जैव विविधता और पर्यावरण
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 रिपोर्ट
चर्चा में क्यों?
हाल हे में बोस्टन स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (Health Effects Institute- HEI) द्वारा तैयार की गई स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2019 में बताया गया है कि 2017 में वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न बीमारियों से 1.2 मिलियन भारतीयों की मौत हो गई।
प्रमुख बिंदु
- वायु प्रदूषण वैश्विक स्तर पर मृत्यु दर के लिये वैश्विक जोखिम वाले कारकों में पाँचवे स्थान पर है, जो केवल व्यावहारिक और उपापचयिक (Metabolic) कारकों के कारण अधिक है, जिसमें दोषपूर्ण आहार, उच्च रक्तचाप, तंबाकू का सेवन और उच्च रक्त शर्करा प्रमुख है।
- विश्व स्तर पर वायु प्रदूषण (PM 2.5, घरेलू और ओज़ोन उत्सर्जन) अनुमान के मुताबिक, 2017 में इसके चलते लगभग 4.9 मिलियन लोगों की मौत हुई जो दुनिया भर में होने वाली मौतों का 8.7% और कुल विकलांगता का 5.9% है।
- भारत और चीन में वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव देखा गया है इसके बाद पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और नाइज़ीरिया हैं।
- 2017 में PM 2.5 प्रदूषण के संपर्क में आने से टाइप -2 मधुमेह से संबंधित मौतों और विकलांगता के लिये वैश्विक स्तर पर उच्च रक्त शर्करा और शरीर के अत्यधिक वज़न के बाद इसे तीसरा प्रमुख जोखिम वाले कारक के रूप में पाया गया।
- विश्व स्तर पर इस तरह का एक्सपोज़र वर्ष 2017 में लगभग 2.76 लाख लोगों की मौत और 15.2 मिलियन लोगों में स्थायी रूप से विकलांगता का कारण बना।
- चीन, इंडोनेशिया, मेक्सिको और ब्राज़ील के बाद भारत में यह प्रभाव सबसे अधिक था।
रिपोर्ट में भारत की स्थिति
- भारत में वायु प्रदूषण अब सभी स्वास्थ्य जोखिमों में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है जो धूम्रपान के ठीक ऊपर है।
- 2017 में असुरक्षित वायु के संपर्क में आने के कारण 1.2 मिलियन से अधिक भारतीयों की मौत हो गई।
- 1.2 मिलियन वार्षिक अकाल मौतों में से 673,100 मौतें बाह्य PM2.5 के संपर्क में आने के कारण हुईं और 481,700 से अधिक मौतें भारत में घरेलू वायु प्रदूषण के कारण हुईं।
- 2017 में भारत की लगभग 60% आबादी घरेलू प्रदूषण के संपर्क में थी। हालाँकि, रिपोर्ट यह भी मानती है कि भारत में ठोस ईंधन से खाना पकाने वाले परिवारों का अनुपात 2005 के 76% से घटकर 2017 में 60% (846 मिलियन) हो गया है जो LPG से संबंधित सरकार की योजना के कारण हुआ है।
- संपूर्ण भारतीय आबादी 10 µg / m3 के WHO वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश के ऊपर PM2.5 सांद्रता वाले क्षेत्रों में रहती है तथा केवल 15% आबादी ही WHO के कम-से-कम कड़े लक्ष्य 35 µg / m3 के नीचे PM2.5 सांद्रता वाले क्षेत्रों में रहती है।
- 2017 में PM2.5 प्रदूषण के संपर्क में आने से 55,000 लोगों की मौत हुई। उल्लेखनीय है कि भारत ने प्रदूषण स्रोतों को संबोधित करने के लिये बड़े कदम उठाए हैं जैसे- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, घरेलू LPG कार्यक्रम, भारत स्टेज VI मानक वाले वाहनों के चलन में तेज़ी तथा नए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम।
- पूरी तरह से वायु गुणवत्ता के लिये एक निरंतर प्रतिबद्धता के साथ यदि इन पहलों को कार्यान्वित किया जाता है तो आने वाले वर्षों में महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ की स्थिति प्राप्त हो सकती है।
टाइप 2 डाईबिटीज़ (Type 2 Diabetes)
- यह एक चिरकालिक स्थिति है जो शरीर में मौजूद शर्करा (ग्लूकोज़) के चयापचयी क्रियाओं को प्रभावित करती है। शर्करा शरीर के ईंधन का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
