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डेली न्यूज़

  • 13 Jun, 2019
  • 41 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ट्रैफिक इंडेक्स 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एम्स्टर्डम स्थित लोकेशन टेक्नोलॉजी कंपनी टॉमटॉम (TomTom) द्वारा ट्रैफिक इंडेक्स 2018 जारी किया गया है। गौरतलब है कि टॉमटॉम ट्रैफिक की जानकारी एकत्र करने के लिये लोकेशन टेक्नोलॉजी (Location Technology) का उपयोग करके ट्रैफिक समाधान प्रदान करती है।

  • इस इंडेक्स के अनुसार, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सड़कों पर अधिक जाम लगने के कारण लोगों को अपने गंतव्य तक पहुँचने में 65 फीसदी अधिक वक्त लगता है, जबकि देश की राजधानी दिल्ली में 58 फीसदी अधिक समय लगता है।
  • नवीनतम इंडेक्स में विश्व के 56 देशों के 403 शहरों को शामिल किया गया है, जिसमें 13 नए शहर भी शामिल हैं। इसमें कोलंबिया के बोगोटा शहर को दूसरे जबकि पेरू के लीमा शहर को तीसरे स्थान तथा मास्को को पाँचवें स्थान पर रखा गया है।
  • भारत की राजधानी दिल्ली विश्व का चौथा सबसे अधिक ट्रैफिक वाला शहर है।

Traffic

ट्रैफिक कंजेशन के दुष्प्रभाव

(Effects of Traffic Congestion)

  • इससे ध्वनि एवं वायु प्रदूषण (Air and Noise Pollution) में वृद्धि होती है।
  • वर्ष 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 20 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में भारत के 14 शहर शामिल थे।
  • भारत में किसी भी अन्य देश की तुलना में यातायात दुर्घटनाओं के कारण सर्वाधिक 120,000 लोगों की (प्रतिवर्ष) मृत्यु होती है।
  • भारत में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएँ दिल्ली में होती हैं जबकि वैश्विक स्तर पर इसका तीसरा स्थान है।
  • आर्थिक नुकसान का सीधा संबंध ट्रैफिक में फँसे होने में लगे समय के मौद्रिक मूल्य से है।
  • ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म (Global Consultancy Firm) द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में ट्रैफिक के कारण वार्षिक लागत अर्थव्यवस्था का 1.47 लाख करोड़ रूपए है।
  • ट्रैफिक जाम की स्थिति में आपातकालीन वाहनों जैसे- एबुलेंस, सैन्य वाहन का भी मार्ग बाधित होता है।
  • यातायात नियमों का उल्लंघन, रेड लाइट (Red Lights) का उल्लंघन करना, सही लेन में वाहन न चलाना आदि ट्रैफिक जाम के सबसे प्रमुख कारण हैं।
  • अगर इसका हम सकारात्मक पक्ष देखें तो यह मज़बूत अर्थव्यवस्था का द्योतक है।

आगे की राह

  • इस समस्या का समाधान करने के लिये सरकार को सड़कों को और अधिक चौड़ा करने, नई सड़कों तथा अंडरपासों का निर्माण जैसी परियोजनाओं को बढ़ावा देना चाहिये।
  • सडकों के उचित प्रबंधन एवं यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों के विरुद्ध सज़ा और जुर्माने जैसे कड़े प्रावधान किये जाने चाहिये।
  • यात्रा के लिये सार्वजनिक परिवहन, कारपूलिंग, राइडशेयरिंग के लिये कम्यूटर सब्सिडी (Commuter Subsidies) का प्रावधान करना।
  • अगर दिल्ली के लोग राइडशेयरिंग के माध्यम से यात्रा करने लगें तो दिल्ली में, 22,369 एकड़ का क्षेत्र ट्रैफिक मुक्त किया जा सकता है।
  • सरकार को कार-केंद्रित पॉलिसी (Car-Centric Policy) में बदलाव करते हुए कार एवं चौपहिया वाहनों की खरीद पर प्रतिबंध लगा देना चाहिये।
  • कार पूल (Carpool) करने वाले कर्मचारियों को उचित पार्किंग उपलब्ध कराना।
  • सभी कर्मचारियों को गाइडबुक प्रदान करना जो यातायात के वैकल्पिक साधनों के बारे में जानकारी प्रदान करें और उनके प्रयोग को प्रोत्साहित करें।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय राजनीति

