डेली न्यूज़ (09 Mar, 2019)



इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (India Cooling Action Plan-ICAP) जारी किया।

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP)

  • कूलिंग की ज़रूरत हर क्षेत्र में है तथा यह आर्थिक विकास का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। 
  • इसकी ज़रूरत आवासीय और व्यापारिक इमारतों के साथ कोल्ड चेन रेफ्रिज़रेशन, परिवहन और व्यापारिक प्रतिष्ठानों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में होती है। 

उद्देश्य

  • ICAP का उद्देश्य पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक लाभों को हासिल करने के लिये कार्यों में तालमेल का प्रयास करना है।
  • समाज को पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करते हुए सभी के लिये स्थायी शीतलन और उष्मीय सहूलियत प्रदान करना।

प्रमुख लाभ

  • अगले 20 वर्षों तक सभी क्षेत्रों में शीतलता से संबंधित आवश्यकताओं से जुड़ी मांग तथा ऊर्जा आवश्यकता का आकलन।
  • शीतलता के लिये उपलब्ध तकनीकों की पहचान के साथ ही वैकल्पिक तकनीकों, अप्रत्यक्ष उपायों और अलग प्रकार की तकनीकों की पहचान करना।
  • सभी क्षेत्रों में गर्मी से राहत दिलाने तथा सतत् शीतलता प्रदान करने वाले उपायों को अपनाने के बारे सलाह देना।
  • तकनीशियनों के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना।
  • घरेलू वैकल्पिक तकनीकों के विकास हेतु ‘शोध एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र’ को विकसित करना।
  • इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।

लक्ष्य

  • वर्ष 2037-38 तक विभिन्न क्षेत्रों में शीतलक मांग (Cooling Demand ) को 20% से 25% तक कम करना।
  • वर्ष 2037-38 तक रेफ्रीजरेंट डिमांड (Refrigerant Demand) को 25% से 30% तक कम करना।
  • वर्ष 2037-38 तक शीतलन हेतु ऊर्जा की आवश्यकता को 25% से 40% तक कम करना।
  • वर्ष 2022-23 तक कौशल भारत मिशन के तालमेल से सर्विसिंग सेक्टर के 100,000 तकनीशियनों को प्रशिक्षण और प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराना।

स्रोत - PIB


वन सर्वेक्षण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा गठित एक समिति ने वन आच्छादित क्षेत्र का आकलन करने के लिये वन सर्वेक्षण के अंतर्गत वनों में और वन क्षेत्र से बाहर उगने वाले पेड़ों (निजी/सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण या ग्रीनलैंड) के अलग-अलग सर्वेक्षण की सिफारिश की है।

प्रमुख बिंदु

  • भारत सरकार प्रत्येक दो वर्षों में वन सर्वेक्षण करवाती है जिसमें भारत के भौगोलिक क्षेत्र में वनों से आच्छादित हिस्से का आकलन किया जाता है।
  • इसके अंतर्गत जंगल में और जंगलों से बाहर उगने वाले पेड़ों को शामिल किया जाता है।
  • आलोचक काफी समय से इस बात की आलोचना करते रहे हैं कि दोनों क्षेत्रों के पेड़ों को एक ही श्रेणी में शामिल करना पारिस्थितिक रूप से बेहतर नहीं है, लेकिन सरकारी समिति द्वारा इस तरह की सिफारिश करने का यह पहला उदाहरण है।
  • इंडिया स्टेट ऑफ़ फॉरेस्ट रिपोर्ट (SFR), 2017, जो फरवरी 2018 में जारी की गई, के अनुसार, भारत में 2015 और 2017 के बीच वन क्षेत्र में 0.94% की वृद्धि दर्ज़ की गई।
  • दस्तावेज़ में कहा गया है कि भारत में लगभग 7,08,273 वर्ग किमी. वन आच्छादित क्षेत्र है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.53% (32,87,569 वर्ग किमी.) है।
  • 1988 से सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य भारत में वन आच्छादित क्षेत्र को देश के भौगोलिक क्षेत्र का 33% करना रहा है।

forest survey

  • SFR के विभिन्न संस्करणों में वन आच्छादित क्षेत्र का प्रतिशत 21 के आस-पास रहा है, अत: सरकार अपने मूल्यांकन में वनों के रूप में निर्दिष्ट क्षेत्रों, जैसे निजी/सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण या ग्रीनलैंड को भी शामिल करती है।

