डेली न्यूज़ (13 Mar, 2019)



विद्युत व्यापार को बढ़ावा देने के लिये मानदंडों में संशोधन

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (Central Electricity Regulatory Commission-CERC) ने पड़ोसी देशों को भारत के बाज़ारों से अधिक बिजली खरीदने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये नियमों में संशोधन किया है।

प्रमुख बिंदु

  • विद्युत मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में बिजली के सीमा पार व्यापार के लिये नए दिशा-निर्देश जारी करने के बाद नियमों को संशोधित किया है।
  • CERC ने कुछ प्रतिबंधात्मक नियमों को हटा दिया था और बाज़ारों में बिजली व्यापार को अधिक आकर्षक बनाने का मार्ग प्रशस्त किया था।
  • विदेशी संस्थानों को केवल भारतीय पावर ट्रेडिंग संस्थाओं के माध्यम से पावर एक्सचेंज में भाग लेने की आवश्यकता होगी।
  • वित्त वर्ष 2017-18 में नेपाल, बांग्लादेश और म्याँमार को 7.2 बिलियन यूनिट्स (BU) की आपूर्ति की गई और वित्त वर्ष 2018-19 के पहले दस महीनों में इन देशों को 6.4 बिलियन यूनिट का निर्यात किया गया है।
  • बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञों के प्रारंभिक अनुमानों के मुताबिक, बिजली एक्सचेंजों पर सीमापार व्यापार आगे बढ़ने से वार्षिक रूप से बिजली की 5-6 बिलियन अतिरिक्त यूनिट का विद्युत बाज़ार का लाभ मिल सकता है।
  • बांग्लादेश भारतीय विद्युत का सबसे बड़ा खरीदार है।
  • उक्त तीनों पड़ोसी देशों के अलावा भारत मदुरै से श्रीलंका में न्यू हैबराना तक संपर्क स्थापित करने की संभावनाएँ तलाश रहा है।
  • नवंबर 2014 में भारत ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के अन्य देशों के साथ स्वैच्छिक आधार पर संबंधित सदस्य देशों के कानूनों, नियमों और विनियमों के अधीन  सीमा पार से विद्युत व्यापार को सक्षम बनाने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
  • बाद में अगस्त 2018 में भारत ने बंगाल की खाड़ी के सदस्य देशों के बीच बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (BIMSTEC) हेतु ग्रिड इंटर-कनेक्शन की स्थापना के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
  • बिम्सटेक के सदस्य देशों में भारत, बांग्लादेश, म्याँमार, श्रीलंका, भूटान, नेपाल और थाईलैंड शामिल हैं।

स्रोत : द इंडियन एक्सप्रेस


भारत में मिली मेंढक की एक नई प्रजाति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 2 सेमी लंबे तथा विभिन्न रंगों वाले मेंढक की खोज को एक अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • जून 2010 में पहली बार इस मेंढक को केरल के वायनाड में पत्तियों के नीचे पाया गया था।

frog

  • यह एक नई प्रजाति है इसके कई दिलचस्प आकार और रंग पैटर्न पाए गए हैं जो अन्य पश्चिमी घाट के मेंढकों में नहीं देखा जाता।
  • हाल ही में देश और विदेश के वैज्ञानिकों की एक टीम ने जीवों के शारीरिक संरचना, कंकाल और आनुवंशिक विशेषताओं का अध्ययन किया।
  • उन्होंने दुनिया भर के संग्रहालय में संग्रहित समान प्रजातियों के मेंढकों के नमूनों की आपस में तुलना की।
  • इस अध्ययन के अनुसार केरल के वायनाड में पाए जाने वाले मेढकों का आकार अन्य समान आकार के मेंढकों से पूरी तरह से अलग पाया गया।
  • हालाँकि, आनुवंशिक अध्ययनों से एक बात सामने आई है कि वायनाड में पाए जाने वाले मेंढकों के सबसे करीबी परिवार पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले Nycibatrachinae (नायसीबत्ट्राचिने) समूह तथा श्रीलंका में पाए जाने वाले Lankanectinae (लंकानेक्टिने) समूह के मेंढक हैं।

