डेली न्यूज़ (08 Feb, 2019)



अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 (International Financial Srvices Centres Authority Bill, 2019) के अंतर्गत भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (International Financial Services Centres-IFSCs) के तहत सभी वित्तीय सेवाओं को विनियमित करने के लिये एक एकीकृत प्राधिकरण की स्थापना को मंज़ूरी दी है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) गुजरात के गांधीनगर में स्थापित किया गया है।
  • IFSC उन वित्तीय सेवाओं और निवेश को भारत में वापस लाने में सक्षम बनाता है जो वर्तमान में भारतीय कॉर्पोरेट संस्थाओं और विदेशी शाखाओं/वित्तीय संस्थानों की सहायक कंपनियों द्वारा भारत में व्यावसायिक और विनियामक स्थिति प्रदान करके प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान की तुलना में विश्व के अन्य वित्तीय केंद्रों जैसे - लंदन और सिंगापुर में किये जाते हैं।

एकीकृत प्राधिकरण की आवश्यकता

  • वर्तमान में IFSC में बैंकिंग, पूंजी बाज़ार और बीमा क्षेत्रों को कई नियामकों, अर्थात् RBI, SEBI और IRDAI द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
  • IFSCs में व्यवसाय की गतिशील प्रकृति को देखते हुए अंतर-नियामक समन्वय तथा इनकी वित्तीय गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले मौज़ूदा नियमों में नियमित स्पष्टीकरण एवं संशोधन किये जाने की भी आवश्यकता है।
  • IFSCs में वित्तीय सेवाओं और उत्पादों के विकास के लिये संकेंद्रित और समर्पित विनियामक हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी। इसलिये, वित्तीय बाज़ार सहभागियों को विश्व स्तरीय नियामक वातावरण प्रदान करने के लिये भारत में IFSCs के लिये एकीकृत वित्तीय नियामक होने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
  • इसके अलावा, यह व्यावसायिक दृष्टिकोण को आसान बनाना भी आवश्यक होगा। एकीकृत प्राधिकरण वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ भारत में IFSC के विकास के लिये आवश्यक प्रोत्साहन भी प्रदान करेगा।

एकीकृत नियामक स्थापित करने हेतु मसौदा विधेयक

IFSCs की नियामक आवश्यकताओं और वित्तीय क्षेत्र के मौज़ूदा कानूनों के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक मामलों के विभाग (DEA), वित्त मंत्रालय (MoF) ने IFSCs के लिये एक अलग एकीकृत नियामक स्थापित करने के लिये मसौदा विधेयक तैयार किया है। विधेयक की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

प्राधिकरण का प्रबंधन :

प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI), भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (Securities Exchange Board of India-SEBI), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India-IRDAI) द्वारा नामित एक-एक सदस्य,केंद्र सरकार द्वारा नामित दो सदस्य और दो अन्य पूर्णकालिक या पूर्ण या अंशकालिक सदस्य होंगे

प्राधिकरण के कार्य:

इसके अंतर्गत IFSC में ऐसी सभी वित्तीय सेवाओं, उत्पादों और संस्थाओं को विनियमित किया जाएगा, जिन्हें वित्तीय क्षेत्र के नियामकों द्वारा IFSCs के लिये पहले ही अनुमति दी जा चुकी है। प्राधिकरण ऐसे अन्य वित्तीय उत्पादों, सेवाओं को भी विनियमित करेगा जो समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किये जा सकते हैं। यह केंद्र सरकार को ऐसे अन्य वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों की भी सिफारिश कर सकता है जिन्हें आईएफएससी में अनुमति दी जा सकती है।

प्राधिकरण की शक्तियाँ:

अधिनियमों के तहत संबंधित वित्तीय क्षेत्र नियामक (RBI, SEBI, IRDAI, और PFRDA आदि) द्वारा प्रयोग की जाने वाली सभी शक्तियाँ प्राधिकरण द्वारा IFSCs में अब तक वित्तीय रूप से नियमन के अनुसार पूरी तरह से प्रयोग की जाएंगी।

प्राधिकरण की प्रक्रिया

प्राधिकरण द्वारा अपनाई जाने वाली और प्रक्रियाएँ वित्तीय उत्पादों, सेवाओं या संस्थानों पर लागू भारत की संसद के संबंधित अधिनियमों के प्रावधानों के अनुसार शासित होंगी।

केंद्रीय सरकार द्वारा अनुदान

केंद्रीय सरकार को इस संबंध में संसद द्वारा कानून के उचित विनियोजन के बाद, प्राधिकरण को इस तरह के धन को अनुदान के रूप में देना होगा क्योंकि केंद्र सरकार प्राधिकरण के प्रयोजनों के लिये इसके उपयोग को समझती है।

