शासन व्यवस्था
प्रारूप मॉडल किरायेदारी अधिनियम, 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) ने ‘मॉडल किरायेदारी अधिनियम, 2019’ (‘Model Tenancy Act’, 2019- MTA) का एक मसौदा तैयार किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रारूप में मालिक और किरायेदार दोनों के हितों और अधिकारों को संतुलित करने तथा परिसरों/आवासों को अनुशासित एवं कुशल तरीके से किराये पर देने में उत्तरदायी और पारदर्शी व्यवस्था बनाने का प्रावधान है।
- यह अधिनियम समाज के विभिन्न आय वर्गों के लिये किराये पर मकानों की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने में सहायता प्रदान करेगा।
- समाज के इन वर्गों में अन्य जगह पर बसे लोग, औपचारिक तथा अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक, पेशेवर लोग, विद्यार्थी आदि शामिल हैं।
- इस अधिनियम का उद्देश्य गुणवत्ता संपन्न किराये के आवासों तक पहुँच को बढ़ाना है।
- यह विधेयक पूरे देश में किराये के मकानों के संदर्भ में समग्र कानूनी रूपरेखा को नया रूप देने में सहायक होगा।
- यह विधेयक देश में रिहायशी मकानों की भारी कमी की समस्या से निपटने के लिये किराये हेतु आवासों के निर्माण क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।
प्रावधान की विशेषताएँ
- प्रारूप मॉडल किरायेदारी अधिनियम, 2019 (MTA) किराये के मकानों की वृद्धि, इस क्षेत्र में निवेश, उद्यम के अवसर तथा स्थान साझा करने की नवाचारी व्यवस्था को प्रोत्साहित करेगा।
- यह MTA भविष्य में किरायेदारी के मामले में लागू होगा। वर्तमान किरायेदारी के मामलों को यह प्रभावित नहीं करेगा।
प्रारूप मॉडल किरायेदारी अधिनियम, 2019 (MTA 2019) के प्रावधान
- इसमें शिकायतों के समाधान की व्यवस्था का प्रावधान है जिसमें किराया प्राधिकरण, किराया न्यायालय और किराया न्यायाधिकरण शामिल हैं।
- इसमें आवासीय संपत्तियों के मामले में अधिकतम दो महीने के किराये के बराबर जमानत राशि की सीमा प्रस्तावित है तथा गैर-आवासीय संपत्ति के मामले में यह सीमा कम-से-कम एक महीने के किराये के बराबर है।
- इस अधिनियम के लागू होने के बाद कोई भी व्यक्ति लिखित समझौता किये बिना न तो परिसर/आवास को किराये पर दे सकता है और न कोई व्यक्ति परिसर को किराये पर ले सकता है।
- यह मॉडल अधिनियम शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू होगा।
- किराया समझौता होने के दो महीने के अंदर मकान मालिक एवं किरायेदार को इस समझौते के बारे में किराया प्राधिकरण को सूचना देनी होगी तथा किराया प्राधिकरण सात दिनों के अंदर दोनों पक्षों को विशिष्ट पहचान संख्या जारी करेगा।
- किरायेदारी समझौता तथा अन्य दस्तावेज़ों को प्रस्तुत करने के लिये राज्य की स्थानीय भाषा में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म स्थापित किया जाएगा।
- मॉडल अधिनियम को अंतिम रूप दिये जाने के बाद अतिशीघ्र इसे राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया जाएगा।
निष्कर्ष
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश भर में लगभग 1.1 करोड़ मकान खाली थे। इन मकानों को किराये पर उपलब्ध कराने से वर्ष 2022 तक सभी के लिये घर के विज़न को पूरा किया जा सकेगा।
- वर्तमान किराया नियंत्रण कानून के कारण किराये पर दिये जाने वाले मकानों की संख्या में वृद्धि नही हो रही है। मकान मालिकों में इस बात का डर बना रहता है कि कहीं मकान को किराये पर देने से मकान दूसरे के कब्ज़े में न चला जाए।
स्रोत- PIB
सामाजिक न्याय
ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक 2019
चर्चा में क्यों?
"केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक 2019 [Transgender Persons (Protection of Rights) Bill, 2019] को प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है।"
ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019
Transgender Persons (Protection of Rights) Bill 2019
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति को परिभाषित करना।
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति के विरुद्ध विभेद का प्रतिषेध करना।
- ऐसे व्यक्ति को उस रूप में मान्यता देने के लिये अधिकार प्रदत्त करने और स्वत: अनुभव की जाने वाली लिंग पहचान का अधिकार प्रदत्त करना।
- पहचान-पत्र जारी करना।
- यह उपबंध करना कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति को किसी भी स्थापन में नियोजन, भर्ती, प्रोन्नति और अन्य संबंधित मुद्दों के विषय में विभेद का सामना न करना पड़े।
- प्रत्येक स्थापन में शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना।
- विधेयक के उपबंधों का उल्लंघन करने के संबंध में दंड का प्रावधान सुनिश्चित करना।
प्रमुख बिंदु
- इस विधेयक में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सशक्तीकरण के लिये एक कार्य प्रणाली उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है ।
- इस विधेयक से हाशिये पर खड़े इस वर्ग के विरूद्ध लांछन, भेदभाव और दुर्व्यवहार कम होने तथा इन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने से अनेक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को लाभ पहुँचेगा।
- इससे समग्रता को बढ़ावा मिलेगा और ट्रांसजेंडर व्यक्ति समाज के उपयोगी सदस्य बन जाएंगे।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सामाजिक बहिष्कार से लेकर भेदभाव, शिक्षा सुविधाओं की कमी, बेरोज़गारी, चिकित्सा सुविधाओं की कमी, जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक, 2019 एक प्रगतिशील विधेयक है क्योंकि यह ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाएगा।
ट्रांसजेंडर
Transgender
- ट्रांसजेंडर वह व्यक्ति है, जो अपने जन्म से निर्धारित लिंग के विपरीत लिंगी की तरह जीवन बिताता है।
- जब किसी व्यक्ति के जननांगों और मस्तिष्क का विकास उसके जन्म से निर्धारित लिंग के अनुरूप नहीं होता है तब महिला यह महसूस करने लगती है कि वह पुरुष है और पुरुष यह महसूस करने लगता है कि वह महिला है।
भारत में ट्रांसजेंडर्स के समक्ष आने वाली परेशानियाँ
- ट्रांसजेंडर समुदाय की विभिन्न सामाजिक समस्याएँ जैसे- बहिष्कार, बेरोज़गारी, शैक्षिक तथा चिकित्सा सुविधाओं की कमी, शादी व बच्चा गोद लेने की समस्या,आदि।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मताधिकार वर्ष 1994 में ही मिल गया था, परंतु इन्हें मतदाता पहचान-पत्र जारी करने का कार्य पुरुष और महिला के प्रश्न पर उलझ गया।
- इन्हें संपत्ति का अधिकार और बच्चा गोद लेने जैसे कुछ कानूनी अधिकार भी नहीं दिये जाते हैं।
- इन्हें समाज द्वारा अक्सर परित्यक्त कर दिया जाता है, जिससे ये मानव तस्करी का आसानी से शिकार बन जाते हैं।
- अस्पतालों और थानों में भी इनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया जाता है।
सामाजिक तौर पर बहिष्कृत
- भारत में किन्नरों को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत कर दिया जाता है। इसका मुख्य कारण इन्हें न तो पुरुषों की श्रेणी में रखा जा सकता है और न ही महिलाओं की, जो लैंगिक आधार पर विभाजन की पुरातन व्यवस्था का अंग है।
- इसका नतीज़ा यह होता है कि ये शिक्षा हासिल नहीं कर पाते हैं और बेरोज़गार ही रहते हैं। ये सामान्य लोगों के लिये उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं का लाभ तक नहीं उठा पाते हैं।
- इसके अलावा ये अनेक सुविधाओं से भी वंचित रह जाते हैं।
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लोकसभा में ट्रांसजेंडर विधेयक पास
ट्रांसजेंडर होना मानसिक विकार नहीं
केरल में आधिकारिक तौर पर ‘ट्रांसजेंडर’ शब्द के प्रयोग की घोषणा
स्रोत- PIB
सामाजिक न्याय
बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2019
चर्चा में क्यों?
वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2019 (Multidimensional Poverty Index- MPI) के अनुसार, भारत ने वर्ष 2006 से वर्ष 2016 के बीच 271 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
प्रमुख बिंदु:
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने ‘संपत्ति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता और पोषण’ जैसे मापदंडों में मज़बूत सुधार किया है।
- 101 देशों पर किये गए इस अध्ययन में पाया गया है कि :
- 31 देश निम्न आय वाले देश हैं,
- 68 देश मध्यम आय वाले देश हैं, और
- 2 देश उच्च आय वाले देश हैं
- विश्व स्तर पर कुल 1.3 बिलियन लोग ‘बहुआयामी गरीब’ हैं और उनमे से एक तिहाई लोग (करीब 886 मिलियन) लोग माध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। इसके अतिरिक्त शेष बचे लोग निम्न आय वाले देशों में रहते हैं।
‘बहुआयामी गरीबी’ के निर्धारण में आय ही एक मात्र संकेतक नहीं होता बल्कि अन्य सूचकों जैसे - खराब स्वास्थ्य, काम की खराब गुणवत्ता और हिंसा के ख़तरों पर भी ध्यान दिया जाता है।
- रिपोर्ट में गरीबी में कमी को दर्शाने के लिये ऐसे दस देशों की पहचान की गई है जिनकी आबादी करीब 2 बिलियन है और उन सभी 10 देशों ने सतत् विकास लक्ष्य 1 (गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति) की प्राप्ति में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
- भारत सहित उन दस देशों में बांग्लादेश, कंबोडिया, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, इथियोपिया, हैती, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पेरू और वियतनाम भी शामिल थे।
- भारत के अतिरिक्त बांग्लादेश ने भी 2004 से 2014 के बीच लगभग 19 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकला है।
- जहाँ एक ओर वर्ष 2005-06 के भारत का MPI 0.283 था वहीं वर्ष 2015-16 के बीच यह घटकर 0.123 हो गया है।
- ग़ौरतलब है कि वर्ष 2005-06 में लगभग 640 मिलियन लोग ‘बहुआयामी गरीबी’ में रहते थे, जबकि वर्ष 2015-16 में यह आँकड़ा 369 मिलियन हो गया।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत का झारखंड राज्य ‘बहुआयामी गरीबी’ को सबसे तेज़ी से हटाने वाला राज्य है, झारखंड में 2005-06 में यह 74.9 प्रतिशत थी जबकि वर्ष 2015-16 में सिर्फ 46.5 ही रह गई।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
अनियंत्रित जमा योजना पाबंदी विधेयक, 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अनियंत्रित जमा योजना पाबंदी विधेयक, 2019 (Unregulated Deposit Schemes Bill, 2019) को मंज़ूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि यह विधेयक अनियंत्रित जमा योजना पाबंदी अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा।
- अब यह विधेयक देश में अवैध रूप से जमा राशि जुटाने के जोखिम से कारगर ढंग से निपटने तथा इस तरह की योजनाओं के ज़रिये गरीबों एवं भोले-भाले लोगों की मेहनत की कमाई हड़प लेने पर रोक लगाने की दृष्टि से और मज़बूत हो जाएगा।
विधेयक के प्रावधान
- अनियमित जमा राशि जुटाने की गतिविधि पर पूर्ण प्रतिबंध।
- अनियमित जमा राशि जुटाने वाली योजना का प्रचार-प्रसार अथवा संचालन के मामले में कठोर दंड।
- जमाकर्त्ताओं को पुनर्भुगतान के मामले में धोखाधड़ी और डिफॉल्ट करने पर कठोर दंड।
- जमा राशि जुटाने वाले प्रतिष्ठान को डिफॉल्टर घोषित किये जाने की स्थिति में जमा राशि का पुनर्भुगतान सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा एक सक्षम प्राधिकरण को अधिकृत करना।
- सक्षम प्राधिकरण को अधिकार सौंपना, जिसमें डिफॉल्टर प्रतिष्ठान की परिसम्पत्तियाँ ज़ब्त करने का अधिकार देना भी शामिल हैं।
- जमाकर्त्ताओं के पुनर्भुगतान की निगरानी करने और अधिनियम के तहत आपराधिक कार्रवाई करने के लिये अदालतों को अधिकृत करना।
