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डेली न्यूज़

  • 13 Feb, 2019
  • 23 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

भारत और चीन बना रहे दुनिया को हरा-भरा

चर्चा में क्यों?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के आँकड़ो को आधार बनाकर हाल ही में किये गए अध्ययन से पता चला है कि धरती को हरा-भरा बनाने में भारत और चीन वैश्विक प्रयासों की अगुआई कर रहे हैं। गौरतलब है कि अध्ययन का यह नतीजा भारत और चीन को लेकर दुनिया में बनी धारणा के उलट है।

प्रमुख बिंदु

  • इस अध्ययन के परिणामस्वरूप यह भी जाहिर हुआ है कि 20 साल पहले की तुलना में दुनिया ज़्यादा हरी-भरी हुई है।
  • इस अध्ययन में वर्ष 2000 से 2017 के दौरान उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों का विश्लेषण किया गया। इसमें भारत और चीन में चकित करने वाला हरियाली पैटर्न सामने आया। साथ ही दोनों देश दुनिया में कृषि भूमि से ज़्यादा आच्छादित दिख रहे हैं।
  • अध्ययन का यह नतीजा उस आम धारणा के उलट है जिसके तहत यह कहा जाता है कि बड़ी आबादी वाले देशों में ज़्यादा दोहन की वज़ह से हरित क्षेत्रों में गिरावट आ रही है।
  • पिछली सदी के आठवें और नौवें दशक में भारत और चीन में हरित क्षेत्रों की स्थिति अच्छी नहीं थी किंतु 1990 के बाद से लोगों ने इसे समझा और अब इसमें काफी सुधार हुआ है।

वन और कृषि भूमि की हिस्सेदारी

  • बोस्टन यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्त्ता के अनुसार, 'भारत और चीन धरती पर हरियाली बढ़ाने की ओर अग्रसर हैं। दोनों देश धरती पर एक-तिहाई हरियाली के लिये उत्तरदायी हैं, लेकिन दोनों देशों में दुनिया के पेड़-पौधों से आच्छादित क्षेत्र का महज़ नौ फीसद हिस्सा ही है।
  • अध्ययन की मानें तो चीन में वन क्षेत्र 42 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र 32 प्रतिशत है, जबकि भारत में ज़्यादातर कृषि भूमि (82 प्रतिशत) है। भारत में वन क्षेत्र का योगदान महज 4.4 प्रतिशत ही है।
  • चीन वन क्षेत्र बढ़ाने के लिये कई महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रमों पर काम कर रहा है। इसका मकसद वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को कम करना है।

संबंधित चिंताएँ

  • अध्ययन में इस बात पर चिंता जताई गई है कि भविष्य में विभिन्न कारकों की वज़ह से वर्तमान हरियाली की प्रवृत्ति बदल सकती है।
  • साल 2000 से भारत और चीन में खाद्य उत्पादन में 35 फीसद से ज़्यादा का इज़ाफा हुआ है। कृषि सुविधाओं और खादों के उपयोग से कृषि क्षेत्र में वृद्धि हुई है। भारत में भूजल सिंचाई की सुविधा से खाद्य उत्पादन काफी बढ़ा है। गौरतलब है कि भूजल स्तर लगातार कम होने की वज़ह से बढ़ते हरित क्षेत्र की प्रवृत्ति में बदलाव आ सकता है।
  • शोधकर्त्ताओं ने यह भी बताया कि दुनिया भर में हरियाली में वृद्धि ब्राज़ील और इंडोनेशिया जैसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्राकृतिक वनस्पति के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती है।

स्रोत- द हिंदू


सामाजिक न्याय

मानव तस्करी मामले में तीव्र वृद्धि

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत किये गए आँकड़ों के अनुसार देश में मानव तस्करी के मामले में बहुत तीव्र वृद्धि दर्शाई गई है जिसमें पश्चिम बंगाल में पिछले तीन वर्षों में मानव तस्करी के मामले में दोगुनी वृद्धि पाई गई है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु
india