विदेशी मुद्रा में लेन-देन:

IFSCs के ज़रिये विदेशी मुद्रा में वित्तीय सेवाओं का लेन-देन प्राधिकरण द्वारा केंद्रीय सरकार के परामर्श से किया जाएगा।

IFSCs के लिये एकीकृत वित्तीय नियामक की स्थापना से बाज़ार के प्रतिभागियों को व्यापार की दृष्टि से उचित विश्व स्तरीय नियामक वातावरण प्रदान किया जा सकेगा। यह भारत में IFSCs के विकास को प्रोत्साहित करेगा और उन वित्तीय सेवाओं तथा लेन-देन को वापस लाने में सक्षम बनाएगा जो वर्तमान में भारत से बाहर के वित्तीय केंद्रों में किये जाते हैं। यह विशेष रूप से भारत में IFSCs के साथ-साथ वित्तीय क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण रोज़गार सृजित करेगा।

स्रोत – PIB


एक नज़र में: उत्तर प्रदेश बजट 2019-20

7 फरवरी को उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने 2019-20 के लिये उत्तर प्रदेश विधानसभा में 4.79 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया। इस बजट में करीब 21,212 करोड़ की नई योजनाओं का ऐलान किया गया| पिछले बजट की तुलना में यह बजट 12 प्रतिशत अधिक है और यह उत्तर प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा बजट है।

