डेली न्यूज़ (01 Oct, 2018)



प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम समीक्षा समिति

चर्चा में क्यों?

सशक्त आर्थिक आधारभूत ढाँचे की आवश्यकता से संबंधित ‘प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम’ की समीक्षा करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम समीक्षा समिति का गठन किया गया है। उल्लेखनीय है कि यह समिति बैठक की तिथि से तीन महीने के भीतर अपना कार्य पूरा करेगी और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

समिति की संरचना

अध्यक्ष- सचिव कॉर्पोरेट मामले मंत्रालय

सदस्य- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग का अध्यक्ष, भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड का अध्यक्ष, हैग्रिव खेतान (मैसर्स खेतान एंड कंपनी), हर्ष वर्द्धन सिंह (IKDHVAJ एडवाइज़र्स LLP), पल्लवी शार्दुल श्रॉफ, वकील (मैसर्स शार्दुल अमरचंद्र मंगलदास एंड कंपनी), डॉ. एस. चक्रवर्ती (सेवानिवृत्त IAS तथा ASCII के विज़िटिंग प्रोफेसर), आदित्य भट्टाचार्य (दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर),  संयुक्त सचिव (प्रतिस्पर्द्धा)।

समिति के उद्देश्य

  • बदलते हुए व्यापारिक वातावरण के अनुरूप प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम/नियम/नियमावली की समीक्षा करना और आवश्यकता पड़ने पर इनमें आवश्यक बदलाव करना।
  • प्रतिस्पर्द्धा क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय कार्यप्रणाली का अध्ययन करना। इसमें विशेष रूप से साख विरोधी कानून, विलय संबंधी दिशा-निर्देश तथा सीमा व्यापार प्रतिस्पर्द्धा से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
  • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के साथ परस्पर व्याप्त अन्य नियामक/संस्थागत प्रक्रियाओं/सरकारी नीतियों का अध्ययन करना।
  • प्रतिस्पर्द्धा विषय से जुड़े किसी अन्य मुद्दे की समीक्षा करना, जिसे समिति आवश्यक समझे।

पृष्ठभूमि

किसी भी अर्थव्यवस्था में ‘बेहतर प्रतिस्पर्द्धा’ का अर्थ है- आम आदमी तक किसी भी गुणात्मक वस्तु या सेवा की बेहतर कीमत पर उपलब्धता को सुनिश्चित करना। ‘प्रतिस्पर्द्धा’ के इसी वृहद् अर्थ को आत्मसात करते हुए वर्ष 2002 में संसद द्वारा ‘प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002’ (The Competition Act, 2002) पारित किया गया, जिसके बाद केंद्र सरकार द्वारा 14 अक्तूबर, 2003 को भारतीय स्पर्द्धा आयोग का गठन किया गया।

  • ‘प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002’ को वर्ष 2007 में संशोधित कर नए नियमों के साथ अपडेट किया गया।
  • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के अनुसार, इस आयोग में एक अध्यक्ष एवं छः सदस्य होते हैं, सदस्यों की संख्या 2 से कम तथा 6 से अधिक नहीं हो सकती लेकिन अप्रैल 2018 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय प्रतिस्‍पर्धा आयोग में CCI का आकार एक अध्‍यक्ष और छह सदस्‍य (कुल सात) से घटाकर एक अध्‍यक्ष और तीन सदस्‍य (कुल चार) करने को मंजूरी दे दी है। उल्लेखनीय है की सभी सदस्यों को सरकार द्वारा ‘नियुक्त’ (appoint) किया जाता है।
  • इस आयोग के प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं-
  • प्रतिस्पर्द्धा को दुष्प्रभावित करने वाले चलन (Practices) को समाप्त करना एवं टिकाऊ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करना।
  • उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करना।
  • भारतीय बाज़ार में ‘व्यापार की स्वतंत्रता’ को सुनिश्चित करना।
  • किसी प्राधिकरण द्वारा संदर्भित मुद्दों पर प्रतियोगिता से संबंधित राय प्रदान करना।
  • जन जागरूकता का प्रसार करना।
  • प्रतिस्पर्द्धा से संबंधित मामलों में प्रशिक्षण प्रदान करना।

