शासन व्यवस्था
संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू होने के लिये) संशोधन आदेश, 2019
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान आदेश (जम्मू और कश्मीर में लागू) संशोधन आदेश, 2019 [Constitution (Application to Jammu & Kashmir) Amendment Order, 2019] के माध्यम से संविधान आदेश, 1954 (जम्मू और कश्मीर में लागू) [Constitution (Application to Jammu & Kashmir) Order, 1954] में संशोधन के संबंध में जम्मू और कश्मीर सरकार के प्रस्ताव को अपनी मंज़ूरी दे दी है।
- राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 की धारा (1) के अंतर्गत संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू) संशोधन आदेश, 2019 जारी किये जाने के बाद संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम, 1995 तथा संविधान (103वाँ संशोधन) अधिनियम,2019 के माध्यम से भारतीय संविधान के संशोधित तथा प्रासंगिक प्रावधान लागू होंगे।
जम्मू-कश्मीर के युवाओं को मिलेगा लाभ
अधिसूचित होने पर यह आदेश सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के लिये पदोनत्ति के लाभ का मार्ग प्रशस्त करेगा और जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी में वर्तमान आरक्षण के अतिरिक्त ‘आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये’ 10 प्रतिशत तक आरक्षण का लाभ प्रदान करेगा।
- उल्लेखनीय है कि आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये 10% आरक्षण जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों में पेश किया गया। यह सरकारी नौकरियों में मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगा।
पृष्ठभूमि
- संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम, 1995 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 की धारा 4 में उप-धारा (4A) को जोड़कर लागू किया गया। धारा (4A) में सेवा में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों जिसमें गुर्जर और बकरवाल भी शामिल हैं, को पदोन्नति का लाभ (Benefit of promotion) देने का प्रावधान है।
- 24 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद, 1995 का 77वाँ संविधान संशोधन अब जम्मू-कश्मीर राज्य के लिये लागू कर दिया गया है।
- एक अध्यादेश द्वारा जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 (Jammu and Kashmir Reservation Act, 2004) में संशोधन कर नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले लोगों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को भी राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान लागू किया गया है।
- इससे पहले, जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा से केवल 6 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले युवाओं के लिये 3% आरक्षण का प्रावधान था। अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाली आबादी द्वारा लंबे समय से सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की जाती रही रही है, क्योंकि उन्हें जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से होने वाली गोलीबारी का सामना करना पड़ता है।
स्रोत : पी.आई.बी
भारत-विश्व
अरुण-3 जल विद्युत परियोजना
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) ने अरुण-3 जल विद्युत परियोजना (नेपाल भाग) के ट्रांसमिशन घटक के लिये जून 2017 के मूल्य स्तर पर 1236.13 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से निवेश को अपनी स्वीकृति दे दी है।
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति की बैठक के दौरान फरवरी 2017 में मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति की बैठक में अरुण-3 जलविद्युत परियोजना (900 मेगावॉट) के उत्पादन घटक के लिये मई, 2015 के मूल्य स्तर पर 5723.72 करोड़ रुपए लागत की परियोजना के लिये निवेश प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई थी।
