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डेली न्यूज़

  • 11 Apr, 2019
  • 23 min read
शासन व्यवस्था

ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने के लिये कानून की मांग

चर्चा में क्यों?

वाणिज्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय से देश में ई-सिगरेट के विनिर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने हेतु एक कानून बनाने के लिये कहा है क्योंकि देश में ऐसे कानून की अनुपस्थिति में इसके आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना संभव नहीं होगा।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय को इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS) के आयात पर प्रतिबंध लगाने हेतु एक अधिसूचना जारी करने को कहा था, जिसमें ई-सिगरेट के साथ ही फ्लेवर्ड हुक्का पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल हैं।
  • वैधानिक तरीके से देश में इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ENDS) की बिक्री और विनिर्माण पर प्रतिबंध लगाए बिना, आयात पर प्रतिबंध लगाना वैश्विक व्यापार मानदंडों का उल्लंघन होगा जिससे बचने हेतु वाणिज्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय से कानून बनाने के लिये कहा है।

पृष्ठभूमि

  • अगस्त 2018 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) को इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम के विनिर्माण, बिक्री और आयात को रोकने के लिये एक एडवाइज़री जारी की थी, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘देश में ई-सिगरेट के उभरते नए खतरे से निपटने’ में देरी करने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की थी।
  • केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन ने राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में सभी ड्रग्स कंट्रोलर्स को अपने अधिकार क्षेत्र में ई-सिगरेट और फ्लेवर्ड हुक्का सहित इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम के विनिर्माण, बिक्री, आयात और विज्ञापन की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया था।
  • इस साल अप्रैल में 24 राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों के 1,000 से अधिक डॉक्टरों ने भारत में इसके महामारी (खासकर युवाओं में) बनने से पहले प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया था।
  • अगस्त 2018 में जनता के लिये अपनी सामान्य सलाह में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि वैश्विक तंबाकू महामारी 2017 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, कोरिया (डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक), श्रीलंका, थाईलैंड, ब्राज़ील, मेक्सिको, उरुग्वे, बहरीन, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे 30 देशों की सरकारों ने पहले ही ENDS पर प्रतिबंध लगा दिया है।

क्या है ई-सिगरेट?

  • ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम (ENDS) एक बैटरी संचालित डिवाइस है, जो तरल निकोटीन, प्रोपलीन, ग्लाइकॉल, पानी, ग्लिसरीन के मिश्रण को गर्म करके एक एयरोसोल बनाता है, जो एक असली सिगरेट जैसा अनुभव देता है।
  • यह डिवाइस पहली बार 2004 में चीनी बाज़ारों में "तंबाकू के स्वस्थ विकल्प" के रूप में बेची गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 2005 से ही ई-सिगरेट उद्योग एक वैश्विक व्यवसाय बन चुका है और आज इसका बाज़ार लगभग 3 अरब डॉलर का हो गया है।
  • ई-सिगरेट ने अधिक लोगों को धूम्रपान शुरू करने के लिये प्रेरित किया है, क्योंकि इसका प्रचार-प्रसार ‘हानिरहित उत्पाद’ के रूप में किया जा रहा है। किशोरों के लिये ई-सिगरेट धूम्रपान शुरू करने का एक प्रमुख साधन बन गया है।
  • भारत में 30-50% ई-सिगरेट्स ऑनलाइन बिकती हैं और चीन इसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता देश है। भारत में ई-सिगरेट की बिक्री को अभी तक उचित तरीके से विनियमित नहीं किया गया है। यही कारण है कि इसे बच्चे और किशोर इसे आसानी से ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
  • पंजाब राज्य ने ई-सिगरेट को अवैध घोषित किया है। राज्य का कहना है कि इसमें तरल निकोटीन का प्रयोग किया जाता है, जो वर्तमान में भारत में अपंजीकृत ड्रग के रूप में वर्गीकृत है।
  • इसके चलते पंजाब सरकार ने ई-सिगरेट के विक्रेताओं के खिलाफ मामले भी दर्ज़ किये हैं।
  • अप्रैल 2016 में पंजाब की सत्र अदालत ने मोहाली के विक्रेता को अवैध ड्रग बेचने के ज़ुर्म में तीन साल की सज़ा सुनाई थी।
  • यह भारत में अपनी तरह का पहला मामला था। स्वास्थ्य पर प्रभाव के कई अध्ययनों से पता चला है कि ई-सिगरेट बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के लिये बहुत हानिकारक है।
  • रिपोर्ट में पाया गया कि ई-सिगरेट पीने वाले लोगों में श्वसन और जठरांत्र संबंधी रोग पाए गए।

