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डेली न्यूज़

  • 10 Jul, 2019
  • 32 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-आसियान बैठक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत-आसियान त्रिगुट (Troika) व्‍यापार मंत्रियों की बैठक नई दिल्‍ली में आयोजित की गई।

प्रमुख बिंदु

  • बैठक का उद्देश्‍य वर्तमान में जारी क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक साझेदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) पर अनौपचारिक विचार- विमर्श करना था।
  • भारत में क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक साझेदारी को अपनी एक्‍ट ईस्‍ट नीति (Act East Policy) के विस्‍तार के रूप में माना जाता है जिसमें सभी क्षेत्र में आर्थिक विकास एवं स्‍थायित्‍व के लिये व्‍यापक संभावनाएँ हैं।
  • विशेषज्ञ स्‍तर पर क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक साझेदारी वार्ताओं के 26वें दौर में कुछ प्रगति हुई है। ये वार्ताएँ हाल ही में मेलबर्न में संपन्न हुई तथा इस दौरान सदस्‍य देशों ने कुछ हद तक लचीलापन रुख अपनाते हुए सामंजस्‍य स्थापित किया।
  • भारत ने भी इन वार्ताओं के दौरान काफी हद तक लचीला रुख दिखाया तथा कुछ महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में समु‍चि‍त सामंजस्‍य स्थापित करने में सहायता की है।
  • आने वाले समय में चीन और वियतनाम में होने वाली वार्ताओं के दौरान और ज़्यादा सामंजस्‍य स्थापित किये जाने की संभावना है।

भारत की स्थिति

  • पिछले मुक्‍त व्‍यापार समझौतों के प्रभाव के बारे में भारतीय उद्योग जगत में आशंका और निराशावाद है।
  • भारत ने वस्‍तुओं के मामले में जितनी रियायतें दी हैं उनके मुकाबले उसे अपेक्षाकृत कम छूट प्राप्‍त हुई है।
  • मूल देश के प्रावधानों पर अमल नहीं करने और इस तरह के उल्‍लंघन की जांच एवं उन्‍हें सुलझाने में पूर्ण सहयोग न मिलने के कारण भारत में वस्‍तुओं के आयात में काफी वृद्धि देखने को मिली है।
  • विभिन्‍न मानकों के साथ-साथ इस क्षेत्र में नियामकीय कदमों और अन्‍य गैर-शुल्‍क बाधाओं के कारण भारत-आसियान मुक्‍त व्‍यापार समझौते (ASEAN-India Free Trade Area- AIFTA) के तहत भारत द्वारा प्राथमिकता प्राप्‍त शुल्‍क दरों का उपयोग 30 प्रतिशत से कम है।

चुनौतियाँ

  • भारतीय वस्‍तुओं के मामले में विशेषकर चीन के साथ बाज़ार पहुँच से जुड़े मुद्दे काफी जटिल हैं।
  • भारतीय उद्योग जगत इस बात को लेकर आश्‍वस्‍त नहीं है कि क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों विशेषकर वस्‍तुओं और सेवाओं के मामले में संतुलित नतीजे सुनिश्‍चि‍त करते हुए सभी के लिये लाभप्रद साबित होगी।

स्रोत- PIB


भारतीय अर्थव्यवस्था

महिला स्टार्टअप शिखर सम्मेलन 2019

चर्चा में क्यों?

महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केरल स्टार्टअप मिशन (Kerala Startup Mission- KSUM) 1 अगस्त को कोच्चि में महिला स्टार्टअप शिखर सम्मेलन (Women Startup Suummit) का आयोजन करेगा।

प्रमुख बिंदु:

  • इस शिखर सम्मेलन का आयोजन KSUM द्वारा राष्ट्रीय महिला नेटवर्क (Indian Women Network) और भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry-CII) के साथ मिलकर किया जाएगा।
  • इस सम्मेलन की थीम “एक समावेशी उद्यमशीलता पारिस्थितिकी का विकास” (Developing an Inclusive Entrepreneurship Ecosystem) है।

women startup summit

    • यह सम्मेलन महिला पेशेवरों, इच्छुक उद्यमियों, कॉर्पोरेट क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण महिलाओं और स्टार्टअप संस्थापको के लिये खुला होगा।
    • महिला स्टार्टअप शिखर सम्मेलन 2019 का उद्देश्य पेशेवर महिलाओं के अपने उद्यम को शुरू करने के लिये राज्य में एक समावेशी उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है।
    • शी लव्स टेक (She Loves Tech) के तहत चयनित 20 महिला स्टार्टअप का प्रदर्शन भी सम्मेलन में किया जाएगा।
  • शी लव्स टेक (She Loves Tech) एक वैश्विक प्लेटफार्म है जो महिलाओं के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिये महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करता है।

स्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन


सामाजिक न्याय

भारत में हाथ से मैला ढोने की कुप्रथा

चर्चा में क्यों?

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में हाथ से मैला ढोने (मैनुअल स्केवेंजिंग) के कारण मरने वाले सफाई कर्मचारियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है और यह आँकड़ा 88 तक पहुँच चुका है।

मुख्य बिंदु:

  • ज्ञातव्य है कि भारत में मैनुअल स्केवेंजिंग या हाथ से मैला ढोने की प्रथा को पूर्णतः प्रतिबंधित किया जा चुका है, परंतु अभी भी भारत के समक्ष यह एक गंभीर समस्या के रूप में विद्यमान है।
  • मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 1993 से अब तक इस शर्मनाक प्रथा के कारण कुल 620 लोगों की मौत हो चुकी है।
  • लोकसभा में पेश किये गए आँकड़ों के अनुसार, अब तक 445 मामलों में मुआवज़ा दिया चुका है, 58 मामलों में आंशिक समझौता किया गया है और 117 मामले अभी भी लंबित हैं।
  • इस संदर्भ में 15 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने मंत्रालय के साथ जानकारी साझा की है, जिसके अनुसार अकेले तमिलनाडु में ही इस प्रकार के 144 मामले दर्ज़ किये गए हैं।

Killer cesspool

  • कुछ राज्यों ने इस प्रकार के मामलों का कोई भी रिकॉर्ड नहीं रखा है जिसके कारण अभी तक सही आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं, इस प्रथा के कारण होने वाली मौतों की संख्या और अधिक हो सकती है।
  • 27 मार्च, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में सरकार को वर्ष 1993 से मैनुअल स्केवेंजिंग के कारण मरे गए लोगों की संख्या की पहचान करने और उनके परिवारों को मुआवज़े के रूप में 10-10 लाख रूपए देने का निर्देश दिया था।

क्या है हाथ से मैला ढोना (मैनुअल स्केवेंजिंग)?

किसी व्यक्ति द्वारा शुष्क शौचालयों या सीवर से मानवीय अपशिष्ट (मल-मूत्र) को हाथ से साफ करने, सिर पर रखकर ले जाने, उसका निस्तारण करने या किसी भी प्रकार की शारीरिक सहायता से उसे संभालने को हाथ से मैला ढोना या मैनुअल स्केवेंजिंग कहते हैं। इस प्रक्रिया में अक्सर बाल्टी, झाड़ू और टोकरी जैसे सबसे बुनियादी उपकरणों का उपयोग किया जाता है। इस कुप्रथा का संबंध भारत की जाति व्यवस्था से भी है।

स्रोत: द हिंदू


सामाजिक न्याय

'सौभाग्य' योजना

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना 'सौभाग्य' (Pradhan Mantri Sahaj Bijli Har Ghar Yojana ‘Saubhagya’) ने अपनी निर्धारित समय सीमा समाप्त कर ली है, परंतु बिजली मंत्रालय द्वारा के एक अनुमान के मुताब़िक देश में अभी भी 1.5 लाख घर ऐसे हैं जहाँ बिजली कनेक्शन नहीं पहुँचा है।

Saubhagya yojana

प्रमुख बिंदु:

  • केंद्र सरकार की इस योजना का उद्देश्य एक निश्चित समयावधि में देश के सभी घरों तक बिजली पहुँचाना था।
  • इस योजना को सर्वप्रथम सितंबर 2017 में आरंभ किया गया था और इसे दिसंबर 2018 तक पूरा किया जाना था, लेकिन बाद में इसकी समयावधि को 31 मार्च 2019 तक बढ़ा दिया गया।
  • पूर्व में राजस्थान सरकार ने यह सूचित किया था कि वहाँ के सभी इच्छुक लोगों को बिजली कनेक्शन दिया जा चुका है, लेकिन राजस्थान में अभी भी कुछ घर ऐसे हैं जो बिजली कनेक्शन चाहते हैं, लेकिन अब तक उनके पास बिजली की व्यवस्था नहीं है।
  • इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ में भी 24000 घर ऐसे हैं जहाँ बिजली कनेक्शन अभी तक उपलब्ध नहीं है। छत्तीसगढ़ प्रशासन के अनुसार, उग्रवाद के कारण अब तक इन घरों में बिजली कनेक्शन नहीं दे पाया है।
  • कनेक्शन से वंचित सभी घरों को अब इस योजना के तहत बिजली कनेक्शन नहीं दिया जाएगा, क्योंकि हाल ही में पेश हुए बजट में इस योजना के लिये कोई भी राशि आवंटित नहीं की गई है।
  • बिजली कनेक्शन से वंचित घरों को अन्य योजनाओं जैसे- एकीकृत बिजली विकास योजना (Integrated Power Development Scheme-IPDS), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (Deen Dayal Upadhyaya Gram Jyoti Yojana-DDUGJY) आदि के माध्यम से बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराया जाएगा।

सौभाग्य योजना:

  • सौभाग्य योजना का शुभारंभ ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण सुनिश्चित करने के लिये किया गया था।
  • इस योजना के तहत केंद्र सरकार से 60% अनुदान राज्यों को दिया गया, जबकि राज्यों ने अपने कोष से 10% धन खर्च किया और शेष 30% राशि बैंकों ने बतौर ऋण के रूप में प्रदान की।
  • विशेष राज्यों के लिये केंद्र सरकार द्वारा योजना का 85% अनुदान दिया गया, जबकि राज्यों को अपने पास से केवल 5% धन ही लगाना था और शेष 10% राशि बैंकों ने बतौर ऋण के रूप में प्रदान की।
  • ऐसे सभी चार करोड़ निर्धन परिवारों को बिजली कनेक्शन प्रदान किया गया जिनके पास उस वक्त कनेक्शन नहीं था।
  • इस योजना का लाभ गाँव के साथ-साथ शहर के लोगों को भी प्रदान किया गया।
  • केंद्र सरकार द्वारा बैटरी सहित 200 से 300 वाट क्षमता का सोलर पावर पैक दिया गया, जिसमें हर घर के लिये 5 LED बल्ब, एक पंखा भी शामिल था।
  • बिजली के इन उपकरणों की देख-रेख 5 सालों तक सरकार अपने खर्च पर करेगी।
  • बिजली कनेक्शन के लिये 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना को आधार माना गया था। जो लोग इस जनगणना में शामिल नहीं थे, उन्हें 500 रुपए में कनेक्शन दिया गया और इसे 10 किश्तों में वसूला जाएगा।
  • सभी घरों को बिजली पहुँचाने के लिये प्री-पेड मॉडल अपनाया गया था।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)


सामाजिक न्याय

सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन

चर्चा में क्यों?

हाल में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food & Public Distribution) ने एक नई योजना ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन’ (Integrated Management of Public Distribution System- IMPDS) लागू की है।

