भारतीय राजव्यवस्था
विधायिका में SC/ST आरक्षण
प्रीलिम्स के लिये
विधायिका में SC/ST आरक्षण, अनुच्छेद-330, 331, 332 तथा 333
मेन्स के लिये
सामाजिक न्याय की दिशा में विधायिका में SC/ST आरक्षण का योगदान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (Scheduled Castes- SC) एवं अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes- ST) के लिये आरक्षण को आगामी 10 वर्षों तक बढ़ाने का निर्णय लिया।
मुख्य बिंदु:
- संविधान द्वारा SC तथा ST वर्ग को संसद में मिलने वाला आरक्षण जनवरी, 2020 में समाप्त हो रहा है। इस स्थिति में सरकार ने इस आरक्षण को जनवरी 2030 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।
- ध्यातव्य है कि लोकसभा में संविधान के अनुच्छेद-334(a) के तहत SC/ST वर्ग तथा 334(b) के तहत आंग्ल-भारतीय समुदाय (Anglo-Indian Community) के आरक्षण की अवधि को बढ़ाने की व्यवस्था है।
- इसके द्वारा वर्ष 1950 में SC/ST तथा आंग्ल-भारतीयों हेतु आरक्षण की इस व्यवस्था को वर्ष 1960 तक के लिये बढ़ाया गया था एवं प्रत्येक 10 वर्षों के अंतराल पर इसे लगातार विस्तारित किया गया।
- वर्ष 2009 में 95वें संविधान संशोधन द्वारा इस आरक्षण को वर्ष 2020 तक बढ़ाया गया था।
- हालाँकि सरकार द्वारा जहाँ SC/ST हेतु आरक्षण की अवधि बढ़ाने पर अपनी सहमति ज़ाहिर की गई है, वहीं आंग्ल-भारतीय समुदाय के आरक्षण के विस्तार पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
- इस निर्णय को लागू करने के लिये सरकार द्वारा संसद में संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा जिसके बाद यह नियम संसद तथा प्रत्येक राज्य विधानसभाओं में लागू होगा।
विधायिका में आरक्षण हेतु संवैधानिक प्रावधान:
- संविधान के अनुच्छेद-330 के अनुसार, लोकसभा में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को जनसंख्या के अनुपात के आधार पर प्रतिनिधित्व दिया जाता है।
- अनुच्छेद-331 राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि लोकसभा में यदि आंग्ल-भारतीय समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो वह उक्त समुदाय के दो प्रतिनिधियों को मनोनीत कर सकता है।
- संविधान का अनुच्छेद-332 राज्य की विधानसभाओं में SC/ST वर्ग के लिये जबकि अनुच्छेद-333 आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करता है।
- हालाँकि लोकसभा तथा राज्य की विधानसभाओं में SC/ST वर्ग के लिये सीटें आरक्षित की गई हैं लेकिन उनका चुनाव, निर्वाचन क्षेत्र के सभी मतदाताओं द्वारा किया जाता है।
- SC/ST वर्ग के प्रतिनिधियों को सामान्य निर्वाचन क्षेत्र से भी चुनाव लड़ने का अधिकार है।
- लोकसभा तथा राज्य की विधानसभाओं में नामित आंग्ल-भारतीय सदस्यों को अन्य सदस्यों की भाँति मत देने का अधिकार होता है लेकिन ये राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत बॉण्ड ETF
प्रीलिम्स के लिये:
भारत बॉण्ड ETF, कॉर्पोरेट बॉण्ड की विशेषताएँ
मेन्स के लिये:
भारत बॉण्ड ETF का का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, CPSEs, CPSUs ,CPFIs तथा अन्य सरकारी संगठनों के लिये पूंजी के अतिरिक्त स्रोत के तौर पर ETF कितना प्रभावी है?
