डेली न्यूज़ (13 Sep, 2018)



आत्महत्या करने वाली 37% महिलाएँ भारतीय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में किये गए इंडिया स्टेट लेवल रोग बर्डन इनिशिएटिव नामक एक संयुक्त अध्ययन के अनुसार, भारत में 15-39 साल की आयु वर्ग में मृत्यु का प्रमुख कारण आत्महत्या है।

प्रमुख बिंदु

  • यह रिपोर्ट इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), भारत के लोक स्वास्थ्य फाउंडेशन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से स्वास्थ्य मेट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान सहित अन्य संस्थानों का संयुक्त अध्ययन है।
  • दुनिया भर में इस प्रकार की मौतों यानी आत्महत्या से करने वाली महिलाओं में से 37 प्रतिशत हिस्सा भारतीय महिलाओं का है, वहीं बुज़ुर्गों में आत्महत्या की दर पिछली तिमाही में बढ़ी है। हाल ही में इन तथ्यों का खुलासा किया गया है।
  • वैश्विक रूप से आत्महत्या के कारण होने वाली मौतों में भारत की आनुपातिक संख्या उच्च गति से बढ़ रही है।
  • इस रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 में 15-39 साल की आयु वर्ग के लोगों द्वारा आत्महत्या, भारत में मौत का एक प्रमुख कारण था जहाँ महिलाओं के बीच आत्महत्या के कारण मौत का प्रतिशत 71.2 था, तो वहीं पुरुषों के बीच इस आयु वर्ग में यह प्रतिशत 57.7 था।
  • वर्ष 1990 से 2016 के दौरान दुनिया भर में आत्महत्या के कारण हुई कुल मौतों में भारत का बहुत अधिक योगदान रहा, विशेष रूप से महिलाओं में इसकी वृद्धि चिंता का कारण है।
  • वैश्विक रूप से आत्महत्या के कारण मौतों में भारत का योगदान 1990 के 25.3% से बढ़कर 2016 में 36.6% और महिलाओं के बीच 18.7% से बढ़कर 24.3% हो गया।
  • यदि आत्महत्या की दर में कमी नहीं होती है तो वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की भारत की संभावना शून्य हो जाएगी।
  • इस रिपोर्ट के मुताबिक, नगालैंड में सबसे कम जबकि कर्नाटक में सबसे ज्यादा आत्महत्या की घटनाएँ होती हैं।
  • आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना राज्यों में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिये SDR लगातार उच्च था।


भारत की बदतर स्वास्थ्य रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी की गई ‘भारत राज्य स्तरीय रोग का बोझ संबंधी रिपोर्ट’ के अनुसार, 1990 से 2016 तक की अवधि के दौरान भारतीयों में स्थानिक अरक्तता संबंधी हृदय रोग और स्ट्रोक के प्रसार में 50% की वृद्धि दर्ज की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से 2016 की अवधि में मधुमेह के मामलों की संख्या 26 मिलियन से बढ़कर 65 मिलियन हो गई है। साथ ही, पुरानी अवरोधक फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त लोगों की संख्या 28 मिलियन से बढ़कर 55 मिलियन हो गई है।
  • भारत में स्वास्थ्य में होने वाले कुल नुकसान के लिये कैंसर का आनुपातिक योगदान 1990 से लेकर 2016 तक दोगुना हो चुका है, लेकिन विभिन्न प्रकार के कैंसर रोग के मामले राज्यों के बीच व्यापक रूप से भिन्न होते हैं।
  • विशेषज्ञों ने नोट किया कि इन निष्कर्षों द्वारा प्रदान की गई अंतर्दृष्टि हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन, आयुष्मान भारत की योजना के लिये सही समय पर है। ICMR आयुष्मान भारत के लिये मानक उपचार कार्यप्रणाली बनाने पर भी काम कर रहा है।
  • परिषद ने कहा कि वह क्लीनिकल रिसर्च के भारतीय जर्नल के 150वें यादगार प्रकाशन के हिस्से के रूप में महात्मा गांधी के स्वास्थ्य रिकॉर्ड- सामान्य स्वास्थ्य, रक्तचाप आँकड़े इत्यादि को सार्वजनिक करने के लिये तैयार है।

