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डेली न्यूज़

  • 12 Oct, 2019
  • 30 min read
सामाजिक न्याय

असम चाय उद्योग और श्रम कानून

प्रीलिम्स के लिये:

ऑक्सफैम, असम चाय उद्योग के तथ्यात्मक पक्ष, इंडियन टी एसोसिएशन

मुख्य परीक्षा के लिये:

असम चाय उद्योग में श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ऑक्सफैम (OXFAM) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में असम के चाय बागानों में हो रहे श्रमिक अधिकारों के उल्लंघन का वर्णन किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • ऑक्सफैम इंडिया ने टाटा इंस्टीटयूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ के साथ मिलकर असम में चाय बागानों के श्रमिकों की स्थिति पर ‘Addressing the human cost of Assam tea’ नामक शीर्षक से रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, असम सरकार द्वारा चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम मज़दूरी को बढाकर 351 रुपए करने की प्रतिबद्धता, इस क्षेत्र में वित्तीय व्यवहार्यता की बाधाओं की वजह से ही ली गई है।
  • शोधकर्ताओं ने पाया कि दिन में 13 घंटे से अधिक काम करने के बावजूद, श्रमिक 137-167 रुपए के बीच कमाते हैं|
  • आमतौर पर चाय ब्रांड और सुपरमार्केट का भारत में असम चाय के लिये उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमत के 58.2% पर अधिकार होता है तथा बागानों में काम करने वाले श्रमिकों के पास उस कीमत का सिर्फ 7.2% भाग ही पहुँच पाता है।
  • ऑक्सफैम ने उपभोक्ताओं, सुपरमार्केट और ब्रांडों से श्रमिकों को उचित मज़दूरी प्रदान करने के लिये असम सरकार के कदम का समर्थन करने और उपभोक्ताओं द्वारा अदा किये गए मूल्य को निचले स्तर तक पहुँच सुनिश्चित करने को कहा है।
  • ऑक्सफैम की रिपोर्ट इस तथ्य की ओर इशारा करती है कि चाय बागान श्रमिक और उनके परिवार बहुत संवेदनशील अवस्था में जी रहे हैं। ऑक्सफैम इंडिया के अनुसार श्रमिक जो वेतन पाते हैं, वह बहुत कम है और उनके कामकाज तथा रहन-सहन की स्थिति को तत्काल सुधारने की आवश्यकता है।
  • ऑक्सफैम की रिपोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित “व्यावसायिक सुरक्षा और कार्यस्थल स्थिति विधेयक 2019” की सराहना भी की गई है।

Brewing inequalities

असम चाय उद्योग:

  • भारत में असम चाय का सबसे बड़ा उत्‍पादक राज्य है। असम की चाय अपनी विशिष्‍ट गुणवत्ता विशेषकर अपने कड़क स्‍वाद और रंग के लिये जानी जाती है।
  • असम अखिल भारतीय उत्‍पादन का लगभग 53% और विश्‍व में उत्पादित चाय के लगभग 1/6 वें हिस्‍से का उत्‍पादन करता है।
  • राज्य में ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के मैदानी भाग में चाय उगाई जाती है। अधिकांश चाय के बागान तिनसुकिया, डिब्रूगढ, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, नागाँव और सोनितपुर ज़िलों में पाए जाते हैं।

इंडियन टी एसोसिएशन (ITA):

  • 1881 में स्थापित इंडियन टी एसोसिएशन भारत में चाय उत्पादकों का प्रमुख और सबसे पुराना संगठन है।
  • एसोसिएशन ने नीतियों के निर्माण और चाय उद्योग के विकास हेतु कार्रवाई शुरू करने के लिये एक बहुआयामी भूमिका निभाई है। टी बोर्ड, सरकार और अन्य संबंधित निकायों के साथ संपर्क स्थापित करना भी इंडियन टी एसोशिएसन का प्रमुख कार्य है।
  • ITA की असम और पश्चिम बंगाल में विभिन्न स्थानों पर शाखाएँ हैं। 425 से अधिक बागानों के साथ ITA और इसकी शाखाएँ भारत के कुल चाय उत्पादन का 60% से अधिक का प्रतिनिधित्व करती हैं। नियोक्ता के रूप में ITA सदस्य उद्यान 400,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार प्रदान करते हैं।

