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डेली न्यूज़

  • 03 Sep, 2018
  • 23 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

‘इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक’ का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 सितंबर, 2018 को नई दिल्ली स्थित तालकटोरा स्टेडियम में इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के ज़रिये बैंकिंग सेवाएँ देश भर में दूरस्थ स्थानों और वहाँ रहने वाले लोगों तक बड़ी आसानी से पहुँच जाएंगी, जिसे वित्तीय समावेश की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है। 
  • उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने इससे पूर्व वित्तीय समावेश सुनिश्चित करने के लिये ‘जन धन योजना’ शुरू की थी।
  • इस अवसर पर 650 ज़िलों में IPPB की शाखाएँ खोली गईं। 
  • देश भर में 1.5 लाख से भी अधिक डाकघर और तीन लाख से भी ज्यादा डाकिये या ‘ग्रामीण डाक सेवक’ हैं जो देश के लोगों से जुड़े हुए हैं। 
  • उल्लेखनीय  है कि डाकिया लंबे समय से गाँवों में एक सम्मानित और स्वीकार्य व्यक्ति रहा है और आधुनिक तकनीकों द्वारा दस्‍तक देने के बावजूद डाकिया पर भरोसा अब भी बना हुआ है।
  • अब लोगों को वित्तीय सेवाएँ सुलभ कराने के उद्देश्‍य से उन्हें स्मार्टफोन और डिजिटल उपकरणों के माध्‍यम से सशक्त बनाया जाएगा।
  • IPPB के माध्यम से डाकिया धन हस्तांतरण, सरकारी लाभों के हस्तांतरण और बिल भुगतान के साथ-साथ निवेश एवं बीमा जैसी अन्य सेवाएँ भी सुलभ कराएगा।
  • इस योजना के ज़रिये डाकिया द्वारा लोगों के घरों के दरवाज़े पर उपर्युक्त सेवाएँ सुलभ कराई जाएंगी। 
  • IPPB डिजिटल लेन-देन की सुविधा भी प्रदान करेगा और इसके साथ ही विभिन्‍न स्‍कीमों जैसे कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभ प्रदान करने में भी मदद करेगा, जिसके तहत किसानों को सहायता मुहैया कराई जाती है।
  • हाल के महीनों में ‘डाक सेवकों’ के कल्याण और उनकी लंबित मांगों को पूरा करने के लिये कई कदम उठाए गए हैं।
  • इन कदमों की बदौलत डाक सेवकों के वेतन में काफी वृद्धि हुई है। आशा जताई गई है कि IPPB अगले कुछ महीनों में देश भर में फैले 1.5 लाख से भी अधिक डाकघरों तक पहुँच जाएगा।

लाभ

  • आईपीपीबी को आम आदमी के लिये एक सुगम, किफायती और भरोसेमंद बैंक के रूप में स्थापित करने की कोशिश की जा रही है, ताकि केंद्र सरकार के वित्तीय समावेशन के उद्देश्यों को तेज़ी से पूरा करने में मदद मिल सके।
  • देश के हर कोने में फैले डाक विभाग के 3,00,000 से अधिक डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों के विशाल नेटवर्क से इसे काफी लाभ मिलेगा।
  • अतः IPPB भारत में लोगों तक बैंकों की पहुँच बढ़ाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाएगा।
  • आईपीपीबी का शुभारंभ तेज़ी से विकास की ओर बढ़ते भारत के दूरस्थ कोनों तक इसका लाभ सुलभ कराने संबंधी केंद्र सरकार के प्रयासों को मज़बूती देने की दिशा में एक और महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है।
  • IPPB  बचत और चालू खातों, धन हस्तांतरण, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, बिल एवं वाणिज्यिक भुगतान जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराएगा।
  • इन सुविधाओं एवं इससे जुड़ी अन्य संबंधित सेवाओं को बैंक के अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी प्‍लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए बहु-विकल्प माध्यमों (काउंटर सेवाएँ, माइक्रो-एटीएम,  मोबाइल बैंकिंग एप,  एसएमएस और आईवीआर) के ज़रिये उपलब्ध कराया जाएगा।

