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डेली न्यूज़

  • 02 Jan, 2020
  • 43 min read
भूगोल

ड्रेक पैसेज

प्रीलिम्स के लिये:

ड्रेक पैसेज

मेन्स के लिये:

विश्व के मानचित्र में विभिन्न जलसंधियों की अवस्थिति

चर्चा मे क्यों?

25 दिसंबर, 2019 को चार देशों के 6 रोअर्स (Rowers) ने पहली बार में बिना किसी सहायता के ड्रेक पैसेज (Drake Passage) को पार किया है।

मुख्य बिंदु:

  • इन रोवर्स ने ड्रेक पैसेज को पार करने में 12 दिन, 1 घंटे और 45 मिनट का समय लगाया जो कि पहला पूर्णतः मानव शक्ति संचालित सफल अभियान था।
  • गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness World Records-GWR) के अनुसार, रोअर्स द्वारा इस पैसेज को पार करने में लगे आधिकारिक समय की पुष्टि GWR के महासागरीय नौकायन सलाहकारों (Ocean Rowing Consultants) और महासागरीय नौकायन सोसायटी (Ocean Rowing Society) द्वारा की गई।
  • इस अभियान को ‘द इम्पॉसिबल रो’ (The Impossible Row) नाम दिया गया था, जिसके लिये यह समूह 13 दिसंबर को चिली के केप हॉर्न (Cape Horn) से रवाना हुआ और 25 दिसंबर को अंटार्कटिक प्रायद्वीप (Antarctic Peninsula) के सैन मार्टिन लैंड (San Martin Land) पर स्थित प्रिमेवेरा बेस (Primavera Base) पर पहुँचा।

ड्रेक पैसेज की भौगोलिक अवस्थिति:

Drake-Passage

  • यह पैसेज दक्षिण अमेरिका के दक्षिणतम बिंदु केप हॉर्न (Cape Horn) तथा पश्चिमी अंटार्कटिक प्रायद्वीप के मध्य स्थित है।
  • यह पूर्व में अटलांटिक महासागर तथा पश्चिम में प्रशांत महासागर को आपस में जोड़ता है।
  • इस मार्ग की औसत गहराई लगभग 11,000 फीट है, इस पैसेज की गहराई उत्तरी और दक्षिणी सीमाओं के निकट 15,600 फीट से अधिक है।
  • इस पैसेज का नामकरण ‘सर फ्रांसिस ड्रेक’ (Sir Francis Drake) के नाम पर किया गया था, जो कि नाव द्वारा दुनिया की परिक्रमा करने वाले प्रथम अंग्रेज थे।

ड्रेक पैसेज क्यों है जोखिमयुक्त?

  • ड्रेक पैसेज को दुनिया के सबसे जोखिमयुक्त जलमार्गों में से एक माना जाता है क्योंकि यहाँ दक्षिण दिशा से ठंडा समुद्री जलधाराएँ और उत्तर से गर्म समुद्री जलधाराएँ आपस में टकराकर शक्तिशाली समुद्री जलावर्तों का निर्माण करती हैं।
  • जब इस क्षेत्र में तेज़ हवाएँ या तूफानों की उत्पत्ति होती है, तो इस पैसेज में नौकायन करने वाले नाविकों के लिये यह स्थिति खतरनाक सिद्ध हो सकती है।
  • यह दक्षिणी महासागर में स्थित सबसे संकीर्ण पैसेज है तथा यह दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी सिरे और पश्चिम अंटार्कटिक प्रायद्वीप के उत्तरी सिरे के बीच लगभग 800 किमी. तक फैला हुआ है।
  • नासा ने भी इस पैसेज के जल को अशांत, अप्रत्याशित और हिमखंडों एवं समुद्री बर्फ के रूप में वर्णित किया है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

सेटकॉम तकनीक

प्रीलिम्स के लिये:

सेटकॉम तकनीक

मेन्स के लिये:

शिक्षा के क्षेत्र में सेटकॉम तकनीक की प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान सरकार ने शैक्षिक संस्थानों में सीखने के परिणामों में वृद्धि करने और सामाजिक कल्याण योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये बड़े पैमाने पर उपग्रह संचार तकनीक (Satellite Communication Technology-Satcom) का उपयोग शुरू किया है।

मुख्य बिंदु:

  • राजस्थान सरकार द्वारा इस पहल में नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा चयनित पाँच आकांक्षी ज़िलों को प्राथमिकता दी जा रही है।
  • राजस्थान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने दूरदराज़ के क्षेत्रों में (जहाँ इंटरनेट की सुविधा नहीं हैं) सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाने तथा सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में विषय विशेषज्ञों की सेवाएँ प्राप्त करने के लिये ‘रिसीव ऑनली टर्मिनल्स’ (Receive Only Terminals-ROT) एवं ‘सैटेलाइट इंटरेक्टिव टर्मिनल्स’ (Satellite Interactive Terminals-SIT) की सुविधा प्रदान करने हेतु यह पहल की है।

रिसीव ऑनली टर्मिनल्स:

  • ये ऐसे उपकरण होते हैं, जिनके द्वारा डेटा को स्वीकार किया जा सकता है, परंतु ये स्वंय डेटा निर्माण में अक्षम होते हैं।
  • ऐसे उपकरणों के माध्यम से दूरदराज़ के क्षेत्रों में विभिन्न जानकारियाँ पहुँचाने में सहायता मिलती है।

सैटेलाइट इंटरेक्टिव टर्मिनल्स:

  • सैटेलाइट इंटरेक्टिव टर्मिनल्स एक छोटे प्रकार का ‘सैटेलाइट डिश’ (Satellite Dish) होता है।
  • यह ‘सैटेलाइट टेलीविज़न के समान होता है, परंतु इसमें एक ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलर’ (Radio Frequency Moduler) लगा होता है जो कि रेडियो तरंगों को प्राप्त कर सकता है तथा उन्हें वापस भी भेज सकता है।

पहल का विस्तार क्षेत्र:

  • पहले चरण के दौरान इस तकनीक का उपयोग विभिन्न विभागों, जैसे शिक्षा, उच्च शिक्षा, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, महिला एवं बाल विकास और आदिवासी क्षेत्र के विकास के तहत आने वाले लगभग 2,000 संस्थानों में किया जाएगा।

विषय विशेषज्ञों की उपलब्धता तथा अन्य विशेषताएँ:

  • सरकारी शिक्षण संस्थानों में अंग्रेज़ी और विज्ञान विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों को ROT और SIT के माध्यम से विषय विशेषज्ञों की सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।
  • दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर परिणाम पाने के लिये छठी कक्षा से बारहवीं तक के छात्रों के बीच अंग्रेज़ी और विज्ञान विषयों का स्तर बढ़ाया जाएगा।
  • इस नए कार्यक्रम की सुविधा सभी 134 मॉडल विद्यालयों, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों, समाज कल्याण विभाग के छात्रावासों, बालगृहों और प्रत्येक ज़िले के सरकारी कॉलेजों के छात्रों को प्रदान की जाएगी।
  • विशेष रूप से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे संस्थानों के छात्रों को सेटकॉम तकनीक के माध्यम से सहायता मिलेगी।
  • इस पहल में नीति आयोग द्वारा चयनित पाँच आकांक्षी ज़िलों- करौली, धौलपुर, बारां, जैसलमेर और सिरोही पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • इन ज़िलों में वृद्धाश्रम और बालगृहों में भी उपग्रह संचार संबंधी उपकरण लगाए जाएंगे।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संचालित आठ सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से इन ज़िलों में शिक्षा से संबंधित योजनाओं को प्रसारित किया जाएगा।

सेटकॉम तकनीक:

  • पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों के बीच संचार लिंक प्रदान करने के लिये कृत्रिम उपग्रहों का उपयोग करना ही ‘उपग्रह संचार तकनीक’ कहलाता है। उपग्रह संचार वैश्विक दूरसंचार प्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्रोत- द हिंदू


शासन व्यवस्था

सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY)

प्रीलिम्स के लिये:

सांसद आदर्श ग्राम योजना

मेन्स के लिये:

ग्रामीण विकास योजनाओं की सार्थकता एवं महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, अक्तूबर 2014 में शुरू की गई सरकार की सांसद आदर्श ग्राम योजना (Saansad Adarsh Gram Yojana-SAGY) के चौथे चरण के अंतर्गत 31 दिसंबर, 2019 तक केवल 252 सांसदों ने ही ग्रामसभाओं को आदर्श ग्राम योजना के लिये चुना था।

क्या है SAGY?