- विधेयक में नियमित जमा योजनाओं की सूची पेश करना, इसमें एक ऐसा प्रावधान होगा जिसके तहत केंद्र सरकार इस सूची को बड़ा या छोटा कर सकेगी।
विधेयक के उद्देश्य
- यह विधेयक अनियमित तौर पर जमा राशि जुटाने से जुड़ी गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा देगा। इसके तहत ऐसी गतिविधियों को प्रत्याशित अपराध माना जाएगा, जबकि मौजूदा विधायी-सह-नियामकीय फ्रेमवर्क केवल व्यापक समय अंतराल के बाद ही यथार्थ या अप्रत्याशित रूप से प्रभावी होता है।
- विधेयक में अपराधों के तीन प्रकार निर्दिष्ट किये गए हैं, जिनमें अनियमित जमा योजनाएँ चलाना, नियमित जमा योजनाओं में धोखाधड़ी के उद्देश्य से डिफॉल्ट करना और अनियमित जमा योजनाओं के संबंध में गलत इरादे से प्रलोभन देना शामिल हैं।
- विधेयक में कठोर दंड देने और भारी जुर्माना लगाने का भी प्रावधान किया गया है, ताकि लोगों की इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लग सके।
- विधेयक में उन मामलों में जमा राशि को वापस लौटाने या पुनर्भुगतान करने के पर्याप्त प्रावधान किये गए हैं, जिनके तहत ये योजनाएँ किसी भी तरह से अवैध तौर पर जमा राशि जुटाने में सफल हो जाती हैं।
- विधेयक में सक्षम प्राधिकरण द्वारा संपत्तियों/परिसंपत्तियों को ज़ब्त करने और जमाकर्त्ताओं को पुनर्भुगतान किये जाने के उद्देश्य से इन परिसंपत्तियों को हासिल करने का प्रावधान किया गया है।
पृष्ठभूमि
- अनियंत्रित जमा योजना पाबंदी विधेयक, 2018 पर लोकसभा ने 13 फरवरी, 2019 को अपनी बैठक में विचार किया और इसे विचार-विमर्श के बाद में प्रस्तावित सरकारी संशोधनों के माध्यम से अनियमित जमा योजना विधेयक, 2019 के रूप में पारित किया।
- इस विधेयक पर राज्य सभा विचार नहीं कर सकी और विधेयक पारित नहीं हो सका, क्योंकि उसी दिन राज्य सभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिये स्थगित हो गई।
स्रोत- PIB
भारतीय अर्थव्यवस्था
आवासीय परिसंपत्ति मूल्य निगरानी सर्वेक्षण
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में RBI ने आवासीय परिसंपत्ति मूल्य निगरानी सर्वेक्षण (Residential Asset Price Monitoring Survey- RAPMS) जारी किया है।
प्रमुख बिंदु :
- आवास वहनीयता की स्थिति पिछले चार वर्षों में खराब हुई है। गृह मूल्य आय अनुपात (House Price to Income- HPTI) मार्च 2015 के स्तर 56.1 से बढ़कर मार्च 2019 में 61.5 हो गया है।
- RBI द्वारा यह सर्वेक्षण 13 शहरों में चुनिंदा बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (House Finance Company-HFC) के आधार पर किया जाता है।
- मुंबई 74.4 HPTI अनुपात के साथ सबसे कम आवास वहनीयता वाला शहर रहा, वही भुवनेश्वर 54.3 HPTI अनुपात के साथ सबसे अधिक आवास वहनीय शहर रहा है।
- ऋण-आय (Loan To Income-LTI) अनुपात भी आवास वहनीयता के खराब अनुपात की पुष्टि करता है। यह मार्च 2015 के स्तर 3 से बढ़कर मार्च 2019 में 3.4 हो गया, LTI का स्तर सबसे अधिक मुंबई में (4) और सबसे कम लखनऊ में (2.7) रहा है।
- ऋण-मूल्य (Loan to Value- LTV) अनुपात भी बैंकों की बढ़ते जोखिम- सहिष्णुता (Risk-Tolerant) के कारण मार्च 2015 के स्तर 67.7% से बढ़कर मार्च 2019 में 69.6% हो गया है।
ऋण-मूल्य (Loan to Value- LTV) अनुपात ऋणदाता द्वारा परिसंपत्ति के मूल्य के प्रतिशत के रूप में प्रदान की जाने वाली ऋण राशि है।
- EMI आय (EMI-to-Income-ETI) अनुपात पिछले 2 वर्षों में स्थिर रहा है। यह मार्च 2018 में 32.2 और मार्च 2019 में 38.4 के स्तर पर रहा, इसके अतिरिक्त मुंबई, पुणे और अहमदाबाद का ETI अनुपात क्रमशः 43.3, 40.7, 43.5 के रूप में अत्यधिक रहा है।
स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन), इकोनॉमिक्स टाइम
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारतीय पेशेवरों को अमेरिकी वीज़ा नीति में राहत
