डेली न्यूज़ (09 Feb, 2019)



लद्दाख : जम्मू-कश्मीर का तीसरा संभाग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा ऐतिहासिक फैसला लेते हुए लद्दाख को कश्मीर से अलग करके एक मंडल का दर्जा दिया गया जिससे राज्य में तीन प्रशासनिक इकाइयाँ जम्मू, कश्मीर और लद्दाख बन गईं हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • राज्य प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि लद्दाख के लिये अब प्रशासकीय व राजस्व विभाग भी अलग से होगा, जिनका मुख्यालय लेह में ही होगा।
  • इसके साथ ही योजना के विकास एवं निगरानी के लिये मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक समिति भी बनाई गई है। यह समिति नवगठित लद्दाख संभाग में विभिन्न विभागों के मंडल स्तर के पदों को चिन्हित करने के अलावा स्टाफ की व्यवस्था, ज़िम्मेदारियों और कार्यालय हेतु जगह भी चिन्हित करेगी।

सबसे बड़ा विभाजन

  • इस फैसले से कश्मीर घाटी 15,948 वर्ग किमी. क्षेत्रफल के साथ सबसे छोटा संभाग उसके बाद जम्मू संभाग जिसका क्षेत्रफल 26,293 वर्ग किमी. होगा जबकि लद्दाख 86,909 वर्ग किमी. के साथ सबसे बड़ा संभाग बन जाएगा।
  • लद्दाख के कारगिल और लेह ज़िलों में पहले से ही स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था के लिये अलग पहाड़ी विकास परिषद हैं।

दूरगामी फैसला

  • सरकारी आदेश के अनुसार, लद्दाख को अलग संभाग बनाए जाने का फैसला लद्दाख के लोगों की प्रशासन व विकासीय आकांक्षाओं को पूरा करने में दूरगामी साबित होगा।
  • राज्य प्रशासन के मुताबिक, लेह व कारगिल जैसे जिलों के चलते लद्दाख सर्दियों के दौरान लगभग छह माह तक शेष देश से कटा रहता है। इस दौरान सिर्फ लेह में हवाई जहाज़ से ही पहुँचा जा सकता है और इस कारण देश के अन्य भागों से कई लोग चाहकर भी सर्दियों के दौरान लद्दाख नहीं पहुँच पाते।
  • लद्दाख की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियाँ व मुख्य क्षेत्र से दूरी इसे एक अलग संभाग का दर्जा दिये जाने योग्य है।
  • लद्दाख मौजूदा समय में कश्मीर संभाग का हिस्सा है। लद्दाख विशिष्ट भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान और राजधानी से दूरी के मद्देनज़र विशेष व्यवहार किये जाने का हकदार है। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही लद्दाख के लिये एक अलग प्रशासकीय व राजस्व विभाग बनाने का फैसला किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • बरसों से क्षेत्र के समग्र विकास के लिये लद्दाख संभाग के विभिन्न वर्गो तथा लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह व करगिल के लोगों द्वारा एक ऐसी स्थानीय प्रशासकीय व्यवस्था की मांग की जा रही थी जो लद्दाख की विशिष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप क्षेत्र के समग्र विकास में सहायक हो तथा सभी नीतिगत मामलों में स्थानीय लोगों की भागेदारी सुनिश्चित कर सके।
  • मौजूदा परिस्थितियों में स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह व कारगिल के ज़िलों के बीच लद्दाख प्रांत में विभिन्न कार्यकारी और विधायी शक्तियों को विकेंद्रीकृत किया गया है।
  • जम्मू कश्मीर लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद अधिनियम 1997 के तहत ही लेह व कारगिल के लिये परिषदों का गठन किया गया है। इन परिषदों को वित्तीय, प्रशासकीय और विधायी तौर पर मज़बूत बनाने के लिये ही LAHDC अधिनियम 1997 को वर्ष 2018 में संशोधित किया गया है।