स्रोत: द हिंदू


शहीद कोश

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने भारत के स्वाधीनता संग्राम के शहीदों के नामों के कोश का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

संस्कृति मंत्रालय द्वारा 1857 के विद्रोह की 150वीं वर्षगाँठ के अवसर पर भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) को भारत के स्वाधीनता संग्राम के शहीदों के नामों का संकलन 'डिक्शनरी ऑफ मार्टर्स तैयार करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी।

इस शब्दकोश में ‘शहीद’ को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जिनकी स्वंतंत्रता संग्राम के दौरान मृत्यु हो गई अथवा जो हिरासत में मारे गए थे अथवा जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिये राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और मृत्युदंड के शिकार हो गए।

इसमें आईएनए के उन सैनिकों या पूर्व-सैन्यकर्मियों को भी शामिल किया गया है जो अंग्रेजों से लड़ते हुए मारे गए थे।

इसमें 1857 का विद्रोह, जलियाँवाला बाग नरसंहार (1919), असहयोग आंदोलन (1920-22), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34), भारत छोड़ो आंदोलन (1942-44), क्रांतिकारी आंदोलनों (1915-34), किसान आंदोलन, आदिवासी आंदोलन, रियासतों में ज़िम्मेदार सरकार के लिए आंदोलन (प्रजामंडल), इंडियन नेशनल आर्मी (INA, 1943-45), रॉयल इंडियन नेवी अपसर्ज (RIN, 1946) आदि के शहीदों को शामिल किया गया है। इन संस्करणों में करीब 13,500 शहीदों के बारे में जानकारी दी गई है।

इसे निम्नलिखित पाँच खंडों (क्षेत्रवार) में प्रकाशित किया गया है:

'डिक्शनरी ऑफ मार्टर्स : इंडियाज़ फ्रीडम स्ट्रगल (1857-1947)', खंड 1, भाग एक और भाग दो- इस खंड में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के 4,400 से अधिक शहीदों को सूचीबद्ध किया गया है।

 'डिक्शनरी ऑफ मार्टर्स : इंडियाज़ फ्रीडम स्ट्रगल (1857-1947)', खंड 2, भाग एक और भाग दो- इस खंड में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर के 3,500 से अधिक शहीदों को सूचीबद्ध किया गया है।

 'डिक्शनरी ऑफ मार्टर्स : इंडियाज़ फ्रीडम स्ट्रगल (1857-1947)', खंड 3- इस खंड में शामिल शहीदों की संख्या 1,400 से अधिक है। इस खंड में महाराष्ट्र, गुजरात और सिंध के शहीदों को शामिल किया गया है।

 'डिक्शनरी ऑफ मार्टर्स : इंडियाज़ फ्रीडम स्ट्रगल (1857-1947)', खंड 4- इस खंड में शामिल शहीदों की संख्या 3,300 से अधिक है। इस खंड में बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा के शहीदों को शामिल किया गया है।

 'डिक्शनरी ऑफ मार्टर्स : इंडियाज़ फ्रीडम स्ट्रगल (1857-1947)', खंड 5- इस खंड में शामिल शहीदों की संख्या 1,450 से अधिक है। इस खंड में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के शहीदों को शामिल किया गया है।

स्रोत: PIB


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (9 March)