ऑक्सफैम

  • वर्ष 1942 में स्थापित ऑक्सफैम 20 स्वतंत्र चैरिटेबल संगठनों का एक संघ है।
  • यह वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिये काम करता है और ऑक्सफेम इंटरनेशनल इसकी अगुवाई करता है।
  • वर्तमान में विनी ब्यानिमा इस गैर-लाभकारी समूह की कार्यकारी निदेशक हैं।
  • इसका मुख्यालय केन्या की राजधानी नैरोबी में है।

निष्कर्ष:

चूँकि भारतीय संविधान में अनुच्छेद-21 द्वारा प्रत्येक नागरिक को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार दिया गया है। अतः संबंधित संस्थाओं तथा सरकारों को असम के बागानों में कार्य कर रहे श्रमिकों की जीवन स्तर में सुधार के लिये प्रयास करना चाहिये।

स्रोत- द हिंदू


सामाजिक न्याय

स्नेह का अधिकार

मेन्स के लिये:

स्नेह का अधिकार, बच्चे की कस्टडी से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने निर्णय में कहा है कि एक बच्चे को अपने माता-पिता दोनों का स्नेह पाने का अधिकार है (A Child has The Right to Affection of Both Parents)।

प्रमुख बिंदु:

  • सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश एक व्यक्ति द्वारा अपने बच्चे की कस्टडी (Custody) के लिये दायर याचिका पर आधारित है, जो पत्नी के साथ है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अलग हो चुके माता-पिता (Separated Parents) के बीच बच्चे की कस्टडी के संदर्भ में बच्चे के हितों को सबसे आगे रखा जाना चाहिये।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पारिवारिक अदालतों को माता-पिता को मुलाकात का अधिकार (Visitation Rights) इस प्रकार से देना चाहिये कि कोई बच्चा माता-पिता के प्यार और देखभाल से वंचित न रहे।
  • माता-पिता द्वारा बच्चे को प्यार करना तथा बच्चे को प्यार पाने का अधिकार दोनों ही मौलिक अधिकारों में अंतर्निहित हैं।

बच्चे की कस्टडी से संबंधित मुद्दे:

  • कानूनी प्रावधानों के तहत अलगाव के मामले में माता-पिता में से किसी एक को बच्चे की कस्टडी सौंपी जाती है, जिससे बच्चे का व्यक्तिगत विकास एवं उसके गुणवत्तापूर्ण जीवन का अधिकार गंभीर रूप से प्रभावित होता है।
  • इसके अतिरिक्त विभिन्न पारिवारिक कानूनों में ऐसे कई प्रावधान हैं जो माता-पिता के कस्टडी अधिकारों पर उनके लिंग के आधार पर भेदभाव करते हैं।
  • इस प्रकार यह उस पति या पत्नी के अधिकार को प्रभावित करता है जिस कस्टडी के अधिकारों से वंचित किया गया है।
  • यह बच्चे के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है जिसके कारण वह माता-पिता दोनों की देखभाल, प्यार तथा साझा पालन-पोषण से वंचित रह जाता है।
  • वर्तमान पारिवारिक कानूनों में बाल-केंद्रित दृष्टिकोण का अभाव है जिससे साझा पालन-पोषण का विचार नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है, इसके परिणामतः बच्चे की परवरिश प्रभावित होती है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उन पारिवारिक कानूनों के प्रावधानों की जाँच करने पर सहमति व्यक्त की है जो वैवाहिक अलगाव के बाद माता-पिता में से किसी एक को कस्टडी की अनुमति देते हैं।

स्रोत: द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

आक्रामक खरपतवार

प्रीलिम्स के लिये:

कवल वन्यजीव अभयारण्य, कार्टाजेना प्रोटोकॉल, आइची लक्ष्य, जैविक विविधता पर सम्मेलन, रामसर कन्वेंशन, CITES,आक्रामक खरपतवार प्रजाति आदि के प्रमुख तथ्य

मेन्स के लिये:

विदेशी आक्रामक खरपतवार प्रजातियों से निपटने के लिये भारत और विश्व के प्रयास

चर्चा में क्यों?

