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डेली न्यूज़

  • 02 Mar, 2019
  • 30 min read
शासन व्यवस्था

राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति को मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति (National Policy on Software Products-NPSP) को मंज़ूरी दे दी।

उद्देश्य- सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग में 2025 तक 35 लाख रोज़गार सृजन करने के साथ-साथ लगभग 40% तक इस उद्योग की वृद्धि दर को पहुँचने में मदद करना। साथ ही अगले सात वर्षों में नीति के तहत विभिन्न योजनाओं में ₹1500 करोड़ के परिव्यय के साथ 2025 तक 70 से 80 बिलियन डॉलर के व्यापार को सुनिश्चित करना।

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • उभरती हुई प्रौद्योगिकी जैसे- इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक चेन, बिग डाटा, रोबोटिक्स को बढ़ावा देना भी इसी नीति के उद्देश्य बताए गए हैं।
  • उपरोक्त संदर्भ में ₹1500 करोड़ के एक फंड (सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास कोष/Software Products Development Fund) निर्माण को भी मंज़ूरी दी गई है। इसमें सरकारी अंशदान ₹1000 करोड़ का होगा जिससे सॉफ्टवेयर उत्पाद से जुड़े पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दिया जा सके। ये कोष वित्तीय रूप से एक पेशेवर वित्तीय संस्थान द्वारा प्रबंधित किया जाएगा।
  • यह नीति वैश्विक बाज़ार में भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पादों की हिस्सेदारी को दस गुना तक बढ़ाने पर भी ध्यान देगी। सॉफ्टवेयर उत्पाद उद्योग में 10,000 प्रौद्योगिकी स्टार्ट अप (जिसमें 1000 स्टार्ट अप टियर II और III से जुड़े हैं) के वित्तीय पोषण पर भी ध्यान दिया गया है।
  • 10 लाख आईटी पेशेवरों के कौशल विकास के साथ-साथ 10,000 नेतृत्व दायक पेशेवरों के विकास पर भी ध्यान दिया गया है।
  • इस नीति में सामाजिक चुनौतियों को हल करने के लिये नवाचार प्रोत्साहन एवं बौद्धिक संपदा से जुड़े साफ्टवेयर उत्पादों पर भी ध्यान दिया गया है।
  • राष्ट्रीय साफ्टवेयर उत्पाद मिशन (National Software Product Mission ) की भी शुरुआत करने की योजना है जिसमें सरकार के साथ शैक्षणिक संस्थानों और औद्योगिक संस्थानों द्वारा सहयोग किया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति की घोषणा राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक्स नीति की घोषणा के अगले ही दिन की गई है।

कुछ रोचक तथ्य

वर्तमान समय में आईटी-आईटीईएस उद्योग का कुल राजस्व 168 बिलियन डॉलर है। इसमें साफ्टवेयर उत्पाद उद्योग से मात्र 7.1 बिलियन डॉलर का ही राजस्व प्राप्त होता है, जबकि 2.3 बिलियन डॉलर का निर्यात होता है।

स्रोत: PIB & PTI


सामाजिक न्याय

पोषण पखवाड़ा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने देश भर में 8 से 22 मार्च, 2019 तक ‘पोषण पखवाड़ा’ मनाए जाने की घोषणा की है। जिसकी शुरुआत 8 मार्च, 2019 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर की जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • 8 मार्च, 2019 को पोषण अभियान की पहली वर्षगाँठ के मद्देनजर देश भर में इस पोषण पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। और इसे जन आंदोलन के रूप में मनाया जाएगा।
  • इसका आयोजन सितंबर 2018 में आयोजित किये गए पोषण माह की तर्ज़ पर किया जा रहा है।
  • इसकी गतिविधियों के समन्‍वय के लिये महिला और बाल विकास मंत्रालय नोडल मंत्रालय का कार्य करेगा, इसी तरह राज्‍य/केंद्रशासित प्रदेशों के महिला और बाल विकास विभाग/समाज कल्‍याण विभाग को नोडल विभाग बनाया जाएगा।

