डेली न्यूज़ (08 Jul, 2019)



वन्यजीवों में इम्यूनोकॉन्ट्रासेप्टिव का उपयोग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEFCC) ने जंगली जानवरों की चार प्रजातियों की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिये इम्यूनोकॉन्ट्रासेप्टिव (Immunocontraceptives) उपाय अपनाने हेतु एक परियोजना शुरू की है।

प्रमुख बिंदु

  • यह परियोजना पशुओं के संदर्भ में इम्यूनोकॉन्ट्रासेप्शन (Immunocontraception) की नियामावली को विकसित करने के लिये भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India- WII) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (National Institute of Immunology- NII) का एक उन्नत प्रयास है।
  • जानवरों की चार प्रजातियों में हाथी, जंगली सूअर, बंदर और नीलगाय को शामिल किया गया है।
  • यह पायलट परियोजना उत्तराखंड में चलाई गई है जो बाद में देश के बाकी हिस्सों में लागू की जाएगी।

मानव-पशु संघर्ष

  • वर्तमान में देश में वन्यजीवों के प्रबंधन में मानव-पशु संघर्ष एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है और मानव-हाथी संघर्ष के कारण प्रत्येक वर्ष अधिक विसंगतियाँ देखी जा रही हैं।
  • उदाहरण के तौर पर हाल ही में संसद में प्रस्तुत एक पत्र के अनुसार, सिर्फ पिछले वर्ष में ही हाथियों द्वारा हमले में लगभग 494 व्यक्तियों की मृत्यु हुई। वर्ष 2014 से मार्च 2019 के बीच देश में हाथियों के हमले में 2,398 लोगों की मौत हुई, जिसमें सबसे अधिक मौतें पश्चिम बंगाल में हुई।

इम्यूनोकॉन्ट्रासेप्शन

  • इम्यूनोकॉन्ट्रासेप्शन (Immunocontraception) एक ऐसी तकनीक है जो अंडे (Egg) के चारों ओर प्रोटीन बनाने में मादा पशु की प्रतिरक्षा प्रणाली का उपयोग करती है और इसे निषेचन से सुरक्षा प्रदान करती है।

चुनौतियाँ

  • हालाँकि अफ्रीका में क्रुगर नेशनल पार्क (Kruger National Park) जैसे क्षेत्रों में गर्भ-निरोधक विधि का उपयोग किया जा रहा है लेकिन भारत में इस तरह की परियोजना को लागू करना अत्यंत कठिन होगा।
  • हालाँकि हाथियों पर इम्यूनोकॉन्ट्रासेप्शन का उपयोग करने पर अदालत द्वारा रोक/निषेध है लेकिन मंत्रालय द्वारा इस आदेश को रद्द करने की कोशिश की जा रही है। स्पष्ट है कि इस नियंत्रण प्रक्रिया के अंतर्गत लंबे समय तक कुछ सरकारी/कानूनी प्रयासों को भी दरकिनार किया जाएगा।
  • तय किये गए लक्ष्यों के आधार पर एक बड़ी संख्या में मादा पशुओं का पता लगाकर, उनका टीकाकरण किया जाना, एक कठिन कार्य होगा।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

  • यह भारत की पर्यावरण एवं वानिकी संबंधी नीतियों एवं कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के नियोजन, संवर्द्धन, समन्वय और निगरानी हेतु केंद्र सरकार के प्रशासनिक ढाँचे के अंतर्गत एक नोडल एजेंसी है।
  • इस मंत्रालय का मुख्य दायित्व देश की झीलों और नदियों, जैव विविधता, वनों एवं वन्यजीवों सहित प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, पशु कल्याण,आदि से संबंधित नीतियों तथा कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना है।
  • इन नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में मंत्रालय सतत् विकास एवं जन कल्याण को बढ़ावा देने के सिद्धांतों का पालन करता है।
  • यह मंत्रालय देश में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम (SACEP), अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वत विकास केंद्र (ICIMOD) के लिये तथा पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCED) के पालन हेतु भी नोडल एजेंसी की तरह कार्य करता है।
  • इस मंत्रालय को बहुपक्षीय निकायों और क्षेत्रीय निकायों के पर्यावरण से संबंधित मामले भी सौंपे गए हैं।