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने प्रत्येक देश के लिये वीज़ा से संबंधित निश्चित अधिकतम सीमा का प्रावधान हटाने के लिये एक विधेयक पारित किया है।
प्रमुख बिंदु
- वर्तमान में प्रतिवर्ष ग्रीन कार्ड की कुल संख्या में से एक देश के अधिकतम सात प्रतिशत आवेदकों को ही ग्रीन कार्ड मिलता है।
- इस विधेयक से भारत जैसे देशों के हजारों कुशल पेशेवरों को स्थायी रूप से निवास के लिये इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
- इस विधेयक के कानून में परिवर्तित होने के पश्चात् परिवार आधारित अप्रवासी वीज़ा (Family-based immigrant visas) की सीमा सात से बढ़ाकर 15% हो जाएगी। वहीं रोज़गार आधारित आप्रवासी वीज़ा पर लगी 7% की सीमा भी समाप्त हो जाएगी। इस बदलाव से वहाँ कार्यरत कुशल भारतीय आइटी पेशेवरों के लाभान्वित होने की उम्मीद है।
- भारतीय आईटी पेशेवर, अधिकतर H-1B वर्किंग वीज़ा पर अमेरिका जाते हैं, लेकिन मौज़ूदा आव्रजन प्रणाली की सबसे बड़ी खामी ग्रीन कार्ड या स्थायी वैधानिक निवास के आवंटन हेतु निर्धारित कोटा (7 प्रतिशत प्रति देश कोटा) के कारण बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
- फेयरनेस फॉर हाई-स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट-2019 (Fairness for High-Skilled Immigrants Act of 2019) या एचआर 1044 (HR 1044) नामक यह विधेयक 435-सदस्यीय प्रतिनिधि सभा सदन से पास हो गया है। अब सीनेट से मंज़ूरी तथा राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून में परिवर्तित हो जाएगा।
निष्कर्ष
- यह विधेयक अमेरिकी व्यापार एवं अर्थव्यवस्था के सकारात्मक विकास हेतु एक निष्पक्ष कुशल आव्रजन प्रणाली को स्थापित करने पर ज़ोर देता है।
- इस विधेयक द्वारा यह सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी कि स्थायी निवास की मांग करने वाले भारत और चीन जैसे देशों के लोगों को अब लंबे समय तक इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (12 July)
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 10 जुलाई को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें कई बड़े फैसले लिये गए:
- आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए प्रधानमंत्री सड़क योजना के तीसरे चरण के विस्तार को मंज़ूरी दी, जिसके तहत 1,25,000 किलोमीटर की सड़क 80,250 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जाएगी।
- यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण यानी पॉक्सो अधिनियम 2012 में संशोधन को भी मंज़ूरी दी गई, जिसके तहत बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लिये मौत की सज़ा का प्रावधान है। संशोधन के तहत सज़ा के प्रावधान को और सख़्त बनाया गया है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर रोक लगाने के लिये आर्थिक दंड और कारावास का भी प्रावधान किया गया है।
- 13 केंद्रीय श्रम कानूनों को एक कोड के दायरे में लाया जाना है। इसके तहत व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तों विधेयक, 2019 पर संहिता को मंजूरी दी गई।
- कई राज्यों से होकर बहने वाली नदियों के लिये छोटे-छोटे ट्रिब्यूनल को समाप्त कर एक ट्रिब्यूनल बनाने का फैसला किया गया जिसके तहत अब 9 ट्रिब्यूनलों की जगह पर 1 ट्रिब्यूनल होगा। इससे नदी जल को लेकर राज्यों के बीच होने वाले विवाद के निपटारे में मदद मिलेगी।
- अनियमित चिट फंड के लिये विधेयक में संशोधन करते हुए अनियमित जमा पर रोक लगा दी गई है। इसे 21 फरवरी, 2019 को लागू किये गए अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है। इससे गैरकानूनी जमा पर रोक लग सकेगी।
