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डेली न्यूज़

  • 11 Feb, 2020
  • 49 min read
सामाजिक न्याय

आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयाँ

प्रीलिम्स के लिये:

आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाई, PEMSR ACT 2013, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग

मेन्स के लिये:

मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित मुद्दे, मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने की दिशा में उठाए गए कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी नगर निकायों (Civic Bodies) को मैनहोल (Manhole) और सीवर की सफाई करने वाले स्वच्छता कर्मचारियों हेतु सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के लिये आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाईयाँ (Emergency Response Sanitary Units- ERSU) स्थापित करने का निर्देश दिया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • महाराष्ट्र सरकार ने कई मामलों में श्रमिकों के दम घुटने, खतरनाक गैसों के कारण साँस लेने में समस्या या मृत्यु की सूचना के बाद यह महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।
  • इससे पहले भी हाथ से मैला ढ़ोने की प्रथा को रोकने के लिये समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रयास किये गए एवं विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।

क्या है मैनुअल स्कैवेंजिंग?

  • किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के हाथों से मानवीय अपशिष्टों (Human Excreta) की सफाई करने या सर पर ढोने की प्रथा को हाथ से मैला ढोने की प्रथा या मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual Scavenging) कहते हैं।
  • मैनुअल स्कैवेंजिंग की यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही भारत की जाति व्यवस्था से संबंधित है, जिसमें यह माना जाता है कि यह तथाकथित निचली जातियों का कार्य है।

आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयाँ (ERSU)

  • ERSU की स्थापना संबंधी निर्देश में राज्य सरकार ने संबंधित निकाय के नगर आयुक्त को उत्तरदायी स्वच्छता प्राधिकरण (Responsible Sanitation Authority- RSA) की ज़िम्मेदारी सौंपी है।
  • ERSU का नेतृत्व एक वरिष्ठ नागरिक अधिकारी द्वारा किया जाएगा और ERSU सलाहकार बोर्ड में भी अन्य नागरिक अधिकारी होंगे जो सफाई उद्देश्यों के लिये मैनहोल में प्रवेश करने वाले श्रमिकों हेतु मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure- SoP) तय करेंगे।
  • राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, नागरिक निकाय को ERSU के लिये एक समर्पित टोल-फ्री नंबर भी शुरू करना होगा।
  • यह इकाई स्वच्छता कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करेगी तथा केवल ERSU द्वारा प्रशिक्षित एवं प्रमाणित श्रमिक ही सीवर की सफाई करने के लिये पात्र होंगे। हालाँकि इस तरह के काम को करने के लिये मशीनों के उपयोग करने को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • यदि किसी कर्मचारी की सीवर की सफाई करते समय मृत्यु हो जाती है तो नागरिक निकाय उस घटना की जाँच के जाएगी और पुलिस शिकायत दर्ज की जाएगी।

PEMSR ACT, 2013

  • मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम (The Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation Act) वर्ष 2013 से प्रभाव में आया।
  • यह कानून सुरक्षा उपकरण और इंसेंटरी शौचालय के निर्माण के बिना सीवर एवं सेप्टिक टैंकों की हाथ से सफाई करने वालों को नियोजित करने पर रोक लगाता है।
  • इस कानून का उल्लंघन करने और बिना सुरक्षा उपकरण के सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करवाने वालों को दो साल तक की कैद या दो लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।
  • दोबारा अपराध की स्थिति में अपराधियों को पाँच साल तक की कैद या 5 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।

इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश

  • वर्ष 2014 में मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा को समाप्त करना है और साथ ही आने वाली पीढ़ियों को इस अमानवीय प्रथा से बचाना है तो सीवर से होने वाली मौतों को कम करने के साथ-साथ हाथ से मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिये बेहतर प्रबंध करना होगा।
  • न्यायालय के अनुसार, आपात स्थितियों में भी सुरक्षा उपकरणों के बिना एक सफाई कर्मचारी को सीवर लाइनों में प्रवेश करने को अपराध माना जाना चाहिए।
  • न्यायालय के अनुसार, यदि असुरक्षित परिस्थितियों के कारण किसी सफाई कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो मृतक के परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया जाना चाहिये।
  • न्यायालय ने अधिकारियों को वर्ष 1993 से ही मैनहोल और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मरने वाले स्वच्छता कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों की पहचान करने तथा उन्हें 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था।

इस संदर्भ में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के निर्देश

मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये आयोग ने विभिन्न निर्देश जारी किये हैं:

  • आयोग के अनुसार, हाथ से सीवर को साफ करते समय श्रमिकों को सुरक्षा उपकरण और ऑक्सीजन मास्क के साथ पूरी तरह से सुसज्जित होना चाहिये।
  • एक कर्मचारी को उचित उपकरण के बिना हाथ से सीवर को साफ करने के लिये भेजने हेतु ज़िम्मेदार अधिकारियों या ठेकेदारों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ की जानी चाहिये।
  • आयोग ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, सभी नगर निगमों के लिये प्रति मज़दूर 10 लाख रुपए की बीमा पॉलिसी प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया है। ध्यातव्य है कि पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान नियोक्ताओं या नागरिक निकायों को करना होगा।

