पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री का महत्त्व
संदर्भ
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री (Public Credit Registry- PCR) स्थापित करने का मुद्दा उठाया था जिसमें अद्वितीय पहचानकर्त्ता के रूप में व्यक्तिगत उधारकर्ताओं के लिये आधार और फर्मों हेतु कॉर्पोरेट पहचान संख्या शामिल थी। साथ ही यह सुझाव भी दिया गया था कि इस रजिस्ट्री में ऋण से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियों का संग्रह किया जाए ताकि आवश्यकता पड़ने पर उधारकर्त्ता से संबंधित डेटा को बैंकों जैसे हितधारकों को उपलब्ध कराया जा सके।
पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री क्या है?
- पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री एक सूचना भंडार है जो व्यक्तियों और कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के सभी प्रकार के ऋणों से संबंधित जानकारियों के संग्रहण का कार्य करती है।
- क्रेडिट का संग्रहण बैंकों को खराब और अच्छे उधारकर्ता के बीच अंतर स्थापित करने में मदद करता है जिसके अनुसार बैंक अच्छे उधारकर्ताओं को आकर्षक ब्याज दरें प्रदान करता है और खराब उधारकर्ताओं के लिये उच्च ब्याज दरें निर्धारित करता है।
PCR के लाभ
- PCR के माध्यम से सूचना विषमता जैसी समस्याओं को हल किया जा सकेगा, ऋण उपलब्धता की स्थिति में सुधार होगा और उपभोक्ताओं के बीच क्रेडिट संस्कृति मजबूत होगी।
- इससे बैंकों में चल रही बैड लोन की समस्या को हल करने में भी सहायता मिल सकती है, क्योंकि कॉर्पोरेट देनदार मौजूदा ऋण का खुलासा किये बिना बैंकों से उधार लेने में सक्षम नहीं होंगे।
- PCR, वैश्विक व्यापार सुगमता सूचकांक में भारत की रैंक सुधारने में भी मदद कर सकता है।
- PCR की स्थापना से विश्व बैंक के ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार करने में भी सहायता मिलेगी।
PCR ज़रूरी क्यों है?
- वर्तमान में ऋण से संबंधित जानकारी बिट्स और टुकडों में तथा कई माध्यमों के ज़रिये उपलब्ध हो पाती है, न कि केवल एक ही प्रणाली में इसलिये ऋण से संबंधित सभी जानकारियों को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराए जाने के लिये PCR आवश्यक है।
- बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, कॉर्पोरेट बॉण्ड या बाज़ार से डिबेंचरों, विदेशी वाणिज्यिक उधार, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉण्ड, मसाला बॉण्ड और अंतर-कॉर्पोरेट उधार से संबंधित जानकारी किसी संग्रहण में उपलब्ध नहीं है। PCR स्थापित किये जाने से ये सभी जानकारियाँ उपलब्ध हो सकेंगी।
- PCR के माध्यम से एक उधारकर्त्ता के बारे में सभी प्रासंगिक जानकारियों को एक ही स्थान पर संग्रहीत किया जा सकेगा।
- यह अन्य ऋणों के संबंध में उधारकर्त्ता के प्रदर्शन को ट्रैक करके उसकी संपत्ति की गुणवत्ता के बारे में प्रारंभिक चेतावनियाँ जारी कर सकता है।
अन्य देशों में PCR की स्थिति
- वर्तमान समय में अन्य देशों के PCR में लेन-देन से संबंधित अन्य आँकड़ों को भी शामिल किया गया है, जैसे कि खुदरा उपभोक्ताओं के लिये बिजली और दूरसंचार के भुगतान से संबंधित आँकड़े और व्यवसायियों के व्यापार ऋण से संबंधित आँकड़े।
- यह व्यापार लेन-देन में ग्राहकों की क्रेडिट गुणवत्ता का संकेत प्रदान करती है।
निष्कर्ष
- ऋण विवरण और पूर्व में किये गए भुगतान की जानकारी उपलब्ध होने से उधार देने की प्रक्रिया में नवीनता आएगी। उदाहरण के लिये, वर्तमान में अधिकांश बैंक ऋण देने हेतु बड़ी कंपनियों की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं जिसके परिणामस्वरूप सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के पास उधार लेने के लिये सीमित विकल्प ही उपलब्ध हो पाते हैं।
- PCR, पूर्व में किये गए संतोषजनक भुगतान और ऋण से संबंधित विधिमान्य विवरण उपलब्ध कराने के साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिये ऋण की उपलब्धता में वृद्धि करेगा। यह वित्तीय समावेशन की नीति का भी समर्थन करेगा।
एशियाई खेल और भारत
चर्चा में क्यों?