SAGY

  • इस योजना की घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा 11 अक्तूबर, 2014 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्म दिवस की वर्षगाँठ के अवसर पर की गई थी।
  • योजना के अंतर्गत सभी लोकसभा सांसदों को हर वर्ष एक ग्रामसभा का विकास कर उसे जनपद की अन्य ग्रामसभाओं के लिये आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना था।
  • साथ ही राज्यसभा सांसदों को अपने कार्यकाल के दौरान कम-से-कम एक ग्राम सभा का विकास करना था।
  • इस योजना का उद्देश्य शहरों के साथ-साथ ग्रामीण भारत के बुनियादी एवं संस्थागत ढाँचे को विकसित करना था जिससे गाँवों में भी उन्नत बुनियादी सुविधाएँ और रोज़गार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराए जा सकें।
  • इस योजना का उद्देश्य चयनित ग्रामसभाओं को कृषि, स्वास्थ्य, साफ-सफाई, आजीविका, पर्यावरण, शिक्षा आदि क्षेत्रों में सशक्त बनाना था।
  • इस योजना के अंतर्गत ग्रामसभाओं के चुनाव के लिये जनसंख्या को आधार रखा गया जिसके अंतर्गत मैदानी क्षेत्रों के लिये 3000-5000 और पहाड़ी, जनजातीय एवं दुर्गम क्षेत्रों में 1000-3000 की जनसंख्या को आधार मानने का सुझाव दिया गया था।
  • इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक सांसद को वर्ष 2019 तक तीन और वर्ष 2024 तक पाँच ग्रामसभाओं का विकास करना था।

वर्तमान स्थिति:

Gram-Panchayats-selected

  • योजना लागू होने के पाँच वर्ष बाद उपलब्ध आँकड़ों में देखा जा सकता है कि योजना के क्रियान्वन में सांसदों के मध्य शुरुआत से ही उत्साह की कमी रही है।
  • योजना के चौथे चरण के अंतर्गत गाँवों विकास के लिये अभी तक लिये दो तिहाई लोकसभा सांसदों ने अपने संसदीय क्षेत्र से ग्रामसभाओं का चुनाव भी नहीं किया है।
  • संसद के दोनों सदनों में सदस्यों की वर्तमान संख्या 790 है, जबकि दोनों सदनों से केवल 252 सदस्यों ने ही अभी तक चयनित ग्रामसभाओं की सूची साझा की है, जिनमें 208 लोकसभा तथा 44 सदस्य राज्यसभा से हैं।
  • इस योजना में शुरुआत के कुछ महीनों के बाद से ही संसद के सदस्यों की भागीदारी में कमी देखी गई है। योजना के पहले चरण में जहाँ लोकसभा के 703 सांसदों ने हिस्सा लिया था, वहीं दूसरे चरण में इनकी संख्या केवल 497 और तीसरे चरण में घटकर मात्र 301 रह गई।
  • वर्तमान में लोकसभा की सदस्य संख्या 545 है जिनमें 543 सदस्य चुनाव के द्वारा और 2 सदस्य मनोनीत होकर भारत के विभिन्न क्षेत्रों की जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • साथ ही राज्यसभा की सदस्य संख्या 245 है जिनमें से 12 सांसद मनोनयन की प्रक्रिया से इस सदन का हिस्सा बनते हैं, वर्तमान में संसद के इस सदन में 240 सदस्य हैं, जबकि 5 सीटें अभी खाली हैं।
  • पिछले माह संसद की एक स्टैंडिंग कमेटी ने इस योजना की कमियों पर अपनी चिंता प्रकट की, कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सांसद आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य विभिन्न योजनाओं के सामंजस्य और अभिसरण को सुनिश्चित कर तथा उनके पूर्ण क्रियान्वन को प्राथमिकता देकर आदर्श (Model) गाँवों का निर्माण करना था।
  • कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस योजना के आदर्श वाक्य की पूर्ति के लिये जिस गंभीरता की आवश्यकता थी, संसद सदस्यों में उसकी भारी कमी देखी गई है। ऐसे में कमेटी ने ग्रामीण विकास मंत्रालय को यह सलाह दी है कि मंत्रालय इस योजना के परिकल्पित ध्येय के अनुरूप SAGY गाँव का विकास सुनिश्चित करे तथा यह भी सुनिश्चित करे की योजना के अंतर्गत कोई भी गाँव छूटने न पाए।

आगे की राह:

किसी भी देश के सर्वांगीण विकास के लिये यह आवश्यक है कि देश के हर वर्ग को जातिगत, लैंगिक अथवा अन्य किसी भेदभाव के बिना विकास के सामान अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिये। भारत की एक बड़ी आबादी आज भी दूरदराज़ के गाँवों में निवास करती है और इनमें से अधिकतर कृषि या विभिन्न प्रकार के कुटीर उद्योगों पर निर्भर रहती है। ऐसे में SAGY योजनाएँ न सिर्फ इन गाँवों को विकास का एक अवसर प्रदान करती हैं बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाती हैं, इसलिये वर्तमान समय में यह बहुत ही आवश्यक है कि ग्रामीण विकास की नई योजनाओं की परिकल्पना के साथ उनके क्रियान्वन पर भी गंभीरता से ध्यान दिया जाए तथा योजनाओं की अनदेखी होने पर संबंधित विभाग/अधिकारी की जवाबदेहिता भी सुनिश्चित की जाए।

स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस, पी.आई.बी.


