सिविल सेवा ही क्यों ? | 13 Sep 2018
आखिर हम सिविल सेवक के रूप में अपना कॅरियर क्यों चुनना चाहते हैं- क्या सिर्फ देश सेवा के लिये? वो तो अन्य रूपों में भी की जा सकती है। या फिर सिर्फ पैसों के लिये? लेकिन इससे अधिक वेतन तो अन्य नौकरियों एवं व्यवसायों में मिल सकता है। फिर ऐसी क्या वजह है कि सिविल सेवा हमें इतना आकर्षित करती है? आइये, अब हम आपको सिविल सेवा की कुछ खूबियों से अवगत कराते हैं जो इसे आकर्षण का केंद्र बनाती हैं।
- यदि हम एक सिविल सेवक बनना चाहते हैं तो स्वाभाविक है कि हम ये भी जानें कि एक सिविल सेवक बनकर हम क्या-क्या कर सकते हैं? इस परीक्षा को पास करके हम किन-किन पदों पर नियुक्त होते हैं? हमारे पास क्या अधिकार होंगे? हमें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा? इसमें हमारी भूमिका क्या और कितनी परिवर्तनशील होगी इत्यादि।
- अगर शासन व्यवस्था के स्तर पर देखें तो कार्यपालिका के महत्त्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन सिविल सेवकों के माध्यम से ही होता है। वस्तुतः औपनिवेशिक काल से ही सिविल सेवा को इस्पाती ढाँचे के रूप में देखा जाता रहा है। हालाँकि, स्वतंत्रता प्राप्ति के लगभग 70 साल पूरे होने को हैं, तथापि इसकी महत्ता ज्यों की त्यों बनी हुई है, लेकिन इसमें कुछ संरचनात्मक बदलाव अवश्य आए हैं।
- पहले, जहाँ यह नियंत्रक की भूमिका में थी, वहीं अब इसकी भूमिका कल्याणकारी राज्य के अभिकर्ता (Procurator) के रूप में तब्दील हो गई है, जिसके मूल में देश और व्यक्ति का विकास निहित है।
- आज सिविल सेवकों के पास कार्य करने की व्यापक शक्तियाँ हैं, जिस कारण कई बार उनकी आलोचना भी की जाती है। लेकिन, यदि इस शक्ति का सही से इस्तेमाल किया जाए तो वह देश की दशा और दिशा दोनों बदल सकता है। यही वजह है कि बड़े बदलाव या कुछ अच्छा कर गुज़रने की चाह रखने वाले युवा इस नौकरी की ओर आकर्षित होते हैं और इस बड़ी भूमिका में खुद को शामिल करने के लिये सिविल सेवा परीक्षा में सम्मिलित होते हैं।
- यह एकमात्र ऐसी परीक्षा है जिसमें सफल होने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में प्रशासन के उच्च पदों पर आसीन होने और नीति-निर्माण में प्रभावी भूमिका निभाने का मौका मिलता है।
- इसमें केवल आकर्षक वेतन, पद की सुरक्षा, कार्य क्षेत्र का वैविध्य और अन्य तमाम प्रकार की सुविधाएँ ही नहीं मिलती हैं बल्कि देश के प्रशासन में शीर्ष पर पहुँचने के अवसर के साथ-साथ उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा भी मिलती है।
- हमें आए दिन ऐसे आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के बारे में पढ़ने-सुनने को मिलता है, जिन्होंने अपने ज़िले या किसी अन्य क्षेत्र में कमाल का काम किया हो। इस कमाल के पीछे उनकी व्यक्तिगत मेहनत तो होती ही है, साथ ही इसमें बड़ा योगदान इस सेवा की प्रकृति का भी है जो उन्हें ढेर सारे विकल्प और उन विकल्पों पर सफलतापूर्वक कार्य करने का अवसर प्रदान करती है।
- नीति-निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण ही सिविल सेवक नीतिगत सुधारों को मूर्त रूप प्रदान कर पाते हैं।
- ऐसे अनेक सिविल सेवक हैं जिनके कार्य हमारे लिये प्रेरणास्रोत के समान हैं। जैसे- एक आईएएस अधिकारी एस.आर. शंकरण जीवनभर बंधुआ मज़दूरी के खिलाफ लड़ते रहे तथा उन्हीं के प्रयासों से “बंधुआ श्रम व्यवस्था (उन्मूलन) अधिनियम,1976” जैसा कानून बना। इसी तरह बी.डी. शर्मा जैसे आईएएस अधिकारी ने पूरी संवेदनशीलता के साथ नक्सलवाद की समस्या को सुलझाने का प्रयास किया तथा आदिवासी इलाकों में सफलतापूर्वक कई गतिशील योजनाओं को संचालित कर खासे लोकप्रिय हुए। इसी तरह, अनिल बोर्डिया जैसे आईएएस अधिकारी ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण काम किया। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनमें इस सेवा के अंतर्गत ही अनेक महान कार्य करने के अवसर प्राप्त हुए, जिसके कारण यह सेवा अभ्यर्थियों को काफी आकर्षित करती है।
- स्थायित्व, सम्मान एवं कार्य करने की व्यापक, अनुकूल एवं मनोचित दशाओं इत्यादि का बेहतर मंच उपलब्ध कराने के कारण ये सेवाएँ अभ्यर्थियों एवं समाज के बीच सदैव प्राथमिकता एवं प्रतिष्ठा की विषयवस्तु रही हैं।
- कुल मिलाकर, सिविल सेवा में जाने के बाद हमारे पास आगे बढ़ने और देश को आगे बढ़ाने के अनेक अवसर होते हैं। सबसे बढ़कर हम एक साथ कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रबंधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों के विकास में योगदान कर सकते हैं जो किसी अन्य सार्वजनिक क्षेत्र में शायद ही सम्भव है।
- सिविल सेवकों के पास ऐसी अनेक संस्थागत शक्तियाँ होती हैं जिनका उपयोग करके वे किसी भी क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन ला सकते हैं। यही वजह है कि अलग-अलग क्षेत्रों में सफल लोग भी इस सेवा के प्रति आकर्षित होते हैं।
- सिविल सेवा परीक्षा के अंतर्गत शामिल प्रत्येक सेवा की प्रकृति और चुनौतियाँ भिन्न-भिन्न हैं। इसलिये आगे हम प्रमुख सिविल सेवाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जैसे- उनमें कार्य करने का कितना स्कोप है, प्रोन्नति की क्या व्यवस्था है, हम किस पद तक पहुँच सकते हैं आदि, ताकि अपने ‘कॅरियर’ के प्रति हमारी दृष्टि और भी स्पष्ट हो सके।