प्रमुख गतिविधियाँ

  • महिला और बाल विकास मंत्री ने इस पखवाड़े के दौरान आयोजित किये जाने वाले मुख्य कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि इससे देश भर में पोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये अभियान चलाया जाएगा और कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाएगा।
  • इन गतिविधियों में पोषण मेला (Poshan Mela), सभी स्‍तरों पर पोषाहार रैली, प्रभात फेरी (Prabhat Pheree), स्‍कूलों में पोषाहार विषय पर सत्र का आयोजन, स्‍वयं सहायता समूहों की बैठकें, एनीमिया शिविर, बाल विकास निगरानी, आशा/आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा नवजात शिशुओं के घर जाकर पोषण के लिये जागरूक करना, ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य, स्‍वच्‍छता तथा पोषाहार दिवस शामिल है।
  • इस पखवाड़े के दौरान मास मीडिया तथा सोशल मीडिया के माध्‍यम से गतिविधियाँ भी चलाई जाएंगी। लोगों की अधिकतम पहुँच के लिये मीडिया सहयोगियों तथा स्‍वस्‍थ भारत प्रेरकों के दलों के माध्‍यम से एक सोशल मीडिया अभियान हैशटैग #पोषण_पखवाड़ा चलाया जाएगा।
  • पोषण पखवाड़े के दौरान शहरी क्षेत्र में पोषाहार पर जागरूकता बढ़ाई जाएगी।

पृष्ठभूमि

  • 8 मार्च, 2018 को प्रधानमंत्री द्वारा झुंझुनू से एक असाधारण पहल राष्‍ट्रीय पोषण मिशन (National Nutrition Mission-NNM) का राष्‍ट्रीय स्‍तर पर शुभारंभ किया गया था।
  • भारत सरकार द्वारा तीन वर्ष के लिये 9046.17 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान करते हुए वित्तीय वर्ष 2017-18 से राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गई थी।

रणनीति एवं लक्ष्य

  • NNM एक शीर्षस्थ निकाय के रूप में मंत्रालयों के पोषण संबंधी हस्तक्षेपों की निगरानी, पर्यवेक्षण, लक्ष्य निर्धारित करने तथा मार्गदर्शन का काम करेना।
  • इसका लक्ष्य ठिगनापन, अल्पपोषण, रक्ताल्पता (छोटे बच्चों, महिलाओं एवं किशोरियों में) तथा जन्म के वक्त बच्चों में कम वज़न की समस्या में प्रतिवर्ष क्रमश: 2%, 2%, 3% तथा 2% की कमी लाना था।

स्रोत – PIB


भारतीय अर्थव्यवस्था

राष्ट्रीय लघु बचत कोष

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार अपने वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिये राष्ट्रीय लघु बचत निधि (National Small Savings Fund-NSSF) से बजट में उल्लिखित धनराशि से अधिक उधार ले सकती है।

प्रमुख बिंदु

  • ध्यान देने वाली बात है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान राष्ट्रीय लघु बचत निधि (NSSF) पर सरकार की निर्भरता बढ़ी है।

♦ हालाँकि वित्तीय वर्ष-2020 हेतु 21% का लक्ष्य वित्तीय वर्ष-2019 के 22.4% से थोड़ा कम है किंतु यह वित्तीय वर्ष-2015 की तुलना में 3% अधिक है।

  • ऐसे राज्य जो पहले इस कोष के प्रमुख कर्ज़दार थे, अब 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये बाज़ार के कर्ज़ (राज्य विकास ऋण) पर अधिक भरोसा कर रहे हैं।

♦ अप्रैल 2016 के बाद सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों (अरुणाचल प्रदेश, केरल, दिल्ली (UT) और मध्य प्रदेश को छोड़कर) द्वारा राष्ट्रीय लघु बचत से कर्ज़ न लेने की वज़ह से केंद्र और सार्वजनिक उपक्रमों हेतु उपलब्ध कर्ज़ का हिस्सा बढ़ा है।

  • हालाँकि ध्यान देने वाली बात यह भी है कि बाज़ार से लिये जाने वाले कर्ज़ की लागत NSSF के कर्ज़ की तुलना में ज़्यादा होती है।

राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF)