बजट में किये गए प्रमुख प्रावधान

  • बालिकाओं के लिये कन्या सुमंगला योजना लाई जाएगी; इसके लिये 1200 करोड़ रुपए का प्रावधान
  • प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिये 6240 करोड़ रुपए
  • स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के लिये 6000 करोड़ रुपए
  • राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के लिये 3,488 करोड़ रुपए
  • राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के लिये 2954 करोड़ रुपए
  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिये 1393 करोड़ रुपए
  • मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिये 429 करोड़ रुपए
  • श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के लिये 224 करोड़ रुपए
  • अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति, 2012 के क्रियान्वन के लिये 600 करोड़ रुपए
  • नई औद्योगिक नीति 'औद्योगिक निवेश एवं रोज़गार प्रोत्साहन नीति, 2017' के लिये 482 करोड़ रुपए
  • औद्योगिक निवेश प्रोत्साहित योजना, 2003 के लिये 120 करोड़ रुपए
  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिये 892 करोड़ रुपए
  • राष्ट्रीय फसल बीमा योजना के लिये 450 करोड़ रुपए
  • उर्वरकों की पूर्व भंडारण योजना के लिये 150 करोड़ रुपए
  • सहकारी क्षेत्र की बंद चीनी मिलों के लिये 50 करोड़ रुपए
  • इन मिलों को PPP मोड पर चलाने के लिये 25 करोड़ रुपए
  • गाँवों में गोवंश के रख-रखाव के लिये 247 करोड़ रुपए
  • शहरों में कान्हा गोशाला के लिये 200 करोड़ रुपए
  • 36 नए थानों और पुलिस के लिये बैरक बनाने के लिये 700 करोड़ रुपए
  • हवाई अड्डों के लिये 1 हजार करोड़: जेवर एअरपोर्ट को 800 करोड़ और अयोध्या को 200 करोड़ रुपए
  • 7 पुलिस लाइन बनाने के लिये 400 करोड़ रुपए
  • पुलिस आवास के लिये 700 करोड़ रुपए
  • पुलिस आधुनिकीकरण के लिये 204 करोड़ रुपए
  • बस सेवा से वंचित 14,561 गाँव जोड़े जाएंगे
  • पूर्वांचल विकास बोर्ड के गठन का भी ऐलान
  • पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिये 1194 करोड़ रुपए
  • गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के लिये 1,000 करोड़ रुपए
  • काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण योजना के क्रियान्वन के लिये विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद का गठन होगा
  • गंगा तट से विश्वनाथ मंदिर तक मार्ग के विस्तारीकरण एवं सौंदर्यीकरण के लिये 207 करोड़ रुपए
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वैदिक विज्ञान केंद्र की स्थापना के लिये 16 करोड़ रुपए
  • वाराणसी में लहरतारा तालाब, कबीर स्थल और गुरु रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धनपुर का सुदृढ़ीकरण होगा
  • ब्रज तीर्थ में अवस्थापना सुविधाओं के लिये 125 करोड़ रुपए
  • अयोध्या में प्रमुख पर्यटन स्थलों के एकीकृत विकास के लिये 101 करोड़ रुपए
  • प्रयागराज में ऋषि भरद्वाज आश्रम और श्रृंगवेरपुर धाम का विकास होगा
  • गढ़ मुक्तेश्वर के पर्यटक स्थलों के एकीकृत विकास के लिये 27 करोड़ रुपए
  • बुंदेलखंड के लिये बुंदेलखंड विकास बोर्ड के गठन का ऐलान किया गया
  • बुंदेलखंड की विशेष योजनाओं के लिये 810 करोड़ रुपए
  • बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के लिये 1000 करोड़ रुपए
  • डिफेंस कॉरीडोर विकसित करने के लिये ज़मीन अधिग्रहण के लिये 500 करोड़ रुपए
  • बुंदेलखंड, विंध्य क्षेत्र और पानी के संकट से जूझ रहे गाँवों में पाइप पेयजल योजना के लिये 3000 करोड़ रुपए
  • कानपुर और आगरा मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिये 175-175 करोड़ रुपए
  • वाराणसी, मेरठ, गोरखपुर, प्रयागराज एवं झांसी में मेट्रो रेल परियोजनाओं के प्रारंभिक कार्यों के लिये 150 करोड़ रुपए
  • दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरीडोर रीजनल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम परियोजना के लिये 400 करोड़ रुपए
  • चंदौली की कनहर सिंचाई परियोजना के लिये 500 करोड़ रुपए
  • मिर्ज़ापुर की बाणसागर परियोजना के लिये 122 करोड़ रुपए
  • 1840 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 6000 क्रय केंद्रों के माध्यम से गेहूँ की खरीद होगी
  • 60.51 लाख क्विंटल बीज का वितरण होगा
  • 77.26 लाख मीट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य
  • ग्रामीण अंचलों में लग रहे 500 हाट-पैठ के विकास के लिये 150 करोड़ रुपए
  • किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के लिये 907 करोड़ रुपए
  • संजय गांधी PGI में अलग-अलग कार्यों के लिये 854 करोड़ रुपए
  • डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान के लिये 396 करोड़ रुपए
  • कैंसर संस्थान, लखनऊ के लिये 248 करोड़ रुपए
  • लखनऊ में अटल बिहारी चिकित्सा विश्वविद्यालय के लिये 50 करोड़ रुपए
  • आगरा-लखनऊ प्रवेश नियंत्रित 6 लेन एक्सप्रेस-वे (ग्रीनफील्ड) प्रॉजेक्ट के लिये 100 करोड़ रुपए
  • लखनऊ में बिजली पासी के किले का विकास होगा
  • आयुष विश्वविद्यालय खोलने के लिये 10 करोड़ रुपए
  • क जनपद एक उत्पाद योजना के लिये 250 करोड़ रुपए
  • मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के लिये 100 करोड़ रुपए
  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति 2017 के लिये 10 करोड़ रुपए
  • पावरलूम बुनकरों को रियायती दरों पर बिजली उपलब्ध कराए जाने के लिये 150 करोड़ रुपए
  • उत्तर प्रदेश हैंडलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल्स एंड गारमेंट पॉलिसी, 2017 के लिये 50 करोड़ रुपए
  • मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोज़गार योजना के लिये 5 करोड़ रुपए
  • अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति योजना के लिये 942 करोड़ रुपए
  • अरबी-फारसी मदरसों के आधुनिकीकरण के लिये 459 करोड़ रुपए
  • ग्राम पंचायतों में 750 पंचायत भवनों के निर्माण के लिये 14 करोड़ रुपए
  • ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की युवक मंगल दल योजना के लिये 25 करोड़ रुपए

मिनी-स्पेसक्राफ्ट से नासा का संपर्क टूटा

चर्चा में क्यों?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने पहले मिनी-स्पेसक्राफ्ट के साथ संपर्क खो दिया है। गौरतलब है कि नासा ने इस मिनी-स्पेसक्राफ्ट को पिछले साल भेजा था।

प्रमुख बिंदु

  • नासा का कहना है कि इस जुड़वा क्यूबसैट्स (Twin CubeSats) से संपर्क पुर्नस्थापित होने की संभावना बहुत ही कम है।
  • ध्यातव्य है कि नासा ने पिछले साल एक परीक्षण करने के लिये मार्को क्यूबसैट्स (Mars Cube One-MarCO CubeSats) को लॉन्च किया था जिसका उद्देश्य यह जाँच करना था कि क्या इस तरह की कम लागत वाली तकनीक गहरे अंतरिक्ष में काम कर सकती है।
  • इन जुड़वे क्यूबसैट्स का नाम ईव और वाल-ई (EVE and WALL-E) रखा गया था। ध्यान देने वाली बात यह है कि ये नाम पिक्सर एनीमेशन द्वारा बनाई गई एक कंप्यूटर एनिमेटेड फिल्म के दो पात्रों के नाम पर रखे गए थे।
मार्को क्यूबसैट्स