लद्दाख की भौगोलिक अवस्थिति

  • बर्फीला रेगिस्तान कहलाने वाला लद्दाख प्रांत राज्य का सबसे ऊँचा पठार है, जो समुद्र तल से करीब 9800 फुट की ऊँचाई पर स्थित है।
  • लद्दाख में जनसंख्या का घनत्व बहुत ही कम है और यह अत्यंत विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला क्षेत्र है।
  • साल में लगभग छह माह तक सर्दियों में शेष दुनिया से कटे रहने वाला लद्दाख विकास की दृष्टि से देश के पिछड़े इलाकों में एक है। इसके कारण स्थानीय लोगों को अक्सर विभिन्न निजी एवं प्रशासकीय मामलों के लिये कई दुश्वारियों को सामना करना पड़ता है।

स्रोत – द हिंदू


वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर 13वाँ COP

चर्चा में क्यों?

वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण (Conservation of Migratory Species of Wild Animals- CMS) पर 13वें COP (Conference of Parties) की मेज़बानी भारत करेगा। यह सम्मलेन 15 -22 फरवरी, 2020 तक गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया जाएगा। सम्मलेन में 129 पार्टियों, वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले प्रतिष्ठित संरक्षणवादियों और अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।

क्या है CMS?

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nation Environment Programme-UNEP) के तत्त्वाधान में एक पर्यावरण संधि के रूप में CMS प्रवासी जानवरों और उनके आवासों के संरक्षण और स्थायी उपयोग के लिये एक वैश्विक मंच प्रदान करता है। इसे बॉन कन्वेंशन (Bonn Convention) के नाम से भी जाना जाता है। यह कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों और कॉर्पोरेट क्षेत्र के साथ भी सहयोग करता है।
  • प्रवासी प्रजातियाँ वे जीव हैं, जो भोजन, धूप, तापमान, जलवायु आदि जैसे विभिन्न कारकों के कारण वर्ष के विभिन्न समयों में एक निवास स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते हैं। निवास स्थानों के बीच की यह यात्रा कुछ किलोमीटर से लेकर हज़ारों किलोमीटर तक की हो सकती है।
  • इस सम्मेलन के तहत ऐसी प्रजातियाँ, जो विलुप्ति के कगार पर हैं या जिनका अस्तित्व संकट में है, को अपेंडिक्स-। में सूचीबद्ध किया जाता है। वें प्रजातियाँ जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से मदद की जरुरत है, उन्हें अपेंडिक्स-।। में शामिल किया गया है
  • पार्टियाँ इन सूचीबद्ध जीवों की कड़ाई से रक्षा करने, इनके निवास स्थानों को संरक्षित करने या उन्हें पुनर्स्थापित करने की दिशा में प्रयास करती हैं साथ ही प्रवासन की बाधाओं को कम करती हैं।

CMS में भारत की स्थिति

  • भारत 1983 से CMS की एक पार्टी है।
  • साइबेरियन क्रेन (1998), मरीन टर्टल (2007), डूगोंग (2008) और रैप्टर (2016) के संरक्षण और प्रबंधन पर CMS के साथ गैर कानूनी रूप से बाध्यकारी MOU पर भारत ने हस्ताक्षर किये हैं।
  • भारत कई प्रवासी जानवरों और पक्षियों का अस्थायी घर है। अमूर फाल्कन, बार हेडेड घीस, ब्लैक नेकलेस क्रेन, मरीन टर्टल, डूगोंग, हंपबैक व्हेल इत्यादि इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण प्रजातियाँ हैं।
  • भारतीय उप-महाद्वीप प्रमुख पक्षी फ्लाईवे नेटवर्क का हिस्सा है। इसे मध्य एशियाई फ्लाईवे  (The Central Asian Flyway - CAF) भी कहते हैं। इसके अंतर्गत आर्कटिक एवं हिन्द महासागर के मध्य का क्षेत्र आता है।
  • इस क्षेत्र में जलीय पक्षियों की 182 प्रजातियों की कम-से-कम 279 आबादी पाई जाती है, जिसमें से 29 प्रजातियाँ वैश्विक रूप से संकटापन्न स्थिति में हैं।
  • भारत ने मध्य एशियाई फ्लाईवे के तहत प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजना भी शुरू की है।

