इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़

  • 09 Apr, 2019
  • 21 min read
विविध

इलेक्ट्रॉनिक सूचना विनिमय पर IMO का नया नियम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जहाज़ों और बंदरगाहों के बीच इलेक्ट्रॉनिक सूचना विनिमय को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने वैश्विक स्तर पर एक नया नियम लागू किया है।

प्रमुख बिंदु

  • यह नियम सीमा पार व्यापार को सरल बनाने और लॉजिस्टिक्स चेन को अधिक कुशल बनाने के लिये है।
  • ज्ञातव्य है कि दुनिया भर में 10 बिलियन टन से अधिक माल का कारोबार समुद्र के रास्ते किया जाता है।
  • यह नियम समुद्री व्यापार में प्रशासनिक बोझ को कम करेगा और समुद्री व्यापार तथा संचार की दक्षता बढ़ाएगा।
  • इसे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री यातायात की सुविधा (Convention on Facilitation of International Maritime Traffic- FAL) पर IMO के सम्मेलन के तहत लाया गया है।

FAL कन्वेंशन

  • FAL कन्वेंशन, डेटा के लिये एक ‘सिंगल विंडो’ के उपयोग को प्रोत्साहित करता है जिससे सार्वजनिक अधिकारियों के लिये आवश्यक सभी जानकारी जैसे- जहाज़ों, व्यक्तियों और कार्गो के आगमन, रहने और प्रस्थान संबंधी आदि जानकारी को एक एकल पोर्टल के माध्यम से बिना दोहराव के प्रस्तुत किया जा सके।
  • FAL कन्वेंशन में नियमों को सरल बनाने, जहाज़ों के आगमन, रहने और प्रस्थान को लेकर दस्तावेज़ी औपचारिकताओं और प्रक्रियाओं को शामिल किया गया है। इस अनुबंध पर 121 सरकारों ने हस्ताक्षर किये हैं।
  • IMO ने IMO जनरल डिक्लेरेशन, कार्गो डिक्लेरेशन, शिप्स स्टोर्स डिक्लेरेशन, क्रू इफेक्ट्स डिक्लेरेशन, क्रू लिस्ट, पैसेंजर लिस्ट और डेंजरस गुड्स जैसे डॉक्यूमेंट्स के लिये मानकीकृत फॉर्म जारी किये हैं।
  • इसके अलावा पाँच अन्य दस्तावेज़ों की जरूरत है जिनमें शामिल हैं- सुरक्षा पर दस्तावेज़, जहाज़ों से निकलने वाला कचरा, सीमा शुल्क जोखिम के मूल्यांकन के लिये इलेक्ट्रॉनिक कार्गो की अग्रिम जानकारी पर दस्तावेज़ एवं दो यूनिवर्सल पोस्टल कन्वेंशन (Universal Postal Convention) और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियम के तहत दस्तावेज़।
  • इलेक्ट्रॉनिक डेटा विनिमय के तहत सभी राष्ट्रों में अब इलेक्ट्रॉनिक डेटा के विनिमय के लिये प्रावधान होना चाहिये।

भारत की स्थित्ति

  • भारत ने दिसंबर, 2018 में बंदरगाहों पर एक पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम- PCS1x शुरू किया।
  • ‘PCS1x’ एक क्लाउड आधारित तकनीक है जिसे मुंबई स्थित लॉजिस्टिक्स समूह जे.एम. बक्सी ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है।
  • PCS1x इंजन, वर्कफ़्लो, मोबाइल एप्लीकेशन, ट्रैक और ट्रेस, बेहतर उपयोगकर्त्ता इंटरफ़ेस, सुरक्षा सुविधाओं आदि की सूचना प्रदान करता है और समावेशन को बेहतर बनाता है।
  • PCS1x की एक अनूठी विशेषता यह है कि यह थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर को जोड़ सकता है जो समुद्री उद्योग के लिये सेवाएँ प्रदान करता है। इससे हितधारकों को सेवाओं के व्यापक नेटवर्क तक पहुँचने में मदद मिलती है।
  • यह भुगतान की सुविधा भी प्रदान करता है जिससे बैंक द्वारा भुगतान प्रणाली पर निर्भरता कम होती है।
  • PCS1x एक डेटाबेस प्रदान करता है जो सभी लेन-देन के लिये एकल डेटा बिंदु के रूप में कार्य करता है।
  • ऐसा अनुमान है कि यह सुविधा लेन-देन में लगने वाले के समय को दो दिन तक कम कर देगी। इससे भारत में समुद्री व्यापार में बड़ा बदलाव आएगा और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business- EDB) एवं लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (Logistics Performance Index - LPI) रैंक में सुधार होगा।

स्रोत: द हिंदू बिज़नस लाइन


भारतीय इतिहास

रॉलेट सत्याग्रह के 100 साल

चर्चा में क्यों?

