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डेली न्यूज़

  • 10 Sep, 2018
  • 28 min read
भारत-विश्व

वर्तमान में LEMOA का पूर्ण रूप से कार्यान्वयन

चर्चा में क्यों?

भारत-यू.एस.ए. के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पारस्परिक लॉजिस्टिक्स समर्थन के लिये आधारभूत समझौते, लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) को पिछले कुछ महीनों में पूरी तरह से कार्यान्वित किया गया है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में दोनों देशों की 2+2 वार्ता के दौरान तीसरे आधारभूत समझौते, संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA), जो सुरक्षित एन्क्रिप्टेड संचार से संबंधित है पर हस्ताक्षर किये गए हैं।

LEMOA क्या है?

  • लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर भारत ने वर्ष 2016 में हस्ताक्षर किये थे।
  • यह समझौता भारत एवं अमेरिकी सेनाओं की एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं तक पहुँच को आसान बनाता है लेकिन यह इसे स्वचालित या अनिवार्य नहीं बनाता है।
  • यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को मुख्य रूप से चार क्षेत्रों जैसे - पोर्ट कॉल, संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण और मानवीय सहायता तथा आपदा राहत में सुविधाएँ प्रदान करता है।
  • LEMOA का सबसे बड़ा लाभार्थी भारतीय नौसेना है, जो विदेशी नौसेनाओं के साथ सबसे ज्यादा सूचना का आदान-प्रदान और अभ्यास करती है।
  • नौसेना का यू.एस.ए. के साथ समुद्र में ईंधन हस्तांतरण के लिये एक ईंधन विनिमय समझौता है, जो नवंबर में समाप्त होने वाला है।
  • SOPs में अमेरिकी सेना के लिये संपर्क के बिंदुओं को नामित करने और भुगतान के लिये एक आम खाते का निर्माण करना शामिल है।
  • उल्लेखनीय है कि मानक ऑपरेटिंग प्रक्रिया (SOPs) एक संगठन द्वारा संकलित चरण-दर-चरण निर्देशों का एक सेट है, जो कर्मचारियों को जटिल दिनचर्या का संचालन करने में मदद करती है।
  • यह मानक तीनों सेनाओं पर लागू होता है और अब तक, तीनों सेनाओं के व्यक्तिगत खाते थे जिनसे सैन्य अभ्यास के दौरान भुगतान किया जा रहा था।

भारत अमेरिका के बीच प्रमुख सूचना संधि

  • दोनों देशों द्वारा सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (GSOMIA) नामक पहले समझौते पर वर्ष 2002 हस्ताक्षर किये गए थे।
  • हाल ही में दोनों देशों की 2+2 वार्ता के दौरान हस्ताक्षरित COMCASA समझौता, CISMOA का संचार और सूचना से संबंधित भारत-विशिष्ट संस्करण है।
  • उल्लेखनीय है कि COMCASA को अमेरिका में CISMOA (Communication and Information Security Memorandum of Agreement) भी कहा जाता है।
  • आखिरी समझौता भू-स्थानिक सहयोग (BECA) है जो दोनों देशों के बीच सैन्य और नागरिक उद्देश्यों के लिये स्थल, समुद्री एवं वैमानिकी तीनों प्रकार की सूचनाओं के आदान-प्रदान में सहायता करने के लिये वैधानिक ढाँचा निर्धारित करेगा।


मुख्य परीक्षा

अटल पेंशन योजना अनिश्चितकाल तक विस्तारित

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अटल पेंशन योजना, जो कि अगस्त 2018 में समाप्त हो गई थी, को अनिश्चितकाल तक बढ़ाने का फैसला लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस योजना के अंतर्गत 28 अगस्त, 2018 के बाद खाता खोलने वाले सभी खाताधारकों के लिये दुर्घटना बीमा की राशि 2 लाख रुपए होगी जो कि पहले 1 लाख रुपए की सीमा की दोगुनी हो जाएगी।
  • औसत आयु-प्रत्याशा में वृद्धि को देखते हुए सरकार ने इस योजना के लिये अधिकतम आयु को पाँच वर्ष बढ़ा दिया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 18 से 60 साल की उम्र के लोग इस योजना में नामांकन कर सकते थे लेकिन अब 18 से 65 वर्ष की उम्र के लोग इसके लिये आवेदन कर सकते हैं।
  • योजना की ओवरड्राफ्ट सुविधा को भी 5,000 रुपए से बढाकर 10,000 रुपए तक कर दिया गया है।