भारतीय अर्थव्यवस्था

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, 2019

प्रीलिम्स के लिये:

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के बारे में

मेन्स के लिये:

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के निष्कर्ष

चर्चा में क्यों?

27 दिसंबर, 2019 को भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report-FSR) का 20वाँ अंक जारी किया।

प्रमुख बिंदु

  • वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) एक अर्द्धवार्षिक प्रकाशन है जो भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता का समग्र मूल्यांकन प्रस्तुत करती है।
  • FSR न केवल वित्तीय स्थिरता के लिये वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (Financial Stability and Development Council-FSDC) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाती है, बल्कि वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन को भी प्रदर्शित करती है। रिपोर्ट में वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई है।

प्रणालीगत जोखिमों का समग्र मूल्यांकन

(Overall Assessment of Systemic Risks)

  • कमज़ोर घरेलू विकास के बावजूद भारत की वित्तीय प्रणाली स्थिर बनी हुई है; सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के पुनर्पूंजीकरण (Recapitalisation) के बाद बैंकिंग क्षेत्र के लचीलेपन में सुधार हुआ है। हालाँकि वैश्विक/घरेलू आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों से उत्पन्न होने वाले जोखिम बने रहते हैं।

वैश्विक और घरेलू समष्टि-वित्तीय जोखिम

(Global and Domestic Macro-Financial Risks)

  • वैश्विक अर्थव्यवस्था ने कई अनिश्चितताओं जैसे ब्रेक्ज़िट समझौते में देरी, व्यापार तनाव, एक आसन्न मंदी की भावना, तेल-बाज़ार में व्यवधान और भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण विकास में महत्त्वपूर्ण मंदी देखी गई। इन अनिश्चितताओं ने उपभोक्ता विश्वास और व्यापार मनोभावों को प्रभावित किया, निवेश के इरादे को कमज़ोर कर दिया और जब तक कि इन अनिश्चितताओं का ठीक से निपटान नहीं किया जाता है, वैश्विक विकास पर इनका एक महत्त्वपूर्ण दबाव बने रहने की संभावना है।
  • घरेलू अर्थव्यवस्था के संबंध में वित्तीय वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में सकल मांग में कमी आई, जिससे संवृद्धि में मंदी को बढ़ावा मिला। जबकि पूंजी अंतर्वाह की संभावनाएँ सकारात्मक बनी हुई है, भारत के निर्यात को निरंतर वैश्विक मंदी की स्थिति में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन कमज़ोर ऊर्जा मूल्य संभावनाओं के कारण चालू खाता घाटे के नियंत्रण में रहने की संभावना है।
  • वैश्विक वित्तीय बाज़ारों से स्पिलओवर के बारे में सतर्कता बरतते हुए खपत और निवेश के दोहरे वाहकों को पुनर्जीवित करना भविष्य के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।

वित्तीय संस्थाएँ: कार्य निष्पादन और जोखिम

(Financial Institutions: Performance and Risks)