18वें एशियाई खेलों (एशियन खेलों) का आयोजन इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में 18 अगस्त से 2 सितंबर तक किया गया। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि एशियाई खेलों में भारत का अब तक का यह सर्वश्रेठ प्रदर्शन माना जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- इससे पहले वर्ष 1962 में जकार्ता में इन खेलों का आयोजन किया गया था। एशियाई खेल- 2018 का आयोजन इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबांग में किया जा रहा है, गौरतलब है कि यह पहली बार है जब एशियाई खेलों का आयोजन दो शहरों में किया जा रहा है।
- एशियाई खेल- 2018 के उद्घाटन समारोह में भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने भारतीय दल की अगुवाई की, जबकि समापन समारोह में भारत की ध्वजवाहक भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल थी।
- एशियाई खेलों को एशियाड नाम से भी जाना जाता है। इसका आयोजन प्रत्येक चार वर्ष में किया जाता है।
- 18वें एशियाई खेलों के तीन शुभंकर भिन-भिन (स्वर्ग की चिड़िया), अतुंग (एक हिरण) और काका (एक गैंडा) है।
- इन तीन शुभंकरों ने एक शुभंकर द्रावा का स्थान लिया है। ये तीनों शुभंकर देश के पूर्वी, पश्चिमी और मध्य क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- उल्लेखनीय है कि 19वें एशियाई खेलों का आयोजन वर्ष 2022 में चीन के हांगझोऊ (झेजियांग) शहर में होगा।
एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ
- भारतीय खिलाड़ियों ने 18वें एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य पदकों सहित कुल 69 पदक देश के नाम किये और इस तरह भारत पदक तालिका में आठवें स्थान पर रहा।
- उल्लेखनीय है कि इस प्रदर्शन के साथ ही भारत ने 2010 में सबसे ज्यादा पदक हासिल करने के 2010 के अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
- हरियाणा के झज्जर ज़िले के 24 वर्षीय भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने 18वें एशियाई खेलों के पहले ही दिन देश के लिये पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
- ब्रिज शतरंज इनडोर खेल में 60 वर्षीय प्रणब बर्धन एवं 56 वर्षीय शिवनाथ सरकार ने स्वर्ण पदक हासिल किया और इस प्रकार 18वें एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले वे सबसे उम्रदराज व्यक्ति बन गए।
- इसके अलावा 16 वर्षीय सौरभ चौधरी ने 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में भारत के लिये स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। साथ ही वह एशियाई खेलों में सबसे कम उम्र में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी बने।
- राही सरनोबत ने 25 मीटर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया और इसी के साथ एशियाई खेल में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई।
- भारत की स्वप्ना बर्मन ने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीता, इस स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली वह भारतीय हैं।
- इसके साथ ही विनेश फोगाट ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रचा।
- इसके अलावा, प्रमुख रूप से स्वर्ण पदक हासिल करने वालों में पंजाब के एथलीट अपरिंदर सिंह (ट्रिपल जंप), तेजिंदरपाल सिंह तूर (पुरुषों की शॉटपुट स्पर्द्धा), मनजीत सिंह (800 मीटर रेस), रोहन बोपन्ना और दिविज शरन (टेनिस में पुरुष युगल प्रतिस्पर्द्धा), धावक जिनसन जॉनसन (पुरुषों की 1500 मीटर स्पर्द्धा ) शामिल हैं।