एस्ट्रोबाट्राचस कुरिचियाना
Astrobatrachus kurichiyana

  • वैज्ञानिकों की टीम ने इस नई प्रजाति के मेंढक को एस्ट्रोबाट्राचस कुरिचियाना नाम दिया है क्योंकि विविध रंगों एवं आकार वाला यह छोटा मेंढक एस्ट्रोबाट्राचस वंश का है तथा इसे वहाँ पाए जाने वाले कुरिचियाना जनजातियों द्वारा कुरिचियाना नाम दिया गया था।
  • आनुवंशिक विश्लेषण से पता चलता है कि यह प्रजाति कम-से-कम 60 मिलियन वर्ष पूर्व विकसित हुई हैं।
  • यह मेंढक एक नई प्रजाति के साथ ही नए परिवार से भी संबंधित है।

कुरिचिया जनजाति

  • इस जनजाति को मलाई ब्राह्मण (Malai Brahmins)  या पहाड़ी ब्राह्मण (Hill Brahmins) भी कहा जाता है।
  • वे वायनाड जिले में दूसरे सबसे बड़े आदिवासी समुदाय हैं। ये वायनाड की पहाड़ी जनजातियों के जाति पदानुक्रम में शीर्ष पर हैं।
  • इस समुदाय को कुरिचिया नाम इनकी तीरंदाजी में विशेषज्ञता के लिये कोट्टायम राजा द्वारा दिया गया था यह नाम 'कुरी वीचवन' वाक्यांश से लिया गया है जिसका अर्थ है 'वह जिसने लक्ष्य पाया'।
  • यह भी कहा जाता है कि `कुरिचिया' नाम कुरी या चंदन के पेस्ट से लिया गया है जिसे वे अपने माथे और छाती पर रिवाज के तौर पर लगाते हैं।
  • ये भूमि स्वामी समुदाय हैं और एक मातृसत्तात्मक पारिवारिक प्रणाली का पालन करते हैं।
  • उन्होंने स्लैम और बर्न (शिफ्टिंग) की खेती को पुनम खेती (Punam Cultivation) के नाम से जाना।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस


जैव-विविधता हॉटस्पॉट्स पर मानवीय प्रभाव

चर्चा में क्यों?

जैविक विज्ञान को समर्पित पत्रिका PLOS Biology (पी.एल.ओ.एस. बायोलॉजी) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी की सतह पर पाई जाने वाली लगभग 84% प्रतिशत प्रजातियों पर मानवीय प्रभाव परिलक्षित होते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के जेम्स एलन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने जैव-विविधता हॉटस्पॉट्स पर मानवीय प्रभावों का अध्ययन किया है।
  • यह अध्ययन 5,457 संकटापन्न प्रजातियों पर आधारित है जिनमें 1,277 स्तनधारी, 2,120 पक्षी और 2,060 उभयचर शामिल हैं।
  • टीम ने आठ मानव गतिविधियों के प्रभावों का मानचित्रण किया। इन आठ गतिविधियों में शिकार और कृषि के लिये प्राकृतिक आवासों का रूपांतरण किया जाना भी शामिल है।
  • 1237 प्रजातियाँ अपने 90 प्रतिशत से अधिक आवासों में और 395 प्रजातियाँ अपनी संपूर्ण सीमा में मानवीय गतिविधियों से प्रभावित हैं।
  • जहाँ 72% प्रजातियाँ इन ‘हॉटस्पॉट’ से गुज़रने वाली सड़क मार्गों के कारण प्रभावित होती हैं वहीँ सबसे अधिक 3834 प्रजातियाँ प्राकृतिक आवासों के कृषि भूमि में रूपांतरण के कारण प्रभावित हैं।
  • औसत 125 प्रभावित प्रजातियों के साथ मलेशिया अत्यधिक प्रभावित प्रजातियों वाले देशों में पहले स्थान पर है।
  • भारत में औसत 35 प्रजातियाँ प्रभावित हैं और यह 16वें स्थान पर है।
  • दक्षिण-पूर्व एशियाई उष्णकटिबंधीय वन, जिनमें भारत के पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्व हिमालय शामिल हैं, प्रभावित प्रजातियों के 'हॉटस्पॉट' हैं।
  • जहाँ दक्षिण-पश्चिमी घाट में प्रभावित होने वाली प्रजातियों की औसत संख्या 60 है, वहीँ हिमालयी उपोष्णकटिबंधीय विस्तृत वन में औसत 53 प्रजातियाँ प्रभावित हैं।