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (Scheduled Commercial Banks-SCBs) की ऋण वृद्धि सितंबर 2019 में वर्ष-दर-वर्ष [year-on-year (y-o-y)] आधार पर 8.7 प्रतिशत बनी रही, हालांकि निजी क्षेत्र के बैंकों (Private Sector Banks-PVBs) ने दोहरे अंक में अर्थात् 16.5 प्रतिशत की ऋण वृद्धि दर्ज की।
  • सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks-PSBs) के पुनर्पूंजीकरण के बाद SCBs के पूंजी पर्याप्तता अनुपात में काफी सुधार हुआ।
  • मार्च और सितंबर 2019 के बीच SCBs का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (gross non-performing assets (GNPA) अनुपात 9.3 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहा।
  • सभी SCBs का प्रोविजन कवरेज अनुपात (Provision Coverage Ratio-PCR) मार्च 2019 के 60.5 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2019 में 61.5 प्रतिशत हो गया, जो बैंकिंग क्षेत्र के लचीलेपन में वृद्धि दर्शाता है।
  • ऋण जोखिम के लिये समष्टि-दबाव Macro-stress परीक्षण बताते हैं कि आधारभूत परिदृश्य के अनुसार SCBs का GNPA अनुपात मुख्य रूप से समष्टि आर्थिक परिदृश्य में बदलाव, स्लिपेज में मामूली वृद्धि और घटती हुई ऋण वृद्धि के बढ़ते प्रभाव के कारण सितंबर 2019 में 9.3 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2020 तक 9.9 प्रतिशत हो सकता है।
  • नेटवर्क विश्लेषण के अनुसार, वित्तीय प्रणाली में संस्थाओं के बीच कुल द्विपक्षीय जोखिम में सितंबर 2019 को समाप्त तिमाही में मामूली गिरावट दर्ज की गई। सभी मध्यवर्ती संस्थाओं के बीच निजी क्षेत्र के बैंकों (Private Sector Banks (PVBs)) ने वित्तीय प्रणाली में अपनी देयराशियों में वर्ष-दर-वर्ष सबसे अधिक वृद्धि देखी, जबकि बीमा कंपनियों ने वित्तीय प्रणाली से प्राप्त राशियों में वर्ष-दर-वर्ष सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की। वित्तीय बिचौलियों के बीच वाणिज्यिक पत्र (Commercial Paper-CP) वित्तपोषण में पिछली चार तिमाहियों में गिरावट जारी रही।
  • सितंबर 2019 के अंत में कुल बैंकिंग क्षेत्र की परिसंपत्ति के 4 प्रतिशत से कम अंतर-बैंक परिसंपत्तियों के साथ अंतर-बैंक बाज़ार का आकार संकुचित होता रहा। यह संकुचन PSBs के बेहतर पूंजीकरण के साथ-साथ बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Finance Company- NBFC)/हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (Housing Finance Company-HFC) की विशिष्ट विफलता और वृहद आर्थिक संकट से संबंधित विभिन्न परिदृश्यों के तहत मार्च 2019 की तुलना में बैंकिंग प्रणाली में हो रहे नुकसान में कमी लाने में सफल रहा।

वित्तीय क्षेत्र: विनियमन और विकास

(Financial sector: Regulation and Developments)

  • रिज़र्व बैंक ने दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान और भुगतान की आधारिक संरचना के विकास हेतु NBFCs के लिये चलनिधि प्रबंधन व्यवस्था (Liquidity Management Regime) शुरू करने, बैंकों की अभिशासन संस्कृति (Governance Culture) में सुधार लाने हेतु नीतिगत उपाय आरंभ किये हैं।
  • रिज़र्व बैंक ने ऑफशोर रुपया बाज़ार (Offshore Rupee Market) पर कार्य दल की कुछ प्रमुख सिफारिशों जैसे घरेलू बैंकों को गैर-निवासियों को स्वतंत्र रूप से विदेशी मुद्रा की कीमतों की अनुमति देना और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (International Financial Services Centres-IFSCs) में रुपए डेरिवेटिव (विदेशी मुद्रा में निपटान के साथ) कारोबार की अनुमति देना स्वीकार कर लिया है।
  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने वित्तीय बाज़ारों को बेहतर बनाने के लिये कई कदम उठाए हैं, जिसमें तरल निधियों का संशोधित जोखिम प्रबंध ढाँचा, निवेश के लिये संशोधित मानदंड और म्यूचुअल फंडों (Mutual Fund- MFs)) द्वारा मुद्रा बाज़ार और ऋण प्रतिभूतियों का मूल्यांकन, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (Credit Rating Agencies- CRAs) के लिये संशोधित मानदंड, नए पण्य डेरिवेटिव उत्पादों की सुविधा और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिये स्टॉक एक्सचेंजों पर संस्थागत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (Institutional Trading Platforms- ITPs) स्थापित करना शामिल है।
  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India- IBBI) दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान में लगातार प्रगति कर रहा है।
  • भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India- IRDAI) ने इन्श्युअरटेक (InsurTech) के विकास और बीमा कंपनियों की कॉर्पोरेट प्रशासन प्रक्रियाओं को मज़बूत करने के लिये पहल की है।
  • पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (Pension Fund Regulatory and Development Authority-PFRDA) पेंशन नेट के तहत अधिक नागरिकों को लाने की प्रक्रिया में है।

स्रोत: द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर पोर्टल

प्रीलिम्स के लिये:

केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर

मेन्स के लिये:

केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर से संबंधित विभिन्न तथ्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संचार मंत्रालय (Ministry of Communications) के दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications) द्वारा ‘केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर' (Central Equipment Identity Register-CEIR) नामक पोर्टल की शुआत की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • भारत सरकार द्वारा यह पोर्टल दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिये प्रारंभ किया गया है।
  • केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर को सर्वप्रथम सितंबर, 2019 में महाराष्ट्र के लिये लॉन्च किया गया था।

क्या है केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर पोर्टल?