  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में भारत में महिलाओं के सर्वोच्च नागरिक सम्मान नारी शक्ति पुरस्कार, 2018 प्रदान किये। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय महिलाओं और संस्थानों को महिला सशक्तीकरण और सामाजिक कल्याण के लिये उनकी अथक सेवा के लिये ये पुरस्कार प्रदान करता है। महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मान देने के लिये इस वर्ष मंत्रालय ने इन पुरस्कारों के लिये 44 नामों का चयन किया। चयन करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि कमज़ोर और हाशिये पर रहने वाली महिलाओं को सशक्त बनाने में उनका कितना योगदान है। इसके अलावा, उन महिलाओं को भी शामिल करने का प्रयास किया गया, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में ऐसे क्षेत्रों और मुद्दों पर कार्य किया है, जो अत्यधिक महत्त्वपूर्ण और ध्यान केंद्रित करने वाले रहे हैं। इस वर्ष पुरस्कार पाने वालों में वैज्ञानिक, उद्यमी, पर्यावरणविद, सामाजिक कार्यकर्त्ता, किसान, कलाकार, राज-मिस्त्री, नौसेना की महिला पायलट, महिला कमांडो ट्रेनर, पत्रकार और फिल्म निर्माता आदि शामिल हैं।
  • शोध एवं बाजार अध्ययन करने वाली कंपनी डेलायट ने चौथी औद्योगिक क्रांति के लिये महिलाओं और लड़कियों का सशक्तीकरण नामक एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार कम होते हुए 25 फीसदी रह गई है,जबकि देश में कुल 19.5 करोड़ महिलाएँ हैं जो असंगठित क्षेत्र में या बिना के वेतन काम करती हैं। रिपोर्ट में कार्यस्थल के लिये तैयारी, सॉफ्ट स्किल, तकनीकी विशेषज्ञता तथा उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में महिलाओं के कौशल विकास पर ज़ोर देने की आवश्यकता बताई गई है।
  • भारतीय रेलवे जल्द ही 4791 रेलवे स्टेशनों में मुफ्त वाई-फाई सुविधा देने की योजना पर काम कर रहा है। रेलवे ने इसके लिये टाटा के साथ करार किया है। टाटा ट्रस्ट कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत इसके लिये एक बड़ी राशि खर्च कर रहा है। यह सुविधा हॉल्ट स्टेशनों को छोड़कर अन्य सभी स्टेशनों में उपलब्ध होगी। कुल 6441 स्टेशनों में वाई-फाई सेवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है और फिलहाल 832 रेलवे स्टेशनों में वाई-फाई सेवा मिल रही है। मार्च 2019 तक 775 और रेलवे स्टेशनों पर यह सुविधा मिलने लगेगी यानी 1600 से अधिक स्टेशनों तक वाई-फाई की सुविधा पहुँच जाएगी।
  • व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग के लिये भारत और जर्मनी के बीच समझौते के नवीनीकरण को सरकार ने मंज़ूरी दे दी है। इससे दोनों देशों के बीच विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई प्रशिक्षण तकनीक अपनाने और जोखिमों से निपटने में काफी मदद मिली है। इस समझौते के तहत निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र में व्यावसायिक और स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ के माध्यम से जर्मनी की सामाजिक दुर्घटना बीमा के ज़रिये काफी मदद मिल रही है। इस समझौते से श्रम मंत्रालय के तकनीकी विभाग- कारखाना सलाह सेवा और श्रम संस्थान महानिदेशालय के कौशल विकास तथा व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवाओं को और बेहतर बनाया जा सकेगा।
  • सड़क आधारभूत संरचना के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के लिये भारत और ऑस्ट्रिया के बीच हुए समझौते को सरकार ने मंज़ूरी दे दी है। इसके ज़रिये दोनों देशों के बीच सड़क परिवहन, सड़क/राजमार्ग आधारभूत संरचना विकास, प्रबंधन और प्रशासन तथा सड़क सुरक्षा और आधुनिक परिवहन प्रणाली के लिये द्विपक्षीय सहयोग की एक प्रभावी रूपरेखा तैयार की जा सकेगी। भारत और ऑस्ट्रिया के बीच सड़क परिवहन क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ने से सड़क सुरक्षा तथा इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने की संभावनाओं को बल मिलेगा। भारत और ऑस्ट्रिया के बीच 1949 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे।
  • कैंसर शोध पहल पर भारत और ब्रिटेन के बीच समझौते को सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत दोनों देश क्लीनिकल शोध, जनसांख्यिकी शोध, नई तकनीक और शरीर विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी विशेषज्ञों को साथ लाकर किफायती, रोकथाम तथा कैंसर देखभाल जैसी शोध चुनौतियों की पहचान करेंगे। यह कार्यक्रम भारत के विज्ञान और टेक्नोलॉजी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा कैंसर रिसर्च UK का 5 वर्षीय सहयोगी द्विपक्षीय शोध कार्यक्रम है, जो कैंसर के किफायती दृष्टिकोण पर फोकस करेगा। इसके लिये कुल शोध राशि 10 मिलियन पाउंड (लगभग 90 करोड़ रुपए) होगी, जिसे दोनों देश बराबर-बराबर वहन करेंगे।