- साथ ही भारतीय धाविका हिमा दास ने महिला 400 मीटर में नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ रजत पदक जीता। उल्लेखनीय है कि उन्होंने इस जीत के साथ अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा है।
- एशियाई खेलों में पारंपरिक मार्शल आर्ट कुराश में भारत की पिंकी बल्हारा ने महिलाओं के 52 किग्रा. वर्ग में रजत पदक जीता।
- बैडमिंटन में पी.वी. सिंधु ने रजत पदक हासिल किया वे एशियाई खेलों में बैडमिंटन में रजत पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय बनी।
- महिला 200 मीटर दौड़ में एथलेटिक्स दुती चंद ने रजत पदक जीता।
- उल्लेखनीय है कि फ़वाद मिर्जा एशियाई खेलों की घुड़सवारी प्रतियोगिता में 1982 के बाद व्यक्तिगत रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।
- एशियाई खेलों में 15 साल के शूटर शार्दुल विहान ने डबल ट्रैप स्पर्द्धा में रजत पदक हासिल किया।
- एशियाई खेलों में भारतीय महिला कबड्डी टीम ने रजत, जबकि पुरुष कबड्डी टीम ने कांस्य पदक हासिल किया।
- साथ ही महिला हॉकी टीम ने रजत पदक जबकि पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता।
संयुक्त राष्ट्र ने समुद्री जैव विविधता की सुरक्षा के लिये शुरू की वार्ता
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने सागरों और महासागरों में जैव विविधता के संरक्षण से संबंधित संधि 2020 पर वार्ता की शुरुआत की है।
प्रमुख बिंदु
- वार्ता के चार सत्र (प्रत्येक सत्र दो सप्ताह के लिये) आयोजित किये जाने की योजना है। उल्लेखनीय है कि इन वार्ताओं का आयोजन 2 वर्षों के दौरान किया जाएगा।
- इन वार्ताओं का उद्देश्य समुद्री जैव विविधता की रक्षा करना और महासागरों में होने वाले अतिक्रमण पर रोक लगाना है।
- वार्ता राष्ट्रीय क्षेत्राधिकारों या विशेष रूप से किसी भी देश से संबंधित क्षेत्रों से परे रिक्त स्थान से संबंधित होगी।
- बातचीत समुद्रों के संरक्षित क्षेत्रों, समुद्री संसाधनों और प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक साझाकरण के साथ ही पर्यावरणीय प्रभावों के शोध पर ध्यान केंद्रित करेगी।
संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि
- संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UN Convention on the Law of the Sea-UNCLOS) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो विश्व के सागरों और महासागरों पर देशों के अधिकार और ज़िम्मेदारियों का निर्धारण करती है और समुद्री साधनों के प्रयोग के लिये नियमों की स्थापना करती है।
- संयुक्त राष्ट्र ने इस कानून को वर्ष 1982 में अपनाया था लेकिन यह नवंबर 1994 में प्रभाव में आया। उल्लेखनीय है कि उस समय यह अमेरिका की भागीदारी के बिना ही प्रभावी हुआ था।
संधि के प्रमुख प्रावधान:
- क्षेत्रीय समुद्र के लिये 12 नॉटिकल मील सीमा का निर्धारण।
- अंतर्राष्ट्रीय जलडमरूमध्य के माध्यम से पारगमन की सुविधा।
- द्वीप समूह और स्थलबद्ध देशों के अधिकारों में वृद्धि।
- तटवर्ती देशों हेतु 200 नॉटिकल मील EEZ (Exclusive Economic Zone) का निर्धारण।
- राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर गहरे समुद्री क्षेत्र में खनिज संसाधनों के दोहन की व्यवस्था।
क्यों मौन हैं कुछ देश इस मुद्दे पर?