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सर्वोच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रशांत कनौजिया नामक पत्रकार को जमानत पर तुरंत रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि पत्रकार ने किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं किया था।

प्रमुख बिंदु

  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हम ऐसे देश में रहते है जो संविधान द्वारा संचालित है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पत्रकार द्वारा किया गया ट्वीट निंदनीय हैं, लेकिन उसकी गिरफ्तारी और उत्पीड़न द्वारा उस व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के हनन किया गया है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम को ‘स्वतंत्रता से वंचित करने का भयावह मामला’ बताया।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को फटकार लगते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर मुक्त भाषण और आलोचना को अव्यवस्था के नाम पर प्रतिबंधित नहीं कर सकते। सोशल मीडिया के माध्यम से हम बहुत कुछ सीखते है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह साफ किया कि पत्रकार की रिहाई को उसके ट्वीट के समर्थन के तौर पर नहीं, बल्कि स्वतंत्रता के सर्वोच्च संरक्षक की भूमिका के रूप में देखा जाना चाहिये।
  • सर्वोच्च न्यायलय ने सरकार को आदेश देते हुए कहा कि कनौजिया के मामले में कानून के आधार पर प्रक्रिया का पालन करते हुए एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की शर्तों पर याचिकाकर्त्ता के पति (कनौजिया) को तुरंत जमानत पर रिहा किया जाए।
  • उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से यह दलील दी गई कि कनौजिया के खिलाफ ‘व्यक्तिगत प्रतिशोध’ के तहत कार्रवाई नहीं की गई थी।
  • भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 505 (सार्वजनिक दुर्व्यवहार की निंदा करने वाले बयान) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण) के तहत गिरफ्तारी के लिये असाधारण कारण लिखित रूप में अपेक्षित हैं।

पृष्ठभूमि

  • प्रशांत कनौजिया ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर एक आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था।

मुक्त भाषण या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)

  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत लिखित और मौखिक रूप से अपना मत प्रकट करने हेतु अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी प्रदत्त है किंतु इन अधिकारों को निम्नलिखित स्थितियों में बाधित किया जा सकता है-
  • भारत की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता पर खतरे की स्थिति, वैदेशिक संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव, न्यायालय की अवमानना
  • भारत के सभी नागरिकों को विचार करने, भाषण देने और अपने व अन्य व्यक्तियों के विचारों के प्रचार की स्वतंत्रता (Freedom of Speech and Expression) प्राप्त है। प्रेस/पत्रकारिता भी विचारों के प्रचार का एक साधन ही एक साधन है इसलिये इसमें प्रेस की स्वतंत्रता भी सम्मिलित है।

बंदी प्रत्यक्षीकरण

What is Habeas Corpus?

  • हालिया प्रकरण में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी दायर की गई थी।
  • बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के पास अनुच्छेद 32 के तहत रिट जारी करने का अधिकार होता है।
  • ‘Habeas Corpus’ लैटिन भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘को प्रस्तुत किया जाए’ होता है।
  • यह उस व्यक्ति के संबंध में न्यायलय द्वारा जारी आदेश होता है, जिसे दूसरे द्वारा हिरासत में रखा गया है। यह किसी व्यक्ति को जबरन हिरासत में रखने के विरुद्ध होता है।

बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट सार्वजनिक प्राधिकरणों या व्यक्तिगत दोनों के विरुद्ध जारी की जा सकती है।

बंदी प्रत्यक्षीकरण कब जारी नहीं की जा सकती है?

  • अगर व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत हिरासत में लिया गया हो।
  • यदि कार्यवाही किसी विधानमंडल या न्यायालय की अवमानना के तहत हुई हो।
  • न्यायलय के आदेश द्वारा हिरासत में लिया गया हो।

स्रोत- द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ब्लैक होल छिद्र नहीं है

चर्चा में क्यों?