  • 2013 से 2016 के बीच देश में मानव तस्करी के मामलों की संख्या दोगुनी हो गई है।
  • 2013 में राष्ट्रव्यापी मामलों की संख्या 3,940 थी जो 2014 में बढ़कर 5,235; 2015 में 7,143 और 2016 में 8,132 हो गई।
  • इस बीच भारत में मानव तस्करी के मामलों में पश्चिम बंगाल का लगभग एक-तिहाई भाग लिप्त पाया गया।
  • पिछले 4 वर्षों में देश भर में कुल 24,450 मामलों में से सबसे अधिक 8,115 मामले पश्चिम बंगाल में पाए गए। 3,278 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर राजस्थान था।
  • 2016 में 8,132 मामलों में से अकेले पश्चिम बंगाल राज्य में 3,579 (44%), राजस्थान में 1,422 मामले पाए गए थे।

मानव तस्करी क्या है?

संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक या उससे दोषपूर्ण तरीके से काम लेना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते हैं।

मानव तस्करी के कारण

  • गरीबी और अशिक्षा (सबसे बड़ा कारण)
  • मांग और आपूर्ति का सिद्धांत
  • बंधुआ मज़दूरी
  • देह व्यापार
  • सामाजिक असमानता
  • क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन
  • बेहतर जीवन की लालसा
  • सामाजिक सुरक्षा की चिंता
  • महानगरों में घरेलू कामों के लिये भी होती है लड़कियों की तस्करी
  • चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिये भी होती है बच्चों की तस्करी

मानव तस्करी के बारे में अधिक जानकारी के लिये पढ़ें...

इनसाइट: भारत में मानव तस्करी

स्रोत – द हिंदू


शासन व्यवस्था

शिक्षा में प्रणालीगत बदलाव लाने के लिये आशय पत्र पर हस्‍ताक्षर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग और माइकल एंड सुसान डेल फाउंडेशन (Michael & Susan Dell Foundation-MSDF) ने एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किये।

उद्देश्य

  • नीति आयोग और माइकल एंड सुसान डेल फाउंडेशन द्वारा इस आशय पत्र पर हस्ताक्षर करने का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राज्य सरकारों के सामूहिक अनुभव के आधार पर शिक्षा के क्षेत्र में प्रणालीगत बदलाव लाना है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस नवीनतम भागीदारी के तहत नीति आयोग और सुसान डेल फाउंडेशन विभिन्‍न राज्‍य सरकारों द्वारा किये गए उन सुधारों का प्रलेखन (documentation) करेंगे, जिनसे शिक्षा में प्रणालीगत सुधारों की शुरूआत हुई है और पिछले वर्षों के दौरान इन सुधारों से शिक्षा परिणामों में सुधार आना शुरू हुआ है।
  • समझौते के तहत राज्‍य के नेताओं, सलाहकारों, अनुसंधान एजेंसियों और शिक्षकों का एक संयुक्‍त दल राज्‍यों से शिक्षा पर आधारित परिवर्तन के सिद्धांत को विकसित करने में मिलकर कार्य करेगा और शिक्षा में प्रणालीगत सुधार के प्रभाव के मूल्‍यांकन का अध्‍ययन तीसरे पक्ष द्वारा कराया जाएगा।