तेलंगाना के आदिलाबाद जिले के घास के मैदानों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में आक्रामक खरपतवार प्रजाति यथा- हाईपिस (Hyptis), कैसिया तोरा (Cassia Tora) और पार्थेनियम (Parthenium) के प्रसार होने का पता चला है।

प्रमुख बिंदु

  • ये आक्रामक खरपतवार घास के मैदानों को बढ़ने नहीं देते हैं, जिसके कारण शाकाहारियों की आबादी में कमी आती है।
  • घास के मैदानों की संख्या में कमी से क्षेत्र में बाघों की आबादी के अस्तित्व को खतरा हो सकता है।

आदिलाबाद में बाघों का बसेरा ( कवल वन्यजीव अभयारण्य)

  • कवल टाइगर रिजर्व भारत के तेलंगाना राज्य में मनचेरियल डिस्ट्रिक्ट (पुराना आदिलाबाद जिला) के जन्नाराम मंडल में स्थित है।
  • भारत सरकार द्वारा इस अभयारण्य को वर्ष 2012 में वन्यजीव टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।
  • गोदावरी और कदम नदियों के लिये यह अभयारण्य जलागम का क्षेत्र है, जो अभयारण्य के दक्षिण की ओर बहती हैं।

आक्रामक प्रजातियों को नियंत्रित करने के लिये किये गए उपाय

  • आक्रामक प्रजातियों पर नियंत्रण के लिये कई रणनीति बनाई गई हैं।
    • प्लांट क्वारंटाइन (भारत में आयात का विनियमन) आदेश, 2003 का उपयोग भारत में प्रवेश करने वाले आक्रामक कीट प्रजातियों (आयातित पौधा / रोपण सामग्री) के खतरे से निपटने के लिये किया जाता है।
    • पर्यावरण और वन मंत्रालय, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत जंगली जानवरों और उनसे जुड़ी अन्य सामग्री के निर्यात के लिये संगरोध प्रमाण पत्र (Quarantine Certificates) के साथ अनुमोदन जारी करता है।
  • हानिकारक कीड़े और परोपजीवी अधिनियम 1914 का उद्देश्य भारत में ऐसे कवक या अन्य कीटों के एक प्रांत से दूसरे प्रांत में स्थानांतरण को रोकना है जो फसलों के लिये विनाशकारी हो सकते हैं।
  • भारत ने जैव विविधता पर सम्मेलन (Convention on Biological Diversity-CBD) द्वारा तैयार राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीतियाँ और कार्य योजनाओं (National Biodiversity Strategies and Action Plans-NBSAP) के तहत जैव विविधता और आइची (Aichi) लक्ष्य प्राप्त करने के लिये योजनाओं को संशोधित और नवीनीकृत किया है।
    • भारत ने आइची (Aichi) लक्ष्य 9 को अपना लिया है।
    • आइची (Aichi) लक्ष्य 9 के तहत विदेशी आक्रामक प्रजातियों के मार्गों की पहचान सुनिश्चित करना है तथा पहचान की गई प्रजातियों को नष्ट करते हुए उन मार्गों का प्रबंधन करना है जिन मार्गों से उनका आगमन होता है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किये गये प्रयास

  • जीविका पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल, 2000 (Cartagena Protocol on Biosafety, 2000)
    • इस प्रोटोकॉल का उद्देश्य आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप संशोधित जीवों द्वारा उत्पन्न संभावित जोखिमों से जैव विविधता की रक्षा करना है।
  • जैविक विविधता पर सम्मेलन (Convention on Biological Diversity-CBD)
    • यह रियो डी जनेरियो में 1992 के पृथ्वी शिखर सम्मेलन में अपनाए गए प्रमुख समझौतों में से एक था।
    • कन्वेंशन का अनुच्छेद 8 (h) उन विदेशी प्रजातियों का नियंत्रण या उन्मूलन करता है जो प्रजातियों के पारिस्थितिकी तंत्र, निवास स्थान आदि के लिये खतरनाक हैं।
  • CITES (वन्यजीव और वनस्पति की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन)
    • CITES (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) एक अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन है।
    • इसका उद्देश्य वन्यजीवों और पौधों के प्रतिरूप को किसी भी प्रकार के खतरे से बचाना है तथा इनके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को रोकना है।
    • यह आक्रामक प्रजातियों से संबंधित उन समस्याओं पर भी विचार करता है जो जानवरों या पौधों के अस्तित्व के लिये खतरा उत्त्पन्न करती हैं।
  • रामसर कन्वेंशन, 1971 (Ramsar Convention, 1971)
    • रामसर कन्वेंशन अंतर्राष्ट्रीय महत्तव के वेटलैंड्स के संरक्षण और स्थायी उपयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
    • यह अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर आर्द्र-भूमि पर आक्रामक प्रजातियों के पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव को भी संबोधित करता है तथा उनसे निपटने के लिये नियंत्रण और समाधान के तरीकों को भी खोजता है।