स्रोत- द हिंदू


आर्कटिक जलवायु के अध्ययन हेतु मिशन

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में आर्कटिक बर्फ पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के अध्ययन हेतु 17 देशों के वैज्ञानिको के एक दल का गठन किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • जर्मनी का आइसब्रेकर आर.वी. पोलरस्टर्न (RV Polarstern) जहाज़ अमेरिका, रूस और चीन सहित 17 देशों के वैज्ञानिकों तथा वैज्ञानिक उपकरणों के साथ आर्कटिक क्षेत्र की बर्फ पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अध्ययन के लिये भेजा जाएगा।

Polarstern

  • इस वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से केंद्रीय आर्कटिक क्षेत्र के मौसम का स्पष्ट अध्ययन किया जा सकेगा। अत्यंत कम तापमान और दिन की अवधि छोटी होने की वजह से यहाँ सैटेलाइट के माध्यम से स्पष्ट अध्ययन संभव नही हो पाता है ।
  • इस अध्ययन में रोबोटिक्स जैसे तकनीकों का प्रयोग कर बेहतर डेटा तैयार किया जाएगा ताकि मौसम और जलवायु का बेहतर अनुमान लगाया जा सके।
  • इस मिशन को अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन, ऊर्जा विभाग, राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (National Oceanic and Atmospheric Administration) तथा नासा जैसे संस्थानों द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • इस प्रकार के वैज्ञानिक अध्ययन ध्रुवीय भँवर के विस्तार, फ्लोरिडा में होने वाली बर्फ़बारी और यूरोप में बढ़ती हीटवेव जैसे अप्रत्याशित घटनाओं को समझने के साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटने में एक कारगर उपाय साबित होंगे।

स्रोत : द हिंदू


सोशल मीडिया के प्रभाव

चर्चा में क्यों?

फोर्टिस हॉस्पिटल के एक सर्वेक्षण में मनोविज्ञान के विद्यार्थियों के विचारों और व्यवहारों पर सोशल मीडिया के प्रभाव का अध्ययन किया गया।

social media

प्रमुख बिंदु :

  • सर्वेक्षण के अनुसार ,सोशल मीडिया बच्चों के लिये केवल बुरी लत के समान नहीं है बल्कि इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलते हैं जैसे-तकनीकी साक्षरता को प्रोत्साहन ,अवसरों का विस्तार,आत्म-सम्मान को बढ़ावा आदि ।
  • फोर्टिस हॉस्पिटल द्वारा आयोजित इस सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 78 प्रतिशत छात्रों ने यह स्वीकार किया कि वे सोशल मीडिया पर दिन में अधिकांश समय बिताते हैं।
  • देश भर के 94 प्रतिशत छात्र यह मानते हैं कि सोशल मीडिया जागरूकता फैलाने का एक अच्छा साधन हैं।
  • सर्वेक्षण में शामिल 96 प्रतिशत छात्रों ने यह माना है कि सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारी का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिये और उसकी सत्यता की जाँच होनी चाहिये।
  • जबकि 90 प्रतिशत छात्रों ने यह माना है कि वयस्कों को इस संदर्भ में जागरूक होने की ज़रूरत है और इस बात पर चर्चा करने की ज़रुरत है कि बच्चे सोशल मीडिया का उपयोग किस प्रकार कर रहे हैं।

स्रोत : हिंदुस्तान टाइम्स


ज़िला-स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (DEIAA)

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण आकलन (Environmental Assessment) के लिये नियुक्त राज्य-स्तरीय अधिकारियों ने ज़िला-स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (District-Level Environment Impact Assessment Authorities - DEIAA) के निर्माण हेतु तैयार किये गए कानून के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई है।

मुख्य बिंदु :

  • पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन अधिसूचना, 2019 (Environment Impact Assessment Notification, 2019 - EIA 2019) जिलाधिकारी (District Magistrate - DM) को DEIAA (जो की एक विशेष प्राधिकरण है) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने का प्रावधान करता है।
  • EIA 2019 के तहत DEIAA को ‘लघु-खनन’ परियोजनाओं की पर्यावरणीय मंज़ूरी का अधिकार सौंपा गया है।

लघु-खनन का तात्पर्य 25 हेक्टेयर या उससे छोटे भूखंडों पर होने वाले रेत और पत्थर के खनन से है।

  • इससे पूर्व EIA 2006 के कई प्रावधानों को NGT के समक्ष चुनौती दी जा चुकी है और उसमे कई परिवर्तन भी हुए हैं।
  • EIA 2019 इन सभी परिवर्तनों को समायोजित करने का प्रयास करता है।

क्या होता है EIA?