- वर्तमान स्वीकृति 400 किलोवाट D/C डिडिंग (नेपाल में)- बथनाहा (अंतर्राष्ट्रीय सीमा) वाया धलकेबर (नेपाल में) ट्रांसमिशन लाइन के लिये है। यह ट्रांसमिशन लाइन 217 किलोवाट की है और नेपाल में अरुण-3 जल विद्युत परियोजना (Hydro Electric Project-HEP) से विद्युत् निकालने के लिये है। यह नेपाल के भू-भाग के अंदर है।
लाभ
- परियोजना के ट्रांसमिशन घटक के निर्माण से लगभग 400 व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा।
- यह परियोजना नेपाल के साथ आर्थिक संपर्क को मज़बूत बनाने के लिये भारत को अधिशेष विद्युत प्रदान करेगी।
- इस परियोजना से विद्युत् नेपाल के धलकेबर से भारत के मुज़फ्फरपुर में भेजी जाएगी।
पृष्ठभूमि
- अरुण-3 जल विद्युत परियोजना (Hydro Electric Project-HEP) पूर्वी नेपाल के सनखुवासभा ज़िले में अरुण नदी पर है।
- इस परियोजना के अंतर्गत 70 मीटर ऊँचा गुरुत्व बांध (concrete gravity dam) और भूमिगत पावर हाउस के साथ 11.74 किलोमीटर की हेड रेस सुरंग (Head Race Tunnel-HRT) नदी के बाएँ किनारे पर बनाई जाएगी तथा 4 इकाइयों में से प्रत्येक इकाइ 225 मेगावाट विद्युत उत्पादन करेंगी।
- SJVN लिमिटेड ने यह परियोजना अंतर्राष्ट्रीय स्पर्द्धी बोली के माध्यम से प्राप्त की है। नेपाल सरकार और SJVN लिमिटेड ने परियोजना के लिये मार्च 2008 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे।
- यह समझौता ज्ञापन 30 वर्ष की अवधि के लिये बिल्ड ओन ऑपरेट तथा ट्रांसफर (Build Own Operate and Transfer-BOOT) के आधार पर किया गया था। 30 वर्ष की अवधि में 5 वर्ष की निर्माण अवधि भी शामिल है।
- परियोजना विकास समझौते (Project Development Agreement) पर नवंबर 2014 में हस्ताक्षर किये गए। इस समझौते में 25 वर्षों की संपूर्ण रियायत अवधि के लिये नेपाल को नि:शुल्क 21.9 प्रतिशत विद्युत प्रदान करने का प्रावधान है।
स्रोत : पी.आई.बी
भारतीय अर्थव्यवस्था
प्रधानमंत्री ‘जी-वन’ योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने प्रधानमंत्री ‘जी-वन योजना’ (Jaiv Indhan-Vatavaran Anukool Fasal Awashesh Nivaran Yojana: JI-VAN) के लिये वित्तीय मदद को मंज़ूरी प्रदान की।
प्रमुख बिंदु
- जैव ईंधन-वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण योजना (जी-वन योजना) के तहत ऐसी एकीकृत बायो-इथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय मदद प्रदान करने का प्रावधान किया गया है जो लिग्नोसेल्यूलॉज़िक बायोमास (Lignocellulosic Biomass) और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक (Feedstock) का इस्तेमाल करती हैं।
लिग्नोसेल्यूलॉज़िक बायोमास (LC biomass) – यह बायोमास सेल्यूलोज़ (Cellulose), हेमिसेल्यूलोज़ (Hemicelluloses) और लिग्निन (Lignin) से बना होता है।
- 2018-19 से 2023-24 की अवधि के लिये इस योजना में कुल 1969.50 करोड़ रुपए की मंज़ूरी प्रदान की गई है।
- स्वीकृत कुल 1969.50 करोड़ रुपए में से 1800 करोड़ रुपए 12 वाणिज्यिक परियोजनाओं की मदद, 150 करोड़ रुपए 10 प्रदर्शित परियोजनाओं और बाकी बचे 9.50 करोड़ रुपए उच्च प्रौद्योगिकी केन्द्र (Centre for High Technology-CHT) को प्रशासनिक शुल्क के रूप में दिये जाएंगे।
विवरण
- इस योजना के तहत12 परियोजनाओं को वाणिज्यिक स्तर पर और 10 दूसरी पीढ़ी (2G) के इथेनॉल परियोजनाओं के प्रदर्शन स्तर पर दो चरणों में वित्तीय मदद दी जाएगी।
- पहला चरण (2018-19 से 2022-23) – इस चरण के दौरान 6 वाणिज्यिक परियोजनाओं तथा 5 प्रदर्शन स्तर वाली परियोजनाओं को आर्थिक मदद दी जाएगी।
- दूसरा चरण (2020-21 से 2023-24)- दूसरे चरण में बाकी बची 6 वाणिज्यिक परियोजनाओं और 5 प्रदर्शन स्तर वाली परियोजनाओं को वित्तीय मदद दी जाएगी।
- इस परियोजना के तहत दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल क्षेत्र को प्रोत्साहित एवं मदद करने का काम किया गया है। इसके लिये वाणिज्यिक परियोजनाएँ स्थापित करने और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने का काम किया गया है।
- इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol Blended Petrol-EBP) कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को मदद पहुँचाने के अलावा निम्नलिखित लाभ भी प्राप्त होंगे -