स्रोत – पीआईबी


एशियाई शेर संरक्षण परियोजना (Asiatic Lion)

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) ने एशियाई शेर की दुनिया की आखिरी स्वतंत्र आबादी और इसके पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा और संरक्षण के उद्देश्य से ‘एशियाई शेर संरक्षण परियोजना’ (Asiatic Lion Conservation Project) शुरू की है।

प्रमुख बिंदु

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने वर्ष 2018 से 2021 तक तीन वित्तीय वर्षों के लिये इस परियोजना को मंज़ूरी दी है।

उद्देश्य

  • ‘एशियाई शेर संरक्षण परियोजना’ एशियाई शेर के संरक्षण और पुनर्प्राप्ति के लिये किये जा रहे प्रयासों को बल प्रदान करेगी, इस परियोजना के तहत आधुनिक तकनीक/उपकरणों, नियमित वैज्ञानिक अनुसंधान संबंधी अध्ययनों, रोग प्रबंधन, आधुनिक निगरानी/गश्त तकनीक की सहायता से कार्य किया जाएगा।

एशियाई शेर

  • एक समय में पूर्वी एशिया में पलामू (Palamau) से लेकर फारस (ईरान) तक पाई जाने वाली एशियाई शेरों की प्रजाति अंधाधुंध शिकार और आवासीय क्षति के कारण विलुप्त होने को है।
  • 1890 के दशक के अंत तक गुजरात के गिर जंगलों में शेरों की 50 से भी कम जनसंख्या बची थी। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर कड़े सुरक्षा उपाय किये जाने के बाद वर्तमान में एशियाई शेरों की संख्या बढ़कर 500 से अधिक हो पाई है।
  • वर्ष 2015 में हुई आखिरी जनगणना में 1648.79 वर्ग किमी. के गिर संरक्षित क्षेत्र के नेटवर्क (Gir Protected Area Network) में एशियाई शेरों की संख्या 523 दर्ज की गई।
  • इस नेटवर्क के अंतर्गत गिर राष्ट्रीय उद्यान (Gir National Park); गिर अभयारण्य (Gir Sanctuary); पानिया अभयारण्य (Pania Sanctuary)’ आरक्षित, संरक्षित एवं अनगिनत वनों के समीप अवस्थित मितीला अभयारण्य (Mitiyala Sanctuary) शामिल है।
  • यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि हमेशा से एशियाई शेरों का संरक्षण भारत सरकार की प्राथमिकता रही है।
  • आधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) ग्रेटर गिर क्षेत्र के संरक्षण, सुरक्षा और विकास के प्रयासों हेतु प्रस्तावित है। अतिरिक्त ICT में निम्नलिखित उपाय शामिल होंगे:

1. जीपीएस आधारित ट्रैकिंग (GPS Based Tracking)

a. निगरानी ट्रैकिंग (Surveillance Tracking)
b. पशु ट्रैकिंग (Animal Tracking)
c. वाहन ट्रैकिंग (Vehicle Tracking)

2. स्वचालित सेंसर ग्रिड (Automated Sensor Grid)

a. चुंबकीय सेंसर (Magnetic Sensors)
b. मूवमेंट सेंसर (Movement Sensors)
c. इंफ्रा-रेड हीट सेंसर (Infra-red Heat Sensors)

3. नाईट विज़न कैपेबिलिटी (Night Vision Capability Enhancement)

4. GIS आधारित रियल टाइम निगरानी, ​​विश्लेषण और रिपोर्ट।

शेरों के संरक्षण के लिये किये गए प्रयास

  • इस परियोजना से पहले भी मंत्रालय ने गुजरात में एशियाई शेर के संरक्षण हेतु कई प्रयास किये हैं, ऐसे ही एक कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार द्वारा 21 गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Critically Endangered) प्रजातियों की सूची में एशियाई शेरों को शामिल किया गया है। साथ ही CSS-DWH के तहत वित्तीय सहायता भी प्रदान की गई है।
  • इस परियोजना के अंतर्गत देश में एक स्थिर और व्यावहारिक शेर आबादी सुनिश्चित करने के लिये आवासीय सुधार के उपायों, वैज्ञानिक हस्तक्षेप, रोग नियंत्रण और पशु चिकित्सा देखभाल तथा पर्याप्त पारिस्थितिकी विकास कार्यों पर विशेष रूप से विचार किया गया है।