संयुक्त पहल

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से तैयार की गई यह रिपोर्ट भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR), पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) तथा इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) की संयुक्त पहल है जिसमें 100 से अधिक भारतीय संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञ और हितधारक शामिल थे।
  • राज्यवार रोग के बोझ से पता चला है कि पंजाब को स्थानिक अरक्तता संबंधी हृदय रोग के बोझ के लिये शीर्ष स्थान पर रखा गया है, इसके बाद तमिलनाडु का स्थान है और इसी प्रकार मधुमेह के लिये तमिलनाडु शीर्ष पर है और पंजाब दूसरे स्थान पर।
  • कई प्रमुख गैर-संक्रमणीय बीमारियों (NCD) के व्यापक विश्लेषण के अनुसार, पश्चिम बंगाल सबसे ज़्यादा स्ट्रोक के मामलों के कारण शीर्ष पर है, जबकि ओडिशा इस मामले में दूसरे स्थान पर है।
  • कैंसर के बोझ के लिये केरल को शीर्ष स्थान पर रखा गया उसके बाद असम का स्थान है। अधिक वज़न होना मधुमेह का प्रमुख कारण माना गया और 1990 से लेकर 2016 तक भारत के हर राज्य में मधुमेह के मामलों में दुगनी वृद्धि हुई।
  • चिकित्सा पत्रिका ‘द लांसेट’ में एक टिप्पणी के साथ 'द लांसेट ग्लोबल हेल्थ', 'द लांसेट पब्लिक हेल्थ' और 'लांसेट ओन्कोलॉजी' में प्रकाशित पाँच शोध-पत्रों की श्रृंखला में इन निष्कर्षों की सूचना मिली है।
  • जबकि यह ज्ञात है कि भारत में गैर-संचारी रोगों (NCD) के मामले बढ़ रहे हैं, एक प्रमुख चिंताजनक तथ्य यह है कि स्थानिक अरक्तता संबंधी हृदय रोग और मधुमेह में वृद्धि की उच्चतम दर भारत के कम विकसित राज्यों में है। इन राज्यों में पहले से ही पुरानी अवरोधक फेफड़ों की बीमारी, और संक्रामक तथा बचपन की बीमारियों का एक बड़ा बोझ है, इसलिये इन राज्यों में NCD के नियंत्रण हेतु अविलंब प्रयास किया जाना चाहिये।

आयुष्मान भारत

  • केंद्रीय बजट 2018-19 में ‘आयुष्मान भारत’ पहल के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर दो महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ की गईं।
  • जहाँ एक ओर 1.5 लाख स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के लिये 1200 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, वहीं दूसरी ओर, 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमज़ोर परिवारों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना की शुरुआत की गई है।
  • इस योजना में प्रतिवर्ष प्रति परिवार के लिये पाँच लाख रुपए का लाभ कवर किया गया है।
  • इस योजना के लक्षित लाभार्थी दस करोड़ से अधिक परिवार होंगे जो एसपीसीसी डाटा बेस पर आधारित गरीब और कमज़ोर आबादी के होंगे।
  • आयुष्‍मान भारत - राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा मिशन (Ayushman Bharat : National Health Protection Mission - AB-NHPM) में चालू केंद्र प्रायोजित योजनाएँ : राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना (Rashtriya Swasthya Bima Yojana -RSBY) तथा वरिष्‍ठ नागरिक स्‍वास्‍थ्य बीमा योजना (Senior Citizen Health Insurance Scheme -SCHIS) समाहित होंगी।


सरकार ने 328 FDC दवाओं के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर लगाया प्रतिबंध

चर्चा में क्यों?

स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने तत्‍काल प्रभाव से 328 निश्चित खुराक संयोजन (Fixed Dose Combination- FDC) के उत्‍पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही मंत्रालय ने 6 FDC के उत्‍पादन, बिक्री अथवा वितरण को भी कुछ शर्तों के साथ प्रतिबंधित कर दिया है। FDC दो या दो से अधिक दवाओं का निश्चित अनुपात में संयोजन है जिसे एक खुराक के रूप में दिया जाता है।

विशेषज्ञ समिति और दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सिफारिशों के आधार पर लिया गया फैसला