  • इनसाइट्स की मार्स लैंडिंग के दौरान इन जुड़वे क्यूबसैट्स ने संचार रिले के रूप में कार्य किया, जिसमें इनसाइट की पहली तस्वीर के साथ-साथ मंगल ग्रह से रियल-टाइम में प्रत्येक चरण का डेटा भेजना भी शामिल था।
  • WALL-E ने मंगल ग्रह की कुछ रोचक तस्वीरें भेजीं, जबकि EVE ने रेडियो विज्ञान का प्रदर्शन किया।
  • नासा ने एक वक्तव्य में कहा कि मंगल ग्रह की यात्रा करने के बाद ये जुड़वे क्यूबसैट्स अपनी सीमा तक पहुँच चुके हैं।

स्रोत- द हिंदू बिज़नेस लाइन, नासा


कृषि-बाज़ार अवसंरचना कोष

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (Cabinet Committee of Economic Affairs-CCEA) ने कृषि-बाज़ार अवसंरचना कोष (Agri-Market Infrastructure Fund-AMIF) के लिये 2000 करोड़ रुपए की निधि के सृजन को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

  • ग्रामीण कृषि बाज़ारों एवं व्यवस्थित थोक बाज़ारों में कृषि विपणन अवसंरचना के विकास एवं उन्नयन के लिये इस कोष की स्थापना राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के साथ मिलकर की जाएगी।
  • केंद्रीय बजट 2018-19 में यह घोषणा की गई थी कि 22 हज़ार ग्रामीण कृषि बाजारों तथा 585 APMCs में कृषि विपणन अवसंरचना के विकास के लिये दो हज़ार करोड़ रुपए की स्‍थायी निधि से एक कृषि बाज़ार अवसंरचना कोष की स्‍थापना की जाएगी।

नाबार्ड (NABARD)

  • नाबार्ड कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिये एक शीर्ष बैंक है।
  • इसकी स्थापना शिवरमन समिति की सिफारिशों के आधार पर संसद के एक अधिनियम द्वारा 12 जुलाई, 1982 को की गई थी।
  • इसका कार्य कृषि, लघु उद्योग, कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्पों के संवर्द्धन और विकास के लिये ऋण उपलब्ध कराना है। इसके साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य संबद्ध आर्थिक क्रियाओं को समर्थन प्रदान कर गाँवों का सतत् विकास करना है।

कृषि-बाज़ार अवसंरचना कोष का महत्त्व

  • कृषि-बाज़ार अवसंरचना कोष (AMIF) राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों को 585 कृषि उपज विपणन समितियों (Agriculture Produce Market Committees- APMCs ) एवं 10,000 ग्रामीण कृषि बाज़ारों (Grameen Agricultural Markets-GrAMs) में विपणन की ढाँचागत व्यवस्था विकसित करने के लिये उनके प्रस्ताव पर वित्तीय छूट प्राप्त ऋण मुहैया कराएगा।
  • राज्य हब (Hub) एवं स्पोक प्रणाली (Spoke Mode) तथा PPP (Public Private Partnership) प्रणाली समेत उन्नत एकीकृत बाज़ार अवसंरचना परियोजनाओं के लिये कृषि-बाज़ार अवसंरचना कोष से सहायता प्राप्त कर सकेंगे।
  • इन ग्रामीण कृषि बाज़ारों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGA) एवं अन्य सरकारी योजनाओं का उपयोग कर भौतिक एवं आधारभूत अवसंरचना को सुदृढ़ किया जाएगा।
  • अनुमति प्राप्त होने के बाद कृषि-बाज़ार अवसंरचना कोष (AMIF) योजना को कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (Department of Agriculture Cooperation & Farmers Welfare- DAC&FW) द्वारा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को 2018-19 एवं 2019-20 के साथ-साथ 2024-25 तक के दौरान जारी वार्षिक बजट के अनुरूप ब्याज सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी।
  • योजना के मांग आधारित होने से इसकी प्रगति राज्यों की मांग एवं उनसे प्राप्त होने वाले प्रस्तावों का विषय होगी।

स्रोत : पी.आई.बी.