- जीवाश्म ईंधन के स्थान पर जैव ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर आयात पर निर्भरता कम करने की भारत सरकार की परिकल्पना को साकार करना।
- जीवाश्म ईंधन के स्थान पर जैव ईंधन के इस्तेमाल का विकल्प प्रस्तुत कर उत्सर्जन के ग्रीन हाउस गैस (GHG) मानक की प्राप्ति।
- बायोमास और फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान का समाधान करना और लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना।
- दूसरी पीढ़ी की इथेनॉल परियोजना और बायोमास आपूर्ति श्रृंखला में ग्रामीण एवं शहरी लोगों के लिये रोज़गार के अवसर पैदा करना।
- बायोमास कचरे और शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले कचरे के संग्रहण की समुचित व्यवस्था कर स्वच्छ भारत मिशन में योगदान करना।
- दूसरी पीढ़ी के बायोमास को इथेनॉल प्रौद्योगिकी में परिवर्तित करने की विधि का स्वदेशीकरण करना।
- योजना के लाभार्थियों द्वारा बनाए गए इथेनॉल की अनिवार्य रूप से तेल विपणन कंपनियों को आपूर्ति करना, ताकि वे EBP कार्यक्रम के तहत इनमें निर्धारित प्रतिशत में मिश्रण कर सकें।
उद्देश्य
- पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने वर्ष 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इथेनॉल की कीमत ज़्यादा रखने और इथेनॉल खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने के तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद 2017-18 के दौरान 150 करोड़ लीटर इथेनॉल की खरीद ही प्राप्त की जा सकी जो कि देशभर में पेट्रोल में इथेनॉल के मात्र 4.22 प्रतिशत मिश्रण के लिये पर्याप्त है।
- इसी वजह से पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा बायोमास और अन्य कचरों से दूसरी पीढ़ी का इथेनॉल प्राप्त करने की संभावनाएँ तलाशी जा रही हैं। इससे इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम के तहत जीवाश्म पेट्रोल की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
- प्रधानमंत्री जी-वन योजना का मुख्य उद्देश्य देश में दूसरी पीढ़ी की इथेनॉल क्षमता विकसित करने और इस क्षेत्र में नए निवेश आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।
पृष्ठभूमि
- भारत सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम 2003 में लागू किया था। इसके ज़रिये पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण कर पर्यावरण को जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से बचाना, किसानों को क्षतिपूर्ति दिलाना तथा कच्चे तेल के आयात को कम कर विदेशी मुद्रा बचाना है।
- वर्तमान में EBP 21 राज्यों और 4 संघ शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत तेल विपणन कंपनियों के लिये पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक इथेनॉल मिलाना अनिवार्य बनाया गया है।
- मौजूदा नीति के तहत पेट्रोकेमिकल के अलावा मोलासिस और नॉन फीड स्टाक उत्पादों जैसे सेल्यूलोज़ और लिग्नोसेल्यूलोज़ जैसे पदार्थों से इथेनॉल प्राप्त करने की अनुमति दी गई है।
स्रोत – द हिंदू
शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 (National Mineral Policy 2019) को मंज़ूरी दे दी है।
उद्देश्य
- राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 का उद्देश्य अधिक प्रभावी, सार्थक और कार्यान्वयन योग्य नीतियाँ तैयार करना है जो स्थायी खनन प्रथाओं के साथ ही पारदर्शिता, बेहतर विनियमन एवं प्रवर्तन, संतुलित सामाजिक तथा आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देती हैं।
लाभ
- नई राष्ट्रीय खनिज नीति अधिक प्रभावी विनियमन सुनिश्चित करेगी।
- यह परियोजना प्रभावित व्यक्तियों विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मुद्दों का समाधान करने के साथ ही भविष्य में सतत् खनन क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देगी।
खनन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 में शामिल प्रावधान :
- RP/PL धारकों के लिये पहले इनकार करने के अधिकार (Right of First Refusal) को लागू करना।