चर्चा में क्यों
4 दिसंबर, 2019 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने भारत बॉण्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) को बनाने और लॉन्च करने की योजना को मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- भारत बॉण्ड ETF देश का पहला कॉर्पोरेट बॉण्ड ETF होगा।
- इसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) और उपक्रमों (CPSUs), केंद्रीय सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों (CPFIs) तथा अन्य सरकारी संगठनों के लिये पूंजी के अतिरिक्त स्रोत के तौर पर लाया गया है।
भारत बॉण्ड ETF की विशेषताएं:
- ETF CPSE/CPSU/CPFI और अन्य सरकारी संगठनों के बॉण्ड (शुरुआत में सभी AAA- रेटेड बॉण्ड ) के बॉण्डस की बास्केट होगा।
- विनिमय पर व्यापार योग्य।
- 1,000 रुपये की छोटी ईकाई।
- पारदर्शी एनएवी (दिनभर एनएवी का सामयिक लाइव)।
- पारदर्शी पोर्टफोलियो (वेबसाइट पर रोजाना प्रकाशन)।
- कम लागत (0.0005%)।
भारत बॉण्ड ETF का ढांचाः
- प्रारंभ में भारत बॉण्ड ETF को दो परिपक्वता अवधियों- 3 वर्ष और 10 वर्ष के लिये ज़ारी किया जाएगा।
- CPSEs और अन्य सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा ज़ारी किये जाने के कारण सुरक्षित, विनिमय और व्यापार योग्य होने की वजह से ये बॉण्ड तरल और सुनिश्चित कर लाभ की सुविधा के कारण निवेश का बेहतर विकल्प सिद्ध होंगे।
- बॉण्ड यूनिट का मात्र 1,000 रुपए का आकार भारत में बॉण्ड बाज़ार को सुदृढ़ करने में सहायक होगा। यह बॉण्ड बाज़ारों में भाग नहीं लेने वाले निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।
लाभ
- बॉण्ड जारीकर्त्ताओं को ETF से CPSE/CPSU/CPFI और अन्य सरकारी संगठनों को बैंक वित्तपोषण के अलावा उनकी ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने का एक अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध होगा।
- यह इन संस्थाओं के खुदरा और व्यक्तिगत रूप से उच्च संपति वाले निवेशकों की भागीदारी के माध्यम से उनके निवेशक आधार का विस्तार करेगा, जिससे उनके बॉण्ड की मांग में वृद्धि हो सकती है। इससे सरकारी संगठनों के लिये ऋण लेने की लागत में कमी आएगी।
स्रोत- द हिंदू
भारतीय अर्थव्यवस्था
रिज़र्व बैंक के लघु वित्तीय बैंक संबंधी दिशा निर्देश
प्रीलिम्स के लिये:
RBI, लघु वित्त बैंक, भुगतान बैंक
मेन्स के लिये:
बैंकिंग विनियमन संबधी मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने लघु वित्त बैंकों के लिये नए दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
प्रमुख बिंदु:
- रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने लघु वित्त बैंकों (Small Finance Bank-SFB) के लिये ‘कभी भी’ (ऑन टैप बेसिस) लाइसेंस हेतु आवेदन करने की सुविधा पर दिशा-निर्देश जारी किये है।
- इसके तहत न्यूनतम आवश्यक पूंजी को बढ़ाकर 200 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
- रिज़र्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंक जो कि ऐच्छिक रूप से लघु वित्त बैंक में परिवर्तित होना चाहते हैं, उनके लिये आवश्यक पूंजी की सीमा 100 करोड़ रुपए निर्धारित की है।
- उल्लेखनीय है कि ऐसे निकायों को परिचालन आरंभ होने के अगले 5 वर्षों में अपने निवल मूल्य को बढाकर 200 करोड़ रुपए करना होगा।
- निर्देश के अनुसार, लघु वित्त बैंकों को कारोबार शुरू करते ही अनुसूचित बैंक का दर्जा दिया जाएगा और इन्हें बैंकिंग आउटलेट्स खोलने की सामान्य अनुमति प्राप्त होगी।
- लघु वित्त बैंक के प्रवर्तकों को परिचालन शुरू होने के बाद से अगले 5 वर्षों तक बैंक की भुगतान योग्य इक्विटी पूंजी का न्यूनतम 40 प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखना होगा।
- दिशा-निर्देश के अंतर्गत 5 वर्षों तक सफलतापूर्वक परिचालन करने वाले भुगतान बैंकों को ही लघु वित्त बैंक के लाइसेंस योग्य माना गया है।
- लघु वित्त बैंकों द्वारा 500 करोड़ के निवल मूल्य का लक्ष्य प्राप्त करने के 3 वर्षों के भीतर स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध होना अनिवार्य है।
