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डेली न्यूज़

  • 01 Jun, 2019
  • 25 min read
सामाजिक न्याय

उच्च शिक्षा नीति में पुनर्गठन का प्रस्ताव

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के पुनर्गठन हेतु मसौदा नीति प्रस्तुत की है।

प्रमुख बिंदु

    • यह मसौदा नीति वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली समिति द्वारा तैयार की गई है। इसके तहत शिक्षा के अधिकार अधिनियम (Right To Education- RTE Act) के दायरे को विस्तृत करने का प्रयास किया गया है, साथ ही स्नातक पाठ्यक्रमों को भी संशोधित किया गया है।
    • इस मसौदा नीति में लिबरल आर्ट्स साइंस एजुकेशन (Liberal Arts Science Education- LASE) के चार वर्षीय कार्यक्रम को फिर से शुरू करने तथा कई कार्यक्रमों के हटाने के विकल्प (exit options) के साथ-साथ एम. फिल. प्रोग्राम को रद्द करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
    • इस मसौदा नीति के अनुसार, पी.एच.डी. करने के लिये या तो मास्टर डिग्री या चार साल की स्नातक डिग्री को अनिवार्य किया गया है।
    • नए पाठ्यक्रम में 3 से 18 वर्ष तक के बच्चों को कवर करने के लिये 5+3+3+4 डिज़ाइन (आयु वर्ग 3-8 वर्ष, 8-11 वर्ष, 11-14 वर्ष और 14-18 वर्ष) तैयार किया गया है जिसमें प्रारंभिक शिक्षा से लेकर स्कूली पाठ्यक्रम तक शिक्षण शास्त्र के पुनर्गठन के भाग के रूप में समावेशन के लिये नीति तैयार की गई है।
  • उल्लेखनीय है की नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने का एनडीए सरकार का यह दूसरा प्रयास है।
  • पहली बार TSR सुब्रमण्यम के नेतृत्व में एक समिति गठित की गई थी जिसने वर्ष 2016 में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
  • यह मसौदा नीति धारा 12 (1) (सी) (निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्रों के लिये अनिवार्य 25 प्रतिशत आरक्षण का दुरुपयोग किया जाना) की भी समीक्षा करती है, जो सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।

रिपोर्ट की अन्य प्रमुख सिफारिशें

  • विदेशों में भारतीय संस्थानों की संख्या में वृद्धि करने के साथ-साथ दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों को भारत में अपनी शाखाएँ स्थापित करने की अनुमति देना। इसका मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना है।
  • स्कूली शिक्षा के लिये एक एकल स्वतंत्र नियामक ‘राज्य विद्यालय नियामक प्राधिकरण’ (State School Regulatory Authority- SSRA) और उच्च शिक्षा के लिये राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामक प्राधिकरण (National Higher Education Regulatory Authority) स्थापित किया जाएगा।
  • निजी स्कूल अपनी फीस निर्धारित करने के लिये स्वतंत्र हैं, लेकिन वे मनमाने तरीके से स्कूल की फीस में वृद्धि नहीं करेंगे। ‘राज्य विद्यालय नियामक प्राधिकरण’ द्वारा प्रत्येक तीन साल की अवधि के लिये इसका निर्धारण किया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक नए शीर्ष निकाय ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ की स्थापना की जाएगी जो सतत् आधार पर शिक्षा के विकास, कार्यान्वयन, मूल्यांकन और शिक्षा के उपयुक्त दृष्टिकोण को लागू करने के लिये उत्तरदायी होगा।
  • स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिये गणित, खगोल विज्ञान, दर्शन, चिकित्सा के लिये प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणालियों के योगदान को सुनिश्चित किया जाएगा।
  • सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को तीन श्रेणियों में पुनर्गठित किया गया है-
  • टाइप 1: विश्व स्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • टाइप 2: अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण योगदान के साथ विषयों में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • टाइप 3: उच्च गुणवत्ता वाला शिक्षण स्नातक शिक्षा पर केंद्रित है।
  • इसका संचालन दो मिशनों के तहत किया जाएगा - मिशन नालंदा और मिशन तक्षशिला।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

