डेली न्यूज़ (03 Apr, 2019)



भारत में ऑटोमेशन और नौकरियाँ

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने हाल ही में एक रिपोर्ट, नियोक्ताओं और व्यवसायिक संगठनों के लिये बदलते व्यवसाय तथा अवसर (Changing Business and Opportunities for Employer and Business Organizations) जारी की है। यह रिपोर्ट ऑटोमेशन और इससे उत्पन्न रोज़गार संबंधी चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करती है।

प्रमुख बिंदु

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा जारी की गई यह रिपोर्ट उन गतिविधियों को सूचीबद्ध करती है जिनका मौजूदा तकनीकी का प्रयोग करते हुए ऑटोमेशन किया जा सकता है।
  • अगर भारत के संदर्भ में बात करें तो 51.8% गतिविधियों का ऑटोमेशन किया जा सकता है। वहीं जापान तथा थाईलैंड में क्रमशः 55.7% और 54.8% गतिविधियों का ऑटोमेशन किया जा सकता है।
  • वैश्विक स्तर पर 40% गतिविधियों का ऑटोमेशन संभव है। यदि ऑटोमेशन को उचित तरीके से प्रबंधित नहीं किया गया तो यह रोज़गार के लिये संकट उत्पन्न करने वाला साबित हो सकता है।

automation

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, रोबोटिक ऑटोमेशन ने अकुशल रोज़गार के साथ ही सामान्य असेंबली कार्यों को भी प्रतिस्थापित किया है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑटोमेशन विनिर्माण और खुदरा क्षेत्र के साथ-साथ डेटा संग्रह तथा प्रसंस्करण एवं शारीरिक गतिविधियों वाले रोजगारों को भी प्रभावित करेगा।
  • इसके अलावा, ऑटोमेशन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज़्यादा प्रभावित करेगा।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization- ILO)

  • यह ‘संयुक्त राष्ट्र’ की एक विशिष्ट एजेंसी है, जो श्रम संबंधी समस्याओं/मामलों, मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानक, सामाजिक संरक्षा तथा सभी के लिये कार्य अवसर सुनिश्चित करती है।
  • यह संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियों से इतर एक त्रिपक्षीय एजेंसी है, अर्थात् इसके पास एक ‘त्रिपक्षीय शासी संरचना’ (Tripartite Governing Structure) है, जो सरकारों, नियोक्ताओं तथा कर्मचारियों का (सामान्यतः 2:1:1 में) इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रतिनिधित्व करती है।
  • यह संस्था अंतर्राष्ट्रीय श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के खिलाफ शिकायतों को पंजीकृत तो कर सकती है, किंतु सरकारों पर प्रतिबंध आरोपित नहीं कर सकती है।

भारत की स्थिति

  • ILO की रिपोर्ट का एक महत्त्वपूर्ण बिंदु यह है कि 66% भारतीय व्यवसायी तीन साल पहले की तुलना में उन्नत कौशल वाले नए कर्मचारियों की तलाश कर रहे हैं।
  • यहाँ तक अमेरिका (61%), ब्राज़ील (70%) और जर्मनी (65%) के व्यवसायी भी इस बात पर सहमत है कि नए रोज़गारों हेतु उन्नत कौशल की आवश्यकता है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बेरोज़गारी के संकट के साथ-साथ रोज़गार क्षमता का संकट भी है।
  • कुछ फर्मों के पास नौकरियाँ होने के बावजूद वे सही कौशल वाले उम्मीदवारों को खोजने में असमर्थ हैं।
  • इस समस्या के पीछे एक बड़ी वज़ह भारत की शिक्षा प्रणाली है जो बदलते परिदृश्य के साथ खुद को विकसित करने में सफल नहीं हो पाई।

स्रोत- लाइवमिंट


कोशिका में वृद्धि रोकने वाले एंज़ाइम की खोज

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (Centre for Cellular & Molecular Biology- CCMB) के वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसे एंज़ाइम की खोज की गई है जो बैक्टीरिया को कोशिका की दीवारों/भित्ति को तोड़ने में मदद करता है। इससे कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि को रोका जा सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • यह एंज़ाइम मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से एंटी-बैक्टीरियल प्रतिरोध को रोकने के लिये एक नए दवा वितरण मार्ग की क्षमता प्रदान करता है।
  • CCMB के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह जानना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि वर्तमान में उपलब्ध एंटीबायोटिक दवाओं में एंटी-बैक्टीरियल प्रतिरोध कैसे विकसित होते हैं।
  • दुनिया भर के वैज्ञानिक इस घटना को समझने की कोशिश बहुत सालों से कर रहे हैं ।
  • पिछले एक दशक से हैजा, कुष्ठ रोग, तपेदिक इत्यादि जैसी बीमारियों के बारे में जानने के लिये एस्चेरिचिया कोलाई (Escherichia colie) बैक्टीरिया की कोशिकाओं के कार्य प्राणाली पर अध्ययन किया जा रहा है कि कैसे ये विभाजित एवं विकसित होते हैं।

