डेली न्यूज़ (11 Sep, 2019)



बॉम्बे ब्लड ग्रुप

चर्चा में क्यों?

पिछले कुछ समय से मुंबई के हेल्थकेयर परिदृश्य में ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’ (रक्त का एक दुर्लभ प्रकार) चर्चा का विषय बना हुआ है। संयोग से अस्पतालों में ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’ (Bombay blood group) की मांग बढ़ गई है, जबकि इसकी आपूर्ति दुर्लभ है।

परिचय

सबसे सामान्य चार रक्त समूह A, B, AB और O हैं।

दुर्लभ, बॉम्बे ब्लड ग्रुप की खोज पहली बार वर्ष 1952 में मुंबई (तब बॉम्बे) में डॉ. वाई.एम. भेंडे ने की थी।

प्रत्येक लाल रक्त कोशिका की सतह पर एंटीजन होता है, जो यह निर्धारित करने में मदद करता है कि वह किस समूह से संबंधित है।

बॉम्बे रक्त समूह, जिसे hh भी कहा जाता है, एंटीजन H को व्यक्त कर पाने में हीन/कमज़ोर है, जिसका अर्थ है कि RBC का कोई एंटीजन H नहीं है।

उदाहरण के लिये, AB रक्त समूह में एंटीजन A और B दोनों पाए जाते हैं। A में एंटीजन A होगा; B में एंटीजन B होगा। hh में A या B एंटीजन नहीं हैं।

Blood group

दुर्लभतम स्थिति

  • विश्व स्तर पर चार मिलियन में से किसी एक व्यक्ति में hh रक्त प्रकार पाया जाता है।
  • अपेक्षाकृत दक्षिण एशिया में यह अधिक संख्या में पाया जाता है; भारत में प्रत्येक 7,600 से 10,000 व्यक्तियों में एक व्यक्ति इस रक्त समूह के साथ पैदा होता है।
  • दक्षिण एशिया में ऐसा इसलिये होता है यहाँ सजातीय प्रजनन (Inbreeding) और करीबी समुदायों में विवाह का चलन हैं।
  • यह आनुवंशिक रूप से भी पारित है। भारतीय, श्रीलंकाई, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी लोगों के साझे वंशज होने के कारण इस क्षेत्र में hh रक्त समलक्षणी/फेनोटाइप के अधिक मामले सामने आते हैं।

इस रक्त समूह का परीक्षण

Hh Blood group

  • Hh रक्त का परीक्षण करने के लिये एंटीजन H के रक्त परीक्षण की आवश्यकता होती है।
  • अक्सर hh रक्त समूह और O समूह की पहचान करने में भ्रम हो जाता है। इनके बीच अंतर यह है कि O समूह में एंटीजन H होता है, जबकि hh समूह में एंटीजन नहीं होता है।
  • यदि किसी व्यक्ति में एंटीजन H की कमी है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर है या वह बीमारियों के प्रति अधिक सुभेद्य है।
  • ऐसे लोगों का हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स, सफेद रक्त कोशिकाओं और लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या उनके स्वास्थ्य सूचकांक के आधार पर अन्य व्यक्तियों के समान होती है।
  • हालाँकि इस रक्त समूह की दुर्लभता के कारण ऐसे व्यक्तियों को रक्त आधान अर्थात् रक्त चढ़ाने (Blood Transfusion) के दौरान समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।

रक्त आधान की सीमाएँ

  • बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को केवल बॉम्बे hh फेनोटाइप के व्यक्ति से स्वजात रक्त (Autologous Blood) या रक्त आधान (अर्थात् रक्त चढ़ाया जा सकता है) किया जा सकता है जो बहुत दुर्लभ है।
  • यदि ऐसे व्यक्ति को A, B, AB या O ब्लड ग्रुप से रक्त चढ़ाया जाता है उस व्यक्ति का शरीर इस प्रकार के रक्त को अस्वीकृत कर सकता है जो कि एक जोखिमपूर्ण स्थिति है। इसके विपरीत hh रक्त समूह वाला व्यक्ति A, B, O रक्त प्रकार के व्यक्ति को अपना रक्त दान कर सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


मोतिहारी-अमलेखगंज (नेपाल) पाइपलाइन

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने 10 सितंबर, 2019 को दक्षिण एशिया की पहली सीमा पार जाने वाली पेट्रोलियम उत्पादों की पाइपलाइन का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • यह पाइपलाइन बिहार के मोतिहारी से नेपाल के अमलेखगंज को जोड़ती है।
  • यह परियोजना निर्धारित समयसीमा से काफी पहले पूरी हो गई है।
  • 69 किलोमीटर लंबी मोतिहारी-अमलेखगंज पाइपलाइन नेपाल के लोगों को किफायती लागत पर स्वच्छ पेट्रोलियम उत्पाद उपलब्ध कराएगी।
  • इस पाइपलाइन की क्षमता दो मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष है।

बरौनी से नेपाल तक

  • यह पाइपलाइन बिहार के बेगूसराय ज़िले की बरौनी रिफाइनरी से दक्षिण-पूर्वी नेपाल के अमलेखगंज तक ईंधन का परिवहन करेगी। अमलेखगंज पूर्वी चंपारण ज़िले के रक्‍सौल सीमा पर स्‍थित है।
  • यह पाइपलाइन नेपाल के लिये एक गेम चेंजर साबित होगी।
  • अमलेखगंज ईंधन डिपो (Amalekhgunj Fuel Depot) की भंडारण क्षमता 16,000 किलोलीटर पेट्रोलियम उत्पादों को स्टोर करने की हो जाएगी।
  • मोतिहारी-अमलेखगंज पाइपलाइन (Motihari-Amalekhgunj Pipeline) नेपाल में तेल भंडारण और टैंकरों के माध्यम से पेट्रोलियम उत्पादों के परिवहन की समस्या से निपटने में मदद करेगी। यह नेपाल को पेट्रोलियम उत्पादों की सुगम, लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।

