डेली न्यूज़ (04 Feb, 2019)



केरल में समाप्त हुआ एंडोसल्फान आंदोलन

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केरल सरकार द्वारा एंडोसल्फान विषाक्तता (Endosulfan Poisoning) के शिकार लोगों में और अधिक परिवारों को शामिल करने के लिये उनके प्रतिनिधियों द्वारा की जाने वाली मांग को स्वीकार कर लिया गया जिसके पश्चात प्रतिनिधियों ने सचिवालय के सामने किये जाने वाले धरने को समाप्त कर दिया।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एंडोसल्फान विषाक्तता से प्रभावित लोगों के क्षति-पूर्ति दायरे में और अधिक परिवारों को शामिल करने की मांग को स्वीकार कर लिया। इससे राज्य सरकार द्वारा पीड़ितों को क्षति-पूर्ति और पुनर्वास हेतु सहयोग प्रदान किया जाएगा।
  • मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने अपने आधिकारिक निवास पर ‘एंडोसल्फान पीडिथा जनकिया मुन्नानी’ (Endosulfan Peeditha Janakiya Munnani) को सामंजस्यपूर्ण वार्ता के लिये आमंत्रित किया।
  • प्रदर्शनकारियों में 30 माताएँ भी शामिल थीं जिनके बच्चों में इसी कीटनाशक के संपर्क में आने की वज़ह से स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ पाई गई हैं, साथ ही कुछ बच्चों में जन्मजात विकृति/विकलांगता पाई गई है।
  • केरल सरकार ने इस मुद्दे पर अन्य राजनीतिक पार्टियों को इसे राजनीतिक आयाम नहीं देने की अपील की है, इसीलिये इस मुद्दे का मुन्नानी नेताओं के साथ बातचीत से हल निकालने का प्रयास किया जिससे आने वाले लोकसभा चुनाव में कोई बाधा न आये।
  • मुख्यमंत्री ने इस कीटनाशक के हवाई छिड़काव से प्रभावित 11 गाँवों के अतिरिक्त भी अन्य प्रभावित लोगों को इस योजना के अंतर्गत लाभ प्रदान करने का विश्वास दिलाया है। उन्होंने विकृत बच्चों के लिये अतिरिक्त विशेष स्कूल खोलने की भी बात कही है।

पृष्ठभूमि

  • 2017 में केरल सरकार द्वारा मुन्नानी की मांग को स्वीकार कर लिया गया था जिसमें राज्य के तत्काल एंडोसल्फान (कीटनाशक) प्रभावित 1,905 लोगों को एंडोसल्फान तत्काल मुआवज़ा योजना के अंतर्गत शामिल किया गया था।
  • इस योजना के तहत प्रभावित लोगों को क्षति-पूर्ति तथा पुनर्वास का प्रावधान किया गया था।

हिंदू मुन्नानी


हिंदू मुन्नानी भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित एक धार्मिक और सांस्कृतिक संगठन है जिसका गठन हिंदू धर्म की रक्षा तथा हिंदू धार्मिक स्मारकों की सुरक्षा के लिये किया गया था।


एंडोसल्फान

  • एंडोसल्फान एक प्रतिबंधित कीटनाशक है।
  • इसका उपयोग 1940 से 1960 के दौरान कीटनाशक के रूप में कृषि और मच्छर नियंत्रण हेतु बड़े पैमाने पर किया जाता था।

स्रोत – द हिंदू


विश्व आर्द्रभूमि दिवस

चर्चा में क्यों?


पूरी दुनिया में 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetland Day) के रूप में मनाया गया। गौरतलब है कि आर्द्रभूमि दिवस का आयोजन लोगों और हमारे ग्रह के लिये आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये किया जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • इसी दिन वर्ष 1971 में ईरान के शहर रामसर में कैस्पियन सागर के तट पर आर्द्रभूमि पर एक अभिसमय (Convention on Wetlands) को अपनाया गया था।
  • विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 2 फरवरी, 1997 को रामसर सम्मलेन के 16 वर्ष पूरे होने पर मनाया गया था।
  • वर्ष 2019 के लिये विश्व आर्द्रभूमि दिवस की थीम ‘आर्द्रभूमि और जलवायु परिवर्तन’ (Wetlands and Climate Change) थी।
  • आर्द्रभूमि/वेटलैंड्स पर रामसर अभिसमय/कन्वेंशन की स्थायी समिति द्वारा अगले दो वर्षों 2020 और 2021 के लिये स्वीकृत की गई थीम्स हैं-
  • 2020- आर्द्रभूमि और जैव-विविधता (Wetlands and Biodiversity)
  • 2021- आर्द्रभूमि और जल (Wetlands and Water)

