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डेली न्यूज़

  • 06 May, 2019
  • 30 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

महिला एथलीटों के लिये टेस्टोस्टेरोन के नियम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महिला एथलीट कॉस्टर सेमेनिया (ओलंपिक 800 मीटर रेस चैंपियन) द्वारा दायर एक अपील को कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (Court of Arbitration for Sport- CAS) ने खारिज कर दिया।

  • उल्लेखनीय है कि इन्होंने महिला एथलीटों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रतिबंधित करने के लिये शुरू किये गए नियम के खिलाफ यह अपील दायर की थी।

क्या है मामला?

  • कॉस्टर सेमेनिया ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता हैं, इनके ‘लैंगिक विकास में अंतर/विकार’ होने के कारण अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (International Association of Athletics Federations- IAAF) ने ‘सेमेनिया को ‘जैविक पुरुष’ के रूप में वर्गीकृत किया था।
  • IAAF ने यह भी निर्देश दिया कि यदि वह महिलाओं वाली खेल प्रतिस्पर्द्धा में भाग लेना चाहती हैं तो उन्हें अपना टेस्टोस्टेरोन (एक हॉर्मोन जो सामान्यतः पुरुषों में पाया जाता है) कम करना होगा।
  • IAAF के नियम के खिलाफ कॉस्टर सेमेनिया (Caster Semenya) ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (Court of Arbitration for Sport) में अपील दायर की थी।

खेल मध्यस्थता न्यायालय का निर्णय Court of Arbitration for Sport (CAS) judgement

  • न्यायालय ने फैसले में स्पष्ट कहा है कि निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के लिये लैंगिक विकास में विविधता वाले (Differences in sexual Development- DSDs) एथलीटों के लिये ऐसे नियमों की आवश्यकता है।
  • यह नियम 400 मीटर से लेकर एक मील तक की स्पर्द्धाओं में लागू होता है।

लैंगिक विकास में विकार/अंतर (Disorder/Differences in Sexual Development)

  • लैंगिक विकास में विविधता वाले लोगों में कुछ विशिष्ट या अलग प्रकार के लैंगिक गुण नहीं होते, बल्कि इनके हार्मोन, जीन तथा प्रजनन अंग पुरुष एवं महिला की विशेषताओं का मिश्रण हो सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप इनमें टेस्टोस्टेरोन का स्तर उच्च हो सकता है।
  • टेस्टोस्टेरोन एक हार्मोन है जो मांसपेशियों, सामर्थ्य तथा हीमोग्लोबिन स्तर को बढ़ाता है, जिससे सहनशीलता प्रभावित होती है।

लैंगिक विकास विकार (Disorder of Sexual Development- DSDs)

  • लैगिक विकास विकार ऐसी दुर्लभ स्थितियाँ है जहां प्रजनन अंग और जननेंद्रिय अपेक्षा के अनुरूप विकसित नहीं होते हैं।
  • इस विकार (DSDs) में पुरुष एवं महिला की मिश्रित लैंगिक विशेषता मौज़ूद होती है। इस विकार से ग्रसित व्यक्तियों में भी लिंग गुणसूत्र पाए जा सकते हैं, अर्थात् यदि वे महिला है तो XX गुणसूत्र एवं पुरुष होने की स्थिति में XY गुणसूत्र पाए जाएंगे, लेकिन उस व्यक्ति के प्रजनन अंग और जननेंद्रियाँ -

♦ या तो विपरीत लिंग के होंगे।

♦ या स्पष्ट नहीं होगा कि पुरुष हैं या महिला।

♦ या पुरुष एवं महिला दोनों का मिश्रण होगा।

IAAF के दिशा-निर्देश

IAAF के नए योग्यता विनियमों के अनुसार, एक एथलीट को किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा में भाग लेने के लिये निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है-

  • कानून के समकक्ष उसे या तो महिला या इंटरसेक्स (या समकक्ष) के रूप में पहचान प्राप्त हो।
  • कम से कम छह महीने तक लगातार उसके रक्त के टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) हॉर्मोन का स्तर 5 nmol/L से कम होना चाहिये।
  • उसके बाद जब तक वह स्वयं को योग्य साबित करना चाहती है तब तक उसे अपने रक्त के टेस्टोस्टेरोन का स्तर 5 nmol/L से नीचे रखना होगा।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कितने तार्किक हैं ये दिशा-निर्देश?

  • IAAF के दृष्टिकोण से लैंगिक विकास में विकार (DSDs) वाले एथलीटों में प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक पाया जाता है जिसका उन्हें प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ मिलता है।
  • हालाँकि ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के अनुसार, नए दिशा-निर्देश लैंगिक लाभ वाले कुछ मामलों के लिये अवैज्ञानिक उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। साथ ही मेडिकल प्रोफेशन सिर्फ सीरम टेस्टोस्टेरोन के स्तर के आधार पर जैविक लिंग या शारीरिक कार्य प्रणाली को परिभाषित नहीं करता।

लिंग संबंधी अवास्तविक भ्रांति

  • खिलाड़ियों के अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, जो खेल तथा मानव अधिकारों के मध्य द्वंदों को देखता है, के अनुसार, खेल में भाग लेने संबंधी किसी एथलीट के अधिकार लिंग या कोई अन्य पहचान-संबंधी कारक जिसमें सेक्स भी शामिल है तक सीमित नहीं हो सकते।
  • नियमों के होने का यह अर्थ नहीं कि वे साक्ष्य आधारित हैं नैतिक हैं या प्रभावी हैं। महिला एथलीटों के ‘लैंगिक परीक्षण’ की समस्या का एक लंबा इतिहास रहा है जो इन्हें विरासत में मिला है। यह महज संयोग नहीं है कि इन नियमों के कारण अधिकांशतः सिर्फ अश्वेत और दक्षिण क्षेत्रों की महिलाएँ प्रभावित हो रही हैं जो स्त्रीत्व संबंधी पश्चिमी आदर्शों के अनुरूप नहीं हैं।
  • इस तरह के कृत्रिम भेदभाव से न केवल एथलीट बल्कि सामान्य नागरिक के मामले में भी समाज में बड़े स्तर पर भेदभाव शुरू हो सकता है।
  • क्योंकि ऐसा पाया गया है कि 16% पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम है, जबकि और 14% महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक है।

द कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (The Court of Arbitration for Sport)

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय अर्द्ध-न्यायिक निकाय है।
  • यह खेल संबंधित विवादों के निपटान हेतु एक मध्यस्थ निकाय है।
  • इसका मुख्यालय लुसाने (स्विट्ज़रलैंड) में है।
  • इसके अन्य न्यायालय न्यूयॉर्क शहर और सिडनी में स्थित हैं।

इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन्स (International Association of Athletics Federations- IAAF)

  • इसकी स्थापना स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में 17 जुलाई, 1912 में की गई।
  • उस समय इसका नाम अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक महासंघ (International Amateur Athletic Federation- IAAF) था।
  • 10 दशकों के दौरान एथलेटिक्स में कई परिवर्तन किये गए जिसने दुनिया के राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक विकास को व्यापक रूप से प्रतिबिंबित किया।
  • 2001 में इसका नाम बदलकर इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन्स (International Association of Athletics Federations- IAAF) कर दिया गया।
  • IAAF की स्थापना एक विश्व शासी प्राधिकरण की आवश्यकता को पूरा करने, प्रतियोगिता कार्यक्रम आयोजित करने, मानकीकृत तकनीकी उपकरणों तथा आधिकारिक विश्व रिकॉर्ड की सूची के लिये की गई थी।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

अल्पसंख्यक निवेशकों को वित्तीय सहायता

चर्चा में क्यों?

  • कंपनी कानून (Company Law) के अंतर्गत सरकार द्वारा अल्पसंख्यक निवेशकों (Minority Investors) को वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु एक योजना ‘क्लास एक्शन लॉ सूट’ (Class Action Lawsuits) तैयार की जा रही है। यह योजना निवेशकों के हितों की सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय (Corporate Affairs Ministry) भी निवेशकों के हितों की रक्षा के उपायों पर आगे की कार्रवाई के लिये क्लास एक्शन सूट (Class Action Suits) के तहत निवेशकों को प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है।

क्लास एक्शन सूट (Class Action Suit)

  • इसके अंतर्गत एक जैसे कानूनी मामलों का सामना कर रहे निवेशकों को एक साथ आने और एक मुकदमे में शामिल होने का मौका दिया जाता है।
  • यह वैध तरीके से मामले को प्रस्तुत करने का सस्ता तरीका भी है।
  • इसकी अनुपस्थिति में शेयरहोल्डर्स के लिये कोई मुकदमा करना और मुआवजे की मांग करना महँगा पड़ता है।

कंपनी अधिनियम के संदर्भ में

  • कंपनी अधिनियम की धारा 245 के तहत यदि निवेशकों को लगता है कि किसी कंपनी के मामलों का प्रबंधन या आचरण निवेशकों के हितों के प्रतिकूल है तो ये ‘क्लास एक्शन सूट’ के अंतर्गत मुकदमा दायर कर सकते हैं।
  • क्लास एक्शन सूट की यह अवधारणा जो कि निवेशकों को सामूहिक रूप से उपाय ढूंढने का विकल्प देती है, पश्चिमी देशों में ज़्यादा प्रसिद्ध है।

कंपनी अधिनियम 1956

  • कंपनी अधिनियम 1956 एक अति महत्त्वपूर्ण विधान है जो केंद्र सरकार को कंपनी के गठन और कार्यों को विनियमित करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • इसे भारत की संसद द्वारा 1956 में पारित किया गया तथा समय-समय पर इसमें संशोधन किये गए।
  • ये अधिनियम कम्पनियों के गठन को पंजीकृत करने के साथ ही उनके निर्देशकों और सचिवो की ज़िम्मेदारी का निर्धारण करते हैं।
  • कंपनी अधिनियम, 1956 भारत के संघीय सरकार द्वारा कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय, कंपनियों के रजिस्ट्रार के कार्यालय, सार्वजनिक न्यासी, कंपनी लॉ बोर्ड आदि के माध्यम से प्रशासित किया जाता है।
  • 2013 में संसद द्वारा कंपनी अधिनियम में महत्त्वपूर्ण संशोधन किया गया। कंपनी अधिनियम, 2013 को 29 अगस्त, 2013 को भारत के राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई है।
  • क्लास एक्शन सूट का निरीक्षण सरकार द्वारा किया जाएगा, सरकार जल्द ही निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि (Investor Education and Protection Fund- IEPF) के सहयोग से अल्पसंख्यक निवेशकों को क्लास एक्शन फाइल करने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु योजना प्रस्तुत करेगी।
  • IEPF क्लास एक्शन सूट पर किये गए कानूनी खर्चों की प्रतिपूर्ति के लिये एक योजना प्रस्तुत करेगी।
  • निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि (IEPF) का प्रबंधन IEPF प्राधिकरण द्वारा किया जाता है, जो मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
  • पिछले महीने जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, IEPF का संचित कोष 4,138 करोड़ रुपए है।

निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि
Investor Education and Protection Fund Authority

  • निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (IEPF) को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 205C के तहत कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 1999 के माध्यम से स्थापित किया गया है।
  • अधिनियम के अनुसार, भुगतान के लिये दी गई तारीख से सात वर्ष की अवधि के लिये लावारिस और अनपेड (Unpaid) राशि जैसे- कंपनियों के अनपेड लाभांश खाते, मेच्योर डिपाजिट, मेच्योर डिबेंचर (ऋणपत्र), केंद्र सरकार, राज्य सरकार, कंपनियों या किसी अन्य संस्थानों द्वारा अनुदान और दान, फंड से किये गए निवेश से प्राप्त ब्याज या अन्य आय आदि को IEPF में जमा किया जाएगा।
  • फंड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य निवेशक शिक्षा, जागरूकता और सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों का समर्थन करना है।

इसकी आवश्यकता क्यों?

  • क्लास एक्शन सूट को बढ़ावा देना निवेशकों के कई उदाहरणों की पृष्ठभूमि के खिलाफ महत्त्वपूर्ण है जो अवैध मनी पूलिंग योजनाओं के साथ-साथ कॉर्पोरेट प्रशासन के मुद्दों और कुछ कंपनियों में धोखाधड़ी प्रथाओं से प्रभावित हो रहे हैं।
    हालाँकि, क्लास एक्शन योजना शुरू करना आसान नहीं है, क्योंकि इससे संबंधित जानकारी असममिति (Asymmetry) है।
  • अल्पसंख्यक निवेशक क्लास एक्शन को आगे बढाने के लिये पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। साथ ही इसमें असहमति के लिये भी प्रावधान है।
  • क्लास एक्शन सूट अल्पसंख्यक शेयरधारकों (जो सबसे ज़्यादा परेशानियों का सामना कर रहे हैं) को सशक्त बनाने का एक महत्त्वपूर्ण तरीका है।
  • पीड़ित अल्पसंख्यक निवेशकों को कंपनी अधिनियम में प्रदान किये गए क्लास एक्शन सूट का सहारा लेना चाहिये।
  • क्लास एक्शन सूट के तहत निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिये आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
  • यदि वैधानिक लेखापरीक्षक निवेशकों के हित में कोई लापरवाही करते हैं या गलत बयानों का समर्थन करते हैं तो निवेशक उनके खिलाफ क्लास एक्शन के तहत कार्रवाई के लिये आगे आ सकते हैं।

स्रोत- द इकोनॉमिक टाइम्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

वित्तीय समावेशन को रोकने वाले कारक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बैंक कॉरेस्पॉन्डेंट्स और बैंकर्स ने उन मुद्दों को उठाया जिनके कारण देश में वित्तीय समावेशन में बाधा आ रही है।

प्रमुख बिंदु

  • कई बैंक आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (Aadhar enabled payment system- AePS) आधारित प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना को लागू नहीं कर रहे हैं जिस कारण नागरिकों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
  • जन-धन खातों और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक खातों की पहचान केंद्रीयकृत कोर बैंकिंग प्रणाली के सामान्य IFSC के माध्यम से नहीं हो प् रही है। अत: सरकार द्वारा प्रदत्त लाभ इन खातों को नहीं मिल पा रहा है, साथ ही खातों से जुडी किसी भी सेवा पर वस्तु एवं सेवा कर लगाया जाता है।
  • सरकार द्वारा प्रस्तावित शुल्क का भुगतान बैंक कॉरेस्पॉन्डेंट्स को नहीं किया जा रहा है। इस कारण वित्तीय समावेशन में बाधा पहुँच रही है।
  • बैंक कॉरेस्पॉन्डेंट्स
  • बैंक कॉरेस्पॉन्डेंट्स रिज़र्व बैंक द्वारा अधिकृत ऐसे एजेंट्स हैं जो दूर-दराज़ के क्षेत्रों में बैंकों की शाखाओं और एटीएम के अलावा वित्तीय सेवा प्रदान करते हैं।
  • बैंक कॉरेस्पॉन्डेंट्स कम लागत पर सीमित श्रेणी की बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने के लिये बैंकों को सक्षम बनाते हैं, इस प्रकार वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलता हैं।

आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (Aadhaar enabled Payment System- AePS )

बैंक, आधार सक्षम भुगतान प्रणाली के अंतर्गत खातों को आधार से जोड़ता है तथा बुनियादी सेवाओं के लिये आधार संख्या एवं बायोमेट्रिक डेटा उपयोग करने की अनुमति देता है।

उद्देश्य

  • बुनियादी बैंकिंग गतिविधियों के लिये आधार कार्ड के उपयोग को बढ़ावा देना
  • वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना
  • खुदरा लेनदेन में डिजिटलीकरण को बढ़ाना
  • केन्द्रीयकृत बैंकिंग प्रणाली में समन्वय को बढ़ावा देना, इत्यादि।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer (DBT)

  • मूल रूप से यह योजना उस धन का दुरुपयोग रोकने के लिये है, जिसे किसी भी सरकारी योजना के लाभार्थी तक पहुँचने से पहले ही बिचौलिये तथा अन्य भ्रष्टाचारी हड़पने की जुगत में रहते हैं।
  • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से जुड़ी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी बिचौलिये का कोई काम नहीं है और यह योजना सरकार तथा लाभार्थियों के बीच सीधे चलाई जा रही है।
  • इस योजना के तहत केंद्र सरकार लाभार्थियों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत दी जाने वाली सब्सिडी का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में कर देती है। साथ ही लाभार्थियों को भुगतान उनके आधार कार्ड के ज़रिये किया जाता है।

ज्ञातव्य है कि सितंबर, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार को बैंक खातों से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है।

आगे की राह

  • बैंकों द्वारा बैंक कॉरेस्पॉन्डेंट्स को उचित प्रोत्साहन देने एवं निगरानी करने की आवश्यकता है। उन्हें वे सभी सुविधाएँ और उपकरण प्रदान किये जाने चाहिये जिनकी उन्हें आवश्यकता है।
  • उपलब्ध सुविधाओं के बारे में लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से दूर-दराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (06 May)

  • 4 मई को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस का आयोजन किया गया। 4 जनवरी, 1999 को ऑस्ट्रेलिया के वनों में लगी आग बुझाने के दौरान पाँच अग्निशमनकर्मियों की मौत के बाद अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन कर्मचारी दिवस की स्थापना के लिए विश्वभर में प्रस्ताव भेजे गए थे। अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस का प्रतीक लाल और नीला रिबन है। इसमें लाल रंग आग को दर्शाता है और नीला रंग पानी को; और ये रंग दुनियाभर में आपातकालीन सेवाओं का संकेत देते हैं। यह दिवस अग्निशामकों को उनके असाधारण प्रतिबद्धता, असाधारण साहस और उनकी नि:स्वार्थ सेवा के लिये धन्यवाद करने हेतु मनाया जाता है। इसके अलावा भारत में 14 अप्रैल को राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1944 में 14 अप्रैल को मुंबई बंदरगाह पर एक मालवाहक जहाज़ में अचानक आग लग गई, जिसमें काफी मात्रा में रुई, विस्फोटर और युद्ध उपकरण रखे हुए थे। इस आग पर काबू पाने की कोशिश में 66 अग्निशमनकर्मी आग की चपेट में आकर अपने प्राण गँवा बैठे थे। इन्हीं अग्निशमनकर्मियों की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को अग्निशमन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • एशिया सहयोग वार्ता (ACD) की 16वीं मंत्रिस्तरीय बैठक दोहा, कतर में आयोजित की गई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता विदेश राज्यमंत्री वी.के. सिंह ने बैठक में पार्टनर्स इन प्रोग्रेस विषय पर ज़ोर देते हुए सभी ACD सदस्य राज्यों के साथ ‘सामूहिक प्रयासों, समावेशी विकास’ के दृष्टिकोण के अनुरूप सहयोगी रूप से काम करने की भारत की इच्छा को रेखांकित किया। भारत ने सौर ऊर्जा जैसे गैर-प्रदूषित नवीकरणीय स्रोतों का प्रयोग करके सतत विकास और गरीबी उन्मूलन के लिये क्षेत्र में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु एशियाई क्षेत्रों में ठोस प्रयासों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और सदस्य देशों से नवंबर 2015 में शुरू किये गए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने का आग्रह किया। ACD के संस्थापक सदस्य होने के नाते भारत ने खाद्य सुरक्षा, साफ पानी तक पर्याप्त पहुँच, अनुसंधान और नवाचार, वित्तीय समावेशन के बारे में बातचीत की और इन क्षेत्रों में सदस्य राज्यों से अधिक सहयोग की अपील की।
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया आतंकवाद विरोधी संयुक्त कार्यसमूह की 11वीं बैठक 2 मई को ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में आयोजित की गई। इस बैठक का उद्देश्य आतंकवाद विरोधी चुनौतियों पर चर्चा करना था, क्योंकि दोनों देश आतंकवाद के वित्तपोषण, आतंकवादी उद्देश्यों के लिये इंटरनेट का उपयोग, कट्टरपंथी और विदेशी आतंकवादी घुसपैठियों का सामना कर रहे हैं। संयुक्त कार्यसमूह ने आपसी क्षमता निर्माण के प्रयासों, सूचनाओं के नियमित आदान-प्रदान, पारस्परिक कानूनी सहायता, आतंकवाद का विरोध और कट्टरता पर सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से आतंकवाद-विरोधी सहयोग को और मज़बूत करने पर सहमति जताई। दोनों पक्षों ने आतंकवाद विरोधी संयुक्त कार्यसमूह की अगली बैठक भारत में पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर आयोजित करने पर भी सहमति जताई है। इससे पहले भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आतंकवाद विरोधी संयुक्त कार्यसमूह की 10वीं बैठक पिछले वर्ष 18 जून को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।
  • सिक्किम के नाथू ला दर्रे के रास्ते भारत-चीन सीमा व्यापार का वार्षिक सत्र शुरू हो गया है। दोनों देशों के बीच 14 साल से इस मार्ग से व्यापार हो रहा है और यह गर्मियों के पाँच माह तक चलता है। दोनों देशों के बीच सीमा व्यापार हर साल 1 मई से 30 नवंबर के बीच सप्ताह में चार दिन होता है। भारत-चीन युद्ध के बाद 44 साल के अंतराल के पश्चात् 2006 में यह व्यापार फिर शुरू हुआ था। इस व्यापार में भारत की तरफ से डेयरी उत्पाद से लेकर बर्तन आदि सहित 36 तरह की वस्तुएँ निर्यात की जाती हैं, जबकि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के व्यापारी कालीन, जैकेट जैसी कुल 20 प्रकार की वस्तुएं बेचने आते हैं। इस व्यापार के माध्यम से पिछले साल भारत से निर्यात 45.03 करोड़ रुपयए का हुआ था जबकि आयात 3.23 करोड़ रुपए का था।
  • दुनिया में जलवायु आपातकाल घोषित करने वाला ब्रिटेन पहला देश बन गया है। जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बाद ब्रिटेन की संसद ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को लेकर आपातकाल घोषित कर दिया। वैसे इस घोषणा से पहले ही ब्रिटेन के कई कस्बों और शहरों ने जलवायु आपात स्थिति घोषित कर दी थी। ब्रिटेन के लोगों का कहना है कि वे 2030 तक कार्बन न्यूट्रल होना चाहते हैं। यानी उतना ही कार्बन उत्सर्जित हो जिसे प्राकृतिक रूप से समायोजित किया जा सके। गौरतलब है कि पिछले महीने इस मांग की शुरुआत एक छोटे-से समूह ने लंदन में की थी। क्लाइमेट चेंज इमरजेंसी की कोई सटीक परिभाषा नहीं है और न ही इस दौरान क्या कदम उठाए जाते हैं, इसे लेकर अभी तक कोई स्पष्ट नीति बनी है। ब्रिटेन उन 18 विकसित देशों में एकमात्र ऐसा देश है जिसने पिछले एक दशक में सबसे कम कार्बन उत्सर्जन किया है। 
  • 126वें सम्राट बनकर नारोहितो औपचारिक रूप से जापान के राजसिंहासन पर बैठ गए। हाल ही में सम्राट अकिहितो ने क्राइसैंथिमम थ्रोन (राजगद्दी) अपने पुत्र नारोहितो को सौंप दी। इसी के साथ जापान में एक नए युग की शुरुआत हुई। गौरतलब है कि जापान में जब कोई सम्राट अपनी गद्दी छोड़ता हैं तो एक युग का अंत हो जाता है और नए सम्राट के बनने के साथ ही एक नया युग शुरू होता है। नारोहितो के राजसिंहासन पर बैठने के साथ ही रेइवा नाम के नए युग की शुरुआत हो गई जो नारोहितो के शासनकाल तक चलेगा। लगभग 200 साल के जापानी राजघराने के इतिहास में अकिहितो ऐसे पहले सम्राट हैं जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपनी इच्छा से राजगद्दी छोड़ दी। 2017 में जापान की संसद ने एक विशेष कानून बनाकर उन्हें राजगद्दी छोड़ने की इजाज़त दी। अकिहितो ने 1989 में राजगद्दी संभाली थी। जापान में राजा के पास कोई राजनीतिक शक्ति नहीं होती, लेकिन उन्हें एक राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर देखा जाता है।
  • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने अपने बोर्ड में पहली बार स्वतंत्र महिला निदेशक के तौर पर जयश्री व्यास की नियुक्ति की है। उनके बोर्ड में पहले से ही उषा सांगवान और राजेश्री सबनवीस के रूप में दो गैर-कार्यकारी महिला निदेशक कार्रत हैं। जयश्री व्यास एक प्रोफेशनल चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और 1986 से श्री महिला सेवा सहकारी बैंक, अहमदाबाद के प्रबंध निदेशक के रूप में काम कर रही हैं। गौरतलब है कि 2013 के कंपनी अधिनियम में कंपनियों के एक निश्चित वर्ग के लिये कम-से-कम एक महिला निदेशक की नियुक्ति करना अनिवार्य किया गया है। सेबी ने कंपनी अधिनियम 2013 के अनुपालन में अक्तूबर 2014 से एक बोर्ड में कम-से-कम एक महिला का होना अनिवार्य कर दिया था।

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