भारतीय अर्थव्यवस्था
जम्मू-कश्मीर में होगा पहला निवेशक शिखर सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
राज्य में निवेश बढ़ाने और राज्य के संबंध में चली आ रही गलत धारणाओं को समाप्त करने के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर इस वर्ष अपने पहले निवेशक शिखर सम्मेलन (Investor Summit) की मेज़बानी करेगा।
मुख्य बिंदु :
- जम्मू-कश्मीर का यह पहला निवेशक शिखर सम्मेलन श्रीनगर में सितंबर-अक्तूबर के मध्य आयोजित किया जाएगा।
- आयोजन से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, इस सम्मेलन में भारत के शेष राज्यों के अतिरिक्त कम-से-कम आठ अन्य देशों की भागीदारी की उम्मीद की जा रही है।
- जम्मू-कश्मीर के इस पहले शिखर सम्मेलन में उसके मुख्य क्षेत्रकों जैसे - पर्यटन, बागवानी और हस्तशिल्प आदि के अतिरिक्त बिजली और विनिर्माण क्षेत्रों पर भी ज़ोर दिया जाएगा।
- निवेश विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य में अत्यधिक निवेश न होने का प्रमुख कारण वैश्विक स्तर पर राज्य की नकारात्मक छवि है।
- इस शिखर सम्मेलन से यह आशा की जा रही है कि यह वैश्विक पटल पर राज्य की नकारात्मक छवि को परिवर्तित करने में मदद करेगा।
- इस संदर्भ में भूमि संबंधी कानून बाधक बन रहे हैं क्योंकि जम्मू कश्मीर में भूमि के स्वामित्व को नियंत्रित करने वाले कानून राज्य के बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को राज्य में भूमि या अचल संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं देते हैं।
- हालाँकि वर्ष 1978 में पारित भूमि अनुदान विधेयक (the Land Grants Bill) के अनुसार, राज्य सरकार के पास बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को राज्य में 99 वर्षों के लिये भूमि पट्टे पर देने की शक्ति है।
- राज्य सरकार इस चुनौती का सामना करने के लिये राज्य की कुछ भूमि को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में नामांकित कर सकती है और पट्टे पर दी जाने वाली भूमि की अवधि भी बढ़ा सकती है।
- लेकिन इस प्रकार के सभी सुझाव सदैव ही राज्य में आम नागरिकों की आलोचना और विरोध का शिकार रहे हैं।
वर्तमान में जम्मू-कश्मीर राष्ट्रपति शासन के अधीन है जिसे पिछले सप्ताह संसद में वोटिंग के बाद 6 महीनों के लिये बढ़ा दिया गया है।
स्रोत: द हिंदू
शासन व्यवस्था
संसद द्वारा केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक, 2019 पारित
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संसद द्वारा केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक, 2019 [Central Educational Institutions (Reservation in Teachers’ Cadre) Bill, 2019] पारित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह विधेयक "केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षकों के संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश, 2019" को प्रतिस्थापित करेगा ।
- केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक, 2019 विश्वविद्यालय / कॉलेज को एक इकाई के रूप में मानकर आरक्षण प्रदान करता है, जबकि इससे पूर्ववर्ती अध्यादेश में 200 यूनिट के रोस्टर के आधार पर आरक्षण दिया जाता था।
अब विभाग / विषय को एक इकाई के रूप में नहीं माना जाएगा। इस निर्णय के निम्नलिखित प्रभाव होंगे:-