स्रोत- पीआईबी (PIB)


अंतर्राष्‍ट्रीय श्रम संगठन शताब्‍दी समारोह

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी और विशेष एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization-ILO) 2019 में अपनी 100वीं वर्षगांठ मना रही है।

प्रमुख बिंदु

  • भारत में श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय की तरफ से इस समारोह का आयोजन नोएडा स्थित वी.वी. गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान में किया गया है।

ilo

  • समारोह के दौरान ‘काम के भविष्‍य पर वैश्विक आयोग’ (Global Commission on the future of Work) द्वारा भारत के विशेष संदर्भ में ‘काम का भविष्‍य’ (future of Work) पर पेश की गई रिपोर्ट पर सभी हितधारकों (श्रमिक संगठन, नियोक्‍ताओं के प्रतिनिधिगण एवं सरकारी प्रतिनिधिगण) ने विचार-विमर्श किया।
  • शताब्दी के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की सात पहलें
    ♦ फ्यूचर ऑफ वर्क इनिशिएटिव (Future of Work Initiative)
    ♦ एंड टू पावर्टी इनिशिएटिव (End to Poverty Initiative)
    ♦ वीमेन एट वर्क इनिशिएटिव (Women at Work Initiative)
    ♦ द ग्रीन इनिशिएटिव (The Green Initiative)
    ♦ द स्टैंडर्ड्स इनिशिएटिव (The Standards Initiative)
    ♦ द इंटरप्राइज़ेज़ इनिशिएटिव (The Enterprises Initiative)
    ♦ द गवर्नेंस इनिशिएटिव (The Governance Initiative)

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization - ILO)

  • यह ‘संयुक्त राष्ट्र’ की एक विशिष्ट एजेंसी है, जो श्रम संबंधी समस्याओं/मामलों, मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानक, सामाजिक संरक्षा तथा सभी के लिये कार्य अवसर जैसे मामलों को देखती है।
  • यह संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियों से इतर एक त्रिपक्षीय एजेंसी है, अर्थात् इसके पास एक ‘त्रिपक्षीय शासी संरचना’ (Tripartite Governing Structure) है, जो सरकारों, नियोक्ताओं तथा कर्मचारियों का (सामान्यतः 2:1:1 के अनुपात में) इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रतिनिधित्व करती है।
  • यह संस्था अंतर्राष्ट्रीय श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के खिलाफ शिकायतों को पंजीकृत तो कर सकती है, किंतु सरकारों पर प्रतिबंध आरोपित नहीं कर सकती है।
  • इस संगठन की स्थापना प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् ‘लीग ऑफ नेशन्स’ (League of Nations) की एक एजेंसी के रूप में सन् 1919 में की गई थी। भारत इस संगठन का एक संस्थापक सदस्य रहा है।
  • इस संगठन का मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा में स्थित है।
  • वर्तमान में 187 देश इस संगठन के सदस्य हैं, जिनमें से 186 देश संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से हैं तथा एक अन्य दक्षिणी प्रशांत महासागर में अवस्थित ‘कुक्स द्वीप’ (Cook's Island) है।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 1969 में इसे प्रतिष्ठित ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ प्रदान किया गया था।

स्रोत- ILO की वेबसाइट


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (9 February)