इस संदर्भ में राज्य सरकार के प्रयास

  • सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए राज्य के शहरी विकास विभाग ने नागरिक निकायों को निर्देश दिया है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिये और हाथ से मैला ढ़ोने की प्रथा में शामिल लोगों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
  • साथ ही राज्य सरकार ने नागरिक निकायों को निर्देश दिया है कि वे सेप्टिक टैंक या मैनहोल को साफ करने वाले श्रमिकों की मृत्यु को रोकने के लिये सभी संभव कदम उठाए जाने चाहिये।

मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने के लिये किये जा रहे अन्य प्रयास

  • सभी नागरिक निकायों को अपने-अपने क्षेत्राधिकार में इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिये कार्यशाला आयोजित करने के लिये निर्देशित किया गया है। ध्यातव्य है कि ये कार्यशालाएँ सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के लिये नवीनतम तकनीक पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देंगी तथा इनका मुख्य उद्देश्य मशीनों के द्वारा सेप्टिक टैंक या मैनहोल को साफ करने का एक तरीका खोजना है।
  • इन कार्यशालाओं में स्वच्छता कर्मचारियों से संबंधित कानूनों, ERSU की स्थापना और उनकी भूमिकाओं, नवीनतम उपकरणों, मशीनों एवं सुरक्षात्मक उपकरणों से संबंधित जानकारियाँ भी प्रदान की जाएँगी।
  • इन कार्यशालाओं में स्वच्छता कार्यकर्त्ता, गैर सरकारी संगठन, सामाजिक संगठन, हाउसिंग सोसायटी के सदस्य और सरकारी अधिकारी भाग लेंगे।

आगे की राह

  • ध्यातव्य है कि सरकार एवं अन्य संस्थाओं द्वारा मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने की दिशा में अनेक प्रयास किये गए हैं किंतु सबसे बड़ी समस्या उनके क्रियान्वयन की है इसलिये मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने की दिशा में किये गए प्रयासों के सही क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
  • मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा पुरातन काल से चली आ रही है और इसमें जातीय विभेद प्रमुख तत्त्व है। अतः सामाजिक सुधारों एवं शिक्षा के माध्यम इन कुरीतियों एवं रूढ़िवादी विचारों को दूर किये जाने की आवश्यकता है।
  • मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा पर रोक लगाने हेतु आमजन को इस संदर्भ में जागरूक करने के साथ ही आधुनिक उपकरणों के उपयोग को अनिवार्य बनाए जाने की आवश्यकता है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

ई- गवर्नेंस पर 23वाँ राष्ट्रीय सम्मेलन

प्रीलिम्स के लिये

ई- गवर्नेंस पर 23वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन स्थल तथा थीम

मेन्स के लिये

ई- गवर्नेंस पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में मुंबई घोषणा के प्रमुख बिंदु

चर्चा में क्यों?

7-8 फरवरी,2020 को मुंबई में ई-गवर्नेंस पर 23वें राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में डिजिटल तकनीक के उपयोग से शासन में परिवर्तन: अवसर एवं चुनौतियाँ के विषय पर विचार-विमर्श का आयोजन भी किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • भारत 2020: डिजिटल परिवर्तन (India 2020: Digital Transformation) की व्यापक थीम के साथ सम्मेलन में निम्नलिखित छः उप विषयों पर भी चर्चा हुई-
    • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और डिजिटल अर्थव्यवस्था
    • सेवा वितरण में सुधार
    • डिजिटल सेवाओं के प्रति विश्वास निर्माण - पारदर्शिता, सुरक्षा और गोपनीयता
    • डिजिटल भुगतान और फिनटेक
    • राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण आकलन/डिजिटल सेवा मानक
    • स्किलिंग और क्षमता निर्माण
  • ई- गवर्नेंस पर 23वें राष्ट्रीय सम्मेलन में मुंबई घोषणा (Mumbai Declaration) के माध्यम से वर्ष 2019 के शिलॉन्ग घोषणा में उल्लिखित ई-गवर्नेंस के रोडमैप को आगे ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • विशेष रूप से स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और भूमि में डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन और मशीन लर्निंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके सफल ई-गवर्नेंस समाधानों का प्रसार करना शामिल है।
  • इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र के ई-गवर्नेंस डेवलपमेंट इंडेक्स में भारत की रैंक में सुधार के लिये प्रोत्साहित करना, डिजिटल सेवाओं में अधिक विश्वास निर्माण का समर्थन करना, भारत को एक वैश्विक क्लाउड हब के रूप में विकसित करना, ई-ऑफिस के कार्यान्वयन को बढ़ावा देना और सार्वजनिक खरीद प्रणाली में सुधार करना मुंबई घोषणा के उद्देश्य हैं।
  • ई-गवर्नेंस पहल के कार्यान्वयन में उत्कृष्टता को पुरुस्कृत करने हेतु राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस अवार्ड्स 2020 इस सत्र में प्रस्तुत किए गए।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में पुन:अभियांत्रिकी द्वारा डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के माध्यम से उत्कृष्टता प्रदर्शित करने के लिये स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
  • इस सम्मेलन में पहली बार, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने एक ऑनलाइन हैकाथॉन आयोजित किया, जो नागरिक की शिकायतों के निवारण के लिये अभिनव समाधान प्रस्तुत कर रहा है।
  • सम्मेलन में महाराष्ट्र सरकार ने मार्च 2020 में मुंबई में इंडिया फिनटेक फेस्टिवल (India Fintech Festival) आयोजित करने की घोषणा की।
  • सम्मेलन में 28 राज्यों और नौ केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
  • इस सम्मेलन ने केंद्र तथा राज्य सरकारों, उद्योग जगत, शिक्षाविदों, शोधकर्त्ताओं और विभिन्न थिंक टैंकों को साथ लाकर नवीनतम प्रौद्योगिकी विकास और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिये एक उत्कृष्ट मंच प्रदान किया।
  • इस सम्मेलन द्वारा सभी हितधारक ई-गवर्नेंस और डिजिटल परिवर्तन परियोजनाओं को लागू करने में सफलता के लिये योजनाबद्ध तरीके से डिजिटल संसाधनों को अपनाने में सक्षम होंगे, ताकि नागरिकों की संतुष्टि के स्तर में सुधार हो सके और "न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन" संबंधी प्रधानमंत्री के सपने को साकार किया जा सके।

