डेली न्यूज़ (08 Mar, 2019)



कार्य आधारित लैंगिक अंतराल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि भारत और चीन में महिलाओं की रोजगार दर में पुरुषों की तुलना में अधिक तेज़ी से गिरावट आई है।

प्रमुख बिंदु

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation- ILO) ने हाल ही में एक रिपोर्ट, ’अ क्वांटम लीप फॉर जेंडर इक्वलिटी: फॉर अ बेटर फ्यूचर ऑफ़ वर्क फॉर आल (A Quantum leap for gender equality: For a better future of work for all)’ जारी किया।
  • यह रिपोर्ट ILO की पहल “वूमन एट वर्क सेंटेनरी (Women at Work Centenary)” के पाँच साल के अवलोकन पर आधारित है।

इस रिपोर्ट के अनुसार

  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सबसे गतिशील अर्थव्यवस्थाओं, भारत और चीन, में बेहतर शिक्षा, जागरूकता के बावजूद महिलाओं की रोज़गार दर पुरुषों की तुलना में अधिक स्पष्ट रूप से गिरती हुई दिखती है।
  • जनसांख्यिकी के अलावा कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का औद्योगिक अर्थव्यवस्था में तेज़ी से रूपांतरण एवं औद्योगिक क्षेत्रों में महिलाओं की दृष्टि से आधारभूत सुविधाओं का अभाव इसका एक मुख्य कारण है।
  • प्रबंधन में शीर्ष पदों पर महिलाओं के नेतृत्व में कमोबेश वही स्थिति है जो 30 वर्ष पूर्व थी।
  • विश्व स्तर पर अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में अधिक शिक्षित होने के बाद भी प्रबंधन के शीर्ष पर एक-तिहाई से भी कम महिलाएँ हैं।
  • पाँच अलग-अलग देशों में लिंक्डइन की सहायता से 22% वैश्विक नियोजित जनसंख्या के वास्तविक समय में प्राप्त आँकड़ों के अध्ययन के पश्चात् यह सामने आया है कि रोजगार दर में गिरावट और महिलाओं को कम वेतन मिलने का मुख्य कारण शिक्षा नहीं है।
  • साथ ही वर्तमान में डिजिटल कौशल युक्त महिलाओं की विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्र में उच्चतम भुगतान वाली नौकरियों में सबसे अधिक मांग हैं।
  • हालाँकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि शीर्ष पर पहुँचने वाली महिलाएँ अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम-से-कम 1 वर्ष पहले पहुँचती हैं।
  • भारत में रोजगार में लिंग अंतराल की एक गंभीर तस्वीर को चित्रित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि वर्तमान में केवल 86,362 महिला लिंक्डइन सदस्य भारत में निदेशक स्तर के पदों पर पहुँची हैं, जबकि पुरुषों की संख्या 407,316 है इसके अलावा, भारत में लिंक्डइन के केवल 23% सदस्य डिजिटल कौशल से युक्त थे।
  • 2018 में भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं के रोज़गार दर में 26 प्रतिशत की कमी थी। इसके अलावा 2005 और 2015 के बीच छह साल से कम उम्र के बच्चों और बिना छोटे बच्चों वाली वयस्क महिलाओं के रोजगार अनुपात में अंतर 38% तक बढ़ गया। इसे ‘मातृत्व रोज़गार जुर्माना’ नाम से उल्लिखित किया गया है।
  • कई कारक रोज़गार की समानता में बाधक हैं, और सबसे बड़ी भूमिका इन क्षेत्रों में महिलाओं के अनुरूप आधारभूत सुविधाओं का न होना है।

निष्कर्ष

पिछले 20 वर्षों में महिलाओं ने अवैतनिक देखभाल और घरेलू कार्यों में जितना समय बिताया है वह शायद ही आगे कम हो और पुरुषों के लिये दिन में कार्य की अवधि में सिर्फ आठ मिनट की वृद्धि हुई है। परिवर्तन की इस गति पर समानता हासिल करने में 200 साल से अधिक समय लगेगा।