Ceir

  • केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर पोर्टल के माध्यम से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चोरी/खोए हुए मोबाइल फोन के संबंध में निम्नलिखित सुविधाएँ प्रदान करने के लिये लॉन्च किया गया है-
    • मोबाइल ग्राहकों द्वारा चोरी या खोए हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक (Block) करने के संबंध में अनुरोध करना;
    • मोबाइल का पता लगाने में सहजता के लिये पुलिस के साथ संबंधित डेटा को साझा करना;
    • चोरी/खोए हुए मोबाइल फोन को पुनः अनब्लॉक (Unblock) करना;
    • सभी मोबाइल नेटवर्क पर ऐसे मोबाइल की सेवाओं को ब्लॉक करना
  • इस पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट http://www.ceir.gov.in है।

पोर्टल के संबंध में अन्य तथ्य:

  • खोए हुए मोबाइल को ब्लॉक करने हेतु पोर्टल पर फॉर्म भरने से पहले पुलिस रिपोर्ट की प्रति, पहचान प्रमाण-पत्र और मोबाइल खरीद चालान की प्रति की आवश्यकता होती है।
  • चोरी/खोए हुए मोबाइल की रिपोर्ट पोर्टल पर करने के लिये IMEI (International Mobile Equipment Identity) नंबर की आवश्यकता होती है।
  • सभी मोबाइल फोन निर्माता कंपनियाँ ‘ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस एसोसिएशन’ (Global System for Mobile Communications Association) द्वारा आवंटित रेंज के आधार पर प्रत्येक मोबाइल फोन को IMEI (International Mobile Equipment Identity) नंबर प्रदान करती हैं एवं यदि फोन दोहरे सिम का है तो उसमें दो IMEI नंबर होते हैं।
  • किसी भी फोन की पहचान IMEI नंबर के आधार पर की जाती है, जो मोबाइलों में बैटरी के नीचे या मोबाइल पर ’* # 06 # डायल करके भी ज्ञात किया जा सकता है।
  • यदि शिकायतकर्त्ता को अपना चोरी किया हुआ मोबाइल वापस मिल जाता है, तो उपयोगकर्त्ता को पहले स्थानीय पुलिस को रिपोर्ट करना होगा। इसके बाद उपयोगकर्त्ता वेबसाइट पर दूसरा फॉर्म सबमिट करके मोबाइल को अनब्लॉक कर सकता है।

पोर्टल का उद्देश्य:

  • इस तरह के केंद्रीकृत डेटाबेस उपलब्ध होने पर मोबाइल चोरी या अवैध मोबाइल फोन की पहचान करने तथा उन्हें ब्लॉक करने में मदद मिलेगी।
  • कई बार फोन संबंधी ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें एक प्रामाणिक IMEI नंबर के बजाय डुप्लीकेट IMEI नंबर या सभी 15 नंबरों के स्थान पर शून्य के साथ फोन प्रयोग किये जा रहे हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि CEIR ऐसे उपभोक्ताओं की सभी सेवाओं को ब्लॉक कर सकेगा। वर्तमान में यह क्षमता केवल निजी सेवा प्रदाताओं के पास है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


जैव विविधता और पर्यावरण

आक्रामक पौधों की संवृद्धि पर नियंत्रण

प्रीलिम्स के लिये:

सेन्ना स्पेक्टबिलिस,फर्न नेचर कंज़र्वेशन सोसायटी

मेन्स के लिये:

आक्रामक पौधों के दुष्प्रभाव व बचाव के उपाय

चर्चा में क्यों ?