अटल भूजल योजना

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प राज्य मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी कि भारत में भूजल भंडार के लगातार कम होने की चिंता को दूर करने के लिये विश्व बैंक ने अटल भूजल योजना (ABHY) के तहत 6,000 करोड़ रुपए की सहायता देने की मंज़ूरी प्रदान कर दी है।

  • यह योजना 2018-19 से 2022-23 तक पाँच साल की अवधि में लागू की जानी है।

अटल भूजल योजना के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्र

  • इस योजना के तहत पहचान किये गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
  • ये राज्य भारत के कुल भूजल के दोहन के संदर्भ में 25 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं जहाँ अत्यधिक दोहन वाले, अत्यधिक जोखिम तथा कम जोखिम वाले ब्लॉक हैं।

भारत में भूजल संसाधनों का दोहन

भारत के भूजल संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया गया है जिसके कारण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी।

  • 2011 में किये गए नमूना मूल्यांकन के अनुसार, भारत के 71 ज़िलों में से 19 में भूजल का अत्यधिक दोहन किया गया।  जिसका अर्थ है कि जलाशयों की प्राकृतिक पुनर्भरण की क्षमता से अधिक जल की निकासी की गई है।
  • 2013 में किये गए आकलन के अनुसार, जिसमें ज़िलों के ब्लाकों को शामिल किया गया और पाया गया कि यहाँ का 31% जल खारा हो गया था।

विश्व बैंक से प्राप्त निधि का उपयोग

  • विश्व बैंक से मिलने वाली यह निधि राज्यों में भूजल के लिये काम करने वाले संस्थानों को उपलब्ध कराई जाएगी साथ ही भूजल को बढ़ावा देने के लिये सामुदायिक सहभागिता में वृद्धि की जाएगी।

योजना के बारे में

  • वर्ष 2016-17 के केंद्रीय बजट में ‘राष्ट्रीय भूजल प्रबंधन सुधार योजना’ (National Groundwater Management Improvement Programme- NGMIP) की घोषणा की गई थी। मई 2017 में व्यय वित्त समिति द्वारा इस योजना को बंद कर दिया गया था। लेकिन बाद में इस योजना को ‘अटल भूजल योजना’ के रूप में पुनः नामकरण कर फिर से शुरू किया गया।
  • इस योजना का क्रियान्वयन जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय (Ministry of Water Resources, River Development & Ganga Rejuvenation) द्वारा किया जा रहा है।
  • अटल भूजल योजना का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से देश के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन में सुधार करना है।
  • इस योजना में विश्व बैंक और केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 50:50 की है।
  • यह योजना गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जल की कमी वाले क्षेत्रों हेतु प्रस्तावित है।
  • इस योजना के अंतर्गत इन प्रदेशों के 78 ज़िलों, 193 ब्लॉकों और 8350 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है।
  • केंद्रीय भूजल बोर्ड की विगत वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, देश के 6584 भूजल ब्लॉकों में से 1034 ब्लॉकों का अत्यधिक उपयोग हुआ है। सामान्यतः इन्हें ‘डार्क ज़ोन’ (पानी के संकट की स्थिति) कहा जाता है।

विश्व बैंक (World Bank)

  • विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना 1944 में अमेरिका के ब्रेटन वुड्स शहर में विश्व के नेताओं के एक सम्मेलन के दौरान हुई थी।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को दोबारा पटरी पर लाने के उद्देश्य से इन संस्थाओं का गठन किया गया था।
  • विश्व बैंक समूह का मुख्यालय वाशिंगटन डी सी में है। विश्व बैंक एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो ऋण प्रदान करती है।
  • विश्व बैंक संयुक्त राष्ट्र  की विशिष्ट संस्था है। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निर्माण और विकास के कार्यों में आर्थिक सहायता देना है।
  • विश्व बैंक समूह पाँच अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का एक ऐसा समूह है जो देशों को वित्त और वित्तीय सलाह देता है।
  • इसके उद्देश्यों में शामिल हैं- विश्व को आर्थिक तरक्की के रास्ते पर ले जाना, विश्व में गरीबी को कम करना तथा अंतर्राष्ट्रीय निवेश को बढ़ावा देना।

स्रोत : पी.आई.बी.


दर्द आर्यन जनजाति

चर्चा में क्यों ?