आगे की राह

  • विदेशी कीटों और खरपतवारों के प्रवाह की सूची, निगरानी तथा जाँच के लिये और अधिक शोध होना चाहिये।
  • भारत की संगरोध प्रणाली को सुधारने तथा कठोर बनाने की आवश्यकता है।
    • नेपाल ने इस साल बिहार में तीव्र एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome-AES) के प्रकोप के बाद भारत से कृषि उत्पादों को फाइटोसैनेटिक प्रमाण पत्र (Phytosanitary Certificate) के बिना प्रवेश से रोक दिया।

तीव्र एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम

(Acute Encephalitis Syndrome-AES)

  • बिहार के मुजफ्फरपुर ज़िले में एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome-AES) के कारण कई बच्चों की मौत हो गई, जिसे स्थानीय स्तर पर चम्की बुखार (दिमागी बुखार) के रूप में जाना जाता है।
  • AES मच्छरों द्वारा प्रेषित एंसेफेलाइटिस की एक गंभीर स्थिति है, इसकी मुख्य विशेषता तीव्र बुखार और मस्तिष्क में सूजन आना है।
    • एंसेफेलाइटिस को प्राय: जापानी बुखार भी कहा जाता है, क्योंकि यह जापानी एंसेफेलाइटिस (जेई) नामक वायरस के कारण होता है।

स्रोत- द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सोशल मीडिया पर अस्पष्ट सेंसरशिप

प्रीलिम्स के लिये:

छाया निलंबन (Shadow-banning), सूचना तकनीक अधिनियम, 2000

मेन्स के लिये:

सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 की धारा 69(A)

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने प्रसिद्ध सोशल मीडिया साइट ट्विटर से जून 2018 से लेकर दिसंबर 2018 तक की सामग्री हटाने के लिये 657 कानूनी मांगें रखी हैं। कुल मिलाकर 2228 ट्विटर अकाउंट्स की रिपोर्ट की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • सोशल मीडिया साइट ट्विटर के अनुसार, भारत ट्विटर से सामग्री हटाने की क़ानूनी मांग करने वाला चौथा सबसे बढ़ा देश है।
  • ट्विटर रिकॉर्ड के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) के अनुरोध पर सूचना तकनीकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 (ए) के उल्लंघन के तहत सामग्री को हटाने की मांग के लिये उपयोगकर्त्ताओं को नोटिस भी दिये गए थे।
  • परंतु कई उदाहरणों में निलंबन से पहले उपयोगकर्त्ता को कोई नोटिस नहीं दिया गया। वे ट्विटर अकाउंट्स तब बहाल होते हैं जब उपयोगकर्त्ता उनसे अपील करता है कि यदि उनके भविष्य के व्यवहार से ट्विटर के नियमों का उल्लंघन होता है तो उनका स्थायी निलंबन किया जा सकता है।
  • धारा 370 हटाने के समय तथा लोकसभा चुनाव के दौरान कई क़ानून प्रवर्तन संस्थाओं ने विभिन्न ट्विटर अकाउंट् को ‘शैडो बैनिंग’ के ज़रिये निलंबित करने की अपील की।

क्या है शैडो बैनिंग?

एक ऑनलाइन समुदाय या सोशल मीडिया साइट से किसी उपयोगकर्त्ता को संज्ञान में लिये बिना उसकी सामग्री को उसके अकाउंट से आंशिक रूप से हटाने तथा उन्हें प्रतिबंधित करने का कार्य छाया निलंबन (शैडो बैनिंग) कहलाता है।

Under Watch

सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 की धारा 69(A):

(Section 69(A) of IT ACT, 2000)