पृष्ठभूमि

  • असंगठित क्षेत्र में समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को पेंशन अथवा वृद्धावस्था में आय सुरक्षा के दायरे में लाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा मई 2015 में ‘अटल पेंशन योजना’ की शुरूआत की गई थी।
  • इसे ‘राष्ट्रीय पेंशन स्कीम तंत्र’ के माध्यम से ‘पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण’ (PFRDA) द्वारा प्रशासित किया जाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था

सेबी के नए मानदंड और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश

संदर्भ

हाल ही में एसेट मैनेजर्स राउंडटेबल ऑफ इंडिया (विदेशी धन से संबंधित एक संघ) ने चेतावनी जारी की थी कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जारी एक परिपत्र के कारण भारतीय इक्विटी बाज़ारों से संभवतः 75 बिलियन डॉलर का प्रवाह देश से बाहर की ओर हो सकता है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश किसी देश में धनराशि की प्रविष्टि का वह तरीका है जिसमें किसी भी देश का नागरिक किसी अन्य देश के बैंक में धन जमा करता है या दूसरे देशों  के स्टॉक और बॉण्ड बाज़ारों में खरीदारी करता है।

सेबी द्वारा जारी परिपत्र

  • सेबी ने 10 अप्रैल, 2018 को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के लिये KYC(Know Your Client) मानदंडों में वृद्धि से संबंधित एक परिपत्र जारी किया था और द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी FPIs से उनके लाभार्थी मालिकों (Benificial Owners- BO) की एक सूची प्रदान करने करने को कहा था।
  • इस परिपत्र के अनुसार, निवासी भारतीय, अनिवासी भारतीय, भारतीय मूल के व्यक्ति और भारत के विदेशी नागरिक भारत में निवेश किये जाने वाले फंड के लिये लाभार्थी मालिक नहीं हो सकते हैं। उल्लेखनीय है कि नामिती (nominee) को भी FPI का लाभार्थी मालिक नहीं माना गया है।
  • लाभार्थी मालिक (BO) वह है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वामित्व का लाभ प्राप्त करता है।
  • कंपनी या ट्रस्ट की संरचना वाले FPIs के BOs को स्वामित्व हित (जिसे स्वामित्व या अधिकार के रूप में भी जाना जाता है) और नियंत्रण के आधार पर पहचाना जाना चाहिये। साझेदारी फर्म और व्यक्तियों के असंगठित संगठनों के मामले में BOs को स्वामित्व या अधिकार के आधार पर पहचाना जाना चाहिये।
  • स्वामित्व हित और नियंत्रण के मामले में FPI के BO की पहचान के लिये भौतिकता की सीमा कंपनी के मामले में 25% और साझेदारी फर्म, ट्रस्ट तथा व्यक्तियों के असंगठित संघ के मामले में 15% होगी।
  • ‘उच्च जोखिम क्षेत्राधिकार’ ((high risk jurisdictions) से आने वाले FPI के संदर्भ में मध्यस्थ BO की पहचान करने की लिये 10% की न्यूनतम भौतिकता सीमा लागू की जा सकती है और श्रेणी-III FPI के लिये लागू KYC दस्तावेज़ भी सुनिश्चित किये जा सकते हैं।
  • यदि कोई भी इकाई इन सीमाओं को पूरा नहीं करती है, तो FPI का वरिष्ठ प्रबंध अधिकारी नामित BO होगा।
  • वकीलों/लेखाकारों जैसे सेवा प्रदाताओं के प्रतिनिधित्व वाली कंपनियों/ट्रस्टों के मामले में FPI को उन कंपनियों/ट्रस्ट के असली मालिक/प्रभावी नियंत्रकों के बारे में जानकारी प्रदान करनी चाहिये।
  • NRIs और OCIs केवल इसी शर्त पर FPI लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं कि वे अपनी भूमिका को केवल निवेश सलाहकारों तक सीमित रखें और अपने पैसे का निवेश नहीं कर सकते हैं।
  • नियामक ने श्रेणी II और III के FPIs से BO के नाम और पते का खुलासा करने के लिये कहा था।
  • श्रेणी II के FPI में बड़े पैमाने पर विनियमित संस्थान, व्यक्तिय, व्यापक-आधारित फंड और विश्वविद्यालय, पेंशन तथा एंडॉवमेंट फंड शामिल हैं।

