डेली न्यूज़ (07 Sep, 2018)



स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के अंतर्गत आनुवंशिक विकारों को कवर करना आवश्यक नहीं: IRDAI

चर्चा में क्यों?

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने  निर्देश दिया है कि स्वास्थ्य बीमा पालिसी के अंतर्गत आनुवंशिक विकारों को शामिल करना आवश्यक नहीं है। उल्लेखनीय है कि बीमा विनियामक ने इससे पूर्व बीमाकर्त्ताओं को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिये थे कि आनुवंशिक विकारों के बहिष्कार के आधार पर मौजूदा स्वास्थ्य नीतियों पर किये जाने वाले दावों को खारिज नहीं किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उठाया कदम

  • यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद उठाया गया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर आंशिक रूप से रोक लगा दी थी। 
  • उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिये गए फैसले में कहा गया था कि आनुवंशिक विकारों को स्वास्थ्य नीतियों के अंतर्गत शामिल न करना असंवैधानिक है।
  • वर्तमान में कुछ हृदय रोग और हेमोफिलिया जैसे आनुवंशिक विकारों को स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत कवर नहीं किया जाता है।

क्या कहा था दिल्ली हाईकोर्ट ने?

  • फरवरी 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि "बीमा पॉलिसी में आनुवंशिक विकारों का बहिष्कार करने वाला खंड बहुत व्यापक, संदिग्ध और भेदभावपूर्ण है"।
  • इसने IRDAI को इस खंड पर दोबारा गौर करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि बीमा कंपनिययाँ आनुवंशिक विकारों से संबंधित बहिष्कारों के आधार पर दावों को अस्वीकार न करें।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशों का अनुसरण करते हुए विनियामक ने सभी बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य नीतियों से आनुवंशिक विकारों को बाहर नहीं करने का निर्देश दिया था।

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के बारे में

  • भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण इरडा एक स्वायत सांविधिक एजेंसी है जिसका कार्य भारत में बीमा और पुनः बीमा करने वाले उद्योगों का नियमन करना और उन्हें बढ़ावा देना है| 
  • इसे बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम,1999 के तहत भारत सरकार द्वारा गठित किया गया था|

सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 377 को अपराधमुक्त घोषित किया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय की पाँच न्यायाधीशीय संवैधानिक खंडपीठ ने चार अलग-अलग लेकिन समेकित निर्णयों में आपसी सहमति से दो समान लिंग वाले व्यक्तियों के बीच बनने वाले यौन संबंधों को वैध घोषित किया। 

प्रमुख बिंदु

  • इसने 2013 के फैसले को संवैधानिक रूप से अस्वीकार कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय समलैंगिकता को अपराध मानने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रहा था। 
  • पाँच न्यायाधीशीय खंडपीठ की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने की और इसमें जस्टिस आर.एफ. नरीमन, ए.एम. खानविलकर, डी.वाई. चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा शामिल थे।
  • यह फैसला नर्तक जौहर, पत्रकार सुनील मेहरा, शेफ रितु डालमिया, होटल उद्यमी अमन नाथ और केशव सूरी तथा बिज़नेस एक्जीक्यूटिव आयशा कपूर द्वारा दायर की गई पाँच याचिकाओं के संबंध में था। 
  • इस वर्ष की शुरुआत में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई चार दिवसीय सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा था कि वह याचिकाओं का प्रतिरोध नहीं करेगा और फैसले को "न्यायालय की बुद्धिमत्ता" पर छोड़ देगा। 

क्या है धारा 377?

  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 का संबंध अप्राकृतिक शारीरिक संबंधों से है। इसके अनुसार यदि दो लोग आपसी सहमति अथवा असहमति से आपस में अप्राकृतिक संबंध बनाते हैं और दोषी करार दिये जाते हैं तो उनको 10 वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है। अधिनियम में इस अपराध को संज्ञेय तथा गैर-जमानती अपराध माना गया है। 
  • यद्यपि व्यक्ति के चयन की स्वतंत्रता को महत्त्व देते हुए 2009 में हाईकोर्ट ने आपसी सहमति से एकांत में बनाए जाने वाले समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करने का निर्णय दिया था। किंतु 2013 में सर्वोच्च न्यायालय  द्वारा समलैंगिकता की स्थिति में उम्रकैद के प्रावधान को पुनः बहाल करने का फैसला दिया गया।