- बैंकिंग तथा वित्त क्षेत्र में वरिष्ठ स्तर पर कम-से-कम 10 साल का अनुभव रखने वाले नागरिकों/पेशेवरों को भी लघु वित्त बैंक खोलने की पात्रता दे दी गई है।
- किसी भारतीय नागरिक के स्वामित्त्व वाली निजी क्षेत्र की ऐसी कंपनी या सोसायटी जिसने कम-से-कम पाँच सफलतापूर्वक परिचालन किया है, भी लघु वित्त बैंक की प्रवर्तक बन सकती हैं।
भुगतान बैंक:
- रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2014 में नाचिकेत मोर समिति की सिफारिश पर भुगतान बैंकों से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किये।
- भुगतान बैंकों का मुख्य उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना, लघु बचत खाते उपलब्ध कराना, प्रवासी श्रमिक वर्ग, निम्न आय अर्जित करने वाले परिवारों, लघु कारोबारों, असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वालों को भुगतान/विप्रेषण सेवाएँ प्रदान करना है।
- भुगतान बैंक मांग जमा राशियों को स्वीकार कर सकता है तथा प्रारंभ में भुगतान बैंक प्रति व्यक्तिगत ग्राहक की अधिकतम 100,000 रुपए की शेष राशि रख सकता है।
- एटीएम/डेबिट कार्ड जारी कर सकता है लेकिन क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकता।
स्रोत- द हिंदू
भारतीय अर्थव्यवस्था
विदेशी मुद्रा भंडार
प्रीलिम्स के लिये:
विदेशी मुद्रा भंडार
मेन्स के लिये:
भारतीय अर्थव्यवस्था और विकास से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में विदेशी मुद्रा भण्डार पहली बार 450 बिलियन डॉलर के आँकड़े को पार कर गया है।
प्रमुख बिंदु:
- रिपोर्ट के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार 451.7 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया जो अब तक का अधिकतम आँकड़ा है।
- उल्लेखनीय है की चालू वित्त वर्ष में गत वर्ष की तुलना में अब तक विदेशी मुद्रा भंडार में 38.8 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि भारतीय रिज़र्व बैंक को घरेलू मुद्रा के मूल्यह्रास की स्थिति में सबल बनाती है।
- वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश गत वर्ष के 17 बिलियन डॉलर से बढकर 20.9 बिलियन डॉलर हो गया।
- वर्ष 2013 के सितंबर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 274.8 बिलियन डॉलर हो गया था, जिसे बढ़ाने के लिये केंद्र और रिज़र्व बैंक द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी कई सुधारवादी कदम उठाये गए।
- पिछले छह वर्षों में विदेशी मुद्रा भंडार में 175 बिलियन डॉलर की वृद्धि दर्ज़ की गई है।
विदेशी मुद्रा भंडार:
- किसी देश में समय विशेष में कुल विदेशी मुद्रा को विदेशी मुद्रा भण्डार कहते हैं।
- किसी भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित चार तत्त्व शामिल होते हैं:
- विदेशी परिसंपत्तियां (विदेशी कंपनियों के शेयर, डिबेंचर, बाॅण्ड इत्यादि विदेशी मुद्रा में)
- स्वर्ण भंडार
- IMF के पास रिज़र्व कोष (Reserve Trench)
- विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights-SDR)
स्रोत- द हिंदू
जैव विविधता और पर्यावरण
देश में बाघ गलियारे
प्रीलिम्स के लिये
बाघ गलियारे, देश के प्रमुख टाइगर रिज़र्व तथा नेशनल पार्क
मेन्स के लिये
मानव-वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करने के उपाय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) तथा भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) द्वारा देश में 32 बाघ गलियारों (Tiger corridors) की पहचान की गई है जिनका प्रबंधन एवं संरक्षण वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के बाघ संरक्षण प्लान (Tiger Conservation Plan) के तहत किया जाएगा।
उपर्युक्त मानचित्र जम्मू एवं कश्मीर के विभाजन से पहले का है।
वर्तमान में देश में निम्नलिखित बाघ गलियारे हैं।
क्रम संख्या | भू-परिदृश्य | गलियारा | राज्य/देश |