- व्हेल का शिकार करने वाले कुछ राष्ट्रों जैसे जापान, आइसलैंड और नॉर्वे के दूसरे देशों की तुलना में अधिक सतर्क होने की उम्मीद है क्योंकि वे मछली पकड़ने के अत्यधिक सख्त प्रतिबंधों से डरते हैं।
- अमेरिका भी इस मुद्दे पर मौन है क्योंकि ये सभी समुद्री संसाधनों के विनियमन का विरोध कर रहे हैं और इन देशों द्वारा समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की पुष्टि नहीं की गई है।
- इसके अलावा रूस ने भी लंबे समय से इस वार्ता से स्वयं को अलग रखा है।
भारत के राष्ट्रपति की साइप्रस यात्रा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने साइप्रस समकक्ष निकोस अनास्तासीड्स से मुलाकात की और दोनों देशों ने मनी लॉन्ड्रिंग तथा पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित दो प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यूरोपीय देशों के साथ भारत के उच्चस्तरीय कार्यक्रमों को जारी रखने के लिये यूरोप के तीनों देशों की यात्रा के पहले चरण में साइप्रस में उपस्थित रहे।
- भारतीय राष्ट्रपति तीन यूरोपीय देशों-साइप्रस, बुल्गारिया और चेक रिपब्लिक के आठ दिवसीय दौरे पर हैं।
- इस दौरान भारतीय राष्ट्रपति ने कहा कि हम भारत की वित्तीय सूचना इकाई और साइप्रस में मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिये बनाई गई यूनिट के बीच हुए समझौते का स्वागत करते हैं।
- उन्होंने यह भी कहा कि भारत और साइप्रस के बीच हुए एंटी मनी लॉन्ड्रिंग समझौते से दोनों देशों के बीच निवेश के क्षेत्र में मदद मिलेगी।
- यह समझौता निवेश पार-प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिये संस्थागत ढाँचे को और मज़बूत बनाने में मदद करेगा।
- दोनों देश दोहरे कराधान से बचने के लिये वर्ष 2016 में हुए समझौते में संशोधन करने पर भी सहमत हुए।
- इसके अलावा दोनों देशों के प्रमुखों ने पारस्परिक हित से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें आईटी और आईटी-सक्षम सेवाओं, पर्यटन, नौवहन तथा नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापार सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है।
- दोनों देशों ने मौजूदा द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों की समीक्षा के साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।
- उल्लेखनीय है कि इस यात्रा के दौरान दोनों देशों द्वारा भविष्य में उत्त्पन्न होने वाली चुनौतियों पर बातचीत करने के लिये सामान्य उद्देश्यों को रेखांकित किया गया।
नीति आयोग के विशेषज्ञ समूह द्वारा हिमालयी झरनों को बचाने का आग्रह
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग द्वारा गठित विशेषज्ञों के एक समूह ने सरकार से देश के हिमालयी राज्यों में झरना जल प्रणालियों को नुकसान से बचाने और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिये एक समर्पित मिशन स्थापित करने का आग्रह किया है, क्योंकि ये क्षेत्र के निवासियों के लिये पीने और सिंचाई दोनों कार्य हेतु जल के स्रोत के रूप में शीर्ष प्राथमिकता रखते हैं।
प्रमुख बिंदु
- देश के उत्तर और पूर्वोत्तर राज्यों में फैला हुआ और लगभग 5 करोड़ लोगों को आवास प्रदान करने वाला भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) इन प्राकृतिक भूजल स्रोतों पर काफी हद तक निर्भर है, जो विकास और जलवायु परिवर्तन से निरंतर प्रेरित शहरीकरण के कारण बढ़े हुए खतरे के अंतर्गत आता है।
- विशेषज्ञ समूह ने “जल सुरक्षा के लिये हिमालय में झरनों की सूची और पुनरुद्धार” नामक अपनी रिपोर्ट में कहा, "लगभग आधे बारहमासी झरने पहले ही सूख गए हैं या मौसम आधारित हो गए हैं और हज़ारों गाँवों को वर्तमान में पीने तथा अन्य घरेलू उद्देश्यों के लिये पानी की कमी की विकट स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।"
- रिपोर्ट के लेखकों, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के विशेषज्ञ शामिल थे, ने रिपोर्ट में कहा कि हिमालयी क्षेत्र में छोटे आवासों के लिये जल प्रदान करने वाले लगभग 60% निम्न-निर्वहन वाले झरनों ने पिछले कुछ दशकों में स्पष्ट गिरावट दर्ज की है।