प्रमुख बिंदु

  • IMPDS प्रणाली आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा में पहले से ही चल रही है, जिसमें लाभार्थी राज्य के किसी भी ज़िले में खाद्यान्न प्राप्त कर सकता है।
  • इस योजना का उद्देश्य देश के किसी भी भाग में उपस्थित सार्वजनिक वितरण प्रणाली/पोर्टलों का केंद्रीय प्रणाली/पोर्टलों से एकीकरण करना है।
  • इसके माध्यम से राशन कार्डों की राष्ट्रव्यापी पोर्टेबिलिटी का कार्यान्वयन करके 'एक राष्ट्र एक राशन कार्ड' परियोजना को लागू करने में सहायता प्राप्त की जा सकेगी।
  • साथ ही इस योजना के माध्यम से राशन कार्डधारकों/लाभार्थियों के दुहराव को भी रोका जा सकेगा।
  • इस योजना से खाद्यान्नों के वितरण में अधिक पारदर्शिता एवं दक्षता आएगी।
  • यह योजना सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को अपना निर्धारित खाद्यान्न राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पसंद की उचित मूल्य की दुकानों से लेने का विकल्प भी प्रदान करती है।
  • यह योजना उन प्रवासी मज़दूरों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अधिक सहायक होगी जो बेहतर रोज़गार तलाशने के लिये दूसरे राज्यों में जाते हैं।

स्रोत- PIB


सामाजिक न्याय

श्रीलंका को WHO ने खसरा मुक्त घोषित किया

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने श्रीलंका को खसरा (Measles) मुक्त घोषित किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • श्रीलंका, WHO द्वारा खसरा मुक्त घोषित होने वाला दक्षिण एशिया का 5वाँ देश बन गया है। श्रीलंका ने रूबेला नियंत्रण के एक वर्ष बाद ही खसरे पर भी नियंत्रण पा लिया है।
  • इस क्षेत्र के खसरा मुक्त होने वाले अन्य देश मालदीव, भूटान, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक (DPR) ऑफ़ कोरिया और पूर्वी तिमोर हैं।
  • भूटान, मालदीव और तिमोर-लेस्ते के बाद श्रीलंका इस क्षेत्र का चौथा देश है, जिसने वर्ष 2020 तक इन बीमारियों को नियंत्रित करने के WHO के क्षेत्रीय लक्ष्य से पहले ही खसरे को समाप्त करने और रूबेला को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त की है।
  • खसरा मुक्त होने से तात्पर्य है कि अंतिम तीन वर्षो में खसरे का कोई नया मामला सामने नहीं आया है।
  • इसके अलावा जब कोई देश वर्ष 2008 के मामलों की तुलना में रूबेला के मामलों में 95% तक कमी लाने में सफल रहता है तब उसे रूबेला नियंत्रित देश माना जाता है।
  • खसरा एक गंभीर और अत्यधिक संक्रामक बीमारी है। जो इन्सेफलाइटिस, दस्त, निर्जलीकरण, निमोनिया, कान में संक्रमण और स्थायी दृष्टि हानि जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकती है।

भारत की स्थिति

  • जहाँ श्रीलंका इस बीमारी को नियंत्रित करने में सफल रहा है, वहीं भारत अभी भी इस बीमारी को नियंत्रित करने के मामले में काफी पीछे है, वर्ष 2018 के दौरान भारत में खसरे के 56,399 और रूबेला के 1,066 मामलों की पुष्टि की गई।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस


सामाजिक न्याय

राष्ट्रीय पोषण मिशन

चर्चा में क्यों?

भारत में मातृ एवं बाल स्वास्थ्य और पोषण से संबंधी 30 से अधिक सरकारी कार्यक्रम और योजनाएँ हैं, परंतु इसके बावजूद भी भारत कुपोषण के संकट से जूझ रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (National Nutrition Mission- NNM) का उद्देश्य छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोरियों में कुपोषण और एनीमिया को कम करना है।
  • एक अनुमान के मुताबिक इस योजना से कुल 100 मिलियन लोग लाभान्वित होंगे।
  • NNM नीति आयोग द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय पोषण रणनीति (National Nutrition Strategy) द्वारा समर्थित है। इस रणनीति का उद्देश्य वर्ष 2022 भारत को कुपोषण से मुक्त करना है।
  • यह मिशन आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं (Anganwadi Workers- AWWs) को सुचन एवं प्रौद्योगिकी आधारित उपकरणों का प्रयोग करने, सोशल ऑडिट करने और पोषण संसाधन केंद्र स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
  • इस मिशन का इरादा तो स्पष्ट है, परंतु इसके क्रियान्वन में कुछ चुनौतियाँ हैं, जो निम्नलिखित हैं:
    • कुपोषण एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है:
      • निर्धनता सहित अपर्याप्त भोजन की खपत, भोजन का असमान वितरण, मातृ, शिशु एवं बच्चे की अनुचित देखभाल, असमानता और लैंगिक असंतुलन, ख़राब साफ-सफाई और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित पहुँच आदि इसके प्रमुख कारण हैं।
      • स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न मंत्रालय और विभाग अक्सर अलग-अलग काम करते हैं और उनके बीच समन्वय में कमी पाई जाती है।
    • अन्य सरकारी योजनाओं की तरह यह योजना भी आवंटित राशि के आंशिक प्रयोग का सामना कर रही है। इस योजना के लिये वर्ष 2018-19 में आवंटित कुल संसाधनों का मात्र 16 प्रतिशत ही प्रयोग में लाया गया था।
    • रियल टाइम डेटा मॉनिटरिंग, स्थिरता और जवाबदेही की कमी के कारण यह मिशन काफी प्रभावित हो सकता है, इसलिये हमे निगरानी प्रणाली को और मज़बूत करने तथा स्थिरता एवं जवाबदेही को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