  • केंद्र सरकार ने विशेषज्ञ समिति और दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड (Drugs Technical Advisory Board- DTAB) द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि देश में मानव उपयोग के उद्देश्‍य से इन 328 FDC के उत्‍पादन, बिक्री और वितरण पर त्‍वरित प्रतिबंध लगाना जनहित में आवश्‍यक है।
  • तदनुसार, स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत प्राप्त अधिकारों का उपयोग करते हुए 7 सितंबर, 2018 को अपनी गजट (राजपत्र) अधिसूचनाओं के ज़रिये मानव उपयोग के उद्देश्‍य से 328 FDC के उत्‍पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • मंत्रालय ने कुछ शर्तों के साथ 6 FDC के उत्‍पादन, बिक्री अथवा वितरण को भी प्रतिबंधित कर दिया है।
  • ये अधिसूचनाएँ तत्‍काल प्रभावी हो गई हैं।

15 FDC को वर्तमान अधिसूचनाओं से रखा गया बाहर

  • 10 मार्च, 2016 को प्रतिबंधित किये गए 344 FDC, जिनके बारे में दावा किया गया कि 21 सितंबर, 1988 से पहले इनका उत्‍पादन होता था, में से 15 FDC को वर्तमान अधिसूचनाओं के दायरे से बाहर रखा गया है।

इससे पहले भी लगा प्रतिबंध

  • इससे पूर्व केंद्र सरकार ने भारत के राजपत्र में 10 मार्च, 2016 को प्रकाशित अपनी अधिसूचनाओं के माध्यम से औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत मानव उपयोग के उद्देश्‍य से 344 FDC के उत्‍पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया था।
  • इसके बाद सरकार ने समान प्रावधानों के तहत 344 FDC के अलावा पाँच और FDC को प्रतिबंधित कर दिया था।

दवा निर्माताओं ने सरकार के निर्णय को दी थी चुनौती

  • सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध से प्रभावित उत्‍पादकों अथवा निर्माताओं ने देश के विभिन्‍न उच्‍च न्‍यायालयों और उच्‍चतम न्‍यायालय में इस निर्णय को चुनौती दी थी।
  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा 15 दिसंबर, 2017 को सुनाए गए अपने फैसले में दिये गए निर्देशों का पालन करते हुए इस मसले पर दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड (इसका गठन औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 5 के तहत हुआ था) द्वारा गौर किया गया।

दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सिफारिश

  • दवा तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने इन दवाओं पर अपनी रिपोर्ट में अन्‍य बातों के अलावा यह सिफारिश भी की कि 328 FDC में निहित सामग्री का कोई चिकित्सकीय औचित्य नहीं है और इन FDC से मानव स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुँच सकता है।
  • बोर्ड ने सिफारिश की कि औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत व्‍यापक जनहित में इन FDC के उत्‍पादन, बिक्री अथवा वितरण पर प्रतिबंध लगाना आवश्‍यक है।
  • 6 FDC के बारे में बोर्ड ने सिफारिश की कि इनके चिकित्‍सकीय औचित्‍य के आधार पर कुछ शर्तों के साथ इनके उत्‍पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया जाए।

सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिश 

  • केंद्र सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने भी इन FDC पर गौर किया था और उसके बाद सिफारिशें पेश की थीं जो बोर्ड द्वारा की गई उपर्युक्‍त सिफारिशों के अनुरूप ही थीं।

प्रीलिम्स फैक्ट्स 13 सितंबर 2018

खिड़की मस्जिद

संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण (दिल्ली सर्किल) ने खिड़की मस्जिद परिसर से तांबे के 254 सिक्कों का खजाना खोजा है। उल्लेखनीय है कि 2003 में भी इसी परिसर की सफाई और संरक्षण के दौरान 63 सिक्के मिले थे।

प्रारंभिक जाँच के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ये सिक्के शेरशाह सूरी और उनके उत्तराधिकारियों के शासनकाल के हैं।

खिड़की मस्जिद के बारे में
  • यह मस्जिद खिड़की गाँव (नई दिल्ली) के दक्षिणी छोर पर स्थित है।
  • मस्जिद का निर्माण फिरोज शाह तुगलक (1351-88) के प्रधानमंत्री खान-ए-जहान जुनान शाह ने करवाया था। माना जाता है कि यह मस्जिद उनके द्वारा निर्मित 7 मस्जिदों में से एक है।
  • यह मस्जिद खुरदुरे पत्थरों से बनी 2 मंजिला इमारत है जिसकी निचली मंजिल पर कई छोटी-छोटी कोठरियाँ बनी हुई हैं।
  • चारों कोनों पर खंभे हैं, जिनसे यह इमारत बहुत मज़बूत प्रतीत होती है।
  • पश्चिम दिशा को छोड़कर मस्जिद में तीन दरवाज़े हैं और चारों तरफ मीनारें बनी हुई हैं। मुख्य दरवाज़ा पूर्व की दिशा में खुलता है।
  • ऊपरी मंजिल पर झिर्रीदार खिड़कियाँ बनी हैं, जिसके कारण इसका नाम खिड़की मस्जिद पड़ा।
क्षमता विकास योजना