स्रोत: PIB


सामाजिक न्याय

SC/ST (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून 2018: SC का निर्णय

प्रीलिम्स के लिये

एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) कानून 1989 के प्रावधान

मेन्स के लिये

एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून 2018 के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का प्रभाव

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून (SC/ST Atrocities Amendment Act), 2018 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर निर्णय देते हुए इसकी संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है।

प्रमुख बिंदु:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च 2018 के अपने पूर्ववर्ती निर्णय को पलटते हुए स्पष्ट किया कि इस कानून के अंतर्गत गिरफ्तारी से पूर्व प्राथमिक जाँच की ज़रूरत नहीं है।
  • साथ ही इस तरह के मामलों में गिरफ्तारी से पूर्व किसी अथॉरिटी से अनुमति लेना भी अनिवार्य नहीं है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि अपने विरुद्ध दर्ज़ FIR को रद्द कराने के लिये आरोपी व्यक्ति न्यायालय की शरण में जा सकता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार यदि प्रथम दृष्टया एससी/एसटी अधिनियम के तहत कोई मामला नहीं बनता है तो किसी भी न्यायालय द्वारा FIR को रद्द किया जा सकता है।

अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989

  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये तमाम सामाजिक आर्थिक बदलावों के बावजूद सिविल अधिकार कानून 1955 व भारतीय दंड संहिता 1860 के प्रावधान इस वर्ग के लोगों की समस्याओं को सही तरीके से संबोधित नहीं कर पा रहे थे, ऐसी परिस्थिति में संसद ने वर्ष 1989 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 पारित किया।
  • राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किये जाने के बाद 30 जनवरी 1990 को यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू कर दिया गया।

प्रावधान

  • यदि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के अतिरिक्त कोई व्यक्ति किसी भी तरह से किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंध रखने वाले किसी व्यक्ति को प्रताड़ित करता है, तो उसके विरुद्ध यह कानून कार्य करता है।
  • इसके अलावा यह कानून पीड़ितों को विशेष सुरक्षा देता है। इस कानून के तहत पीड़ित को अलग-अलग अपराध से पीड़ित होने पर 75,000 रुपए से लेकर 8 लाख 50 हजार रुपए तक की सहायता दी जाती है।
  • साथ ही ऐसे मामलों के लिये इस कानून के तहत विशेष न्यायालय बनाए जाते हैं जो ऐसे प्रकरण में तुरंत निर्णय लेते हैं।
  • इस कानून के तहत महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में पीड़ित को राहत राशि और अलग से मेडिकल जाँच की भी व्यवस्था है।

सर्वोच्च न्यायालय का पूर्ववर्ती निर्णय

  • सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च 2018 को सुभाष काशीनाथ बनाम महाराष्ट्र राज्य के वाद में निर्णय देते हुए यह प्रावधान किया कि-
    • एससी/एसटी कानून के मामलों की जाँच कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी द्वारा की जाएगी। पहले यह कार्य इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी करता था।
    • यदि किसी आम आदमी पर एससी-एसटी कानून के अंतर्गत केस दर्ज होता है, तो उसकी भी गिरफ्तारी तुरंत नहीं होगी बल्कि इसके लिये जिले के SP या SSP से अनुमति लेनी होगी।
    • किसी व्यक्ति पर केस दर्ज होने के बाद उसे अग्रिम जमानत भी दी जा सकती है।
    • अग्रिम जमानत देने या न देने का अधिकार दंडाधिकारी के पास होगा। अभी तक अग्रिम जमानत नहीं मिलती थी तथा जमानत भी उच्च न्यायालय द्वारा दी जाती थी।
    • किसी भी सरकारी कर्मचारी/अधिकारी पर केस दर्ज होने पर उसकी गिरफ्तारी तुरंत नहीं होगी, बल्कि उस सरकारी अधिकारी के विभाग से गिरफ्तारी के लिये अनुमति लेनी होगी।
    • न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया है कि यह जाँच पूर्ण रूप से समयबद्ध होनी चाहिये। जाँच किसी भी सूरत में 7 दिन से अधिक समय तक न चले। इन नियमों का पालन न करने की स्थिति में पुलिस पर अनुशासनात्मक एवं न्यायालय की अवमानना करने के संदर्भ में कार्यवाई की जाएगी।