  • संसद ने वर्ष 2000 में सूचना तकनीक अधिनियम पारित किया और फिर इसे वर्ष 2008 व 2009 में संशोधित किया गया।
  • वर्ष 2019 में भी सरकार ने साइबर अपराधों पर नकेल कसने के लिये IT ACT 2000 की धारा 69(A) में संशोधन किया। इसके तहत सरकार ने 10 एजेंसियों को यह अधिकार दिया है कि वे किसी भी कंप्यूटर की पड़ताल कर सकती हैं, उनका डेटा निकाल सकती हैं और अन्य जानकारियाँ हासिल कर सकती हैं।
  • गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार, 10 केंद्रीय एजेंसियों को यह अधिकार मिला है कि वे किसी भी कंप्यूटर संसाधन में तैयार, पारेषित, प्राप्त या भंडारित किसी भी प्रकार की सूचना की जाँच, सूचना को इंटरसेप्ट करने, सूचना की निगरानी और इसे डिक्रिप्ट कर सकती हैं। इन 10 केंद्रीय एजेंसियों में इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व आसूचना निदेशालय, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी, मंत्रिमंडल सचिवालय (रॉ), सिग्नल इंटेलिजेंस निदेशालय (केवल जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम के सेवा क्षेत्रों के लिये) और पुलिस आयुक्त, दिल्ली शामिल हैं।
  • गृह मंत्रालय ने आईटी एक्ट, 2000 के सेक्शन 69 (1) के तहत एक आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि भारत की एकता और अखंडता के अलावा देश की रक्षा एवं शासन व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज़ से ज़रूरी लगे तो केंद्र सरकार किसी एजेंसी को जाँच के लिये आपके कंप्यूटर को एक्सेस करने की इज़ाज़त दे सकती है।
  • यदि संबंधित संस्था या व्यक्ति एजेंसियों की मदद नहीं करता है तो वह सज़ा का पात्र होगा और इसमें सात साल तक के जेल की सज़ा का प्रावधान भी है।

स्रोत-द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (12 October)

1. विश्व शाकाहार दिवस

प्रतिवर्ष 1 अक्तूबर को विश्व शाकाहार दिवस (World Vegetarian Day) मनाया जाता है।

  • इस दिवस को मनाने की शुरूआत वर्ष 1977 में नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसाइटी ने की थी। इस सोसाइटी का उद्देश्य लोगों को शाकाहारी भोजन के लिये प्रेरित करना था। वर्ष 1978 में International Vegetarian Union ने इसका समर्थन किया।
  • विश्वभर में यह दिवस शाकाहारी जीवन शैली के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने और दूसरों को शाकाहारी बनने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये मनाया जाता है।
  • पिछले कुछ वर्षों के आँकड़ों को देखें तो विश्वभर में शाकाहारियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन आज भी माँसाहार करने वालों की संख्या अधिक है।

‘शाकाहारी’ वह व्यक्ति होता हैं, जो कि माँस नहीं खाता तथा उसका आहार फल एवं सब्जियों से भरपूर होता हैं। उसे यह खाद्य पदार्थ पेड़-पौधों से प्राप्त होते हैं। आज अधिकांश लोग अलग-अलग कारणों से शाकाहारी जीवन शैली को अपना रहे हैं। कुछ लोग अपनी क्षुब्ध शांति के लिये जानवरों की हत्या न करने पर मज़बूती से विश्वास करते हैं, तो कुछ लोग स्वास्थ्य कारणों से शाकाहारी आहार लेते हैं, क्योंकि यह आहार फल एवं सब्जियों से भरपूर होता है। इस आहार में वसा एवं कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है, जो कि ह्रदय के लिये बेहद अच्छी हैं। बहुत से लोग शाकाहारी आहार का पालन करने के लिये संस्कृति और धार्मिक मुद्दों का हवाला देते हैं।

शाकाहार के मुख्य प्रकार

  • शाकाहार (Vegetarian) में पेड़-पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। इस आहार में पशुओं या जानवरों के माध्यम से मिलने वाला किसी भी तरह का प्रोटीन या अंडे, दूध, या शहद शामिल नहीं होता। आमतौर पर इस आहार में कच्चे फल, सब्जियाँ, फलियाँ, अंकुरित खाद्य पदार्थ एवं मेवे शामिल होते हैं।
  • लैक्टो-शाकाहार (Lacto-Vegetarian) में पेड़-पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थ एवं दुग्ध उत्पाद (दूध, पनीर, दही, मक्खन, घी, मलाई) शामिल होते हैं, लेकिन इस आहार में अंडे शामिल नहीं होते।
  • ओवो-लैक्टो शाकाहार (Ovo-Lacto Vegetarian) में पेड़-पौधे और दुग्ध उत्पाद तथा अंडे भी शामिल होते हैं। ओवो-लैक्टो ऐसे शाकाहारी होते है जो कुछ पशु उत्पादों, जैसे अंडे और डेयरी का सेवन करते हैं, लेकिन मछली या अन्य सी-फूड का सेवन नहीं करते।

2. मृत्युदंड विरोधी दिवस

प्रतिवर्ष 10 अक्तूबर को दुनियाभर में मृत्युदंड विरोधी दिवस (World Day Against the Death Penalty) मनाया जाता है।