- इस विधेयक को मंज़ूरी मिलने के बाद केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में 7000 से अधिक रिक्तियों पर सीधी भर्ती प्रारंभ हो जाएगी तथा सरकारी शैक्षणिक संस्थानों (केंद्रीय और राज्य) में अध्यापक संवर्ग के लगभग 3 लाख रिक्त पदों को भरने का मार्ग भी प्रशस्त होगा ।
- यह विधेयक अनुच्छेद 14, 16 और 21 के संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
- शिक्षक संवर्ग की सीधी भर्ती में अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (SCs/STs/SEBCs/EWS) का पूर्ण प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो पायेगा ।
- यह विधेयक आरक्षित वर्गों के योग्य एवं प्रतिभावान उम्मीदवारों को आकर्षित कर उच्च शिक्षा संस्थानों के अध्यापन मानकों में सुधार करेगा।
- शिक्षकों के संवर्ग में सीधी भर्ती में पदों के आरक्षण की इकाई 'विश्वविद्यालय / शैक्षणिक संस्थान होगा न कि विभाग।
- सरकार द्वारा अनुमोदित यह विधेयक SC/ ST/SEBC से संबंधित व्यक्तियों द्वारा लंबे समय से की जा रही मांगों को संबोधित करेगा और संविधान के अंतर्गत परिकल्पित उनके अधिकारों को भी सुनिश्चित करेगा। यह आर्थिक रूप से कमज़ोर समुदायों (EWS) के लिये 10% आरक्षण को भी सुनिश्चित करेगा।
स्रोत: PIB
भारतीय अर्थव्यवस्था
CIC के विनियामक ढाँचे की समीक्षा के लिये कार्यदल का गठन
चर्चा में क्यों?
कोर निवेश कंपनियों (Core Investment Companies - CIC) पर लागू होने वाले विनियामक दिशा-निर्देशों और ढाँचे की समीक्षा करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक कार्यदल का गठन किया है।
मुख्य बिंदु :
- RBI के अनुसार, मौजूदा ढाँचा कंपनियों के जटिल कॉर्पोरेट प्रशासन संरचना को संभालने में असमर्थ है जिसके कारण उसकी समीक्षा करने और उसमें महत्त्वपूर्ण बदलाव करने की आवश्यकता है।
- RBI द्वारा गठित इस कार्यदल की अध्यक्षता कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के पूर्व सचिव और वर्तमान में सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष तपन रे द्वारा की जाएगी।
- कार्यदल में शामिल अन्य सदस्य :
- लिली वडेरा, RBI की कार्यकारी निदेशक
- अमरजीत सिंह, SEBI के कार्यकारी निदेशक
- टी रबीशंकर, RBI के मुख्य महाप्रबंधक
- एच के जेना, डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर, भारतीय स्टेट बैंक
- एन एस वेंकटेश, एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड के मुख्य कार्यकारी
कार्यदल के विचारार्थ विषय :
- CIC पर लागू होने वाले वर्तमान विनियामक ढाँचे की समीक्षा करना।
- तदनुसार उसमे परिवर्तन के सुझाव देना।
- CIC के पंजीकरण के लिये RBI के वर्तमान दृष्टिकोण में परिवर्तन के सुझाव देना।
- भारतीय रिज़र्व बैंक की ऑफ-विज़न निगरानी और CIC के पर्यवेक्षण को बढ़ाने के लिये उचित उपाय सुझाना।
कोर निवेश कंपनी :
- CIC एक प्रकार की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी होती है जिसका मुख्य कार्य अंशों (Shares) और प्रतिभूतियों के अधिग्रहण से लाभ कमाना होता है।
- CIC की प्रमुख विशेषताएँ :
- इस प्रकार की कंपनियाँ अपनी कुल संपत्ति का कम-से-कम 90 प्रतिशत हिस्सा समता अंशों, पूर्वाधिकार अंशों, बॉण्ड्स या ऋणपत्रों में निवेश के रूप में रखती हैं।
- इस प्रकार की कंपनियों में समता अंशों पर किया गया निवेश कुल संपत्ति के 60 प्रतिशत से कम नहीं होता है।
स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड
कृषि
तीसरा वैश्विक सूरजमुखी बीज सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