भारतीय अर्थव्यवस्था

वर्ष 2017 में भारत में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन आगमन रिकॉर्ड उच्च स्तर पर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी किये गए संयुक्त राष्ट्र पर्यटन संगठन (UNWTO) के आँकड़ों के अनुसार, दुनिया भर के गंतव्यों पर कुल 1,323 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का आगमन दर्ज किया गया है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • इन आँकड़ों के मुताबिक दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारत की अगुआई के साथ अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आगमन वर्ष  2017 में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गया।
  • उल्लेखनीय है कि इन आँकड़ों में वर्ष 2016 की तुलना में 84 मिलियन की वृद्धि हुई है और यह एक नया रिकॉर्ड कायम करता है।
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र में निरंतर आठ वर्षों तक पर्यटन आगमन में वृद्धि दर्ज की गई,जबकि यूरोप और अफ्रीका में क्रमशः आठ प्रतिशत और नौ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, संपूर्ण दक्षिण एशिया में सकारात्मक परिणाम की मुख्य वज़ह भारत का इस क्षेत्र में मज़बूत प्रदर्शन रहा है।
  • भारत उपक्षेत्रीय पर्यटन का सबसे बड़ा गंतव्य स्थान रहा है और पश्चिमी स्रोत बाज़ारों तथा सरल वीज़ा प्रक्रियाओं के कारण बढ़ती मांग से लाभान्वित हुआ है।
  • भारत में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का आगमन वर्ष 2016 के 14.57 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2017 में 15.54 मिलियन हो गया है तथा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन प्राप्तियाँ वर्ष 2016 के 22.42 अरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2017 में 27.36 अरब डॉलर हो गई हैं।
  • दुनिया भर के 10 शीर्ष पर्यटन स्थलों में से सात प्रमुख गंतव्य स्थानों में चीन, फाँस, जर्मनी, इटली, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।
  • उपर्युक्त सभी अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन आगमन और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन प्राप्तियों दोनों ही दृष्टि से शीर्ष स्थानों पर विद्यमान हैं।

संयुक्त राष्ट्र पर्यटन संगठन (UNWTO)

  • UNWTO संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है, जो सतत् और सार्वभौमिक रूप से सुलभ पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिये ज़िम्मेदार है।
  • UNWTO में 158 देश, 6 एसोसिएट सदस्य और 500 से अधिक संबद्ध सदस्य शामिल हैं जो निजी क्षेत्र, शैक्षिक संस्थानों, पर्यटन संगठनों और स्थानीय पर्यटन प्राधिकरणों का प्रतिनिधित्त्व करते हैं।
  • पर्यटन के क्षेत्र में प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में UNWTO न केवल आर्थिक विकास, समसामयिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के चालक के रूप में पर्यटन को बढ़ावा देता है, बल्कि साथ ही दुनिया भर में ज्ञान और पर्यटन नीतियों को आगे बढ़ाने हेतु इस क्षेत्र को नेतृत्व और समर्थन भी प्रदान करता है।
  • UNWTO पर्यटन की वैश्विक आचार संहिता (Global Code of Ethics for Tourism) के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करता है।
  • इसके अतिरिक्त यह गरीबी को कम करने के लिये तैयार किये गए सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDGs) को प्राप्त करने में एक साधन के रूप में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • वस्तुतः इसका उद्देश्य दुनिया भर में सतत् विकास को बढ़ावा देना भी है।

शासन व्यवस्था

नीति निर्माताओं के लिये आचार संहिता बनाने की अपील

संदर्भ

हाल ही में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा किया। इस अवसर पर पुस्तक- ‘मूविंग ऑन, मूविंग फॉरवर्ड- अ ईयर इन ऑफिस’ का भी विमोचन किया गया। इसके साथ ही राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्वों पर राजनीतिक विचारधाराओं से आगे बढ़कर एक साथ आगे आने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया गया।