स्रोत: लाइवमिंट


बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (Flood Management and Border Areas Programme-FMBAP) को मंज़ूरी दी है। गौरतलब है कि यह कार्यक्रम बाढ़ प्रबंधन कार्यों और सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित नदी प्रबंधन गतिविधियों तथा कार्यों हेतु पूरे देश में लागू किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • FMBAP योजना प्रभावी बाढ़ प्रबंधन, भू-क्षरण पर नियंत्रण के साथ-साथ समुद्र तटीय क्षेत्रों के क्षरण के रोकथाम पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।
  • यह प्रस्ताव देश में बाढ़ और भू-क्षरण से शहरों, गाँवों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, संचार नेटवर्क, कृषि क्षेत्रों, बुनियादी ढाँचों आदि को बचाने में मदद करेगा।
  • जलग्रहण उपचार कार्यों से नदियों में गाद कम करने में सहायता मिलेगी।
  • बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (FMP) तथा नदी प्रबंधन गतिविधियों और सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित कार्य (River Management Activities and Works related to Border Areas-RMBA) नामक दो स्कीमों के घटकों को आपस में विलय करके FMBAP योजना तैयार की गई है।
  • इस योजना के तहत पड़ोसी देशों के साथ साझा नदियों पर जल संसाधन परियोजनाओं जैसे- नेपाल में पंचेश्वर तथा सप्तकोसी-सनकोसी परियोजनाओं का सर्वेक्षण और जाँच-पड़ताल एवं डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट आदि तैयार करना भी शामिल है।

वित्तपोषण:

  • इस कार्यक्रम की अनुमानित लागत 3342 करोड़ रुपए है।
  • सामान्य श्रेणी के राज्यों में किये जाने वाले कार्यों के लिये वित्त प्रबंधन केंद्र और राज्य हेतु 50-50 प्रतिशत के अनुपात में रहेगा, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की परियोजनाओं के लिये वित्तपोषण पद्धति 70 प्रतिशत (केंद्र) और 30 प्रतिशत (राज्य) के अनुपात में रहेगी।

स्रोत- पीआईबी


हानिकारक और अन्य अपशिष्ट नियम, 2016 संशोधन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना के ज़रिये हानिकारक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन एवं निपटान) नियम, 2016 में संशोधन किया है। गौरतलब है कि इस संशोधन का उद्देश्य देश के अपशिष्ट प्रबंधन और निपटान को मज़बूती प्रदान करना है।

प्रमुख बिंदु

  • निम्नलिखित पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह संशोधन किया गया है-

♦ नियमों के तहत प्रक्रियाओं को सरल बनाने के साथ-साथ सतत् विकास के सिद्धांतों को कायम रखना।
♦ पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव को सुनिश्चित करते हुए, ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देना।

  • संशोधन की प्रमुख विशेषताएँ:

विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) और निर्यातौन्मुख इकाइयों (EOU) द्वारा ठोस प्लास्टिक अपशिष्ट के आयात पर प्रतिबंध।
♦ रेशम अपशिष्ट के निर्यातकों को अब पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनुमति लेने से छूट दी गई है।
♦ इसके साथ ही सतत् विकास के सिद्धांतों को बरकरार रखा गया है और यह भी ध्यान रखा गया है कि पर्यावरण पर न्यूनतम असर हो।
♦ भारत में निर्मित इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को निर्यात के एक वर्ष के अंदर किसी खराबी की स्थिति में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अनुमति के बगैर वापस लाया जा सकता है।
♦ जिन उद्योगों को जल (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत अनुमति की आवश्यकता नहीं है, उन्हें अब हानिकारक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन एवं निपटान) नियम, 2016 के नियमों के तहत भी किसी प्राधिकरण की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी, बशर्ते कि ऐसे उद्योगों द्वारा उत्पन्न हानिकारक और अन्य अपशिष्ट अधिकृत उपयोगकर्त्ताओं, अपशिष्ट संग्राहकों या निपटान करने वालों को सौंप दिये जाते हों।

स्रोत- पीआईबी


नई पनबिजली नीति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई पनबिजली नीति को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य ऐसे क्षेत्रों को बढ़ावा देना है, जिसमें बड़ी पनबिजली परियोजनाओं के अंतर्गत नवीकरणीय/अक्षय ऊर्जा क्रय बाध्यता (Renewable Purchase Obligation-RPO) की घोषणा भी शामिल है।