इसके निर्माण की अवधि

  • मोतिहारी-अमलेखगंज पाइपलाइन परियोजना पहली बार वर्ष 1996 में प्रस्तावित की गई थी, लेकिन इसके कार्य की प्रगति काफी धीमी रही। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काठमांडू दौरे के बाद परिस्थितियाँ बदलने लगी।
  • वर्ष 2015 में दोनों सरकारों ने परियोजना को निष्पादित करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। हालाँकि नेपाल के साथ राजनीतिक तनाव से इस परियोजना में थोड़ी रुकावट आई।
  • वर्ष 2017 में राज्य के स्वामित्व वाली इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil Corporation-IOC) ने नेपाल को सालाना 1.3 मिलियन टन ईंधन की आपूर्ति करने के लिये एक पेट्रोलियम व्यापार समझौते (Petroleum Trade Agreement) पर हस्ताक्षर किये, जिसमें वर्ष 2020 तक ईंधन की आपूर्ति मात्रा को दोगुना करने का वादा किया गया।
  • जुलाई में दोनों देशों ने सफलतापूर्वक ऑयल पाइपलाइन के ज़रिये ट्रांसफर का परीक्षण भी किया था।

लागत और लाभ

  • परियोजना की शुरुआत में 275 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान लगाया गया था, जिसमें से भारत को 200 करोड़ रुपए का खर्च वहन करना था। इसके बाद NOC (National Oil Company) के अनुसार परियोजना की कुल लागत बढ़ गई है और करीब 325 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
  • सीमा पार से ईंधन परियोजना के वाणिज्यिक संचालन से ईंधन की कीमत में प्रति लीटर कम-से-कम एक रुपए की कमी आएगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारत में VIP सुरक्षा

संदर्भ

केंद्र सरकार ने हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दी गई स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (Special Protection Group-SPG) सुरक्षा को औपचारिक रूप से वापस ले लिया है। उल्लेखनीय है कि अब उन्हें जेड-प्लस (Z-Plus) श्रेणी के तहत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (Central Armed Police Force-CAPF) द्वारा सुरक्षा दी जाएगी।

कैसे निर्धारित होती है सुरक्षा की श्रेणी

  • गृह मंत्रालय सुरक्षा श्रेणी से संबंधित यह निर्णय इंटेलिजेंस ब्यूरो (Intelligence Bureau-IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing-RAW) जैसे खुफिया विभागों द्वारा दिये गए इनपुट के आधार पर लेता है।
  • ये दोनों खुफिया विभाग अपने स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर मंत्रालय को बताते हैं कि किसी व्यक्ति को आतंकवादियों या अन्य असामजिक तत्त्वों से किस प्रकार का खतरा है, जिसके बाद गृह मंत्रालय इस पर निर्णय लेता है।
  • इसके अलावा कुछ लोग अपने उच्च स्तरीय पदों के कारण स्वतः ही सुरक्षा के हकदार हो जाते हैं। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैसे पदों पर कार्यरत लोगों को उनके पदों के कारण स्वतः ही सुरक्षा मिलती है।
  • चूँकि कोई भी खुफिया विभाग किसी वैधानिक निकाय के प्रति जवाबदेह नहीं होता, इसलिये कई बार यह माना जाता है VIP सुरक्षा में राजनीतिक कारणों से फेरबदल संभव है।

सुरक्षा के विभिन्न स्तर

  • भारत में मुख्य रूप से 4 प्रकार की सुरक्षा श्रेणियाँ हैं: एक्स (X), वाई (Y), जेड (Z) और जेड प्लस (Z Plus)। इसके अतिरिक्त SPG सुरक्षा भी है जो केवल प्रधानमंत्री और उसके परिवार के लिये होती है, जबकि अन्य सुरक्षा श्रेणियों के तहत किसी भी ऐसे व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है, जिस पर खतरे की आशंका के संबंध में केंद्र या राज्य सरकारों के पास खतरे से जुड़ी कोई जानकारी हो।
    • X सुरक्षा श्रेणी
      • इस सुरक्षा श्रेणी में व्यक्ति की सुरक्षा के लिये 2 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें कोई भी कमांडो शामिल नहीं होता।
    • Y सुरक्षा श्रेणी
      • इस सुरक्षा श्रेणी में व्यक्ति की सुरक्षा के लिये 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें 2 कमांडो भी होते हैं।
    • Z सुरक्षा श्रेणी
      • Z सुरक्षा श्रेणी में लगभग 4 से 5 राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guard-NSG) के कमांडो सहित 22 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं। इसमें दिल्ली पुलिस सहित CRPF के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी शामिल होते हैं।
    • Z Plus सुरक्षा श्रेणी
      • इस प्रकार की सुरक्षा श्रेणी में 55 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें से 10 से अधिक NSG कमांडो होते हैं एवं इसके अतिरिक्त CRPF के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं।

सबसे महत्त्वपूर्ण है SPG सुरक्षा

  • SPG विशेष रूप से प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिये स्थापित एक विशेष दल है।
  • वर्तमान में इस दल में लगभग 3000 सिपाही शामिल हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • SPG को शारीरिक दक्षता और सुरक्षा रणनीति में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त होता है एवं निर्धारित व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये इन्हें केंद्र व राज्य के अन्य सुरक्षा विभागों द्वारा भी सहायता प्रदान की जाती है।
  • प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात SPG कमांडो काले रंग के चश्मे के साथ पश्चिमी शैली का औपचारिक सूट पहनते हैं और हमेशा अपने साथ एक हैंडगन (Handguns) भी रखते हैं। ये विशेष अवसरों पर सफारी सूट भी पहनते हैं।
  • इसके अतिरिक्त SPG में विशेष ऑपरेशन कमांडो भी होते हैं, जिनके पास अल्ट्रा-मॉडर्न असॉल्ट राइफल्स (Ultra-Modern Assault Rifles) सहित इनबिल्ट कम्युनिकेशन ईयरपीस (Inbuilt Communication Earpieces) होते हैं तथा ये विशेष प्रकार के चश्मे पहनते हैं।