चीन और यूक्रेन के बाद सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Solvent Extractors’ Association of India-SEA) मुंबई में 19 और 20 जुलाई, 2019 को होने वाले तीसरे इंटरनेशनल सनफ्लॉवर सीड एंड ऑयल कॉन्फ्रेंस, 2019 (International Sunflower Seed and Oil Conference-ISSOC) की मेज़बानी करेगा।
प्रमुख बिंदु
- इस सम्मेलन में दुनिया भर के उद्योग जगत के नेता, विशेषज्ञ, शोधकर्त्ता और सरकारी प्रतिनिधि शामिल होंगे।
- भारत लगभग 2.8 मिलियन टन के आयात के साथ सूरजमुखी के तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है।
- वर्ष 2018-19 में 51.41 मिलियन टन वैश्विक सूरजमुखी के बीज, 19.45 मिलियन टन सूरजमुखी का तेल एवं 20.90 मिलियन टन सूरजमुखी से निर्मित खाद्य पदार्थों के उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।
इंटरनेशनल सनफ्लॉवर ऑयल एसोसिएशन
(International Sunflower Oil Association)
- इंटरनेशनल सनफ्लॉवर ऑयल एसोसिएशन (International Sunflower Oil Association-ISOA) की स्थापना रोम में वर्ष 2015 में चीन, यूक्रेन, रूस, हंगरी, स्पेन और अर्जेंटीना के राष्ट्रीय संघों और कंपनियों द्वारा की गई थी।
उद्देश्य
- सूरजमुखी तेल उत्पादकों, उद्योग समूहों, अकादमिक शोधकर्त्ताओं और स्थानीय सरकारों के बीच बेहतर संवाद को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना ।
- सूरजमुखी तेल के मूल्य संवर्द्धन और इसके वाणिज्यिक अनुप्रयोगों के क्षेत्र को प्रोत्साहित करना।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया
(Solvent Extractors’ Association of India-SEA)
- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Solvent Extractors Association of India) का गठन वर्ष 1963 में विलायक निष्कर्षण उद्योग (Solvent Extraction Industry) के विकास एवं वृद्धि के उद्देश्य से किया गया था।
- यह एसोसिएशन देश में विलायक निष्कर्षण उद्योग और प्रमुख वनस्पति तेल संगठनों के लिये एक अखिल भारतीय निकाय है।
उद्देश्य
- इस एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य विलायक निष्कर्षण उद्योग (Solvent Extraction Industry) के व्यापार, वाणिज्य, विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देना तथा उनका संरक्षण करना है।
- भारत और विश्व में विलायक निष्कर्षण के द्वारा उत्पादित तेल और उनके उपोत्पादों (Byproducts) के उपयोग को सेमिनार/सम्मेलनआदि के माध्यम से प्रोत्साहित करना और बढ़ाना।
स्रोत: द हिंदू बिज़नेस लाइन
सामाजिक न्याय
विकलांग बच्चों की स्कूलों में नामांकन स्थिति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शैक्षणिक संस्थानों में विकलांग बच्चों के प्रवेश के संदर्भ में यूनेस्को (UNESCO) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (Tata Institute of Social Sciences) ने एक रिपोर्ट जारी की।
उद्देश्य
- इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में विकलांग बच्चों के प्रवेश के आँकड़ों की स्थिति को दर्शाते हुए शिक्षा के अधिकार के तहत सभी बच्चों के लिये शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करने की सिफारिश की गई है।
- आरटीई अधिनियम, 2009 में संशोधन करके इसे विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के साथ संरेखित करना रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशों में से एक है।