स्रोत: लाइव मिंट


कृषि

कृषि में महिलाओं की भागीदारी

चर्चा में क्यों?

10वीं कृषि जनगणना (2015-16) के अनुसार कृषि में महिलाओं का परिचालन स्वामित्त्व वर्ष 2010-11 के 13% से बढ़कर वर्ष 2015-16 में 14% हो गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 16% का योगदान देने वाले कृषि क्षेत्र में महिलाओं की गतिविधियाँ बढ़ रही हैं।
  • कृषि क्षेत्र में सक्रिय कुल जनसंख्या में से 80% महिलाएँ कार्यरत हैं जिसमें से 33% कृषि श्रम बल और 48% स्व-नियोजित किसान के रूप में भी शामिल हैं।
  • NSSO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 18% किसान परिवारों का नेतृत्व महिलाएँ ही करती हैं।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार, ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में पुरुषों के प्रवास में वृद्धि के परिणामस्वरूप कृषि में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हुई है।

कृषि जनगणना

  • इसका आयोजन कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (Department of Agriculture, Cooperation and Farmer Welfare) द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में किया जाता है।
  • कृषि जनसंख्या में परिचालन संपत्ति से संबंधित आँकड़ों को जनगणना के माध्यम से तैयार किया जाता है।
  • पहली बार कृषि जनगणना वर्ष 1970-71 में की गई थी।

परिचालन संपत्ति

(Operational Holding)

  • ऐसी भूमि जो कृषि उत्पादन के लिये पूरी तरह या आंशिक रूप से उपयोग की जाती है और किसी व्यक्ति द्वारा अकेले या दूसरों के साथ मिलकर बिना स्वामित्व के भी इसका संचालन एक तकनीकी इकाई के रूप में किया जाता है, तो यह परिचालन संपत्ति कहलाती है।

महिला किसानों की चुनौतियाँ

  • भूमि पर स्वामित्व का अभाव
  • वित्तीय ऋण तक पहुँच का अभाव
  • संसाधनों और आधुनिक उपकरणों का अभाव
  • कम वेतन के साथ कार्य का अत्यधिक बोझ

सरकार के द्वारा उठाये गए कदम

  • महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना
    • ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विशेष रूप से महिला किसानों के लिये एक कार्यक्रम है।
    • यह दीन दयाल अंत्योदय योजना- यह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का एक उप-घटक है।
    • इसका उद्देश्य कृषि में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है जिससे स्थायी आजीविका का सृजन करके महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके।
    • ऐसी परियोजनाओं के लिये 60% (उत्तर पूर्वी राज्यों के लिये 90%) की वित्तीय सहायता सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी।
    • यह किसानों हेतु राष्ट्रीय नीति 2007 के प्रावधानों के अनुरूप है।
  • सभी लाभकारी योजनाओं, कार्यक्रमों और विकास गतिविधियों के बजट आवंटन में से 30% महिला लाभार्थियों के लिये निर्धारित किया गया है।
  • सरकार स्वयं सहायता समूह के माध्यम से वित्त की आपूर्ति करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है जिससे महिला किसानों के क्षमता निर्माण और विभिन्न निर्णय लेने वाले निकायों में उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
  • कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रत्येक वर्ष के 15 अक्तूबर को महिला किसान दिवस घोषित किया है।