- निजी क्षेत्रों को अन्वेषण के लिये प्रोत्साहित करना।
- राजस्व शेयर आधार पर समग्र RP (Reconnaissance Permit) सह PL (Prospecting License) सह ML (Mining Lease) के लिये नए क्षेत्रों में नीलामी।
- खनन संस्थाओं के विलय और अधिग्रहण को प्रोत्साहन।
- निजी क्षेत्र के खनन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिये खनन पट्टों का हस्तांतरण और समर्पित खनिज गलियारों का निर्माण।
- राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 में निजी क्षेत्रों में खनन के वित्तपोषण को बढ़ावा देने और निजी क्षेत्रों द्वारा अन्य देशों में खनिज संपत्ति के अधिग्रहण के लिये खनन गतिविधियों को उद्योग का दर्जा देने का प्रस्ताव किया गया है।
- इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि खनिज के लिये दीर्घकालिक आयात नीति से निजी क्षेत्र को व्यापार हेतु बेहतर योजना तैयार और व्यापार में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी।
- नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दिये गए आरक्षित क्षेत्रों जिनका उपयोग नहीं किया गया है, को युक्तिसंगत बनाने और इन क्षेत्रों को नीलामी हेतु रखे जाने का भी उल्लेख किया गया है, जिससे निजी क्षेत्र को भागीदारी के अधिक अवसर प्राप्त होंगे।
- इस नीति में निजी क्षेत्र की सहायता करने के लिये वैश्विक मानदंड के साथ कर, प्रभार और राजस्व के बीच सामंजस्य बनाने के प्रयासों का भी उल्लेख किया गया है।
अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु
- राष्ट्रीय खनिज नीति, 2019 के तहत शुरू किये जाने वाले बदलावों में ‘मेक इन इंडिया’ पहल और लैंगिक संवेदनशीलता (Gender sensitivity) पर ध्यान देना शामिल है।
- खनिजों में विनियमन के लिये ई-गवर्नेंस, सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सक्षम प्रणाली, जागरूकता और सूचना अभियान शामिल किये गए हैं।
- NMP 2019 का उद्देश्य प्रोत्साहन के माध्यम से निजी निवेश को आकर्षित करना है जबकि खनिज संसाधनों के डेटाबेस बनाए रखने के लिये प्रयास किये जाएंगे।
- नई नीति, खनिजों की निकासी और परिवहन के लिये तटीय जलमार्गों एवं अंतर्देशीय शिपिंग के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करती है। साथ ही खनिजों के परिवहन को सुविधाजनक बनाने के लिये समर्पित खनिज गलियारों को प्रोत्साहित करने का भी प्रस्ताव करती है।
- परियोजना प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के समान विकास के लिये
- ज़िला खनिज निधि का उपयोग किया जाएगा।
- 2019 नीति पीढ़ीगत समानता (Inter-Generational Equity) की अवधारणा को भी प्रस्तुत करती है जो न केवल वर्तमान पीढ़ी की भलाई के लिये काम करती है बल्कि आने वाली पीढ़ियों हेतु (खनन क्षेत्र में सतत् विकास सुनिश्चित करने के लिये) तंत्र को संस्थागत बनाने के लिये एक अंतर-मंत्रालयी निकाय का गठन करने का भी प्रस्ताव करती है।
पृष्ठभूमि
- राष्ट्रीय खनिज नीति 2019, मौजूदा राष्ट्रीय खनिज नीति 2008 (NMP 2008) का स्थान लेती है जिसे वर्ष 2008 में घोषित किया गया था।
- NMP 2008 की समीक्षा करने की प्रेरणा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सामान्य कारण बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में एक निर्देश के बाद आई।
- शीर्ष न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में, खान मंत्रालय ने NMP 2008 की समीक्षा करने के लिये खान मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. के. राजेश्वर राव की अध्यक्षता में 14 अगस्त, 2017 को एक समिति गठित की थी।
- समिति की बैठकों और हितधारकों की टिप्पणियों/सुझावों पर विचार-विमर्श के बाद, समिति ने रिपोर्ट तैयार कर खान मंत्रालय को प्रस्तुत की। खान मंत्रालय ने समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर पूर्व विधायी परामर्श नीति (Pre-legislative Consultation Policy-PLCP) प्रक्रिया के हिस्से के रूप में हितधारकों की टिप्पणियों/सुझावों को आमंत्रित किया। PLCP प्रक्रिया में प्राप्त टिप्पणियों/सुझावों और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों की टिप्पणियों/सुझावों के आधार पर राष्ट्रीय खनिज नीति 2019 को अंतिम रूप दिया गया।