  • भारत में राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF) की स्थापना 1999 में की गई थी।
  • राष्ट्रीय लघु बचत कोष (निगरानी और निवेश) नियम, 2001 के तहत वित्त मंत्रालय (आर्थिक मामलों का विभाग) इस कोष को प्रशासित करता है।
  • राष्ट्रीय लघु बचत कोष का उद्देश्य भारत के संचित निधि से छोटी बचत लेन-देन को हटाना और पारदर्शी तथा आत्मनिर्भर तरीके से उनका संचालन सुनिश्चित करना है।
  • राष्ट्रीय लघु बचत कोष सार्वजनिक खाते के रूप में संचालित होता है, इसलिये इसका लेन-देन सीधे केंद्र के वित्तीय घाटे को प्रभावित नहीं करता है।
  • लघु बचत को तीन प्रमुख भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

♦ डाकघर जमा
♦ बचत पत्र
♦ सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


विविध

PRANAM आयोग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में असम की सरकार ने पैरेंट्स रेपॉन्सबिलिटी एंड नॉर्म्स फॉर अकाउंटबिलिटी एंड मॉनिटरिंग (Parents Resposibility And Norms for Accountibility and Monitoring - PRANAM) आयोग का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • PRANAM आयोग राज्य सरकार के कर्मचारियों के बूढ़े माता-पिता और उन पर निर्भर दिव्यांग भाई-बहनों से जुड़ी समस्याओं पर लाए गए ‘PRANAM’ विधेयक से संबंधित मुद्दों की देखभाल के लिये गठित पैनल है।
  • यह देश में अपनी तरह का एकमात्र विधेयक है जिसमें राज्य के सरकारी कर्मचारियों के माता-पिता की उनके बुरे वक़्त में सुरक्षा का प्रयास किया गया है।
  • यह विधेयक राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिये अपने माता-पिता और उन पर निर्भर दिव्यांग भाई-बहनों की देख-भाल को अनिवार्य बनाता है।
  • आयोग को अगर यह सूचना मिलती है कि कर्मचारी अपने माता-पिता या दिव्यांग भाई-बहनों की देखभाल नही कर रहें हैं या उनकी आधारभूत ज़रूरतों को पूरा नहीं कर रहें हैं तो बिल के अनुसार, उनके वेतन का 10–15 प्रतिशत हिस्सा उनके माता-पिता या दिव्यांग भाई-बहनों को हस्तानांतरित कर दिया जाएगा।
  • इस विधेयक से राज्य के लगभग 4 लाख कर्मचारियों के 8 लाख माता-पिता लाभान्वित होंगे।
  • भविष्य में विधेयक में राज्य में कार्यरत निजी क्षेत्र एवं केंद्र के कर्मचारी भी शामिल किये जाएंगे।

स्रोत : टाइम्स ऑफ़ इंडिया


सामाजिक न्याय

DEPwD को मिला सातवाँ गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) के विकलांग व्यक्तियों के अधिकारता विभाग (Department of Empowerment of Persons with Disabilities-DEPwD) द्वारा गुजरात के भरूच जिले में दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना (Deendayal Disabled Rehabilitation Scheme-DDRS) पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस सम्मेलन में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री, सचिव, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी तथा देश भर से लगभग 600 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
  • सम्मेलन का मुख्या उद्देश्य योजना के साझेदारों (Stakeholders) अर्थात् कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियों (Programme Implementing Agencies-PIAs), ज़िला स्तर के अधिकारियों और राज्य सरकार के अधिकारियों को संवेदनशील बनाना था।
  • इससे पहले DEPwD ने 22 दिसंबर, 2018 को सिकंदराबाद में, 17 जनवरी, 2019 को मुंबई में तथा 18 फरवरी 2019 को कोलकाता में देश के दक्षिणी, पश्चिमी, मध्य, पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों को कवर करते हुए तीन क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किये।
  • हाल में DEPwD ने गुजरात के भरूच ज़िले में आठ घंटों के भीतर 260 दिव्यांगजनों में मॉडर्न आर्टिफिशियल लिम्ब्स (Legs) एक साथ प्रतिस्थापित कर ‘7वाँ गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। DEPwD द्वारा किया दिव्यांगजनों के लिये किया गया यह कार्य अत्यंत सराहनीय है।
  • DEPwD ने पहले भी अन्य श्रेणियों में छह विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं।