प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 5 से 19 वर्ष तक की आयु के विकलांग बच्चों में चार में से कम-से-कम एक ने कभी किसी शैक्षणिक संस्थान में भाग नहीं लिया, जबकि पाँच वर्षीय विकलांग बच्चों में से तीन-चौथाई स्कूल नहीं जा पाते।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में 5-19 वर्ष के 78 लाख से अधिक विकलांग बच्चे हैं। इनमें से सिर्फ 61% बच्चे शैक्षिक संस्थान में भाग ले रहे थे। लगभग 12% बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया था, जबकि 27% बच्चे कभी भी स्कूल नहीं गए थे।
- स्कूल में नामांकित विकलांग बच्चों की संख्या स्कूलिंग के प्रत्येक क्रमिक स्तर के साथ गिरती है। लड़कों की तुलना में स्कूल में विकलांग लड़कियों की संख्या कम है।
- विभिन्न प्रकार की अक्षमताओं के बीच अंतर बना रहता है।
- 20% दृश्य और श्रवण दोष वाले बच्चे कभी स्कूल में नहीं थे।
- हालाँकि कई विकलांग या मानसिक बीमारी वाले बच्चों में यह आँकड़ा 50% से अधिक पाया गया।
गृह-आधारित शिक्षा
- विशेषज्ञों के अनुसार, विकलांग बच्चों को गृह-आधारित शिक्षा प्रदान किये जाने के मामले में दिये गए सरकारी आँकड़े सिर्फ कागज़ पर मौजूद होते हैं। वास्तविक रूप में विकलांग बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
- ग्रामीण भारत के बहुत से भागों में यदि कोई माता-पिता गृह-आधारित शिक्षा का चुनाव करते हैं, तो संभवतः बच्चों को शिक्षा नही मिल पाती है।
- सब तक शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये सर्व शिक्षा अभियान चलाया गया है लेकिन अभी भी सब तक शिक्षा नही पहुँच सकी है।
- शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या सरकारी आँकड़ों की तुलना में कहीं ज़्यादा है।
चुनौतियाँ
- विशेषज्ञों के अनुसार, शिक्षा का अधिकार अधिनियम स्कूलों में सभी बच्चों के नामांकन को अनिवार्य बनाता है, लेकिन इसके अंतर्गत विकलांग बच्चों की शिक्षा के लिये आवश्यक संसाधनों का प्रावधान नहीं है।
- नामांकन संख्या कम होने में सबसे बड़ी चुनौती बुनियादी एवं मूलभूत संसाधनों की कमी है।
सर्व शिक्षा अभियान
- इसका कार्यान्वयन वर्ष 2000-2001 से किया जा रहा है।
- यह एक निश्चित समयावधि के भीतर प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु भारत सरकार का एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है।
- इस अभियान को देश भर में राज्य सरकारों की सहभागिता से चलाया जा रहा है।
- 86वें संविधान संशोधन, 2002 द्वारा 6-14 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चों के लिये प्राथमिक शिक्षा को एक मौलिक अधिकार के रूप में निःशुल्क और अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना आवश्यक बना दिया गया है।
- सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य सार्वभौमिक सुलभता के साथ प्रारंभिक शिक्षा में बालक-बालिका एवं सामाजिक श्रेणी के अंतर को दूर करना तथा अधिगम की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- इसके अंतर्गत विविध प्रयास किये जा रहे हैं, जैसे- नए स्कूल खोलना तथा वैकल्पिक स्कूली सुविधाएँ प्रदान करना, स्कूलों एवं अतिरिक्त क्लासरूम का निर्माण किया जाना, प्रसाधन-कक्ष एवं पेयजल सुविधा प्रदान करना, नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकें एवं ड्रेस वितरित करना आदि।
स्रोत- द हिंदू
शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण
संदर्भ