स्रोत : पी.आई.बी
भारतीय अर्थव्यवस्था
उषा थोराट टास्क फोर्स
चर्चा में क्यों-
आर.बी.आई. ने उषा थोराट (पूर्व डिप्टी गवर्नर) की अध्यक्षता में एक समिति (आठ सदस्यीय समिति) का गठन किया है। इसका कार्य अपतटीय रुपए बाज़ार में भारतीय मुद्रा की स्थिरता हेतु आवश्यक नीतियाँ बनाने हेतु सुझाव देना है। यह समिति अपनी रिपोर्ट जून 2019 तक जमा करेगी।
(अन्य सदस्य-अजीत रानाडे, सुरेन्द्र रोशा, साजिद चिनॉय आर्थिक मामले विभाग से नामित एक सदस्य जे.पी. मार्गन के सदस्य)
अन्य कार्य-
- यह समिति के ऑफशोर रूपी मार्केट/अपतटीय रुपए बाज़ार (Off Shore Rupee Market) के विकास के कारकों पर भी ध्यान देगी। साथ ही यह समिति घरेलू बाज़ार में विनिमय दरों तथा बाज़ार तरलता पर अपतटीय बाज़ारों से पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन करेगी।
- यह समिति अपतटीय रुपए व्यापार से उत्पन्न अन्य मुद्दों पर भी ध्यान देगी और उनके समाधान का सुझाव देगी। साथ ही अप्रवासी भारतीयों से घरेलू बाज़ार संदर्भों में प्रोत्साहन प्राप्ति में वृद्धि हेतु भी सुझाव देगी। यह समिति भारतीय मुद्रा के अप्रवासी भारतीयों के बीच चलन/उपयोग बढ़ाने के प्रयासों पर भी विचार करेगी।
ऑफशोर रूपी मार्केट/अपतटीय रुपए बाज़ार
- भारतीय राष्ट्रीय सीमा के बाहर ‘रुपया’ एक मुद्रा है जिसमें अन्य प्रकार के व्यापार और लेन-देन भी होते हैं। घरेलू मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण से भी यह बाज़ार जुड़ा है। अपतटीय रुपए बाज़ार का सबसे अच्छा उदाहरण मसाला बांड भी है जिसका प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से पैसे लेने हेतु किया जाता है लेकिन यह कार्य भारतीय मूल्य वर्ग में ही होगा।
विनिमय दर
- विदेशी धरती पर एक देशी मुद्रा की कीमत वहाँ की मुद्रा के किसी मात्रा के बराबर होगी। यह तय करने वाली दर को मुद्रा विनिमय दर या विनिमय दर कहा जाता है।
स्रोत: टाईम्स ऑफ इंडिया, द हिंदू
जैव विविधता और पर्यावरण
गैंडों (Rhinos) का संरक्षण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नई दिल्ली में उन देशों की दूसरी बैठक का आयोजन किया गया जहाँ एशियाई गैंडे (राइनो) पाए जाते हैं। इस बैठक में एक सींग वाले गैंडे के संरक्षण के लिये भारत, नेपाल और भूटान के बीच सीमा-पार सहयोग को रेखांकित किया गया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- इस बैठक में गंभीर रूप से लुप्तप्राय सुमात्रा प्रजाति के प्राकृतिक और संरक्षित प्रजनन में तेज़ी लाने के लिये आपसी सहयोग एवं प्रौद्योगिकियों के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया।
- बैठक के तहत एक देश के भीतर या गैंडे पाए जाने वाले देशों के बीच इनके अधिकार क्षेत्र के विस्तार पर भी जोर दिया गया।
एक सींग वाला गैंडा
- इंडोनेशिया, मलेशिया एवं अन्य एशियाई देशों में भी गैंडों का निवास है।
- वर्तमान वैश्विक आबादी के अनुसार एक सींग वाले भारतीय गैंडों की संख्या 3,584 है। भारत में असम राज्य के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 2,938 गैंडे हैं, जबकि नेपाल में 646।
- हालाँकि भूटान में गैंडे नहीं हैं लेकिन असम से सटे मानस नेशनल पार्क और पश्चिम बंगाल में बक्सा टाइगर रिज़र्व से कभी-कभार कुछ गैंडे अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पार कर जाते है।
- चीन से लेकर बांग्लादेश तक जवन और सुमात्रन गैंडे विलुप्त होने वाले हैं।
- सुमात्रन राइनो, सभी राइनो प्रजातियों में सबसे छोटा और दो सींगों वाला एकमात्र एशियाई गैंडा है, जो मलेशिया के जंगलों से विलुप्त हो गया है।
- IUCN के प्रजाति उत्तरजीविता आयोग के एशियाई राइनो स्पेशलिस्ट ग्रुप के अध्यक्ष के अनुसार, वर्तमान में मलेशिया के सबा द्वीप में केवल एक तथा इंडोनेशिया में कुछ ही राइनो पाये जाते हैं।