16-21 जनवरी तक दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी कला केंद्र में दर्द आर्यन त्योहार मनाया गया। इस महोत्सव के दौरान एक सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें दर्द आर्यन जनजाति के सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा की गई। सेमिनार में इस समुदाय के कुछ कलाकारों ने जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री को अपनी संस्कृति के संरक्षण से जुड़ी मांगों एवं अन्य शिकायतों का एक चार्टर सौंपा।

लद्दाख की ‘दर्द आर्यन’ जनजाति

  • दर्द आर्यन जनजाति,जो कि अपनी उदार परंपराओं के लिये जानी जाती है, को आर्यों का वंशज माना जाता है।
  • कई शोधकर्त्ताओं का मानना है कि 'लद्दाख के आर्य' (Aryans of Ladakh) या 'ब्रोकपास' (Brokpas) सिकंदर (Alexander) की सेना का हिस्सा थे और 2,000 साल पहले इस क्षेत्र में आए थे।
  • इस जनजाति के लोग लद्दाख की प्रशासनिक राजधानी लेह से 163 किमी. दक्षिण-पश्चिम में स्थित लेह और करगिल ज़िलों के धा (Dha), हानू (Hanu), दारचिक (Darchik) और गारकोन गाँवों में निवास करते हैं। इन गाँवों को आर्य घाटी कहा जाता है।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 46 प्रावधान करता है कि राज्य समाज के कमज़ोर वर्गों के शैक्षणिक और आर्थिक हितों विशेषत: अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का विशेष ध्यान रखेगा और उन्हें सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से संरक्षित रखेगा।

क्या हैं ‘दर्द आर्यन’ जनजाति की समस्याएँ?

  • तेज़ी से हो रहे आधुनिकीकरण, प्रवास और धर्मांतरण के कारण इन जनजातियों की समृद्ध विरासत खतरे में है।
  • इस बारे में संबंधित राज्य से जनजातीय मामलों के मंत्रालय को कोई औपचारिक सूचना प्राप्त नहीं हुई है।

इंदिरा गांधी कला केंद्र द्वारा योगदान

  • स्थानीय समुदाय की मदद से लेह, लद्दाख, कारगिल आदि में दर्द आर्यन के क्षेत्र में कुछ संग्रहालय स्थापित करने में सहायता।
  • 16-21 जनवरी, 2019 के दौरान आयोजित उत्सव में भाग लेने वाले 35 कलाकारों के लिये प्रयागराज में महाकुंभ की यात्रा की व्यवस्था एवं उन्हें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों और संकायों से जुड़ने में मदद की गई।
  • IGNCA द्वारा 9 जून 2018 से 15 जून 2018 तक आर्यन घाटी की परंपराओं के डॉक्यूमेंटेशन के लिये धा, हानू, लद्दाख एवं जम्मू-कश्मीर में सात दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।

क्या है इंदिरा गांधी कला केंद्र ?

  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली (IGNCA) को भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की स्मृति में स्थापित किया गया था।
  • यह भारत में एक प्रमुख सरकारी वित्त पोषित कला संगठन है।
  • यह केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है। यहाँ कला के सभी रूपों का अध्ययन किया जाता है।

स्रोत – पीआईबी


अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक 2019

चर्चा में क्यों?

भारत की नवाचार पारिस्थितिकी में सुधार को स्वीकार करते हुए, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स (US Chamber of Commerce) ने वर्ष 2019 के लिये जारी अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक में भारत को 50 देशों में से 36वें स्थान पर रखा है।

  • उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक 2018 में भारत 44वें स्थान पर था।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस वर्ष जारी सूचकांक अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक का सातवाँ संस्करण है तथा इसका शीर्षक ‘इंस्पायरिंग टुमारो’ (Inspiring Tomorrow) है।
  • इस सूचकांक में 50 देशों को शामिल किया गया है, उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में इस सूचकांक में पाँच नए देशों (अर्थव्यवस्थाओं)– कोस्टारिका, आयरलैंड, जॉर्डन, मोरक्को और नीदरलैंड्स को शामिल किया गया। इससे पहले इस सूचकांक में 45 देश थे।
  • भारत 16.22 अंकों के साथ सूचकांक में 36 वें स्थान पर है। भारत की स्थिति में यह सुधार भारतीय नीति निर्माताओं द्वारा घरेलू उद्यमियों और विदेशी निवेशकों के लिये समान रूप से एक सतत् नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के प्रयासों को दर्शाता है।
  • सूचकांक में शीर्ष 10 में स्थान हासिल करने वाले देश तथा उनका स्कोर इस प्रकार है-
 शीर्ष 10 शामिल देश
 रैंक  देश का नाम स्कोर
1. अमेरिका 42.66
2. यूनाइटेड किंगडम 42.22
3. स्वीडन 41.03
4. फ्राँस 41.00
5. ज़र्मनी 40.54
6. आयरलैंड 40.24
7. नीदरलैंड 40.07
8. जापान 39.48
9. स्विट्ज़रलैंड 37.25
10. स्पेन 37.12
  • BRICS देशों में ब्राज़ील 18.25 अंकों के साथ 31वें स्थान पर, रूस 19.46 अंकों के साथ 29वें स्थान पर, भारत 36वें स्थान पर, चीन 21.45 अंकों के साथ 25वें स्थान पर तथा दक्षिण अफ्रीका 15.55 अंकों के साथ 38वें स्थान पर है।
  • सूचकांक के शामिल अंतिम पाँच देश और उनका स्कोर इस प्रकार है-
 अंतिम पाँच में शामिल देश 
रैंक देश का नाम स्कोर
46. इक्वाडोर 12.35
47. पाकिस्तान 12.00
48. मिस्र 11.83
49. अल्जीरिया 10.28
50. वेनेज़ुएला 7.11