- टाइप 2 डायबिटीज़ में किसी व्यक्ति का शरीर या तो इंसुलिन के प्रभावों का प्रतिरोध करता है या फिर सामान्य ग्लूकोज़ स्तर को बनाए रखने के लिये पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है।
- इंसुलिन एक हार्मोन है जो कोशिकाओं में शर्करा की गति को नियंत्रित करता है।
- इसके कारण बार-बार प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, बहुत भूख लगना, अनपेक्षित वज़न घटने जैसे लक्षण प्रदर्शित होते हैं
PM 2.5 (Particulate Matter 2.5)
- PM 2.5 एक वायुमंडलीय कण है जिसका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है। इसका आकार मानव के बाल के व्यास का लगभग 3 प्रतिशत है।
- इससे श्वसन संबंधी समस्याएँ होती हैं तथा यह दृश्यता को भी कम करता है। यह एक अंतःस्रावी व्यवधान है जो इंसुलिन स्राव और इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकता है, इस प्रकार यह मधुमेह में भी योगदान देता है।
- बहुत छोटे होने के कारण इसे सिर्फ इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से देखा जा सकता है।
स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान Health Effects Institute (HEI)
- इस संगठन की स्थापना 1980 में की गई।
- स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान स्वतंत्र गैर-लाभकारी संस्थान है जो वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर अनुसंधान करता है।
- इसका मुख्यालय बोस्टन, मैसेचुसेट्स, संयुक्त राज्य अमेरिका में है।
स्रोत- हिंदुस्तान टाइम्स
जैव विविधता और पर्यावरण
सुदूर दक्षिणी प्रवालभित्ति को भारी क्षति
संदर्भ
समुद्र का तापमान बढ़ने से सुदूर दक्षिण में स्थित कोरल रीफ को भारी क्षति पहुँच रही है।
प्रमुख बिंदु
- इस वर्ष तापमान बढ़ने के कारण लॉर्ड होवे द्वीप (Lord Howe) के प्रवाल (Coral) में प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) की समस्या उत्पन्न हो रही है।
- वैज्ञानिकों ने पाया है कि लॉर्ड होवे द्वीप के छिछले लैगून के आस-पास की लगभग 90% प्रवालभित्ति (Coral Reefs) विरंजन से प्रभावित हैं जबकि समुद्री पार्क की गहराई में स्थित प्रवालभित्ति विरंजन से बच गए हैं।
- आस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने बताया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते समुद्री तापमान की वज़ह से सबसे अलग और मानवीय पहुँच से दूर स्थित पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित हो रहे हैं।
लॉर्ड होवे द्वीप
- ज्ञातव्य है कि लॉर्ड होवे द्वीप ऑस्ट्रेलिया स्थित दुनिया का सबसे दक्षिणी प्रवालभित्ति है।
- यह सिडनी के समुद्र तट से लगभग 600 किमी दूर स्थित है।
- द्वीप के दूर और अलग स्थित होने के कारण ही यह 2016 और 2017 में ग्रेट बैरियर रीफ को नुकसान पहुँचाने वाले गंभीर विरंजन से सुरक्षित था।
प्रवाल विरंजन
- जब तापमान, प्रकाश या पोषण में किसी भी परिवर्तन के कारण प्रवालों पर तनाव बढ़ता है तो वे अपने ऊतकों में निवास करने वाले सहजीवी शैवाल जूजैंथिली को निष्कासित कर देते हैं जिस कारण प्रवाल सफेद रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। इस घटना को कोरल ब्लीचिंग या प्रवाल विरंजन कहते हैं।
स्रोत: द हिंदू
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
छोटे ब्लैक होल डार्क मैटर के मुख्य घटक नहीं
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधानकर्त्ताओं की एक टीम ने इस सैद्धांतिक दावे को खारिज किया है कि ब्लैक होल डार्क मैटर के मुख्य घटक हैं। गौरतलब है कि इस अनुसंधान के निष्कर्ष प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग के सैद्धांतिक दावों को भी खारिज करते हैं।