- IUCN प्रत्येक चार वर्ष में पृथ्वी पर उपस्थित उन सभी प्रजातियों की सूची प्रकाशित करता है जो संकट में हैं। इस सूची को ‘IUCN रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटेंड स्पीसीज़’ (IUCN-Red List of Threatened Species) कहा जाता है।
- रेड लिस्ट दुनियाभर के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की जाती है, इसलिये दुनिया में जैवविविधता पर इसे सबसे प्रामाणिक और विश्वसनीय सूची माना जाता है।
- IUCN द्वारा जारी की जाने वाली इसी रेड लिस्ट के अंतर्गत भारत में उड़ने वाली गिलहरी, एशियाई सिंह, काले हिरण, गेंडे, गंगा डॉल्फिन, बर्फीले तेंदुए सहित अनेक जीवों को संकटग्रस्त करार दिया गया है।
पृष्ठभूमि
- 1905 में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को पहली बार एक सींग वाले गैंडे के संरक्षण के लिये अधिसूचित किया गया था जब इनकी संख्या 10 से भी कम हो गई थी।
- 1908 में इसका गठन विशेष रूप से एक सींग वाले गैंडे के संरक्षण के लिये संरक्षित वन के रूप में कर दिया गया।
- 1970 के दशक में गैंडों की संख्या कुछ सौ थी जो वर्तमान में 3,584 है।
- काजीरंगा नेशनल पार्क को वर्ष 1985 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल में किया गया था।
IUCN क्या है
- IUCN पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाला विश्व का सबसे पुराना और सबसे बड़ा संगठन है।
- IUCN की स्थापना 5 अक्तूबर, 1948 को फ्राँस में हुई थी। इसकी पहली बैठक में दुनिया के 18 देशों के सरकारी प्रतिनिधियों, 7 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाले 107 राष्ट्रीय संगठनों ने भाग लिया था।
- इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के ग्लांड शहर में अवस्थित है।
- इसका मूल लक्ष्य एक ऐसे विश्व का निर्माण करना है, जहाँ मूल्यों और प्रकृति का संरक्षण हो सके। इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिये IUCN प्रकृति की अखंडता और विविधता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिये वैश्विक समाज को प्रोत्साहित करता है।
- साथ ही, यह प्राकृतिक संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग और पारिस्थितिकीय संरचना को बेहतर बनाने की दिशा में भी सक्रिय है। रेड लिस्ट इसी प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1963 में की गई थी। इसके अतिरिक्त, जैव विविधता, सतत ऊर्जा, हरित अर्थव्यवस्था आदि भी इसके महत्त्वपूर्ण कार्यक्षेत्र हैं।
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (1 March)
- केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश के लिये एक नया रेल मंडल बनाने की घोषणा की है। नए मंडल का नाम दक्षिण तटीय रेलवे (SCOR) रखा गया है। इसमें मौजूदा गुंतकल, गुंटूर और विजयवाड़ा डिवीज़न शामिल होंगे। वाल्टेयर डिवीजन को दो भागों में बाँटा जाएगा। वाल्टेयर डिवीजन के एक हिस्से को नए मंडल यानी दक्षिण तटीय रेलवे में शामिल करके पड़ोसी विजयवाड़ा डिवीज़न में मिला दिया जाएगा। वाल्टेयर डिवीजन के बाकी हिस्से को एक नए डिवीज़न में परिवर्तित कर दिया जाएगा। इसका मुख्यालय पूर्वी तटीय रेलवे के अधीन रायगढ में होगा। दक्षिण-मध्य रेलवे में हैदराबाद, सिकंद्राबाद और नांदेड़ डिवीज़न शामिल होंगे। इस समय देश में 17 रेलवे मंडल (Zone) काम कर रहे हैं।
- केंद्र सरकार संविधान (जम्मू-कश्मीर में लागू होने के लिए) संशोधन आदेश, 2019 के माध्यम से संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू होने के लिए) आदेश, 1954 में संशोधन के संबंध में जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। इससे राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 की धारा (1) के अंतर्गत जारी संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू होने के लिए) संशोधन आदेश, 2019 द्वारा संविधान (77वां संशोधन) अधिनियम, 1955 तथा संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 से संशोधित भारत के संविधान के प्रासंगिक प्रावधान लागू होंगे। यह आदेश सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों को पदोनत्ति लाभ का मार्ग प्रशस्त करेगा और जम्मू-कश्मीर में सरकारी रोजगार में वर्तमान आरक्षण के अतिरिक्त आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत तक आरक्षण का लाभ प्रदान करेगा। गौरतलब है कि संविधान (77वां संशोधन) अधिनियम, 1955 को भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 की धारा 4 के बाद धारा (4ए) जोड़कर लागू किया गया था, जिसमें सेवा में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों को पदोन्नति लाभ देने का प्रावधान है।