स्रोत- बिज़नेसलाइन


जैव विविधता और पर्यावरण

उत्तर और पूर्वी भारत में उपयोग योग्य भूजल में गिरावट

चर्चा में क्यों?

आईआईटी-खड़गपुर, पश्चिम बंगाल और अथाबास्का (Athabasca) विश्वविद्यालय, कनाडा की एक टीम ने स्व-स्थाने (in-situ) और उपग्रह-आधारित माप का उपयोग कर पूरे भारत में राज्य-स्तर पर उपयोग योग्य भूजल भंडारण (Usable Ground Water Storage-UGWS) के प्रथम अनुमानों को संकलित किया है।

  • शोधकर्त्ताओं द्वारा ‘एडवांस इन वाटर रिसोर्सेज़’ नामक जर्नल में इस अध्ययन को प्रकाशित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि भारत के उत्तरी और पूर्वी राज्यों में 2005 तथा 2013 के बीच उपयोग में लाए जाने योग्य भूजल में तेज़ी से गिरावट आई है जिससे गंभीर सूखा, खाद्य संकट और लाखों लोगों के लिये पीने योग्य जल की कमी का जोखिम बढ़ गया है।
  • शोध में पाया गया है कि असम, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में UGWS में तेज़ी से कमी हो रही है।
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, इन क्षेत्रों में कृषि खाद्य उत्पादन में वृद्धि के परिणामस्वरूप भूजल की मात्रा में तेज़ी से गिरावट आई है।
  • दूसरी ओर दक्षिणी और पश्चिमी राज्य जैसे-आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ में भूजल भंडारण प्रवृत्तियों में सुधार पाया गया है।
  • अनुमान है कि कुल भूजल का प्रतिवर्ष 8.5 क्यूबिक किलोमीटर (km3/वर्ष) का नुकसान हुआ है तथा पूर्वी भाग में कुल भूजल का 5 km3/वर्ष का नुकसान हुआ है।
  • लगभग 85 प्रतिशत ग्रामीण पेयजल की ज़रूरत और 65 प्रतिशत सिंचाई की ज़रूरत तथा 50 प्रतिशत शहरी पेयजल और औद्योगिक ज़रूरतों को भूजल से पूरा किया जाता है।
  • असम, जिसे जल-संपन्न माना जाता था, ने अपने उपयोग योग्य भूजल संसाधन का दो प्रतिशत खो दिया है और आने वाले वर्षों में सूखा और अकाल से पीड़ित होने की कगार पर है।
  • हरियाणा, जो कि 689 mm वार्षिक वर्षा प्राप्त करता है, 3,593 cm के साथ प्रयोग में लाने योग्य भूजल का उच्चतम स्तर रखता है, जबकि हिमाचल में प्रतिवर्ष 1,147 mm वर्षा के साथ सबसे कम UGWS का स्तर 520 cm है।
  • अध्ययन के मुताबिक, UGWS में हो रही तेज़ी से कमी के कारण खाद्य उत्पादन और पीने के पानी की उपलब्धता में गिरावट आएगी। खाद्य उत्पादन तथा स्वच्छ पेयजल संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के दो प्रमुख लक्ष्य हैं।