  • केंद्र सरकार ने दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में परस्पर कानूनी मदद के लिये भारत और बेलारूस के बीच समझौते को मंज़ूरी दे दी है। इसके अमल में आने के साथ ही समझौता करने वाले दोनों पक्षों के बीच दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में परस्पर कानूनी मदद को बढ़ावा मिलेगा। इस समझौते का उद्देश्य दीवानी और वाणिज्यिक मामलों में कानूनी सलाह का अनुरोध करने वाले पक्षों के नागरिकों को लिंग, समुदाय और आय के मामलों में बिना भेदभाव किये लाभ पहुँचाना है।
  • मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में स्थित नौरादेही अभयारण्य में देश से विलुप्त होते चीते को बसाने की तैयारियाँ फिर शुरू हो रही हैं। वन्यजीवों की विश्व स्तरीय संस्था International Union for Conservation of Nature (IUCN), नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ और सुप्रीम कोर्ट ने चीतों को भारत में लाने की अनुमति दे दी है। ये चीते दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मंगाए जाएंगे। लगभग 260 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट के तहत अभयारण्य के 500 वर्ग किमी. क्षेत्र में चीतों को बसाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिये दोनों देशों और विभिन्न संस्थाओं की अनुमति मिल चुकी है। गौरतलब है कि देश से चीते विलुप्त हो चुके हैं और 1948 में मध्य प्रदेश के सरगुजा के जंगलों में आखिरी बार चीता देखा गया था।
  • लखनऊ के बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान द्वारा किये गए एक हालिया शोध के दौरान असम में एशिया के सबसे प्राचीन बाँस की नाल के जीवाश्मों का पता चला है। अभी तक वैज्ञानिकों की यह धारणा थी कि एशियाई बाँस की उत्पत्ति यूरोप में हुई थी। इस शोध के दौरान असम के तिनसुकिया ज़िले के माकुम कोल फील्ड में मिले बाँस के जीवश्म ढाई करोड़ साल पुराने बताए जा रहे हैं। यह इस बात का भी प्रमाण है कि बाँस की उत्पत्ति और विकास दक्षिणी गोलार्द्ध में हुआ।
  • एलन मस्क की अंतरिक्ष क्षेत्र की कंपनी स्पेसएक्स का क्रू ड्रैगन अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (International Space Station-ISS) से पृथ्वी पर सफलतापूर्वक लौट आया है। यान पूर्वी मानक समयानुसार आज सुबह 8.45 बजे अटलांटिक महासागर में उतरा। डेमो-1 नामक यह मानवरहित प्रदर्शन मिशन मानव के लिये डिज़ाइन की गई किसी अंतरिक्ष प्रणाली की पहली परीक्षण उड़ान है। यह एक अमेरिकी व्यावसायिक कंपनी की सार्वजनिक-निजी भागीदारी के ज़रिये निर्मित और संचालित है। गौरतलब है कि 2 मार्च को अपनी पहली मानवरहित उड़ान भरने के बाद ड्रैगन क्रू 3 मार्च को ISS पर पहुँचा था। अब नासा और स्पेसएक्स आगे डेमो-2 की तैयारी के लिये डेमो-1 से मिले आँकड़ों का इस्तेमाल करेंगे। डेमो-2 मानवयुक्त मिशन होगा, जो नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को ISS पर लेकर जाएगा। यह मिशन फिलहाल जुलाई में प्रस्तावित है।
  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Program-UNDP) ने भारतीय-अमेरिकी टीवी स्टार, लेखिका और फूड स्पेशलिस्ट पद्मालक्ष्मी को अपना नया सद्भावना राजदूत (Goodwill Ambassador) नियुक्त किया है। UNDP के संचालक अचिम स्टेनर के अनुसार, वह विश्वभर में असमानता और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष का समर्थन करेंगी। इसके अलावा, अपनी नई भूमिका में वह वंचितों के सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतत् विकास लक्ष्यों के प्रति समर्थन जुटाने का काम भी करेंगी। पद्मालक्ष्मी एंडोमेट्रियोसिस फाउंडेशन की सह-संस्थापक भी हैं। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की स्थापना 1965 में हुई थे और इसने 1 जनवरी, 1966 से कार्य करना शुरू किया था। यह संयुक्त राष्ट्र संघ का वैश्विक विकास कार्यक्रम है, जो गरीबी कम करने, बुनियादी ढाँचे के विकास और प्रजातांत्रिक प्रशासन को प्रोत्साहित करने का काम करता है तथा इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क में है।