एशिया के सबसे पुराने बाँस का जीवाश्म
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लखनऊ के बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान एवं अन्य कई संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, उत्तर-पूर्वी भारत में एशिया के सबसे प्राचीन बाँस के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं।
प्रमुख बिंदु
- वैज्ञानिकों को असम के तिनसुकिया ज़िले के माकुम कोयला खनन क्षेत्र से बाँस की नाल (Bamboo Stem) के तीन जीवाश्म प्राप्त हुए हैं, जिनकी लंबाई लगभग एक मीटर है। ये जीवाश्म लगभग ढाई करोड़ साल पुराने बतायए जा रहे हैं।
- अरुणाचल प्रदेश के डोईमरा के सुबनसिरी फॉर्मेशन में भी बाँस के पत्तों के दो जीवाश्म पाए गए हैं।
- अब तक वैज्ञानिकों का मानना था कि एशिया में पाए जाने वाले बाँस का मूल स्थान यूरोप है लेकिन पाए गए इन जीवाश्मों से साबित होता है कि एशियाई बाँस की उत्पत्ति दक्षिणी गोलार्द्ध में हुई थी।
- वैज्ञानिकों ने चीन के ज़िजुआंबान्ना ट्रॉपिकल बोटैनिकल गार्डन (Xishuangbanna Tropical Botanical Garden) में उपस्थित बाँस की प्रजातियों और पाए गए इन जीवाश्म के पत्तों और नमूनों की तुलना कोलकाता बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Botanical Survey of India) में की।
- पत्तियों वाले जीवाश्म दो अलग-अलग बाँस प्रजातियों - बम्बूसियम डूमैरेंस (Bambusium Doimaraense) और बम्बूसियम अरुणाचलेंस (Bambusium Arunachalense) से संबंधित हैं जो लगभग 10 मिलियन वर्ष पुराने हैं।
- तने के जीवाश्मों को नई प्रजातियों के तहत नाम दिया गया : बंबुसिकलमस टिरपेन्सिस (Bambusiculmus tirapensis) और बंबुसिकलमस मकुमेन्सिस। ये लगभग 28 मिलियन वर्ष पुराने हैं।
- इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि -
♦ एशिया में सबसे पहले बाँस शायद पूर्वी गोंडवाना में उत्पन्न हुआ, जिसमें भारत भी शामिल है।
♦ स्वतंत्र आणविक अध्ययन के अनुसार, बाँस की उत्पत्ति का मूल क्षेत्र होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि पूर्वोत्तर भारत बाँस की विविधता का एक केंद्र है, जैसा कि भारत से सटा हुआ क्षेत्र दक्षिणी चीन है।
- एक अध्ययन से अनुमान लगाया गया है कि प्राचीन बाँस सामान्यतः गर्म और आर्द्र अवधि के दौरान विकसित होता था लेकिन आधुनिक बाँस अब गर्म और ठंडे दोनों मौसमों में पाया जाता हैं।
स्रोत - द हिंदू
कृत्रिम वर्षा
चर्चा में क्यों?
कर्नाटक के लगभग 176 ताल्लुका क्षेत्रों में सूखा पड़ने के पश्चात् इस वर्ष हाल ही में कर्नाटक सरकार के ग्रामीण विकास और पंचायत राज विभाग ने मानसून 2019 और 2020 के लिये राज्य में कृत्रिम वर्षा करवाने हेतु निविदाएँ आमंत्रित की है।
प्रमुख बिंदु
- कर्नाटक में सूखे की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार कृत्रिम वर्षा के लिये पूर्व में चलाई गई ‘वर्षाधारी’ परियोजना को अपनाएगी।
- क्लाउड सीडिंग मौसम में बदलाव लाने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बादलों से इच्छानुसार वर्षा कराई जा सकती है।
- क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के लिये सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide) या ठोस कार्बन डाइऑक्साइड (ड्राई आइस) को विमानों का उपयोग कर बादलों के बहाव के साथ फैला दिया जाता है।
- विमान में सिल्वर आयोडाइड के दो बर्नर या जनरेटर लगे होते हैं, जिनमें सिल्वर आयोडाइड का घोल उच्च दाब (हाई प्रेशर) के साथ भरा होता है।
- जहाँ बारिश करानी होती है वहाँ पर हवा की विपरीत दिशा में इसका छिड़काव किया जाता है।
- कहाँ और किस बादल पर इसे छिड़कने से बारिश की संभावना ज़्यादा होगी, इसका फैसला मौसम वैज्ञानिक करते हैं। इसके लिये मौसम के आँकड़ों का सहारा लिया जाता है।
- कृत्रिम वर्षा की इस प्रक्रिया में बादल के छोटे कण हवा से नमी सोखते हैं और संघनन से उसका द्रव्यमान बढ़ जाता है। इससे जल की भारी बूँदें बनने लगती हैं और वे बरसने लगती हैं।
- क्लाउड सीडिंग का उपयेाग वर्षा में वृद्धि करने, ओलावृष्टि के नुकसान को कम करने, कोहरा हटाने तथा तात्कालिक रूप से वायु प्रदूषण कम करने के लिये भी किया जाता है।
वर्षाधारी परियोजना
- 22 अगस्त, 2017 को कर्नाटक सरकार ने बंगलूरू में कृत्रिम वर्षा के लिये वर्षाधारी परियोजना को आरंभ किया था।
- 2018 में राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इस परियोजना से बारिश में 27.9% की वृद्धि हुई है और लिंगमनाकी जलाशय में 2.5 tmcft (Thousand Mllion Cubic Feet) का अतिरिक्त प्रवाह रहा है।
- एक स्वतंत्र मूल्यांकन समिति द्वारा इसे सफल परियोजना घोषित किया गया।
भारत का रणनीतिक/सामरिक पेट्रोलियम भंडार
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने देश में रणनीतिक तेल भंडारण सुविधा के क्षेत्र में सउदी अरब को भारत में निवेश के लिये आमंत्रित किया।
प्रमुख बिंदु
- भारत सरकार ने देश में आपातकालीन कच्चे तेल का भंडार बनाने के लिये सऊदी अरब से निवेश की मांग की है जो तेल की कीमतों में अस्थिरता के खिलाफ एक बफर के रूप में कार्य करेगा और तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता के सामने आने वाले व्यवधानों को दूर करेगा।
- दोनों देशों के मंत्रियों ने भारतीय तेल एवं गैस क्षेत्र में विभिन्न सऊदी निवेश प्रस्तावों की समीक्षा की जिसमें महाराष्ट्र में पहले संयुक्त उद्यम वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए उठाए जाने वाले जरूरी कदम भी चर्चा भी शामिल हैं।
- यह परियोजना जिसकी लागत लगभग 44 अरब डॉलर यानी करीब 3.08 लाख करोड़ रुपए है, दुनिया की सबसे बड़ी ग्रीनफील्ड रिफाइनरी होगी।
- महाराष्ट्र के रत्नागिरि ज़िले में स्थापित की जाने वाली इस परियोजना के लिये वहाँ की सरकार अब तक ज़मीन का प्रबंध नहीं कर पाई है।
- हाल में दोनों देशों के पेट्रोलियम मंत्रियों ने तेल शोधन एवं पेट्रोरसायन परिसर के बारे में चर्चा की। साथ ही सऊदी अरब नेशनल ऑयल कंपनी के निवेश से भारत के पश्चिमी तट पर प्रस्तावित तेल रिफाइनरी परियोजनाओं में तेज़ी लाने पर भी चर्चा की गई।
उद्देश्य
- भारत देश में खपत किये जाने वाले प्रत्येक पाँच बैरल तेल में से चार बैरल तेल का आयात करता है जो सामान्यतः खाड़ी देशों एवं अफ्रीका से आयात किया जाता है।
- आयातक देशों में वर्षभर होने वाले राजनीतिक जोखिम से बचने के लिये भारत अपने देश में रणनीतिक भंडार का विस्तार कर रहा है।
- भारत में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार के होने से वैश्विक जगत के राजनीतिक संकटों का भारतीय अर्थव्यस्था पर नकारात्मक प्रभाव कम होगा।
भारत में सामरिक पेट्रोलियम भंडार
- सामरिक पेट्रोलियम भंडार कच्चे तेल से संबंधित किसी भी संकट जैसे प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध या अन्य आपदाओं के दौरान आपूर्ति में व्यवधान से निपटने के लिये कच्चे तेल के विशाल भंडार होते हैं।
- भारत के रणनीतिक कच्चे तेल के भंडार वर्तमान में विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), मंगलुरु (कर्नाटक) और पाडुर (केरल) में स्थित हैं।
- हाल ही में सरकार ने चंदीखोल (ओडिशा) और पादुर (कर्नाटक) में दो अतिरिक्त सुविधाएँ स्थापित करने की घोषणा की थी।
- पहली बार तेल के संकट के बाद रणनीतिक भंडार की इस अवधारणा को 1973 में अमेरिका में लाया गया था।
- पृथ्वी की सतह के नीचे गहरी गुफाओं में भंडारण की अवधारणा को पारंपरिक रूप से एक ऊर्जा सुरक्षा उपाय के रूप में लाया गया है जो भविष्य में हमले या आक्रमण के कारण तेल की आपूर्ति में कमी आने पर सहायक हो सकती हैं।
- यह भूमिगत भंडारण, पेट्रोलियम उत्पादों के भंडारण की अब तक की सबसे अच्छी आर्थिक विधि है, क्योंकि भूमिगत सुविधा भूमि के बड़े स्तर की आवश्यकता को नियंत्रित करती है, कम वाष्पीकरण सुनिश्चित करती है, क्योंकि गुफाओं का निर्माण समुद्र तल से बहुत नीचे किया जाता है, इसलिये कच्चे तेल का निर्वहन जहाज़ो से करना आसान होता है।
स्रोत - बिज़नेस लाइन (द हिंदू)
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (11 March)
- भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव की वज़ह से इस महीने सिंधु नदी घाटी में परियोजनाओं के निरीक्षण के लिये भारतीय दल का प्रस्तावित पाकिस्तान दौरा टल गया है। गौरतलब है कि लाहौर में 29-30 अगस्त, 2018 को स्थायी सिंधु आयोग की 115वीं बैठक में दोनों देशों के आयुक्त सिंधु नदी घाटी के दौरों के लिये सहमत हुए थे। इसी वर्ष जनवरी के अंतिम सप्ताह में पाकिस्तानी विशेषज्ञ भारत आए थे और उन्होंने जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर पाकल दल, रेटिल और लोअर कलनाई परियोजनाओं को देखा था। उल्लेखनीय है कि सिंधु नदी के जल बंटवारे के सवाल पर भारत-पाकिस्तान और विश्व बैंक के बीच 1960 में त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। इसी के तहत दोनों देशों में सिंधु आयोग की स्थापना हुई थी।
- 10 मार्च को देशभर में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के साथ ही राष्ट्रीय पोलियो दिवस भी आयोजित किया गया। इससे पहले इस दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाकर देशव्यापी पल्स पोलियो कार्यक्रम-2019 की शुरुआत की। देश से पोलियो उन्मूलन के लिये टीकाकरण अभियान के तहत 5 वर्ष से कम उम्र के 17 करोड़ से ज़्यादा बच्चों को पोलियो की दवा दी जाएगी। बच्चों को अतिरिक्त सुरक्षा देने के लिये सरकार ने इंजेक्शन के ज़रिये पोलियो की दवा देने के अपने नियमित टीकाकरण अभियान में इनएक्टिवेटेड पोलियो टीका भी शामिल किया है। इसके अलावा, सार्वभौमिक टीकाकरण अभियान के साथ ही देश में मिशन इंद्रधनुष की भी शुरुआत की गई है ताकि 90 प्रतिशत से ज़्यादा बच्चों को टीकाकरण के दायरे में लाने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
- विश्व बैंक ने बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP) के तहत छह राज्यों में 220 से अधिक बड़े बांधों के पुनर्वास और आधुनिकीकरण के लिये 137 मिलियन डॉलर (लगभग 960 करोड़ रुपए) का अतिरिक्त वित्तपोषण प्रदान किया है। ये बांध कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तराखंड में स्थित हैं। गौरतलब है कि 2010 में भी विश्व बैंक ने DRIP के तहत वित्तपोषण के लिये 350 मिलियन डॉलर (लगभग 2450 करोड़ रुपए) की मंज़ूरी दी थी। DRIP ने शहरी और ग्रामीण समुदायों के 25 मिलियन प्राथमिक लाभार्थियों को अब तक फायदा पहुँचाया है। आपको बता दें कि भारत में 5200 से अधिक बड़े बांध हैं और 300 बिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक की भंडारण क्षमता वाले 400 बांध निर्माणाधीन हैं।
- आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने इंडिया अर्बन ऑब्जर्वेटरी एंड वीडियो वॉल की शुरुआत की है। इसके माध्यम से सरकार निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सुधार के साथ नागरिकों, शिक्षाविदों और उद्योग के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने का काम करेगी। इसके अलावा, अत्याधुनिक तकनीकों तथा रियल टाइम और डाक्यूमेंट्स दोनों से असंख्य स्रोतों के माध्यम से डेटा प्राप्त करेगी। इस ऑब्जर्वेटरी से परिवहन, स्वास्थ्य, पर्यावरण, जल, वित्त जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिये सार्थक संकेतकों की विश्वसनीय जानकारी को अपडेट करने में मदद मिलेगी। इससे सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों और भविष्य की रणनीतियों को आवश्यकतानुरूप और नीतिगत हस्तक्षेपों के माध्यम से विकसित करने में भी सहायता मिलेगी। इस ऑब्जर्वेटरी की संकल्पना 'चतुर्भुज-हेलिक्स' मॉडल के चार हितधारकों- सरकार, नागरिक, शिक्षा और उद्योगों को मद्देनज़र रखते हुए की गई है।
- ड्रेज़िंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी को सरकार ने चार बंदरगाहों के कंसोर्टियम को 1050 करोड़ में बेच दिया। 510 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से कंपनी की हिस्सेदारी बेची गई। इसके बाद सरकार का कुल विनिवेश फंड 57 हजार 523 करोड़ रुपए हो गया है। गौरतलब है कि सरकार ने पिछले वर्ष नवंबर में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम ड्रेज़िंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में अपनी 100% हिस्सेदारी देश के चार बड़े बंदरगाहों के जरिए मिलकर बनाए गए बंदरगाहों के कंसोर्टियम को बेचने का फैसला किया था। बंदगाहों पर जहाजों की आवाजाही के रास्ते से गाद निकालने का काम करने वाली इस कंपनी में केंद्र सरकार की 73.44% हिस्सेदारी थी।
- भारत के पर्यटन मंत्रालय ने बर्लिन में 6 से 10 मार्च तक आयोजित हुए प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय गोल्डन सिटी गेट टूरिज़्म अवार्ड्स 2019 में टीवी सिनेमा स्पॉट की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार जीता है। गौरतलब है कि अतुल्य भारत अभियान 2.0 के तहत निर्मित निम्नलिखित 5 प्रचार फिल्मों/ टेलीविजन विज्ञापनों को पुरस्कार प्राप्त हुए:
- रेसट्रैक के योगी (Yogi of the Racetrack)
- मिस्टर एंड मिसेज जोंस का पुनर्जन्म (The Reincarnation of Mr. & Mrs. Jones)
- पेरिस में अभयारण्य (Sanctuary in Paris)
- मैनहट्टन की महारानी (Maharani of Manhattan)
- मसाला मास्टर शेफ (The Masala Master Chef)
आपको बता दें कि गोल्डन सिटी गेट टूरिज्म मल्टीमीडिया अवार्ड्स प्रतिवर्ष पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्रों से संबंधित विभिन्न श्रेणियों में दिये जाते हैं। यह देशों, शहरों, क्षेत्रों और होटलों के लिये एक रचनात्मक मल्टी-मीडिया अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता है।
- प्रसार भारती ने 11 और राज्यों के दूरदर्शन चैनल शुरू किये हैं जिनमें पाँच चैनल पूर्वोत्तर राज्यों के लिये हैं। भारत के सेटेलाइट दायरे का विस्तार करते हुए इन चैनलों का निशुल्क प्रसारण डीडी फ्री डिश के माध्यम से किया जाएगा। क्षेत्रीय संस्कृति को मज़बूत करने तथा जन आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद देने वाले ये चैनल छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और उत्तराखंड के लिये हैं।
- मिज़ोरम सरकार ने एक ऐसे विधेयक को मंजूरी दी है जो राज्य में रहने वाले ‘वास्तविक भारतीय नागरिकों’ के लिये यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त हो। मिज़ोरम मेंटेनेंस ऑफ हाउसहोल्ड रजिस्ट्रेशन बिल, 2019 में यह प्रावधान किया गया है कि सरकारी योजनाओं के लिये पात्र परिवारों का रिकॉर्ड राज्य को रखना होगा। कानूनी रूप ले लेने के बाद यह विधेयक अवैध प्रवासियों की पहचान करके भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा करेगा। यह विधेयक कल से शुरू होने वाले अंतरिम बजट सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किया जाएगा।
- शोधकर्त्ताओं ने एक ऐसे तेंदुए की प्रजाति को 30 साल से अधिक समय बाद पहली बार दक्षिण-पूर्व ताइवान में देखने का दावा किया है, जिसके लिये माना जाता था कि वह पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है। तेंदुए की इस प्रजाति का नाम फॉरमोसन क्लाउडेड लेपर्ड (Formosan Clouded Leopard) है। इसे आधिकारिक तौर पर 2013 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था, क्योंकि यह तेंदुआ 1983 के बाद से नहीं देखा गया था और प्राणी विज्ञानियों द्वारा किये गए 13 साल के लंबे अध्ययन में इस प्रजाति का एक भी तेंदुआ देखने को नहीं मिला। हाल ही में दक्षिण-पूर्व ताइवान के डैरन, ताइतुंग शहर में स्थानीय लोगों ने इस दुर्लभ प्रजाति के तेंदुए को देखने का दावा किया है। केवल ताइवान में पाई जाने वाली तेंदुए की इस प्रजाति को IUCN की विलुप्त (Extinct) कैटेगरी में रखा गया है।