DEPwD की उपलब्धियाँ

  • DEPwD के तहत भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (Indian Sign Language Research and Training Centre-ISLRTC) ने हाल ही में एक निर्देशिका तैयार की है जिसमें श्रवण बाधित दिव्यांगजनों के लिये 6000 शब्द उपलब्ध हैं साथ ही 1700 से अधिक दृष्टिबाधित बच्चों का इलाज कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी (Cochlear Implant Surgery) द्वारा किया गया है, इनमें से लगभग सभी अब सामान्य जीवन जी रहे हैं।

कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी
Cochlear Implant Surgery

इसमें एक छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को कान के पास कर्णावर्त तंत्रिका को उत्तेजित करने के लिये लगाया जाता है। यह उपकरण ध्वनि को संप्रेषित करके आंतरिक भाग तक पहुँचाता है। 

  • DEPwD ने दिव्यांगजनों को उनके सुगम आवागमन के लिये इंजन चालित ट्राइसाइकिल (Motorized Tricycles) प्रदान की है इस कार्य में परिवहन विभाग उनकी मदद कर रहा है।

पृष्ठभूमि

  • अब तक 28 राज्यों ने लगभग 13 लाख दिव्यांगजनों को यूनिवर्सल आईडी कार्ड प्रदान किया है, बहुत जल्द यह आईडी कार्ड देश के सभी दिव्यांगजनों को दिया जाना सुनिश्चित किया गया है। जो कि नई पहलों पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
  • यद्यपि DDRS योजना 1999 से ही अस्तित्व में थी, फिर भी 1 अप्रैल, 2018 में इसके प्रावधानों में एक बड़ा सुधार किया गया।
  • इसके पुनरुद्धार एवं अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये इस योजना को संशोधित किया गया है।
  • योजना में किये गए सुधारों में 2.5 गुना मानदेय, अन्य लागत मानदंडों में वृद्धि, आवेदन की प्रक्रिया को सुव्यस्थित करना तथा कुछ मॉडल परियोजनाओं को तर्क संगत बनाना आदि शामिल है।

मॉडल परियोजनाओं

प्री-स्कूल, प्रारंभिक हस्तक्षेप एवं प्रशिक्षण (Pre-Schools, Early Intervention and Training)

  • बच्चों के लिये विशेष स्कूलों के साथ (Special Schools for Children with) -

♦ बौद्धिक विकलांग (Intellectual Disabilities)
♦ सुनने और बोलने की विकलांगता (Hearing and Speech Disabilities)
♦ दृश्य विकलांगता (Visual Disabilities)

  • बच्चों के लिये सेरेब्रल पल्सिड प्रोजेक्ट (Project for Cerebral Palsied children)
  • कुष्ठ रोगियों का पुनर्वास (Rehabilitation of Leprosy Cured Persons)
  • मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के इलाज और नियंत्रण के मनोवैज्ञानिक-सामाजिक पुनर्वास के लिये हॉफ वे होम (Half Way Home for psycho-Social Rehabilitation of treated and controlled Mentally ill persons)
  • घर आधारित पुनर्वास (Home Based Rehabilitation)
  • समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रम (Community Based Rehabilitation Programme-CBR)
  • लो विजन सेंटर (Low Vision Centres and)
  • मानव संसाधन विकास (Human Resource Development)

स्रोत – PIB


प्रारंभिक परीक्षा

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (2 March)