नीति निर्माताओं हेतु आचार संहिता बनाने की आवश्यकता 

  • उपराष्ट्रपति ने संसदीय संस्थानों के प्रति लोगों के विश्वास को बनाए रखने और व्यवस्थापिका के कामकाज को सुचारु रूप से चलाने के लिये सभी राजनीतिक दलों से यह अपील की कि नीति निर्माताओं हेतु सदन के भीतर एवं सदन के बाहर एक आचार संहिता का निर्माण किया जाए। 

संसद और राज्य विधायिकाओं के कामकाज में सुधार के लिये सुझाव

  • विधायिकाओं की कार्यप्रणाली के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए विधायिकाओं की कार्य प्रणाली में सुधार के लिये निम्नलिखित सुझाव दिये गए:
  1. नीति निर्माताओं हेतु सदन के भीतर और बाहर आचार संहिता बनाई जाए ।
  2. पार्टी बदलने से पहले विधायकों द्वारा सदन से इस्तीफा दिया जाना चाहिये।
  3. एंटी-डिफेक्शन मामलों का फैसला तीन महीने के अंदर किया जाए।
  4. राजनीतिक नेताओं के खिलाफ चुनाव याचिकाओं और आपराधिक मामलों का फैसला उच्च न्यायालयों के विशेष बेंच द्वारा शीघ्रता से किया जाना चाहिये।
  5. राज्यों में उच्च सदन की स्थिरता और स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करने हेतु एक राष्ट्रीय नीति का निर्माण किया जाना चाहिये।

अन्य सुझाव 

संसाधन आवंटन में किसानों को प्राथमिकता

  • कृषि देश की मूल संस्कृति है, संसाधन आवंटन में किसानों को प्राथमिकता दी जानी चाहिये ताकि लाभकारी खेती और मज़बूत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। 

महिला संबंधी मुद्दों पर विचार किये जाने की आवश्यकता 

  • महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर विचार किया जाए ताकि वे अपनी सुरक्षा एवं गरिमा सुनिश्चित कर सकें और धर्म तथा अन्य कारकों के आधार पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को समाप्त किया जा सके।
  • विधायिकाओं समेत सभी क्षेत्रों में महिलाओं को आरक्षण दिया जाना चाहिये।

निष्कर्ष

  • सच्चे राष्ट्रवाद का तात्पर्य सिर्फ भारत माता की तस्वीर पर हार चढ़ाना और केवल भारत माता की जय के नारे लगाना नहीं है, इसका मतलब है कि किसी भी भारतीय के खिलाफ जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव न किया जाए। नीति निर्माताओं के लिये आचार संहिता का निर्माण न केवल संसदीय संस्थानों में लोगों के विश्वास को सुनिश्चित करेगा बल्कि यह देश की विधायिकाओं की कार्यप्रणाली को भी बेहतर बनाने में मदद करेगी।

जैव विविधता और पर्यावरण

पश्चिमी घाट के संरक्षण के लिये एनजीटी द्वारा उठाया गया कदम

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने केरल समेत छह पश्चिमी घाट वाले राज्यों को उन गतिविधियों के लिये पर्यावरणीय मंज़ूरी देने से रोक दिया है जो पर्वत श्रृंखलाओं के पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • माधव गाडगिल के नेतृत्व वाली पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल (WGEEP) की रिपोर्ट ने राज्य में राजनीतिक हंगामा खड़ा कर दिया था। इस रिपोर्ट का विरोध अधिकांश राजनीतिक दलों और चर्च के एक वर्ग ने किया था।
  • इस पैनल ने निर्देश दिया था कि पश्चिमी घाटों के पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों की सीमा जिसे केंद्र सरकार ने पहले अधिसूचित किया था, को हाल ही में केरल में आई बाढ़ के संदर्भ में कम नहीं किया जाना चाहिये।
  • अधिकरण की न्यायपीठ ने अपने आदेश में इस बात की विशेष रूप से व्याख्या की कि इन क्षेत्रों की मसौदा अधिसूचना में कोई भी बदलाव पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, विशेष तौर पर केरल की हालिया घटनाओं को देखते हुए। न्यायपीठ द्वारा जारी किया गया यह आदेश गोवा फाउंडेशन की दायर याचिका के संदर्भ में था। 
  • पैनल की प्रमुख न्यायपीठ ने पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF and CC) को 26 अगस्त को समाप्त होने वाली पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों पर मसौदा अधिसूचना को दोबारा प्रकाशित करने की अनुमति दी थी। साथ ही पैनल ने आदेश दिया कि मामले का निपटारा छः महीने के भीतर किया जाए। 
  • इसने यह आदेश दिया कि पुन: प्रकाशित अधिसूचना का मसौदा ट्रिब्यूनल के रिकॉर्ड में रखा जाएगा।

