विविध
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक
चर्चा में क्यों?
विनिर्माण क्षेत्र में मंदी की वज़ह से पिछले 21 महीनों में पहली बार औद्योगिक वृद्धि मार्च में घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत थी जी वित्तीय वर्ष 2018-2019 में घटकर 3.6 प्रतिशत रह गई।
- अनुमानों के अनुसार, तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत थी जो चौथी तिमाही में घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई।
- हालाँकि उद्योग के आठ प्रमुख क्षेत्रों (जिनका सूचकांक में 40 प्रतिशत का योगदान है) ने 4.7 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की है।
- किंतु निर्माण गतिविधियों में सुस्ती और खनन में वृद्घि धीमी रहने से औद्योगिक वृद्घि की रफ्तार प्रभावित हुई है।
- इससे वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी की वृद्घि पर प्रभाव पड़ सकता है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक
(Index of Industrial Production)
- यह सूचकांक अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के विकास का विवरण प्रस्तुत करता है, जैसे कि खनिज खनन, बिजली, विनिर्माण आदि।
- इसे केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।
- IIP एक समग्र संकेतक है जो कि प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) एवं उपयोग आधारित क्षेत्र के आधार पर आँकडें उपलब्ध कराता है।
इसमें शामिल आठ प्रमुख क्षेत्र (Core Sectors) निम्नलिखित हैं:
- रिफाइनरी उत्पाद (Refinery Products)
- विद्युत (Electricity)
- इस्पात (Steel)
- कोयला (Coal)
- कच्चा तेल (Crude Oil)
- प्राकृतिक गैस (Natural Gas)
- सीमेंट (Cement)
- उर्वरक (Fertilizers)
- अप्रैल 2017 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का आधार वर्ष 2004-05 से संशोधित कर 2011-12 कर दिया गया है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO)
- विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के सांख्यिकीय गतिविधियों के मध्य समन्वयन एवं सांख्यिकीय मानकों के संवर्द्धन हेतु मई 1951 में ‘केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ (CSO) की स्थापना की गई थी।
- यह राष्ट्रीय खातों को तैयार करने, औद्योगिक आँकड़ों को संकलित एवं प्रकाशित करने के साथ ही आर्थिक जनगणना एवं सर्वेक्षण कार्य भी आयोजित करता है।
- यह देश में सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की सांख्यिकीय निगरानी के लिये भी उत्तरदायी है।
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
पॉली डाइकेटोनेमाइन या PDK प्लास्टिक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने एक नए प्रकार का प्लास्टिक तैयार किया है जिसका पूर्ण रूप से पुनर्चक्रण किया जा सकेगा। गौरतलब है कि इसे पॉली (डाइकेटोनेमाइन)/(Poly Diketoenamine) या PDK नाम दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- पत्रिका ‘नेचर केमिस्ट्री’ में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने एक ऐसा प्लास्टिक बनाया है जिसके बार-बार पुनर्चक्रण के पश्चात् भी गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आएगी।
- शोधकर्त्ताओं का मानना है कि पॉली (डाइकेटोनेमाइन)/(Poly Diketoenamine) या PDK प्लास्टिक को सान्द्र अम्लीय विलयन में डुबोकर उसे बुनियादी घटकों में पूरी तरह से तोड़ा जा सकता है।
- अम्ल एकलक को एडिटिव्स से अलग करता है जो प्लास्टिक को एक विशिष्ट आकार देता हैं।
एकलक
- एकलक (मोनोमर) ऐसा कार्बनिक यौगिक होता है जो बहुलकीकरण (पॉलीमराइजेसन) के माध्यम से बहुलक (पॉलीमर) बनता है।
- उदाहरण- पाइथिलीन, टेफ्लान, पालीविनाइल क्लोराइड।
- वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए उक्त प्लास्टिक के एकलकों को पुनः उपयोग के लिये प्राप्त किया जा सकता है या किसी अन्य उत्पाद को बनाने हेतु पुनर्चक्रित किया जा सकता है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्लास्टिक वर्तमान में उपयोग में लाए जा रहे प्लास्टिक का विकल्प बन सकता है।