  • 1 मार्च को भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अबु धाबी में आयोजित ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) की बैठक में हिस्सा लिया और अपने संबोधन में आतंकवाद पर करारा प्रहार किया। गौरतलब है कि OIC की बैठक में भारत को गेस्ट ऑफ ऑनर का दर्जा दिया गया है, जबकि भारत इस संगठन का सदस्य नहीं है। भारत को आमंत्रित करने के विरोध में पड़ोसी देश पाकिस्तान ने इस बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी विदेश मंत्रियों की काउंसिल में शामिल नहीं हुए। यह फैसला भारत को गेस्ट ऑफ ऑनर बनाए जाने के विरोध में लिया गया। OIC काउंसिल में 57 इस्लामिक देश सदस्य हैं और इससे पहले तक पाकिस्तान के विरोध के चलते OIC की बैठक में भारत को शामिल नहीं किया जाता था।
  • 2 मार्च को आयोजित RECP (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी) की सातवीं अंतर-सत्र मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने किया। कंबोडिया के सिएम रीप में हुई इस बैठक की अध्यक्षता थाईलैंड के कार्यवाहक वाणिज्य मंत्री चूटीमां बुलियाप्रफासारा ने की। इस बैठक में सिंगापुर में 14 नवंबर, 2018 को आयोजित RECP की बैठक के बाद हुई प्रगति, 25-26 जनवरी, 2019 को विशेष व्यापार वार्ता समिति की इंडोनेशिया के जकार्ता में हुई दूसरी बैठक तथा 19 से 28 फरवरी, 2019 तक इंडोनेशिया के बाली में हुई इससे संबंधित 25वीं RECP और व्यापार वार्ता समिति की अन्य बैठकों के परिणामों की समीक्षा की गई। गौरतलब है कि RECP एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौता है जिसके लिये 16 देशों के बीच वार्ताएं चलती रहती हैं। इन 16 देशों में आसियान के 10 देश ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) और उनके छह FTA (मुक्त व्यापार समझौता) साझेदार देश- ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं। आपको यह भी बता दें कि RECP वार्ताओं के छठे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। बीते पाँच वर्षों के दौरान विशेषज्ञ स्तर की 24 दौर की वार्ताएँ हो चुकी हैं। इन वार्ताओं का आखिरी दौर 18-27 अक्तूबर, 2018 तक न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड में संपन्न हुआ था। RECP की अब तक छह अंतर-मंत्रिस्तरीय और सात अंतर-सत्र मंत्रिस्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। छठी मंत्रिस्तरीय बैठक 30-31 अगस्त 2018 को सिंगापुर में और सातवीं अंतर-सत्र मंत्रिस्तरीय बैठक 12-13 नवंबर, 2018 को सिंगापुर में हुई थी।
  • केंद्र सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 के अनुच्छेद 2 की उप-धारा (V) के तहत व्यक्ति की परिभाषा को संशोधित कर उसके स्थान पर ट्रस्ट को शामिल करने के लिये इस अधिनियम में संशोधन हेतु अध्यादेश लाने का फैसला किया है। नई व्यवस्था होने से किसी भी ट्रस्ट को विशेष आर्थिक क्षेत्र में इकाई स्थापित करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके अलावा केंद्र सरकार को समय-समय पर अधिसूचना जारी कर अपने हिसाब से किसी भी इकाई को ‘व्यक्ति’ के रूप में परिभाषित करने की सुविधा भी मिल जाएगी। गौरतलब है कि वर्तमान में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) अधिनियम, 2005 के तहत किसी भी ट्रस्ट को SEZ में इकाई लगाने की अनुमति नहीं है। इस संशोधन से विशेष आर्थिक क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
  • लापता और शोषित बच्चों के बारे में ऑनलाइन जानकारी तक पहुँच बनाने के लिये भारत और अमेरिका ने एक समझौता किया है। इस पर भारत की ओर से राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और अमेरिका की ओर से नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लायटेड चिल्ड्रन (NCMEC) ने हस्ताक्षर किये। यह समझौता अमेरिका के NCMEC के पास उपलब्ध एक लाख से अधिक ऑनलाइन रिपोर्टों तक पहुँच और भारत में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अधिकार प्रदान करेगा। इससे अश्लील बाल-साहित्य और बच्चों के यौन उत्पीड़न संबंधी सामग्री के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान के लिये एक नए तंत्र की स्थापना हो सकेगी और अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी। यह समझौता कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अश्लील बाल-साहित्य और बच्चों के यौन उत्पीड़न संबंधी सामग्री को साइबर स्पेस से हटाने का अधिकार प्रदान करेगा।