कृष्ण छिद्र/कृष्ण विविर या ब्लैक होल (Black Hole) को लेकर काफी समय से संशय जैसी स्थिति बनी हुई थी। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसके बारे में एक महत्त्वपूर्ण तथ्य का खुलासा किया है जिसके अनुसार वास्तव में कृष्ण कोई छिद्र (होल) नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले चार दशकों से यही माना जाता रहा है कि ब्लैक होल एक प्रकार के गड्ढे या छिद्र के सामान ही हैं जिनमें विशालकाय तारे भी समा जाते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • तीन विश्वविद्यालयों- नार्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी (Northwestern University), ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) और एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी (University of Amsterdam) के खगोल वैज्ञानिकों ने अलग-अलग आँकड़ों का विश्लेषण कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) की मदद से इसका विश्लेषण किया है।
  • कृत्रिम उपग्रहों की सहायता से लिये गए विशालकाय ब्लैक होल (Black Hole) की तस्वीरों के अध्ययन के बाद खगोल वैज्ञानिकों का मानना है कि वे शीघ्र ही कृष्ण छिद्रों के निर्माण और विकास की प्रक्रिया को समझ पाएंगे।
  • किसी बड़े तारे के स्वतः विघटित होने से कृष्ण छिद्र/ब्लैक होल का निर्माण होता है। इनके नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि गड्ढे/छिद्र होते हैं लेकिन सामान्यतः ऐसा नहीं होता है, बल्कि ये अत्यधिक सघन पदार्थों से बने पिंड हैं जिनका गुरुत्त्वाकर्षण खिंचाव (Gravitational Pull) इतना अधिक होता है कि कोई भी वस्तु यहाँ तक कि प्रकाश भी इसे पार नहीं कर पाता।
  • जब ब्लैक होल पदार्थ (Matter) का भक्षण करता है तब उसके चारों ओर एक अभिवृद्धि चक्र (Accretion Disk) का निर्माण होता है।
  • ‘अभिवृद्धि चक्र किसी बड़ी खगोलीय वस्तु के इर्द-गिर्द बहतु तेज़ी से परिक्रमा कर रहे ब्रह्माण्ड के सबसे चमकीले पदार्थों का समूह होता है।’ वर्ष अप्रैल 2019 में इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप (Event Horizen Telescope) द्वारा ली गई तस्वीर में ब्लैक होल के चारों ओर एक धुंधला प्रभामंडल (Halo) दिखाई देता है। वही अभिवृद्धि चक्र कहलाता है।
  • अभिवृद्धि चक्र लगभग हमेशा ब्लैक होल के अभिविन्यास के कोण (जिसे ब्लैक होल के भूमध्यरेखीय तल के रूप में भी जाना जाता है) पर झुका होता है।
  • खगोल वैज्ञानिकों की एक टीम ने ग्राफिकल प्रोसेसिंग इकाइयों (Graphical Processing Units) का इस्तेमाल करते हुए यह जानने का प्रयास किया कि ब्लैक होल एवं अभिवृद्धि चक्र से आपस में कैसे अंतःक्रियाएँ करते हैं?
  • हालाँकि इस परिकल्पना के आधार पर खगोल वैज्ञानिकों को अभिवृद्धि चक्र में भिन्न-भिन्न गति वाले कणों के कारण होने वाली चुंबकीय अशांति के बारे में जानकारी एकत्र करने और उनके मापन में सहायता मिली तथा वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि विद्युत चुंबकीय प्रभाव (Electromagnetic Effect ) के कारण ही पदार्थ ब्लैक होल के केंद्र में पहुँच जाते हैं।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि जब कोई पदार्थ ब्लैक होल में गिरता है अथवा प्रवेश करता है उस समय वह घूर्णन कर रहा होता है लेकिन इस घूर्णन से हम यह पता नहीं लगा सकते कि ब्लैक होल में किस प्रकार का घूर्णन होता है क्योंकि ब्लैक होल तथा उसमें गिरने वाले पदार्थ दोनों घूर्णन की स्थिति में होते हैं।

ब्लैक होल

  • ब्लैक होल शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने 1960 के दशक के मध्य में किया था।
  • ब्लैक होल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्व बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता। चूँकि इनसे प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, अतः हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते, वे अदृश्य होते हैं।

स्रोत- द टाइम्स ऑफ इंडिया


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय लेखा मानक

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) बैंकिंग निगरानी पर बेसल समिति (Basel Committee on Banking Supervision) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार वित्तीय कठिनाई की परिभाषा को संरेखित करने की योजना बना रहा है।