- पारंपरिक प्लास्टिक में आमतौर पर अपरिवर्तनीय रासायनिक बंधन होते हैं, जबकि पॉली (डाइकेटोनेमाइन)/(Poly Diketoenamine) या PDK में ऐसे परिवर्तनीय रासायनिक बंधन होते हैं जो प्लास्टिक को अधिक प्रभावी ढंग से पुनर्चक्रित करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
- पॉली (डाइकेटोनेमाइन)/(Poly Diketoenamine) या PDK प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या से जूझ रही दुनिया के लिये काफी मददगार साबित हो सकता है।
- वर्तमान में विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 300 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है।
स्रोत- टाइम्स ऑफ इंडिया
भारतीय राजव्यवस्था
निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक
संदर्भ-
हाल ही में निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिये पश्चिम बंगाल में विशेष पर्यवेक्षक और केंद्रीय पुलिस पर्यवेक्षक के तौर पर दो सेवानिवृत्त नौकरशाहों की नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार एवं अन्य से जवाब मांगा है।
प्रमुख बिंदु-
- यह याचिका पश्चिम बंगाल के बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र के एक निर्दलीय उम्मीदवार द्वारा दायर की गई।
- इस याचिका की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई एवं न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने की।
- याचिकाकर्त्ता ने आरोप लगाया कि चुनाव के समय इन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति एक पक्ष को लाभ पहुँचाने के लिये की गई।
- याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि दोनों पर्यवेक्षकों की नियुक्ति जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम1951 के तहत निर्धारित अनिवार्य अहर्ताओं को पूरा नहीं करती।
चुनाव आयोग पर्यवेक्षक कौन होता है?
पर्यवेक्षकों का चयन विभिन्न केंद्रीय सेवाओं से किया जाता है जैसे- भारतीय राजस्व सेवा, भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा। ये पर्यवक्षक चुनाव प्रक्रिया के समापन तक निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं।
नियुक्ति
- अगस्त 1996 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में एक नई धारा 20B को जोड़ने हेतु संशोधन किया गया। जो पर्यवेक्षकों को चुनाव के संचालन, विशेष रूप से वोटों की गिनती के संबंध में वैधानिक शक्तियाँ प्रदान करता है।
- पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के संबंध में भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20B और भारत के संविधान के तहत समस्त शक्तियों प्राप्त हैं।
- ये आयोग के सदस्य होते हैं, जो नियुक्ति से लेकर चुनाव प्रक्रिया पूर्ण होने तक आयोग के अधीक्षण, नियंत्रण और अनुशासन में कार्य करते हैं।
भूमिका और कर्त्तव्य
- विशेष पर्यवेक्षक और पुलिस पर्यवेक्षक चुनावों के स्वतंत्र और निष्पक्ष संचालन में आयोग की सहायता करते हैं।
- ये पर्यवेक्षक अपने क्षेत्र में ज़मीनी स्तर पर चुनावी प्रक्रिया के कुशल और प्रभावी प्रबंधन की भी देखरेख करते हैं।
- आयोग के सभी उद्देश्यों की पूर्ति हेतु चुनाव अवधि के दौरान ये आयोग की आँख और कान के रूप में कार्य करते हैं और चुनाव मशीनरी, उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों, तथा निर्वाचकों के संबंध में आयोग को सीधे सूचनाएँ प्रदान करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदान के समय चुनाव से संबंधित नियमों, प्रक्रियाओं, निर्देशों का निष्पक्ष रूप से पालन हो।
भारत निर्वाचन आयोग- भारत का निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं के संचालन के लिये जिम्मेदार है। यह आयोग भारत में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव आयोजित करता है। वर्तमान में सुनील अरोड़ा मुख्य चुनाव आयुक्त है।
जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951- निर्वाचन आयोग का पर्यवेक्षक जो कि सरकार का अधिकारी होगा। किसी निर्वाचन क्षेत्र या निर्वाचन क्षेत्रों के समूह में निर्वाचन/निर्वाचनों के संचालन की निगरानी करेगा और ऐसे कृत्यों का पालन करेगा जो निर्वाचन आयोग द्वारा उसे सौंपे गए हैं।
स्रोत- ‘द हिन्दू’
जैव विविधता और पर्यावरण
चक्रवात फणी के कारण चिल्का झील में चार नए मुहाने
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के पूर्वी तट पर आए 'चक्रवात फणी’ के कारण चिल्का झील में चार नए मुहाने बन गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- ओडिशा तट पर चक्रवात फणी के टकराने से पहले चिल्का झील के केवल दो मुहाने सक्रिय थे, ये ऐसे बिंदु होते हैं जहाँ झील समुद्र से मिलती है। लेकिन, अब उच्च ज्वारीय प्रिज्म युक्त तरंग ऊर्जा के कारण चार नए मुहाने खुल गए हैं।
- इन नए मुहानों के खुलने के कारण बहुत अधिक मात्रा में समुद्री जल चिल्का झील में प्रवेश कर रहा है, जिससे चिल्का लैगून की लवणता में वृद्धि होती जा रही है।
- चिल्का झील के जल में खारापन है, लेकिन एक निश्चित स्तर से अधिक लवणता होने पर इस झील के पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन की संभावना है।
- यदि समुद्री जल झील में प्रवेश करता है तो इससे मछलियों के प्रवासन में बढ़ोतरी होगी, जिससे जैव-विविधता समृद्ध होगी। लेकिन, इसके दीर्घकालिक प्रभावों के संबंध में विशेष रूप से सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
चिल्का झील
- ओडिशा की चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी एवं विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है।
- यह एक अनूप झील है, अर्थात् यह समुद्र का ही एक भाग है जो महानदी द्वारा निक्षेपित गाद के जमाव के कारण समुद्र से छिटक कर एक छिछली झील के रूप में विकसित हो गई है।
- यह खारे पानी की एक लैगून है, जो भारत के पूर्वी तट पर ओडिशा राज्य के पुरी, खुर्दा और गंजम ज़िलों में विस्तारित है।
- यह भारत की सबसे बड़ी तटीय लैगून है।
- यह झील रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की 'आर्द्रभूमि' के रूप में नामित है।
स्रोत- टाइम्स ऑफ इंडिया
जैव विविधता और पर्यावरण
व्हाइट-थ्रोटेड रेल
चर्चा में क्यों?
सफेद गले वाली रेल (White-Throated Rail) या कुवियर की रेल, रैलिडी (Rallidae) परिवार की एक पक्षी प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘Dryolimnas Cuvieri’ है। यह पक्षी प्रजाति कोमोरोस, मेडागास्कर, मायोटी और सेशेल्स में पाई जाती है।
- उड़ने में अक्षम उप-प्रजाति एल्डेब्रा (Aldabra) रेल (एल्डेब्रा में पाई जाने वाली) और अज़म्पशन (Assumption) की अज़म्पशन रेल 20वीं शताब्दी की शुरुआत में इनके अत्यधिक शिकार किये जाने के कारण विलुप्त हो गई।
- यह जीनस ड्रायोलिमनस (Genus Dryolimnas) का अंतिम जीवित सदस्य है और माना जाता है कि यह हिंद महासागर में अंतिम उड़ने में अक्षम पक्षी (Flightless Bird) है।
- इसके प्राकृतिक आवास उपोष्णकटिबंधीय या उष्णकटिबंधीय नम भूमि वन और उपोष्णकटिबंधीय या उष्णकटिबंधीय मैंग्रोव वन हैं।
- यह IUCN की रेड लिस्ट में कम चिंतनीय का दर्जा प्राप्त है।
पृष्ठभूमि
- हाल ही में प्रकाशित एक शोध-पत्र में हिंद महासागर के समीप रहने वाले ऐसे जीवों की पहचान की गई है, जिनमें ‘पुरावृत्त विकास’ या इटेरेटिव इवोल्यूशन (Iterative Evolution) की प्रवृत्ति देखने को मिली है। वैज्ञानिकों ने इन जीवों के दोबारा पृथ्वी पर लौटने की प्रक्रिया को दुर्लभ करार दिया है।
- जीवों की विलुप्ति और पुनर्जीवन की प्रक्रिया दस लाख सालों में एक या दो बार देखने को मिलती है।
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार, शुरुआती समय में ‘रेल’ पक्षी उड़ पाता था लेकिन धीरे-धीरे इसके पंखों की शक्ति क्षीण होती गई, हालाँकि इस प्रक्रिया में कई हज़ार वर्षों का समय लगा।