भूमिका

  • पृथ्वी पर जीवों के विकास की एक लंबी कहानी है और इस कहानी का सार यह है कि धरती पर सिर्फ हमारा ही अधिकार नहीं है अपितु इसके विभिन्न भागों में विद्यमान करोड़ों प्रजातियों का भी इस पर उतना ही अधिकार है जितना कि हमारा।
    नदियों, झीलों, समुद्रों, जंगलों और पहाड़ों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पादपों एवं जीवों (समृद्ध जैव-विविधता) को देखकर हम रोमांचित हो उठते हैं।
  • जब जल एवं स्थल दोनों स्थानों पर समृद्ध जैव-विविधता देखने को मिलती है तो सोचने वाली बात यह है कि जिस स्थान पर जलीय एवं स्थलीय जैव-विविधताओं का मिलन होता है वह जैव-विविधता की दृष्टि से अपने आप में कितना समृद्ध होगा?
  • दरअसल वेटलैंड (आर्द्रभूमि) एक विशिष्ट प्रकार का पारिस्थितिकीय तंत्र है तथा जैव-विविधता का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। जलीय एवं स्थलीय जैव-विविधताओं का मिलन स्थल होने के कारण यहाँ वन्य प्राणी प्रजातियों व वनस्पतियों की प्रचुरता पाए जाने की वज़ह से वेटलैंड समृ़द्ध पारिस्थतिकीय तंत्र है।
  • आज के आधुनिक जीवन में मानव को सबसे बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन से है और ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि हम अपनी जैव-विविधता का सरंक्षण करें।
  • वर्ष 2017 में आर्द्रभूमियों के सरंक्षण के लिये वेटलैंड्स (सरंक्षण एवं प्रबंधन नियम) 2017 (Wetland (Conservation and Management) Rules, 2017) नामक एक नया वैधानिक ढाँचा (Legal Framework) लाया गया है।

क्या है वेटलैंड?

  • नमी या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड (Wetland) कहा जाता है। दरअसल, वेटलैंड्स वैसे क्षेत्र हैं जहाँ भरपूर नमी पाई जाती है और इसके कई लाभ भी हैं।
  • आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है। आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है जो वर्ष भर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है।
  • भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है।

क्यों महत्त्वपूर्ण हैं वेटलैंड्स?

  • बायोलॉजिकल सुपर मार्केट:

♦ वेटलैंड्स को बायोलॉजिकल सुपर-मार्केट कहा जाता है, क्योंकि ये विस्तृत भोज्य-जाल (Food-Webs) का निर्माण करते हैं।
♦ फूड-वेब्स यानी भोज्य-जाल में कई खाद्य श्रृंखलाएँ शामिल होती हैं और ऐसा माना जाता है कि फूड-वेब्स पारिस्थितिक तंत्र में जीवों के खाद्य व्यवहारों का वास्तविक प्रतिनिधित्व करते हैं।
♦ एक समृद्ध फूड-वेब समृद्ध जैव-विविधता का परिचायक है और यही कारण है कि इसे बायोलॉजिकल सुपर मार्केट कहा जाता है।

  • किडनीज ऑफ द लैंडस्केप:

♦ वेटलैंड्स को ‘किडनीज़ ऑफ द लैंडस्केप’ (Kidneys of the Landscape) यानी ‘भू-दृश्य के गुर्दे’ भी कहा जाता है।
♦ जिस प्रकार से हमारे शरीर में जल को शुद्ध करने का कार्य किडनी द्वारा किया जाता है, ठीक उसी प्रकार वेटलैंड तंत्र जल-चक्र द्वारा जल को शुद्ध करता है और प्रदूषणकारी अवयवों को निकाल देता है।
♦ जल एक ऐसा पदार्थ है जिसकी अवस्था में बदलाव लाना अपेक्षाकृत आसान है।
♦ जल-चक्र पृथ्वी पर उपलब्ध जल के एक रूप से दूसरे में परिवर्तित होने और एक भंडार से दूसरे भंडार या एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने की चक्रीय प्रक्रिया है।
♦ जलीय चक्र निरंतर चलता है तथा स्रोतों को स्वच्छ रखता है और पृथ्वी पर इसके अभाव में जीवन असंभव हो जाएगा।

  • उपयोगी वनस्पतियों एवं औषधीय पौधों के उत्पादन में सहायक:

♦ वेटलैंड्स जंतु ही नहीं बल्कि पादपों की दृष्टि से भी एक समृद्ध तंत्र है, जहाँ उपयोगी वनस्पतियाँ एवं औषधीय पौधे भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं।
♦ अतः ये उपयोगी वनस्पतियों एवं औषधीय पौधों के उत्पादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • लोगों की आजीविका के लिये महत्त्वपूर्ण:

⇒ दुनिया की तमाम बड़ी सभ्यताएँ जलीय स्रोतों के निकट ही बसती आई हैं और आज भी वेटलैंड्स विश्व में भोजन प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
⇒ वेटलैंड्स के नज़दीक रहने वाले लोगों की जीविका बहुत हद तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन पर निर्भर होती है।

  • पर्यावरण सरंक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण:

⇒ वेटलैंड्स ऐसे पारिस्थितिकीय तंत्र हैं जो बाढ़ के दौरान जल के आधिक्य का अवशोषण कर लेते हैं।
⇒ इस तरह बाढ़ का पानी झीलों एवं तालाबों में एकत्रित हो जाता है, जिससे मानवीय आवास वाले क्षेत्र जलमग्न होने से बच जाते हैं।
⇒ इतना ही नहीं ‘कार्बन अवशोषण’ व ‘भू जल स्तर’ में वृद्धि जैसी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन कर वेटलैंड्स पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान देते हैं।

वेटलैंड्स सरंक्षण के अंतर्राष्ट्रीय प्रयास

  • रामसर कन्वेंशन

⇒ रामसर वेटलैंड्स कन्वेंशन एक अंतर-सरकारी संधि है, जो वेटलैंड्स और उनके संसाधनों के संरक्षण और बुद्धिमतापूर्ण उपयोग के लिये राष्ट्रीय कार्य और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढाँचा उपलब्ध कराती है।
⇒ 2 फरवरी, 1971 को विश्व के विभिन्न देशों ने ईरान के रामसर में दुनिया के वेटलैंड्स के संरक्षण हेतु एक संधि पर हस्ताक्षर किये थे, इसीलिये इस दिन विश्व वेटलैंड्स दिवस का आयोजन किया जाता है।
⇒ वर्ष 2015 तक के आँकड़ों के अनुसार, अब तक 169 दल रामसर कन्वेंशन के प्रति अपनी सहमति दर्ज़ करा चुके हैं जिनमें भारत भी एक है।
⇒ वर्तमान में 2200 से अधिक वेटलैंड्स हैं, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के वेटलैंड्स की रामसर सूची में शामिल किया गया है और इनका कुल क्षेत्रफल 2.1 मिलियन वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है।
⇒ गौरतलब है कि रामसर कन्वेंशन विशेष पारिस्थितिकी तंत्र के साथ काम करने वाली पहली वैश्विक पर्यावरण संधि है।
⇒ विलुप्त हो रहे वेटलैंड्स के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान दिये जाने का आह्वान करने के उद्देश्य से रामसर वेटलैंड्स कन्वेंशन का आयोजन किया गया था।
⇒ इस कन्वेंशन में शामिल होने वाली सरकारें वेटलैंड्स को पहुँची हानि और उनके स्तर में आई गिरावट को दूर करने के लिये सहायता प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध हैं।

  • रामसर कन्वेंशन में तय लक्ष्य:

⇒ इस कन्वेंशन में यह तय किया गया था कि पर्यावरण सरंक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय विचार-विमर्श और सहयोग के ढाँचे की ज़रूरत है।