वर्तमान समय में देश में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey-NFHS 5) के पाँचवें संस्करण (NFHS 5- 2018-19 ) का आयोजन किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- NFHS-5 (2018-19) के तहत लक्षित आबादी समूहों के निश्चित आँकड़ों को सतत् विकास समूहों के साथ संरेखित करते हुए बढ़ती आयु के साथ मधुमेह, उच्च रक्तचाप तथा इसके जोखिम कारकों पर विस्तृत विचार- विमर्श किया जाएगा।
- कुछ समय पहले NFHS-5 का पुनर्गठन किया गया जिसमें विकलांगता, मलेरिया, एचबीए1सी (HbA1c) और विटामिन डी के परीक्षण के लिये DBS का संग्रह और कमर तथा कूल्हे की माप, स्कूल-पूर्व शिक्षा, मृत्यु पंजीकरण आदि शामिल हैं।
- हालाँकि NACO की सहमति से NFHS-5 से HIV परीक्षण को हटा दिया गया है। इसके अलावा शहरी और ग्रामीण आकलन ज़िला स्तर पर तथा स्लम, गैर-स्लम आकलन की सुविधा NFHS-5 में प्रदान नहीं की जाएगी।
- NFHS-5 को NFHS-4 का बेंचमार्क मानते हुए योजना बनाई गई है। इसमें मार्च, 2017 तक निर्मित नए 67 ज़िलों सहित 707 ज़िलों (2011 की जनगणना के बाद) को शामिल किया जाएगा, जबकि NFHS-4 में 640 ज़िले शामिल हैं।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey- NFHS) के चार राउंड देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आयोजित किये जा चुके हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- 1992-93 (NFHS 1)
- 1998-99 (NFHS 2)
- 2005-06 (NFHS-3)
- 2015-16 (NFHS-4)
- वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (Annual Health Survey- AHS) के तीन राउंड्स (2010-11, 2011-12 और 2012-13) को भारत सरकार के जनगणना आयुक्त कार्यालय के माध्यम से क्रमशः असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 284 ज़िलों के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में किया गया था।
- NFHS-1 में जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर क्षेत्र को कानून-व्यवस्था की स्थिति के कारण कवर नहीं किया गया था, वहीं सिक्किम को भी बुनियादी पैरामीटर की अनुपलब्धता के कारण इस सर्वेक्षण में शामिल नही किया गया था।
- NFHS-1, 2, 3 में दिल्ली को छोड़कर किसी अन्य केंद्रशासित प्रदेश को सर्वेक्षण में शामिल नही किया गया था क्योंकि यह सर्वेक्षण राज्यों पर केंद्रित था
- NFHS-4 में पहली बार राज्य/राष्ट्र स्तर पर आवश्यक विशेषताओं तथा राष्ट्रीय, राज्य एवं ज़िला स्तर पर परिवार कल्याण स्वास्थ्य संकेतकों के आधार पर प्रजनन क्षमता, शिशु और बाल मृत्यु के स्तर का पहली बार एकीकृत सर्वेक्षण किया गया।
स्रोत- PIB
भारतीय अर्थव्यवस्था
आदर्श स्टेशन योजना
चर्चा में क्यों
आदर्श स्टेशन योजना के तहत आधुनिकीकरण के लिये 1253 रेलवे स्टेशनों का चयन किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- रेलवे के आधुनिकीकरण के लिये “आदर्श स्टेशन योजना” (1999 से 2008 ) और “आधुनिक स्टेशन योजना” (2006 से 2008 ) का भी क्रियान्वयन किया जा चुका है। इन योजनाओं को अब रोक दिया गया है।
- अब तक 1103 रेलवे स्टेशनों को विकसित किया जा चुका है और शेष 150 रेलवे स्टेशनों को वर्ष 2020 तक विकसित करने का लक्ष्य है।
- इस योजना में आकांक्षी ज़िलों को विशेष रूप से लक्षित किया है, अभी तक 115 ज़िलों में से 87 जिलों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ा गया है।
- बड़े शहरों,धार्मिक स्थलों और पर्यटन स्थलों को जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- रेलवे स्टेशन पर ओवर-ब्रिज, स्वचालित सीढ़ी, प्लेटफार्म की सतह में सुधार और शौचालय आदि व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया जायेगा।