स्रोत : द हिंदू बिज़नेस लाइन


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सिद्धांत से तथ्य तक: ब्लैक होल की पहली तस्वीर जारी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की पहली तस्वीर जारी की है। गौरतलब है कि दुनिया भर में स्थित आठ रेडियो दूरबीनों के डेटा की सहायता से ईवेंट होरिज़न टेलिस्कोप (Event Horizon Telescope-EHT) परियोजना में शामिल वैज्ञानिकों ने यह तस्वीर निकाली है।

प्रमुख बिंदु

  • वैज्ञानिकों ने दो वर्ष पहले ईवेंट होरिज़न टेलिस्कोप द्वारा एकत्रित किये गए आँकड़ों के विश्लेषण के बाद आकाशगंगा M87 में 53 मिलियन प्रकाश-वर्ष दूर स्थित इस ब्लैक होल की तस्वीर जारी की है।

black-holes

  • ब्लैक होल की तस्वीर प्राप्त करने में लगभग 200 वैज्ञानिकों ने कई सुपरकंप्यूटर तथा सैकड़ों टेराबाइट डेटा का उपयोग किया।
  • इस ब्लैक होल से गैस और प्लाज़्मा का नांरगी रंग का प्रकाश आभामंडल दिखाई दे रहा है।

कैसे प्राप्त हुई तस्वीर?

  • वर्ष 2017 में हवाई, एरिज़ोना, स्पेन, मेक्सिको, चिली और दक्षिण ध्रुव में स्थापित आठ रेडियो दूरबीनों की सहायता से आकाशगंगा M87 का अवलोकन किया गया।
  • इन रेडियो दूरबीनों द्वारा प्राप्त डेटा की सहायता से लगभग 12,000 किमी. के क्षेत्र में फैली एक आभासी वेधशाला तैयार हो गई थी।

telescope

ब्लैक होल्स

  • ब्लैक होल शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने 1960 के दशक के मध्य में किया था।
  • ब्लैक होल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्व बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता।
  • चूँकि इनसे प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, अतः हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते, वे अदृश्य होते हैं।

black hole

  • हालाँकि विशेष उपकरणों से युक्त अंतरिक्ष टेलिस्कोप की मदद से ब्लैक होल की पहचान की जा सकती है।
  • ये उपकरण यह बताने में भी सक्षम हैं कि ब्लैक होल के निकट स्थित तारे अन्य प्रकार के तारों से किस प्रकार भिन्न व्यवहार करते हैं।

स्रोत- द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) द्वारा ग्लोबल फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट (Global Financial Stability Report- GFSR) जारी की गई।

प्रमुख बिंदु

  • ग्लोबल फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट (Global Financial Stability Report- GFSR) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट है जो वैश्विक वित्तीय बाज़ारों की स्थिरता और उभरते-बाज़ारों के वित्तपोषण का आकलन करती है।
  • यह रिपोर्ट प्रति वर्ष दो बार, अप्रैल और अक्तूबर में जारी की जाती है।
  • यह रिपोर्ट आईएमएफ के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक द्वारा प्रस्तुत आर्थिक असंतुलन के वित्तीय प्रभाव को दर्शाती है।
  • यह रिपोर्ट दुनिया भर के बाज़ारों की स्थिति का आकलन करने के अलावा केंद्रीय बैंकों, नीति निर्माताओं और अन्य ऐसे लोगों के लिये सिफारिशें भी जारी करती है जो वैश्विक वित्तीय बाज़ारों की निगरानी करते हैं।
  • अप्रैल 2019 की वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, पिछली दो तिमाहियों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तनशीलता के बावजूद भी वित्तीय परिस्थितियाँ अनुकूल बनी हुई हैं।
  • नवीनतम GFSR में वित्तीय प्रणाली में कमजोरियों को निर्धारित करने का एक तरीका बताया गया है, जिसमें छह क्षेत्रों को शामिल किया गया है: कॉर्पोरेट्स, परिवार, सरकार, बैंक, बीमा कंपनियाँ और अन्य वित्तीय संस्थान।
  • यह रिपोर्ट उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में कॉर्पोरेट क्षेत्र के ऋण, यूरो क्षेत्र में संप्रभु-वित्तीय संबंध, चीन के वित्तीय असंतुलन, उभरते बाज़ारों में अस्थिर पोर्टफोलियो प्रवाह, और आवास बाज़ार के नकारात्मक जोखिम पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करती है।
  • हालाँकि, वैश्विक वित्तीय स्थिरता के अल्पकालिक जोखिम अभी भी ऐतिहासिक मानकों से कम हैं, फिर भी वे अक्तूबर 2018 की वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट की तुलना में थोड़ा अधिक हैं।
  • यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं द्वारा उनकी मौद्रिक नीति में किसी भी परिवर्तन हेतु सिफारिश करता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
International Monetary Fund- IMF