निष्कर्ष

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है, अत: यहाँ विकास की योजना इस तरह से बनाने की आवश्यकता है कि वन्यजीव और जैव-विविधता से समृद्ध क्षेत्रों के संरक्षण को प्राथमिकता मिले।

स्रोत: द हिंदू


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (13 March)

  • केंद्र सरकार ने राज्यों को कुछ शत्रु संपत्तियों के सार्वजनिक उपयोग की अनुमति दे दी है। यह पहल ऐसे समय हुई है, जब केंद्र सरकार लगभग एक लाख करोड़ रुपए की 9400 से ज़्यादा शत्रु संपत्तियों और तीन हजार करोड़ रुपए के शत्रु शेयर बेचने की कोशिश कर रही है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अध्यादेश के अनुसार राज्य सरकारों को शत्रु संपत्तियों के सार्वजनिक इस्तेमाल की अनुमति देने के लिये शत्रु संपत्ति आदेश, 2018 के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया गया है। गौरतलब है कि शत्रु संपत्ति वह संपत्ति है जिसे बँटवारे के समय लोग छोड़कर पाकिस्तान और 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद छोड़कर चीन चले गए थे। शत्रु संपत्तियों में पाकिस्तान की नागरिकता लेने वाले लोगों की 9280 संपत्तियाँ और चीन जाने वाले लोगों की 126 संपत्तियाँ शामिल हैं। पाकिस्तान जाने वाले लोगों की संपत्तियों में से सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 4991 संपत्तियाँ हैं। इसके बाद 2735 शत्रु संपत्तियाँ पश्चिम बंगाल में और 487 शत्रु संपत्तियाँ दिल्ली में हैं। वहीं चीन की नागरिकता लेने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गई शत्रु संपत्तियाँ सबसे ज़्यादा मेघालय में 57, पश्चिम बंगाल में 29 और असम में 7 हैं।
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने मेडिकल लेबोरेटरी में कुछ ऐसी दवाइयाँ विकसित की हैं, जिससे आतंकी या नक्सली हमलों में घायल हुए जवानों को अस्पताल पहुँचाए जाने से पहले तक के ‘गोल्डन पीरियड’ को बढ़ाया जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने अपनी इस खोज को कॉम्बैट कैज़ुअल्टी ड्रग्स नाम दिया है। इन दवाइयों में रक्तस्राव को तुरंत रोकने वाली दवा, विशेष प्रकार की ड्रेसिंग और ग्लिसरेटेड सेलाइन शामिल हैं। DRDO के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंसेज़ में ये दवाइयाँ तैयार की गई हैं। गौरतलब है कि यदि घायलों को प्रभावी प्राथमिक उपचार मिल जाए तो उनके जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है।
  • भारत सरकार की ज्योग्राफिकल इंडीकेशंस रजिस्ट्री ने तमिलनाडु की पारंपरिक थिरुभुवनम रेशमी साड़ियों को GI टैग यानी भौगोलिक संकेतक प्रदान किया है। थिरुभुवनम रेशमी साड़ियाँ शुद्ध ज़री के धागों का इस्तेमाल करते हुए विस्तृत डिज़ाइन के साथ बनाई और पहनी जाने वाली पारंपरिक साड़ियाँ हैं। थिरुभुवनम में बुनकरों द्वारा तैयार की जाने वाली ये साड़ियाँ गुणवत्तापूर्ण बारीक रेशम के काम के लिये प्रसिद्ध हैं। अब इस साड़ी के बुनकर इस प्रसिद्धि पर अपने एकमात्र अधिकार का दावा कर सकते हैं। आपको बता दें कि GI टैग उस वस्तु अथवा उत्पाद को दिया जाता है जो किसी विशिष्ट क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है या किसी विशिष्ट स्थान पर ही पाई जाती है या वह उसका मूल स्थान होता है। GI टैग कृषि उत्पादों, प्राकृतिक वस्तुओं तथा निर्मित वस्तुओं को उनकी विशिष्ट गुणवत्ता के लिये दिया जाता है।