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 07 सितंबर, 2018

इंडियन ओसियन वेव एक्सरसाइज़ 2018

हाल ही में भारत ने 23 अन्य देशों के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में आयोजित सुनामी मॉक अभ्यास IOWave 18 (Indian Ocean Wave Exercise- IOWave) में भाग लिया। 

  • IOWave18 नामक इस अभ्यास का आयोजन यूनेस्को के अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (IOC-UNESCO) द्वारा किया गया।
  • IOWave18 सुनामी अभ्यास में सभी पूर्व तटीय राज्यों ने भाग लिया। 
  • भारत में IOWave18 का आयोजन गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की मदद से भू-विज्ञान मंत्रालय के भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र  (Indian National Centre for Ocean Information Services -INCOIS), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और तटवर्ती राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किया गया। 
  • इस दो दिवसीय सुनामी मॉक अभ्यास में सभी तटवर्ती राज्यों ने INCOIS से सूचना बुलेटिन हासिल करते हुए अपनी संचार व्यवस्था का परीक्षण किया। 
  • NDMA के वरिष्ठ सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. वी.के. नाइक ने अभ्यास में पर्यवेक्षक के रूप में काम किया।

IOC-UNESCO 

  • यूनेस्को का अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग  (Intergovernmental Oceanographic Commission of UNESCO- IOC-UNESCO) संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत समुद्री विज्ञान के प्रति समर्पित एकमात्र सक्षम संगठन है।
  • इसकी स्थापना 1960 में यूनेस्को के कार्यकारी स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी।
  • इसने 26 दिसंबर, 2014 को आई सुनामी के बाद भारतीय समुद्र सुनामी चेतावनी और शमन व्यवस्था (Indian Ocean Tsunami Warning and Mitigation System- IOTWMS) की स्थापना में मदद की थी।

INCOIS

  • INCOIS की स्थापना वर्ष 1999 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी और यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (ESSO) की एक इकाई है।
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सोर्स इंडिया

तुर्की में 87वें इज़मीर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले का आयोजन किया जा रहा है तथा भारत इस व्यापार मेले में एक बड़ा बिज़नेस पैविलियन ‘सोर्स इंडिया’ लॉन्च करेगा। 

  • भारत इस अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले का साझेदार देश है। 
  • इज़मीर इंस्ताबुल और अंकारा के बाद तुर्की का तीसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। 
  • सोर्स इंडिया के माध्यम से भारत की 75 कंपनियाँ तुर्की और अन्य पड़ोसी देशों के साथ भारत का निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से मेल-जोल बढ़ाएंगी। 
  • यह सोर्स इंडिया पैविलियन की एक श्रृंखला है जिसे भारत व्यापार संवर्द्धन परिषद (Trade Promotion Council of India- TPCI) द्वारा दुनिया भर के महत्त्वपूर्ण व्यापार मेलों में आयोजित किया जा रहा है। 
  • इसका उद्देश्य भारत के निर्यात को बढ़ावा देना है। 

TPCI

  • TPCI, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में वाणिज्य विभाग का व्यापार एवं निवेश संवर्द्धन संगठन है।
  • यह भारत और दुनिया के अन्य देशों के बीच व्यापार और निवेश में सहयोग के नए रास्ते तलाशने का काम करता है।
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------‘आपूर्ति’

हाल ही में रेल मंत्रालय और रेल सूचना सेवा केंद्र ने ‘मोबिलिटी के लिये सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया तथा इस दौरान भारतीय रेल ई-खरीद प्रणाली  (Indian Railways E-Procurement System -IREPS) से संबंधित मोबाइल ‘आपूर्ति’ को लॉन्च किया गया।

  • इस एप में भारतीय रेल की ई-संविदा और ई-नीलामी संबंधी गतिविधियों के आँकड़े और सूचनाएं उपलब्‍ध हैं।
  • उपयोगकर्त्ता ई-संविदा गतिविधियों के लिये संविदाओं के प्रकाशन, उनके समापन और खरीद संबंधी जानकारी इस एप के माध्यम से प्राप्‍त कर सकते हैं।
  • इस एप के द्वारा स्‍क्रैप की बिक्री संबंधी ई-नीलामी गतिविधियों के लिये उपयोगकर्त्ताओं को आगामी नीलामी, नीलामी कार्यक्रम, बिक्री शर्तों, ई-नीलामी के लिये उपलब्‍ध सामग्रियों और नीलामी इकाइयों की जानकारी मिल सकेगी।
  • IREPS की विवरणिका भी एप पर उपलब्‍ध है।
  • एप में उपयोगकर्त्ताओं के फीडबैक की भी जानकारी मिलेगी, जिससे एप में लगातार सुधार करने में सहायक होगा।
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मूव- ग्लोबल मोबिलिटी शिखर सम्मेलन