अप्रैल 2019 को रॉलट सत्याग्रह की 100वीं सालगिरह है, यह सत्याग्रह 1919 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था। रॉलेट सत्याग्रह 1919 के अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम को लागू करने वाली ब्रिटिश सरकार के जवाब में किया गया था, जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है।

रॉलेट एक्ट

  • यह अधिनियम सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में सेडिशन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर पारित किया गया था।
  • यह अधिनियम भारतीय सदस्यों के एकजुट होकर किये गए विरोध के बावजूद इंपीरियल विधानपरिषद में जल्दबाजी में पारित किया गया था।
  • इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।

प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर प्रभाव
गांधी के आह्वान की प्रतिक्रिया

  • महात्मा गांधी इस तरह के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे, जो 6 अप्रैल 1919 को शुरू हुई।
  • लेकिन इसे शुरू किये जाने से पहले कलकत्ता, बॉम्बे, दिल्ली, अहमदाबाद, आदि शहरों में बड़े पैमाने पर ब्रिटिश सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शन हुए।
  • विशेष रूप से पंजाब में युद्धकालीन दमन, ज़बरन भर्तियों और बीमारी के कहर के कारण स्थिति विस्फोटक हो गई।
  • भारत बंद के कारण दुकानें और स्कूल बंद होने से उत्तर और पश्चिम भारत के शहरों में जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
  • ब्रिटिश सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पंजाब में जलियाँवाला बाग नरसंहार हुआ।

जलियाँवाला बाग नरसंहार

  • 9 अप्रैल, 1919 को दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने बिना किसी कारण के गिरफ्तार कर लिया, उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरोध में की गई सभाओं को संबोधित किया था| उन्हें अज्ञात स्थान पर ले जाया गया।
  • इसके कारण 10 अप्रैल को हज़ारों की संख्या में भारतीय प्रदर्शनकारियों ने अपने नेताओं के पक्ष में एकजुटता दिखाते हुए नाराजगी जाहिर की।
  • लेकिन जल्द ही यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया क्योंकि पुलिस की गोलीबारी में कुछ प्रदर्शनकारी मारे गए।
  • भविष्य में किसी भी विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिये सरकार ने मार्शल लॉ लागू कर दिया और पंजाब में कानून-व्यवस्था की ज़िम्मेदारी ब्रिगेडियर-जनरल डायर को सौंप दी गई।
  • 13 अप्रैल को बैसाखी के दिन निषेधात्मक आदेशों से अनभिज्ञ, गाँवों के लोगों की एक बड़ी भीड़ अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एकत्रित हुई थी।
  • ब्रिगेडियर- जनरल डायर ने अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर सभा को घेर लिया और वहाँ से बाहर जाने के एकमात्र मार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया तथा 1000 से अधिक निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मार डाला।

हंटर कमीशन

  • जलियाँवाला बाग गोलीकांड की जाँच के लिये सरकार ने जाँच समिति बनाई।
  • 14 अक्तूबर, 1919 को भारत सरकार ने डिसऑर्डर एन्क्वायरी कमेटी के गठन की घोषणा की।
  • यह समिति लॉर्ड विलियम हंटर की अध्यक्षता के चलते उनके नाम पर हंटर कमीशन के नाम से जानी जाती है। इसमें भारतीय सदस्य भी थे।
  • मार्च 1920 में प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट में समिति ने सर्वसम्मति से डायर के कृत्यों की निंदा की।
  • हालाँकि, हंटर कमेटी ने जनरल डायर के खिलाफ कोई दंड या अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की।

राष्ट्रवादी प्रतिक्रिया

  • इस घटना के विरोध में रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी नाइटहुड की उपाधि त्याग दी।
  • महात्मा गांधी ने भी बोएर युद्ध के दौरान किये गए महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिये अंग्रेजों द्वारा उन्हें दी गई कैसर-ए-हिंद की उपाधि भी वापस कर दी।
  • गांधी जी इस हिंसा के माहौल से काफी दुखी थे और 18 अप्रैल, 1919 को इस आंदोलन को वापस ले लिया गया।
  • भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस ने अपनी गैर-आधिकारिक समिति नियुक्त की जिसमें मोतीलाल नेहरू, सी. आर. दास, अब्बास तैयब जी, एम. आर. जयकर, और गांधी को शामिल किया गया था।
  • कॉन्ग्रेस ने अपना दृष्टिकोण सामने रखा। इस दृष्टिकोण ने डायर के कृत्य को अमानवीय बताया और यह भी कहा कि पंजाब में मार्शल लॉ की शुरुआत का कोई औचित्य नहीं है।