  • इस दिन किन्हीं भी हालात में दिये जाने वाले मृत्युदंड के प्रति विरोध दर्ज कराया जाता है।
  • मृत्युदंड को समाप्त करने वाले देशों के नेताओं से कहा जाता है कि वे उन देशों को समझाने की कोशिश करें जहाँ अब भी मृत्युदंड जारी है।
  • संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय (Office of the High Commissioner for Human Rights-OHCHR) ने सभी देशों का आहवान किया है कि वे उस वैश्विक संधि को मंज़ूरी देकर लागू करें जिसमें मृत्युदंड को खत्म करने का आह्वान किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि लगभग 170 देशों ने अपने यहाँ मृत्युदंड को या तो औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया है या न्यायिक फैसलों में मौत की सज़ा सुनाना बंद कर दिया है।

चीन टॉप पर

  • चीन मौत की सज़ा देने वाले देशों में पहले नंबर पर है, लेकिन इसका सही आँकड़ा सर्वविदित नहीं है क्योंकि इसे चीन में सुरक्षा कारणों से छिपाया जाता है।
  • वर्ष 2016 में दुनियाभर में जितने भी मृत्युदंड दिये गए उनमें से 87% के लिये सिर्फ़ पाँच देश ज़िम्मेदार थे- चीन (आँकड़े ज्ञात नहीं) ईरान, सऊदी अरब, इराक और पाकिस्तान।
  • इनके अलावा चीन, भारत, अमेरिका और इंडोनेशिया भी बड़ी संख्या में मृत्युदंड देने वाले देशों की सूची में आते हैं।

3. भारत के उपराष्ट्रपति का कोमोरोस दौरा

अफ्रीका के साथ भारत के जुड़ाव को जारी रखते हुए उसे और मज़बूत बनाने के लिये भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू दो अफ्रीकी देशों कोमोरोस और सिएरा लियोन की यात्रा पर गए।

Comoros

पूर्वी अफ्रीकी द्वीप कोमोरास की राजधानी मोरोनी में दोनों देशों ने रक्षा और ऊर्जा सहित कुछ महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये-

  • भारत ऊर्जा और समुद्री रक्षा सहयोग के लिये कोमोरोस को छह करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा प्रदान करेगा।
  • मोरनी में 18 मेगावाट क्षमता का विद्युत संयंत्र लगाने के लिये भारत 41 करोड़ 60 लाख डॉलर से अधिक की ऋण सुविधा देगा।
  • इसके साथ ही कोमोरोस में राजनीतिक स्थिरता और शांतिपूर्ण सत्‍ता हस्‍तांतरण के बाद हुई कई आंतकी घटनाओं पर भारत ने चिंता जताई।
  • समुद्री डकैती और समुद्री खतरों तथा सीमापार से अन्‍य देशों की ओर से किये जा रहे अपराधों समेत साइबर अपराध ने समस्‍या को नया आयाम देकर गंभीर बना दिया है।
  • कोमोरोस सीमापार आंतकवाद से प्रभावित है इसलिये भारत इसके साथ भागीदार के रूप में काम कर रहा है। भारत इन खतरों से निपटने के लिये कोमोरोस के प्रयासों में मददगार बनेगा।
  • उपराष्‍ट्रपति को कोमोरोस का सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान द आर्डर ऑफ द ग्रीन क्रीसेंट से सम्‍मानित किया गया। कोमोरोस के राष्‍ट्रपति अज़ाली असोउमानी ने उन्हें यह सम्‍मान प्रदान किया।

4. केरल बैंक के गठन को मंज़ूरी

13 ज़िला सहकारी बैंकों को केरल स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के साथ मिलाकर प्रस्तावित केरल बैंक का गठन किया जाएगा।

  • मल्लपुरम सहकारी बैंक को छोड़कर शेष सभी ज़िला सहकारी बैंकों ने सरकार के इस कदम को मंज़ूरी दे दी है।
  • ज़िला सहकारी बैंकों को मिलाकर अपना बैंक बनाने का केरल सरकार का प्रस्ताव काफी पुराना है, जिसे रिज़र्व बैंक ने अब अंतिम मंज़ूरी दी है। गठन के बाद प्रस्तावित केरल बैंक राज्य का सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा।
  • नए बैंक के गठन से राज्य के विकास को गति मिलेगी। लेकिन नए बैंक का गठन इस संबंध में एक अदालत के समक्ष लंबित कुछ मामलों के अंतिम फैसले के अनुसार होगा।

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