- इसके अलावा हिमालय में कृषि क्षेत्र के लगभग 64% भाग को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही ये प्राकृतिक झरने अक्सर इस क्षेत्र में सिंचाई के एकमात्र स्रोत होते हैं।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, 3,810 गाँवों में झरनों की उपस्थिति के साथ मेघालय में सभी पूर्वी हिमालयी राज्यों की तुलना में इन जल स्रोतों की सबसे ज़्यादा संख्या थी, वहीं सबसे अधिक घनत्व सिक्किम में था जहाँ 94% गाँवों में झरने थे।
- पश्चिमी हिमालय में सबसे ज़्यादा 3,313 गाँवों में झरने और 50.6% का सर्वाधिक घनत्व, दोनों जम्मू-कश्मीर में थे।
शिमला का संकट
- हाल ही में पहाड़ी क्षेत्र में विकट संकट की स्थिति तब स्पष्ट रूप से देखी गई जब हिमाचल प्रदेश के आधे दर्जन ज़िलों और राज्य की राजधानी शिमला को मुख्य जल स्रोतों के पूर्णतः या आंशिक रूप से सूख जाने के बाद इसी वर्ष मई माह में गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड़ा।
- जबकि राज्य अधिकारियों के अनुसार, खराब जल प्रबंधन को मुख्य कारण माना गया, लेकिन इस संकट के योगदानकर्त्ता के रूप में उन्होंने झरनों से निम्न जल प्रवाह और कम बर्फ के पिघलने को भी ज़िम्मेदार ठहराया।
झरनों में प्रदूषण
- रिपोर्ट में कहा गया है कि झरनों में प्रदूषण के कई स्रोत पाए गए और यह भूगर्भीय या 'प्राकृतिक' और मानवजनित या मानव निर्मित दोनों के कारण हुआ। माइक्रोबियल सामग्री, सल्फेट्स और नाइट्रेट का कारण मुख्य रूप से मानवजनित स्रोत थे एवं फ्लोराइड, आर्सेनिक व लौह से प्रदूषण का कारण मुख्य रूप से भूगर्भीय स्रोत थे।
- झरनों के पानी में कोलिफोर्म बैक्टीरिया (Coliform Bacteria) सेप्टिक टैंक, घरेलू अपशिष्ट जल, पशुधन और स्रोत क्षेत्र में खाद से या झरने को जलीय चट्टानी परत से जल प्राप्त होने के कारण उत्पन्न हो सकते हैं। इसी तरह झरनों में नाइट्रेट के स्रोत का कारण सेप्टिक टैंक, घरेलू अपशिष्ट जल, कृषि उर्वरक और पशुओं से है।
झरनों के प्रंबंधन हेतु कार्य-योजना
- विशेषज्ञ समूह, झरनों के प्रबंधन हेतु बहुआयामी, सहयोगी दृष्टिकोण जिसमें झरना जल प्रबंधन के मौजूदा कार्यों के साथ-साथ निकाय को व्यवस्थित रूप से और अधिक मज़बूती प्रदान करना शामिल होगा, की सिफारिश करता है।
- इस कार्यक्रम को झरना जल प्रबंधन पर जल-भूविज्ञान आधारित, सामुदायिक-समर्थन प्रणाली के हिस्से के रूप में एक एक्शन-रिसर्च प्रोग्राम की अवधारणा पर प्रारूपित किया जा सकता है।
- समूह ने इस पर विशेष ध्यान दिया कि “500 कस्बों और 10 शहरों की वज़ह से विकसित होते शहरीकरण के कारण भारतीय हिमालयी क्षेत्र के 60,000 से अधिक गाँवों के जल संसाधनों पर जनसांख्यिकीय दबाव बढ़ रहा है।”
- यह कार्यबल झरना जल प्रबंधन का कायापलट करने के लिये 8 साल के कार्यक्रम अपनाए जाने हेतु विचार करता है। इसमें शामिल हैं: देश के झरनों के लिये डिजिटल एटलस तैयार करना, 'पैरा-हाइड्रोजियोलॉजिस्ट' को प्रशिक्षण देना जो 'झरना स्वास्थ्य कार्ड' के ज़मीनी स्तर पर संरक्षण और भूमिका का नेतृत्व कर सकते हैं।
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 04 सितंबर, 2018
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हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों द्वारा चेतावनी दी गई है कि एक सुपरबग जो सभी ज्ञात एंटीबायोटिक दवाओं का प्रतिरोधी है तथा गंभीर संक्रमण यहाँ तक कि मौत का भी कारण बन सकता है, दुनिया भर के अस्पतालों के वार्डों में अज्ञात रूप से फ़ैल रहा है।
MRSA
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कुछ माह पूर्व पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी ज़िले में एक मंदिर के तालाब में श्रद्धालुओं द्वारा फेंके गए तेल, अगरबत्ती, फूल और अन्य वस्तुओं के कारण उस तालाब का प्रदूषित होने से इसमें रहने वाले इंडियन रुफ्ड टर्टल Indian Roofed Turtle (Pangshura tecta) की एक छोटी आबादी का जीवन संकट में पड़ गया था।
इंडियन रुफ्ड टर्टल
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