प्रमुख बिंदु
- हाल ही में इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA), पुणे के अनुसंधानकर्त्ताओं की टीम ने एंड्रोमेडा आकाशगंगा का अवलोकन किया जिसमें लाखों तारे हैं।
- इस अवलोकन का उद्देश्य ग्रेविटेशनल लेंसिंग की परिघटना को चिह्नित करना था जिससे डार्क ब्लैक होल्स की उपस्थिति का परीक्षण किया जा सके।
- गौरतलब है कि ब्लैक होल्स के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव की वज़ह से प्रकाश की किरणें ब्लैक होल्स की तरफ झुक जाती हैं और तारे (जिससे प्रकाश आ रहा हो) की चमक बढ़ जाती है। इस परिघटना को ग्रेविटेशनल लेंसिंग कहा जाता है।
- यह दुर्लभ परिघटना केवल तभी घटित होती है जब तारा, ब्लैक होल और पृथ्वी पर उपस्थित प्रेक्षक एक सीधी रेखा में हों।
- यदि पूरे अंतरिक्ष में छोटे-छोटे ब्लैक होल उपस्थित हैं (जैसा कि स्टीफन हॉकिंग की अवधारणा थी) तो एंड्रोमेडा आकाशगंगा के अवलोकन के दौरान ग्रेविटेशनल लेंसिंग की कम-से-कम हज़ारों परिघटनाएँ होनी चाहिये थीं। किंतु अनुसंधानकर्त्ताओं ने ग्रेविटेशनल लेंसिंग की केवल एक परिघटना का अवलोकन किया।
- इसका तात्पर्य यह है कि स्टीफन हॉकिंग की अवधारणा (ब्लैक होल डार्क मैटर के मुख्य घटक हैं) गलत है।
डार्क मैटर
- ऐसी परिकल्पना की गई है कि डार्क मैटर (हालाँकि कभी भी नहीं पाया गया) पूरे ब्रह्मांड के 85% हिस्से में मौजूद है।
- गुरुत्वाकर्षण की उपस्थिति की वज़ह से इसे मैटर तथा प्रकाश (या विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम) को प्रभावित न करने की वज़ह से इसे डार्क माना जाता है।
- इसका गुरुत्वाकर्षण बल हमारी आकाशगंगा में तारों को दूर जाने से रोकता है।
ब्लैक होल्स
- ब्लैक होल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्वबल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता। चूँकि इनसे प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, अतः हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते, वे अदृश्य होते हैं।
- हालाँकि विशेष उपकरणों से युक्त अंतरिक्ष टेलीस्कोप की मदद से ब्लैक होल की पहचान की जा सकती है। ये उपकरण यह बताने में भी सक्षम हैं कि ब्लैक होल के निकट स्थित तारे अन्य प्रकार के तारों से किस प्रकार भिन्न व्यवहार करते हैं।
प्रारंभिक ब्लैक होल्स
- जब बिग-बैंग की परिकल्पना की गई थी, तब दो सोवियत भौतिकविदों- याकोव बोरिसोविच ज़ेलिदोविच और इगोर दिमित्रिविच नोविकोव ने यह प्रदर्शित किया था कि बिग-बैंग के शुरुआती चरण में कई बिंदुओं पर घनत्व बहुत अधिक रहा होगा, जिसके परिणामस्वरूप छोटे ब्लैक होल्स का निर्माण हुआ होगा।
- इन्हें प्रारंभिक ब्लैक होल्स (Primordial Black Holes) नाम दिया गया था।
- स्टीफन हॉकिंग ने 1971 में इनकी जाँच की थी। उन्होंने पाया कि प्रारंभिक ब्लैक होल का द्रव्यमान एक मिलीग्राम के सौवें हिस्से से भी कम और एक हज़ार सूर्यों के द्रव्यमान से भी अधिक हो सकता है।
स्रोत- द हिंदू
भारतीय अर्थव्यवस्था
एशियाई विकास आउटलुक-2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एशियाई विकास बैंक ने एशियाई विकास आउटलुक-2019 प्रकाशित किया है।
प्रमुख बिंदु
- एशियाई विकास आउटलुक-2019 में एशियाई विकास बैंक (ADB) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिये भारत की वृद्धि दर के पूर्वानुमान को 7.6 से कम करके 7.2 प्रतिशत कर दिया है।
- वित्तीय वर्ष 2017 में वृद्धि दर 7.2 फीसदी थी जो कमजोर कृषि उत्पादन और खपत में वृद्धि, सरकारी खर्चों में कमी के साथ वैश्विक तेल की कीमतों में कमी के कारण 2018 में घटकर 7 फीसदी पर पहुँच गई।