उत्पीड़न के ज़्यादातर मामले झूठे हैं

  • नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के संबंध में विचार करने पर ज्ञात होता है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम में दर्ज ज़्यादातर मामले झूठे पाए गए।
  • न्यायालय द्वारा अपने फैसले में ऐसे कुछ मामलों को शामिल किया गया है जिसके अनुसार 2016 की पुलिस जाँच में अनुसूचित जाति को प्रताड़ित किये जाने के 5347 झूठे मामले सामने आए, जबकि अनुसूचित जनजाति के कुल 912 मामले झूठे पाए गए।
  • वर्ष 2015 में एससी-एसटी कानून के तहत न्यायालय द्वारा कुल 15638 मुकदमों का निपटारा किया गया। इसमें से 11024 मामलों में या तो अभियुक्तों को बरी कर दिया गया या फिर वे आरोप मुक्त साबित हुए। जबकि 495 मुकदमों को वापस ले लिया गया।

केंद्र सरकार द्वारा किये गए संशोधन

  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध केंद्र सरकार ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून 2018 पारित करते हुए अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के मूल प्रावधानों को फिर से लागू कर दिया, जो इस प्रकार हैं -
    • एससी/एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिये मूल कानून में धारा 18A जोड़ी गई, इसके अंतर्गत पुराने कानून को बहाल कर दिया गया।
    • नए प्रावधानों के अनुसार, अब इस तरह के मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त आरोपी को अग्रिम जमानत भी न देने की व्यवस्था की गई।
    • आरोपी को उच्च न्यायालय से ही नियमित जमानत मिल सकेगी। अब पूर्व की भाँति मामले की जाँच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी करेंगे।
    • जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा।
    • एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी।
    • सरकारी कर्मचारी/अधिकारी के विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट दायर करने से पहले जाँच एजेंसी को अथॉरिटी से अनुमति लेने की अनिवार्यता नहीं होगी।

आगे की राह:

  • लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार दिये गए हैं और कानून के समक्ष भी सभी को समान माना गया है। ऐसे में किसी भी नागरिक के अधिकारों का हनन अनुचित है फिर चाहे वह सवर्ण हो या दलित। न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय भी इसी तर्क की पुष्टि करता है।
  • यह शासनतंत्र की ज़िम्मेदारी है कि वह पिछड़े समुदायों और दलितों के संरक्षण हेतु बनाए गए कानूनों का ईमानदारीपूर्वक और भेदभाव रहित दृष्टिकोण अपनाकर अनुपालन सुनिश्चित करे, जिससे इन वर्गों के भीतर उत्पन्न असुरक्षा और उत्पीड़न का डर समाप्त हो सके एवं इनका शासनतंत्र और न्याय प्रणाली में विश्वास बना रहे।

स्रोत: द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘स्टेप विद रिफ्यूजी’ अभियान

प्रीलिम्स के लिये:

‘स्टेप विद रिफ्यूजी’ अभियान, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त

मेन्स के लिये:

विश्व में शरणार्थी समस्याएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees-UNHCR) द्वारा प्रारंभ किये गए ‘स्टेप विद रिफ्यूजी’ (Step with Refugee) अभियान में कई भारतीय व्यक्तियों द्वारा भाग लिया जा रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • कई भारतीय तथा अन्य देशों के व्यक्ति शरणार्थी समस्या को समझने के संदर्भ में इस अभियान में भाग ले रहे हैं।

क्यों प्रारंभ किया गया अभियान?

  • पूरे विश्व में कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें पलायन के लिये मज़बूर किया गया है तथा वे जीवित रहने के लिये असाधारण प्रयास करते हैं।
  • ऐसे समय में जब अधिक-से-अधिक परिवार विभिन्न वैश्विक संकटों के कारण अपने घरों से पलायन के लिये मज़बूर हो रहे हैं, UNHCR द्वारा उनके परिवारों को सुरक्षित रखने के लिये तथा उनके जुझारूपन और दृढ़ संकल्प का सम्मान करने के लिये इस अभियान की शुरुआत की गई है।
  • इस सामूहिक प्रयास के माध्यम से वैश्विक एकजुटता स्थापित करने, शरणार्थियों के संबंध में बेहतर समझ बनाने और शरणार्थियों की रक्षा के लिये धन जुटाने के साथ-साथ उनके जीवन के पुनर्निर्माण में सहायता की जाएगी।

क्या है स्टेप विद रिफ्यूजी’ अभियान?