  
भारत की स्थिति को सशक्त बनाने वाले प्रमुख क्षेत्र

  • विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organisation- WIPO) की इंटरनेट संधियों में शामिल होने से भारत के कॉपीराइट संरक्षण के अंतर्राष्ट्रीय मानकों को मान्यता मिली है।
  • JPO (Japan Patent Office) के साथ नए PPH (Patent Prosecution Highway) कार्यक्रम का कार्यान्वयन एक सकारात्मक कदम है।
  • उदार अनुसंधान एवं विकास और IP आधारित प्रोत्साहन।
  • SMEs के लिये IP परिसंपत्तियों के निर्माण तथा उपयोग हेतु लक्षित प्रशासनिक प्रोत्साहन देने में वैश्विक रूप से अग्रणी देश।
  • पायरेसी और जालसाजी के नकारात्मक प्रभाव पर जागरूकता बढ़ाने के प्रयास।

भारत की स्थिति को कमज़ोर बनाने वाले प्रमुख क्षेत्र

  • सख्त पंजीकरण आवश्यकताओं सहित लाइसेंसिंग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में आने वाली बाधाएँ।
  • बायोफार्मास्यूटिकल कंपनियों के IP अधिकारों की सुरक्षा के लिये सीमित ढाँचा।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकों के बाहर पेटेंट प्राप्त करने की आवश्यकताएँ।
  • बायोफार्मास्यूटिकल्स के लिये किसी शोधकर्त्ता विकास कार्यक्रम (Researcher Development Program-RDP) उपलब्ध न होना।
  • पूर्व में व्यावसायिक और गैर-आपातकालीन स्थितियों के लिये उपयोग की जाने वाली अनिवार्य लाइसेंसिंग।

    NEWS

बौद्धिक संपदा अधिकार

  • बौद्धिक संपदा अधिकार, निजी अधिकार हैं जो किसी देश की सीमा के भीतर मान्य होते हैं तथा औद्योगिक, वैज्ञानिक, साहित्य और कला के क्षेत्र में व्यक्ति (व्यक्तियों) अथवा कानूनी कंपनियों को उनकी रचनात्मकता अथवा नवप्रयोग के संरक्षण के लिये दिये जाते हैं।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार किसी भी प्रकार या आकार की अर्थव्यवस्थाओं में रोज़गार, नवाचार, सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर

  • यू.एस. चैंबर ऑफ कॉमर्स का वैश्विक नवाचार नीति केंद्र (U.S. Chamber of Commerce’s Global Innovation Policy Center) बौद्धिक संपदा मानकों के माध्यम से दुनिया भर में श्रेष्ठ नवाचार और रचनात्मकता के लिये काम कर रहा है, जो नौकरियों का सृजन करता है, जीवन को बचाता है, वैश्विक आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि को आगे बढ़ाता है तथा वैश्विक चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान तैयार करता है।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

  • WIPO बौद्धिक संपदा सेवाओं, नीति, सूचना और सहयोग के लिये एक वैश्विक मंच है। यह संगठन 191 सदस्य देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र की एक स्व-वित्तपोषित एजेंसी है।
  • इसका उद्देश्य एक संतुलित एवं प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) प्रणाली के विकास हेतु नेतृत्व करना है जो सभी के लाभ के लिये नवाचार और रचनात्मकता को सक्षम बनाता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1967 में की गई थी।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटज़रलैंड में है।
  • वर्तमान में इसके महानिदेशक फ्रांसिस गुरी (Francis Gurry) हैं।
  • WIPO के दायरे में किये गए कुछ समझौते हैं:

दृष्टिबाधित रोगियों के लिये मारकेश संधि (Marrakech Treaty for visually imparied)
♦ 1970 के दशक की पेटेंट सहयोग संधि (Marrakech Treaty for visually imparied)
♦ मेड्रिड प्रणाली (Madrid system)


स्रोत : GIPC तथा WIPO वेबसाइट


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (8 February)