केरल के वन और वन्यजीव विभाग द्वारा वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (Wayanad Wildlife Sanctuary) सहित नीलगिरि जैवआरक्षित क्षेत्र (Nilgiri Biosphere Reserve) में आक्रामक पौधों विशेषकर सेन्ना स्पेक्टबिलिस (Senna Spectabilis) को नियंत्रित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • पलक्कड़ के मुख्य वन और वन्यजीव संरक्षक के अनुसार, आक्रामक पौधों विशेषकर सेन्ना स्पेक्टबिलिस का फैलाव बायोस्फीयर रिज़र्व के वन क्षेत्रों के लिये हानिकारक है। पाँच वर्ष पूर्व इस पौधे का विस्तार अभयारण्य के 344.44 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के मात्र 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के दायरे में फैला था। अभी तक इसका विस्तार अभयारण्य के 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक हो गया है।
  • फर्न नेचर कंज़र्वेशन सोसायटी (Ferns Nature Conservation Society-FNCS) द्वारा किये गए एक अध्ययन में यह बताया गया है कि इस आक्रामक पौधे की उपस्थिति अभयारण्य के 78.91 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक हो गई है।
  • FNCS के अनुसार इस आक्रामक पौधे ने कर्नाटक के बांदीपुर और नागरहोल बाघ आरक्षित क्षेत्र तथा तमिलनाडु के मदुमलाई बाघ आरक्षित क्षेत्र में भी अपना विस्तार करना प्रारंभ कर दिया है।
  • इससे पूर्व वायनाड में इन पौधों की प्रजातियों को एवेन्यू ट्री ( सड़क किनारे उगाए जाने वाले पेड़) के रूप में रोपित किया गया था।
  • वायनाड में बाँस प्रजाति के अत्यधिक फैलाव तथा कालांतर में उसके सूखने के कारण खुले स्थान सृजित हो गए थे जिसके परिणामस्वरूप सेन्ना स्पेक्टबिलिस प्रजाति को विस्तार करने के लिये पर्याप्त स्थान मिल गया।
  • केरल वन अनुसंधान संस्थान (Kerla Forest Research Institute -KFRI) के वैज्ञानिकों ने आक्रामक पौधों पर एक अध्ययन किया, जिसमें यह बताया गया कि इस प्रजाति द्वारा उत्पादित एलैलोकेमिकल्स (Allelochemicals) मूल प्रजातियों के अंकुरण और विकास को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं ।
  • KFRI के वैज्ञानिकों ने आक्रामक पौधों के दुष्प्रभावों से निपटने के लिये कुछ भौतिक और रासायनिक उपाय विकसित किये हैं, परंतु वैज्ञानिकों द्वारा विकसित भौतिक उपाय अभी तक कारगर सिद्ध नहीं हुए हैं।
  • वैज्ञानिक समूह अब आक्रामक पौधों के दुष्प्रभावों से निपटने के लिये भौतिक और रासायनिक उपायों की एकीकृत पद्धति को विकसित करने पर सहमत हुए हैं।

स्रोत: द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चंद्रयान- 3 एवं गगनयान

प्रीलिम्स के लिये:

चंद्रयान-3, गगनयान, Indian Air Force, इसरो का दूसरा लॉन्च पोर्ट, ISRO

मेन्स के लिये:

गगनयान एवं भारतीय प्रौद्योगिकी के निहितार्थ, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और भारत, चंद्रयान मिशन का वैश्विक परिदृश्य में महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इसरो (Indian Space Research Organisation- ISRO) चीफ ने चंद्रयान-3 और गगनयान (भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम) से संबंधित कुछ नवीन घोषणाएँ की हैं। इसके अंतर्गत चन्द्रयान-3 अभियान को 2021 तक एवं गगनयान अभियान को 2022 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित की गई है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

On-light-path

  • इसरो चंद्रयान -3 के साथ-साथ गगनयान परियोजना पर समानांतर रूप से काम कर रहा है। ध्यातव्य है कि अंतरिक्ष एजेंसी पहले ही गगनयान के लिये एक सलाहकार समिति का गठन कर चुकी है।
  • इसरो चीफ के अनुसार, सरकार ने चंद्रयान-3 अभियान को मंज़ूरी दे दी है और चंद्रयान-3 मिशन के 2021 तक पूरा होने की संभावना है।
  • गगनयान के संबंध में इसरो चीफ ने निम्नलिखित जानकारियाँ प्रदान की हैं-
    • भारतीय वायु सेना (Indian Air Force- IAF) के चार पायलट जनवरी महीने में रूस के लिये रवाना होंगे, जहाँ वे गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
    • गौरतलब है कि उन्हें फिटनेस और उनके धैर्य परीक्षण के बाद इस मिशन के लिये चुना गया है।
    • उनका प्रारंभिक परीक्षण IAF के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAF’s Institute of Aerospace Medicine), बंगलूरू और रूस में किया गया था।
    • पिछले वर्ष भारत और रूस की अंतरिक्ष एजेंसियों के मध्य हुए समझौते के अनुसार, चारों अंतरिक्ष यात्री जनवरी के तीसरे सप्ताह में मास्को के यूरी गेगरिन कॉस्मोनॉट सेंटर (Yuri Gagarin Cosmonaut Centre) में प्रशिक्षण के लिये रवाना होंगे।
    • इसरो के अनुसार, ह्यूमनॉइड (Humanoid) के साथ गगनयान की दो पूर्व उड़ानों में से पहली को इस साल के अंत में लॉन्च किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त इसरो अपने दूसरे लॉन्च पोर्ट के निर्माण की भी तैयारी कर रहा है, ध्यातव्य है कि तमिलनाडु सरकार ने इसरो के दूसरे लॉन्च पोर्ट के लिये थूथुकुडी (Thoothukudi) ज़िले में 2,300 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का कार्य शुरू कर दिया है। वर्तमान में उपग्रहों को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से लॉन्च किया जाता है।
  • नव निर्मित लॉन्च पोर्ट से मुख्य रूप से छोटे उपग्रह लॉन्च वाहन (Small Satellite Launch Vehicle- SSLV) प्रक्षेपित किये जाएंगे। SSLV अंतरिक्ष में 500 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है। गौरतलब है कि SSLV और लॉन्च पोर्ट दोनों अभी विकासाधीन है।