- वित्त वर्ष 2020-21 में विकास दर 7.3% रहने की संभावना है।
- ज्ञातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पहले क्रमशः 7.5% और 7.4% की वृद्धि का अनुमान लगाया था।
- इसके बावजूद भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा, क्योंकि 2019 में चीन की वृद्धि दर 6.3% रहने का अनुमान है।
एशियाई विकास बैंक (ADB)
- एशियाई विकास बैंक (ADB) एक क्षेत्रीय विकास बैंक है। इसकी स्थापना 19 दिसंबर 1966 को हुई थी।
- ADB का मुख्यालय मनीला, फिलीपींस में है। इसका उद्देश्य एशिया में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
- ADB में 67 सदस्य हैं, जिनमें से 48 एशिया-प्रशांत क्षेत्र के हैं।
- ADB में शेयरों का सबसे बड़ा अनुपात जापान का है।
स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (04 April)
- 4 अप्रैल को RBI ने नए वित्त वर्ष 2019-20 की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर दी। रेपो रेट अब 6.25% से घटकर 6% रह गया है। गौरतलब है कि इससे पहले 7 फरवरी को RBI ने रेपो रेट 0.25 बेसिस पॉइंट घटाकर 6.50 से 6.25% किया था। अपनी इस समीक्षा में RBI ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये 7.20% की दर से GDP वृद्धि का पूर्वानुमान लगाया है। रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति के छह में से चार सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती का पक्ष लिया जबकि दो सदस्यों ने रेपो दर स्थिर रखने का समर्थन किया। आपको बता दें कि रेपो रेट के कम होने से बैंकों की RBI से धन लेने की लागत कम होती है और वे अपने ग्राहकों को कम ब्याज पर दे पाते हैं।
- 2 अप्रैल को भारतीय नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियन नौसेना के बीच द्विपक्षीय सामुद्रिक अभ्यास का तीसरा संस्करण ऑसीइंडैक्से-19 की शुरुआत विशाखापत्तनम में हुई। भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों द्वारा 2014 में घोषित सुरक्षा सहयोग फ्रेमवर्क की परिकल्पना के अनुरूप दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और रक्षा सहयोग को मज़बूत करने के संकेत के रूप में विशाखापत्तनम में सितंबर 2015 में इस अभ्यास का पहला संस्करण आयोजित किया गया था। अभ्यास के दूसरे संस्करण की मेजबानी ऑस्ट्रेलिया ने जून 2017 में फ्रीमैंटल में की थी। इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियन नौसेना के बीच संपर्क और व्यावसायिक विचारों के आदान-प्रदान के अवसर उपलब्ध कराकर परस्पर सहयोग और अंतर-संचालन को मजबूती देना और उसमें वृद्धि करना है।
- अमेरिका ने 2.4 अरब डॉलर की अनुमानित कीमत पर भारत को 24 बहुउपयोगी MH 60 रोमियो सी हॉक हेलीकॉप्टरों की बिक्री को मंजूरी दे दी है। भारत को पिछले एक दशक से अधिक समय से इन हंटर हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता थी। लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित ये हेलीकॉप्टर पनडुब्बियों और पोतों पर अचूक निशाना साधने में सक्षम हैं तथा समुद्र में तलाश एवं बचाव कार्यों में भी उपयोगी हैं। इन हेलीकॉप्टरों को दुनिया का अत्याधुनिक समुद्री हेलीकॉप्टर माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ये हेलीकॉप्टर भारतीय नौसेना की मारक क्षमता को बढ़ाएंगे। हिंद महासागर में चीन के आक्रामक व्यवहार के मद्देनज़र भारत के लिये ये हेलीकॉप्टर आवश्यक हैं।