SPG का इतिहास

  • वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु के पश्चात् उच्च पदों पर बैठे लोगों की सुरक्षा काफी महत्त्वपूर्ण विषय बन गया था। वर्ष 1985 में इस मुद्दे पर विचार करने हेतु बीरबल नाथ समिति का गठन किया गया, जिसने मार्च 1985 में इस कार्य हेतु विशेष सुरक्षा इकाई (Special Protection Unit-SPU) की स्थापना का सुझाव दिया।
  • जिसके बाद वर्ष 1985 में ही SPU का पुनः नामकरण कर इसे SPG कर दिया गया।
  • तीन वर्षों तक SPG ने कार्यकारी आदेशों के तहत काम किया, जिसके बाद वर्ष 1988 में संसद ने SPG अधिनियम पारित किया, परंतु उस समय इस अधिनियम में पूर्व प्रधानमंत्री को SPG सुरक्षा देने संबंधी कोई प्रावधान नहीं था।
  • वर्ष 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद इस अधिनियम में संशोधन किया गया एवं इसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों व उनके परिवार के लिये SPG सुरक्षा से जुड़ा प्रावधान शामिल किया गया, परंतु यह मात्र 10 वर्षों के लिये ही था।
  • वर्ष 2003 में वाजपेयी सरकार ने अधिनियम में संशोधन कर इस 10 वर्षीय अवधि को 1 वर्ष में परिवर्तित कर दिया। 2003 के संशोधन के अनुसार, इसमें प्रावधान किया गया है कि 1 वर्षीय अवधि पूरी होने के पश्चात् SPG सुरक्षा को खत्म करने या उसकी अवधि को बढ़ाने का निर्णय केंद्र सरकार द्वारा संबंधित व्यक्ति पर खतरे के स्तर के आधार पर लिया जाएगा।
  • साथ ही अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार वाले चाहें तो SPG सुरक्षा से इनकार कर सकते हैं। उदाहरण के लिये पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेटी ने उनके पद छोड़ने के बाद स्वतः ही सुरक्षा से इनकार कर दिया था।

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड

(National Security Guard-NSG)

  • इसकी परिकल्पना वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान भारतीय सेना को पहुँची क्षति के बाद की गई थी।
  • NSG का गठन देश के भीतर संगठित आतंकवादी हमलों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिये एक विशेष कमांडो यूनिट के रूप में किया गया था।
  • यह विशिष्ट परिस्थितियों से निपटने के लिये विशेष रूप से प्रशिक्षित और सुसज्जित होती है तथा इसका उपयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में आतंकवाद के गंभीर कृत्यों को विफल करने के लिये किया जाता है।
  • NSG में कर्मियों और अधिकारियों के दो समूह हैं: स्पेशल एक्शन ग्रुप (Special Action Group-SAG) और स्पेशल रेंजर ग्रुप (Special Ranger Group-SRG)।
  • SAG का कार्य आतंकवाद विरोधी गतिविधियों को अंजाम देना है, वहीं SRG का प्रयोग VIP सुरक्षा के लिये किया जाता है।

कैसे होती है राष्ट्रपति की सुरक्षा?

  • राष्ट्रपति की सुरक्षा उनके अंगरक्षकों द्वारा की जाती है, जिन्हें प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड (President Bodyguard-PBG) कहा जाता है।
  • यह दुनिया में सबसे पुरानी रेजिमेंटों में से एक है, जिसकी स्थापना लगभग 250 वर्ष पूर्व वारेन हैस्टिंग्‍स (Warren Hastings) द्वारा स्वयं की सुरक्षा हेतु की गई थी।
  • उस समय वारेन हैस्टिंग्‍स ने युद्ध कौशल में प्रशिक्षित 50 युवाओं को मुगलिया दरबार से PBG में भर्ती किया था।
  • PBG में लगभग 222 सैनिक शामिल हैं, जिनमें 4 बड़े अधिकारी, 20 जेसीओ (JCO) रैंक के अधिकारी और 198 जवान होते हैं। ये सभी राष्ट्रपति भवन में ही रहते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


यूरेशियन आर्थिक फोरम

चर्चा में क्यों?

10 सितंबर, 2019 को शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) ने चीन के शीआन (Xi’an) शहर में यूरेशियन आर्थिक फोरम (Eurasian Economic Forum) का आयोजन किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस फोरम में संचार, प्रौद्योगिकी और विकास के क्षेत्र में अधिक-से-अधिक सहयोग पर बल दिया गया।
  • भारत ने यूरेशियन आर्थिक फोरम में भाग नहीं लिया।
  • चूँकि यह फोरम चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative-BRI) पर चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिये आयोजित किया गया था, जिसके कारण भारत ने SCO शिखर सम्मेलन में उपस्थित होने के बावजूद इस बैठक में भाग न लेने का निर्णय किया।

यूरेशियन आर्थिक फोरम का महत्त्व

  • वर्तमान में विश्व अर्थव्यवस्था में सकारात्मक विकास के बावजूद अस्थिरता की स्थिति बनी हुई है, जहाँ एक ओर आर्थिक वैश्वीकरण प्रक्रिया को एकतरफा संरक्षणवादी नीतियों का सामना करना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय व्यापार में मौजूद अन्य चुनौतियों के चलते आर्थिक विकास बाधित हो रहा है।
  • इस व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में, पिछले कुछ वर्षों में यूरेशियन आर्थिक फोरम विकास के नए प्रारूपों को तलाशने और सभी क्षेत्रों में पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग को विस्तार देने हेतु एक महत्त्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है।

अर्थशास्त्र और पर्यटन

इस बैठक के अवसर पर अर्थशास्त्र और पर्यटन पर आयोजित एक अन्य बैठक में वक्ताओं ने SCO के सदस्य राज्यों के ‘आठ अजूबों की प्रदर्शनी यात्रा’ (Eight Wonders Exhibition Tour) के विचार को आगे बढ़ाया, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश के अनुरूप एक ऐतिहासिक स्मारक या स्थान को पैम्फलेट (Pamphlet) पर दर्शाया जाएगा।

  • कज़ाख्स्तान (Kazakhstan) के लिये तमगाली के शैलोत्कीर्ण (Petroglyphs of Tamgaly) को चुना गया।
  • चीन के लिये 634 AD में निर्मित तांग राजवंश (Tang Dynasty) के डेमिंग पैलेस (Daming Palace) का चुनाव किया गया।
  • भारत के लिये 182 मीटर की सरदार वल्लभभाई पटेल की एकता की प्रतिमा का चयन किया गया।

प्राचीन रेशम मार्ग/सिल्क रूट

Ancient Silk Route

बैठक में यूरेशिया में प्राचीन ग्रेट सिल्क रोड के नए एवं आधुनिक ढंग से पुनरुद्धार को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।