हाल ही में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने क्षमता विकास योजना को 2,250 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ 2017-18 से 2019-20 की अवधि तक जारी रखने के लिये अपनी मंज़ूरी दे दी है।

योजना के बारे में
  • क्षमता विकास योजना सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी केंद्रीय योजना है।
  • इस योजना का उद्देश्य नीति निर्माताओं तथा लोगों के लिये विश्वसनीय और समय पर सरकारी सांख्यिकी उपलब्ध कराने हेतु संरचनात्मक, तकनीकी और मानव संसाधन को मज़बूत बनाना है।
  • क्षमता विकास योजना के अंतर्गत सकल घरेलू उत्पाद (GDP), उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI), औद्योगिक उत्पादन सूचकाकं (IIP), सांख्यिकीय वर्गीकरण, विभिन्न सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कार्य करने, क्षमता सृजन तथा सांख्यिकी समन्वय को मज़बूत बनाने और आईटी अवसंरचना में सुधार करने जैसी महत्त्वपूर्ण गतिविधियाँ चलाई जा रही हैं।
  • योजना के अंतर्गत अप्रैल, 2017 में सामयिक श्रम बल सर्वेक्षण तथा पूरे देश के लिये (शहरी और ग्रामीण क्षेत्र) श्रम डेटा एकत्रीकरण कार्य लॉन्च किया गया।
  • क्षमता विकास योजना के अंतर्गत दो उप-योजनाएँ हैं- आर्थिक गणना और सांख्यिकीय मज़बूती के लिये समर्थन (Support for Statistical Strengthening- SSS)।

आर्थिक जनगणना

  • आर्थिक जनगणना के अंतर्गत समय-समय पर सभी गैर-कृषि प्रतिष्ठानों को सूचीबद्ध करने का काम किया जाता है जो विस्तृत सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का आधार होता है।
  • अंतिम (61) आर्थिक गणना जनवरी, 2013 से अप्रैल, 2014 तक की गई और अब भविष्य में सरकार का इरादा तीन वर्ष में एक बार सर्वेक्षण कराना है।

सांख्यिकीय मज़बूती के लिये समर्थन

  • यह उप-योजना राज्य/उप-राज्य स्तर के सांख्यिकीय प्रणालियों/अवसंरचना को मज़बूत करने के लिये है ताकि मज़बूत राष्ट्रीय प्रणाली विकसित करने में सहायता मिल सके।
  • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रस्तावों के विस्तृत परीक्षण के बाद राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कोष जारी किया जाता है।

नियमित रूप जारी गतिविधियों के अतिरिक्त सेक्टरों/क्षेत्रों के बेहतर सांख्यिकी कवरेज की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने क्षमता विकास योजना के अंतर्गत तीन नए सर्वेक्षण कराने का प्रस्ताव किया है। ये सर्वेक्षण हैं-

  1. समय उपयोग सर्वेक्षण (Time Use Survey- TUS)
  2. सेवा क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (Annual Survey of Service Sector Enterprises- ASSSE)
  3. गैर-निगमित क्षेत्र उद्यमों का वार्षिक सर्वेक्षण (Annual Survey of Unincorporated Sector Enterprises- ASUSE)।
दगडूशेठ गणपति मंदिर तथा बृहदेश्वर मंदिर

गणेश चतुर्थी के अवसर पर पूरे देश में ऐतिहासिक मंदिरों की प्रतिकृतिययाँ बनाने की 75 वर्षीय परंपरा का अनुसरण करते हुए दगडूशेठ गणपति मंदिर ट्रस्ट ने इस वर्ष तंजौर के प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर की प्रतिकृति में दगडूशेठ गणपति की प्रतिमा को स्थापित किया है।