व्यापारियों के लिये पेंशन योजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई योजना को मंज़ूरी दी है जिसके तहत 60 वर्ष की आयु के बाद छोटे दुकानदारों, खुदरा व्यापारियों और स्वरोज़गार करने वाले लोगों के लिये न्यूनतम ₹3000 प्रतिमाह की पेंशन सुनिश्चित की जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • यह कार्य सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के सरकार के प्रयासों के हिस्से के रूप में किया जा रहा है।
  • 18-40 वर्ष की आयु के सभी छोटे दुकानदार और स्व-नियोजित व्यक्ति तथा 1.5 करोड़ रुपए से कम जीएसटी टर्नओवर वाले खुदरा व्यापारी इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिये अपना नामांकन कर सकते हैं।
  • इस योजना से 3 करोड़ से अधिक छोटे दुकानदारों और व्यापारियों को लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है।
  • यह योजना स्व-घोषणा पर आधारित है क्योंकि इसमें आधार और बैंक खाते को छोड़कर किसी भी अन्य दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं है। इच्छुक व्यक्ति देश भर में स्थित 3,25,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (Common Service Centres) के माध्यम से अपना नामांकन कर सकते हैं।
  • इस योजना में भारत सरकार भी बराबर का योगदान देगी। उदाहरण के लिये, यदि 29 वर्ष की आयु का व्यक्ति प्रतिमाह 100 रुपए का योगदान देता है, तो केंद्र सरकार भी हर महीने ग्राहक के पेंशन खाते में उतनी ही राशि का योगदान करेगी।

स्रोत- पीआईबी


जैव विविधता और पर्यावरण

मलेरिया के उपचार हेतु नई खोज

चर्चा में क्यों ?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, संपूर्ण विश्व में मलेरिया से सालाना 400,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है। परंतु हाल ही में पश्चिम अफ्रीका (West Africa) में किये गए एक परीक्षण में यह पाया गया है कि आनुवांशिक रूप से संशोधित (Genetically Modified) कवक (Fungus) एक-डेढ़ महीने में मलेरिया (Malaria) को खत्म कर सकता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं ने इस परीक्षण हेतु कवक का आनुवंशिक रूप से संशोधित प्रारूप मेथेरिज़म पिंग्सशेंस (Metarhizum Pingshaense) का उपयोग किया।
  • मेथेरिज़म पिंग्सशेंस स्वभाव से लचीला (Flexible) होता है इसलिये इसे आसानी से आनुवांशिक रूप संशोधित किया जा सकता है।
  • जब इस कवक को यह ज्ञात हो जाता है कि वह किसी मच्छर के ऊपर बैठा हो तो यह बहुत तेज़ी से प्रतिक्रिया करता है।
  • आनुवांशिक रूप से संशोधित कवक स्पाइडर नामक विष (Spider Toxin) का निर्माण करता है जिसके कारण 45 दिन के अंदर 99% मच्छरों का सफाया हो जाता है।
  • संशोधित कवक में आनुवंशिक निर्देश प्राप्त करने की क्षमता विकसित की गई है ताकि यह मच्छर के अंदर प्रवेश कर विष बनाना शुरू कर दे।
  • मच्छरों में टॉक्सिन का प्रवेश कराये जाने हेतु ऑस्ट्रेलियाई ब्लू माउंटेन फ़नल-वेब मकड़ी (Australian Blue Mountains funnel-web spider) के जहर का प्रयोग किया जाता है।
  • आनुवांशिक रूप से संशोधित कवक स्वाभाविक रूप से उन एनोफिलिस मच्छरों को संक्रमित करते हैं जो मलेरिया फैलाते हैं।
  • आनुवांशिक रूप से संशोधित कवक केवल मच्छरों को पैदा करने वाले कीट एवं  छल्ली (Mosquito’s Cuticle) में प्रवेश करते हैं, इसलिए यह कीटों के लाभदायक प्रजातियों जैसे कि मधुमक्खियाँ, ततैया इत्यादि के लिये किसी भी प्रकार का खतरा उत्पन्न नहीं करते।
  • मेथेरिज़म पिंग्सशेंस का परीक्षण प्रयोगशाला के अंदर प्रयोग में लाए जा रहे चादरों पर  किया गया।
  • इस शोध का परीक्षण एक गाँव में किया गया जहाँ मक्खियों के लिये प्रयुक्त 6,550 वर्ग फीट के जाल (Fly Net) का प्रयोग किया जाता था।
  • इस शोध की सत्यता जाँचने हेतु आनुवांशिक रूप से संशोधित कवक को जंगल में छोड़ा गया जो कि सफल रहा।
  • पूर्व में मलेरिया की रोकथाम हेतु कीटनाशकों (Insecticide) के प्रयोग से मच्छरों में  कीटनाशक-प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण हुआ है।
  • इस अनुसंधान ने मलेरिया की रोकथाम हेतु ट्रांसजेनिक अप्रोच (Transgenic Approach) में नया मार्ग प्रशस्त किया है।

स्रोत: द इकॉनमिक टाइम्स  


भूगोल

संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास सभा

चर्चा में क्यों?