परिपत्र जारी करने के पीछे सेबी का उद्देश्य

  • हालाँकि नियामक द्वारा इस परिपत्र को जारी करने के पीछे स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है लेकिन यह माना जा सकता है कि मनी-लॉंडरिंग और राउंड ट्रिपिंग (ब्लैक मनी जो विदेशों में जाकर फिर से व्हाइट मनी में तब्दील हो जाती है और वापस उसी देश में निवेश के रूप में लौट आती है) पर चिंताओं ने इस निर्देश को प्रेरित किया होगा।

FPIs क्यों महत्वपूर्ण है?

  • FPI इस लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वे भारतीय शेयर बाज़ारों के लिये प्रमुख निवेशक रहे हैं।

क्यों खुश नहीं हैं विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक?

  • वर्तमान में FPIs को एक सूचीबद्ध भारतीय कंपनी में 10% तक निवेश करने की अनुमति है। सेबी ने अब कहा है कि यदि उनके पास एक ही BO है तो उनकी निवेश सीमा को और अधिक बढाया जाएगा।
  • दूसरा, अभी तक ऑफशोर फंड के BO को निर्धारित करने के लिये आर्थिक स्वामित्व बुनियादी मानदंड रहा है। इसका मतलब है कि एक फंड में अधिकाँश हिस्सेदारी रखने वाली इकाई को BO माना जाता है। लेकिन नए परिपत्र में नियामक ने FPIs से शेयरहोल्डिंग और नियंत्रण दोनों के आधार पर स्वामित्व निर्धारित करने के लिये कहा है।
  • इस संदर्भ में नियंत्रण का मतलब अन्य प्रशासनिक अधिकारों के साथ निदेशकों को नियुक्त करने और हटाने का अधिकार है।
  • सेबी ने कहा है कि उच्च जोखिम वाले राष्ट्र अधिक कठोर KYC मानदंडों के अंतर्गत आएंगे।

सेबी द्वारा गठित समिति

  • FPIs को राहत देते हुए हाल ही में सेबी द्वारा रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एच आर खान की अध्यक्षता वाली समिति ने पहले परिपत्र के संबंध में कुछ सुझाव दिए हैं।

समिति के सुझाव

सेबी द्वारा नियुक्त समिति ने महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये हैं:

  • अनिवासी भारतीयों, विदेशों में भारतीय निवासी और निवासी भारतीयों को विदेशी फंडों का प्रबंधन करने की अनुमति दी जानी चाहिये जो कुछ शेयर धारण की सीमाओं के अंतर्गत भारत में निवेश करते हैं।
  • FPI के प्रबंधन के तहत एक एकल NRI, OCI या RI संपत्तियों का 25% से अधिक धारण नहीं कर सकते और विदेशी संस्थाओं के निवेश में ऐसी इकाइयों की कुल शेयर धारण क्षमता 50% से कम होनी चाहिये।
  • FPI के वरिष्ठ प्रबंधकों और सूचीबद्ध संस्थाओं के लाभकारी मालिकों की पहचान के संबंध में परिवर्तनों का सुझाव दिया गया है।
  • सेबी को धन-शोधन रोधी कानून (PMLA) के तहत निर्धारित लाभार्थी मालिक की परिभाषा का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है।
  • उच्च जोखिम वाले अधिकार क्षेत्र को परिभाषित करने के लिये एक और उद्देश्य पूर्ण मानदंड विकसित करने हेतु केंद्र से परामर्श करने का भी सुझाव दिया गया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था

पीएमओ ने दी पोषण मानदंडों को मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नीति आयोग ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा तैयार पूरक पोषण दिशा-निर्देशों को मंज़ूरी दी है।