  • रामसर साइट्स

वेटलैंड्स सरंक्षण के लिये राष्ट्रीय प्रयास

  • राष्ट्रीय वेटलैंड संरक्षण कार्यक्रम

♦ सरकार ने वर्ष 1986 के दौरान संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से राष्ट्रीय वेटलैंड संरक्षण कार्यक्रम शुरू किया था।
♦ इस कार्यक्रम के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 115 वेटलैंड्स की पहचान की गई थी, जिनके संरक्षण और प्रबंधन हेतु पहल करने की ज़रूरत है।
♦ इस योजना का उद्देश्य देश में वेटलैंड्स के संरक्षण और उऩका बुद्धिमतापूर्ण उपयोग करना है, ताकि उनमें आ रही गिरावट को रोका जा सके।

क्या है आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियमावली, 2017


विदित हो कि वर्ष 2017 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वेटलैंड्स के सरंक्षण से संबंधित नए नियमों को अधिसूचित किया गया है। आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियमावली, 2017 पहले के दिशा-निर्देशों का स्थान लेगी, जो 2010 में लागू हुए थे।

  • नए नियमों में व्याप्त विसंगतियाँ

♦ 2010 के नियमों में वेटलैंड्स से संबंधित कुछ मानदंडों को स्पष्ट किया गया था, जैसे कि प्राकृतिक सौंदर्य, पारिस्थितिक संवेदनशीलता, आनुवंशिक विविधता, ऐतिहासिक मूल्य आदि। लेकिन नए नियमों में यानी 2017 के नियमों में इन बातों का उल्लेख नहीं किया गया है।
♦ वेटलैंड्स में जारी गतिविधियों पर लगने वाला प्रतिबंध ‘बुद्धिमतापूर्ण उपयोग’ के सिद्धांत के अनुसार किया जाएगा जो कि राज्य के आर्द्रभूमि प्राधिकरण द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
♦ नए नियमों के तहत आर्द्रभूमि संरक्षण को हानि पहुँचाने वाली गतिविधि से बचाव के लिये ऐसे दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार (जो कि प्रकृति में बाध्यकारी हो) किसी भी प्राधिकरण को नहीं दिया गया है।
♦ अतः स्पष्ट है कि नए नियम वेटलैंड्स सरंक्षण के लिये नाकाफी साबित होंगे।

  • नए नियमों की कुछ अच्छी बातें:

♦ दरअसल, यह कहना भी उचित नहीं होगा कि वर्ष 2017 के नियमों में सब कुछ बुरा ही है। इसमें कुछ महत्त्वपूर्ण बातें भी शामिल हैं।
♦ नए नियमों में वेटलैंड्स प्रबंधन के प्रति विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण अपनाया गया है, ताकि क्षेत्रीय विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और राज्य अपनी प्राथमिकताओं को निर्धारित कर सकें।
♦ ज़्यादातर निर्णय राज्य के आर्द्रभूमि प्राधिकरण द्वारा लिये जाएंगे, जिसकी निगरानी राष्ट्रीय वेटलैंड समिति द्वारा की जाएगी। इस प्रकार की व्यवस्था सहकारी संघवाद की भावना को मज़बूत करती है।


आगे की राह

  • दरअसल, देश में मौजूद 26 वेटलैंड्स को ही संरक्षित किया गया है, लेकिन ऐसे हज़ारों वेटलैंड्स हैं जो जैविक और आर्थिक रुप से महत्त्वपूर्ण तो हैं लेकिन उनकी कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालाँकि, नए नियमों में एक स्पष्ट परिभाषा देने का प्रयास किया गया है।
  • वेटलैंड्स योजना प्रबंध और निगरानी संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क के अंतर्गत आते है। हालाँकि अनेक कानून वेटलैंड को संरक्षित करते हैं, लेकिन इनकी पारिस्थितिकी के लिये विशेष रूप से कोई कानून नहीं है।
  • इनके लिये समन्वित पहुँच आवश्यक है, क्योंकि ये बहु-उद्देश्यीय उपयोगिता हेतु आम संपत्ति हैं और इनका संरक्षण और प्रबंधन करना सभी की ज़िम्मेदारी है।
  • वैज्ञानिक जानकारी योजनाकारों को आर्थिक महत्त्व और लाभ समझाने में मदद करेगी। अतः वेटलैंड्स के वैज्ञानिक महत्त्व के प्रति नीति-निर्माताओं को जागरूक बनाना होगा।
  • जहाँ तक जागरूकता का प्रश्न है तो आम जनता को भी इन वेटलैंड्स के संरक्षण के प्रति जागरूक बनाए जाने की ज़रूरत है।
  • नए नियमों की बात करें तो वेटलैंड्स किसी विशिष्ट प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के तहत अंकित नहीं हैं और इस पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के हाथ में रही है।
  • इस दृष्टि से वेटलैंड्स के सरंक्षण जैसे संवेदनशील मामले में राज्यों की सहभागिता महत्त्वपूर्ण है लेकिन साथ में यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि इनके सरंक्षण से कोई समझौता न हो।