पहली संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास सभा (UN-Habitat Assembly) के कार्यकारी बोर्ड (Executive Board) के लिये प्लेनरी सत्र हेतु भारत को चुना गया है। गौरतलब है कि इस सभा का पहला सत्र केन्या के नैरोबी में 27-31 मई, 2019 आयोजित किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास सभा की थीम ‘इनोवेशन फॉर बेटर क्वालिटी ऑफ लाइफ इन सिटीज़ एंड कम्युनिटीज़’ (Innovation for Better Quality of Life in Cities and Communities) है।

innovation

  • यूएन-हैबिटेट: एक बेहतर शहरी भविष्य की दिशा में संयुक्त राष्ट्र का एक कार्यक्रम है। इसका मिशन सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से स्थायी मानव बस्तियों के विकास एवं सभी के लिये पर्याप्त आश्रय की उपलब्धि को बढ़ावा देना है।
  • शहरी विकास के मुद्दों को संबोधित करने के लिये वर्ष 1978 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) द्वारा शासित शहरी विकास प्रक्रियाओं पर यह एक संज्ञानात्मक संस्था (knowledgeable institution) है।

संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास सभा के परिणाम

  • योगदान: सदस्य देशों द्वारा शहरों को अधिक समावेशी, सुरक्षित, लचीला और धारणीय बनाने की दिशा में $152 मिलियन से अधिक का निवेश।
  • समुदाय, शहर या कस्बे जो अपने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करते हैं और अपने अपशिष्ट प्रबंधन व्यय को कम करते हैं, को सार्वजनिक रूप से ‘अपशिष्ट-बुद्धिमान शहर’ (Waste-Wise Cities) के रूप में मान्यता दी जाएगी।
  • यह पहल दुनिया भर के समुदायों, शहरों और कस्बों को अपशिष्ट के विषय में एक बार फिर से विचार करने, उसमें कमी करने, रीसाइकिल करने तथा पुनरुपयोग की मांग करती है।
  • 2020-2025 की अवधि के लिये संयुक्त राष्ट्र मानव बस्तियों के कार्यक्रम की रणनीतिक योजना प्रस्तुत की गई है। इस योजना का लक्ष्य विकास और शांति के चालक के रूप में स्थायी शहरीकरण को बढ़ावा देना है, ताकि सभी के लिये बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित किया जा सकें।
  • इसमें भाग लेने वाले राष्ट्रों द्वारा न्यू अर्बन एजेंडा (New Urban Agenda-NUA) और सतत् शहरी विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों पर अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये गए।
  • भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, रवांडा और उरुग्वे जैसे एशियाई एवं अफ्रीकी देशों ने राष्ट्रीय नीतियों तथा प्रथाओं का अवलोकन प्रस्तुत किया।
  • वेनेज़ुएला ने सामाजिक आवास को एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक हित के रूप में देखते हुए कुछ सुझाव दिये।
  • कोरिया ने शहरी समस्याओं का समाधान करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता और आभासी वास्तविकता प्रौद्योगिकी की क्षमता पर ज़ोर दिया।

संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास

  • संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास मानव बस्तियों के लिये संयुक्‍त राष्‍ट्र की एजेंसी है। इसे वर्ष 1976 में कनाडा के वैंकूवर में आयोजित ह्यूमन सेटलमेंट्स एंड सस्टेनेबल अर्बन डेवलपमेंट [Human Settlements and Sustainable Urban Development (Habitat-I)] पर पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के परिणाम के रूप में स्थापित किया गया था।
  • यह संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (United Nations Development Group) का सदस्य है।
  • संयुक्त राष्ट्र-पर्यावास (UN-Habitat) का मुख्यालय नैरोबी, केन्या के संयुक्‍त राष्‍ट्र कार्यालय में है।
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने सबके लिये उपयुक्‍त आवास प्रदान करने के लक्ष्‍य की दिशा में सामाजिक और पर्यावरण की दृष्टि से संवहनीय कस्‍बों और शहरों को बढ़ावा देने का दायित्‍व सौंपा है।
  • संगठन के कार्य क्षेत्र से संबद्ध मुख्‍य दस्‍तावेज हैं:
  • वेंकूवर डेक्लेरेशन ऑन ह्यूमन सेटलमेंट्स, द हैबीटॉट एजेंडा, द इस्तांबुल डेक्लेरेशन ऑन ह्यूमन सेटलमेंट (Human Settlements (Habitat II) in Istanbul), द डिक्‍लेरेशन ऑन सिटीज एंड अदर ह्यूमन सेटलमेंट्स इन द न्यू मिलेनियम; रैज़ोल्यूशन 56/206 ।
  • फोकस के क्षेत्र: भूमि कानून; नगर नियोजन; शहरी एवं म्यूनिसिपल वित्‍त; जोखिम में कमी और पुनर्वास; अनुसंधान और क्षमता विकास
  • नोडल मंत्रालय: आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय; शहरी विकास मंत्रालय; नीति आयोग
  • प्रमुख प्रकाशन: द ग्‍लोबल रिपोर्ट ऑन ह्यूमन सेटलमेंट्स, द स्‍टेट ऑफ वर्ल्‍ड सिटीज़; अर्बन वर्ल्ड

विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (01 June)