प्रमुख बिंदु

  • नई नीति के अनुसार, बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को भी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के रूप में नामित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अभी तक केवल 25 मेगावाट से कम क्षमता वाली छोटी परियोजनाओं को ही अक्षय ऊर्जा के रूप में वर्गीकृत किया जाता था।
  • इन उपायों की अधिसूचना के बाद शुरू की गई बड़ी पनबिजली योजनाओं में गैर-सोलर अक्षय ऊर्जा क्रय बाध्यता के तहत पनबिजली योजनाएँ शामिल होंगी (लघु पनबिजली परियोजनाएँ पहले से ही इनमें शामिल हैं)।
  • पनबिजली क्षेत्र में अतिरिक्त परियोजना क्षमता के आधार पर विद्युत मंत्रालय द्वारा बड़ी पनबिजली परियोजनाओं के वार्षिक लक्ष्यों के बारे में अधिसूचित किया जाएगा।
  • बड़ी पनबिजली परियोजनाओं के संचालन के लिये शुल्क नीति और शुल्क नियमन में आवश्यक संसोधन किये जाएंगे।
  • परियोजना काल को 40 वर्ष तक बढ़ाने के बाद शुल्ककी बैक लोडिंग द्वारा शुल्क निर्धारित करने के लिये डेवलपरों को लचीलापन प्रदान करने, ऋण भुगतान की अवधि को 18 वर्ष तक बढ़ाने और 2 प्रतिशत शुल्क बढ़ाने सहित शुल्क को युक्तिसंगत बनाना।
  • मामले के आधार पर पनबिजली परियोजनाओं में फ्लड मोडरेशन घटक वित्तपोषण के आधार पर बजटीय सहायता प्रदान करना।
  • सड़कों और पुलों जैसी आधारभूत सुविधाओं के निर्माण के मामले में आर्थिक लागत पूरी करने के लिये बजटीय सहायता देना। मामले के आधार पर यह वास्तविक लागत प्रति मेगावाट 1.5 करोड़ रूपए की दर से अधितकम 200 मेगावाट क्षमता वाली परियोजनाओं और प्रति मेगावाट 1.0 करोड़ रूपए की दर से 200 मेगावाट से अधिक क्षमता वाली परियोजनाओं के लिये हो सकती है।

प्रमुख प्रभाव

  • अधिकांश पनबिजली परियोजनाएँ हिमालय की ऊँचाई वाले और पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित हैं, इससे विद्युत क्षेत्र में प्रत्यक्ष रोज़गार मिलने से इस क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा।
  • इससे परिवहन, पर्यटन और अन्य छोटे कारोबारी क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष रोज़गार/उद्यमिता के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
  • इसका एक अन्य लाभ यह होगा कि सौर और पवन जैसे ऊर्जा स्रोतों से वर्ष 2022 तक लगभग 160 गीगावॉट क्षमता का एक स्थायी ग्रिड उपलब्ध हो जाएगा।

पृष्ठभूमि

  • भारत में लगभग 1,45,320 मेगावाट पनबिजली क्षमता की संभावना है, लेकिन अब तक लगभग 45,400 मेगावाट का ही इस्तेमाल हो रहा है।
  • पिछले 10 वर्षों में पनबिजली क्षमता में केवल लगभग 10,000 मेगावाट की वृद्धि की गई है। फिलहाल पनबिजली क्षेत्र एक चुनौतीपूर्ण चरण से गुज़र रहा है और कुल क्षमता में पनबिजली की हिस्सेदारी वर्ष 1960 के 50.36 प्रतिशत से घटकर 2018-19 में लगभग 13 प्रतिशत रह गई है।

स्रोत - PIB


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (8 March)

  • अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए इसे मध्यस्थता के लिये भेज दिया। रिटायर्ड जस्टिस एफ.एम. खलीफुल्ला की अध्यक्षता में गठित पैनल को चार सप्ताह के भीतर मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू करने के लिये कहा गया है, जबकि आठ हफ्ते की भीतर इसे सुलझाने का आदेश दिया गया है। मध्यस्थता की यह प्रक्रिया कैमरे के सामने होगी, लेकिन इसे बिल्कुल गोपनीय रखा जाएगा। मीडिया में मध्यस्थता की प्रक्रिया की रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध रहेगा। मध्यस्थता फैजाबाद में की जाएगी और पैनल के अध्यक्ष के साथ इसमें श्रीश्री रविशंकर और सीनियर एडवोकेट श्रीराम पांचू शामिल होंगे। कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता के नियम-8 के तहत उसे मामले को मध्यस्थता के लिये भेजने का अधिकार है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार फैज़ाबाद में मध्यस्थों को सभी सुविधाएं प्रदान करेगी।
  • दृष्टिबाधित लोगों के अनुकूल सिक्कों की एक नई श्रृंखला जारी की गई है, जिसमें एक, दो, पाँच, दस और बीस रुपए मूल्य के सिक्के हैं और इन्हें नई श्रृंखलाओं के हिस्से के रूप में जारी किया गया है। इन सिक्कों की डिज़ाइनिंग राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान ने की है तथा सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में इनकी ढलाई की गई है। इन सिक्कों में कई नई विशेषताएँ शामिल की गई हैं, ताकि दृष्टिबाधित लोगों के उपयोग के लिये आसानी हो। सिक्कों के आकार और भार कम से अधिक मूल्य के सिक्कों के अनुसार हैं। बीस रुपए मूल्य का नया सिक्का 12 दिशाओं का है और इसमें किसी तरह का नुकीला कटाव नहीं है, जबकि शेष मूल्य के सिक्के गोलाकार हैं।
  • फ्राँसीसी अंतरिक्ष एजेंसी CNES से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) के विशेषज्ञों को ‘गगनयान’ परियोजना के लिये इसी महीने से फ्रांस के ‘तोलुज स्पेस सेंटर’ में प्रशिक्षण मिलना शुरू हो जाएगा। इन विशेषज्ञों को फ्राँस के कैडमॉस (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ माइक्रोग्रैविटी एप्लीकेशंस एंड स्पेस ऑपरेशंस) एवं MEDES स्पेस क्लिनिक में भी प्रशिक्षित किया जाएगा। इस क्षेत्र में संबंधों को और मजबूत करने के लिये भारत एवं फ्राँस की अंतरिक्ष एजेंसियों ने समुद्री निगरानी के उद्देश्य से उपग्रहों का समूह निर्मित करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इसका लक्ष्य हिंद महासागर में जहाज़ों को पहचानना एवं उनकी स्थिति का पता लगाना है। फ्राँस का तोलुज स्पेस सेंटर अंतरिक्ष यात्रा से जुड़े अनुसंधान एवं विकास का केंद्र है।
  • महिला और बाल विकास मंत्रालय ने सोशल मीडिया के माध्यम से सामाजिक सुधारों को प्रेरित करने वाली वेब वंडर वुमेन को व्यापक अनुसंधान प्रक्रिया के बाद 30 महिलाओं को चुना था। हाल ही में ट्विटर इंडिया तथा ब्रेकथ्रू इंडिया के सहयोग से एक समारोह आयोजित किया गया जिसमें महिला और बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने इन महिलाओं को सम्मानित किया। #वेब वंडर वुमेन ऐसी आवाज़ों को मान्यता देने, सम्मानित करने और प्रोत्साहित करने के लिये है, जिन्होंने अपनी क्षमता में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर सार्थक प्रभाव डाले हैं। इन महिलाओं का चयन 240 से अधिक नामांकनों में से मीडिया, जागरूकता, कानूनी, स्वास्थ्य, सरकारी, खाद्य, पर्यावरण, विकास, व्यवसाय तथा कला श्रेणियों के तहत किया गया।
  • नित बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों के मद्देनज़र इको-फ्रेंडली पदार्थों के विकास पर ज़ोर देने के क्रम में IIT मंडी ने जूट और पटसन जैसे प्राकृतिक रेशों को मिलाकर पर्यावरण अनुकूल कम्पोजिट प्लास्टिक बनाया है। पॉलीप्रोपाइलीन और पॉलीएथिलीन आधारित इस कम्पोजिट प्लास्टिक में इन रेशों को पॉलीमर साँचे में वितरित करके उच्च तापमान पर प्रसंस्कृत किया गया है। इस कम्पोजिट प्लास्टिक का इस्तेमाल एयरोस्पेस प्रणालियों से लेकर उद्योगों, ऑटोमोबाइल्स और विभिन्न उपभोक्ता उत्पादों में होता है। इस कम्पोजिट प्लास्टिक से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने में भी सहायता मिलेगी।