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का कार्य करती है।
  • यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने तथा आर्थिक विकास को सुगम बनाने में भी सहायता प्रदान करती है।
  • IMF का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. संयुक्त राज्य अमेरिका में है। आईएमएफ की विशेष मुद्रा एसडीआर (Special Drawing Rights) कहलाती है।
  • IMF का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी को कम करना, रोज़गार के नए अवसरों का सृजन करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना है।

स्रोत- द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (11 April)

  • अमेरिका ने भारत की डेटा स्थानीयकरण नीति की आलोचना की है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि की नेशनल ट्रेड एस्टीमेट रिपोर्ट ऑन फॉरेन ट्रेड बैरियर-2019 में कहा गया है कि भारत ने हाल ही में देश के लोगों के ऑनलाइन डेटा को स्थानीय स्तर पर संग्रहीत करने की आवश्यकता जताई है। भारत का यह कदम दोनों देशों के बीच डिजिटल व्यापार में एक बड़ी बाधा बन सकता है। इन नियमों से डेटा आधारित सेवाओं की आपूर्ति करने वालों की लागत बढ़ेगी और अनावश्यक डेटा सेंटर का निर्माण करना होगा। इसके अलावा स्थानीय कंपनियों को सर्वश्रेष्ठ वैश्विक सेवाएँ मिलने में कठिनाई होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने जुलाई 2018 में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2018 का मसौदा प्रकाशित किया था। यदि यह पारित होकर कानून बन जाता है तो पर्सनल डेटा प्रोसेसिंग करने वाली कंपनियों, खासकर विदेशी कंपनियों पर भारी बोझ पड़ेगा।
  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में यह व्यवस्था दी है कि दहेज या अन्य प्रकार की यातनाओं के खिलाफ महिलाएँ देश के किसी भी हिस्से में मुकदमा दर्ज करा सकती हैं। यह मामला लंबे समय से एक कानूनी मुद्दा बना हुआ था क्योंकि इस पर अलग-अलग तरह के फैसले आए थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को खत्म कर दिया है। 2015 में सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ऐसा ही मामला आया था, जिसके बाद कोर्ट ने इस पर विस्तृत फैसला देने के लिये इसे तीन जजों की पीठ को सौंप दिया था। दरअसल, आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 177 के तहत कोई भी आपराधिक मामला उसी जगह दर्ज हो सकता है, जहाँ वह घटना घटी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने अलग-अलग राज्यों से जुड़ी छह याचिकाओं पर यह फैसला दिया।
  • मोरक्को और अमेरिका द्वारा प्रायोजित अफ्रीकन लायंस नामक वार्षिक सैन्याभ्यास 16 मार्च से 7 अप्रैल तक दक्षिणी मोरक्को में आयोजित किया गया। इस अभ्यास में आतंकवाद रोधी अभियानों, भूमि और वायु अभ्यासों के साथ-साथ सामरिक अनुकरण पर प्रशिक्षण भी शामिल था। इस अभ्यास में अमेरिका और मोरक्को के अलावा कनाडा, स्पेन, ब्रिटेन, सेनेगल, ट्यूनीशिया की सैन्य इकाइयों ने भी हिस्सा लिया। अफ्रीकन लायंस एक वार्षिक अभ्यास है, जिसे प्रत्येक देश की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं की अंतर-क्षमता और आपसी समझ को बेहतर बनाने के लिये आयोजित किया जाता है।