रेलवे स्टेशन के विकास के लिये स्टेशन पुनर्विकास योजना के रूप में विशेष नीति अपनाई गई है। इस योजना की नोडल एजेंसी भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (Indian Railway Station Development Corporation Limited-IRSDC) है। गांधीनगर (गुजरात) और हबीबगंज, भोपाल (मध्य प्रदेश ) स्टेशन का पुनर्निर्माण इस योजना के तहत किया जा रहा है। चारबाग, लखनऊ और पुद्दुचेरी के रेलवे स्टेशनों को विकसित करने के लिये अनुबंध किया जा चुका है।
भारत में रेलवे :
भारत का रेल नेटवर्क विश्व के सबसे बड़े रेल-नेटवर्कों में से एक है। 66000 किलोमीटर के इस नेटवर्क पर देश में रोज़ लगभग 19000 ट्रेनों का संचालन किया जाता है। लगभग सवा करोड़ यात्री प्रतिदिन भारतीय रेल द्वारा यात्रा करते हैं। इसलिये रेलवे का आधुनिकीकरण के माध्यम से अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करना ज़रूरी है।
रेलवे से संबंधी चिंताएँ:
- वित्तीय- पिछले 12 वर्षो से गैर वातानुकूलित आरक्षण यात्री किराये में वृद्धि नही हुई है और इसकी जगह माल भाड़े में अत्यधिक वृद्धि की गई है जिसके परिणामस्वरूप माल भाड़े का किराया सड़क परिवहन से भी महँगा हो गया है। इस प्रकार की नीतियों से रेलवे को लगातार घाटा हो रहा है।
- पेट्रोल की ढुलाई में कमी भी रेलवे राजस्व की कमी का प्रमुख कारण है।
- प्रबंधन- भारत में रेलवे ट्रैक की क्षमता 4800-5000 टन भार वाली मालगाड़ियों के संचालन की है, परंतु इन पर 5500 टन तक भार वाली मालगाड़ियों का संचालन जारी है। इससे ट्रैक पर अनावश्यक बोझ बढ़ गया है और वे कमज़ोर हो रहे हैं। इस प्रकार के कुप्रबंधन से लगातार रेलवे को वित्तीय और अवसंरचनात्मक घाटा हो रहा है।
- सुरक्षा- सुरक्षा की लगातार गिरती स्थिति भी चिंता का कारण है रेलवे की एक रिपोर्ट के अनुसार,सेफ्टी-स्टॉफ के एक लाख पद रिक्त हैं इसके अतिरिक्त सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे ट्रैकों और रेलवे क्रासिंग की भी स्थिति बुरी है।
- प्रशिक्षण- लोको पायलट का प्रशिक्षण अब मात्र 16 हफ्तों का कर दिया गया है, जो कि 1986 में 75 हफ्तों का हुआ करता था। तकनीकी उन्नयन व कंप्यूटरीकरण ने निश्चित तौर पर प्रशिक्षण का समय घटाया है, लेकिन कार्य-निष्पादन में गुणवत्ता की कमी अब भी पाई जाती है। इस बिंदु को कैग ने भी अपनी रिपोर्ट में गंभीरता से उठाया था।
- अवसंरचना- ज़्यादातर यात्री-रेलगाड़ियों में इंडियन कोच फैक्ट्री के भारी और पुराने कोच संचालन में हैं इससे रेलवे की गति भी धीमी हो जाती हैं, साथ ही दुर्घटना के समय जानमाल की हानि भी अधिक होती है।
उठाए गए कदम-
- रेलवे लाइनों का दोहरीकरण किया जा रहा है साथ ही माल ढुलाई के लिये विशेष फ्रेट कॉरिडोर बिछाये जा रहे है।
- नए कोच एल्युमिनियम से बनाए जा रहे हैं, जिससे कोचों का भार कम होगा साथ ही लिंग हाफमैन बुश (LBS) कोच भी बड़ी मात्रा में बनाए जा रहे है।
- सेतु भारतम् योजना से खुली रेलवे क्रासिंग की समस्या को दूर करने का सराहनीय प्रयास किया गया है, साथ ही इसरो से भी इस क्षेत्र में सहयोग लिया जा रहा है।
- भारतमाला और सागरमाला से विस्तृत अवसंरचना का निर्माण हो रहा है।
- प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिये वडोदरा में रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है।
- जापान की सहायता से बुलेट ट्रेन का निर्माण किया जा रहा है जिससे रेलवे की गति को बढ़ाया जा सके।