  • इस अभियान में भाग लेने वाले व्यक्तियों द्वारा 12 महीनों में दो बिलियन किलोमीटर की दूरी तय करने के लिये स्वयं को चुनौती दी जाएगी क्योंकि विश्व में शरणार्थियों द्वारा अपनी सुरक्षा के लिये हर वर्ष लगभग इतने किमी. की यात्रा तय की जाती है।
  • इस अभियान में प्रतिभागी पैदल चलकर, साइकिल चलाकर या दौड़कर शामिल हो सकते हैं तथा फिटनेस एप फिटबिट, स्ट्रवा या गूगलफिट के माध्यम से भी आंदोलन में शामिल हो सकते हैं और वे जितने किलोमीटर तक यात्रा करेंगे वह अभियान में स्वतः जुड़ जाएगा।
  • इस अभियान में प्रतिभागियों को एक ऑनलाइन कोच की सहायता देने की भी सुविधा है।
  • इस अभियान के तहत UNHCR कई शरणार्थियों की दुखद और साहसिक यात्राओं को भी विश्व के सामने प्रस्तुत कर रहा है।

शरणार्थियों की बेहतर समझ का निर्माण:

  • UNHCR ने शरणार्थियों को लेकर फैली कई तरह की भ्रांतियों को निम्नलिखित तथ्यों के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया है-
    • शरणार्थी हमेशा युद्ध या उत्पीड़न के कारण दूसरे देशों में जाने के लिये मजबूर होते हैं। उन्हें "शरणार्थी" के रूप में मान्यता इसलिये दी जाती है, क्योंकि उनके लिये प्रवासियों के समान घर वापस आना बहुत जोखिमपूर्ण होता है।

शरणार्थी एवं प्रवासी के मध्य अंतर:

  • शरणार्थी अपने देश में उत्पीड़न अथवा उत्पीड़ित होने के भय से पलायन को मज़बूर होते हैं। जबकि प्रवासी का अपने देश से पलायन विभिन्न कारणों जैसे-रोज़गार, परिवार, शिक्षा आदि के कारण भी हो सकता है किंतु इसमें उत्पीड़न शामिल नहीं है।
  • इसके अतिरिक्त प्रवासी को (चाहे अपने देश में हो अथवा अन्य देश में) को स्वयं के देश द्वारा विभिन्न प्रकार के संरक्षण का लाभ प्राप्त होता रहता है।
  • अधिकांश शरणार्थी घर के निकट रहने के लिये पड़ोसी देशों में सर्वाधिक पलायन करते हैं, इनमें से केवल 1% अन्य देशों में जाकर बसते हैं।
  • दुनिया भर में, एक तिहाई से भी कम लोग शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। अधिकांश शरणार्थी जीवन-यापन के लिये शहरों और कस्बों में जीवित रहने के लिये संघर्ष कर रहे हैं।

भारत में शरणार्थियों की समस्या:

  • भारत भी पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत और म्यांमार से आने वाले शरणार्थियों की समस्या से जूझ रहा है। वर्तमान में रोहिंग्या, चकमा-हाजोंग, तिब्बती और बांग्लादेशी शरणार्थियों के कारण भारत मानवीय, आंतरिक सुरक्षा आदि समस्याओं का सामना कर रहा है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि भारत भी शरणार्थियों के संबंध में एक ऐसी घरेलू नीति तैयार करे, जो धर्म, रंग और जातीयता की दृष्टि से तटस्थ हो तथा भेदभाव, हिंसा और रक्तपात की विकराल स्थिति से उबारने में कारगर हो।

वैश्विक शरणार्थी संकट तथा आगे की राह:

  • शरणार्थी संकट विश्व के समक्ष पिछली एक शताब्दी का सबसे ज्वलंत मुद्दा रहा है। विभिन्न प्राकृतिक एवं मानवीय आपदाएँ जैसे- भूकंप, बाढ़, युद्ध, जलवायु परिवर्तन आदि के कारण पिछली एक शताब्दी में लोगों के विस्थापन की समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।
  • इनसे निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रयास किये जाते रहे हैं।
  • शरणार्थी संकटों ने विभिन्न देशों को प्रभावित किया है जिसमें भारत भी शामिल है। भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र इसी प्रकार की समस्या से जूझ रहा है।
  • ‘स्टेप विद रिफ्यूजी’ अभियान वैश्विक स्तर पर शरणार्थियों के संबंध में बेहतर समझ बनाने और शरणार्थियों की रक्षा के लिये धन जुटाने में सहायता करेगा।

स्रोत- द हिंदू


कृषि

संरक्षित विशेष कृषि क्षेत्र

प्रीलिम्स के लिये:

संरक्षित विशेष कृषि क्षेत्र

मेन्स के लिये:

PSAZ से कृषि को लाभ

चर्चा में क्यों?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने 9 फरवरी 2020 को घोषणा की है कि कावेरी डेल्टा क्षेत्र को संरक्षित विशेष कृषि क्षेत्र (Protected Special Agriculture Zone-PSAZ) के रूप में घोषित किया जाएगा।

मुख्य बिंदु:

  • राज्य सरकार के अनुसार, कावेरी नदी के डेल्टा क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण जैसी परियोजनाओं के लिये मंज़ूरी प्रदान नहीं की जाएगी।
  • राज्य सरकार के अनुसार केंद्र सरकार यहाँ कोई भी परियोजना शुरू कर सकती है परंतु राज्य सरकार के अनुमति पत्र के बिना उसे लागू नहीं किया जा सकेगा।

क्या है संरक्षित विशेष कृषि क्षेत्र?

