85% |
इस्पात (Steel) | 17.92% |
कोयला (Coal) | 10.33% |
कच्चा तेल (Crude Oil) | 8.98% |
प्राकृतिक गैस (Natural Gas) | 6.88% |
सीमेंट (Cement) | 5.37% |
उर्वरक (Fertilizers) | 2.63% |
IIP के आँकड़े कितने उपयोगी हैं?
- IIP में आँकड़े मासिक स्तर पर जारी किये जाते हैं इसीलिये ये आँकड़े ऊपर-नीचे जाते रहते हैं।
- इन आँकड़ों को एक या दो महीने के बाद संशोधित किया जाता है, इसलिये इसे "त्वरित अनुमान" कहा जाता है।
- चूँकि 1 वर्ष के प्रोजेक्ट के लिये केवल 1 माह के आँकड़ों को आधार नहीं बनाया जा सकता, इसलिये यह पूरे वर्ष का होना चाहिये।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI):
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index -CPI) घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गई वस्तुओं एवं सेवाओं जैसे- भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन और परिवहन आदि के औसत मूल्य को मापने वाला एक सूचकांक है।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की गणना वस्तुओं एवं सेवाओं के एक मानक समूह के औसत मूल्य की गणना करके की जाती है।
- यह पालिसी ब्याज दर में परिवर्तन का आधार है।
स्रोत: द हिंदू
RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (13 दिसंबर, 2019)
अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस
प्रतिवर्ष विश्व भर में 11 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस’ (International Mountain Day) मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पर्वतीय क्षेत्र के सतत् विकास के महत्त्व के बारे में जानने और पर्वतीय क्षेत्र के प्रति दायित्वों के लिये जागरूक करना है। यह दिवस पहाड़ों में सतत विकास को प्रोत्साहित करने के लिये वर्ष 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित किया गया था। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस की थीम Mountains Matter for Youth रखी गई है। इस साल की थीम का उद्देश्य युवाओं को पर्वतो के महत्त्व की जानकारी देना, आपदा जोखिम में कमी, पानी, भोजन एवं स्वदेशी लोगों और जैव विविधता के बारे में अवगत कराना है। संपूर्ण पृथ्वी की सतह के लगभग 22 प्रतिशत हिस्से पर पहाड़ हैं, जहाँ पर विश्व भर के 915 मिलियन लोग (विश्व की जनसंख्या का 13%) निवास करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय तटस्थता दिवस
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष 12 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय तटस्थता दिवस (International Day of Neutrality) मनाया जाता है। इसकी आधिकारिक घोषणा फरवरी 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव द्वारा की गई थी और उसी वर्ष पहली बार 12 दिसंबर को इस दिवस को मनाया गया था। अंतर्राष्ट्रीय तटस्थता दिवस मनाए जाने का उद्देश्य निवारक कूटनीति के उपयोग को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में तटस्थता के मूल्य के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal Health Coverage-UHC) दिवस प्रतिवर्ष 12 दिसंबर को मनाया जाता है। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal Health Coverage-UHC) का मतलब देश के किसी भी भाग में बसे नागरिक की आय के स्तर, सामाजिक स्थिति, लिंग, जाति या धर्म के बिना सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का न्यायसंगत उपयोग सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य वहनीय, उत्तरदायी, गुणवत्तापूर्ण एवं यथोचित स्वास्थ्य सेवाओं के आश्वासन को सुनिश्चित करना है। इसमें रोगों की रोकथाम, उपचार एवं पुनर्वास, देखभाल शामिल हैं। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत विकास लक्ष्य को भी शामिल किया गया है। इसके तहत आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कर रोगों की रोकथाम, उपचार, अस्पताल संबंधी देखभाल आदि को शामिल किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विश्वभर में लगभग एक अरब लोग आवश्यकतानुसार स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को प्राप्त करने में असमर्थ हैं। इसके कारण लगभग 150 मिलियन लोगों के समक्ष प्रतिवर्ष वित्तीय संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के भुगतान के परिणामस्वरूप 100 मिलियन लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। सार्वभौमिक कवरेज’ WHO के 1948 के संविधान पर आधारित है, जो यह उद्घोषणा करता है कि स्वास्थ्य मनुष्य का आधारभूत अधिकार है तथा यह सभी के स्वास्थ्य के उच्चतम स्तर की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है। भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिये 10 सिद्धांत निर्देशित किये गए हैं, इनमें समानता, बहिष्कार एवं भेदभाव न करना, तर्कसंगत एवं गुणवत्तापूर्ण व्यापक देखभाल, वित्तीय सुरक्षा, रोगियों के अधिकारों का संरक्षण, मज़बूत सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये प्रावधान, उत्तरदायित्व एवं पारदर्शिता, समुदाय की भागीदारी तथा स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुँच शामिल हैं। इस वर्ष इस दिवस की थीम Keep the Promise रखी गई है।
भारत की विकास दर घटाई
एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank-ADB) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.5 फीसदी से घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया है। इससे पहले सितंबर और जुलाई में भी ADB ने भारत की विकास दर का अनुमान घटाया था। ADB ने वर्ष 2019-20 के लिये सितंबर में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी और उसके बाद 7.2 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था। ADB के अनुसार, फसल खराब होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र की बदहाल स्थिति और रोज़गार की धीमी वृद्धि दर ने उपभोग को प्रभावित किया है तथा इसकी वजह से वृद्धि दर के अनुमान को घटाया गया है। साथ ही उसने कहा कि अनुकूल नीतियों के कारण आर्थिक वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में मज़बूत होकर 6.5 फीसदी पर पहुँच जाने का अनुमान है। ध्यातव्य है कि हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी GDP अनुमान घटाया था। केंद्रीय बैंक के अनुसार, वर्ष 2019-20 के दौरान GDP में और गिरावट आएगी और यह 6.1 फीसदी से गिरकर 5 फीसदी पर आ सकती है। जुलाई-सितंबर 2019 की तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 4.5 फीसदी रह गई, जो लगभग साढ़े छह साल का निचला स्तर है। यह लगातार छठी तिमाही है जब विकास में कमी दर्ज की गई है। इससे पहले जनवरी-मार्च 2013 तिमाही में विकास दर 4.3 फीसदी रही थी।
बोगनविले द्वीप
संसाधन समृद्ध बोगनविले द्वीप (Bougainville Island) पापुआ न्यू गिनी से अलग होकर विश्व के नक्शे पर नया देश बनने की राह पर अग्रसर है। इस ओर कदम बढ़ाते हुए पूर्ण स्वतंत्रता को लेकर बहुप्रतीक्षित जनमत संग्रह के लिये दो सप्ताह तक मतदान हुआ। मतदान के लिये बोगनविले के लगभग दो लाख 70 हज़ार लोग पंजीकृत थे। दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में स्थित बोगनविले ने पापुआ न्यू गिनी से आज़ादी हासिल करने के समर्थन में मत दिया। जनमत संग्रह में अलग देश के लिये 98% (176,928) लोगों ने मतदान किया जबकि सिर्फ 2% (3,043) नागरिक ही ऐसे थे जिन्होंने पापुआ न्यू गिनी के साथ रहने के समर्थन में मत दिया। जनमत संग्रह का परिणाम गैर-बाध्यकारी है और बोगनविले तथा पापुआ न्यू गिनी के नेताओं के बीच समझौते से आज़ादी का रास्ता बनेगा। इसके बाद पापुआ न्यू गिनी के सांसद इस पर फैसला करेंगे। प्राकृतिक संपदा की दृष्टि से बेहद धनी इस छोटे से द्वीप पर कई देशों का प्रभुत्व रहा है और समुद्र से घिरे प्राकृतिक संपदा संपन्न द्वीप ने लगातार संघर्ष किया। इस द्वीप पर आधिपत्य की कहानी 200 साल पुरानी है। पहले इस पर जर्मनी का अधिकार था जिसके बाद इस पर ऑस्ट्रेलिया ने अपना प्रभुत्व जमाया। उसके बाद जापान ने और फिर संयुक्त राष्ट्र ने इसका शासन अपने हाथ में लिया। आखिरी में इसे पापुआ न्यू गिनी को सौंपा गया।