- स्थानीय स्तर पर भी वन्दे भारत जैसी ट्रेनों का परिचालन किया गया है जिसमे कम किराये के साथ तीव्र गति और सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं।
भारतीय रेल न केवल आवाजाही, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिये भी बहुत महत्त्वपूर्ण साधन है। इसलिये देश और अर्थव्यवस्था के तीव्र विकास के लिये रेलवे का आधुनिकीकरण करना अतिआवश्यक है।
स्रोत: AIR/PIB
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (04 जुलाई)
- अमेरिकी सीनेट ने भारत को नाटो देशों जैसा दर्जा देने वाले विधेयक को मंज़ूरी दे दी है। अब रक्षा संबंधों के मामले में अमेरिका भारत के साथ नाटो के अपने सहयोगी देशों, इज़राइल और दक्षिण कोरिया के समान डील करेगा। वित्त वर्ष 2020 के लिए नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट में संशोधन को अमेरिकी सीनेट ने मंज़ूरी दे दी है। इस विधेयक में कहा गया है कि हिंद महासागर में भारत के साथ मानवीय सहयोग, आतंक के खिलाफ संघर्ष, काउंटर-पाइरेसी और समुद्री सुरक्षा पर काम करने की ज़रूरत है। इस दर्जे का अर्थ है कि भारत अब अमेरिका से अधिक उन्नत और महत्त्वपूर्ण तकनीक वाले हथियारों की खरीद कर सकता है। ज्ञातव्य है कि नाटो (North Atlantic Treaty Organization-NATO) एक सैन्य गठबंधन है और इसका मुख्यालय बेल्जियम के ब्रसेल्स में स्थित है। अमेरिका की अगुवाई में नाटो की स्थापना शीतकालीन युद्ध के दौर में 4 अप्रैल, 1949 को हुई थी। इस संगठन में शामिल देशों के बीच एक-दूसरे की सामूहिक सुरक्षा का ज़िम्मा होता है।
- हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग ने 50 से अधिक पहलों की मदद से उच्च शिक्षा में बदलाव लाने के लिये शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन और समावेशन कार्यक्रम या एजुकेशन क्वालिटी अपग्रेडेशन एंड इन्क्लूजन प्रोग्राम (EQUIP) नामक पाँच वर्षीय विज़न प्लान जारी किया। इसे 10 क्षेत्रों को कवर करने वाले विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें उच्च शिक्षा क्षेत्र को बदलने के लिये विभिन्न पहलों का सुझाव दिया गया है। इस विज़न में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को दोगुना करने और भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों में भौगोलिक और सामाजिक रूप से मुश्किल पहुँच को आसान बनाने, शिक्षा की गुणवत्ता को वैश्विक मानकों के अनुरूप लाकर टॉप 1000 वैश्विक विश्वविद्यालयों में 50 भारतीय संस्थानों को स्थान दिलाने जैसे विभिन्न लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधारों के लिये एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है, जिसका संयोजक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को बनाया गया है। समिति में कर्नाटक, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के अलावा केंद्रीय कृषि, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सदस्य होंगे। यह समिति राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में सुधारों को अपनाने एवं समयबद्ध तरीके से क्रियान्वयन के उपायों के बारे में सुझाव देगी। इन सुधारों में कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्द्धन एवं सहायता) कानून, 2017, कृषि उपज और पशुधन ठेका खेती और सेवाएँ (संवर्द्धन एवं सहायता) कानून, 2018 शामिल हैं। इसके अलावा, समिति आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के विभिन्न प्रावधानों की भी समीक्षा करेगी और कृषि विपणन तथा बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में निजी निवेश आकर्षित करने के लिये कानून में बदलाव के सुझाव देगी। साथ ही समिति कृषि निर्यात को बढ़ाने, खाद्य प्रसंस्करण में वृद्धि करने, आधुनिक बाज़ार बुनियादी सुविधा, मूल्य श्रृंखला और लॉजिस्टिक में निवेश आकर्षित करने के बारे में भी सुझाव देगी।