क्रियाविधि

  • ‘कोशिका भित्ति’ निर्मित करने के लिये कोशिका सिंथेटिक मशीनरी को कैसे संचालित करती है यह जानने के लिये वैज्ञानिक जाँच-पड़ताल कर रहे थे, कि इसी दौरान वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया में शामिल मुख्य कारक को चिन्हित कर लिया और एक ऐसे नये तंत्र या एंज़ाइम की खोज की जिससे कोशिका अपने भित्ति के विकास को विनियमित करती है।
  • अन्य बैक्टीरिया में भी कोशिका के विभाजन एवं मूलभूत विकास में एक ही एंज़ाइम कार्य करता है अतः इस एंज़ाइम को जैव तकनीकी प्रक्रिया द्वारा कोशिका मे वृद्धि करने से रोका जा सकता है। साथ ही रोगाणुओं को लक्षित करने के नए तरीके प्राप्त किये जा सकते हैं, और यैसे बेहतर एंटीबायोटिक दवाओं को विकसित किया जा सकता है जो कोशिका की वृद्धि मे शुरूआत में ही रोक लगाते हैं।
  • इसके विपरीत, पहले से मान्य एंटीबायोटिक दवाएँ (जैसे कि पेनिसिलिन) कोशिका वृद्धि को रोकने के लिये कोशिका संश्लेषण के अंतिम चरण को लक्षित करती है, जो कोशिका की दीवार बनाने वाले तंत्र ‘क्रॉस-लिंक्ड शर्करा और पेप्टाइड्स (Cross-linked Sugars and Peptides) की एक जाल’ जैसी संरचना से टकराती है। जिससे कोशिका भित्ति का निर्माण रोकना कठिन होता है।
  • प्राप्त नवीन एंज़ाइम बहुत महत्त्वपूर्ण है, एंज़ाइम एंडो-पेप्सीडीन के अणु का पता लगाया जा रहा है जिससे मौजूदा एंटीबायोटिक दवाओं को बदलने के लिये दवाओं के एक नए संयोजन को फिर से तैयार किया जा सके।

स्रोत- द हिंदू


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (03 April)