- व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, औद्योगिक और सांस्कृतिक सहयोग पर गठित भारत-यूक्रेन अंतर-सरकारी आयोग के तहत व्यापार एवं आर्थिक सहयोग पर भारत-यूक्रेन कार्य समूह की चौथी बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई। यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वहाँ के आर्थिक विकास एवं व्यापार मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं आर्थिक सहयोग व यूरोपीय एकीकरण निदेशालय के निदेशक श्री ओलेक्सी रोझकोव ने किया। बैठक की समाप्ति पर एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये गए। यह प्रोटोकॉल व्यापार की समीक्षा, लघु एवं मध्यम उद्यमिता के क्षेत्र में सहयोग, तकनीकी नियमन (मानकीकरण, माप-पद्धति, प्रमाणन, अनुरूपता आकलन) के क्षेत्र में सहयोग, सार्वजनिक-निजी भागीदारी एवं निवेश, कृषि, भारत के बाज़ार में यूक्रेन के खाद्य उत्पादों की पहुँच आसान बनाने, ऊर्जा क्षेत्र, वित्त, एंटी-डंपिंग जाँच की रूपरेखा के अंतर्गत यूक्रेन को बाज़ार अर्थव्यवस्था का दर्जा देने, बैंकिंग और पर्यटन क्षेत्र में सहयोग से संबंधित है।
- संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की स्वास्थ्य सुविधाओं के एक-चौथाई हिस्से में पेयजल की बुनियादी सेवाओं का अभाव है, जिससे 2 अरब लोग प्रभावित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ (UNICEF) द्वारा जारी किये गए नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, विश्व सबसे गरीब देशों में लगभग आधी स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई बुनियादी जल सेवा नहीं है, जो विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं किये स्वास्थ्य को खतरे में डालती है। इन स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाले 15% लोगों को संक्रमण हो जाता है और असुरक्षित जन्म के कारण 1 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है। स्वास्थ्य देखभाल कचरे के सुरक्षित निपटान के साथ अच्छा पानी और स्वच्छता सेवाएँ रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रसार को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने आगाह किया है कि 2019 में वैश्विक आर्थिक विकास दर अनुमान से भी कम हो सकती है। इससे पहले विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन (WTO) भी विकास दर में कमी को लेकर चेतावनी दे चुके हैं। विश्व बैंक और IMF की अगले सप्ताह होने वाली ग्रीष्मकालिक बैठकों से पहले IMF प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था को ब्रेक्ज़िट का झटका लगने का खतरा है। इसके अलावा कर्ज़ के ऊँचे स्तर, ट्रेड वॉर के हालात के अलावा वित्तीय बाज़ारों की असमंजसता से भी वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। संभावना है कि IMF जनवरी में लगाए गए अपने वैश्विक वृद्धि के अनुमान को और कम करेगा।
- रिलायंस निप्पॉन लाइफ एसेट मैनेजमेंट ने गूगल के साथ मिलकर रिलायंस म्यूचुअल फण्ड के उपभोक्ताओं के लिय आवाज़-आधारित वित्तीय लेनदेन (Sound Based Financial Transaction) सुविधा उपलब्ध कराई है। यह भारत में पहली बार है जब किसी कंपनी ने कन्वर्सेशनल इंटरफेस की सहायता से वित्तीय लेनदेन की सुविधा दी है। रिलायंस निप्पॉन लाइफ एसेट मैनेजमेंट अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस कैपिटल और जापान की निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का संयुक्त उद्यम है।
- गूगल के साउथ ईस्ट एशिया और इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट राजन आनंदन ने इस्तीफा दे दिया है। गूगल छोड़ने के बाद राजन वेंचर फंड कंपनी सिक्योइया कैपिटल जॉइन करेंगे। राजन 8 साल से गूगल में थे और उससे पहले 2010 तक वह माइक्रोसॉफ्ट के साथ जुड़े हुए थे। राजन डेल और मैकेंजी जैसी कंपनियों के साथ भी काम कर चुके हैं। 2017 में वह इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन चुने गए थे।