- ग्रुप ‘ए’ सर्विसेज़ का लाभ अब RPF को भी दिए जाने का फैसला लिया गया है। इससे RPF के योग्य अफसरों को उनके करियर में प्रोत्साहन मिलेगा।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 को भी मंज़ूरी दी गई। इससे इस समुदाय के लोगों के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
- PPP मॉडल के तहत भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के 3 हवाई अड्डों- अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरू को लीज़ पर देने के प्रस्ताव को भी मंज़ूरी मिली है। अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने बोली दस्तावेज़ों के नियमों और शर्तों के अनुसार इन हवाई अड्डों के संचालन, प्रबंधन और विकास के लिये 50 साल की लीज़ अवधि हेतु सबसे अधिक बोली लगाई है।
- केंद्र सरकार ने स्वदेश दर्शन योजना में रामायण सर्किट के तहत 9 राज्यों के 15 नए स्थानों को चिह्नित किया है। इनमें उत्तर प्रदेश के अयोध्या, नंदीग्राम, श्रृंगवेरपुर और चित्रकूट; बिहार सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा; मध्य प्रदेश के चित्रकूट; ओडिशा के महेंद्रगिरी; छत्तीसगढ़ के जगदलपुर; महाराष्ट्र के नासिक और नागपुर; तेलंगाना के भद्राचलम; कर्नाटक के हम्पी और तमिलनाडु के रामेश्वरम को शामिल किया गया है। ज्ञातव्य है कि भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने जनवरी 2015 में स्वदेश दर्शन योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत थीम आधारित 13 सर्किट्स की पहचान की गई थी जिनमें पूर्वोत्तर भारत सर्किट, बौद्ध, हिमालय, तटीय, कृष्ण, मरुस्थल, जनजातीय, वन्यजीव, ग्रामीण, आध्यात्मिक, रामायण, धरोहर एवं ईको सर्किट शामिल हैं। स्वदेश दर्शन योजना का उद्देश्य पर्यटन को आर्थिक विकास एवं रोज़गार सृजन के वाहक के रूप में स्थापित कर भारत को एक वैश्विक ब्रांड तथा एक विश्वस्तरीय पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करना है।
- 14 जून से 7 जुलाई तक कोपा अमेरिका कप 2019 के 46वें संस्करण का आयोजन ब्राज़ील के छह अलग-अलग स्थानों पर हुआ। कुल 12 टीमों के बीच खेली गई इस चैंपियनशिप में ब्राज़ील ने रियो के माराकाना स्टेडियम में पेरू को 3-1 से हराकर नौवीं बार खिताब पर कब्ज़ा जमाया। अर्जेंटीना को तीसरा तथा चिली को चौथा स्थान मिला। अपनी मेज़बानी में ब्राज़ील अब तक पाँच बार- 1919, 1922, 1949, 1989 और 2019 में कोपा अमेरिका कप की मेज़बानी कर चुका है और हर बार चैंपियन बना है। वर्ष 1993 के बाद से ब्राज़ील ने टूर्नामेंट के नए फॉर्मेट में अब तक 6 बार फाइनल खेला है और इसमें 5 बार उसे जीत मिली। उसे एकमात्र हार उरुग्वे के खिलाफ वर्ष 1995 में मिली थी। पेरू की टीम ने वर्ष 1939 में अपनी मेजबानी में पहली बार चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था। इसके बाद उसने वर्ष 1975 में आखिरी बार यह खिताब जीता था। CONMEBOL कोपा अमेरिका नाम वाली इस चैंपियनशिप को वर्ष 1975 तक साउथ अमेरिकन फुटबॉल चैंपियनशिप के नाम से जाना जाता था।
- भारत की फर्राटा धाविका हिमा दास ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक सप्ताह के भीतर अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीत लिया। उन्होंने पोलैंड में 7 जुलाई को को कुंटो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर स्पर्द्धा में 23.97 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता। इससे पहले हिमा दास ने 4 जुलाई को पोलैंड में ही पोजनान एथलेटिक्स ग्रां प्री में 23.65 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता था। विश्व जूनियर चैंपियन हिमा दास का श्रेष्ठ व्यक्तिगत समय 23.10 सेकेंड है, जो उन्होंने पिछले साल निकाला था। उन्हें वर्ष 2018 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ज्ञातव्य है कि असम के छोटे से गाँव ढिंग से ताल्लुक रखने की वज़ह से हिमा दास को ढिंग एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है।