न्यायपीठ ने देरी के लिये चेताया

  • अधिकरण ने अधिसूचना के संबंध में आपत्तियों को दर्ज करने में देरी के लिये पश्चिमी घाट वाले राज्यों की आलोचना की और पाया कि "राज्यों की आपत्तियों के कारण देरी पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा के लिये अनुकूल नहीं हो सकती है" और मामले को जल्द-से-जल्द अंतिम रूप दिया जाना चाहिये। 
  • इस पीठ की अध्यक्षता एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल द्वारा की गई तथा न्यायमूर्ति एसपी वांगडी सदस्य के रूप में और नागिन नंदा विशेषज्ञ सदस्य के रूप में इसमें शामिल थे। 
  • पूर्व में WGEEP ने पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र में अधिक विस्तृत क्षेत्र को शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। हालाँकि कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाले उच्च स्तरीय कार्य समूह जिसे पर्यावरण मंत्रालय द्वारा QSERP रिपोर्ट की जाँच के लिये नियुक्त किया गया था, ने इसे कम कर दिया था। मंत्रालय ने कस्तूरीरंगन रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों को लेकर मसौदा अधिसूचनाएँ जारी कर दी थीं। 
  • अधिकरण की प्रमुख न्यायपीठ, जिसने यह उल्लेख किया था कि पश्चिमी घाट क्षेत्र की पारिस्थितिकी गंभीर खतरे में है, ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि पश्चिमी घाट क्षेत्र सबसे धनी जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है जिसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण

  • पर्यावरण संरक्षण एवं वनों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और शीघ्रगामी निपटारे के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के अंतर्गत 18 अक्तूबर, 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना की गई।
  • यह एक विशिष्ट निकाय है जो बहु-अनुशासनात्मक समस्याओं वाले पर्यावरणीय विवादों के निपटारे हेतु आवश्यक विशेषज्ञता द्वारा सुसज्जित है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसकी अन्य चार पीठें भोपाल, पुणे, कोलकाता तथा चेन्नई में हैं।
  • राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होते हैं तथा इसमें 10 न्यायिक सदस्य होते हैं जो विभिन्न उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होते हैं। पर्यावरण संबंधी मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले 10 अन्य सदस्यों को भी न्यायाधिकरण में शामिल किया जाता है।
  • न्यायाधिकरण को यह अधिकार प्राप्त है कि वह पर्यावरण संबंधी विभिन्न मुद्दों पर स्वत: संज्ञान ले सकता है। पर्यावरणीय क्षति पहुँचाने या नियमों का उल्लंघन करने के दोषी लोगों को दंडित कर सकता है, व्यक्तिगत रूप से 10 करोड़ रुपए या किसी कंपनी पर 25 करोड़ रुपए का दंड लगा सकता है तथा सश्रम कारावास की सज़ा भी सुना सकता है।

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स:3 सितंबर, 2018

मोवेलो साइक्लोथोन

नीति आयोग ने शहरों को साइकिल के अनुकूल बनाने के लिये एक अनोखा कदम उठाते हुए मोवेलो साइक्लोथोन (Movelo Cyclothon), स्वच्छता तथा परिवहन के सुलभ तरीके को बढ़ावा देने के लिए एक साइकिल रैली, की शुरुआत की।