आगे की राह:

  • नाबार्ड (NABARD) की सूक्ष्म वित्तीयन पहल के तहत बिना परिसंपत्ति के बिना भी ऋण देने की प्रक्रिया प्रोत्साहित किया जाए।
  • महिलाओं के अनुकूल उपकरणों और मशीनरी के उत्पादन को निर्माताओं द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • प्रत्येक जिले में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्रों को अन्य सेवाओं के साथ-साथ नवीन प्रौद्योगिकी के बारे में महिला किसानों को शिक्षित और प्रशिक्षित करने का अतिरिक्त कार्य सौंपा जा सकता है।
  • सरकार की प्रमुख योजनाओं जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, बीज और रोपण सामग्री पर उप-मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में महिला को केंद्रित करते हुए विशेष रणनीति और समर्पित व्यय को शामिल किया जाना चाहिये।

स्रोत: PIB


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (10 July)

  • सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने  पंजाब और जम्मू में पाकिस्तानी सीमा पर घुसपैठ रोधी उपायों को और पुख्ता बनाने ले लिये एक बड़ा अभियान शुरू किया है। हाल ही में शुरू हुए इस अभियान को सुदर्शन कोड नाम दिया गया है और यह 1000 किलोमीटर लंबी भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा को कवर करेगा। ज्ञातव्य है कि जम्मू में पाकिस्तान के साथ संवेदनशील अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई 485 किलोमीटर और पंजाब में 553 किलोमीटर है। इसके बाद यह पश्चिमी हिस्से में राजस्थान और गुजरात की ओर है। ‘सुदर्शन’ अभियान के तहत भारी मशीनरी, बातचीत को इंटरसेप्ट करने वाले उपकरण और मोबाइल बुलेटप्रूफ बंकर को शामिल किया गया है तथा हज़ारों BSF सैनिक इससे जुड़े हैं। 1 से 15 जुलाई तक चलाए जाने वाले इस अभियान का उद्देश्य आतंकवादियों की घुसपैठ, नशीले पदार्थों की खेप भेजने के खिलाफ और पाकिस्तान की ओर से बिना किसी उकसावे की गोलीबारी का मुँहतोड़ जवाब देने के लिये सीमा को सील करके भारतीय रक्षा स्थिति एवं ठिकाने को मज़बूत करना है। आपको बता दें कि BSF एक अर्द्धसैनिक बल है, जिसकी स्थापना 1 दिसंबर, 1965 को शांतिकाल के दौरान भारत की सीमाओं की रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय अपराध को रोकने के लिये की गई थी।
  • भारत वर्ष 2019-2025 की अवधि के दौरान बांग्लादेश के 1800 लोकसेवकों को प्रशासन एवं लोक नीति में नैतिक मूल्यों को लेकर प्रशिक्षण देगा। प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत (DRPG) विभाग के तहत आने वाले मसूरी स्थित संस्थान राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (NCGG) और बांग्लादेश के लोक प्रशासन मंत्रालय के बीच इसके लिये एक समझौता इसी वर्ष हुआ था।। यह दूसरी बार हो रहा है जब बांग्लादेश के लोकसेवकों को प्रशिक्षण देने के लिये राष्ट्रीय सुशासन केंद्र ने समझौता किया है। राष्ट्रीय सुशासन केंद्र में पाँच साल पहले भी 1500 बांग्लादेशी लोकसेवकों को प्रशिक्षित किया गया था। राष्ट्रीय सुशासन केंद्र भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, इसका मुख्यालय नई दिल्ली में तथा पंजीकृत कार्यालय मसूरी में है। यह केंद्र अध्ययन, प्रशिक्षण, ज्ञान साझा करने और अच्छे विचारों को बढ़ावा देकर शासन में सुधार लाने में सहायता प्रदान करने के लिये स्थापित किया गया है।