  • बांग्लादेश के विदेश मंत्री की हालिया भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने राष्ट्रीय सुशासन केंद्र में अगले छह साल में बांग्लादेश के 1800 लोक सेवकों के प्रशिक्षण के लिये एक समझौते पत्र पर हस्ताक्षर किये। पाँच साल पहले दोनों देशों के बीच हुए समझौते में बांग्लादेश के 1500 लोक सेवकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। भारत के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र में बांग्लादेश के लोक सेवकों को ई-गवर्नेंस एवं सेवा प्रदान करने , सार्वजनिक नीति एवं क्रियान्वयन, सूचना प्रौद्योगिकी, विकेंद्रीकरण, शहरी विकास एवं योजना, प्रशासनिक नीति और सतत विकास लक्ष्यों के क्रियान्वयन में चुनौतियों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश पर केंद्रित विशेष दूरदर्शन उपग्रह चैनल डीडी अरुणप्रभा की शुरुआत 9 फरवरी को की। साथ ही प्रधानमंत्री ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान के स्थायी परिसर का शिलान्यास भी किया। डीडी अरुणप्रभा दूरदर्शन का 24वाँ उपग्रह चैनल होगा। इस चैनल में डिजिटल उपग्रह के ज़रिये समाचार संकलन की इकाई भी है, जो हर दिन 24 घंटे दूर-दराज़ के क्षेत्रों से भी सीधा प्रसारण कर सकती है।
  • भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा उपयोग किया जाने वाला विमान ‘एयर इंडिया वन’ को अमेरिकी मिसाइल तकनीक से अभेद्य बनाया जाएगा।  अमेरिका इस विमान के लिये दो मिसाइल रक्षा प्रणाली बेचने पर सहमत हो गया है। दोनों मिसाइल रक्षा प्रणालियों की अनुमानित लागत 19 करोड़ डॉलर (लगभग 1357 करोड़ रुपए) है। इसके तहत ‘लार्ज एयरक्राफ्ट इंफ्रारेड काउंटर मेजर’ (LARCAM) और ‘सेल्फ-प्रोटेक्शन सुइट्स’ (SPS) की बिक्री को मंज़ूरी दे दी है। इन मिसाइल सिस्टम्स में पायलट को कुछ नहीं करना पड़ता, बस उन्हें जानकारी मिलती है कि आक्रामक मिसाइल नष्ट कर दी गई है।
  • नोएडा स्थित वी.वी. गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान में केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार ने भारत में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। आपको बता दें कि ILO संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक एजेंसी है, जिसका स्वरूप त्रिपक्षीय है। यह सरकार, नियोक्ताओं एवं कामगारों के बीच सहयोग के सिद्धांत पर कार्य करती है। ILO की स्थापना 1919 में हुई थी और भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक है। ILO के 100 वर्षों के दौरान भारत ने इसके 189 समझौतों में से 47 समझौतों का अनुमोदन किया है।
  • केंद्रीय रेशम बोर्ड के सहयोग से वस्त्र मंत्रालय ने 9 फरवरी को नई दिल्ली में ‘सर्जिंग सिल्क–एकॉम्प्लिश्मेंट एंड वे फॉरवर्ड’ कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में पिछले 4 वर्षों के दौरान भारत में रेशम उद्योग के विकास को मुख्य रूप से दिखाया गया और जनजातीय क्षेत्रों की महिलों को बुनियाद टसर रेशम रिलिंग मशीनें वितरित की गईं। इसका उद्देश्य थाई रिलिंग की वर्षों पुरानी व्यवस्था को समाप्त करना है। टसर रेशम के क्षेत्र में इस प्रथा को समाप्त करने तथा ग्रामीण व जनजातीय महिलाओं को उचित आय प्रदान करने के उद्देश्य से चंपा, छत्तीसगढ़ के एक उद्यमी के सहयोग से केंद्रीय रेशम प्रौद्योगिकी शोध संस्थान ने इस मशीन को विकसित किया है। इस मशीन का नाम बुनियाद रिलिंग मशीन है और इससे टसर सिल्क की गुणवत्ता तथा उत्पादकता बेहतर होगी, साथ ही महिलाओं को कठिन श्रम से राहत मिलेगी।