  • इस साइकिल रैली की शुरुआत वैश्विक गतिशीलता शिखर सम्मेलन को ध्यान में रखते हुए आयोजित किये जाने वाले गतिशीलता सप्ताह के अंतर्गत किया गया।

'गतिशीलता सप्ताह' के बारे में:

  • 'गतिशीलता सप्ताह’ में 31 अगस्त, 2018 से 6 सितंबर, 2018 तक 7 दिनों के अंदर 17 कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। 
  • ये कार्यक्रम गतिशीलता के क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत को सुविधाजनक बनाएंगे।

वैश्विक गतिशीलता शिखर सम्मेलन के बारे में: 

  • इसका आयोजन नीति आयोग द्वारा विभिन्न मंत्रालयों व उद्योग जगत के सहयोग से किया जाएगा। 
  • इसमें विश्वभर के राजनेता तथा उद्योगपति, शोध संस्थान, शिक्षा जगत और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि भाग लेंगे। 
  • इस सम्मेलन से सरकार के लक्ष्यों यथा बिजली से चलने वाले वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण तथा रोज़गार के अवसरों के सृजन आदि को प्रोत्साहन मिलेगा। 

सम्मेलन के मुख्य विषय 

♦ सार्वजनिक पारगमन सुविधा पर विचार करना।
♦ आँकड़ों का विश्लेषण और मोबिलिटी।
♦ परिसंपत्ति ऊपयोगिता एवं सेवाएँ।
♦ वैकल्पिक ऊर्जा।
♦ व्यापक विद्युतीकरण। 
♦ माल परिवहन।


नेता एप

हाल ही में नेशनल इलेक्टोरल ट्रांसफॉर्मेशन एप (National Electoral Transformation App- NETA) लॉन्च किया गया। उल्लेखनीय है कि इस एप को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा लॉन्च किया गया।

  • यह एप एक ऐसा मंच है जहाँ मतदाता अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के कार्यों की समीक्षा और उनका मूल्यांकन कर सकते हैं और साथ ही प्रतिनिधियों को उनके कर्त्तव्यों के लिये ज़िम्मेदार भी ठहरा सकते हैं।
  • यह एप युवा आईटी विशेषज्ञ प्रथम मित्तल द्वारा विकसित किया गया है। 
  • अमेरिका की समर्थन प्रणाली से प्रेरित यह एप उपयोगकर्त्ताओं को अपने विधायकों और सांसदों का मूल्यांकन करने की अनुमति देता है।
  • राजस्थान के अजमेर और अलवर निर्वाचन क्षेत्रों में फरवरी, 2018 के उपचुनाव के दौरान इस एप को प्रस्तुत किया गया था तथा बाद में इसका उपयोग मई 2018 में विधानसभा चुनावों से पहले कर्नाटक में किया गया था।

मिल बाँचें कार्यक्रम

  • हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में मिल-बाँचें कार्यक्रम की शुरुआत की।
  • राज्य के सरकारी स्कूलों और समाज के बीच शुरू किया जाने वाला यह कार्यक्रम अपनी तरह का पहला संवादात्मक कार्यक्रम है।
  • 80,000 से अधिक स्वयंसेवकों ने इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूलों को उपहार देने की इच्छा व्यक्त की है। इन उपहारों में किताबों के अलावा अन्य वस्तुएँ शामिल हैं जो छात्रों के लिये उपयोगी हो सकती हैं।
  • राज्य में इस कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य बच्चों का बहु-आयामी विकास करना है।
  • ‘मिल-बाँचें मध्य प्रदेश’ कार्यक्रम के लिये पंजीकृत 2 लाख से अधिक स्वयंसेवकों में 820 इंजीनियर, 843 डॉक्टर, 36 हज़ार निजी क्षेत्र के कर्मचारी, 19 हज़ार सार्वजनिक प्रतिनिधि और लगभग 45 हज़ार सरकारी कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं।

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