चंद्रयान- 3 के बारे में

  • चंद्रयान- 3; चंद्रयान-2 का उत्तराधिकारी है और यह चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा। गौरतलब है कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग के कारण यह चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
  • इसरो चीफ के अनुसार, चंद्रयान- 3 में लैंडर और रोवर के साथ एक प्रोपल्शन मॉड्यूल भी होगा।
  • इसरो चीफ के अनुसार, चंद्रयान- 3 से संबंधित टीम का गठन किया जा चुका है और इस मिशन पर सुचारु रूप से कार्य प्रारंभ है।

चंद्रयान- 3 की लागत

  • इसरो के अनुसार, चंद्रयान -3 मिशन की कुल लागत 600 करोड़ रुपए से अधिक होगी। जबकि चंद्रयान-2 की कुल लागत लगभग 1000 करोड़ रुपए थी।
  • चंद्रयान -3 मिशन में लैंडर, रोवर, और प्रॉपल्शन मॉड्यूल के लिये 250 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जबकि मिशन के लॉन्च पर 365 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस प्रकार इस मिशन की कुल लागत 615 करोड़ रुपए होगी।

गगनयान के बारे में

  • गगनयान की घोषणा भारत के प्रधानमंत्री द्वारा अगस्त 2018 में की गई थी। इस मिशन को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है तथा इस मिशन की लागत लगभग 1000 करोड़ रुपए है।
  • गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम है।
  • इस मिशन को 400 कि.मी. की कक्षा में 3-7 क्रू सदस्यों को अंतरिक्ष में 3-7 दिन बिताने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

स्त्रोत: द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (02 जनवरी 2020)

केरल विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित

केरल विधानसभा ने 31 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि केरल ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है। केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने प्रस्ताव पेश करते हुए मांग की थी कि केंद्र सरकार इस कानून को वापस ले। मुख्यमंत्री पी. विजयन ने पहले ही घोषणा की थी कि उनकी सरकार संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपने राज्य में लागू नहीं करेंगे। केरल विधानसभा में इस प्रस्ताव का कई विपक्षी दलों ने भी समर्थन किया है।


भारत-पाकिस्तान ने कैदियों की सूची साझा की

हाल ही में भारत और पाकिस्तान ने अपनी-अपनी जेलों में बंद एक दूसरे के कैदियों की सूची साझा की है। उल्लेखनीय है कि कैदियों की सूची साझा करने संबंधी यह कार्यक्रम काउंसलर एक्सेस एग्रीमेंट के तहत किया गया, जिस पर दोनों देशों के मध्य 21 मई, 2008 को हस्ताक्षर किये गए थे। एग्रीमेंट के तहत दोनों देश प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी और 1 जुलाई को अपनी-अपनी जेलों में बंद एक दूसरे के कैदियों की सूची का आदान-प्रदान करते हैं। 1 जनवरी, 2020 को पाकिस्तान ने अपनी जेल में बंद 282 भारतीय कैदियों की सूची दी और भारत ने उसकी जेल में बंद 366 पाकिस्तानी कैदियों की सूची साझा की।


गगनयान के लिये चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन

अंतरिक्ष में भारत के पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ के लिये 4 अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की प्रक्रिया संपन्न हो गई है। विदित है कि चारों अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायुसेना में कार्यरत हैं। इस संबंध में सूचना देते हुए इसरो (ISRO) प्रमुख के. सिवन ने कहा कि चुने गए सभी यात्रियों को जनवरी माह के तीसरे हफ्ते में रूस में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसरो ने ‘गगनयान’ की पहली मानवरहित उड़ान इसी वर्ष आयोजित करने की योजना बनाई है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि यह मिशन सफल रहता है तो भारत अंतरिक्ष में पहले प्रयास में ही मानव यात्री भेजने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।


अरुण जेटली

हाल ही में बिहार सरकार ने प्रत्येक वर्ष 28 दिसंबर को पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री नितीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। विदित है कि 24 अगस्त, 2019 को पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सदस्य अरुण जेटली का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था।


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