‘मूव- ग्लोबल मोबिलिटी शिखर सम्मेलन’ का आयोजन नीति आयोग द्वारा विभिन्न मंत्रालयों व उद्योग जगत के सहयोग से नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में किया जा रहा है।

  • यह अपनी तरह का पहला मोबिलिटी शिखर सम्मेलन है जिसमें पूरी दुनिया के राजनेता, उद्योगपति, शोध संस्थान, शिक्षा जगत और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
  • सम्मेलन के तीन प्रमुख घटक हैं – सम्मेलन, प्रदर्शनी और विशेष कार्यक्रम।
  • सम्मेलन के दौरान आपसी परिचर्चा और विचार-विमर्श के लिये सम्मेलन में छह प्रमुख विषयों को शामिल किया गया है जो इस प्रकार हैं:  
    1. परिसंपत्ति का अधिकतम उपयोग
    2. व्यापक विद्युतीकरण
    3. वैकल्पिक ऊर्जा
    4 .सार्वजनिक पारगमन सुविधा पर विचार करना
    5. माल परिवहन
    6. आँकड़ों का विश्लेषण और मोबिलिटी।
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‘भारत के वीर’

गृह मंत्रालय ने अभिनेता अक्षय कुमार द्वारा प्रचारित एक निजी पहल 'भारत के वीर' जो शहीद हुए अर्धसैनिक कर्मियों के परिवारों को सहायता प्रदान करता है, को ट्रस्ट के रूप में मान्यता दे दी है। 

  • भारत के वीर में किये जाने वाले योगदान को आयकर से छूट प्रदान की गई है।
  • इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव करेंगे।
  • अभिनेता अक्षय कुमार और पूर्व राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन पुलेला गोपीचंद को इसके ट्रस्टी के रूप में शामिल किया गया है।
  • आम जनता ‘भारत के वीर’ एप और वेबसाइट के माध्यम से मरने वाले जवानों के परिवारों को सहायता प्रदान करने में योगदान दे सकती है।

भारत और अमेरिका की पहली 2+2 वार्ता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत-अमेरिका के बीच पहली 2+2 वार्ता संपन्न हुई। इस वार्ता के दौरान अमेरिकी रक्षा सचिव जिम मैटिस और राज्य सचिव माइक पोम्पेओ ने राजनीतिक और सुरक्षा संबंधों को मज़बूत बनाने के उद्देश्य से अपने भारतीय समकक्ष रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ कई महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

वार्ता संबंधी प्रमुख बिंदु

  • दोनों सरकारों के बीच 50 से अधिक द्विपक्षीय वार्ता तंत्र है किंतु भारत के प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच शिखर स्तर की भागीदारी के बाद यह सहभागिता का सबसे उच्चतम स्तर है।
  • इस वार्ता के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये सहयोग करने की बात को दोहराया साथ ही दोनों देशों के बीच आर्थिक विकास, समृद्धि और प्रगति के बारे में दोनों देशों के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने पर ज़ोर दिया।
  • दोनों देशों के समकक्ष, संयुक्त राष्ट्र और फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों के माध्यम से मज़बूत संबंधों को स्थापित करने पर सहमत हुए।
  • इस वार्ता के दौरान दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच हॉटलाइन शुरू करने का भी निर्णय लिया गया है जिससे दोनों रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच सीधा संपर्क स्थापित हो जाएगा।
  • वर्तमान में भारत और अमेरिका के सुरक्षा बल साथ-साथ प्रशिक्षण और संयुक्‍त अभ्‍यास कर रहे हैं और इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिये वर्ष 2019 में भारत के पूर्वी तट पर अमेरिकी बलों के साथ पहली बार तीनों सेनाएँ संयुक्‍त अभ्‍यास करेंगी, का निर्णय लिया गया।
  • अमेरिका द्वारा भारत को अपना प्रमुख रक्षा साझेदार बनाने के विषय पर विस्‍तार से चर्चा हुई।
  • उल्लेखनीय है किअमेरिका ने भारत को STA-1 का दर्जा प्रदान किया है।