  • इससे पहले RBI द्वारा वित्तीय कठिनाई के लक्षणों की एक अपरिपूर्ण सूची भी जारी की गई थी।

वित्‍तीय कठिनाई के लक्षणों की अपरिपूर्ण संकेतक सूची

  • नकदी ऋण/ ओवरड्राफ्ट खातों में अनियमितता जैसे- निर्धारित मार्जिन आधार रखने में अक्षम होना अथवा मंज़ूर सीमा से अधिक आहरण, नामे किये गये आवधिक ब्‍याज की वसूली नही़ हुई है;
  • सावधि ऋणों पर मूल राशि और ब्याज की किश्‍तों का सामयिक भुगतान करने में असफलता/प्रत्‍याशित असफलता;
  • देय किश्‍तों, साख पत्र/बैंक गारंटी के अंतर्गत कुल देयताओं आदि के भुगतान के प्रति प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में देरी;
  • अत्‍यधिक लीवरेज (Leverage);
  • वित्तीय ऋण प्रसंविदाओं को पूरा करने में असमर्थता;
  • सांविधिक देयताओं के भुगतान में विफलता,परिचालनगत ऋणदाताओं को बिलों का भुगतान न करना आदि;
  • गलत स्‍टॉक विवरणियों (Returns) और अन्‍य नियंत्रण विवरणियों को प्रस्‍तुत करना अथवा उक्‍त को प्रस्‍तुत नहीं करना या प्रस्‍तुतीकरण में अनुचित देरी, वित्तीय विवरणियों और प्रतिकूल रूप से पात्र वित्तीय विवरणियों के प्रकाशन में विलंब;
  • उत्‍पाद के आँकड़ों में तीव्र गिरावट, बिक्री में गिरावट की प्रवृत्ति और लाभ में कमी, मार्जिन कम होना आदि;
  • कार्यशील पूंजी चक्र का दीर्घकाल चलना, माल-सूची को अत्यधिक बढ़ाकर दिखाना;
  • परियोजना कार्यान्‍वयन में गंभीर विलंब;
  • आंतरिक/बाह्य रेटिंग/ रेटिंग परिप्रेक्ष्‍य में गिरावट
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय लेखा मानक (Indian Accounting Standard-Ind AS) के मानदंडों को फिर से लागू करने की योजना बनाई है।
  • इससे पहले RBI ने अनिश्चित काल के लिये Ind AS मानदंडों को स्थगित कर दिया था, जो 1 अप्रैल, 2019 से लागू होने वाले थे।
  • यह इस तरह स्थगित होने वाला दूसरा कदम था, बैंकों द्वारा अप्रैल 2018 से इंड ए.एस. (Ind AS) को लागू किया जाना था, बैंकों द्वारा वित्तीय विवरणों के प्रारूप को Ind AS के अनुरूप तैयार करने के लिये विधायी संशोधनों की भी आवश्यकता थी।

भारतीय लेखा मानक

Indian Accounting Standards (Ind AS)

  • ये लेखांकन मानकों का एक समूह हैं जो वित्तीय लेनदेन के लेखांकन और अभिलेखों के साथ ही लाभ-हानि खाते और कंपनी के तुलन पत्र (Balance Sheet) जैसे विवरणों की प्रस्तुति को नियंत्रित करते हैं।
  • इन मानकों को वर्ष 1977 में एक निकाय के रूप में गठित लेखा मानक बोर्ड (Accounting Standards Board-ASB) द्वारा तैयार किया गया था। ASB, ICAI (Institute of Chartered Accountants of India) के अंतर्गत गठित एक समिति है जिसमें सरकारी विभागों, शिक्षाविदों, अन्य पेशेवर निकायों जैसे ASSOCHAM, CII, FICCI, आदि के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं।
  • Ind AS को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक (IFRS) के अनुसार तैयार किया गया है

उद्देश्य

  • इस मानक का उद्देश्य प्रतिष्ठान का पृथक वित्तीय विवरण तैयार करते समय अनुषंगियों (Subsidiaries), संयुक्त उद्यमों (Joint Ventures) तथा सहयोगी प्रतिष्ठानों (Associates) में किये जाने वाले निवेश तथा प्रकटन अपेक्षाओं का निर्धारण करना है।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक

(International Financial Reporting Standards-IFRS)