  • सुप्रीम कोर्ट ने निजी क्षेत्र के सभी कर्मचारियों के लिये पेंशन में भारी वृद्धि का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने EPFO की याचिका को खारिज करते हुए केरल हाई कोर्ट के उसे फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें कर्मचारियों को उनके पूरे वेतन के हिसाब से पेंशन देने का आदेश दिया गया था। आपको बता दें कि वर्तमान में EPFO पेंशन की गणना प्रतिमाह 1250 रुपए (15000 का 8.33%) के हिसाब से करता है। EPFO कर्मचारियों के बेसिक वेतन का 12% हिस्सा PF में जाता है और 12% PF उसके नाम से नियोक्ता जमा करता है। कंपनी की 12% हिस्सेदारी में से 8.33% हिस्सा पेंशन फंड में जाता और बाकी 3.66% PF में।
  • सुरक्षा बलों को अतिरिक्त शक्तियाँ देने वाले सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून यानी अफस्पा को अरुणाचल प्रदेश के नौ में से तीन ज़िलों से आंशिक रूप से हटा लिया गया है। जिन थाना क्षेत्रों से अफस्पा हटाया गया है उनमें पश्चिम कामेंग ज़िले के बालेमू तथा भालुकपोंग थाना, पूर्वी कामेंग ज़िले का सेइजोसा थाना और पापुमपारे ज़िले का बालीजान थाना क्षेत्र शामिल हैं। लेकिन म्यांमार से सटे राज्य के इलाकों में यह कानून लागू रहेगा। यह कदम राज्य में कानून लागू होने के 32 साल बाद उठाया गया है। 20 फरवरी, 1987 को राज्य के गठन के समय से अफस्पा लागू था, क्योंकि असम और तत्कालीन केंद्रशासित प्रदेश मणिपुर में यह पहले से लागू था। अरुणाचल प्रदेश के बाद मेघालय, मिज़ोरम और नगालैंड अस्तित्व में आए और इन राज्यों में भी यह कानून लागू किया गया था। इस कानून के तहत सुरक्षा बल किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं और किसी भी परिसर में छापा मार सकते हैं।
  • भारत ने मलावी में भारत-अफ्रीका कृषि और ग्रामीण विकास संस्थान (IAIARD) की स्थापना के लिये नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट कंसल्टेंसी सर्विस (NABCONS) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। यह समझौता अफ्रीकी देशों के साथ कृषि-वित्तपोषण और उद्यमिता विकास के क्षेत्रों में क्षमता बढ़ाने के भारत के प्रयासों का एक हिस्सा है। IAIARD एक पैन-अफ्रीकी संस्थान होगा जिसमें न केवल मलावी बल्कि अन्य अफ्रीकी देशों के प्रशिक्षु अपने देश में मानव संसाधन को विकसित करने और अपनी क्षमता का निर्माण करने के लिये प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। फैकल्टी पर पूरा खर्च, अन्य अफ्रीकी देशों के छात्रों के लिये यात्रा, लॉजिस्टिक्स और ट्रेनिंग कोर्स का खर्च भारत सरकार द्वारा शुरुआती तीन साल की अवधि के लिये वहन किया जाएगा। यह संस्थान भारत द्वारा स्थापित किया जाने वाला किसी अफ्रीकी देश में अपनी तरह का पहला केंद्र होगा।
  • स्विट्जरलैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख के शोधकर्त्ताओं के एक अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन की वज़ह से डॉल्फिन सहित कई समुद्री स्तनधारी जीवों का अस्तित्व खतरे में है। शोधकर्त्ताओं ने डॉल्फिन के प्रजनन और उत्तरजीविता पर गर्म हवा के प्रभाव का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि इससे डॉल्फिन के जीवित रहने की दर 12% तक घट गई थी और मादा डॉल्फिन की प्रजनन दर भी कम हो गई थी। दरअसल, 2011 में गर्म हवाओं की वज़ह से समुद्री जल का तापमान चार डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था। इससे पानी के नीचे उगने वाले पौधों (Sea Grass) को काफी नुकसान हुआ था। ये Sea Grass पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के शार्क बे पारिस्थितिकी तंत्र का प्रमुख हिस्सा हैं, जिसे यूनेस्को ने विश्व विरासत सूची में शामिल किया है। इसकी वज़ह से 2017 तक मादा डॉल्फिन की प्रजनन क्षमता सामान्य नहीं हो पाई थी।
  • अमेरिका के सदर्न कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं के एक अध्ययन से पता चला है कि मंगल ग्रह पर ध्रुवों की तुलना में व्यापक भौगोलिक क्षेत्र में भूजल मौजूदगी की संभावना है। मंगल ग्रह पर सतह से नीचे पानी की सक्रिय मौजूदगी हो सकती है और यह पानी संभवतः इस ग्रह में सतह से ऊपर बहने वाले पानी का स्रोत हो सकता है। पिछले वर्ष अनुसंधानकर्ताओं ने मंगल ग्रह के बर्फ से ढके दक्षिण ध्रुवीय शिखरों पर एक गहरी जल झील की मौजूदगी का पता लगाया था। इस शोध में यह पाया गया कि यह भूजल प्रणाली सतह से करीब 750 मीटर नीचे है और जिस गढ्ढे का अध्ययन किया गया, वहाँ पर भूजल दरारों के ज़रिये सतह पर आया है।
  • डॉ. विक्रम पटेल को वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिये 2019 के जॉन डर्क कनाडा गेर्डनर ग्लोबल हेल्थ अवार्ड (John Dirks Canada Gairdner Global Health Award) के लिये चुना गया है। डॉ. पटेल को मानसिक स्वास्थ्य में उनके शोध, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने और मानसिक विकारों की रोकथाम और उपचार के वैश्विक दृष्टिकोण के लिये चुना गया है। डॉ. पटेल लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में ग्लोबल मेंटल हेल्थ सेंटर के सह-संस्थापक और पूर्व निदेशक हैं। आपको बता दें कि इस पुरकार को दिये जाने का यह 60वाँ वर्ष है।
  • अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्देलअजीज़ बाउटेफ्लिका ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अल्जीरिया में चल रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के कारण उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। उन्होंने सांविधानिक परिषद को अपने इस्तीफे की जानकारी दी, जिसके बाद परिषद ने आधिकारिक घोषणा से पहले बोटेफ्लिका के इस्तीफे को मान्य करने के लिये तत्काल बैठक बुलाई। लगातार पाँचवें कार्यकाल के लिये प्रयासरत अब्देलअजीज़ का कार्यकाल 28 अप्रैल को खत्म होने वाला था।
  • चीनी ताइपे के ताओयुआन में आयोजित हुई 12वीं एशियाई एयरगन चैंपियनशिप में भारतीय निशानेबाज़ों ने अपना दबदबा कायम रखते हुए 16 स्वर्ण, 5 रजत और 4 कांस्य पदक जीते। इस प्रतिस्पर्द्धा में मनु भाकर और सौरभ चौधरी ने 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम में क्वालिफिकेशन राउंड में विश्व रिकॉर्ड बनाया और बाद में इस स्पर्द्धा का स्वर्ण पदक भी जीता।