निष्कर्ष

वर्तमान परिदृश्य में प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम को सशक्त करने और नागरिकों को सर्वश्रेष्ठ नियमों का पालन करते हुए उनके द्वारा दिए गए मूल्यों के अनुरूप गुणवत्ता सुनिश्चित  करने के लिये इस अधिनियम को सशक्त करना आवश्यक है।


प्रीलिम्स फैक्ट्स: 01 अक्तूबर, 2018

ऐपण (Aipan)

  • उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में बनाया जाने वाला यह भित्ति चित्र भक्ति कला का एक रूप है। इस कला में धार्मिक रूपों, दोहराव वाले ज्यामितीय आकृतियों और प्रकृति-प्रेरित तत्त्वों को बनाने के लिये केवल दो रंग, लाल और सफेद का उपयोग किया जाता है।
  • इसकी पृष्ठभूमि लाल मिट्टी से तैयार की जाती है, जिसे गेरू कहा जाता है और इस पर चावल के आटे से बने सफेद पेस्ट से आकृतियाँ बनाई जाती हैं।
  • पारंपरिक रूप से ऐपण बनाने का कार्य महिलाओं द्वारा किया जाता है जो पूजा स्थल, घर के प्रवेश द्वार और आँगन को सजाने के लिये इसका उपयोग करती हैं। इस कला का अभ्यास अक्सर माँ से बेटी तक परिवारों के माध्यम से आगे बढ़ता है।
  • शुभ अवसरों को ताज़ा ऐपण के बिना अपूर्ण माना जाता है और विशिष्ट अवसरों पर विभिन्न रूपांकनों का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ रूपांकन सौभाग्य की प्राप्ति के लिये, कुछ भगवान से आशीर्वाद मांगने या प्रजनन के लिये प्रार्थना करने हेतु बनाए जाते हैं।
  • सबसे लोकप्रिय आकृतियों में से एक पवित्र पैरों की आकृति है जो देवी लक्ष्मी का प्रतीक है। अन्य लोकप्रिय आकृतियों में चौकी, मंडप और कलश शामिल हैं, जो प्राकृतिक तत्त्वों जैसे- फूल, पक्षियों और मछली के पूरक के रूप में बनाए जाते हैं।
  • हाल के वर्षों में स्थानीय कलाकार और उद्यमी आगंतुकों हेतु स्मृति चिह्नों के रूप में कपड़े के बैग, लकड़ी की ट्रे, हस्तनिर्मित पेपर नोटबुक इत्यादि को सजाने के लिये इसका उपयोग कर रहे हैं, जिन्हें स्थानीय दुकानों से खरीदा जा सकता है।

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया

हाल ही में द हिंदू समूह के प्रकाशक और पूर्व प्रमुख संपादक एन. रवि को प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया का अध्यक्ष तथा पंजाब केसरी समूह के प्रमुख संपादक विजय चोपड़ा को इसका उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

  • एन. रवि एक्सप्रेस समूह के अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक विवेक गोयनका का स्थान ग्रहण करेंगे।
  • एन. रवि अंतर्राष्ट्रीय प्रेस संस्थान के भारतीय क्षेत्र के अध्यक्ष और इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट, वियना के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य रहे हैं।
  • वह एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तथा 2006 से 2008 तक राष्ट्रीय एकता परिषद (National Integration Council) के सदस्य रह चुके हैं।
  • एन. रवि ने संवैधानिक और अंतर्राष्ट्रीय कानून में स्वर्ण पदक सहित कई अकादमिक पुरस्कार भी जीते हैं।
  • वह 1972 में द हिंदू में शामिल हुए, जहाँ उन्होंने संवाददाता, एक प्रमुख लेखक, द वाशिंगटन के संवाददाता, उप-संपादक और एक सहयोगी संपादक के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1991 से 2011 तक संपादक और अक्तूबर 2013 से जनवरी 2015 तक प्रमुख संपादक के रूप में काम किया।
  • प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) भारत की प्रमुख समाचार एजेंसी है।
  • वर्तमान में, भारत में भारत के कुल न्यूज़ एजेंसी बाज़ार में PTI की हिस्सेदारी लगभग 90 प्रतिशत है।
  • इसे वर्ष 1947 में पंजीकृत किया गया था और 1949 में इसने काम करना शुरू कर दिया।

शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार- 2018

अपनी स्थापना दिवस के अवसर पर वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) ने वर्ष 2018 के लिये शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार प्राप्त करने वाले विजेताओं की सूची जारी की है।

  • हर साल 45 वर्ष से कम आयु के कई वैज्ञानिकों को देश भर के विभिन्न संस्थानों से चुना जाता है और पिछले पाँच वर्षों में उनके उत्कृष्ट वैज्ञानिक कार्य के लिये सम्मानित किया जाता है।
  • विभिन्न श्रेणियों में इस वर्ष के विजेताओं की सूची इस प्रकार है :

जीव विज्ञान - डॉ. गणेश नागाराजू (भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू) और डॉ. थॉमस पुकाडिल (भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान –IISER पुणे)।

रसायन विज्ञान – डॉ. राहुल बनर्जी तथा डॉ. स्वाधीन कुमार मंडल (IISER कोलकाता)।

पृथ्वी, वातावरण, सामुद्रिक एवं ग्रहीय विज्ञान - डॉ. मेदिनेनी वेंकट रत्न (राष्ट्रीय वातावरण अनुसंधान प्रयोगशाला, तिरूपति) और डॉ. पार्थसारथी चक्रवर्ती (CSIR-राष्ट्रीय सामुद्रिक संस्थान)।

अभियांत्रिकी विज्ञान – डॉ. अमित अग्रवाल और डॉ. अश्विन अनिल गुमास्ते (IIT बॉम्बे)।

गणितीय विज्ञान - डॉ. अमित कुमार (IIT दिल्ली) और डॉ. नितिन सक्सेना (IIT कानपुर)।

चिकित्सा विज्ञान - डॉ. गणेशन वेंकट सुब्रमण्यम (राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, बंगलूरू)।

भौतिक विज्ञान - डॉ. अदिति सेन डे (हरीशचंद्र अनुसंधान संस्थान, इलाहाबाद) और डॉ. अंबरीश घोष (भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू)।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)

  • वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विविध क्षेत्रों में अपने अग्रणी अनुसंधान एवं विकास ज्ञानाधार के लिये ज्ञात एक समसामयिक अनुसंधान एवं विकास संगठन है।
  • CSIR की स्थापना वर्ष 1942 में की गई थी। यह एक स्वायत्त संस्था है तथा भारत का प्रधानमंत्री इसका अध्यक्ष होता है।
  • शिमागो इंस्टीट्यूशन्‍स रैंकिंग वर्ल्‍ड रिपोर्ट 2014 के अनुसार, विश्‍व भर के 4851 संस्‍थानों में CSIR का स्‍थान 84वाँ है और यह शीर्षस्‍थ 100 अंतर्राष्ट्रीय संस्‍थानों में अकेला भारतीय संगठन है। एशिया में CSIR 17वें और देश में पहले स्‍थान पर है।

महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन तथा महात्मा गांधी म्यूज़ियम

हाल ही में नई दिल्ली में महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन (Mahatma Gandhi International sanitation Convention) का आयोजन तथा गुजरात में महात्मा गांधी म्यूज़ियम का उद्घाटन किया गया।

  • इस सम्मेलन में 68 भागीदार देशों के मंत्रियों तथा प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
  • महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर होने वाले समारोह की शुरुआत के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन का आयोजन पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
  • महात्मा गांधी संग्रहालय को अल्फ्रेड हाईस्कूल में स्थापित किया गया है, जो महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभिक वर्षों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा था। यह गांधीवादी संस्कृति, मूल्यों और दर्शन के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करेगा।