स्रोत : द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (09 April)

  • सुप्रीम कोर्ट ने आगामी लोकसभा चुनावों में चुनाव प्रक्रिया के प्रति मतदाताओं का विश्वास बनाए रखने के लिये निर्वाचन आयोग को मतगणना के दौरान एक विधानसभा क्षेत्र में VVPAT से पर्चियों की आकस्मिक जाँच के लिये अब पाँच EVM की पर्चियों का मिलान करने का आदेश दिया है। इनमें से किन्हीं भी पाँच मशीनों की पर्चियाँ जाँच के लिये चुनी जाएंगी। गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू तथा 21 अन्य पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर परिणाम की घोषणा से पहले एक लोकसभा सीट पर 50% EVM की VVPAT से मिलान की मांग की थी।
  • विश्व बैंक ने 2019-20 के लिये भारत की GDP विकास दर का अनुमान बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है। निवेश, खासकर निजी निवेश में मजबूती आने, मांग बेहतर होने तथा निर्यात में सुधार की वजह से यह बढ़ोतरी की गई है। विश्व बैंक ने हाल ही में दक्षिण एशिया पर जारी रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में यह वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही। रिपोर्ट के अनुसार मांग के संदर्भ में घरेलू खपत इस वृद्धि का मुख्य कारक बनी हुई। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान मुद्रास्फीति की स्थिति अधिकांश समय नियंत्रण में रही। रिपोर्ट के अनुसार, चालू खाता घाटा तथा राजकोषीय घाटा भी नियंत्रण में रहने की संभावना है।
  • मालदीव में हाल ही में हुए संसदीय चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी को सफलता मिली है। इन चुनावों में मोहम्मद नशीद ने निर्वासन से लौटने के केवल पाँच महीने बाद जीत हासिल की है और राष्ट्रीय संसद (मजलिस) के शीर्ष पद पर वापसी की है। उनकी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी को 87 सदस्यीय सदन में दो-तिहाई बहुमत मिला है। गौरतलब है कि मोहम्मद नशीद के विरोधी पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को पाँच साल के कार्यकाल के बाद सत्ता से बेदखल होना पड़ा था और वह धन शोधन और गबन के आरोपों का सामना कर रहे हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने पिछले वर्ष सितंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी जिसके बाद मोहम्मद नशीद स्वदेश लौटे थे। अब्दुल्ला यामीन ने अपने कार्यकाल में मोहम्मद नशीद को चुनाव लड़ने से रोक दिया था।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 6-7 अप्रैल, 1944 की रात हुई भयंकर लड़ाई में 221 अग्रिम आयुध डिपो के आयुध कार्मिकों के सर्वोच्च बलिदान को सम्मान देने हेतु मणिपुर में इम्फाल के निकट कंगला तोंगबी युद्ध स्मारक पर सेना आयुध कोर द्वारा 7 अप्रैल, 2019 को इस युद्ध की प्लेटिनम जयंती मनाई गई। आपको बता दें कि कंगला तोंगबी के इस युद्ध को द्वितीय विश्व युद्ध के भयंकर युद्धों में से एक माना जाता है। इस युद्ध में जापानी सेना ने तीन तरफ से आक्रमण करके इम्फाल और इसके आसपास के क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने की एक योजना बनाई थी। उसने भारतीय डिवीज़न के मार्ग को अवरुद्ध करते हुए मुख्य कोहिमा-मणिपुर राजमार्ग पर अपना कब्ज़ा जमा लिया और कंगला तोंगबी की ओर आगे बढ़ना शुरू कर दिया। कंगला तोंगबी में तैनात 221 अग्रिम आयुध डिपो की एक छोटी टुकड़ी ने जापानी सैनिकों को रोकने के लिये उनका कड़ा प्रतिरोध किया। कंगला तोंगबी वॉर मेमोरियल 221 अग्रिम आयुध डिपो के आयुध कर्मियों की कर्त्तव्य के प्रति अगाध श्रद्धा का प्रमाण होने के साथ-साथ उनके सर्वोच्च बलिदान का भी प्रमाण है।
  • अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा मंत्री कर्स्टजेन नीलसन ने इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि सीमापार अवैध शरणार्थियों के संकट को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड के साथ उनके मतभेद थे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने नीलसन से शरणार्थियों को आश्रय देने की प्रक्रिया बंद करने को कहा था। आपको बता दें कि अमेरिका की दक्षिण-पश्चिम सीमा पर शरणार्थियों की संख्या लगतार बढ़ती जा रही है और इसी के मद्देनज़र डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल होने वाले शरणार्थियों को रोकने के लिये मेक्सिको सीमा पर दीवार खड़ी करने का अभियान चला रखा है।