  • हज यात्रा के लिये काउंसिल जनरल आफ इंडिया, जेद्दाह ने हज यात्रियों की सुविधा के लिये एक मोबाइल एप शुरू किया है। इंडियन हज इनफॉरर्मेशन सिस्टम नामक इस एप का उद्देश्य हज यात्रा को सुविधाजनक बनाना है। इसमें हज यात्री का पासपोर्ट नम्बर, मक्का, मदीना, मिना में रिहाइश का विवरण, उड़ान विवरण के साथ इमरजेंसी कॉन्टेक्ट टोल फ्री नंबर भी है, जिस पर यात्री इंडियन हज ऑफिस से संपर्क कर सकते हैं। साथ ही इस एप में खादिमुल हुज्जाज (हज यात्रा में सहायता करने वाले) की तैनाती, अस्पताल एवं रेस्टोरेंट आदि की सूचनाएँ उपलब्ध रहेंगी। सऊदी अरब में हज के दौरान यात्रियों को हर समय अपने साथ पहचान-पत्र, ई-ब्रेसलेट, पासपोर्ट व वीज़ा की कॉपी रखनी होगी। उड़ान की रवानगी से पहले यात्रियों को सऊदी अरब का सिम कार्ड दिया जाएगा, जिसको जेद्दाह एयरपोर्ट पहुँचकर फिंगर प्रिंट लेने के बाद एक्टीवेट किया जा सकेगा।
  • कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता किरियाकोस मित्सोताकिस ने चुनावों में जीत हासिल करने के बाद ग्रीस के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने वामपंथी नेता एलेक्सिस सिप्रास को हराया था। उन्होंने आर्थिक संकट को खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई है। उनकी न्यू डेमोक्रेसी पार्टी ने 40 प्रतिशत वोट हासिल कर 300-सदस्यीय संसद में 158 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि एलेक्सिस सिप्रास की वामपंथी सीरीजा पार्टी को 31.5 प्रतिशत मत मिले। ग्रीस का आर्थिक संकट दुनियाभर में जाना जाता है, जबकि अब काफी हद तक वह इससे उबर चुका है। ग्रीस को आर्थिक संकट से उबारने के लिये यूरोज़ोन बेलआउट पैकेज दिया गया था, जो 8 साल तक चला। इसके बाद ही ग्रीस आर्थिक संकट का सामना कर पाने में सक्षम हो सका।
  • भारतीय टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ को बेंगलुरू स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का प्रमुख नियुक्त किया गया है। अपनी इस नई भूमिका में वह कोचिंग और प्रशिक्षण के अलावा पुरुष एवं महिला सीनियर टीमों के कोच के साथ मिलकर काम करेंगे। वर्तमान में  अंडर 19 टीम-ए के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ बेंगलुरु स्थिति राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के हेड ऑफ क्रिकेट ऑपरेशंस बनाए गए हैं। ज्ञातव्य है कि टीम इंडिया के लिये 500 से ज़्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच 164 टेस्ट और 344 एकदिवसीय मैच खेल चुके राहुल द्रविड़ ने 24 हज़ार से अधिक रन बनाए हैं। उन्होंने 25 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी भी की।
  • पाकिस्तान की प्रसिद्ध समाजसेवी संस्था ईधी फाउंडेशन के संस्थापक अब्दुल सत्तार ईधी का 5 जुलाई को कराची में निधन हो गया। उन्होंने वर्ष  1957 में कराची शहर से एंबुलेंस सेवा और डिस्पेंसरी सेवा शुरू की थी। आज यह फाउंडेशन अपनी हज़ारों एंबुलेंसों के ज़रिये पाकिस्तान के चारों प्रांतों में लोगों की सहायता कर रहा है। उन्हें कई अंतर्राष्ट्रीय पुरकार मिल चुके हैं, जिनमें लेनिन शांति पुरस्कार, रमन मैग्सेसे पुरस्कार, पॉल हैरिस फेलो, रोटरी इंटरनेशनल फाउंडेशन सम्मान शामिल हैं। उन्हें कई बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिये भी नामित किया गया था।

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