- ‘रेल’ की शेष प्रजातियाँ दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर के एक द्वीप मेडागास्कर में पाई गई हैं। अनुमान है कि तकरीबन 40 लाख वर्ष पहले जब इनकी संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई होगी तो इन पक्षियों ने पलायन का रास्ता अपनाया होगा।
- इनकी विलुप्ति का एक कारण यह भी है कि इनमें से कई पक्षी ऐसे भी होंगे जो मेडागास्कर के उत्तर या दक्षिण की ओर प्रवास के समय लंबे समुद्री मार्ग में डूब गए होंगे और अफ्रीका के पश्चिमी क्षेत्रों में प्रवास करने वाले पक्षियों का शिकारियों द्वारा शिकार कर लिया गया होगा।
- परंतु, वे पक्षी जो पूर्व की ओर एटोल द्वीप पर पहुँचे होंगे, उनका जीवन अन्य की अपेक्षा सरल रहा होगा। इस द्वीप पर शिकारियों की मौजूदगी न होने के कारण यहाँ इनकी आबादी में वृद्धि हुई होगी।
· धीरे-धीरे ये मॉरीशस के डोडो पक्षी की भाँति विकसित हुए होंगे और बाद में यह प्रजाति 'रेल' के रूप में रूपांतरित हो गई होगी। - शोधकर्त्ताओं एक अनुसार, आज से करीब 136,000 वर्ष पहले आई एक बाढ़ के दौरान ‘रेल’ और ‘एल्डेब्रा’ जैसे जीव एवं कई अन्य वनस्पतियाँ समुद्र में दफन हो गई होंगी। शोधकर्त्ताओं को एटोल द्वीप के समीप एक लाख साल पुराने जीवाश्म प्राप्त हुए हैं जो इस कथन की सत्यता को स्थापित करते हैं।
- इन जीवाश्मों के अध्ययन से यह अनुमान लगाया गया कि यह किसी समय में ‘रेल’ प्रजाति के पक्षी रहे होंगे।
- इन जीवाश्मों से यह स्पष्ट हो जाता हैं कि किसी समय में मेडागास्कर के समीप 'रेल' प्रजाति की कॉलोनियाँ रही होंगी, जो समय के साथ किन्हीं कारणों से विलुप्त हो गई होंगी।
स्रोत- टाइम्स ऑफ इंडिया
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (11 May)
- विश्व अस्थमा दिवस प्रतिवर्ष मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस वर्ष 7 मई को इस दिवस का आयोजन किया गया। अस्थमा के रोगियों को आजीवन कुछ सावधानियाँ अपनानी पड़ती हैं तथा हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है। इसी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये इस दिवस का आयोजन किया जाता है। 1998 में पहली बार Global Initiative for Asthma ने इसका आयोजन बार्सिलोना में हुई प्रथम विश्व अस्थमा बैठक के बाद किया था। विश्व अस्थमा दिवस 2019 की थीम STOP for Asthma रखी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में 100 से 150 मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित हैं और भारत में इससे प्रभावित लोगों की संख्या 15-20 मिलियन तक पहुँच गई है।
- अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ईरान से तेल खरीदने वाले देशों को मिलने वाली छूट खत्म होने के बाद भारत में तेल की आपूर्ति सामान्य बनाए रखने के लिये सऊदी अरब स्थित दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी सऊदी अरामको ने भारत को अतिरिक्त कच्चे तेल की आपूर्ति करने का प्रस्ताव दिया है। सऊदी अरामको ने भारत की तेल सप्लाई को रोज़ाना 2 लाख बैरल तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। यह ईरान से आयात होने वाले तेल का आधा होगा। 2 लाख बैरल प्रतिदिन तेल का अर्थ है एक साल में 1 करोड़ टन तेल। भारत ने पिछले वित्त वर्ष में ईरान से 2.39 करोड़ टन तेल आयात किया था। इस लिहाज़ से इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत को तेल निर्यात करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया था। लेकिन ईरान जिन शर्तों और सहूलियतों के साथ भारत को तेल बेचता था, सऊदी अरामको भी उन्हीं शर्तों को मानेगा, इसकी संभावना बहुत कम है। ईरान भारतीय रिफाइनरीज़ को 60 दिनों का क्रेडिट और फ्रेट व इंश्योरेंस पर भी भारी डिस्काउंट देता था। दूसरी तरफ, सऊदी अरब भारत को तेल निर्यात करने पर एशियन प्रीमियम चार्ज करता है। एशियन प्रीमियम वह सर्वोच्च दर है जिस पर ओपेक देश एशियाई देशों को तेल मुहैया कराते हैं।