  • किसी क्षेत्र को संरक्षित कृषि क्षेत्र घोषित करने से इस क्षेत्र को ऐसी गतिविधियों तथा परियोजनाओं से सुरक्षा मिलती है जो किसानों के लिये शोषणकारी होती हैं।
  • इस क्षेत्र में खेती के साथ-साथ कृषि आधारित गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाता है।

PSAZ के रूप में घोषित क्षेत्र:

  • डेल्टाई क्षेत्रों की रक्षा और किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिये कावेरी डेल्टाई क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ज़िलों जैसे- तंजावुर, तिरुवूर, नागप्पट्टिनम, पुदुकोट्टई, कुड्डलोर, अरियालुर और त्रिची के डेल्टाई क्षेत्रों को PSAZ के तौर पर शामिल किया जाएगा।

PSAZ घोषित करने की आवश्यकता क्यों?

  • कावेरी डेल्टा क्षेत्र तमिलनाडु में एक महत्त्वपूर्ण कृषि क्षेत्र है जहाँ किसान विभिन्न जलवायु चुनौतियों के बावजूद कृषि कर रहे हैं।
  • यहाँ हाइड्रोकार्बन अन्वेषण जैसी परियोजनाओं ने किसानों और अन्य कृषि पर आधारित मज़दूरों के बीच चिंता पैदा की है, चूँकि यह डेल्टाई क्षेत्र समुद्र के भी काफी करीब है इसलिये इस क्षेत्र को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है।
  • यह सुनिश्चित करने के लिये कि तंजावुर, तिरुवरुर, नागपट्टिनम, पुदुकोट्टई, कुड्डलोर, अरियालुर, करूर और तिरुचिरापल्ली ज़िलों में कृषि प्रभावित न हो, इन कावेरी डेल्टाई क्षेत्रों को एक संरक्षित विशेष कृषि क्षेत्र में परिवर्तित किया जाएगा।

PSAZ घोषित करने के लाभ:

  • तमिलनाडु सरकार द्वारा कावेरी नदी के डेल्टाई क्षेत्रों को PSAZ घोषित करने से राज्य की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  • PSAZ का विचार खाद्य और पारिस्थितिक सुरक्षा के भविष्य को सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे खाद्य उत्पादकता में वृद्धि होगी।
  • पेट्रोकेमिकल और हाइड्रोकार्बन से संबंधित उद्योग, जो पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, पर रोक लगाए जाने से पर्यावरण की सुरक्षा होगी।

आगे की राह:

  • वित्त कई वर्षों में कृषि केंद्र तथा राज्‍य सरकारों की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक प्राथमिकता के रूप में उभरी है। इस बात को ध्‍यान में रखते हुए कृषि उत्‍पादकता तथा लाखों किसान जो देश को भोजन प्रदान करने के लिये कार्य करते हैं, के जीवन स्‍तर को सुधारने के लिये विभिन्‍न योजनाएँ शुरू की गई हैं।
  • तमिलनाडु सरकार द्वारा कावेरी नदी के डेल्टा क्षेत्र को PSAZ क्षेत्र घोषित किये जाने संबंधी घोषणा को अन्य राज्यों द्वारा भी गंभीरता से लिया जाना चाहिये तथा देश में विभिन्न उपजाऊ डेल्टा क्षेत्र को PSAZ घोषित किया जाना चाहिये।

स्रोत- द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

वायु रक्षा प्रणाली

प्रीलिम्स के लिये:

वायु रक्षा प्रणाली

मेन्स के लिये:

भारत की सीमा-सुरक्षा और तकनीक

चर्चा में क्यों:

हाल ही में अमेरिकी राज्य विभाग ने अपनी वायु रक्षा प्रणाली की भारत को बिक्री की मंज़ूरी प्रदान की है।

मुख्य बिंदु:

  • अमेरिकी राज्य विभाग ने भारत को संभावित $1.867 बिलियन की एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) की बिक्री को मंजूरी दी है।
  • इस बिक्री प्रकिया को विदेशी सैन्य बिक्री (Foreign Military Sales-FMS ) मार्ग के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है।
  • बिक्री के इस प्रस्ताव को विचारार्थ अमेरिकी कॉन्ग्रेस (अमेरिकी संसद) में रखा गया है जहाँ कॉन्ग्रेस 30 दिनों की समयावधि में इस पर कोई आपत्ति दर्ज़ करा सकती है।

एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली ( IADWS ):

  • IADWS प्रणाली को राष्ट्रीय सतह से हवा में मार करने वाली उन्नत मिसाइल प्रणाली (National Advanced Surface to Air Missile System-NASAMS) के रूप में भी जाना जाता है।
  • इस एकीकृत वायु मिसाइल रक्षा प्रणाली को वर्तमान में वाशिंगटन के आसपास तैनात किया गया है।
  • IADWS प्रणाली में राडार (RADAR), लॉन्चर्स (Launchers), लक्ष्यीकरण (Targeting) मार्गदर्शन प्रणाली (Guidance Systems), मध्यम परास की हवा से हवा में मार करने वाली उन्नत मिसाइल ( Advanced Medium-Range Air-to-Air Missile-AMRAAM), स्टिंगर मिसाइल, संबंधित उपकरण और सहायक उपकरण आदि शामिल हैं।