  • 31 मई को नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में कई महत्त्वपूर्ण फैसले लिये गए। नेशनल डिफेंस फंड के तहत शहीदों के परिवार के लड़कों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप में 500 रुपए की बढ़ोतरी की गई तो लड़कियों को दी जाने वाली राशि में 750 रुपए बढ़ाए गए हैं। छोटे दुकानदारों के लिये पेंशन योजना शुरू की गई है, जिसके दायरे में 5 करोड़ से ज़्यादा दुकानदार आएंगे। इस योजना के लाभार्थियों में 18 से 40 साल तक के दुकानदार शामिल होंगे। प्रधानमंत्री पेंशन योजना के तहत किसानों, आम लोगों, गरीबों को 60 साल की आयु के बाद 3000 रुपए पेंशन देने की योजना है। दुकानदारों-कारोबारियों को 3000 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलेगी। किसान की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को यह पेंशन मिलेगी। इसमें जितना अंशदान किसान देगा, उतना ही अंश सरकार देगी। किसान सम्मान निधि योजना के तहत अब सभी किसानों को 6000 रुपए वार्षिक दिये जाएंगे। अब 2 हेक्टेयर ज़मीन की सीमा लागू नहीं होगी तथा दो करोड़ अतिरिक्त किसान भी योजना के दायरे में आ जाएंगे। पशुओं के खुरपका और मुखपका रोग के टीकाकरण के लिये अब पूरा पैसा केंद्र सरकार देगी। पहले केंद्र और राज्य सरकारें 60:40 के अनुपात में इसका खर्च वहन करती थीं। इसके अलावा नई सरकार का पहला बजट 5 जुलाई को पेश किया जाएगा।
  • वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की GDP विकास दर घटकर 6 प्रतिशत से भी कम हो गई है। यह पिछले 60 महीनों में सबसे कम है। नवीनतम जारी हुए आँकड़ों के अनुसार, जनवरी-मार्च तिमाही में GDP विकास दर केवल 5.8 प्रतिशत रही। इसका असर पूरे वित्त वर्ष की GDP पर पड़ा और यह गिरकर 6.8 प्रतिशत रह गई। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2017-18 की जनवरी-मार्च तिमाही में GDP विकास दर 8.1 प्रतिशत रही थी जबकि पूरे वित्त वर्ष में देश का आर्थिक विकास 7.2 प्रतिशत की दर से हुआ था। इसके साथ ही भारत विकास दर के मामले में डेढ़ साल में पहली बार चीन से पिछड़ गया। बेरोज़गारी के मोर्चे पर लेबर सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में देश में बेरोज़गारी दर 45 वर्ष के अपने उच्चतम स्तर 6.1 प्रतिशत रही। देश में बेरोजगारी का आँकड़ा वर्ष 1972-73 के बाद पहली बार इतना अधिक हुआ है। इसके अलावा भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) ने अपनी आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष में GDP वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत रह सकती है।
  • श्रीलंका ने भारत और जापान के साथ गहरे समुद्री क्षेत्र कंटेनर टर्मिनल विकसित करने के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। तीनों देश संयुक्त रूप से कोलंबो बंदरगाह पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल का निर्माण करेंगे। श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण के अनुसार, कोलंबो बंदरगाह के ट्रांसशिपमेंट कारोबार (बड़े जहाज़ों से छोटे जहाज़ों में माल का परिवहन) का करीब 70 प्रतिशत भारत से संबंधित है, जबकि जापान 1980 से बंदरगाह कंटेनर टर्मिनल के निर्माण में सहयोग कर रहा है। श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण के पास ईस्ट कंटेनर टर्मिनल का 100 प्रतिशत स्वामित्व है। ईस्ट कंटेनर टर्मिनल से होने वाले सभी परिचालनों का संचालन करने वाली टर्मिनल ऑपरेशंस कंपनी में श्रीलंका सरकार और अन्य की संयुक्त हिस्सेदारी है। ऐसे में हिंद महासागर के केंद्र के रूप में श्रीलंका का विकास और उसके बंदरगाहों का खुलना बहुत महत्त्व रखता है। कोलंबो बंदरगाह इस क्षेत्र का प्रमुख बंदरगाह है। यह संयुक्त परियोजना तीनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग और बेहतर संबंधों को दर्शाती है।
  • 1 जून को दुनियाभर में विश्व दुग्ध दिवस (World Milk day) का आयोजन किया गया। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य दूध और इससे संबंधित उद्योगों को प्रोत्साहन देना है। इसके अलावा इस दिवस को मनाने का उद्देश्य प्राकृतिक दूध के बारे में लोगों के बीच जागरूकता उत्पन्न करना भी है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा विश्व दुग्ध दिवस की स्थापना की गई थी और पहली बार 1 जून, 2001 को इस दिवस का आयोजन किया गया था। दूध में हमारे शरीर के लिये आवश्यक सभी पोषक तत्त्व पाए जाते हैं, जिनमें कैल्सियम, मैगनिशियम, जिंक, फॉसफोरस, ऑयोडीन, आइरन, पोटेशियम, फोलेट्स, विटामिन-ए, विटामिन-डी, राइबोफ्लेविन, विटामिन-बी12, प्रोटीन, गुड फैट आदि शामिल हैं। इस वर्ष विश्व दुग्ध दिवस की थीम Drink Milk: Today & Everyday रखी गई है।
  • YSR कॉन्ग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री का पदभार संभाल लिया। राज्यपाल ई.एस.एल. नरसिम्हन ने विजयवाड़ा के समीप IGMC स्टेडियम में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। हाल ही में लोकसभा चुनावों के साथ हुए राज्य विधानसभा के चुनाव में उनकी पार्टी ने 175 में से 151 सीटों पर जीत दर्ज की। आपको बता दें कि पाँच वर्ष पूर्व तेलंगाना के गठन के बाद तेलुगु देशम पार्टी के एन. चन्द्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। उनके पिता वाई.एस. राजशेखर रेड्डी अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, जिनकी एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
  • दिल्ली में भीषण गर्मी के दौर के मद्देनज़र भारतीय मौसम विभाग ने राष्ट्रीय राजधानी के लिये रेड कलर वार्निंग जारी की है। 31 मई को मौसम विभाग ने राजधानी में अधिकतम तापमान 46.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया, जो पिछले पाँच साल में सबसे अधिक तापमान है। गौरतलब है कि मौसमी परिस्थितियों के अनुरूप पूर्वानुमान और चेतावनी जारी करने के लिये मौसम विभाग ने चार कलर कोड जारी किये हैं: इनमें हरा रंग सामान्य मौसम का परिचायक है; पीला रंग मौसम से सावधान रहने और उस पर निगाह रखने की सलाह देता है; संतरी रंग का अलर्ट तब जारी किया जाता है जब अधिकतम तापमान लगातार दो दिन तक सामान्य से पांच डिग्री तक अधिक बना रहता है। उस स्थिति में लू चलने की घोषणा की जाती है। लाल रंग का अलर्ट जारी होने का मतलब है कि अधिकतम तापमान सामान्य से पाँच डिग्री से भी अधिक रह सकता है।

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