केरल सरकार द्वारा सुपरफूड को बढ़ावा

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केरल सरकार द्वारा ‘सुपरफूड (Superfoods)’ और ‘ईट स्मार्ट (Eat Smart)’ रणनीति के अंतर्गत पोषक तत्त्वों से भरपूर बाजरे की कृषि को अधिक-से-अधिक ज़िलों में विस्तार करने पर बल दिया जा रहा है।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • केरल राज्य कृषि विभाग द्वारा बाजरे को नवीनतम आहार की मुख्य सामग्री के रूप में शामिल किया गया है इसके अंतर्गत कुछ क्षेत्रों में बाजरा ग्राम योजना (Millet Village Scheme) का सफल क्रियान्वयन किया गया है।
  • राज्य कृषि मंत्री के अनुसार, योजना का परीक्षण सफल रहा, इसलिये पलक्कड़ जिले के अट्टापेडी के बाजरा गाँव योजना का विस्तार इडुक्की विभाग, वायनाड और पलक्कड़ के अन्य हिस्सों में करने की योजना है, अट्टापेडी में अधिकतर आदिवासी गाँव शामिल हैं।
  • इस परियोजना के लिये अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता है जिस पर राज्य सरकार काम कर रही है।
  • केरल के राज्य कृषि मंत्री ने इस परियोजना के राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिये केंद्र से समर्थन माँगा है।

बाजरा ग्राम परियोजना

  • बाजरा ग्राम योजना (Millet Village scheme) के तहत कृषि विभाग ने 1,200 एकड़ में रागी (Finger Millet), थिना (Thina-Foxtail Millet), चोलम (Sorghum-ज्वार) और कुथिरवली (Kuthiravaali-बार्नीयार्ड बाजरा) की फसलों का उत्पादन किया।
  • इसके अंतर्गत अट्टापेडी में चिया (Chia) की खेती के लिये एक पायलट परियोजना चलाई जा रही है। चिया एक मध्य अमेरिकी पौधा है , जो अब भारत में एक सुपरफूड के रूप में लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
  • राज्य के कृषि मंत्री ने बताया कि बाजरा उच्च प्रोटीन युक्त, सामान्य मौसम एवं जलवायु परिवर्तन के अनुकूल तथा कम पानी की आवश्यकता जैसे कारकों के संयोजन के कारण राज्य के लिये एक आदर्श फसल है।
  • बाजरे की कटाई 60 से 97 दिनों में की जा सकती है। आजकल मधुमेह और मोटापे जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों में इस अनाज की माँग तेजी से बढ़ रही है अतः किसानों के लिये यह एक उचित अवसर है।

सुपरफूड – सुपरफूड का तात्पर्य ऐसी खाद्य सामग्री से है जिसमें स्वास्थ्य के लिये लाभदायक सभी पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जैसे - जामुन, मछली, पत्तेदार साग, नट, जैतून का तेल, साबुत अनाज, दही, पत्तेदार सब्जियाँ इत्यादि।

ईट स्मार्ट – इसके अंतर्गत स्वस्थ जीवन शैली के अनुरूप स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन के साथ, प्रत्येक दिन, हर समय स्वस्थ खाना खाने पर बल दिया गया है। ईट स्मार्ट के माध्यम से ज़्यादा-से-ज़्यादा प्राकृतिक पदार्थों के उपभोग से स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल के साथ ही यह ऊर्जा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।