- तमाम अमेरिकी विरोधों को दरकिनार कर भारत ने रूस के साथ 200 करोड़ रुपए का एंटी-टैंक मिसाइल समझौता किया है। आपातकालीन नियमों के तहत रूस से यह रक्षा सौदा हुआ है तथा इन मिसाइलों को MI-35 हेलीकॉप्टरों में लगाया जाएगा। इस समझौते के तहत तीन महीने के भीतर ही मिसाइलों की आपूर्ति कर दी जाएगी। तुरंत युद्ध की स्थिति के मद्देनज़र आपातकालीन प्रावधान के तहत वायुसेना ने कई देशों के साथ स्पाइस 2000 स्टैंड ऑफ वेपन सिस्टम और हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल की डील की है। रूस से मिलने वाली एंटी-टैंक मिसाइल को युद्धक MI-35 में लगाए जाने से दुश्मनों के टैंक और अन्य हथियारों से निपटने की क्षमता हासिल हो जाएगी। ज्ञातव्य है कि MI-35 भारतीय वायुसेना का अटैकिंग हेलीकॉप्टर है और इसे अमेरिकी अपाचे हेलीकॉप्टर के स्थान पर लाया गया है।
- 4 जुलाई से ओडिशा के जगन्नाथ पुरी में 10 दिन तक चलने वाले भगवान जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव की शुरुआत हुई। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा हिंदुओं के लिये धार्मिक रूप से बेहद महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। ज्ञातव्य है कि भगवान जगन्नाथ विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज रथ पर बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज पर सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और अंत में गरुड़ ध्वज रथ पर भगवान जगन्नाथ सबसे पीछे चलते हैं। इन सभी की प्रतिमाओं को रथ में बिठाकर नगर का भ्रमण करवाया जाता है। यात्रा के तीनों रथ लकड़ी से बने होते हैं, जिन्हें श्रद्धालु खींचते हुए चलते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिये, बलराम के रथ में 14 व सुभद्रा के रथ में 12 पहिये लगे होते हैं। रथयात्रा द्वारा भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडीचा मंदिर पहुँचाया जाता है, जहाँ भगवान जगन्नाथ विश्राम करते हैं।
- 30 जून को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह (Asteroid) दिवस का आयोजन किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने क्षुद्रग्रह के खतरे को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिये 30 जून, 2017 से अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस मनाने की घोषणा की थी। दरअसल 30 जून, 1908 को रूस की तुंगुस्का नदी के पास भयंकर विस्फोट हुआ था जिसके लिये क्षुद्रग्रह को ज़िम्मेदार बताया गया था। यह हाल के इतिहास में पृथ्वी पर सबसे हानिकारक ज्ञात क्षुद्रग्रह-संबंधी घटना है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य क्षुद्रग्रहों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और आने वाली पीढ़ियों को उनसे होने वाली किसी संभावित भयावह घटना से बचने के लिये सचेत करना है। ज्ञातव्य है कि ब्रह्माण्ड में गति करने वाले क्षुद्रग्रह एक प्रकार का खगोलीय पिंड होते हैं, जो आकार में ग्रहों से छोटे तथा उल्कापिंडों से बड़े होते हैं।