1. | शिवालिक पहाड़ियाँ एवं गंगा का मैदान | (i) राजाजी-कॉर्बेट | उत्तराखंड |
(ii) कॉर्बेट-दुधवा | उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, नेपाल | ||
(iii) दुधवा-किशनपुर-कतर्नियाघाट | उत्तर प्रदेश, नेपाल | ||
2. | मध्य भारत तथा पूर्वी घाट | (i) रणथम्भौर-कुनो-माधव | मध्य प्रदेश, राजस्थान |
(ii) बांधवगढ़-अचानकमार | मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ | ||
(iii) बांधवगढ़-संजयदुबरी-गुरु घासीदास | मध्य प्रदेश | ||
(iv) गुरु घासीदास-पलामू-लावालोंग | छत्तीसगढ़ और झारखंड | ||
(v) कान्हा-अचानकमार | मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ | ||
(vi) कान्हा-पेंच | मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र | ||
(vii) पेंच-सतपुड़ा-मेलघाट | मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र | ||
(viii) कान्हा-नवेगाँव नाग्ज़िरा-तडोबा -इंद्रावती | मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश | ||
(ix) इंद्रावती-उदंती सीतानदी-सुनाबेडा | छत्तीसगढ़, ओडिशा | ||
(x) सिमलीपाल-सत्कोसिया | ओडिशा | ||
(xi) नागार्जुनसागर-श्रीवेंकटेश्वरा नेशनल पार्क | आंध्र प्रदेश | ||
3. | पश्चिमी घाट | (i) सह्याद्रि-राधानगरी-गोवा | महाराष्ट्र, गोवा |
(ii) दांडेली अंशी-शरावती घाटी | कर्नाटक | ||
(iii) कुंद्रेमुख-भद्रा | कर्नाटक | ||
(iv) नागरहोल-पुष्पगिरि-तालकावेरी | कर्नाटक | ||
(v) नागरहोल-बांदीपुर-मुदुमलाई-वायनाड | कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु | ||
(vi) नागरहोल-मुदुमलाई-वायनाड | कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु | ||
(vii) पराम्बिकुलम-एर्नाकुलम-इंदिरा गांधी | केरल, तमिलनाडु | ||
(viii) कलाकड मुंदनथुरई-पेरियार | केरल, तमिलनाडु | ||
4. | उत्तर पूर्व | (i) काजीरंगा-ईटानगर WLS | असम, अरुणाचल प्रदेश |
(ii) काजीरंगा-कार्बी एंगलोंग | असम | ||
(iii) काजीरंगा-नामेरी | असम | ||
(iv) काजीरंगा-ओरांग | असम | ||
(v) काजीरंगा-पापुम पाने | असम | ||
(vi) मानस-बुक्सा | असम, पश्चिम बंगाल, भूटान | ||
(vii) पक्के-नामेरी-सोनई रुपई-मानस | अरुणाचल प्रदेश, असम | ||
(viii) डिब्रू साईखोवा-डेरिंग-मेहोंग | असम, अरुणाचल प्रदेश | ||
(ix) कामलांग-काने-टेलवैली | अरुणाचल प्रदेश | ||
(x) बुक्सा-जलदापारा | पश्चिम बंगाल |
इन संस्थानों द्वारा बाघ-मानव के बीच नकारात्मक अंतर्क्रिया से बचने के लिये निम्नलिखित रणनीतियाँ सुझाई गई हैं।
- केंद्र प्रायोजित योजना प्रोजेक्ट टाइगर के तहत टाइगर संरक्षित क्षेत्रों की अवसंरचना के विकास हेतु धन मुहैया कराना ताकि ये जीव संरक्षित क्षेत्रों से दूर न जा सकें।
- इसके अलावा आम लोगों को जागरूक करना, दिशा-निर्देश तथा सलाह देना एवं किसी दुर्घटना की स्थिति में मुआवज़ा देना।
- फॉरेस्ट स्टाफ को प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण, दवाइयाँ प्रदान करना तथा क्षमता निर्माण करना।
- मानव-बाघ हस्तक्षेप तथा इस हस्तक्षेप के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिये बाघ संरक्षित क्षेत्र के कोर तथा बफर क्षेत्र में मानवीय क्रियाकलापों को प्रतिबंधित करना।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करने के लिये तीन मानक संचालन प्रक्रियाएँ (Standard Operating Procedures-SOP) जारी की हैं:
- बाघों का मानव बस्तियों में घूमने से उत्पन्न आपात स्थिति से निपटना।
- बाघों द्वारा पालतू मवेशियों के शिकार से बचाव।
- बाघों का संरक्षित क्षेत्र में पुनर्वास करना।
- रेखीय अवसंरचनाओं (Linear Infrastructure) के निर्माण से उत्पन्न प्रभावों को बाघ संरक्षित क्षेत्रों में कम करने के लिये भारतीय रेलवे (Indian Railways), भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India) के इंजीनियरों तथा कर्मचारियों के लिये दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (06 दिसंबर)