  • राजस्थान सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पेंशन 20 हज़ार से बढ़ाकर 25 हज़ार रुपए कर दी है और इनका मेडिकल भत्ता भी बढ़ाकर 5 हज़ार रुपए तक कर दिया गया है। इसके अलावा, द्वितीय विश्वयुद्ध में हिस्सा लेने वाले सैनिकों या उनकी विधवाओं को 10 हज़ार रुपए तक की पेंशन दी जाएगी। साथ ही राज्य में अमन-शांति व्यवस्था कायम रखने के लिये जल्द ही एक अलग से विभाग बनाया जाएगा। प्रदेश के दो करोड़ अत्यंत निर्धन लोगों को 1 रुपए प्रति किलो गेहूँ उपलब्ध कराने की योजना भी बनाई जा रही है।
  • मध्य प्रदेश सरकार ने बेरोज़गारों के लिये बनाई गई युवा स्वाभिमान योजना को केंद्र सरकार की कौशल संवर्द्धन योजना से जोड़ा है। अब इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार से मिलने वाला पैसा किसी संस्था या विभाग को न देकर सीधे बेरोज़गारों के खातों में डाला जाएगा। 21 से 30 साल तक के बेरोज़गार युवाओं को 100 दिन के काम के हिसाब से 4 हज़ार रुपए हर महीने दिये जाएंगे। किसानों को मिलने वाली बिजली का बिल भी आधा कर दिया गया है, जिससे 19 लाख किसान लाभान्वित होंगे।
  • पालतू बनाकर रखी गई भारत और एशिया की सबसे अधिक आयु की हथिनी दक्षायनी की 88 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। उसे Gaja Muthassi या Elephant Granny टाइटल दिया गया था। दक्षायनी केरल के चेंगललोर महादेवा मंदिर के अनुष्ठानों और जुलूसों में हिस्सा लिया करती थी।
  • राष्ट्रीय स्तर पर खेली जाने वाली शीर्ष क्रिकेट प्रतियोगिता रणजी ट्रॉफी का ख़िताब लगातार दूसरी बार विदर्भ ने जीत लिया है। नागपुर में खेले गए फाइनल मैच में विदर्भ ने सौराष्ट्र को 78 रन से हरा दिया। विदर्भ की टीम ने मौज़ूदा सीज़न में 11 मैच खेले और एक भी मैच नहीं हारा और पिछले सीज़न में भी ऐसा ही हुआ था। फाइनल मैच में 11 विकेट लेने वाले विदर्भ के आदित्य सरवटे को प्लेयर ऑफ द मैच घोषित किया गया।
  • नासा एवं नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन से पता चलता है कि 2018 में पृथ्वी का वैश्विक सतह तापमान चौथा सबसे गर्म तापमान रहा। नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस स्टडीज़ के अनुसार, 2018 में पृथ्वी की सतह का वैश्विक तापमान 1880 के बाद से अब तक का चौथा सबसे गर्म तापमान रहा। 2018 में वैश्विक तापमान 1951 से 1980 तक के औसत तापमान से 0.83 डिग्री सेल्सियस अधिक था। पृथ्वी की सतह के तापमान में आए इस परिवर्तन का प्रमुख कारण वातावरण में कॉर्बन डाइऑक्साइड के बढ़े हुए उत्सर्जन और मानवीय गतिविधियों के कारण निकलने वाली अन्य ग्रीनहाउस गैसें हैं।
  • इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) 2018 की रिपोर्ट के अनुसार भारत लगातार चौथे वर्ष 18.6% की सबसे तेज़ वृद्धि दर के साथ एविएशन के क्षेत्र में शीर्ष पर रहा। भारत के बाद चीन का स्थान रहा जिसकी वृद्धि दर 11.7% रही। भारत के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के आँकड़ों से पता चलता है कि 2018 में 13.9 करोड़ घरेलू यात्रियों ने हवाई यात्रा की। 2017 में यह संख्या 11.7 करोड़ थी। रूस 9% के साथ तीसरे, अमेरिका 5.1% के साथ चौथे और 4.8% वृद्धि दर के साथ ब्राज़ील पाँचवें स्थान पर रहा।
  • भारतीय मूल के अमेरिकी इंजीनियर संजय रामभद्रन को अमेरिका में एक गैर-लाभकारी संस्था टेक्सास लिसीयम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह संस्था टेक्सास में अगली पीढ़ी के नेताओं को तैयार करने पर ध्यान देती है। संजय रामभद्रन इस पद पर नियुक्त होने वाले विदेशी मूल के पहले व्यक्ति हैं।