असहमति के मुख्य बिंदु

  • माना जा रहा है कि संबंधित मंज़ूरी मेनका गांधी की सिफारिशों को दरकिनार करके दी गई है।
  • उल्लेखनीय है कि पीएमओ ने प्रस्तावित मानदंडों पर मेनका गांधी और मंत्रालय के अधिकारियों के बीच सालों से चले आ रहे मतभेद के चलते यह कदम उठाया है।
  • असहमति का केंद्रबिंदु मुख्यतः एकीकृत बाल विकास योजना के तहत 14 लाख आंगनवाड़ियों से 10 करोड़ बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन और घर ले जाने के लिये राशन देने की योजना संबंधित था।
  • हालाँकि, मेनका गांधी का सुझाव था कि घर ले जाने वाले राशन को उन स्वयं सहायता समूह से प्राप्त किया जाए जिनके पास पर्याप्त संख्या में निर्माण की सुविधा हो या फिर इसे सरकारी या निजी संस्थाओं से लिया जाए।
एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS)
  • यह योजना वर्ष 1975 में 6 साल से कम आयु के बच्चों के सर्वांगीण विकास (स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा) के लिये  एक पहल के रूप में शुरू की गई थी।
  • इसका उद्देश्य शिशु मृत्यु दर, बाल कुपोषण को कम करना और पूर्व-विद्यालय शिक्षा प्रदान करना है।
  • ICDS योजना की निगरानी संबंधी समग्र ज़िम्मेदारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) की है।
  • ICDS योजना के तहत 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली माँ की पहुँच चार मुख्य सेवाओं जैसे- प्रतिरक्षा,पूरक पोषण, स्वास्थ्य जाँच, रेफ़रल सेवाएँ  तक सुनिश्चित करना है।
  • इसके अलावा, ICDS के तहत 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों की पहुँच पूर्व-स्कूल गैर-औपचारिक शिक्षा तक सुनिश्चित कराना।
  • महिलाओं और किशोरावस्था की लड़कियों की पहुँच पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा तक सुनिश्चित किया जाना।
  • उपर्युक्त सभी सेवाएँ स्थानीय आईसीडीएस (या आँगनवाड़ी) केंद्र से आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं द्वारा उपलब्ध कराई जाएंगी।

 

  • दरअसल, वह चाहती थीं कि रेडी टू ईट पैकेटबंद खाना लाभार्थी बच्चों को बाँट दिया जाए, जबकि विभाग के अधिकारी इस पक्ष में थे कि बच्चों को दिये जाने वाले खाद्य पदार्थ सिर्फ स्वयं सहायता समूह द्वारा स्थानीय तौर पर उपलब्ध सामग्रियों से निर्मित किये जाएँ।
  • इसके अलावा, असहमति का एक मुद्दा आँगनवाड़ी में अनुपूरक पोषाहार कैसे दिया जाए, से भी संबंधित था।
  • मेनका गांधी ने नीति निर्माताओं से कहा था कि हमें सिर्फ खाना देने के बारे में सोचने की जगह पोषण देने के बारे में सोचना चाहिये, जबकि अधिकारियों ने नीति आयोग से कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत खाद्य सुरक्षा का अर्थ ज़रूरतमंदों तक तय मात्रा में खाद्य अनाज और भोजन पहुँचाना है।


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स 10 सितंबर, 2018

रोबैट (Robat)

हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा दावा किया गया है कि उन्होंने पहला पूर्ण रूप से स्वायत्त रोबोट विकसित किया है जो चमगादड़ की तरह ही किसी माध्यम में आगे बढ़ने के लिये ध्वनि का उपयोग करता है।

  • इस रोबोट को इज़रायल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी (Tel Aviv University) के शोधकर्त्ताओं द्वारा तैयार किया गया है। चूँकि यह चमगादड़ के समान ही दृष्टिकोण का उपयोग करता है, इसलिये इसे रोबैट (Robat) नाम दिया गया है।
  • PLOS कंप्यूटेशनल बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इस प्रक्रिया में आस-पास की वस्तुओं से निकलने वाली आवाजों का पता लगाना तथा उनका विश्लेषण कर जानकारी हासिल करना शामिल है।
  • रोबैट में एक अल्ट्रासोनिक स्पीकर स्थापित किया गया है जो मुख की तरह काम करता है, आमतौर पर चमगादड़ के समान आवृत्ति वाली ध्वनि का उत्पन्न करता है, साथ ही इसमें दो अल्ट्रासोनिक माइक्रोफ़ोन भी लगे हैं जो कान की तरह कार्य करते हैं।
पुद्दुचेरी शार्क