  • जम्मू-कश्मीर के आतंकी संगठन तहरीक-उल-मुजाहिदीन पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। 1990 में अस्तित्व में आया तहरीक-उल-मुजाहिदीन कई आतंकवादी घटनाओं में शामिल है और इसने भारत में अनेक आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया है। इसके सदस्यों को विदेश से वित्तीय और साजो-सामान संबंधी सहायता भी मिलती है। गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 35 की उपधारा(1) में मिले अधिकारों के तहत केंद्र सरकार ने उक्त कानून की पहली अनुसूची में कुछ संशोधन किये हैं।
  • केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने मुंबई में प्रोजेक्ट साइज़ इंडिया की शुरुआत की। देश के इतिहास में यह अपनी तरह की पहली परियोजना है। इंडिया साइज़ प्रोजेक्ट का उद्देश्य अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में उपलब्ध मानकीकृत आकारों की तर्ज पर रेडी-टू-वियर गारमेंट्स उद्योग के लिये मानकीकृत भारतीय साइज़ तैयार करना है। प्रोजेक्ट इंडिया साइज़ परियोजना से निर्माताओं, उपभोक्ताओं को लाभ होगा और इससे जो डेटा जेनरेट होगा उससे इस क्षेत्र की क्षमता का पूरा इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी।
  • माइक्रोसॉफ्ट द्वारा 22 देशों में कराए गए एक हालिया सर्वे से पता चलता है कि फेक न्यूज़ के मामले में भारत दुनियाभर में शीर्ष स्थान पर है। भारत में लोगों का सामना औसतन 64 फीसदी फेक न्यूज़ से होता है, जबकि इसका वैश्विक औसत 57 फ़ीसदी है। इंटरनेट के ज़रिये अफवाहों को फैलाने में भारत का औसत 54 फीसदी है, जबकि इसका वैश्विक औसत 42 फीसदी है।
  • जापान में बुलेट ट्रेन को बिहार के विश्व विख्यात मिथिला पेंटिंग्स से सजाने पर विचार किया जा रहा है। जापान की सरकार ने इस काम के लिये भारत के रेल मंत्रालय से कलाकारों की मांग की है। आपको बता दें कि कुछ समय पूर्व भारतीय रेल के समस्तीपुर मंडल ने संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस को मिथिला पेंटिंग्स से सजाया था, जिसकी सराहना संयुक्त राष्ट्र ने भी की थी। वैसे जापानी लोग मिथिला पेंटिंग्स से पहले ही से परिचित हैं क्योंकि वहाँ जापान-भारत सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने वाली संस्था ने मिथिला म्यूज़ियम बनाया है।
  • पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले के मायापुर में इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के वैश्विक मुख्यालय में एक विश्व विरासत केंद्र स्थापित किया जाएगा जिसमें 45 देशों के ‘आध्यात्मिक शिविर’ होंगे। इन शिविरों में सभी देशों की संस्कृति, परिधान, जीवनशैली, खानपान और परिवेश देखने को मिलेगा। इस परियोजना पर लगभग 3000 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
  • हाल ही में नई दिल्ली में भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच दूसरे विदेश कार्यालय स्तर का विचार विमर्श हुआ, जिसमें दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों पर व्यापक चर्चा की। इनमें राजनीति, कारोबार और आर्थिक संबंधों से जुड़े विषय शामिल थे। भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह और न्यूज़ीलैंड का प्रतिनिधित्व वहाँ के विदेशी एवं कारोबार मामलों के मंत्रालय के उप सचिव बेन किंग ने किया। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से सहयोग सहित क्षेत्रीय एवं बहुस्तरीय मुद्दों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया।
  • नॉर्थ मेसेडोनिया नाटो का 30वाँ सदस्य बनने जा रहा है। नाटो के 29 सदस्यों द्वारा किसी नए सदस्य के शामिल होने के प्रोटोकॉल की पुष्टि करने के बाद वह विधिवत इसका सदस्य बन जाएगा। गौरतलब है कि कुछ समय पहले मेसेडोनिया ने देश का नाम बदलकर उत्तरी मेसेडोनिया गणराज्य रख लिया है| इससे मेसेडोनिया और ग्रीस का लंबे समय से चला आ रहा विवाद समाप्त हो गया। आपको बता दें कि नाटो का पूरा नाम North Atlantic Treaty Organization (NATO) यानी उत्तर अटलांटिक संधि संगठन है, जिसमें नॉर्थ मेसेडोनिया को मिलाकर कुल 30 देश शामिल हैं। NATO की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को हुई थी और यह एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है। NATO का मुख्यालय ब्रसेल्स, बेल्जियम में है।