  • यह अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक बोर्ड (International Accounting Standards Board- IASB) द्वारा जारी किया गया एक लेखा मानक है जिसका उद्देश्य वित्तीय जानकारी की प्रस्तुति में पारदर्शिता लाने के लिये एक सामान्य लेखांकन भाषा उपलब्ध कराना है।
  • IASB एक स्वतंत्र निकाय है जिसका गठन वर्ष 2001 में IFRS की स्थापना के लिये किया गया था। इसने अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक समिति (International Accounting Standards Committee-IA SC) का स्थान लिया, जिसे पूर्व में अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानकों की स्थापना की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। यह लंदन में अवस्थित है।

बेसल समिति (Basel Committee)

  • दिसंबर 2010 में बैंकिंग पर्यवेक्षण पर गठित बेसल समिति ने बेसल III मानदंडों को प्रस्तुत किया था। बासेल III बैंकिंग क्षेत्र में सुधार उपायों की एक व्यापक श्रृंखला है जिसे बैंकिंग क्षेत्र में विनियमन, पर्यवेक्षण और जोखिम प्रबंधन को सशक्त बनाने के लिये तैयार किया गया है।

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड, MCA वेबसाइट


जैव विविधता और पर्यावरण

मानव शरीर में माइक्रोप्लास्टिक

चर्चा में क्यों?

वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (World Wide Fund for Nature- WWF) द्वारा हाल ही में एक अध्ययन प्रकाशित किया गया जिसके अनुसार, दुनियाभर में सभी लोग अप्रत्यक्ष रूप से हर हफ्ते लगभग पाँच ग्राम माइक्रोप्लास्टिक (प्लास्टिक के ऐसे कण जिनका आकार 5 मिमी. या उससे भी कम होता है) के कण निगल जाते हैं। प्लास्टिक के इतने कण एक क्रेडिट कार्ड के वज़न के बराबर होते हैं।

अध्ययन का निष्कर्ष:

  • प्लास्टिक अंतर्ग्रहण के स्रोत
    • पीने का पानी: अध्ययन के अनुसार, पीने योग्य पानी माइक्रोप्लास्टिक अंतर्ग्रहण का सबसे प्रमुख कारण है। प्लास्टिक की बोतल, नल और भू-जल आदि सभी में प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण मौजूद होते हैं।
    • एक हफ्ते में एक घोंघा मछली: के सेवन से भी 0.5 ग्राम प्लास्टिक शरीर में प्रवेश करता है।
  • अन्तःश्वसन क्रिया भी प्लास्टिक के नगण्य कणों को हमारे शरीर में पहुँचाने के लिये उत्तरदायी होती है।
  • घरेलू हवा (घर में मौजूद हवा) अपने सीमित प्रवाह के कारण बाहरी हवा से ज़्यादा प्रदूषित होती है और इसमें प्लास्टिक के कण भी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
  • घरेलू माइक्रोप्लास्टिक के प्रमुख स्रोत संश्लिष्ट वस्त्र और घरेलू धूल हैं।

प्लास्टिक का बोझ:

  • पिछले दो दशकों में उत्पादित प्लास्टिक की मात्रा उससे पूर्व उत्पादित प्लास्टिक की कुल मात्रा के बराबर है, इसके अतिरिक्त वर्ष 2025 तक इसमें 4 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि होने की संभावना है।
  • महासागरों में वर्ष 2025 तक हर तीन मीट्रिक टन मछली पर एक मीट्रिक टन प्लास्टिक होगा।
  • रोज़ाना प्लास्टिक अपशिष्ट का लगभग एक-तिहाई हिस्सा प्रदूषित भूमि, नदियों तथा समुद्रों आदि प्राकृतिक स्रोतों में निस्तारित किया जाता है।

प्लास्टिक प्रदूषण और वन्य जीव:

  • प्लास्टिक प्रदूषण का वन्य जीवों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। वे बड़े-बड़े प्लास्टिक के मलबों में दब जाते हैं जो उनके लिये मृत्यु या चोट का कारण बनता है।
  • जानवर भी हमारी तरह बहुत अधिक मात्रा में प्लास्टिक का सेवन करते हैं, जिसे वे पूरी तरह से पचा नहीं पाते हैं और जो आंतरिक घर्षण (Internal Abrasion), पाचन क्रिया में रूकावट तथा मृत्यु आदि का कारण बनता है।
  • प्लास्टिक से निकलने वाले विषाक्त पदार्थ न सिर्फ जानवरों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं बल्कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कम कर देते हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण का नियंत्रण:

  • पर्यावरण में फैलाते जा रहे प्लास्टिक को नियंत्रित करने के लिये हमें प्रभावी राजनीतिक तथा आर्थिक उपायों की आवश्यकता है ताकि इस विराट समस्या को जल्द-से-जल्द टाला जा सके।
  • हमें प्लास्टिक का प्रयोग कम-से-कम करना होगा और प्लास्टिक को पूर्णतः बंद करने की नीति के बजाय हमें उसके पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित करना होगा।
  • हमें एक ऐसे क़ानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते को अपनाने की आवश्यकता है जो मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol) तथा पेरिस समझौते (Paris Agreement) की तरह एकमात्र समझौता हो तथा किसी अन्य पर आश्रित नहीं हो, एक ऐसा प्रोटोकॉल जो प्लास्टिक के व्यावसायिक तथा घरेलू प्रयोग को सीमित करता हो।

स्रोत : द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्विक निवेश रिपोर्ट 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development- UNCTAD) द्वारा जारी की गई वैश्विक निवेश रिपोर्ट 2019 (World Investment Report 2019) के अनुसार, वर्ष 2018 में भारत को लगभग 42 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investments- FDI) मुख्यतः विनिर्माण, संचार और वित्तीय क्षेत्रों में प्राप्त हुआ था। भारत के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्प्रवाह (Inflow) में लगभग 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

मुख्य निष्कर्ष

  • वर्ष 2018 में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आने वाले कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 77 प्रतिशत हिस्सा भारत को प्राप्त हुआ।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की संभावनाएँ मुख्यतः भारत में होने वाले निवेश पर निर्भर करती हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि का मुख्य कारण सीमा पार से विलय और अधिग्रहण (Cross-border Merger and Acquisitions - M&As) रहा। गौरतलब है कि भारत ने वर्ष 2017 के निवेश के मुकाबले लगभग 44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।

FDI

  • अमेरिकी कंपनी वालमार्ट (Walmart) द्वारा भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट (Flipkart) का अधिग्रहण, सीमा पार से विलय और अधिग्रहण तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में सबसे बड़ी घटना थी।
  • अन्य दक्षिण एशियाई देशों जैसे- बांग्लादेश और श्रीलंका में भी क्रमशः 3.6 बिलियन डॉलर और 1.6 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश देखने को मिला।
  • एशिया के विकासशील देशों में पिछले वर्ष लगभग 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।
  • रिपोर्ट में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि संपूर्ण विश्व में लगभग 5400 विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones) मौजूद है और जिनमें से लगभग 4000 विशेष आर्थिक क्षेत्र एशिया के विकासशील देशों में हैं।
  • एशिया में विशेष आर्थिक क्षेत्रों की सूची में प्रथम स्थान चीन का है जिसके पास कुल 2543 विशेष आर्थिक क्षेत्र है, इसके पश्चात् फिलीपींस और भारत का स्थान आता है जिनके पास क्रमशः 528 और 373 विशेष आर्थिक क्षेत्र मौजूद हैं।
  • नए विशेष आर्थिक क्षेत्र का विकास निवेश गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है, जो विशेष रूप से औद्योगिक प्रतिष्ठानों और विद्युत उत्पादन में परिलक्षित होता है। दक्षिण एशिया में विशेष आर्थिक क्षेत्रों की संख्या आने वाले वर्षों में काफी हद तक बढ़ने वाली है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI)

  • यह एक समूह द्वारा किसी एक देश के व्यवसाय या निगम में स्थायी हितों को स्थापित करने के इरादे से किया गया निवेश होता है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक और देश में आर्थिक विकास के लिये गैर-ऋण वित्त का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से घरेलू अर्थव्यवस्था में नई पूंजी, नई प्रौद्योगिकी आती है और रोजगार के मौके बढ़ते हैं।

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD)