- केंद्र सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और उनके तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिये फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण को मंज़ूरी दे दी है। कुल 10 हज़ार करोड़ रुपए लागत वाली यह योजना 1 अप्रैल, 2019 से तीन वर्षों के लिये शुरू की जाएगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इसके लिये लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद में शुरुआती स्तर पर प्रोत्साहन राशि देने तथा ऐसे वाहनों की चार्जिंग के लिये पर्याप्त आधारभूत ढाँचा विकसित करना भी इसके उद्देश्यों में शामिल है। यह योजना पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन सुरक्षा जैसी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में की गई एक पहल है। आपको बता दें कि यह योजना मौजूदा ‘फेम इंडिया वन’ का विस्तारित संस्करण है। फेम इंडिया योजना का पहला चरण 1 अप्रैल, 2015 को लागू किया गया था।
- भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंक ऑफ जापान ने भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय विनिमय व्यवस्था समझौते को अमलीजामा पहनाने का काम पूरा कर लिया है। यह समझौता 28 फरवरी से प्रभावी हो गया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले वर्ष जापान यात्रा के दौरान यह समझौता हुआ था। इसके तहत अब 75 बिलियन डॉलर करेंसी स्वैप (अदला-बदली) करना संभव हो सकेगा, जबकि इससे पहले समझौते में यह सीमा 50 अरब डॉलर थी। भारत भुगतान संतुलन के उपयुक्त स्तर को बनाए रखने अथवा अल्प अवधि की नकदी को बनाए रखने के उद्देश्य से अपनी घरेलू मुद्रा के लिये 75 अरब डॉलर की राशि तक पहुँच बना सकता है। वर्तमान में भारत के पास पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार है। यदि किसी समय उसे ऐसा लगता है कि समझौते के तहत उपलब्ध संसाधनों के इस्तेमाल की आवश्यकता है, तो यह समझौता इस राशि के इस्तेमाल के लिये भारत को लचीलापन प्रदान करेगा।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और दक्षिण कोरिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत बनाने के उद्देश्य से इंडिया-कोरिया स्टार्ट-अप हब और स्टार्ट-अप ग्रैंड चैलेंज की शुरुआत की। इंडिया-कोरिया स्टार्ट-अप हब डिजिटल इंडिया प्लेटफॉर्म पर शुरू किया गया है। इसमें तीन लाख से अधिक स्टार्ट-अप्स और आकांक्षी उद्यमियों ने पंजीकरण कराया है। यह हब भारत और विश्व के अन्य देशों के बीच नवाचार साझा करने और संसाधन संपन्न बाज़ारों तक पहुँच उपलब्ध कराएगा। स्टार्ट-अप ग्रैंड चैलेंज भारत और दक्षिण कोरिया के स्टार्ट-अप्स के बीच उद्यमिता कौशल का मार्ग प्रशस्त करेगा, ताकि वे विश्व के सामने मौजूद चुनौतियों का समाधान तलाशने के लिये मिलकर काम कर सकें। ये मुख्य रूप से वित्तीय साख, आर्थिक अनुमानों, धोखाधड़ी की पहचान, साइबर सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। गौरतलब है कि सियोल में इन्वेस्ट इंडिया और कोरियाई उद्योग और वाणिज्य मंडल (KCCI) की ओर से 21 फरवरी को भारत-कोरिया व्यापार संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया था।
- केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद येसो नाईक ने गाजियाबाद में राष्ट्रीय यूनानी औषधि संस्थान (NIUM) की आधारशिला रखी। यह संस्थान वर्तमान NIUM, बंगलुरू का विस्तार होगा और लगभग 300 करोड़ रुपए की लागत से 10 एकड़ क्षेत्र में बनाया जाएगा। 200 बिस्तरों वाला अस्पताल बन जाने के बाद NIUM, गाजियाबाद उत्तरी भारत के सबसे बड़े यूनानी औषधि संस्थानों में से एक होगा। स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के अलावा, NIUM में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और स्नातकोत्तर तथा पीएच.डी. स्तरों पर शिक्षा प्रदान करने की सुविधा भी होगी।