  • EIA एक ऐसा दस्तावेज़ है जो किसी परियोजना हेतु पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया का निर्धारण करता है।
  • इस दस्तावेज़ के अनुसार, ऐसे सभी विकासकर्त्ताओं (Developers), जिनके परियोजनाओं में वनों, नदियों एवं उसके किनारों और अन्य पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों को प्रभावित एवं परिवर्तित करने की शक्ति है, को केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय (MoEF) या इसके द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों से अनुमति लेनी होगी।
  • EIA 2019 अभी पूर्णतया तैयार नहीं हुआ है। अभी राज्यों को सिर्फ ‘ज़ीरो ड्राफ्ट’ ही भेजा गया है, जिसका अर्थ है कि राज्य के अधिकारियों से अभी इस संदर्भ में टिप्पणी माँगी जा रही है जिसके बाद इसे संशोधित किया जाएगा और फिर इसे सार्वजनिक टिप्पणी के लिये आमंत्रित किया जाएगा।
  • राज्य स्तरीय अधिकारियों द्वारा DM को DEIAA के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त न किये जाने के निम्न तर्क दिये जा रहे हैं :
    • DM पर्यावरण और पारिस्थितिकी के मामलों में तकनीकी विशेषज्ञता नहीं रखता है।
    • राज्य अपने मानव संसाधन (DM के रूप में) को अतिरिक्त कार्यभार देने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।

स्रोत : द हिंदू


कृषक परिवारों में आय की असमानता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नाबार्ड द्वारा किये गए सर्वेक्षण में भारतीय कृषक परिवारों के बीच लगातार बढ़ रही आय असमानता को रेखांकित किया गया है।

प्रमुख बिंदु :

  • सर्वेक्षण से एकत्रित किये गए आँकड़ों के अनुसार, भारत के कृषक परिवारों में राज्यों के बीच आय असामनता 16,020 रुपए ( पंजाब में सबसे अधिक) से लेकर 5,842 रुपए (आंध्र प्रदेश में सबसे कम) तक है।

farmer monthly income

  • इसके अतिरिक्त सर्वेक्षण सर्वे में यह पाया गया है कि देश के 85 प्रतिशत किसान कुल कृषक आय का मात्र 9 प्रतिशत हिस्सा ही कमाते हैं जबकि शेष 15 प्रतिशत किसान 91 प्रतिशत हिस्सा कमाते हैं।
  • यदि भारत की समग्र आय असमानता से इन आँकड़ों की तुलना की जाए तो ये बहुत अधिक अंतराल को दर्शाते हैं।
  • भारत मे असमानता के इन आँकड़ों को देखते हुए यह तथ्य भी चौंकाने वाला नहीं है कि 43 प्रतिशत ऋणी भारतीय परिवार किसान ही हैं।
  • आय की असमानता का यह पहलू किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य के संदर्भ में भी महत्त्वपूर्ण है।
  • आय के निर्धारण में उपलब्ध भूमि एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है :
    • जिस किसान के पास खेती के लिये कम भूमि उपलब्ध होती है तो उसकी आय भी कम होती है।
    • भारत के 85 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम भूमि है।
    • इन्ही कारणों के परिणामस्वरूप छोटे किसानों को अपनी आय बढ़ाने में बड़े किसानों की अपेक्षा अधिक समय लगता है।

स्रोत : द हिंदू


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (08 July)

  • यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति की बैठक 30 जून से 10 जुलाई तक अज़रबैजान की राजधानी बाकू में आयोजित हुई। विश्व धरोहर समिति के 43वें सत्र के बाद वास्तुकला की बेहतरीन विरासत और जीवंत संस्कृति के लिये राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के तौर पर चिह्नित किया गया। आईसीओएमओएस स्मारक और स्थल पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद ने वर्ष 2018 में जयपुर शहर का निरीक्षण किया था। इससे पहले वर्ष 2018 में मुंबई के विक्टोरियन गोथिक एंड आर्ट डेको इनसेंबल को विश्व धरोहर स्थल के तौर पर चुना गया था। जयपुर के शामिल होने के साथ यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारत के विरासत स्थलों की संख्या बढ़कर 38 हो गई है। इसमें 30 सांस्कृतिक संपत्ति, सात प्राकृतिक संपत्ति और एक मिश्रित स्थल है। वर्ष 2017 की ऑपरेशनल गाइडलाइंस के तहत एक राज्य से हर साल सिर्फ एक स्थान को ही विश्व विरासत बनाने के लिये प्रस्तावित किया जा सकता है। यह दर्जा प्राप्त होने से घरेलू अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलता है तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलती है और लोगों को रोज़गार भी मिलता
  • जयपुर के अलावा यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति ने तीन दशक की जद्दोजेहद के बाद इराक के विशाल क्षेत्र में फैले प्राचीन मेसोपोटामियाई शहर बेबीलोन को विश्व धरोहरों की सूची में शामिल कर लिया है। ज्ञातव्य है कि इराक 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस विस्तृत परिसर को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल करने के लिये वर्ष 1983 से ही कोशिश कर रहा था। इस प्राचीन शहर की अब तक केवल 18 प्रतिशत ही खुदाई हुई है। इराक की राजधानी बगदाद के दक्षिण में करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर फरात नदी के तट पर स्थित यह शहर 4000 साल से भी अधिक प्राचीन बेबीलोनियन साम्राज्य का केंद्र था। इराक की आपत्ति के बाद बेबीलोन को संकट में घिरी विश्व धरोहर घोषित नहीं किया गया।
  • विदेश मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान नेपाल, मालदीव, मॉरीशस और अफ्रीकी देशों के लिये सहायता राशि के आवंटन में वृद्धि की है। इन देशों की कुल सहायता राशि में करीब 2037.79 करोड़ रुपए का इज़ाफा किया गया है और इस वर्ष यह राशि करीब 7,582.79 करोड़ रुपए हो गई है। नेपाल के लिये सहायता राशि वर्ष 2018-19 के 650 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1050 करोड़ रुपए की गई है। भूटान को कुल 2801.79 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है, जो पिछले वित्त वर्ष में 2650 करोड़ रुपए थी। अफगानिस्तान के लिये अलग से 400 करोड़ रुपए, बांग्लादेश के लिये 175 करोड़ रुपए, श्रीलंका के लिये 250 करोड़ रुपए और मंगोलिया के लिये पांच करोड़ रुपए की सहायता राशि आवंटित की गई है। म्यांमार के लिये सहायता राशि पिछले साल के 280 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 400 करोड़ रुपए की गई है। अफ्रीकी देशों के लिये सहायता राशि में पिछले साल के तुलना में दोगुना इज़ाफा किया गया है। इन्हें वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में करीब 450 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। लेकिन सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के लिये सहायता राशि वर्ष 2018-19 के 150 करोड़ रुपए से घटकर इस बार 45 करोड़ रुपए रह गई है।
  • यूरोपीय संघ ने इटली के सोशल डेमोक्रैट डेविड सासोली अपना नया अध्यक्ष चुना। गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले प्रमुख पदों पर दो महिलाओं को पहली बार नामित किये जाने के बाद इस शीर्ष पद को भरा गया। डेविड सासोली का मुकाबला जर्मनी की ग्रीन पार्टी की स्का केलर, स्पेन के सीरा रेगो और चेक गणराज्य के ज़ेन से था। फ्राँस के स्ट्रासबर्ग में स्थित 751 सीटों वाली यूरोपीय संसद में गुप्त मतदान के ज़रिये एंतोनिया तज़ानी के उत्तराधिकारी के तौर पर डेविड सासोली को चुना गया। उनका कार्यकाल ढाई साल का रहेगा। यूरोपीय संघ के सदस्‍य देशों की जनसंख्या के हिसाब से हर देश को सीटें आवंटित होती हैं। इसके अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल पाँच साल का होता है। यूरोपीय संघ संधि के तहत यूरोपीय परिषद में शामिल सभी 28 सदस्य देशों के नेता यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष का मनोनयन करते हैं, इसके बाद 751 सदस्यीय नई संसद इसे अपनी स्वीकृति देती है।
  • भारत की फर्राटा धाविका हिमा दास ने पोलैंड में पोजनान एथलेटिक्स ग्रां प्री में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक जीता। विश्व जूनियर चैंपियन और 400 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्डधारक हिमा ने 200 मीटर में 23.65 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इस दौड़ में एक अन्य भारतीय वी.के. विसमाया ने 23.75 सेकेंड के व्यक्तिगत समय के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। गौरतलब है कि हिमा दास की 200 मीटर में इस साल यह पहली प्रतिस्पर्द्धी दौड़ थी। उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 23.10 सेकेंड है जो उन्होंने पिछले साल हासिल किया था।