  • 1964 में स्थापित, व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development- UNCTAD) विकासशील देशों के विकास के अनुकूल उनके एकीकरण को विश्व अर्थव्यवस्था में बढ़ावा देता है।
  • यह एक स्थायी अंतर सरकारी निकाय है।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
  • इसके द्वारा प्रकाशित कुछ प्रमुख रिपोर्ट:
    • व्यापार और विकास रिपोर्ट (Trade and Development Report)
    • विश्व निवेश रिपोर्ट (World Investment Report)
    • न्यूनतम विकसित देश रिपोर्ट (The Least Developed Countrie Report)
    • सूचना एवं अर्थव्यवस्था रिपोर्ट (Information and Economy Report)
    • प्रौद्योगिकी एवं नवाचार रिपोर्ट (Technology and Innovation Report)
    • वस्तु तथा विकास रिपोर्ट (Commodities and Development Report)

विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones - SEZ)

  • विशेष आर्थिक क्षेत्र अथवा सेज़ (SEZ) विशेष रूप से पारिभाषित उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं, जहाँ से व्यापार, आर्थिक क्रियाकलाप, उत्पादन तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित किया जाता है।
  • ये क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम-कायदों को ध्यान में रखकर व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये विकसित किये जाते हैं।
  • भारत उन शीर्ष देशों में से एक है, जिन्होंने उद्योग तथा व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये विशेष रूप से ऐसी भौगोलिक इकाइयों को स्थापित किया।
  • भारत पहला एशियाई देश है, जिसने निर्यात को बढ़ाने के लिये 1965 में कांडला में एक विशेष क्षेत्र की स्थापना की थी। इसे एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन (EPZ) नाम दिया गया था।

स्रोत- फाइनेंसियल एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (13 June)