  • स्टार्टअप को एंजेल टैक्स से छूट संबंधी नए नियम आयकर विभाग ने अधिसूचित कर दिये हैं। नए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उठाया गया यह कदम 19 फ़रवरी से प्रभावी माना जाएगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले DPIIT ने स्टार्टअप कंपनियों को 25 करोड़ रुपए तक के निवेश पर एंजेल टैक्स में छूट का एलान किया था। इसके अलावा इसका लाभ लेने की अवधि को बढ़ाकर 10 साल किया गया था। इससे पहले इन स्टार्टअप्स को 10 करोड़ रुपए तक के निवेश पर 7 साल के लिये यह छूट मिलती थी।
  • देश की युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना जगाने के लिये हाल ही में लाल किला परिसर में आज़ादी के भूले-बिसरे दीवानों की स्मृति में आज़ादी के दीवाने नाम के संग्रहालय की शुरुआत की गई है। इस डिजिटल संग्रहालय को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बनाया है। इस संग्रहालय को विशिष्ट प्रकार से बनाया गया है और इसमें मल्टी सेंसर तकनीक का प्रयोग हुआ है जो दर्शकों को व्यस्त रखेगी। इस संग्रहालय को इस तरह से बनाया गया है जिसमें गैलरी के एक भाग से दूसरे तक जाते समय हर कोई आज़ादी के लिये हुए युद्ध को जीवंत रूप में देख पाएगा और महसूस भी कर पाएगा। गौरतलब है कि लाल किला परिसर में बनाया गया यह पाँचवां संग्रहालय है। क्रांति के मंदिर श्रृंखला में अब तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस और INA, जलियाँवाला बाग, स्वाधीनता संग्राम का प्रथम युद्ध (1857) और दृश्यकला संग्रहालय स्थापित किये गए हैं।
  • हाल ही में मुजफ्फरपुर, बिहार के भाजपा नेता भगवान लाल साहनी ने नवगठित राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के नए अध्यक्ष का पदभार संभाला। उनके साथ वाराणसी के पूर्व मेयर कौशलेंद्र सिंह पटेल, हरियाणा से पूर्व लोकसभा सदस्य एवं भाजपा की राष्ट्रीय सचिव सुधा यादव और तेलंगाना भाजपा के महासचिव आचार्य तलोजू सदस्य नियुक्त किये गए हैं। आपको बता दें कि 1993 में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था और संवैधानिक दर्जा मिलने से पहले तक यह केवल सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ी जातियों को पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल करने या पहले से शामिल जातियों को सूची से बाहर करने का काम करता था। 2018 में 123वें संविधान संशोधन विधेयक द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया और इसे कुछ अतिरिक्त शक्तियां प्राप्त हुईं। पुराने कानून में यह व्यवस्था थी कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होगा और उसके अलावा तीन अन्य सदस्य होंगे। नए कानून के अनुसार आयोग का अध्यक्ष सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों से संबंध रखने वाला सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता होगा तथा उपाध्यक्ष व तीन सदस्य होंगे।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में सुधारों के तहत सौम्या स्वामीनाथन को डिप्टी डायरेक्टर जनरल से मुख्य वैज्ञानिक के पद पर स्थानांतरित किया गया है। मुख्य वैज्ञानिक के पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति के ऊपर WHO के मानदंडों की गुणवत्ता और स्थिरता सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी होती है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष अक्तूबर में भारतीय डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथ को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का डिप्टी डायरेक्टर जनरल नियुक्त किया गया था। वह WHO में इस पद को संभालने वाली पहली भारतीय थीं। इससे पहले वह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) में डायरेक्टर जनरल रह चुकी हैं तथा उनकी गिनती देश के प्रख्यात बाल-रोग विशेषज्ञों में होती है। सौम्या स्वामीनाथन विश्व विख्यात कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन की पुत्री हैं, जिन्हें भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है।
  • राष्ट्रीय मीडिया केंद्र, नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनिंदा भाषणों के संकलन सबका साथ सबका विकास नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक के प्रत्येक खंड को पाँच उपखंडों में वर्गीकृत किया गया है। इसमें सुशासन; देश को सक्षम और कुशल बनाने; हमारे बहादुर जवानों, अन्नदाता किसानों और प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों की सराहना; विकास और आशा के समावेशी मार्ग पर लोगों को एकजुट करने और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ पुनरुत्थानशील भारत के संदेश को साझा करने के बारे में प्रधानमंत्री के विचारों को कवर किया गया है।