बाबा साहब अंबेडकर की 63वीं पुण्यतिथि: प्रत्येक वर्ष 6 दिसंबर को संविधान निर्माता और समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि मनाई जाती है। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में बाबा साहब की 63वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। उन्होंने 6 दिसंबर, 1956 को अंतिम सांस ली थी और इसीलिये आज के दिन को 'परिनिर्वाण दिवस' के रूप में मनाया जाता है। अंबेडकर दलित वर्ग को समानता दिलाने के लिये जीवन भर संघर्ष करते रहे और उन्होंने सामाजिक छुआ-छूत और जातिवाद के खात्मे के लिये काफी आंदोलन किये। उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, दलितों और समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिये न्योछावर कर दिया। 14 अप्रैल, 1891 को मध्यप्रदेश के छोटे से गाँव महू में जन्मे डॉ. अंबेडकर अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे। अंबेडकर ने 14 अक्तूबर 1956 को नागपुर में एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया. इस समारोह में उन्होंने श्रीलंका के महान बौद्ध भिक्षु महत्थवीर चंद्रमणी से पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म को अपना लिया। 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित हुआ नीरव मोदी: PNB घोटाले के आरोपी नीरव मोदी को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) कोर्ट ने गुरुवार को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया। ग़ौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नीरव के खिलाफ याचिका दायर की थी,जिसके मद्देनज़र अदालत ने यह निर्णय लिया। भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के तहत नीरव देश का दूसरा भगोड़ा घोषित हुआ है। विदित हो कि जनवरी में पीएमएलए कोर्ट ने शराब कारोबारी विजय माल्या को भी भगोड़ा घोषित किया था। 13700 करोड़ रुपए के PNB घोटाले का आरोपी नीरव लंदन की वांड्सवर्थ जेल में कैद है। भारत की अपील पर प्रत्यर्पण वारंट जारी होने के बाद लंदन पुलिस ने 19 मार्च को उसे गिरफ्तार कर लिया था।
डैनी काये ह्यूमैनिटेरियन अवॉर्ड: बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा को यूनिसेफ की ओर से ‘डैनी काये ह्यूमैनिटेरियन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। प्रियंका चोपड़ा ने न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित समारोह 'यूनिसेफ स्नो फ्लेक बॉल' में यह पुरस्कार ग्रहण किया। ध्यातव्य है कि इस पुरस्कार की घोषणा जून में की गई थी और यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रन्स फंड ने प्रियंका को इस अवॉर्ड के लिये नॉमिनेट किया था। गौरतलब है कि प्रियंका कई सालों तक यूनिसेफ की गुडविल एंबेसडर भी रही हैं। डैनी काये ह्यूमैनिटेरियन अवॉर्ड एक अमेरिकी अभिनेता और समाज सेवक डैनी काये के नाम पर रखा गया है, जो यूनिसेफ के पहले सद्भावना दूत थे।
निर्भया फंड से बनेगी महिला हेल्प डेस्क: केंद्र सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिये बड़ा कदम उठाते हुए पुलिस स्टेशनों में महिला सहायता डेस्क की स्थापना और सुदृढ़ीकरण के लिये 'निर्भया फंड' से 100 करोड़ रुपए मंज़ूर किये हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय और महिला बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से सभी थानों में महिला सहायता डेस्क और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी। इसके लिये 100 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया था।
अवंती मेगा फूड पार्क: केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को मध्यप्रदेश के देवास में 52 एकड़ में फैले अवंती मेगा फूड पार्क का उद्घाटन किया। खाद्य प्रसंस्करण एक ऐसा तरीका है जिसके ज़रिये किसान अपनी उपज में मूल्य वृद्धि करके अपनी आमदनी को दोगुना करने में सफल हो सकता है। केंद्र सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को मज़बूती प्रदान कर रही है, ताकि किसानों को उनकी उपज का अधिक मूल्य मिल सके और उनकी आमदनी को बढ़ाया जा सके।