- नवीनतम उपलब्ध प्रौद्योगिकीय नवाचारों के बारे में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) में जागरूकता बढ़ाने और प्रतिस्पर्द्धा तथा अवसरों का सृजन करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाने के लिये MSME मंत्रालय ने नई दिल्ली में तकनीकी, प्रौद्योगिकी सहायता और आउटरीच (टेक-सोप 2019) पर एक कार्यक्रम आयोजित किया। आपको बता दें कि टेक-सोप 2019 MSME और प्रौद्योगिकी नवाचारों के मध्य अंतर को पाटने वाली एक पहल है ताकि वे इन प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर वैश्विक मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ सकें।
- तेल क्षेत्र के नियामक पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड (PNGRB) के 10वें सिटी गैस नीलामी चक्र में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल वितरण कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन को 10 शहरों के लिये गैस रिटेलिंग लाइसेंस मिला है, जिनमें से अधिकांश शहर बिहार और झारखंड के हैं। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन को नौ शहरों के लिये लाइसेंस मिले हैं, जो उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में हैं। एलएनजी मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड और एटलांटिक गल्फ एंड पैसिफिक कंपनी ऑफ मनीला के एक कंसोर्टियम को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल के नौ शहरों के लिये गैस आपूर्ति लाइसेंस मिला है। गुजरात गैस लिमिटेड को छह शहरों के लिये और गेल इंडिया की सहायक इकाई गेल गैस लिमिटेड को चार शहरों के लिये लाइसेंस मिले हैं। इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड और टोरेंट गैस को तीन-तीन शहरों के लिये लाइसेंस मिला। भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन की सहायक कंपनी भारत गैस रिसोर्सेज़ लिमिटेड और अडानी गैस को दो-दो शहरों के लिये लाइसेंस मिला है। 10वें नीलामी चक्र में 50 भौगोलिक क्षेत्रों के तहत देश के 124 ज़िले आते हैं। गौरतलब है कि लाइसेंस पाने वाली कंपनियाँ वाहनों के लिये CNG और घरेलू उपयोग के लिये PNG की आपूर्ति करेंगी।
- असम सरकार ने एक योजना शुरू की है जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों के लिये अपने वयोवृद्ध माता-पिता और अविवाहित दिव्यांग भाई-बहनों की देखभाल करना अनिवार्य किया गया है। हाल ही में असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने असम कर्मचारी माता-पिता ज़िम्मेदारी और जवाबदेही एवं निगरानी नियम (PRANAM) आयोग का उद्घाटन किया। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी ज़रूरत के समय अपने वृद्ध माता-पिता और अविवाहित भाई-बहन को अनदेखा नहीं करे तथा उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करे, यदि उनके पास अपनी आय का कोई स्रोत नहीं है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पिछले वर्ष प्रणाम अधिनियम को मंज़ूरी दी थी, जो देश में अपनी तरह का पहला अधिनियम है।
- केंद्र सरकार ने हरियाणा के रेवाड़ी जिले के मनेथी में 1299 करोड़ रुपए की लागत से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्थापना को मंज़ूरी दी है। प्रस्तावित संस्थान में 750 बिस्तरों का एक अस्पताल होगा, जिसमें आपातकालीन चिकित्सा/ट्रॉमा बेड, आयुष बेड, निजी बेड तथा ICU स्पेशियलिटी और सुपर स्पेशियलिटी बेड शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, एक मेडिकल कॉलेज, आयुष ब्लॉक, ऑडिटोरियम, नाइट शेल्टर (रात में रुकने का स्थान), अतिथि गृह, छात्रावास तथा आवासीय सुविधाएँ होंगी। इसके रखरखाव तथा देखभाल के लिये 6 नए एम्स की तर्ज़ पर एक्सपर्ट मैन पावर का सृजन किया जाएगा। इस एम्स के निर्माण और संचालन का खर्च केंद्र सरकार द्वारा PMSSY के अंतर्गत वहन किया जाएगा।