  • भारत सरकार ने Central Public Sector Enterprises (CPSE) एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) की अतिरिक्त पेशकश जारी करने का फैसला किया है, जिससे उसे कम-से-कम 3500 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। इस अनुवर्ती निर्गम के ज़रिये ETF की बिक्री में 5000 करोड़ रुपए तक का ग्रीन-शू विकल्प रखने की सुविधा होगी। ETF की अतिरिक्त पेशकश 19 मार्च को आ सकती है। निर्गम का मूल आकार 3500 करोड़ रुपए होगा और इसमें अतिरिक्त अभिदान रखने की अनुमति होगी। ETF एक साझा कोष यानी इंडेक्स फंड होता है, जिसका पैसा चुनिंदा सरकारी उपक्रमों में लगाया जाता है और इसकी यूनिटें शेयर बाज़ार में खरीदी-बेची जा सकती हैं। विश्वभर में ETF रिटेल निवेशकों और संस्थागत निवेशकों में निवेश का लोकप्रिय साधन है।
  • 8 वर्ष बाद भारत को पीछे छोड़ते हुए सऊदी अरब विश्व का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बन गया है। स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत 2014-18 तक प्रमुख हथियारों का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार था। विश्व में हथियारों की बिक्री का कुल साढ़े 9 प्रतिशत हिस्सा भारत को जाता है। यह मूल्यांकन पाँच साल की अवधि (2014-2018) के लिये किया गया। इससे पहले की अवधि (2009-13) में भारत पहले स्थान पर था और तब हथियारों की खरीद में इसका हिस्सा 13 प्रतिशत था। 2009-13 और 2014-18 के बीच भारत के हथियार आयात में 24 प्रतिशत की कमी आई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाँच साल की ब्लॉक अवधि (2011-2015) में पाँच सबसे बड़े निर्यातक अमेरिका, रूस, फ्राँस, जर्मनी और चीन थे। अमेरिका और रूस सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से हैं, जिनका हथियारों के कुल वैश्विक व्यापार में हिस्सा क्रमशः 36 और 21 प्रतिशत है।
  • भारत और मालदीव के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिये वीज़ा सुविधा समझौता 11 मार्च से प्रभावी हो गया। यह समझौता सभी आव्रजन कार्यालयों, सीमा बिंदुओं और सीमा शुल्क अधिकारियों को सूचना उपलब्ध कराने के साथ सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद प्रभावी हुआ है। यह समझौता मालदीव के नागरिकों को पर्यटन, व्यवसाय, शिक्षा और चिकित्सा उद्देश्यों के लिये भारत आने के लिये एक उदार वीजा व्यवस्था प्रदान करेगा। साथ ही यह समझौता भारतीयों के व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये भी सहायक होगा। गौरतलब है कि मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह की पिछले साल दिसंबर में भारत यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे। इससे पहले दोनों देशों के संबंधों में अब्दुल्ला यामीन के राष्ट्रपति रहने के दौरान तनाव आ गया था।
  • नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय खाद्य और आतिथ्य मेला आहार (AAHAR) के 34वें संस्करण की 12 मार्च को शुरुआत हुई। इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गनाइज़ेशन (ITPO) द्वारा आयोजित इस पाँच दिवसीय मेले में भारत और विदेशों के 560 से अधिक प्रतिभागियों के खाद्य उत्पादों, मशीनरी, खाद्य और पेय पदार्थ उपकरण, आतिथ्य और सजावट के सामान, कन्फेक्शनरी आइटम आदि शामिल हैं। इस मेले में चीन, जर्मनी, हांगकांग, इटली, इंडोनेशिया, जापान, रूस, स्पेन, अमेरिका और ब्रिटेन सहित अन्य देशों के विदेशी प्रतिभागी भी हिस्सा ले रहे हैं।