खरीद प्रक्रिया में शामिल उपकरण:

मिसाइल एवं राडार: इस खरीद प्रकिया में 5 AN/MPQ-64Fl प्रहरी राडार सिस्टम, 118 AMRAAM AIM-120C-7/C-8 आदि मिसाइलें शामिल है।

राइफल व सहायक उपकरण: इसमें 32 M4 A1 राइफल, 40,320 M 855 5.56 mm कारतूस, अग्नि वितरण केंद्र (Fire Distribution Centres-FDC) आदि उपकरण शामिल हैं

अन्य पैकेज: संचार, परीक्षण, प्रशिक्षण उपकरण संबंधी पैकेज।

भारत-अमेरिका प्रमुख सुरक्षा समझौतें:

  • सैन्य-सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (General Security of Military Information Agreement-GSOMIA): भारत कई वर्ष पूर्व ही अमेरिका के साथ इस पर हस्ताक्षर कर चुका है।
  • औद्योगिक सुरक्षा अनुबंध (Industrial Security Annex-ISA): ISA सामान्य सुरक्षा समझौते (GSOMIA) का ही एक भाग है।
  • संचार संगतता और सुरक्षा समझौता ( Communications Compatibility and Security Agreement-COMCASA): वर्ष 2018 में 2 + 2 वार्ता में भारत और अमेरिका ने COMCASA पर हस्ताक्षर किये थे जो उच्च-स्तरीय एन्क्रिप्टेड (High-End-Encrypted) संचार और उपग्रह डेटा साझा करने से संबंधित था।
  • भू-स्थानिक सहयोग के लिये बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौता (Basic Exchange and Cooperation Agreement for Geo-spatial Cooperation-BECA): यह समझौता अभी विचाराधीन है जिसमे भू-स्थानिक सूचनाओं के आदान-प्रदान में पारस्परिकता के मुद्दे पर मतभेद हैं और दोनों पक्ष उन्हें सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।
  • रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (Defence Technology and Trade Initiative-DTTI): भारत और अमेरिका ने वर्ष 2012 में DTTI पर हस्ताक्षर किये थे। दोनों पक्षों ने DTTI के तहत नवीन संयुक्त परियोजनाओं की पहचान की है। हाल ही में एक विस्तृत योजना बनाने के साथ ही एक स्टेटमेंट ऑफ़ इंटेंट (SOI) पर भी हस्ताक्षर किये हैं।

स्रोत: द् हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 फरवरी, 2020

गगनयान हेतु यात्रियों के प्रशिक्षण की शुरुआत

भारत के पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ (Gaganyaan) के लिये चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों के 12-माह के प्रशिक्षण की औपचारिक शुरुआत हो गई है। चयनित सभी उम्मीदवारों को यह प्रशिक्षण रूस की राजधानी मॉस्को स्थित गगारिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (Gagarin Research and Test Cosmonaut Training Centre-GCTC) में दिया जा रहा है। गगनयान मिशन के लिये जिन चार उम्मीदवारों का चयन किया गया है वे सभी भारतीय वायु सेना के पायलट हैं। रूस में प्रशिक्षण के पश्चात् चयनित उम्मीदवारों को भारत में भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। भारत और रूस के सभी प्रशिक्षण मॉड्यूलों को पूरा करने के पश्चात् अंत में चार में से एक या दो उम्मीदवारों को अंतिम मिशन के लिये नामित किया जाएगा। अगस्त 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘गगनयान’ मिशन की घोषणा की थी। लगभग 10,000 करोड़ रुपए की लागत वाले इस मिशन को वर्ष 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ज्ञात हो कि ‘गगनयान’ भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम है।

92वें अकादमी पुरस्‍कार

अमेरिका के लॉस एंजिल्स में डोल्‍बी थि‍येटर में 92वें अकादमी पुरस्‍कारों के आयोजन के दौरान ऑस्कर पुरस्कारों की घोषणा की गई। इस वर्ष हॉलीवुड अभिनेता वॉकिन फीनिक्स (Joaquin Phoenix) को फिल्‍म ‘जोकर’ के लिये सर्वश्रेष्‍ठ अभिनेता और अभिनेत्री रेनी ज़ेल्वेगर (Renée Zellweger) को फिल्म ‘जूडी’ के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ऑस्कर पुरस्कार दिया गया। इस वर्ष दक्षिण कोरियाई फिल्म ‘पैरासाईट’ (Parasite) ने सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशन, सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म सहित तमाम प्रमुख श्रेणियों में पुरस्कार अपने नाम किये। साथ ही दक्षिण कोरियाई फिल्‍म निर्माता बोंग जून-हो (Bong Joon-ho) को फिल्म ‘पैरासाइट’ के लिये मौलिक स्‍क्रीन प्‍ले का पुरस्कार दिया गया। सुपरस्टार ब्रैड पिट को फिल्‍म ‘वंस अपॉन ए टाइम इन हॉलीवुड’ (Once Upon a Time in Hollywood) में स्‍टंटमैन ‘क्लिफ बूथ’ (Cliff Booth) की भूमिका के लिये सर्वश्रेष्‍ठ सहायक अभिनेता और लॉरा डर्न को ‘मैरिज स्‍टोरी’ के लिये सर्वश्रेष्‍ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्‍कार दिया गया। ऑस्कर पुरस्कार अमेरिका की एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज (AMPAS) द्वारा फिल्म जगत् में उत्कृष्ट योगदान के लिये प्रदान किया जाता है। ऑस्कर पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1929 में हुई थी।