  • ब्रिटेन के सांसदों ने एक नया कानून बनाकर बिना किसी समझौते वाले ब्रेक्ज़िट पर प्रतिबंध लगा दिया है। सांसदों के इस कदम के बाद अब प्रधानमंत्री थेरेसा मे को ब्रेक्ज़िट के लिये यूरोपीय संघ से और समय मांगना पड़ेगा। हाल ही में इस कानून के जुड़े विधेयक को ब्रिटेन की संसद ने मंज़ूरी दे दी। लेकिन सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इसकी वज़ह से यूरोपीय संघ के साथ बातचीत के उसके आयाम सीमित हो जाएंगे। सरकार ने विधेयक को गैर-परंपरागत बताते हुए उसका विरोध किया। नया कानून बनने के बाद सरकार ने एक प्रस्ताव रखकर संसद को बताया कि वह ब्रेक्ज़िट के लिये यूरोपीय संघ से और समय मांगेगी। इसकी नियत तारीख 29 मार्च थी, जिसे एक बार टाला जा चुका है। इसके बाद हुए एक नवीनतम घटनाक्रम में यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने कहा कि यूरोपीय संघ को लचीला रुख अपनाते हुए ब्रिटेन को ब्रेक्ज़िट प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाते हुए इसके लिए एक साल तक का समय देने पर विचार करना चाहिये। ब्रसेल्स में हुई यूरोपीय संघ की बैठक में 27 नेताओं में से अधिकांश ने ब्रेक्ज़िट को एक साल के लिए स्थगित करने की योजना का समर्थन किया। साथ ही, समझौते के रूप में यूरोपीय संघ ने ब्रिटेन को छह महीने की देरी से यानी 31 अक्तूबर तक ब्रेक्ज़िट लागू करने की अनुमति दे दी है।
  • ब्रिटेन ने सोशल मीडिया के शीर्षतम अधिकारियों को नुकसानदेह सामग्री को लेकर व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह बनाने और आपत्तिजनक मंचों को बंद करने को लेकर अपनी तरह की विश्व की पहली कार्ययोजना पेश की है। इसके आधार पर एक कानून बनाया जाएगा। फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के प्रमुखों से चर्चा के बाद ये प्रस्ताव तैयार किये गए हैं। इसके कुछ प्रस्तावों को लेकर अभिव्यक्ति की आज़ादी की चिंताएं भी सामने आई हैं। ‘ये विश्व में अग्रणी प्रस्ताव हैं और किसी और देश ने पहले ऐसा नहीं किया। प्रस्तावित नियमनों से सोशल मीडिया कंपनियों को इस बात की ज़िम्मेदारी लेनी होगी कि कि वे ऑनलाइन नुकसानदेह बातों की पहचान करेंगी और उन्हें हटाएंगी। जो ऐसा नहीं करेगा उन्हें पहले चेतावनी जारी की जाएगी और उसके बाद दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
  • लिकुड पार्टी के अध्यक्ष बेंजामिन नेतन्याहू पाँचवीं बार इज़राइल के प्रधानमंत्री बनने की ओर अग्रसर हैं। उनकी दक्षिणपंथी पार्टी लिकुड और पारंपरिक राजनीतिक सहयोगियों को संसद में 55 के मुकाबले 65 सीटों से बहुमत मिला है। इज़राइल की संसद (नेसेट) में कुल 120 सीटें हैं। संसद का अंतिम स्वरूप अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन देश में अब एक सत्तारूढ़ गठबंधन की सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक वार्ताओं का दौर चलेगा। हालांकि, किसी भी परिदृश्य में नेतन्याहू बड़े विजेता बन कर उभरे हैं। चुनाव परिणाम ने इजराइल के दक्षिणपंथ की ओर लगातार झुकाव को प्रदर्शित किया है।

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