Silk route

  • यह व्यापार मार्गों (Trade Route) का एक नेटवर्क था जो व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिये दुनिया के प्राचीन क्षेत्रों को एक दूसरे से जोड़ता था।
  • चीन के हान राजवंश (Han dynasty) के शासनकाल के दौरान दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लाकर 14वीं ईस्वी तक नियमित रूप से इसका उपयोग किया जाता था।
  • यह चीन से लेकर भारत होते हुए मेसोपोटामिया, अफ्रीका, ग्रीस, रोम और ब्रिटेन तक विस्तारित है।

यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन

Eurasian Economic Union (EAEU)

  • यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन मुख्यतः उत्तरी यूरेशिया में स्थित राज्यों का आर्थिक संघ है।
  • ई.ए.ई.यू. की स्थापना के लिये हुई संधि पर बेलारूस, कज़ाख्स्तान और रूस के नेताओं ने 29 मई, 2014 को हस्ताक्षर किये थे और 1 जनवरी, 2015 से यह संधि लागू हो गई। आर्मेनिया और किर्गिस्तान को इस समूह में बाद में प्रवेश दिया गया था।
  • वर्ष 1994 में ही कज़ाख्स्तान के राष्ट्रपति नर्सुल्तान नज़रबेयव ने सबसे पहले ‘यूरेशियन यूनियन’ बनाने का विचार प्रस्तुत किया था।
  • EAEU अपनी सीमाओं के भीतर वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी और श्रम के मुक्त आवागमन की सुविधा प्रदान करता है।
  • यह संघ के भीतर संधि और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों द्वारा निर्धारित क्षेत्रों में नीतियों का अनुसरण, समन्वय और सामंजस्य स्थापित करता है।

सदस्य देश:

  • आर्मेनिया
  • बेलारूस
  • कज़ाख्स्तान
  • किर्गिस्तान
  • रूस

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


हेपेटाइटिस-बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और थाईलैंड विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में सफलतापूर्वक हेपेटाइटिस-बी (Hepatitis-B) को नियंत्रित करने वाले पहले देश बन गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • यदि पाँच साल से कम आयु के बच्चों में हेपेटाइटिस-बी का प्रसार 1% से कम हो तो वायरस को नियंत्रित माना जाता है।
  • वर्ष 2002 में यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (Universal Immunisation Programme -UIP) के अंतर्गत हेपेटाइटिस-बी का टीका लगाने और वर्ष 2011 में देश भर में स्केलिंग-अप करने के बाद भी भारत में लगभग 10 लाख लोग प्रतिवर्ष वायरस से संक्रमित होते हैं।
  • कम उम्र में हेपेटाइटिस-बी का संक्रमण होने की स्थिति में लीवर सिरोसिस या लीवर कैंसर का खतरा होता है।
  • शिशु के जन्म के 24 घंटों के अंदर दी जाने वाली हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन माँ से बच्चे में वायरस के उर्ध्व संचरण (Vertical Transmission) को रोकने में मदद करती है।
  • भारत में उर्ध्व संचरण के कारण हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित 70%-80% शिशु वायरस के स्थायी वाहक बन जाते हैं।
  • हालाँकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) ने वर्ष 2008 में जन्म के समय खुराक दिये जाने को मंज़ूरी दी थी। लेकिन वर्ष 2019 के स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, इसकी कवरेज़ वर्ष 2015 में 45% और वर्ष 2016 में 60% रही।
  • कम कवरेज़ का कारण:
    • इसकी एक शीशी 10-खुराक वाली होती है जिसका प्रयोग किया जाना होता है लेकिन वैक्सीन (Vaccine) के व्यर्थ जाने के भय से इसका प्रयोग नहीं किया जाता है।
    • अधिकाँश स्वास्थ्य कर्मचारियों में WHO की वैक्सीन की खुली हुई शीशी के प्रयोग की नीति के बारे में अनभिज्ञता है।
    • यह नीति वैक्सीन की खुली हुई शीशी को निश्चित दशा में 28 दिन तक रखने का समर्थन करती है, ताकि यह दूसरे अन्य शिशुओं को दी जा सके।

हेपेटाइटिस-बी (Hepatitis-B)

  • यह एक वायरल संक्रमण (Viral Infection) है जो लीवर की बीमारी का कारण बन सकता है।
  • यह वायरस जन्म और प्रसव के दौरान माँ से बच्चे में तथा रक्त या शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने के कारण फैलता है।
  • यह लीवर कैंसर का प्राथमिक कारण है।
  • वैक्सीन द्वारा हेपेटाइटिस-बी की रोकाथाम की जा सकती है जो कि एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय हैं।

स्रोत: द हिंदू


एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने 1 अक्तूबर, 2019 से सभी बैंकों के लिये नए फ्लोटिंग रेट (Floating Rate) लोन (व्यक्तिगत/खुदरा ऋण और MSME हेतु ऋण) को एक एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट (External Benchmark Rates) से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था का वर्तमान परिदृश्य:

  • भारत सरकार अर्थव्यवस्था में विकास दर को बढ़ाने के लिये बाज़ार में मुद्रा प्रवाह को बढ़ाना चाहती है, बाज़ार में तरलता बढ़ने से उत्पादन बढ़ेगा, रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे और अंततः विकास दर बढ़ेगी।
  • वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रही है, ऑटोमोबाइल सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित है जिसके कारण इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग बेरोज़गार हो रहे हैं। भारत में रियल एस्टेट सेक्टर और विनिर्माण सेक्टर भी आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर में लगातार गिरावट आ रही है। RBI की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial stability report) के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर वर्ष 2019 की पहली तिमाही में पिछले 5 वर्षों की तुलना में सबसे कम (5.8%) दर्ज की गई है।
  • एशियन डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) के नए अनुमान के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर वर्ष 2019 में 6.8% रहेगी।
  • दक्षिण एशिया और अफ्रीका के कुछ देश पश्चिमी देशों से व्यापार समझौता कर उनके बाज़ारों में अपनी पहुँच स्थापित कर रहे हैं, वर्तमान में वियतनाम-यूरोपीय संघ के बीच समझौता इसका उदाहरण है। इससे भारत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
  • अमेरिका के फेडरल बैंक द्वारा अपनी ब्याज दर बढ़ाने से वहाँ पर निवेश बढ़ने की संभावना है जिससे भारत जैसे विकासशील देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट आने की संभावना है।
  • यूरोप की राजनीतिक स्थिति और आर्थिक संकट से वहाँ के देश आर्थिक मंदी के बुरे दौर से गुज़र रहे हैं। इसलिये वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप भारत की अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने की संभावना है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में अवसंरचना की कमी एक सबसे बड़ी समस्या है जिसको दूर करने के लिये सरकार को बड़े स्तर पर वित्त की आवश्यकता है।
  • कौशल और तकनीक के क्षेत्र में स्वयं को और अधिक विकसित करने के लिये भी बड़ी मात्रा में वित्त की आवश्यकता है।
  • भारत आर्थिक विकास के साथ ही पर्यावरण को लेकर बेहद संवेदनशील रहा है, इसलिये सतत् और संधारणीय विकास के लिये बेहतर तकनीक तथा नीतियों के निर्माण एवं क्रियान्वयन के लिये वित्त की अधिक आवश्यकता होगी।
  • वर्तमान समय की वैश्विक भू-राजनीति के फलस्वरूप भारत को विदेशों से पूंजी प्राप्त करने के बजाय भारत में ही पूंजी निर्माण के बारे में विचार करना चाहिये।

MCLR (Marginal Cost of Fund Based Lending Rate):

  • इसे अप्रैल 2016 में लागू किया गया था। यह न्यूनतम ब्याज दर है जिस पर वाणिज्यिक बैंक ग्राहकों को उधार दे सकते हैं।
  • यह दर चार घटकों- धन की सीमांत लागत (Marginal Cost Of Funds), नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio), परिचालन लागत (Operating Costs) और परिपक्वता अवधि (Tenor Premium) पर आधारित है।
  • MCLR वास्तविक जमा दरों से जुड़ा हुआ है। इसलिये जब जमा दरों में वृद्धि होती है, तो यह इंगित करता है कि बैंकों की ब्याज दर बढ़ने की संभावना है।

MCLR से संबंधित मुद्दे:

  • मौजूदा MCLR ढांँचे के तहत बैंकों की ऋण देने की दर में नीतिगत बदलाव संतोषजनक नहीं रहे हैं।
  • RBI के अनुसार वर्ष 2019 में रेपो दर में 75 आधार अंकों (Basis Points) की कमी की गई थी लेकिन बैंकों के MCLR में केवल 29 आधार अंकों की कमी आई थी।
  • बैंकों का तर्क है कि MCLR के फॉर्मूले की गणना फंड की लागत के आधार पर की जाती है और इस प्रकार रेपो रेट में कटौती के बाद MCLR धीरे-धीरे नीचे आता है।
  • इस बात की प्रबल संभावना है कि RBI बाज़ार में पूंजी के प्रवाह को बढ़ाने के लिये रेपो रेट में और कटौती कर सकता है।
  • एक्सटर्नल बेंचमार्क को पहली बार 2018 में पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल द्वारा प्रस्तावित किया गया था। ब्याज दरों को जोड़ने के एक्सटर्नल बेंचमार्क के लिये मानक 1 अप्रैल से लागू होने वाले थे, लेकिन बैंकों द्वारा विरोध करने के कारण इसे टाल दिया गया था।

एक्सटर्नल बेंचमार्क रेट क्या है?

  • बैंक चार एक्सटर्नल बेंचमार्क- रेपो रेट, तीन महीने का ट्रेजरी बिल यील्ड (Yield), छह महीने का ट्रेजरी बिल यील्ड (Yield) या फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Financial Benchmarks India Private Ltd) द्वारा जारी किसी एक बेंचमार्क को चुन सकते हैं।
  • एक बैंक को एक से अधिक बेंचमार्क अपनाने की अनुमति नहीं है, साथ ही एक्सटर्नल बेंचमार्क के तहत ब्याज दर प्रत्येक तीन महीने में कम-से-कम एक बार पुनः निर्धारित किया जाएगा।
  • MCLR के तहत मौजूदा ऋण के लिये बेस रेट या बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट ( Benchmark Prime Lending Rate) ऋण के पुनर्भुगतान या नवीनीकरण तक जारी रहेंगे।
  • जो ग्राहक रेपो रेट से संबद्ध रेट को अपनाना चाहते हैं वे बैंक के साथ पारस्परिक रूप से स्वीकार्य शर्तों पर ऐसा कर सकते हैं।

फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड

(Financial Benchmarks India Private Ltd)

  • इसे कंपनी अधिनियम 2013 के तहत 9 दिसंबर, 2014 को स्थापित किया गया था।
  • इसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 2 जुलाई, 2015 को एक स्वतंत्र बेंचमार्क व्यवस्थापक के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य भारतीय ब्याज दर और विदेशी मुद्रा बेंचमार्क की समीक्षा के साथ नई बेंचमार्क दरों के लिये नीतियों और प्रक्रियाओं को लागू करना है।
  • इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिये बाज़ार में मुद्रा की तरलता बढ़ाना आवश्यक है, इसलिये RBI द्वारा उठाए गए ये कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को संरचनात्मक मज़बूती देने के साथ ही 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मददगार साबित होंगे

स्रोत: द हिंदू


आधार सक्षम भुगतान सेवाएँ

चर्चा में क्यों?

इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (India Post Payment Bank-IPPB) की पहली वर्षगाँठ के अवसर पर आधार सक्षम भुगतान सेवाएँ (Aadhaar Enabled Payment System-AEPS) शुरू करने की घोषणा की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • AEPS के माध्यम से वित्तीय सेवाओं की पहुँच उन लाखों ग्राहकों तक विस्तारित की जा सकेगी जो बैंकिंग सेवाओं के बजाय अधिकतर नकदी का इस्तेमाल करते हैं तथा बैंकिंग सेवाओं का उपयोग ही नहीं कर पाते।
  • IPPB ने एक वर्ष के भीतर 1 करोड़ ग्राहकों की उपलब्धि हासिल की तथा इसे अगले वर्ष 5 करोड़ ग्राहकों की उपलब्धि हेतु प्रोत्साहित किया गया।
  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benifit Transfer-DBT) मंच पर लाई गई 440 केंद्रीय योजनाओं को IPPB के मंच पर भी लाने की बात कही गई। समावेशन को बढ़ाने हेतु डाक विभाग को सुदूर क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने, वित्त की आवश्यकता वाले लोगों को वित्त मुहैया करवाने हेतु प्रोत्साहन दिया गया।
  • आधार सक्षम भुगतान सेवाओं (AEPS) की शुरुआत के साथ IPPB किसी भी बैंक के ग्राहकों को अंतर-संचालित बैंकिंग सेवाएँ मुहैया करवाने के लिहाज़ से देश में अकेला सबसे बड़ा मंच बन गया है।

आधार सक्षम भुगतान सेवा (AEPS)

  • AEPS सेवाओं के कारण आधार से जुड़े बैंक खाते वाला कोई भी आम इंसान नकद निकासी और शेष राशि की जाँच जैसी बुनियादी बैंकिंग सेवाओं का फायदा ले सकता है, भले ही उसका खाता किसी भी बैंक में हो।
  • इन सेवाओं का फायदा लेने के लिये आधार से जुड़े खाताधारक अपने भुगतान को पूरा करने के लिये केवल फिंगरप्रिंट स्कैन और आधार प्रमाणन के साथ अपनी पहचान को पुष्ट कर सकता है।
  • AEPS सेवाएँ बहुत आसान हैं और एक ऐसे मितव्ययी बुनियादी ढाँचे द्वारा संचालित होती हैं जिसे बिना किसी भेदभाव के समाज के हर वर्ग तक कम लागत में पहुँचाया जा सकेगा तथा इससे 'सच्चे अर्थों में एक समावेशी वित्तीय व्यवस्था' की प्राप्ति होगी।
  • जन धन योजना के तहत 34 करोड़ से भी ज्यादा खाते हैं और इनमें से 22 करोड़ खाताधारक ग्रामीण भारत में हैं। AIPS सेवाओं द्वारा इन खाताधारकों को बैंकिंग सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध कराई जाएंगी।
  • AEPS का लाभ लेते हुए ग्राहक, डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों के माध्यम से नकद निकासी और शेष राशि की जाँच अपने फिंगरप्रिंट के इस्तेमाल के द्वारा अपने दरवाज़े पर कर सकते हैं।
  • IPPB की सेवाएँ अब 136,000 से ज्यादा डाकघरों में उपलब्ध हैं और इनकी आपूर्ति 195,000 से ज़्यादा डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों द्वारा की जाती है। डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों की तकरीबन रोज़ाना हर गाँव तक पहुँचने की योग्यता से बैंकिंग सेवाओँ तक पहुँच की दूरी घटकर '0 किलोमीटर' तक रह गई है जिससे 'आपका बैंक आपके द्वार' की भावना सच में साकार होती है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के बारे में

  • इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) की स्थापना 1 सितंबर, 2018 को संचार मंत्रालय में डाक विभाग के अंतर्गत की गई है जिसकी 100 फीसदी हिस्सेदारी पर भारत सरकार का स्वामित्व है।
  • इस बैंक की स्थापना भारत की आम जनता के लिये सबसे सुलभ, सस्ते और भरोसेमंद बैंक का निर्माण करने के दृष्टिकोण के साथ की गई है। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक का मूल जनादेश यह है कि अधिकतर नकद का इस्तेमाल करने वाले और बैंकिंग सेवाओं का उपयोग न करने वाले लोगों के लिये बैंकिंग सेवाओं से जुड़ी बाधाओं को दूर करे ।
  • IPPB की पहुँच और इसका संचालन मॉडल भारत स्टैक के प्रमुख स्तंभों पर बनाया गया है जो हैं- एकीकृत स्मार्टफोन और बायोमीट्रिक उपकरण के माध्यम से पेपरलेस, कैशलेस और उपस्थिति-हीन बैंकिंग को ग्राहकों के दरवाज़े पर सरल और सुरक्षित तरीके से मुहैया कराना।
  • IPPB 13 भाषाओं में उपलब्ध है तथा यह सहज ज्ञान युक्त इंटरफेसों के माध्यम से सरल और सस्ते बैंकिंग समाधान प्रदान करता है।

IPPB कैशलेश अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने और डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण में योगदान के लिये प्रतिबद्ध है। भारत तभी फलेगा-फूलेगा जब प्रत्येक नागरिक वित्तीय रूप से सुरक्षित और सशक्त होगा। हर ग्राहक महत्त्वपूर्ण है, हर लेन-देन महत्त्वपूर्ण है और हर जमा मूल्यवान है।

स्रोत: PIB


दिल्ली-NCR में हैं सबसे अधिक स्टार्ट-अप

चर्चा में क्यों?

दिल्ली आधारित टाई (The Indus Entrepreneurs-TiE) नामक गैर-सरकारी उपक्रम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-NCR (Delhi NCR) में सक्रिय स्टार्ट-अप की संख्या देशभर में सबसे अधिक हो गई है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-NCR मे कुल 7039 स्टार्ट-अप हैं, जिनका संचयी मूल्य 50 बिलियन डॉलर से अधिक है। उल्लेखनीय है कि इन 7000 से अधिक स्टार्ट-अप को वर्ष 2009 से 2019 के बीच स्थापित किया गया है।
  • इसके अलावा दिल्ली-NCR में कुल 10 यूनिकॉर्न (Unicorns) भी हैं। वहीं बंगलुरु में कुल 9 यूनिकॉर्न हैं।
    • यूनिकॉर्न: वह स्टार्ट-अप जिसका मूल्य 1 बिलियन डॉलर से अधिक हो।
  • दिल्ली-NCR के अतिरिक्त देश के अन्य हिस्सों जैसे बंगलुरु और मुंबई में स्टार्ट-अप की संख्या क्रमशः 5234 और 3829 है।
  • दिल्ली-NCR में सबसे अधिक 2650 स्टार्ट-अप उपभोक्ता उत्पाद और सेवा क्षेत्र में हैं।
  • उल्लेखनीय है कि इस रिपोर्ट में दिल्ली-NCR के तहत दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम को शामिल किया गया है।

स्टार्टअप क्या हैं ?