- पनामा के पूर्व मंत्री सोशल डेमोक्रैट लॉरेंटिनो कोर्टिजो राष्ट्रपति चुनाव में विजयी हुए हैं। दरअसल, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच जीत का अंतर बहुत ही कम था जिसके चलते पनामा के चुनाव अधिकरण की ओर से परिणामों की घोषणा में विलंब हुआ। कुल लगभग 90.9 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें से 33 प्रतिशत मत पाकर कोर्टिजो सबसे आगे रहे। लॉरेंटिनो कोर्टिजो राष्ट्रपति जुआन कार्लोस वारेला की जगह लेंगे। पनामा के संविधान के अनुसार, एक व्यक्ति सिर्फ एक बार पाँच साल के कार्यकाल के लिये ही राष्ट्रपति बन सकता है। ज्ञातव्य है कि पनामा एक मध्य अमेरिकी देश है, जिसकी राजधानी पनामा सिटी है।
- सिंगापुर ने फ़र्ज़ी खबरों (Fake News) पर रोक लगाने के लिये एक कानून पारित किया है। इसमें फेक न्यूज़ के प्रकाशन को अपराध करार देते हुए सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह इस तरह की सामग्री पर रोक लगाने और हटाने का आदेश दे सकती है। इसका उल्लंघन करने वालों को 10 साल तक की जेल की सज़ा और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। इसमें उन झूठी खबरों पर प्रतिबंध लगाया गया है, जो सिंगापुर के लिये हानिकारक या चुनावों को प्रभावित कर सकती हैं। आपको बता दें कि दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेशिया पहला ऐसा देश है जिसने फेक न्यूज़ को लेकर कानून लागू किया है।
- छत्तीसगढ़ पुलिस ने पहली बार नक्सल विरोधी मुहिम के लिये महिला डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड (DRG) यूनिट का गठन किया है। महिलाओं के इस दस्ते का नाम दंतेश्वरी लड़ाके रखा गया है। महिला DRG की पहली टीम का गठन दंतेवाड़ा ज़िले में किया गया है। 30 महिलाओं की इस यूनिट का नेतृत्व डीएसपी दिनेश्वरी नंद को सौंपा गया है। इन महिलाओं को जंगल वॉर की पूरी ट्रेनिंग दी गई है। इस टीम में 10 ऐसी महिलाएँ शामिल हैं जो पहले नक्सली थीं और बाद में सरेंडर करके मुख्यधारा में शामिल हो गईं। DRG टीमों में आमतौर पर सरेंडर कर चुके नक्सलियों को शामिल किया जाता है, जिन्हें नक्सल कैंपों की अच्छी जानकारी रहती है।
- भारत में कानून की शिक्षा के पितामह माने जाने वाले पद्मश्री से सम्मानित एन.आर. माधव मेनन का तिरुवनंतपुरम में 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने केरल विश्वविद्यालय से B.Sc. और BL की डिेग्री हासिल की। इसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय से MA और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय सेLLM और PhD करने के बाद उन्होंने अध्यापन कार्य शुरू किया और 1960 में AMU में फैकल्टी के तौर पर शामिल हुए। 1965 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय का रुख किया और कैम्पस लॉ सेंटर के अगुआ बने। 1986 में उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आग्रह पर बंगलुरु में NLSIU की स्थापना की और 12 साल तक उसके संस्थापक कुलपति रहे। वह भोपाल की राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के संस्थापक निदेशक भी थे। इंटरनेशनल बार एसोसिएशन ने 1994 में उन्हें ‘लीविंग लेजेंड ऑफ लॉ अवार्ड’ से सम्मानित किया था।
- प्रख्यात अर्थशास्त्री और शिक्षाविद वैद्यनाथ मिश्र का 99 वर्ष की आयु में भुवनेश्वर में निधन हो गया। ओडिशा के सामाजिक विकास में दिया गया उनका योगदान अतुलनीय माना जाता है। उन्होंने लेक्चरर के रूप में अपने करियर की शुरुआत कटक के रावेनशॉ यूनिवर्सिटी से 1949 में की थी। बाद में उन्होंने ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी में काम किया। वह 1981 से 1985 के बीच यहाँ के कुलपति रहे। वैद्यनाथ मिश्र 1985 से 1990 के बीच राज्य योजना बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे।