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डेली न्यूज़

  • 05 Jul, 2019
  • 45 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

मध्य प्रदेश को सुधार की आवश्यकता : वित्त आयोग

चर्चा में क्यों?

15वें वित्त आयोग के अनुसार, मध्य प्रदेश द्वारा कृषि सहित अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में विकास की उच्च दर प्राप्त करने के बावजूद भी राज्य की गरीबी में कमी नहीं आई है।

मुख्य बिंदु :

  • आयोग के अनुसार, राज्य में गरीबी का अनुपात 33 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह सिर्फ 21 प्रतिशत ही है।
  • राज्य की विकास दर का मानव विकास सूचकांक के प्रमुख मापदंडों जैसे- शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर आदि पर बहुत ही सीमित प्रभाव पड़ा है।
  • आयोग ने कहा कि यदि मध्य प्रदेश ने अपने द्वारा प्रस्तुत किये गए विकास मॉडल को सुव्यवस्थित ढंग से लागू किया होता तो शायद राज्य में इन क्षेत्रों में भी प्रगति होती।
  • आयोग के अनुसार, मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 90,998 रुपए है जबकि इसके विपरीत राष्ट्रीय स्तर पर यह राशि 1.26 लाख रुपए है।
  • मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय देश के कई छोटे राज्यों से भी कम है।
  • आयोग ने कहा कि राज्य को GST लागू होने के कारण जो नुकसान हुआ है उसके लिये रिफंड की प्रक्रिया में जल्द-से-जल्द सुधार करने की आवश्यकता है।
  • आयोग ने मध्य प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने का सुझाव दिया है।
  • इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश को एससी (SC) और एसटी (ST) के विकास पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है।

15वाँ वित्त आयोग :

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 नवंबर, 2017 को 15वें वित्त आयोग के गठन को मंज़ूरी प्रदान की।
  • 15वें वित्त आयोग की सिफ़ारिशें वर्ष 2020-25 के दौरान लागू की जाएंगी।
  • अभी तक 14 वित्त आयोगों का गठन किया जा चुका है। 14वें वित्त आयोग की सिफ़ारिशें वित्तीय वर्ष 2015-20 तक लागू होनी हैं।
  • प्रथम वित्त आयोग के अध्यक्ष के.सी. नियोगी थे।
  • ध्यातव्य है कि 27 नवंबर, 2017 को एन.के. सिंह को 15वें वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
  • एन.के. सिंह भारत सरकार के पूर्व सचिव एवं वर्ष 2008-2014 तक बिहार से राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।

स्रोत- द हिंदू


शासन व्यवस्था

ड्रग नियामक ने जारी की चेतावनी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के शीर्ष दवा नियामक केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drug Standard Control Organisation- CDSCO) ने चिकित्सीय उपकरणों के संबंध में साइबर सुरक्षा जोखिमों/खतरों के संदर्भ में चेतावनी जारी की है।

प्रमुख बिंदु

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food and Drug Administration- FDA) ने अमेरिकी चिकित्सा उपकरण आपूर्तिकर्त्ता मेडट्रॉनिक (Medtronic) द्वारा निर्मित इंसुलिन पंप के कुछ मॉडलों से जुड़ी साइबर सुरक्षा के जोखिमों के बारे में चेतावनी जारी की थी।

CDSCO के अनुसार, चिकित्सा उपकरण के कुछ मॉडल हैकर्स के लिये सुभेद्य (Vulnerable) हैं।

एक अनधिकृत व्यक्ति अपने तकनीकी कौशल और उपकरणों के सहयोग से सेटिंग्स को बदलने और इंसुलिन डिलीवरी को नियंत्रित करने के लिये किसी नजदीकी इंसुलिन पंप से वायरलेस से जुड़ सकता है।

भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। अतः इस समस्या के बढ़ने ख़तरा भी ज़्यादा है।

प्रभावित मॉडल जिसके बारे में चेतावनी जारी की गई है इनमें मिनिमेड पैराडिग्म (Minimed Paradigm) की श्रृंखला (MMT-715, MMT-712 और MMT-722) तथा मिनिमेड पैराडिग्म वेओ (MMT-754) इंसुलिन पंप शामिल हैं।

कंपनी की प्रतिक्रिया

  • हालाँकि मेडट्रॉनिक इंडिया ने स्पष्ट किया है कि जिन मिनिमेड पैराडिग्म श्रृंखला की दवाओं के बारे में चेतावनी जारी की गई है वे मॉडल वर्ष 2012 और उससे पहले के हैं।
  • वर्तमान में कंपनी को अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा सेटिंग बदलने या इंसुलिन वितरण को नियंत्रित करने की कोई पुष्ट रिपोर्ट नहीं मिली है।
  • मेडट्रॉनिक ने अपने ग्राहकों और उनके डॉक्टरों को अपने इंसुलिन पंप का उपयोग करते समय सुरक्षा सावधानी बरतने की सलाह दी जो कि केवल एक सुरक्षा सूचना है।
  • भारत में मेडट्रॉनिक समस्या के पूर्व सक्रिय नियामकों और अन्य संबंधित हितधारकों को सूचना प्रदान कर रहा था साथ ही शोधकर्ताओं, डॉक्टरों और रोगियों के साथ उनके प्रश्न या चिंताओं के संबंध में जानकारी देने की प्रक्रिया में संलग्न था।
  • कम्पनी के अनुसार, भारत में अब तक किसी भी मरीज़ में इस प्रकार के समस्या सामने नही आई है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के सुझाव

  • इंसुलिन पंप का मॉडल और सॉफ्टवेयर संस्करण साइबर सुरक्षा जोखिमों/खतरों से प्रभावित है या नहीं, इसकी छानबीन मरीज़ों और उनकी देखभाल करने वालों को अवश्य करनी चाहिये।
  • बेहतर साइबर सुरक्षा संरक्षण वाले मॉडल प्राप्त करने के लिये अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से इंसुलिन पंप एवं उपकरणों को नियंत्रण में रखने, पंप क्रमांक नम्बर को मरीज़ों से साझा करने तथा किसी गड़बड़ी के दौरान सूचनाओं, अलार्मों अथवा चेतावनी देने के संदर्भ में बात करना चाहिये।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन

Central Drug Standard Control Organisation- CDSCO

  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अंतर्गत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण (NRA) है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • देश भर में इसके छह ज़ोनल कार्यालय, चार सब-ज़ोनल कार्यालय, तेरह पोर्ट ऑफिस और सात प्रयोगशालाएँ हैं।
  • विज़न: भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना और उसे बढ़ावा देना।
  • मिशन: दवाओं, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता बढ़ाकर सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा तय करना।
  • ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 एंड रूल्स 1945 (The Drugs & Cosmetics Act,1940 and rules 1945) के तहत CDSCO दवाओं के अनुमोदन, क्लिनिकल परीक्षणों के संचालन, दवाओं के मानक तैयार करने, देश में आयातित दवाओं की गुणवत्ता पर नियंत्रण और राज्य दवा नियंत्रण संगठनों को विशेषज्ञ सलाह प्रदान करके ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के प्रवर्तन में एकरूपता लाने के लिये उत्तरदायी है।

स्रोत- द हिन्दू


भारत-विश्व

महात्मा गांधी आईटी और बायोटेक्नोलॉजी पार्क

चर्चा में क्यों?

विकास क्षमताओं का निर्माण करने के लिये भारत की सहायता से कोट डी आइवर (आइवरी कोस्ट) (Cote d’Ivoire) में महात्मा गांधी आईटी और बायो-टेक्नोलॉजी पार्क (एक समर्पित मुक्त व्यापार क्षेत्र) का उद्घाटन किया गया है।

Cote d’Ivoire

महात्मा गांधी आईटी और बायोटेक्नोलॉजी पार्क (MGIT-BP)

  • MGIT-BP परियोजना की कुल लागत लगभग 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर है और इसे भारत की सहायता से बनाया जा रहा है।
  • MGIT-BP परियोजना मुख्यतः दो भागों में विभाजित है, पहले भाग में FTZ बनाने के लिये उसके आर्किटेक्चर और डिज़ाइन को शामिल किया गया है, वहीं दूसरे भाग में आईटी उद्यमों के लिये मुख्य भवन निर्माण को शामिल किया गया है।
  • इस पार्क में कंप्यूटर असेंबली प्लांट सहित नेटवर्किंग लैब, मानव डीएनए लैब, डेटा स्टोरेज एरिया नेटवर्क, ऑडियो-विज़ुअल लैब और पावर जेनरेटर आदि भी शामिल हैं।

क्या होता है मुक्त-व्यापार क्षेत्र (FTZ) :

  • मुक्त-व्यापार क्षेत्र (FTZ) विशेष आर्थिक क्षेत्र का ही एक वर्ग है।
  • FTZ का अर्थ एक ऐसे भौगोलिक क्षेत्र से है जहाँ कुछ विशेष नियमों के तहत वस्तुओं/माल को लायाजाता है, संग्रहीत किया जाता है, निर्मित किया जाता है, पुनर्निर्मित किया जाता है और निर्यातित किया जाता है। सामान्यतः ये क्षेत्र किसी भी प्रकार के सीमा शुल्क से मुक्त होते हैं।
  • आमतौर पर मुक्त व्यापार क्षेत्र का निर्माण प्रमुख बंदरगाहों, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों और राष्ट्रीय सीमाओं के आसपास ही किया जाता है, जिसके कई सारे भौगोलिक फायदे होते हैं।

स्रोत- बिज़नेस स्टैंडर्ड


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA)

चर्चा में क्यों ?

भारत ने वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र की फिलिस्तीन शरणार्थी एजेंसी को 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देने की पेशकश की है।

प्रमुख बिंदु

  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (United Nations Relief and Works Agency-UNRWA) के मुख्य बजट में अपने वार्षिक वित्तीय योगदान को वर्ष 2016 के 1.25 मिलियन अमेरिकी डालर से चार गुना बढ़ाकर वर्ष 2018 में 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर कर दिया है।
  • UNRWA में वित्तीय योगदान की प्रकृति स्वैच्छिक होने के कारण इस वर्ष UNRWA के लिये आवश्यक 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि में से केवल 200 मिलियन डॉलर ही प्राप्त हुए है। इससे फिलिस्तीनी शरणार्थियों को मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करने में समस्या हो रही है।
  • UNRWA की एक तदर्थ बैठक में 23 देशों ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिये वित्तीय सहायता देने की पेशकश की है। भारत ने सभी देशों से वित्तीय सहायता की राशि में बढ़ोत्तरी की अपील भी की है।
  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, UNRWA की गतिविधियों से शिक्षा में विशेष लाभ हुआ है साथ ही एजेंसी ने लाखों लोगों को मौलिक सेवाएँ भी प्रदान की हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र ने मौजूदा वित्तपोषण में कमी को देखते हुए सदस्य देशों से सहायता राशि बढ़ाने का आह्वान किया है।
  • वर्तमान में फिलीस्तीनी शरणार्थियों की संख्या 5.4 मिलियन है जो पूरे विश्व के शरणार्थियों का 20% है।

भारत और फिलिस्तीन:

  • वर्तमान में भारत, फिलिस्तीन में संस्थानों, सेवाओं और प्रशिक्षण के माध्यम से क्षमता निर्माण का कार्य कर रहा है। इसके अतिरिक्त फिलिस्तीनी पेशेवरों को तकनीकी और वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रहा है।
  • भारत-फिलिस्तीन विकास साझेदारी के तहत पिछले पाँच वर्षों के दौरान कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, सूचना प्रौद्योगिकी, युवा मामलों, महिला सशक्तीकरण और मीडिया के क्षेत्र में 17 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं।

UNRWA जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में आपातकालीन मानवीय सहायता प्रदान कर रहा है। UNRWA स्वास्थ्य, शिक्षा, राहत कार्य और सामाजिक सेवाओं के माध्यम से इस क्षेत्र के लोगों को मौलिक सुविधाएँ प्रदान करके उनका जीवन स्तर सुधारने का प्रयास कर रहा है।

इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष

यूरोप में यहूदियों की जनसंख्या कम परंतु प्रभाव अधिक होने के कारण संघर्ष की स्थिति पैदा हुई। इसी दौरान वर्ष 1897 में यहूदी आंदोलन की शुरुआत हुई और वृहद् यहूदी राष्ट्र की महत्त्वाकाँक्षा लिये यहूदियों ने यूरोप से फिलिस्तीन के क्षेत्रों की ओर पलायन किया। बाल्फोर घोषणा और साइक्स-पिकॉट (Sykes-Picot Agreement) समझौते के बाद इस क्षेत्र में यहूदियों का पलायन और बढ़ा, इससे धार्मिक संघर्षो की भी शुरुआत हुई। वर्तमान में यह क्षेत्र विश्व के सबसे अशांत क्षेत्रों में से एक है।

Israel

शरणार्थी समस्या:

वर्ष 1948 में इज़राइल के ऊपर मिस्त्र ,जॉर्डन, इराक और सीरिया ने आक्रमण कर दिया। इस घटना के बाद इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच भी सशस्त्र संघर्ष शुरू हो गया। इन सभी घटनाओं के बाद शरणार्थी समस्या की शुरुआत हुई। 6 दिवसीय(Six Days) और योम किप्यूर के युद्धों के बाद तो शरणार्थी समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया।

इज़राइल-फिलिस्तीन विवाद के वर्तमान कारण:

  • येरूशलम पर अधिकार को लेकर दोनों देशों में संघर्ष होता रहा है। इज़राइल के द्वारा वर्तमान में तेल अवीब से अपनी राजधानी येरुशलम स्थानांतरित करने का भी फिलिस्तीन द्वारा विरोध किया गया।
  • शरणार्थियों के पुनर्वास को लेकर भी दोनों देशों में मतभिन्नता की स्थिति है। इज़राइल इन्हें फिलिस्तीन में पुनर्स्थापित करना चाहता है और फिलिस्तीन इन्हें वास्तविक स्थानों पर पुनर्स्थापित करने की बात कहता है।
  • फिलिस्तीन, इज़राइल की प्रसारकारी नीतिओं का भी लगातार विरोध कर रहा है।

UN द्वारा उठाये गये कदम:

  • वर्ष 1947 में फिलिस्तीन-इज़राइल संघर्ष पर स्थायी समिति बनाई गई।
  • वर्ष 1973 में सीज़ फायर रोकने के लिये संकल्प 338 पारित किया गया।
  • ओस्लो शांति समझौते, मेड्रिड शांति प्रक्रिया, कैंप डेविड सम्मेलन के माध्यम से भी इस समस्या के समाधान के समाधान के प्रयास किये गए।
  • यूरोपीय संघ (EU), अमेरिका (US), संयुक्त राष्ट्र (UN) और रूस द्वारा वर्ष 2003 में एक शांति प्रस्ताव लाया गया।
  • येरूशलम को राजधानी निर्धारित करने पर भी महासभा द्वारा इज़राइल की आलोचना की गई।

उपरोक्त प्रयासों के बावजूद भी आज तक इस समस्या का समाधान नही किया जा सका है।

इस मुद्दे पर भारत का दृष्टिकोण:

  • भारत वर्ष 1974 में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला पहला गैर-इस्लामिक राष्ट्र था। भारत ने UN में फिलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता और येरुशलम को राजधानी बनाने संबंधी प्रस्तावों का भी सदैव समर्थन किया है। वर्तमान की बदलती भू-राजनीति और कृषि के आधुनिकीकरण, हथियार, विज्ञान प्रौद्यौगिकी जैसी आवश्यकताओं के कारण भारत का झुकाव इज़राइल की तरफ हो रहा है।
  • भारत को इस मुद्दे पर वैश्विक राजनीति के साथ ही साथ अरब में बड़ी संख्या में भारतीयों की संख्या और खनिज तेल आवश्यकता के मद्देनज़र अपनी नीति का निर्धारण करना चाहिये।

आगे की राह :

  • दो राज्य समाधान को मूर्त रूप प्रदान किया जाये।
  • इस मुद्दे पर अरब देशों के बजाय फिलिस्तीन को अपना पक्ष रखने दिया जाए साथ ही अरब-इज़राइल संघर्ष समाधान के लिये अलग से प्रयास किये जाएँ।
  • वर्तमान मे शरणार्थियों के लियेबेहतर नीतियाँ और कार्यक्रम बनाये जाए।
  • शरणार्थियों के कार्यक्रमों के लिये वित्त की कमी को दूर करने के लिये UN में विशेष संकल्प पारित किया जाए।

स्रोत : बिजनेस स्टैंडर्ट


भारतीय अर्थव्यवस्था

न्यूनतम मज़दूरी प्रणाली

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 (Economic Survey 2018-19) में देश की वर्तमान न्यूनतम मज़दूरी प्रणाली को तर्कसंगत और कारगर बनाने पर ज़ोर दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार, “एक अच्छी न्यूनतम मज़दूरी प्रणाली आय में असमानताओं को कम करने, लैंगिक भेदभाव और गरीबी को समाप्त करने में मदद कर सकती है।”
  • न्यूनतम मज़दूरी के इस प्रसार के बावजूद भारत में हर तीन श्रमिकों में से एक श्रमिक न्यूनतम मज़दूरी कानून द्वारा संरक्षित नहीं है।
  • इन मुद्दों को संबोधित करने के लिये सर्वेक्षण एक सरलीकृत संरचना की सिफारिश करता है जिसके अंतर्गत न्यूनतम मज़दूरी का निर्धारण या तो कौशल स्तर के आधार पर अकुशल, अर्द्ध-कुशल, कुशल और अत्यधिक कुशल के लिये अलग-अलग वेतन या भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर अथवा दोनों के आधार पर किया जाएगा।
  • इस संरचना के तहत, केंद्र सरकार ‘राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी’ को अधिसूचित करेगी जो पाँच भौगोलिक क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। ये क्षेत्र राष्ट्रीय न्यूनतम मज़दूरी के निर्धारण के लिये गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा निर्धारित किये जाएंगे।
  • राष्ट्रीय वेतन एक आधारभूत वेतन होगा जो पूरे देश में एक समान होगा। राज्यों की न्यूनतम मज़दूरी राष्ट्रीय आधारभूत वेतन से कम नहीं होगी।
  • हालाँकि राज्यों के पास उच्च स्तर पर मज़दूरी निर्धारित करने का विकल्प होगा। इस सर्वेक्षण में यह भी सिफारिश की गई है कि न्यूनतम वेतन को नियमित रूप से समायोजित करते रहना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विविध

हेनले पासपोर्ट सूचकांक

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी हेनले पासपोर्ट सूचकांक (Henley Passport Index), 2019 में भारत के पासपोर्ट को 86वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।

मुख्य बिंदु :

  • इस सूचकांक में कुल 199 पासपोर्टों और 227 छोटे-बड़े देशों को शामिल किया गया है।
  • इस सूचकांक में भारत का मोबिलिटी स्कोर 58 रहा। सरल शब्दों में कहें तो भारत के पासपोर्ट के साथ आप विश्व के 58 देशों में बिना किसी पूर्व वीज़ा के यात्रा कर सकते हैं।
  • भारत के अतिरिक्त 86वें स्थान पर मॉरिटानिया (Mauritiana) तथा साओ टोमे और प्रिंसिपे (Sao Tome and Principe) भी शामिल हैं।
  • 189 के मोबिलिटी स्कोर के साथ जापान और सिंगापुर इस सूचकांक में सबसे शीर्ष स्थान पर हैं।
  • इसके अतिरिक्त दक्षिण कोरिया, जर्मनी और फ़िनलैंड 187 के स्कोर के साथ दूसरे स्थान परहैं।
  • इस सूचकांक में सबसे निचले स्थान (109वें) पर अफग़ानिस्तान है, जिसके पासपोर्ट धारक 25 देशों में बिना किसी पूर्व वीज़ा के यात्रा कर सकते हैं।

अन्य भारतीय पड़ोसी देशों की रैंकिंग

देश रैंकिंग स्कोर
बांग्लादेश 101 39
चीन 74 70
पाकिस्तान 106 30
नेपाल 102 38
म्यांमार 97 46
भूटान 92 52
अफग़ानिस्तान 109 25


हेनले पासपोर्ट सूचकांक :

  • यह सूचकांक हेनले ग्लोबल मोबिलिटी रिपोर्ट (Henley Global Mobility Report) का एक हिस्सा है जिसे इंटरनेशनल सर्वे कंपनी हेनली एंड पार्टनर्स द्वारा जारी किया जाता है।
  • हेनले पासपोर्ट इंडेक्स दुनिया के सभी पासपोर्टों की क्रमबद्ध रैंकिंग करता है और यह भी बताता है कि किसी एक विशेष देश का पासपोर्ट धारक कितने देशों में बिना पूर्व वीज़ा के यात्रा कर सकता है।
  • यह रैंकिंग इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (International Air Transport Association - IATA) द्वारा जारी किये जाने वाले डेटा के आधार पर तैयार की जाती है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिका पर अतिरिक्त शुल्क का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत द्वारा 28 अमेरिकी सामानों पर लगाए गए अतिरिक्त सीमा शुल्क काअमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन में विरोध किया है।

प्रमुख बिंदु

  • पिछले वर्ष भारत से आयातित स्टील और एल्युमीनियम पर अमेरिका द्वारा लगाए गए एकतरफा अतिरिक्त शुल्क के विरोध में भारत द्वारा लगाए गए इस अतिरिक्त सीमा शुल्क को अमेरिका विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन मानता है।

view from washington

  • अमेरिका ने दावा किया है कि जो अतिरिक्त शुल्क, भारत ने जून 2018 और जून 2019 के बीच जारी की गई अधिसूचनाओं की श्रृंखला के माध्यम से लगाया है, यह विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization-WTO) के प्रशुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौते(General Agreement on Tariffs and Trade-GATT) के प्रावधानों से असंगत है।
  • भारत का तर्क है कि सुरक्षा उपायों परविश्व व्यापार संगठन के समझौते के तहत उसे जबाबी कार्यवाही की अनुमति है।
  • अमेरिका का कहना है कि उसके द्वारा लगाए गए टैरिफ सुरक्षात्मक उपाय नहीं हैं, बल्कि ये अमेरिकी व्यापार विस्तार अधिनियम 1962 (US Trade Expansion Act, 1962) की धारा 232 के अंतर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र लगाए गए थे।
  • यदि दो देशों के बीच विवाद का समाधान परामर्श के माध्यम से नहीं हो पाता है तो अमेरिका WTO को इस संबंध में निर्णय लेने हेतु एक पैनल गठित करने के लिये कह सकता है।

और पढें

स्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन


शासन व्यवस्था

डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न प्रयास

चर्चा में क्यों?

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Education through Information and Communication Technology- NMEICT) कार्यक्रम का संचालन कर रहा है।

प्रमुख बिंदु

इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश में सभी शिक्षार्थियों को सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराना है। इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न पहलें निम्नानुसार हैं:

स्वयं: SWAYAM

  • स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स (SWAYAM) एक एकीकृत मंच है जो स्कूल (9वीं- 12वीं) से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
  • अब तक SWAYAM पर 2769 बड़े पैमाने के ऑनलाइन कोर्सेज (Massive Open Online Courses- MOOC) बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम) की पेशकश की गई है, जिसमें लगभग 1.02 करोड़ छात्रों ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है।
  • ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का उपयोग न केवल छात्रों द्वारा बल्कि शिक्षकों और गैर-छात्र शिक्षार्थियों द्वारा भी जीवन में कभी भी सीखने के रूप में किया जा रहा है।
  • इसे swayam.gov.in पर देखा जा सकता है।
  • NCERT कक्षा IX-XII तक के लिये 12 विषयों में स्कूल शिक्षा प्रणाली हेतु बड़े पैमाने पर ऑनलाइन पाठ्यक्रमों (Massive Open Online Courses- MOOCs) का मॉड्यूल विकसित कर रहा है।
  • ये 12 विषय अकाउंटेंसी, व्यावसायिक अध्ययन, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, आर्थिकी, इतिहास, भूगोल, गणित, भौतिकी, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान और समाजशास्त्र हैं
  • पहली बार में बारह पाठ्यक्रम शुरू किये गए थे इसमें विभिन्न पाठ्यक्रमों में लगभग 22,000 छात्र पंजीकृत थे। दूसरी बार बीस पाठ्यक्रम शुरू किये गए जिसमें लगभग 33,000 छात्र पंजीकृत थे।

स्वयं प्रभा: SWAYAM Prabha

  • यह 24X7 आधार पर देश में सभी जगह डायरेक्ट टू होम (Direct to Home- DTH) के माध्यम से 32 उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक चैनल प्रदान करने की एक पहल है।
  • इसमें पाठ्यक्रम आधारित पाठ्य सामग्री होती है जो विविध विषयों को कवर करती है।
  • इसका प्राथमिक उद्देश्य गुणवत्ता वाले शिक्षण संसाधनों को दूरदराज़ के ऐसे क्षेत्रों तक पहुँचाना है जहाँ इंटरनेट की उपलब्धता अभी भी एक चुनौती बनी हुई है।

राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी : National Digital Library (NDL)

  • भारत की राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी (National Digital Library of India-NDL) एक एकल-खिड़की खोज सुविधा (Single-Window Search Facility) के तहत सीखने के संसाधनों के आभासी भंडार का एक ढाँचा विकसित करने की परियोजना है।
  • इसके माध्यम से यहाँ 3 करोड़ से अधिक डिजिटल संसाधन उपलब्ध हैं।
  • सामग्री में शिक्षा के लगभग सभी प्रमुख डोमेन और जीवनभर सीखने वाले शिक्षार्थियों के सभी प्रमुख स्तर शामिल हैं।
  • लगभग 20 लाख सक्रिय उपयोगकर्त्ताओं के साथ 50 लाख से अधिक छात्रों ने इसमें अपना पंजीकरण कराया है।
  • NDL एक मोबाइल एप के माध्यम से भी उपलब्ध है। इसे ndl.gov.in पर देखा जा सकता है।

स्पोकन ट्यूटोरियल: Spoken Tutorial

  • छात्रों की रोजगार क्षमता को बेहतर बनाने के लिये ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर पर 10 मिनट के ऑडियो-वीडियो ट्यूटोरियल उपलब्ध हैं।
  • यह सभी 22 भाषाओं की उपलब्धता के साथ ऑनलाइन संस्करण है जो स्वयं सीखने के लिये बनाया गया है।
  • भाषाओं में C, C, Java, PHP, Python, PerL, Scilab, OpenFOAM, OpenModelica, DWSIM, LibreO आदि हैं।
  • स्पोकन ट्यूटोरियल के माध्यम से बिना शिक्षक की उपस्थिति के पाठ्यक्रम को प्रभावी रूप से नए उपयोगकर्त्ता को प्रशिक्षित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

शिक्षा के लिये मुफ्त और मुक्त स्रोत सॉफ़्टवेयर

Free and Open Source Software for Education- FOSSEE

  • FOSSEE शिक्षण संस्थानों में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के उपयोग को बढ़ावा देने वाली एक परियोजना है।
  • यह शिक्षण सामग्री, जैसे कि स्पोकन ट्यूटोरियल्स, डॉक्यूमेंटेशन, जागरूकता कार्यक्रम, यथा कॉन्फ्रेंस, ट्रेनिंग वर्कशॉप एवं इंटर्नशिप के माध्यम से किया जाता है।
  • इस परियोजना में लगभग 2,000 कॉलेज के छात्रों और शिक्षकों ने इस गतिविधि में भाग लिया है।

Virtual Lab: वर्चुअल लैब

  • इस प्रोजेक्ट का उपयोग प्राप्त ज्ञान की समझ का आकलन करने, आँकड़े एकत्र करने और सवालों के उत्तर देने के लिये पूरी तरह से इंटरैक्टिव सिमुलेशन एन्वायरनमेंट (Interactive Simulation Environment) विकसित करना है।
  • महत्त्वाकांक्षी परियोजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने, वास्तविक दुनिया के वातावरण और समस्याओं से निपटने की क्षमता विकसित करने के लिये अत्याधुनिक कंप्यूटर सिमुलेशन तकनीक के साथ आभासी प्रयोगशालाओं को विकसित करना आवश्यक है।
  • इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत 1800 से अधिक प्रयोगों के साथ लगभग 225 ऐसी प्रयोगशालाएँ संचालित हैं और 15 लाख से अधिक छात्रों को लाभ प्रदान कर रही हैं।

ई-यंत्र: e-Yantra

  • यह भारत में इंजीनियरिंग कॉलेजों में एम्बेडेड सिस्टम (Embedded Systems) और रोबोटिक्स (Robotics) पर प्रभावी शिक्षा को सक्षम करने की एक परियोजना है।
  • शिक्षकों और छात्रों को प्रशिक्षण कार्यशालाओं के माध्यम से एम्बेडेड सिस्टम और प्रोग्रामिंग की मूल बातें सिखाई जाती हैं।
  • इस पहल से पूरे भारत के 275 से अधिक कॉलेज लाभान्वित हुए हैं।
    • मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा विभाग (Department of School Education) के अंतर्गत शिक्षार्थियों की ऑनलाइन संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये निम्नलिखित योजनाएँ चलाई गई हैं।
  • NCERT द्वारा ई- रिसोर्सेज़ (eResources जैसे ऑडियो, वीडिओ इंटरएक्टिव आदि) के रूप में विकसित अध्ययन सामग्री को वेब पोर्टल्स के माध्यम से हितधारकों के साथ साझा किया गया है। उदाहरण के लिये स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स (SWAYAM), ई- पाठशाला (ePathshala), नेशनल रिपोजिटरी ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज़ (NROER) और मोबाइल एप्लीकेशंस।
  • एक वेब पोर्टल (http://epathshala.nic.in/, http://epathshala.gov.in/) और मोबाइल एप (Android, iOS और Windows) डिज़ाइन किये गए हैं। जिनका संचालन भी किया जा रहा है।
  • पोर्टल में 1886 ऑडियो, 1999 वीडियो, 698 ई-पुस्तकें (ई-पब) और 504 फ्लिप पुस्तकें हैं।

त्वरित प्रतिक्रिया: Quick Response (QR)

  • छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और शिक्षकों को डिजिटल संसाधनों का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिये QR कोड बनाए गए हैं।
  • QR कोड को किताबों के प्रत्येक अध्याय के साथ एनसीईआरटी की विधिवत मैपिंग eResources की मुद्रित पाठ्य पुस्तकों के साथ एकीकृत किया गया है।

नेशनल रिपोजिटरी ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज़ (NROER)

(http://nroer.gov.in/welcome) को NCERT द्वारा डिज़ाइन किया गया है।.

  • अब तक कुल 14145 फाइलें जिनमें 401 संग्रह, 2779 दस्तावेज़, 976 इंटरैक्टिव, 1664 ऑडियो, 2586 चित्र और 6140 वीडियो अपलोड किये गए हैं।
  • शिक्षा में ICT (Information and Communications Technology) ICT के क्षेत्र में कई पहलें की गई हैं, जैसे छात्रों और शिक्षकों के लिये ICT पाठ्यक्रम का विकास और प्रसार, नौवीं कक्षा के लिये ICT पाठ्यपुस्तक, साइबर सुरक्षा और सुरक्षा दिशा-निर्देश, स्वयम् प्रभा डीटीएच टीवी चैनल, किशोर मंच, ऑल इंडिया ऑडियो-वीडियो उत्सव और ICT मेला, स्कूल के शिक्षकों को राष्ट्रीय ICT पुरस्कार आदि।

शिक्षा पाठ्यक्रम में सूचना व संचार तकनीक (Information and Communications Technology) छात्रों, शिक्षकों और शिक्षक शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय स्तर पर विकसित किया गया है और देश भर में लागू किया जा रहा है।

  • CBSE द्वारा डिजिटल शिक्षण पहल: सारांश ( SARANSH) CBSE संबद्ध स्कूलों और अभिभावकों के लिये स्वयं समीक्षा और विश्लेषण करने का एक उपकरण है।
  • यह उन्हें उपचारात्मक उपाय करने के लिये छात्रों के प्रदर्शन का विश्लेषण करने में सक्षम बनाता है।
  • SARANSH स्कूलों, शिक्षकों और माता-पिता को एक-दूसरे के करीब लाता है, ताकि वे छात्रों की प्रगति की निगरानी कर सकें और उनके प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद कर सकें।
  • यह वर्तमान में मानक कक्षा IX - XII तक के लिये उपलब्ध है।

क्लासरूम सेंट्रिक डिजिटल हस्तक्षेप:

A scheme Operation Digital Board (ODB)

  • सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की नौवीं से बारहवीं कक्षा में स्मार्ट कक्षाओं की स्थापना के लियेएक योजना ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड (Operation Digital Board) पर विचार चल रहा है।

स्रोत- PIB


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (5 July)

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना पहला बजट पेश करने से पहले 4 जुलाई को वर्ष 2018-19 का आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया।

Indian Economy

Economic Survey

  • असम की तर्ज़ पर अब नगालैंड ने भी अपना स्थानीय NRC बनाने की तैयारी कर ली है। इसी 10 जुलाई से इस पर काम शुरू होने जा रहा है तथा इसके लिये 60 दिनों की समय-सीमा तय की गई है। इस National Register of Citizens (NRC) को तैयार करने का प्रमुख उद्देश्य राज्य में स्थानीय और बाहरी लोगों की पहचान करना है। गौरतलब है कि राज्य में अक्सर बाहरी लोगों पर स्थानीय निवासी का प्रमाणपत्र हासिल करने के आरोप लगते रहे हैं। राज्य सरकार ने इस पूरी कवायद के लिये 60 दिनों की समय-सीमा तय की है। Register of Indigenous Inhabitants of Nagaland (RIIN) नामक यह अभियान पूरी तरह NRC के तौर पर ही काम करेगा। बाद में लोग इसमें अपने दावे और आपत्तियाँ भी दाखिल कर सकेंगे। हर पाँच साल बाद इस रजिस्टर का डेटा अपडेट किया जाएगा। इसके लिये कई टीमों का गठन किया जाएगा जो गाँव-गाँव जाकर आँकड़े जुटाएंगी जिसमें संबंधित व्यक्ति के वोटर कार्ड, पैन कार्ड और आधार कार्ड से संबंधित आँकड़े भी शामिल होंगे। इसके पूरा होने के बाद सिर्फ राज्य के मूल निवासियों की होने वाली संतानों को ही जन्म प्रमाणपत्र के साथ मूल निवासी का प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। रजिस्टर तैयार होने के बाद पहले के तमाम प्रमाणपत्रों को रद्द कर सभी मूल निवासियों को बार कोड वाले नए प्रमाणपत्र जारी किये जाएंगे जिनमें संबंधित व्यक्ति का पूरा ब्योरा दर्ज होगा।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने फैसलों की कॉपी हिंदी सहित 6 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की बात कही है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले अब तक केवल अंग्रेज़ी भाषा में ही अपलोड किये जाते रहे हैं। अब उन्हें हिंदी में भी अनुवाद कर वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा तथा इसके साथ ही कन्नड़, असमिया, ओड़िया और तेलुगू जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में भी फैसला आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड होगा। आपको बता दें कि लंबे समय से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के फैसलों की कॉपी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध करने की मांग होती रही है। हिंदी और क्षेत्रीय भाषा में फैसले उपलब्ध होने से अंग्रेज़ी नहीं समझने वाले लोगों को फायदा होगा। शुरुआत में सिविल मैटर जिनमें दो लोगों के बीच विवाद हो, क्रिमिनल मैटर, मकान मालिक और किरायेदार का मामला तथा वैवाहिक विवाद से संबंधित मामले के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में अपलोड किया जाएगा। 500 पेज और बहुत विस्तृत फैसलों का संक्षिप्त सार ही अपलोड किया जाएगा।
  • केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की है। वर्ष 2019-20 के लिये मुख्य खरीफ फसल धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3.7 प्रतिशत बढ़ाकर 1815 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है। धान के MSP में 65 रुपए प्रति क्विंटल, ज्वार में 120 रुपए प्रति क्विंटल तथा रागी के MSP में 253 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई। इसके अलावा तुअर, मूंग और उड़द दालों का MSP भी क्रमश: 215 रुपए, 75 रुपए और 100 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। मूंगफली में 200 रुपए क्विंटल तथा सोयाबीन में 311 रुपए क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। मध्यम कपास का MSP 105 रुपए क्विंटल तथा लंबे कपास का MSP 100 रुपए क्विंटल बढ़ाया गया है। ज्ञातव्य है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत है, जिस पर केंद्र सरकार किसानों को उनकी उपज का भुगतान करने की गारंटी देती है।
  • प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्त्ता और बांग्लादेश के नोआखाली में गांधी आश्रम ट्रस्ट की सचिव झरना धरा चौधरी का 27 जून को ढाका में निधन हो गया। उनकी गिनती प्रख्यात गांधीवादियों में होती है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन शांति, सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिये समर्पित कर दिया। वह अहिंसा और सांप्रदायिक सद्भाव के गांधीवादी सिद्धांतों से बेहद प्रभावित थीं। उनके काम की पहचान को मान्यता देते हुए वर्ष 2013 में उन्हें पद्मश्री, वर्ष 2010 में गांधी सेवा पुरस्कार तथा वर्ष 1998 में जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें गांधी सेवा पुरस्कार और सामाजिक कार्यों के लिये एकुशे (Ekushey) पदक जैसे कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिले। आपको बता दें कि नोआखाली में गांधी आश्रम ट्रस्ट महिलाओं की आय बढ़ाने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करता है और गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करता है।
  • प्रख्यात औद्योगिक समूह बिड़ला परिवार के सबसे वरिष्ठ सदस्य बसंत कुमार बि़ड़ला का 3 जून को 98 वर्ष की उम्र में मुंबई में निधन हो गया। वह वर्तमान दौर के प्रसिद्ध उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के दादा थे। वह महात्मा गांधी के नज़दीकी उद्योगपति घनश्यामदास बिड़ला के सबसे छोटे पुत्र और आदित्य विक्रम बिड़ला के पिता थे। 80 वर्ष पूर्व बसंत कुमार बिड़ला ने व्यापार की कमान संभाल ली थी और सबसे पहले केसोराम इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन बने थे। इसके बाद उन्होंने कॉटन, विस्कॉस, पॉलियेस्टर, नायलॉन, रिफ्रेक्ट्री पेपर, शिपिंग, टायर कॉर्ड, ट्रांसपेरेंट पेपर, सीमेंट, चाय, कॉफी, इलायची, केमिकल्स, प्लाइवुड आदि में अपने समूह को शीर्ष पर पहुँचाया। इसके अलावा वह कई चेरिटेबल ट्रस्ट और शिक्षा संस्थानों से जुड़े हुए थे।

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