हाल ही में EGREE फाउंडेशन के फील्ड जीव वैज्ञानिकों ने कुम्भाभिषेकम के लैंडिंग प्वाइंट में 'पुद्दुचेरी शार्क' की उपस्थिति दर्ज की है। उल्लेखनीय है कि 2007 और 2016 के बाद यह तीसरी बार है जब इसे देखा गया है।

  • पुद्दुचेरी शार्क वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत संरक्षित हैं।
  • IUCN की रेडलिस्ट में इसे गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति (Critically Endangered) की श्रेणी में रखा गया है।
  • ये लुप्तप्राय प्रजातियाँ वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत संरक्षित हैं।
  • पुद्दुचेरी शार्क आकार में छोटी होती है यानी कि इसकी लंबाई 1 मीटर (3.3 फीट) से अधिक नहीं होती,  जबकि इसका रंग भूरा होता है।  
  • इस प्रजाति की पहचान इसके ऊपरी दाँतों से की जा सकती है, जो कि आधार की ओर मज़बूत तथा ऊपर की ओर मुलायम होते हैं।
  • इसके अतिरिक्त इसकी पहचान पृष्ठीय पंखों से भी की जा सकती है, जो कि बड़े होते हैं।  
  • इस शार्क को उन 25 ‘मोस्ट वांटेड लॉस्ट’ (most wanted lost) प्रजातियों की सूची में शामिल किया गया है जो वैश्विक वन्यजीव संरक्षण की ‘खोई हुई प्रजातियों की खोज’ (Search for Lost Species) पहल का हिस्सा है।

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2018

8 सितंबर को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाया गया। उल्लेखनीय कि भारत में राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 11 नवंबर को मनाया जाता है।

  • विश्व में बड़े स्तर पर व्याप्त निरक्षरता को कम करने  के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने का विचार पहली बार 1965 में 8 से 19 सितंबर तक ईरान की राजधानी तेहरान में शिक्षा मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के दौरान हुई चर्चा में सामने आया।
  • अक्तूबर 1966 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को-UNESCO) के 14वें आम सम्मेलन में यह घोषणा की गई कि प्रतिवर्ष 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
  • 8 सितंबर, 1967 को पूरी दुनिया में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया गया।
  • इस दिवस को मनाने का उद्देश्य व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक रूप से साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना है।
  • इस वर्ष 52वें अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम 'साक्षरता और कौशल विकास' (Literacy and skills development) है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 22 प्रतिशत लोग अनपढ़ हैं।
  • सर्वाधिक साक्षरता दर वाले राज्य क्रमशः केरल (93.91%) लक्षद्वीप (92.28%), मिज़ोरम (91.58%), त्रिपुरा (87.75%) और गोवा (87.40%) हैं।
  • बिहार और तेलंगाना सबसे कम साक्षरता दर वाले राज्य हैं।

बिमल जालान

कुछ समय पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम द्वारा इस्तीफा दिये जाने के बाद सरकार ने अगले मुख्य आर्थिक सलाहकार का चयन करने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान (1997-2003) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।

  • जालान के अलावा, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव सी. चंद्रमौली और आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग इस समिति के सदस्य होंगे।
  • हालाँकि अगले मुख्य आर्थिक सलाहकार की नियुक्ति के संदर्भ में अंतिम फैसला प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति करेगी।
स्लिनेक्स- 2018

भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास स्लिनेक्स (SLINEX-2018) के छठे संस्करण का आयोजन (7-13 सितंबर, 2018) किया जा रहा है।

  • इस नौसैनिक अभ्यास का आयोजन त्रिंकोमली (श्रीलंका) में किया जा रहा है।
  • भारत तथा श्रीलंका के बीच इस नौसैनिक अभ्यास की शुरुआत वर्ष 2005 में की गई थी।
  • इस अभ्यास में भारत की ओर से तीन नौसैनिक जहाज़ किर्च, सुमित्रा और कोरा दिव्ह (KORA DIVH) के अलावा दो समुद्री गश्ती विमान और एक हेलीकॉप्टर को शामिल किया गया है।
  • श्रीलंका की वायु सेना के कर्मचारी इस सैन्य अभ्यास में पहली बार भाग ले रहे हैं।

 


जैव विविधता और पर्यावरण

बाढ़ के बाद केरल की नदियों में पानी का स्तर गिरा

चर्चा में क्यों?