खानों को रेटिंग के लिये वेब पोर्टल

एक साधन के रूप में तकनीक का प्रयोग करते हुए सुरक्षित और सतत् खनन को प्रोत्साहन देने के लिये केंद्रीय कोयला मंत्रालय (MoC) ने कोयला खानों की स्टार रेटिंग के लिये एक वेब पोर्टल लॉन्च किया है। इस वेब पोर्टल पर पूर्व परिभाषित तंत्र के माध्यम से प्राप्त स्टार रेटिंग के आधार पर देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली खानों को सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा सभी खानों को कोल नियंत्रक संगठन (Coal Controller's Organization-CCO) द्वारा उनकी रेटिंग और रेटिंग वर्ष का उल्लेख करते हुए एक आधिकारिक प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। पोर्टल पर निर्धारित की गई प्रणाली के अनुसार, 91 से 100 प्रतिशत का स्कोर करने वाली खानों को 5 स्टार रेटिंग, 81 से 90 प्रतिशत का स्कोर करने वाली खानों को 4 स्टार, 71 से 80 प्रतिशत का स्कोर करने वाली खानों को 3 स्टार, 61 से 70 प्रतिशत का स्कोर करने वाली खानों को 2 स्टार और 41 से 60 प्रतिशत का स्कोर करने वाली खानों को 1 स्टार रेटिंग दी जाएगी, जबकि 0 से 40 प्रतिशत का स्कोर करने वाली खानों को कोई भी रेटिंग नहीं दी जाएगी। पोर्टल के अंतर्गत प्रत्येक कोयला खदान को स्व-मूल्यांकन के लिये लॉगिन प्रदान किया जाएगा। साथ ही CCO के क्षेत्रीय कार्यालयों को भी वेब पोर्टल पर एक अलग लॉगिन प्रदान किया जाएगा जिसके माध्यम से वे खानों द्वारा किये गए स्व-मूल्यांकन की पुष्टि कर सकेंगे। अंत में CCO के माध्यम से गठित एक सत्यापन समिति निर्धारित नीति के आधार पर अंतिम टिप्पणी करेगी और पोर्टल पर खानों को स्टार रेटिंग देगी।

क्षमता निर्माण हेतु समझौता ज्ञापन

10 फरवरी, 2020 को पंजाब के महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान (MGSIPA) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्मार्ट गवर्नमेंट (NISG) ने राज्य में ई-गवर्नेंस सेवाओं पर क्षमता निर्माण के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। इस संदर्भ में जारी आधिकारिक सूचना के अनुसार, यह समझौता ज्ञापन लोक सेवाओं के प्रशिक्षण में बुनियादी ढ़ाँचे, हार्डवेयर और प्रोप्राइटरी सॉफ्टवेयर (Proprietary Software) के साझाकरण के माध्यम से राज्य के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में NISG की भूमिका को सुगम बनाएगा। NISG एक गैर-लाभकारी कंपनी है जिसका गठन सूचना प्रौद्योगिकी एवं सॉफ्टवेयर विकास पर राष्ट्रीय कार्यबल (The National Taskforce on Information Technology and Software Development) की सिफारिशों के आधार पर वर्ष 2002 में एक सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (PPP) के तहत किया गया था।

निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष

आधिकारिक सूचना के अनुसार, केंद्र सरकार ने बीते 10 महीनों में निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (Investor Education and Protection Fund-IEPF) के माध्यम से 6000 से अधिक निवेशकों के दावों को मंज़ूरी दी है। निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (IEPF) को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 205C के तहत कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 1999 के माध्यम से स्थापित किया गया है। अधिनियम के अनुसार, भुगतान के लिये दी गई तारीख से सात वर्ष की अवधि के लिये लावारिस और अनपेड (Unpaid) राशि जैसे- कंपनियों के अनपेड लाभांश खाते, परिपक्व डिपाज़िट, परिपक्व डिबेंचर (ऋण पत्र), केंद्र सरकार, राज्य सरकार, कंपनियों या किसी अन्य संस्थानों द्वारा अनुदान और दान, फंड से किये गए निवेश से प्राप्त ब्याज़ या अन्य आय आदि को IEPF में जमा किया जाएगा। कोष की स्थापना का मुख्य उद्देश्य निवेशक शिक्षा, जागरुकता और सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों का समर्थन करना है।


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