  • इस वर्ष रवांडा में तुत्सी समुदाय के नरसंहार की 25वीं बरसी मनाई जा रही है। इस नरसंहार में आठ लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था, जिनमें बड़े पैमाने पर तुत्सी, उदारवादी हुतू और नरसंहार का विरोध करने वाले अन्य लोग शामिल थे। इन सभी को तीन महीने से भी कम समय में रणनीति के तहत मौत के घाट उतारा गया था। मारे गए लोगों की याद में हाल ही में रवांडा की राजधानी किगाली में ‘वाक टू रिमेम्बर’ का आयोजन किया गया। इसमें रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगमे के साथ इथोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद और बेल्जियम के प्रधानमंत्री चार्ल्स मिशेल ने हिसा लिया।
  • अमेरिका ने ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। अमेरिका का कहना है कि ईरान सरकार आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है। रिवोल्यूशनरी गार्ड आतंकवाद के लिये धन मुहैया कराते हैं। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने सभी बैंकों और व्यावसायिक संस्थानों से रेवोल्यूशनरी गार्ड्स से लेन-देन बंद करने को कहा है। आपको बता दें कि रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ईरान की सशस्त्र सेना का हिस्सा है। इसका गठन 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद किया गया था। देश की पारंपरिक सैन्य इकाइयाँ सीमाओं की रक्षा करती हैं, जबकि रिवोल्यूशनरी गार्ड्स देश में इस्लामी गणतंत्र प्रणाली की निगरानी करता है।
  • मिस्र की राजधानी काहिरा में एक कब्रिस्तान की खुदाई में लगभग ढाई हज़ार वर्ष पुरानी तीन ममियों का पता चला है। मिस्र के पुरातत्त्व विशेषज्ञ के नेतृत्व में की गई खुदाई में निकली इन ममियों में से एक को प्राचीन काल के बड़े पुजारी का बताया गया है। पत्थर के खास तरह के ताबूत में इस ममी को रखकर लिनेन में लपेटकर संरक्षित किया गया है। इस पर मिस्र की प्राचीन काल की देवी आइसिस की छाप भी है। दो अन्य ममियों में एक महिला की है और दूसरी किसी परिवार के पिता की बताई गई है। ये सभी मिस्र के प्राचीन 26वें राजवंश के काल के हैं। गौरतलब है कि डेढ़ साल पहले ही इस कब्रिस्तान का पता चला था।
  • अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल फीफा कार्यकारी समिति के सदस्य चुने गइ हैं। वह इस परिषद में चुने जाने वाले पहले भारतीय हैं। उनके पक्ष में 46 में से 38 मत पड़े। आपको बता दें कि एशियाई फुटबॉल परिसंघ की ओर से पाँच सदस्यों को फीफा परिषद के लिये चुना गया है जिसमें परिसंघ के अध्यक्ष और एक महिला सदस्य भी शामिल हैं। कुआलालंपुर में एशियाई फुटबॉल परिसंघ की 29वीं कॉन्ग्रेस के दौरान यह चुनाव हुए। इन सदस्यों का चयन 2019 से 2023 तक के चार साल के कार्यकाल के लिये हुआ है। आपको बता दें कि International Federation of Association Football को फीफा के नाम से जाना जाता है। फीफा की स्थापना 21 मई, 1904 को हुई थी और इसका मुख्यालय ज्यूरिख, स्विट्ज़रलैंड में है। फिलहाल इससे 208 सदस्य देश जुड़े हुए हैं। फीफा विश्व कप की शुरुआत 1930 में हुई थी और यह टूर्नामेंट हर चार साल बाद आयोजित किया जाता है।
  • जर्मनी के वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के लिये सबसे अधिक ज़िम्मेदार कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर वायुमंडल में 3 मिलियन वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है। जर्मनी में पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च में एक नए कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग करके किये गए अनुसंधान से यह बात सामने आई है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछली बार जब कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर इतना अधिक हुआ था, तब ग्रीनलैंड ज्यादातर हरा था, समुद्र का स्तर आज की तुलना 20 मीटर तक अधिक था और अंटार्कटिका पर पेड़ उगा करते थे। गौरतलब है कि मानव गतिविधियों से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण माना जाता है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2