दगडूशेठ मंदिर के बारे में
  • अपनी आतंरिक संरचना और सुनहरी मूर्ति के लिये प्रसिद्ध दगडूशेठ गणपति मंदिर की स्थापना 1893 में दगडूशेठ हलवाई ने की थी।
  • वर्तमान में पूरे महाराष्ट्र में मनाए जाने वाले गणपति उत्सव की शुरुआत इसी मंदिर से हुई थी।
बृहदेश्वर मंदिर के बारे में
  • तमिलनाडु के तंजौर ज़िले में स्थित ब़ृहदेश्‍वर मंदिर चोल वास्‍तुकला का शानदार उदाहरण है, जिसका निर्माण महाराजा राजाराज प्रथम द्वारा कराया गया था। उनके नाम पर ही इसे राजराजेश्वर मंदिर नाम भी दिया गया है।
  • इस मंदिर के चारों ओर सुंदर अक्षरों में नक्‍काशी द्वारा लिखे गए शिलालेखों की एक लंबी श्रृंखला शासक के व्‍यक्तित्‍व की अपार महानता को दर्शाते हैं।
  • यह मंदिर ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित है और अधिकांशत: पत्‍थर के बड़े खण्‍ड इसमें इस्‍तेमाल किये गए हैं।
  • इस मंदिर के निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती।
  • इसके शिखर पर एक स्वर्णकलश स्थित है। जिस पत्थर पर यह कलश स्थित है, उसका वजन अनुमानत: 80 टन है और यह एक ही पाषाण से बना है।
  • इस मंदिर की उत्कृष्टता के कारण ही यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर का दर्ज़ा दिया है।

 


‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (पीएम-आशा)

चर्चा में क्यों?

सरकार की किसान अनुकूल पहलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ अन्नदाता के प्रति अपनी जवाबदेही को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई समग्र योजना ‘प्रधानमंत्री अन्न्दाता आय संरक्षण अभियान’ (Pradhan Mantri Annadata Aay SanraksHan Abhiyan- PM-AASHA) को मंज़ूरी दे दी है। यह किसानों की आय के संरक्षण की दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाया गया एक असाधारण कदम है जिससे किसानों के कल्याण हेतु किये जाने वाले कार्यों में अत्यधिक सफलता मिलने की आशा है। 

उद्देश्य

इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिये उचित मूल्य दिलाना है, जिसकी घोषणा वर्ष 2018 के केंद्रीय बजट में की गई है।

पीएम- आशा के प्रमुख घटक

  • नई समग्र योजना में किसानों के लिये उचित मूल्य सुनिश्चित करने की व्यवस्था शामिल है और इसके अंतर्गत आने वाले प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं 
    ♦ मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme-PSS)
    ♦ मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (Price Deficiency Payment Scheme- PDPS)
    ♦ निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना (Private Procurement & Stockist Scheme- PPSS)

मूल्य समर्थन योजना : 

  • इसके तहत दालों, तिलहन और गरी (Copra) की भौतिक खरीदारी राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग से केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा की जाएगी।
  • यह भी निर्णय लिया गया है कि नैफेड के अलावा भारतीय खाद्य निगम (FCI) भी राज्यों/ज़िलों में PSS परिचालन की जिम्मेदारी संभालेगा। 
  • खरीद पर होने वाले व्यय और खरीद के दौरान होने वाले नुकसान को केंद्र सरकार मानकों के मुताबिक वहन करेगी।

मूल्य न्यूनता भुगतान योजना

  • इसके तहत उन सभी तिलहनी फसलों को कवर करने का प्रस्ताव किया गया है जिसके लिये MSP को अधिसूचित कर दिया जाता है। 
  • इसके तहत MSP और बिक्री/औसत मूल्य के बीच के अंतर का सीधा भुगतान पहले से ही पंजीकृत उन किसानों को किया जाएगा जो एक पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के ज़रिये अधिसूचित बाज़ार में अपनी उपज की बिक्री करेंगे।
  • समस्त भुगतान सीधे किसान के पंजीकृत बैंक खाते में किया जाएगा। 
  • इस योजना के तहत फसलों की कोई भौतिक खरीदारी नहीं की जाती है क्योंकि अधिसूचित बाज़ार में बिक्री करने पर MSP और बिक्री/औसत मूल्य में अंतर का भुगतान किसानों को कर दिया जाता है। 
  • PDPS के लिये केंद्र सरकार द्वारा सहायता, तय मानकों के अनुसार दी जायेगी।

निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना

  • तिलहन के मामले में यह निर्णय लिया गया है कि राज्यों के पास यह विकल्प रहेगा कि वे चुनिंदा ज़िला/ज़िले की APMC (Agriculture Produce Market Committee) में प्रायोगिक आधार पर निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट योजना (PPSS) शुरू कर सकते हैं जिसमें निजी स्टॉकिस्टों की भागीदारी होगी। 
  • प्रायोगिक आधार पर चयनित ज़िला/ज़िले की चयनित APMC तिलहन की ऐसी एक अथवा उससे अधिक फसलों को कवर करेगी जिसके लिये MSP को अधिसूचित किया जा चुका है। 
  • चूँकि यह योजना अधिसूचित जिंस की भौतिक खरीदारी की दृष्टि से PSS से काफी मिलती-जुलती है, इसलिये यह प्रायोगिक आधार पर चयनित ज़िलों में PSS/PDPS को प्रतिस्थापित करेगी।
  • जब भी बाज़ार में कीमतें अधिसूचित MSP से नीचे आ जाएंगी तो चयनित निजी एजेंसी PPSS से जुड़े दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए पंजीकृत किसानों से अधिसूचित अवधि के दौरान अधिसूचित बाज़ारों में MSP पर जिंस की खरीदारी करेगी। 
  • यह व्यस्था तब अमल में लाई जाएगी जब निजी चयनित एजेंसी को बाज़ार में उतरने के लिये राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकार द्वारा अधिकृत किया जाएगा और अधिसूचित MSP के 15 प्रतिशत तक अधिकतम सेवा शुल्क देय होगा।

व्यय :

  • कैबिनेट ने 16,550 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सरकारी गारंटी देने का फैसला किया है जिससे यह यह गारंटी बढ़कर 45,550 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुँच गई है।
  • इसके अलावा, खरीद परिचालन के लिये बजट प्रावधान भी बढ़ा दिया गया है और पीएम-आशा के क्रियान्वयन के लिये 15,053 करोड़ रुपए मंज़ूर किये गए हैं।

किसानों के हित में कैबिनेट द्वारा लिये गए अन्य फैसले

न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि : 

  • सरकार उत्पादन लागत का डेढ़ गुना तय करने के सिद्धांत पर चलते हुए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSP) में पहले ही वृद्धि कर चुकी है। 
  • MSP में वृद्धि के कारण राज्य सरकारों के सहयोग से खरीद व्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी।

DFPD के साथ-साथ कपड़ा मंत्रालय की वर्तमान योजनाओं को जारी रखने का फैसला :

  • धान, गेहूँ एवं पोषक अनाजों/मोटे अनाजों की खरीद के लिये खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (Department of Food and Public Distribution- DFPD) की अन्य मौजूदा योजनाओं के साथ-साथ कपास एवं जूट की खरीद के लिये कपड़ा मंत्रालय की अन्य वर्तमान योजनाएँ भी जारी रहेंगी, ताकि किसानों के लिये इन फसलों की MSP सुनिश्चित की जा सके।

खरीद हेतु निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने का फैसला:

  • कैबिनेट के अनुसार, खरीद परिचालन में प्रायोगिक तौर पर निजी क्षेत्र की भागीदारी भी सुनिश्चित करने की ज़रूरत है, ताकि इस दौरान मिलने वाली जानकारियों के आधार पर खरीद परिचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाई जा सके। 

नया बाज़ार ढाँचा स्थापित करने का प्रयास 

  • किसानों के लिये एक नया बाज़ार ढाँचा स्थापित करने के लिये भी प्रयास किये जा रहे हैं, ताकि उनकी उपज का उचित या लाभकारी मूल्य दिलाया जा सके। 
  • इनमें ग्रामीण कृषि बाज़ारों की स्थापना करना भी शामिल है, ताकि खेतों के काफी निकट ही 22,000 खुदरा बाज़ारों को प्रोत्साहित किया जा सके। 

सरकार की किसान अनुकूल अन्य पहलें :

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
  • परंपरागत कृषि विकास योजना 
  • मृदा स्वास्थ्य कार्डों का वितरण
  • मॉडल कृषि उपज एवं पशुधन विपणन अधिनियम, 2017 और मॉडल अनुबंध खेती एवं सेवा अधिनियम, 2018।