सामरिक व्यापार प्राधिकरण या स्ट्रैटजिक ट्रेड ऑथोराइज़ेशन (STA)

  • वर्ष 2011 में निर्यात नियंत्रण सुधार पहल के रूप में सामरिक व्यापार प्राधिकरण या स्ट्रैटजिक ट्रेड ऑथोराइज़ेशन की अवधारणा प्रस्तुत की गई।
  • इसके अंतर्गत दो सूचियाँ- STA-1 और STA-2 बनाई गईं, जो देश इन दोनों में से किसी भी सूची में शामिल नहीं थे, उन्हें दोहरी उपयोग की वस्तुओं के निर्यात के लिये लाइसेंस की आवश्यकता पड़ती थी।
  •  STA-1 सूची में NATO के सहयोगी और ऑस्ट्रेलिया, जापान तथा दक्षिण कोरिया सहित 36 देश शामिल हैं, इन देशों की अप्रसार व्यवस्था को अमेरिका द्वारा सबसे अच्छा कहा गया है।
  • ये देश चारों बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था- परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG), मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR), ऑस्ट्रेलिया समूह और वासनेर व्यवस्था के हिस्सा हैं।
  • यह व्यवस्था अमेरिका से निर्यात के संबंध में लाइसेंस अपवाद की अनुमति देती है।
  • अमेरिकी सरकार इस प्रकार के प्राधिकरण को निश्चित स्थितियों में लेन-देन विशिष्ट लाइसेंस (transaction – specific license) के बिना निश्चित वस्तुओं के निर्यात की अनुमति देती है।
  • STA-1 देशों को निर्यातित वस्तुओं में राष्ट्रीय सुरक्षा, रासायनिक या जैविक हथियार, परमाणु अप्रसार, क्षेत्रीय स्थिरता, अपराध नियंत्रण आदि शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि STA-1 में शामिल होने से पहले भारत सात अन्य देशों अल्बानिया, हॉन्गकॉन्ग, इज़राइल, माल्टा, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका और ताइवान के साथ STA-2 की सूची में शामिल था।
  • बैठक के दौरान‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत भारत में रक्षा उत्‍पादन को प्रोत्‍साहन देने के संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जायजा लिया गया।
  • इस वार्ता के दौरान सैन्य संचार से संबंधित समझौते COMCASA पर हस्ताक्षर किये गए।
COMCASA
  • संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement-COMCASA) एन्क्रिप्टेड संचार प्रणाली के हस्तांतरण को सरल बनाता है तथा उच्च तकनीक वाले सैन्य उपकरणों को साझा करने हेतु यह समझौता अमेरिका की प्रमुख आवश्यकता है।
  • यह समझौता संयुक्त राज्य अमेरिका को अपने इन्क्रिप्टेड (Encrypted) संचार उपकरणों और गुप्त प्रौद्योगिकियों को भारत के साथ साझा करने की अनुमति देगा, जिससे दोनों पक्षों के उच्च स्तर के सैन्य-नेतृत्व के बीच युद्धकाल और शांतिकाल दोनों में ही सुरक्षित संचार संभव हो सकेगा।
  • इससे संयुक्त सैन्य अभियान के दौरान सुरक्षित संचार में सहायता मिलेगी।
  • इस तरह की उन्नत प्रौद्योगिकियों और संवेदनशील उपकरणों को सामान्यत अमेरिका से खरीदे गए सिस्टमों पर ही स्थापित किया जाता है।
  • अत: यह समझौता भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के लिये मील का पत्थर सिद्ध होगा।
  • साथ ही इस तकनीक की मदद से भारत को चीन पर नज़र रखने में भी मदद मिलेगी।
  • इसके अलावा आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देशों ने साथ लड़ने का फैसला किया।
  • महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस वार्ता से दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र दक्षिण अफ्रीका और हिंद महासागर में चीन के विस्तार के प्रभाव को कम करने हेतु बेहद नज़दीक आ गए हैं।
  • दोनों देशों के समकक्षों द्वारा दक्षिण एशिया की स्थिति पर भी चर्चा की गई तथा भारत ने राष्ट्रपति ट्रंप की दक्षिण एशिया नीति का समर्थन भी किया।