स्टार्टअप का तात्पर्य किसी उद्यम के जीवन चक्र के प्रारंभिक चरण से है जहाँ एक उद्यमी कोई उद्यम स्थापित करने के विचार से वित्तपोषण हासिल करने की ओर आगे बढ़ता है, व्यवसाय की रूपरेखा तैयार करता है और उद्यम का संचालन या व्यापार शुरू करता है।

India's Incubators

रिपोर्ट में रेखांकित चिंताएँ

  • दिल्ली-NCR सहित पूरे भारत में नए स्टार्ट-अप की स्थापना की गति पिछले दो वर्षों में काफी धीमी हो गई है।
    • आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015 में जहाँ पूरे भारत में स्थापित कुल स्टार्ट-अप की संख्या 6679 थीं वहीं वर्ष 2018 में यह संख्या घटकर 2036 पर पहुँच गई।
    • यदि सिर्फ दिल्ली NCR की बात करें तो वर्ष 2015 में यहाँ कुल 1657 स्टार्ट-अप स्थापित हुए थे जबकि वर्ष 2018 में यह संख्या घटकर 420 पर पहुँच गई।
  • साथ ही दिल्ली में अन्य स्टार्ट-अप हब की अपेक्षा फ्रेश टैलेंट की भी कमी है।
    • बंगलूरु में प्रत्येक वर्ष स्टार्ट-अप से जुड़ने के लिये लगभग 95000 स्नातक तैयार होते हैं, वहीं दिल्ली में यह संख्या मात्र 35000 है।

दिल्ली-NCR स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के लिये वर्ष 2025 का लक्ष्य

  • दिल्ली-NCR को वैश्विक स्टार्ट-अप हब बनाना।
  • यहाँ लगभग 12000 सक्रीय स्टार्ट-अप स्थापित करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • लगभग 30 यूनिकॉर्न।
  • स्टार्ट-अप की कुल संचित पूंजी को 150 बिलियन डॉलर के पार ले जाना।

स्रोत: द हिंदू


विषुवतीय हिंद महासागर दोलन (Oscillation)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूरु ने विषुवतीय हिंद महासागर दोलन (Equatorial Indian Ocean Monsoon Oscillation- EQUINOO) और भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून पर इसके प्रभावों के बारे में एक अध्ययन जारी किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • विषुवतीय हिंद महासागर दोलन (EQUINOO) का सकारात्मक होना भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून के अनुकूल माना जाता है। वर्ष 2019 के ग्रीष्मकालीन मानसून के देरी से आने के बाद भी प्रभावशाली होने में EQUINOO की सकारात्मक भूमिका रही है।
  • EQUINOO के दौरान पश्चिमी विषुवतीय हिंद महासागर (Western Equatorial Indian Ocean- WEIO) में बादलों के निर्माण और वर्षा पर सकारात्मक प्रभाव तथा सुमात्रा के पश्चिम में स्थित पूर्वी विषुवतीय हिंद महासागर (Eastern Equatorial Indian Ocean- EEIO) में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • पश्चिमी विषुवतीय हिंद महासागर में तापमान 27.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होने पर यहाँ सकारात्मक EQUINOO होता है और ठीक इसी समय पूर्वी विषुवतीय हिंद महासागर में मानसून पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • पश्चिमी विषुवतीय हिंद महासागर में EQUINOO के सक्रिय होने के कारण अफ्रीकी तट के पूर्वी भाग और भारत में अच्छी वर्षा होती है।

भारत के मानसून को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक:

  • एल नीनो और ला नीना: ये प्रशांत महासागर के पेरू तट पर होने वाली परिघटनाएँ है । एल नीनो के वर्षों के दौरान समुद्री सतह के तापमान में बढ़ोतरी होती है और ला नीना के वर्षों में समुद्री सतह का तापमान कम हो जाता है। सामान्यतः एल नीनो के वर्षों में भारत में मानसून कमज़ोर जबकि ला नीना के वर्षों में मानसून मज़बूत होता है।
  • हिंद महासागर द्विध्रुव: हिंद महासागर द्विध्रुव के दौरान हिंद महासागर का पश्चिमी भाग पूर्वी भाग की अपेक्षा ज़्यादा गर्म या ठंडा होता रहता है। पश्चिमी हिंद महासागर के गर्म होने पर भारत के मानसून पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जबकि ठंडा होने पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • मेडेन जुलियन दोलन (OSCILLATION): इसकी वजह से मानसून की प्रबलता और अवधि दोनों प्रभावित होती हैं। इसके प्रभावस्वरूप महासागरीय बेसिनों में उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की संख्या और तीव्रता भी प्रभावित होती है, जिसके परिणामस्वरूप जेट स्ट्रीम में भी परिवर्तन आता है। यह भारतीय मानसून के संदर्भ में एल नीनो और ला नीना की तीव्रता और गति के विकास में भी योगदान देता है।
  • चक्रवात निर्माण: चक्रवातों के केंद्र में अति निम्न दाब की स्थिति पाई जाती है जिसकी वजह से इसके आसपास की पवनें तीव्र गति से इसके केंद्र की ओर प्रवाहित होती हैं। जब इस तरह की परिस्थितियाँ सतह के नज़दीक विकसित होती हैं तो मानसून को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। अरब सागर में बनने वाले चक्रवात, बंगाल की खाड़ी के चक्रवातों से अधिक प्रभावी होते हैं क्योंकि भारतीय मानसून का प्रवेश प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में अरब सागर की ओर होता है।
  • जेट स्ट्रीम: जेट स्ट्रीम पृथ्वी के ऊपर तीव्र गति से चलने वाली हवाएँ हैं, ये भारतीय मानसून को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (11 September)