नीति आयोग के अन्य प्रयास

  • नी‍ति आयोग को साक्ष्‍य आधारित नीति सुधार और ज्ञान निवेश के माध्‍यम से सहयो‍गी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद को बढ़ावा देने के मुख्य अधिकार के साथ स्‍थापित किया गया था। अपनी स्‍थापना से ही नीति आयोग ने सतत् शिक्षा प्रणाली को स्‍थापित करने के लिये शिक्षा परिणामों को एक प्रमुख केंद्रित क्षेत्र के रूप में महत्त्व दिया है।
  • इसके परिणामस्‍वरूप शैक्षिक परिणामों और शिक्षा प्रमाणकों को अधिक महत्त्व देते हुए राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उचित स्‍थान देने के लिये स्‍कूली शिक्षा गुणवत्‍ता सूचकांक (School Education Quality Index-SEQI) विकसित किया गया है।
  • नीति आयोग मध्‍य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा में प्रणालीगत बदलाव लाने के लिये शिक्षा में मानव पूंजी परिवर्तन के लिये सतत् कार्य पहल (Sustainable Action for Transforming Human Capital in Education : SATH-E) को भी लागू कर रहा है। शिक्षा, आकांक्षी ज़िला कार्यक्रमों का भी एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जिसमें भारत के सबसे अधिक वंचित ज़िलों में शिक्षा की स्थिति में सुधार करना शामिल है।

निष्कर्ष

  • विभिन्‍न राज्‍यों में शिक्षा में हुए प्रणालीगत सुधारों के माध्‍यम से पूरे देश के लगभग 30 मिलियन बच्‍चों पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़ा है। एक स्‍तर पर शिक्षा परिणामों में सुधार लाने के लिये समन्वित और सतत् प्रयासों के साथ-साथ शैक्षिक तथा प्रशासन दोनों सुधारों की ज़रूरत है।

नीति आयोग

  • 1 जनवरी, 2015 को थिंक टैंक के रूप में अस्तित्व में आए नीति आयोग (National Institution for Transforming India-NITI) का मुख्य कार्य न्यू इंडिया के निर्माण का विज़न एवं इसके लिये रणनीतिक मसौदा बनाना तथा कार्ययोजनाएँ तैयार करना है।
  • केंद्र सरकार की नीति निर्धारण संस्था के रूप में नीति आयोग देशभर से सुझाव आमंत्रित करके जन-भागीदारी एवं राज्य सरकारों की भागीदारी से नीतियाँ बनाने का काम करता है।
  • 15 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री ने योजना आयोग को भंग करने की घोषणा की थी और उसके बाद योजना आयोग के भंग होने के साथ ही पंचवर्षीय योजना का युग भी समाप्त हो गया।
  • नीति आयोग की स्थापना के बाद योजना के अंतर्गत व्यय और गैर-योजनांतर्गत व्यय का अंतर समाप्त हो चुका है। अब केंद्र सरकार से राज्य सरकारों को धनराशि का हस्तांतरण केवल केंद्रीय वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर होता है।

स्रोत : पी.आई.बी


भारतीय अर्थव्यवस्था

रिज़र्व बैंक ने 7 बैंकों पर लगाया जुर्माना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के कुल 7 बैंकों पर जुर्माना लगाया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • RBI द्वारा जिन बैंकों पर जुर्माना लगाया गया है उनमें इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज़ बैंक, आंध्र बैंक, HDFC, IDBI और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज़ बैंक प्रत्येक पर 1.50 करोड़ रुपए जबकि आंध्र बैंक पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
  • RBI ने धन के अंतिम उपयोग की निगरानी, ​​अन्य बैंकों के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान, धोखाधड़ी की रिपोर्ट और वर्गीकरण और खातों के पुनर्गठन पर आदि विभिन्न दिशा-निर्देशों के अनुपालन नही करने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) पर जुर्माना लगाया गया है।
  • केंद्रीय बैंक ने HDFC, IDBI और कोटक महिंद्रा बैंक पर 20-20 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है, इन बैंकों पर जुर्माना लगाने का कारण रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गए नो योर कस्टमर (Know Your Customer-KYC) मानदंडों तथा एंटी मनी लॉन्ड्रिंग (Anti-money laundering) मानकों के लिये जारी विभिन्न निर्देशों का अनुपालन न करना है।
  • RBI के के अनुसार, इन सात बैंकों के मामले में लिया गया यह फैसला  RBI के नियमों के तहत निहित शक्तियों के अंतर्गत ही लिया गया है। RBI द्वारा यह जुर्माना  बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत लगाया गया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक

  • भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई।
  • रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय प्रारंभ में कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित किया गया।
  • यद्यपि प्रारंभ में यह निजी स्वामित्व वाला था, 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है।
  • वर्तमान में इसके गवर्नर शक्तिकांत दास हैं जिन्होंने उर्जित पटेल का स्थान लिया है।

कार्य

भारतीय रिज़र्व बैंक की प्रस्तावना में बैंक के मूल कार्य इस प्रकार वर्णित किये गए हैं:

  • भारत में मौद्रिक स्थिरता की स्थिति प्राप्त करने की दृष्टि से बैंक-नोटों के निर्गम को विनियमित करना तथा प्रारक्षित निधि (Reserves) को बनाए रखना।
  • सामान्य रूप से देश के हित में मुद्रा और ऋण प्रणाली संचालित करना।
  • अत्यधिक जटिल अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के लिये आधुनिक मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क तैयार करना।
  • वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना।

विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (13 February)

  • सरकार ने राज्यसभा में अनिवासी (प्रवासी) विवाह रजिस्ट्रीकरण विधेयक, 2019 पेश किया है। इस विधेयक का मकसद भारतीय महिलाओं को अनिवासी भारतीयों द्वारा किये जाने वाले कपटपूर्ण विवाह से बचाना और कुछ सुरक्षा उपाय करना है। इसके तहत भारत और भारत के बाहर होने वाले ऐसे विवाह का पंजीकरण विवाह की तारीख से 30 दिनों के भीतर करना अनिवार्य किया गया है। इस विधेयक के ज़रिये पासपोर्ट अधिनयम, 1967 और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 में संशोधन का प्रावधान है।
  • राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद अपने 61वें स्थापना दिवस के अवसर पर 12 से 18 फरवरी तक राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह आयोजित कर रही है। इस वर्ष की थीम है उत्पादकता और निरंतरता के लिये सर्कुलर अर्थव्यवस्था। सर्कुलर अर्थव्यवस्था ‘बनाओ-उपयोग करो-वापस पाओ (Built-Operate-Transfer-BOT’ से जुड़े सर्कुलर बिज़नेस मॉडल के लिये अवसरों को परिलक्षित करती है। साथ ही यह विभिन्न वस्तुओं या सामग्री की दीर्घकालिक आर्थिक संभावनाओं से जुड़े अवसर भी प्रदान करती है।
  • सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 13 फरवरी को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मीडिया इकाइयों का पहला सम्मेलन आयोजित किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न मीडिया इकाइयों के अंतर्गत कार्य कर रहे भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों को अखिल भारतीय स्तर पर एक स्थान पर लाने के लिये एक मंच प्रदान करना था, जहाँ वे उभरते हुए संचार प्रतिमानों के बारे में चर्चा कर सकें। प्रत्येक व्यक्ति तक जानकारी पहुँचाने के लिये सम्मेलन में संचार व्यवस्था में नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के बारे में भी चर्चा की गई।
  • खाद्य सुरक्षा और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मसाला बोर्ड ने नई दिल्ली में खाद्य सुरक्षा के बारे में एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। इसमें खेत से मेज़ पर पहुँचने तक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने पर ज़ोर दिया गया। सम्मेलन में खेत स्तर पर उत्पन्न उपज की चिंताओं को दूर करने और फसल कटाई के बाद सफाई की आवश्यकता तथा सुरक्षित भोजन के लिये गैर-इरादतन मिलावट को रोकने की आवश्यकता जताई गई। खाद्य सुरक्षा उपाय लागू करने के लिये भविष्य की योजनाओं के बारे में भी सम्मेलन में चर्चा की गई।