  • सुप्रीम कोर्ट ने अरावली व शिवालिक पहाड़ियों में निर्माण कार्य की अनुमति देने से संबंधित हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित संशोधित नए कानून को लागू करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह संशोधित कानून की प्रति कोर्ट में पेश करे और फिलहाल इस कानून के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं करे। सुप्रीम कोर्ट ने 60 हज़ार एकड़ वन क्षेत्र में निर्माण की इज़ाजत देने वाला इस कानून को न्यायालय की अवमानना बताया। गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने 27 फरवरी को हरियाणा विधानसभा में पंजाब भूमि परिरक्षण संशोधन विधेयक, 2019 पारित कर अरावली संरक्षित क्षेत्र में अवैध निर्माण के एक बड़े हिस्से को वैध बनाने और इस क्षेत्र में पेड़ काटने और निर्माण करने की अनुमति दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों के तहत अरावली के संरक्षित वन क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण या खनन के अनुमति नहीं है।
  • केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दिव्यांगजन खेल-कूद केंद्र स्थापित करने की मंज़ूरी दे दी है। इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत किया जाएगा और इसका नाम दिव्यांगजन खेल-कूद केंद्र, ग्वालियर होगा। इस केंद्र को लगभग 170.99 करोड़ रुपए की लागत से पाँच वर्षों में निर्मित किया जाएगा। इस केंद्र द्वारा खेल-कूद के लिये बेहतर बुनियादी ढाँचा तैयार किये जाने से विभिन्न खेलों में दिव्यांगजनों की प्रभावी प्रतिभागिता सुनिश्चित होगी और वे राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा के लिये अधिक सक्षम होंगे। गौरतलब है कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा-30 के तहत सरकार द्वारा खेलों में दिव्यांजनों की प्रभावी प्रतिभागिता सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है, जिसमें अन्य बातों के साथ उनके खेल-कूद के लिये ढाँचागत सुविधाओं के प्रावधान भी शामिल हैं।
  • अजय नारायण झा को 15वें वित्त आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है। उन्होंने शक्ति कांत दास की जगह ली है, जिन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक का गर्वनर नियुक्त होने पर वित्त आयोग की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वित्त आयोग में शामिल होने से पहले 1982 बैच के मणिपुर कैडर के IAS अजय नारायण झा भारत सरकार के वित्त सचिव थे। वह RBI के पूर्व गर्वनर की अध्यक्षता में 14वें वित्त आयोग के सचिव पद पर भी रह चुके हैं। विदित हो कि राष्ट्रपति के आदेश से 5 वर्षों की अवधि यानी अप्रैल 2020 से मार्च 2025 के लिये केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व बंटवारे का फार्मूला तय करने के लिये 15वें वित्त आयोग का गठन नवंबर 2017 में एन.के. सिंह की अध्यक्षता में किया गया था।
  • अंतरिक्ष के मौसम की जानकारी प्राप्त करने के लिये अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक नया मिशन लॉन्च करने की तैयारी में है। पृथ्वी के चारों ओर अंतरिक्ष की मौसम प्रणाली को समझने के लिये लगभग 4 करोड़ डॉलर की लागत वाले इस मिशन का नाम एटमोस्फेरिक वेव्स एक्सपेरिमेंट (AWE) रखा गया है। 2022 में लॉन्च किया जा यहाँ से यह मिशन पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद प्रकाश के कलर्ड बैंड पर फोकस करेगा जिसे एयरग्लो कहा जाता है।
  • अमेरिकी ऊर्जा विभाग की राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई प्रक्रिया का विकास किया है जिसकी मदद से पॉलिएस्टर मैटेरियल से बनाई जाने वाली प्लास्टिक की बोतलों, फाइबर आदि को पुनःचक्रित (Recycled) किया जा सकेगा। अभी इनको एक बार इस्तेमाल करके फेंक दिया जाता है। इस प्रक्रिया की मदद से एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के खराब हो जाने पर उससे कई उपयोगी चीज़ें तैयार की जा सकेंगी। इससे प्लास्टिक के उत्पादन में कमी आएगी और महासागरों में बढ़ते जा रहे प्लास्टिक कचरे की समस्या को कम करने में भी मदद मिल सकेगी। इस प्रक्रिया में PET के जीवनकाल में वृद्धि की जाती है और इसे पुनःचक्रित किया जाता है।

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