  • ग्रेटर नोएडा में संपन्न हुई संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन की 14वीं बैठक (UNCCD COP 14) में शोधकर्त्ताओं ने चेतावनी देते हुए बताया कि भारतीय चीता, गुलाबी सिर वाली बत्तख और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भारत में मरुस्थलीकरण के कारण विलुप्त हो सकते हैं तथा कई अन्य जानवर एवं पक्षी गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की श्रेणी में आ गए हैं। ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पास 5.6 मिलियन से अधिक नमूनों के लिये एक डेटाबेस है, जो आज़ादी से पहले पूरे भारत से और पड़ोसी देशों से एकत्र किये गए हैं। जियो-स्पेशल प्लेटफॉर्मों में इनके वितरण को देखने पर पता चलता है कि वनों की कटाई और मरुस्थलीकरण के प्रभाव के कारण इसका क्या प्रभाव पड़ा है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार, मरुस्थलीकरण न केवल जानवरों पर बल्कि संपूर्ण जैव विविधता को प्रभावित करता है। इससे सूक्ष्म जीव से लेकर मानव तक शामिल हैं। इस मरुस्थलीकरण से पूरी खाद्य शृंखला/फूड चेन प्रभावित होती है। यह भी बताया गया कि भारत भूमि क्षरण के बढ़ते संकट का सामना कर रहा है। वनों की कटाई, अत्यधिक खेती, मिट्टी के कटाव और आर्द्रभूमि के क्षय के माध्यम से इसके भू-भाग का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा खराब हो गया है, जबकि भारत में कुछ सबसे कमज़ोर पारिस्थितिक तंत्र पाए जा सकते हैं।
  • प्रतिवर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (WSPD) मनाया जाता है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन तथा NGO आत्महत्या निषेध अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा आयोजित किया जाता है। इस वर्ष इस दिवस की थीम Working Together to Prevent Suicide रखी गई है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य इस तथ्य के बारे में लोगों के बीच जागरूकता उत्पन्न करना है कि आत्महत्या को रोका जा सकता है। WHO के मुताबिक विश्व में हर साल करीब लाखों लोग वाह्य एवं आंतरिक कारणों के चलते आत्महत्या करते हैं। औसतन हर 30 मिनट पर आत्महत्या से एक मौत और प्रत्येक दो मिनट पर इसकी कोशिश की जाती है। WHO के आँकड़ों से पता चलता है कि भारत में हर साल लाखों लोग आत्महत्या करते हैं तथा भारत में आत्महत्या की रोकथाम के लिये एक राष्ट्रीय योजना की ज़रूरत है।
  • दक्षिण भारत, विशेषकर केरल का सबसे लोकप्रिय पर्व ओणम प्रायः सितंबर माह के पहले पखवाड़े में मनाया जाता है। इस वर्ष ओणम त्योहार का सबसे खास दिन तिरु ओणम पूरे केरल में 11 सितंबर को मनाया गया। यह राज्य का कृषि पर्व कहलाता है तथा इसे मुख्य तौर पर मलयाली हिन्‍दू मनाते हैं। ओणम मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम से शुरू होता है, इसलिये इसे मलयाली हिंदुओं का नववर्ष भी कहा जाता है। लगभग 10-12 दिन के इस त्योहार का पहला और आखिरी दिन सबसे महत्त्वपूर्ण होता है। इस वर्ष ओणम 1 सितंबर को शुरू हुआ और 13 सितंबर को समाप्त होगा। यह त्यौहार असुर राजा महाबलि के पुनः घर आगमन का भी प्रतीक है। ओणम पर 26 पकवानों वाले सद्या को केले के पत्ते पर खास तरीके व क्रम में परोसा जाता है, जिसे सद्या थाली कहते हैं और यह ओणम का सबसे महत्त्वपूर्ण आयोजन होता है।
  • फ्रेंच ओपन विजेता स्पेन के राफेल नडाल ने रूस के दानिल मेदवेदेव को हराकर यूएस ओपन 2019 में पुरुषों का एकल मुकाबला जीत लिया। 5 घंटे तक चले 5 सेट का मुकाबला जीतने वाले नडाल का यह चौथा यूएस ओपन खिताब है। इससे पहले उन्होंने वर्ष 2010, 2013 और 2017 में यूएस ओपन का खिताब जीता था। यह इस वर्ष उनका दूसरा ग्रैंड स्लेम है, वह इस वर्ष फ्रेंच ओपन खिताब भी जीत चुके हैं। महिला वर्ग में 23 बार की ग्रैंड स्लेम विजेता अमेरिका की सेरेना विलियम्स को 15वीं रैंकिंग वाली 19 वर्षीय कनाडा की बियांका आंद्रेस्कू ने फाइनल मुकाबले में हराकर इतिहास रच दिया। पहली बार यह प्रतियोगिता अमेरिका में वर्ष 1881 में अगस्त के महीने में न्यूपोर्ट में खेली गई और वर्ष 1918 तक इसका आयोजन न्यूपोर्ट में ही हुआ। महिलाओं का एकल पहली बार वर्ष 1887 में फिलाडेल्फिया में खेला गया। वर्ष 1919 में इस प्रतियोगिता का स्थान बदलकर फॉरेस्ट हिल टेनिस क्लब न्यूयॉर्क कर दिया गया। लॉन टेनिस में टाई ब्रेकर को अपनाने वाली यह पहली बड़ी प्रतियोगिता थी।
  • ज़िम्बाब्वे के संस्थापक एवं पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे का 95 वर्ष की आयु में सिंगापुर में निधन हो गया। बढ़ते उग्रवाद और आर्थिक प्रतिबंधों के कारण रोडेशिया सरकार के वार्ता के लिये सहमत होने के बाद वर्ष 1980 के चुनावों में पूर्व राजनीतिक कैदी और गुरिल्ला युद्ध के नेता रॉबर्ट मुगाबे सत्ता में आए थे। रॉबर्ट मुगाबे ने 37 सालों तक ज़िम्बाब्वे का नेतृत्व किया था वह वर्ष 1980 से 1987 तक प्रधानमंत्री तथा वर्ष 1987 से 2017 तक राष्ट्रपति रहे थे। नवंबर 2017 में एक सैन्‍य तख्तापलट में उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। विदित हो कि ज़िम्बाब्वे को पहले दक्षिण रोडेशिया, रोडेशिया, रोडेशिया गणराज्य और ज़िम्बाब्वे रोडेशिया के नाम से जाना जाता था। ज़िम्बाब्वे अफ़्रीकी महाद्वीप के दक्षिणी भाग में स्थित एक भू-आबद्ध (Landlock) देश है। इसकी सीमाएँ दक्षिण में दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिम में बोत्सवाना पश्चिमोत्तर में ज़ाम्बिया और पूर्व में मोज़ाम्बिक से मिलती हैं।