  • 12 जून को दुनियाभर में बाल श्रम निषेध दिवस आयोजित किया गया। बाल श्रम उन्मूलन को दृष्टिगत रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation) ने बाल श्रम निषेध दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 2002 में की थी। बाल मज़दूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और 14 साल से कम उम्र के बच्‍चों को इस काम से निकालकर उन्‍हें शिक्षा दिलाना इस दिवस का प्रमुख उद्देश्‍य है। इस वर्ष बाल श्रम निषेध दिवस की थीम Children shouldn't work in fields, but on dreams रखी गई है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, आज भी दुनियाभर में 152 मिलियन बच्चे मज़दूरी करते हैं। भारत में जनगणना 2011 की रिपोर्ट बताती है कि देश में एक करोड़ से ज़्यादा बाल मज़दूर हैं। हर साल हज़ारों बच्चे ट्रैफिकिंग (दुर्व्यापार) के ज़रिये एक राज्य से दूसरे राज्यों में ले जाए जाते हैं। सीमापार ट्रैफिकिंग के ज़रिए नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी गरीब देशों से भी भारत में ऐसे बच्चे हजारों की संख्या में लाए जाते हैं। ज़बरन बाल मज़दूरी, गुलामी और बाल वेश्यावृत्ति आदि के लिये इन बच्चों को खरीदा और बेचा जाता है।
  • अमेरिका के बाद अब भारत ने भी स्पेस वॉर को ध्यान में रखते हुए अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी ने एक नई एजेंसी गठित करने को मंजूरी दे दी है। इस एजेंसी का नाम डिफेंस स्पेस रिसर्च एजेंसी (DSRO) रखा गया है, जो उच्च क्षमता के आधुनिक हथियार और तकनीक विकसित करेगी। यह एजेंसी संयुक्त सचिव स्तर के वैज्ञानिक के तहत काम करेगी तथा शीघ्र ही इसे वैज्ञानिकों की एक टीम उपलब्ध कराई जाएगी, जो तीनों सेनाओं के साथ मिलकर काम करेगी। यह डिफेंस स्पेस एजेंसी को R & D सहयोग करेगी, जिसमें तीनों सेनाओं के सदस्य शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि डिफेंस स्पेस एजेंसी को अंतरिक्ष में युद्ध (War in Space) लड़ने में सहयोग करने के लिये बनाया गया है। डिफेंस स्पेस एजेंसी को बेंगलुरु में एयर वाइस मार्शल रैंक के अधिकारी के तहत स्थापित किया गया है, जो धीरे-धीरे तीनों सेनाओं की स्पेस से संबंधित क्षमताओं से लैस हो जाएगी। इसके साथ ही एक स्पेशल ऑपरेशंस डिवीज़न भी बनाया जा रहा है जिसका उद्देश्य देश के भीतर और बाहर स्पेशल ऑपरेशन में सहयोग करना है। आपको बता दें कि इसी साल मार्च में भारत ने एक एंटी-सैटेलाइट टेस्ट किया था, जिसमें अंतरिक्ष में सैटेलाइट को निशाना बनाकर नष्ट किया गया था।
  • सतर्कता आयुक्त शरद कुमार को अंतरिम केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) नियुक्त किया गया है। वर्तमान CVC के.वी. चौधरी का कार्यकाल 9 जून को पूरा हो गया और सतर्कता आयुक्त टी.एम. भसीन का कार्यकाल 10 जून को पूरा हुआ। आतंकवाद रोधक जाँच एजेंसी NIA यानी राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के पूर्व प्रमुख रह चुके शरद कुमार ने पिछले वर्ष 12 जून को सतर्कता आयुक्त का कार्यभार संभाला था। CVC में उनका कार्यकाल अगले साल अक्तूबर में 65 साल की आयु पूरी होने के बाद समाप्त होगा। फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली चयन समिति द्वारा नया CVC चुने जाने तक वह इस पद पर बने रहेंगे। गौरतलब है कि के. संथानम समिति की सिफारिशों पर सरकार ने फरवरी, 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग की स्‍थापना की थी। 25 अगस्‍त, 1988 को एक अध्यादेश के ज़रिये सांविधिक दर्जा देकर इसे बहुसदस्‍यीय आयोग बनाया गया। केंद्रीय सतर्कता आयोग विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पारित किया गया तथा राष्‍ट्रपति ने भी इसे स्‍वीकृति दी।
  • रिज़र्व बैंक ने ऑटोमेटेड टेलर मशीन (ATM) के इस्तेमाल पर लगने वाले शुल्कों की समीक्षा के लिये एक पैनल का गठन किया है। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर की अध्यक्षता में बना यह पैनल अपनी पहली मीटिंग के दो महीने के भीतर रिपोर्ट देगा। इससे पहले इसी महीने हुई मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा में रिज़र्व बैंक ने एटीएम (ATM) इंटरचेंज फी स्ट्रक्चर की समीक्षा के लिये एक पैनल गठित करने की बात कही थी। ज्ञातव्य है कि कुछ समय पहले संसद की एक समिति ने रिज़र्व बैंक से ATM से जुड़ी कठिनाइयों को दूर करने हेतु इस दिशा में उचित कदम उठाने के लिये कहा था। रिज़र्व बैंक के आँकड़ों के अनुसार, सितंबर 2018 के अंत तक देश में ATM की संख्या 2,21,492 थी। इनमें से 1,43,844 ATM सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के, 59,645 निजी क्षेत्र के बैंकों के तथा 18,003 एटीएम विदेशी बैंकों, भुगतान बैंकों, लघु वित्त बैंकों और व्हाइट लेबल ATM थे।
  • हाल ही में जारी IMD विश्व प्रतिस्पर्द्धा रिपोर्ट ( World Competitiveness Report ) के अनुसार सिंगापुर दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था बन गया है। रिपोर्ट में दूसरे स्थान पर हॉन्गकॉन्ग है और बीते 9 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि अमेरिका को इसमें तीसरा स्थान मिला है। स्विट्ज़रलैंड चौथे और UAE पाँचवें स्थान पर रहा। नीदरलैंड्स, स्वीडन, डेनमार्क, कतर और आयरलैंड टॉप-10 में शामिल रहे। भारत पिछले साल के 44वें स्थान की तुलना में इस साल एक स्थान ऊपर चढ़कर 43वें स्थान पर रहा। रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया है कि इसने GDP में तेज़ बढ़ोतरी, कारोबार में आसानी के लिये विभिन्न कानूनों में सुधार और शिक्षा पर सरकारी खर्च बढ़ने के कारण अपनी कर नीतियों के मामले में भी अच्छा प्रदर्शन किया। IMD की इस रैंकिंग में GDP, सरकारी खर्च, भ्रष्टाचार का स्तर और बेरोज़गारी जैसे मापदंडों (Indicators) को ध्यान में रखा जाता है। IMD की इस रैंकिंग की शुरुआत 1989 में हुई थी। इसके तहत 235 मापदंडों पर 63 अर्थव्यवस्थाओं को रैंकिंग दी जाती है।

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