  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के लॉजिस्टिक्स विभाग ने नई दिल्ली में एक कार्यशाला का आयोजन किया। देश के इस सेक्टर में उपलब्ध अवसरों और चुनौतियों पर लॉजिस्टिक्स से जुड़े हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने के लिये इसका आयोजन किया गया था। भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर काफी हद तक विखंडित है, इसलिये इसके तहत मुख्य उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को GDP के मौजूदा 14% से घटाकर 2022 तक 10% के स्तर से भी नीचे लाना है। आपको बता दें कि भारत को विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में 2014 में 54वाँ स्थान मिला था जो 2016 में 35वें स्थान पर पहुँच गया।
  • केंद्र सरकार ने पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब जाने के लिये डेरा बाबा नानक चौकी को अधिकृत आव्रजन केंद्र बनाने का फैसला किया है। यह चौकी करतारपुर साहिब आने और जाने वालों के लिये प्रवेश बिंदु होगी। इस यात्रा के वैध दस्तावेज़ों के साथ कोई भी व्यक्ति यहाँ प्रवेश कर सकेगा या बाहर निकल सकेगा। सरकार ने यह फैसला पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) नियम, 1950 के नियम 3 के उप-नियम (B) के तहत किया है। आपको बता दें कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक ने अपने जीवन के 18 साल यहाँ गुज़ारे थे और करतारपुर साहिब की स्थापना की थी। यह भारत-पाक सीमा से 3-4 किमी. भीतर पाकिस्तान में रावी नदी के किनारे स्थित है।
  • अब राजस्थान में सरपंच और पार्षद का चुनाव लड़ने के लिये पढ़ा-लिखा होना ज़रूरी नहीं होगा। राज्य में हाल ही में बनी नई सरकार ने इसके लिये शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। इसे पहले पूर्ववर्ती सरकार ने सरपंच बनने के लिये 8वीं और पंचायत समिति, ज़िला परिषद का सदस्य बनने के लिये 10वीं पास होना ज़रूरी कर दिया था। आदिवासी इलाकों में सरपंच के लिये शैक्षिक योग्यता 5वीं पास रखी गई थी।
  • पाकिस्तान के कराची में पाँच दिवसीय बहुराष्ट्रीय समुद्री अभ्यास अमन-19 आयोजित किया गया, जिसमें 46 देशों ने हिस्सा लिया। इस अभ्यास की शुरुआत 2007 में हुई थी और यह प्रत्येक दो वर्ष बाद आयोजित किया जाता है। यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया जाता है, जिसमें बंदरगाह चरण और समुद्री चरण शामिल होते हैं। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य एक-दूसरे की समुद्री अवधारणाओं और संचालन प्रक्रियाओं को समझने और समुद्र में सामान्य खतरे का सामना करने के तरीकों और साधनों पर नज़र रखना है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर ज़िले के विशाखापत्तनम में स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व सुविधा राष्ट्र को समर्पित की। इसकी भंडारण क्षमता 13 लाख 30 हज़ार मीट्रिक टन है। 1125 करोड़ रुपए की लागत से बनी यह देश की सबसे बड़ी भूमिगत भंडारण सुविधा है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने ONGC की S-1 वशिष्ठ नामक विकास परियोजना भी राष्ट्र को समर्पित की। आंध्र प्रदेश में कृष्णा-गोदावरी (KG) अपतटीय बेसिन में स्थित इस परियोजना की लागत लगभग 5,700 करोड़ रुपए है। यह परियोजना 2020 तक तेल आयात को 10% कम करने में योगदान करेगी।
  • उत्तराखंड के टिहरी ज़िले में हिमालय क्लाउड वेधशाला की स्थापना की गई है। इसका उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाकर उनसे होने वाले नुकसान को कम करना है। यह वेधशाला टिहरी के चंबा में SRT कॉम्प्लेक्स में स्थापित की गई है और अभी इस पर परीक्षण किये जा रहे हैं। IIT कानपुर द्वारा स्थापित यह वेधशाला बादलों की गतिविधियों की निगरानी करने वाली देश की दूसरी वेधशाला है जो अधिक ऊँचाई (High Altitude) पर कार्य कर सकती है। यहाँ वर्षा, तापमान, हवा की गति, हवा की दिशा के लिये अलग-अलग पैरामीटर हैं, जिनसे डेटा तैयार किया जाएगा।

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