स्रोत – द हिंदू


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (4 February)

  • 4 फरवरी: विश्व कैंसर दिवस। यह कैंसर को लेकर पूरे विश्व में जागरूकता उत्पन्न करने का वैश्विक कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य इस जानलेवा रोग के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करना और कैंसर को लेकर विभिन्न देशों की सरकारों और व्यक्तियों को कार्रवाई करने के लिये संवेदनशील बनाना है। विश्व कैंसर दिवस की शुरुआत 4 फरवरी, 2000 को पेरिस में World Summit against Cancer for the New Millennium  में पेरिस चार्टर द्वारा की गई थी। एक अनुमान के अनुसार, प्रतिवर्ष विश्वभर में 8.8 मिलियन लोगों की मृत्यु कैंसर से होती है। 2019 से 2021 तक के लिये विश्व कैंसर दिवस की थीम I Am and I Will रखी गई है।
  • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 4 फरवरी से 10 फरवरी तक चलने वाले राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत की। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक मोटर कार रैली को रवाना कर इसकी शुरुआत की। इस सप्ताह के दौरान यातायात के नियमों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने एवं लोगों को सड़क दुर्घटनाओं से बचने हेतु उपाय सुझाने के अभियान चलाए जाते हैं ।
  • राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान एक मोटर-कार रैली भी निकाली जा रही है। यह रैली ऐतिहासिक रूप से गांधी जी से जुड़े स्थानों से होकर गुज़रेगी और बांग्लादेश में ढाका पहुँचने से पहले भारत में साबरमती, पोरबंदर, दांडी, यरवदा, सेवाग्राम, जबलपुर, लखनऊ, गोरखपुर, चौरीचौरा, चंपारण, शांति निकेतन और कोलकाता से होकर गुजरेगी। इसका समापन म्यांमार के यांगून में 24 फरवरी को होगा, जिसमें कुल 7250 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। यह रैली महात्मा गांधी के 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्षभर चलने वाले समारोहों का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत पिछले साल 2 अक्तूबर को भारत सरकार ने की थी।
  • प्रधानमंत्री ने 220 Kv श्रीनगर-अलस्टेंग-द्रास-कारगिल-लेह ट्रांसमिशन सिस्टम राष्ट्र को समर्पित किया। इससे लद्दाख को पूरे वर्ष बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। इससे पर्यटन क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा और लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास में वृद्धि होगी। 335 किमी. लंबी और 2266 करोड़ रुपए लागत वाली यह परियोजना भारत सरकार की नवरत्न कंपनी पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने पूरी की है।
  • प्रधानमंत्री ने लद्दाख के पहले विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। गौरतलब है कि लद्दाख की आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी 40 फीसदी है। लद्दाख विश्वविद्यालय की शुरुआत होने से यह लेह, कारगिल, नुब्रा, ज़ांस्कर, द्रास और खाल्सती के डिग्री महाविद्यालयों से निर्मित एक क्लस्टर विश्वविद्यालय होगा और छात्रों की सुविधा के लिये लेह और कारगिल में इसके प्रशासनिक कार्यालय होंगे। साथ ही प्रधानमंत्री ने लेह में कुशोक बकुला रिम्पोछे हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का शिलान्यास किया। यह नया टर्मिनल सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ निर्बाध यात्री आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा।
  • प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले पर भारतीय डाक विभाग ने 5 रुपए का स्मारक डाक टिकट जारी किया है। यह पहली बार है जब कुंभ मेले पर डाक टिकट जारी किया गया है। कुंभ पूरे देश और विश्व के लिये भी आकर्षण का केंद्र है, इसलिये स्मारक डाक टिकट और स्मारिका जारी की गई है। आपको बता दें कि कुंभ को विश्व की अमूर्त धरोहर का दर्जा मिला हुआ है।
  • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अपनी Eat Right India पहल को बढ़ाने के लिये स्वच्छ भारत यात्रा शुरू की थी, जो एक 100-दिवसीय उपभोक्ता आउटरीच कार्यक्रम था। इस यात्रा में विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 2.5 करोड़ लोगों ने भागीदारी की। तमिलनाडु को ओवरआल सर्वश्रेष्ठ राज्य चुना गया। आपको बता दें कि FSSAI ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में ‘खाद्य जनित बीमारियों की रोकथाम करने और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को रोकने के लिये' स्वच्छ भारत यात्रा साइक्लोथॉन का अक्तूबर से जनवरी तक आयोजन किया था।
  • नासा के स्पेस टेलीस्कोप ‘हबल’ ने तीन करोड़ प्रकाश वर्ष दूर, हमारे ब्रह्मांड में पीछे की ओर मौजूद एक बौनी (Dwarf) आकाशगंगा का पता लगाया है। शोधकर्त्ताओं ने तारों के गोल गुच्छे NGC 6752 के भीतर सफेद बौने तारों का अध्ययन करने के लिये स्पेस टेलीस्कोप ‘हबल’ का इस्तेमाल किया था। इस अध्ययन का उद्देश्य गोल तारामंडल की आयु का पता लगाने के लिये इन तारों का इस्तेमाल करना था, लेकिन इस प्रक्रिया में शोधकर्त्ताओं को बौनी आकाशगंगा मिली। गौरतलब है कि बौनी आकाशगंगा में दूसरी आकाशगंगाओं की तुलना में काफी कम तारे होते हैं।
  • मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 4A(1) के अंतर्गत गठित समिति द्वारा अनुशंसित पैनल के आधार पर ऋषि कुमार शुक्ला को नया CBI डायरेक्टर नियुक्त किया है। 1983 बैच के IPS अधिकारी ऋषि कुमार शुक्ला की नियुक्ति पदभार ग्रहण करने से दो वर्षो के लिये मान्य होगी। वे पूर्व निदेशक आलोक कुमार वर्मा का स्थान लेंगे। एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में आलोक वर्मा को CVC की रिपोर्ट पर 23 अक्तूबर 2018 को छुट्टी पर भेज दिया गया था। मामला कोर्ट में गया और बाद में उन्हें फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होमगार्ड्स का DG बनाया गया था। आलोक वर्मा ने इस पद को स्वीकार करने से इनकार करते हुए इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अंतरिम CBI चीफ का ज़िम्मा एम. नागेश्वर राव संभाल रहे थे।
  • ईरान ने 1,350 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक मार करने वाली नई क्रूज़ मिसाइल का सफल परीक्षण करने का दावा किया है। यह होविज क्रूज़ मिसाइल न्यूनतम समय में तैयार हो सकती है और बहुत कम ऊँचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। यह मिसाइल 2015 में 700 किलोमीटर दूरी की मारक क्षमता के साथ विकसित सुमार (Soumar) श्रेणी की क्रूज़ मिसाइलों का हिस्सा है। ईरान ने स्वैच्छिक रूप से अपनी मिसाइलों की मारक क्षमता 2000 किलोमीटर तक नियंत्रित की हुई है। इसके बावजूद उसकी मिसाइलें इज़राइल और मध्य एशिया में बने पश्चिमी देशों के सैन्य अड्डों तक पहुँच सकती हैं।
  • 1990 में नेपाल की अंतरिम सरकार में कानून मंत्री रहे नीलांबर आचार्य को भारत में राजदूत नियुक्त किया गया है। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने शीतल निवास स्थित राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद की शपथ दिलाई। नए प्रावधान के तहत राष्ट्रपति द्वारा पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण करने वाले आचार्य पहले नेपाली राजदूत हैं। इससे पहले राजदूतों को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद की शपथ दिलाया करते थे। आपको बता दें कि दीप कुमार उपाध्याय के करीब एक साल पहले इस्तीफा देने के बाद से भारत में नेपाली राजदूत का पद खाली था।
  • भारतीय महिला क्रिकेट टीम की बल्लेबाज़ स्मृति मंधाना एकदिवसीय रैंकिंग में नंबर-1 खिलाड़ी बन गई हैं। ऑस्ट्रेलिया की एलिस पेरी और मेग लैनिंग क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। हाल ही में स्मृति मंधाना न्यूज़ीलैंड के खिलाफ एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला में ‘प्लेयर आफ द सीरीज़’ रही थीं।