अगस्त माह के मध्य में आई विनाशकारी बाढ़ के लगभग तीन हफ्ते बाद केरल में अजीब घटना देखने को मिली। यहाँ बाढ़ के कारण नदियों के जल स्तर में जो वृद्धि हुई थी वह दूसरे दिन अचानक तेज़ी से कम हो गई।

प्रमुख बिंदु

  • भरतपुझा नदी का तल जल स्तर कम हो जाने से कई जगहों पर दिखाई देने लगा है। कई अन्य नदियों का भी जल स्तर गिरना शुरू हो गया है, जिसने राज्य में संभावित सूखे की स्थिति के बारे में अटकलों को मज़बूती प्रदान की है, विशेषकर पूर्वोत्तर मानसून के विफल रहने की दशा में यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। 
  • जबकि विशेषज्ञों ने इस तरह के भय को दूर किये जाने की मांग की है, इस घटना ने राज्य में जल की कमी की समस्या को उजागर कर दिया है।

मुख्य कारण 

  • केंद्र सरकार के अंतर्गत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान, जल संसाधन विकास प्रबंधन केंद्र (CWRDM) के अनुसार, नदियों के गिरते हुए जल स्तर का मुख्य कारण उच्च भूमि क्षेत्रों में ऊपरी मिट्टी का अत्यधिक कटाव और नदियों में गाद निक्षेपण है। 
  • पहाड़ियों और उच्च भूमि क्षेत्रों में शीर्ष मिट्टी को कई जगहों पर दो मीटर तक की गहराई तक अचानक आई बाढ़ द्वारा हटा दिया गया। जब बाढ़ के कारण ऊपरी मिट्टी बह गई, तो इसके साथ ही वर्षा जल को सोखने की पहाड़ियों की क्षमता भी कम हो गई।
  • वनों की कटाई के कारण पारिस्थितिकीय विनाश, उच्च भूमि क्षेत्रों में हानिकारक भूमि उपयोग और धाराओं तथा नदियों में रेत खनन ने ऊपरी मिट्टी के बह जाने और गाद निक्षेपण में योगदान दिया। इन सभी कारणों के ऊपर सूक्ष्म रूप से जलवायु परिवर्तन का भी असर था। 
  • नदियों के सिकुड़ने के सटीक कारणों को जानने के लिये एक "विस्तृत, स्थान-विशिष्ट भौगोलिक जाँच" आवश्यक है। सरकार ने पहले ही इसके कारणों को ढूंढने का कार्य CWRDM को सौंपा है और उसने जाँच के लिये वैज्ञानिकों का एक पैनल गठित किया है।
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कालीकट, (NIT-C) के विशेषज्ञों ने कहा कि बाढ़ के बाद नदियों और कुओं में जल स्तर का नीचे आना सामान्य बात है।

भूजल स्तर में भी कमी 

  • सामान्यतः एक नदी मुहाने तक अपने द्वारा लाई गई रेत से होकर ही बहती है। हालाँकि, इस बार बाढ़ के साथ बहाकर लाई गई रेत और मुलायम चट्टानों से नदियाँ भर चुकी हैं अतः नदियों में जल का स्तर कम हो गया। जब नदी का जल स्तर घटता है तो भूजल स्तर का भी तब तक पुनः भरण नहीं हो पाता जब तक नदियाँ और भूजल की तालिका जुड़े हुए न हों।
  • उम्मीद है कि भूगर्भीय घटना भविष्य में ठीक हो जाएगी। लेकिन संबंधित अधिकरणों को भूस्खलन प्रवण क्षेत्रों में अवैज्ञानिक निर्माण और खनन कार्य को रोकना चाहिये क्योंकि ऐसी गतिविधियाँ नाजुक पश्चिमी घाट क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएँ पैदा कर रही हैं।

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