  • मदर टेरेसा के जीवन पर फिल्म बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इस बायोपिक का नाम 'मदर टेरेसा: द संत' रखा गया है। सीमा उपाध्याय ने फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है और वही इसका निर्देशन भी करने वाली हैं। इस फिल्म के निर्माता प्रदीप शर्मा, नितिन मनमोहन, गिरीश जौहर और प्राची मनमोहन हैं। इसके लिये मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की वर्तमान सुपीरियर जनरल सिस्टर प्रेमा मैरी पियरिक और कोलकाता में सिस्टर लिन से अनुमति ली गई। गौरतलब है कि मदर टेरेसा 1929 में अल्बानिया से भारत आई थीं और उन्होंने 1948 में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी। 1979 में मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे पहले उन पर 'मदर टेरेसा ऑफ कलकत्ता' फिल्म बनी थी और 1997 में 'मदर टेरेसा: इन द नेम ऑफ गॉड्स पुअर' जैसा पॉपुलर टीवी शो आया था।
  • एक्सिस बैंक ने राकेश मखीजा को को अपना गैर-कार्यकारी अंशकालिक अध्यक्ष नियुक्त किया है और वे इस वर्ष जुलाई में कार्यभार संभालेंगे। वह तीन साल के लिये इस पद पर रहेंगे। वह संजीव मिश्रा की जगह लेंगे, जो 17 जुलाई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। अब इस नियुक्ति की पुष्टि के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक और एक्सिस बैंक के शेयरधारकों की मंज़ूरी लेनी होगी। राकेश मखीजा SKF इंडिया और टाटा टेक्नोलॉजीज़ से जुड़े रहे हैं।
  • लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय के वरिष्ठ निदेशक प्रोफेसर प्रजापति त्रिवेदी को लोक प्रशासन में उनके अहम योगदान के लिये 2019 के हैरी हट्री (Harry Hatry) डिस्टिंग्विश्ड परफॉरमेंस मैनेजमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार हर साल अमेरिकन सोसाइटी फॉर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से संबद्ध सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड परफॉरमेंस द्वारा ऐसे व्यक्ति को प्रदान किया जाता है, जिसके परफॉरमेंस मैनेजमेंट में शिक्षण, शिक्षा, प्रशिक्षण और सलाह के उल्लेखनीय कार्यों ने लोक प्रबंधन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। प्रजापति त्रिवेदी यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय और गैर-अमेरिकी हैं। प्रजापति त्रिवेदी UK में राष्ट्रमंडल सचिवालय, भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय और विश्व बैंक के साथ वरिष्ठ अर्थशास्त्री के रूप में काम कर चुके हैं और शिक्षण एवं शोध के क्षेत्र में भी उन्हें व्यापक अनुभव प्राप्त है।
  • शोधकर्त्ताओं ने इक्वाडोर के गैलापोगस द्वीप में शार्क की विलुप्त हो चुकी एक प्रजाति को खोजने का दावा किया है। शार्क की यह विलुप्त हो चुकी प्रजाति हैमरहैड (Hammerhead) वंश से संबंध रखती है। जहाँ इस प्रजाति की शार्क को देखा गया है वह जगह सांताक्रूज़ द्वीप के पास स्थित है। यहाँ हैमरहैड की इस प्रजाति की लगभग 20 विलुप्तप्राय शार्क मछलियाँ देखी गई हैं। IUCN ने हैमरहैड शार्क की दो प्रजातियों को लुप्त होने वाली श्रेणी में रखा है और इसका एक बड़ा कारण इसका ज़रूरत से ज़्यादा शिकार करना है।
  • हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्त्ताओं ने हिंद, प्रशांत और अटलांटिक महासागरों में सात हज़ार नई अतिसूक्ष्म प्रजातियों का पता लगाने का दावा किया है। समुद्र में पहली बार क्रिस्पर जीन एडिटिंग सिस्टम युक्त एसिडोबैक्टीरिका सहित अन्य प्रजातियों की खोज की गई है। इसके लिये शोधकर्त्ताओं को आठ साल का समय लगा और उनकी यह खोज इस बात को गलत साबित करती है कि दुनियाभर में केवल 35 हज़ार सूक्ष्म प्रजातियाँ हैं। इन प्रजातियों की खोज से एंटीबायोटिक्स और एंटी-ट्यूमर दवाएँ बनाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि एसिडोबैक्टीरिका में बायोसिंथेटिक जीन समूहों की अधिकता पाई गई है।