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भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस)

  • 13 Sep 2018
  • 12 min read

भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service- IPS) जिसे आम बोलचाल में ‘आईपीएस’ के नाम से जाना जाता है, एक अखिल भारतीय सेवा है। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे ‘इंपीरियल पुलिस’ के नाम से जाना जाता था।

चयन प्रक्रिया: 

  • भारतीय पुलिस सेवा में अधिकारियों का चयन प्रत्येक वर्ष संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित ‘सिविल सेवा परीक्षा’ के माध्यम से होता है। 
  • इस परीक्षा में अंतिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों को उनके कुल अंकों और उनके द्वारा दी गई ‘सेवा वरीयता-सूची’ के आधार पर सेवा का आवंटन किया जाता है। 
  • चूँकि, इस सेवा के साथ अनेक चुनौतियाँ और उत्तरदायित्व जुड़े होते हैं, इसलिये संघ लोक सेवा आयोग इस सेवा हेतु ऐसे अभ्यर्थियों का चुनाव करता है जो इसके अधिकतम अनुकूल हों। 
  • इस सेवा से जुड़ी सामाजिक प्रतिष्ठा के चलते देश के लाखों युवाओं में इसके प्रति ज़बरदस्त आकर्षण है। हर साल देश के लाखों युवा सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होते हैं।

शैक्षिक योग्यता:

  • सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिये उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/ संस्थान से स्नातक (Graduate) होना अनिवार्य है|

शारीरिक योग्‍यता:

  • लंबाई: आईपीएस में चयनित होने के लिये पुरुष उम्मीदवारों की लंबाई कम से कम 165 सेंटीमीटर तथा महिला उम्मीदवारों की लंबाई कम-से-कम 150 सेंटीमीटर होनी चाहिये|
  • अनुसूचित जनजाति (STs) वर्ग के पुरुष उम्मीदवारों की लंबाई कम से कम 160 सेंटीमीटर तथा महिला उम्मीदवारों की लंबाई कम-से-कम 145 सेंटीमीटर होनी आवश्यक है|
  • चेस्‍ट: पुरुष एवं महिला उम्मीदवारों की चेस्ट क्रमशः कम-से-कम 84 एवं 79 सेंटीमीटर होनी चाहिये|
  • आई साइट: स्‍वस्‍थ आँखों का विज़न 6/6 या 6/9 होना चाहिये, जबकि कमज़ोर आँखों का विज़न 6/2 या 6/9 होना चाहिये|  

प्रशिक्षण:

  • भारतीय पुलिस सेवा प्रशिक्षण की निम्नलिखित अवस्थाएँ होती हैं- 
    1. आधारभूत प्रशिक्षण - 4 माह ( राष्ट्रीय अकादमी, मसूरी में)
    2. संस्थागत/ व्यावसायिक प्रशिक्षण (चरण- I) - 12 माह (पुलिस अकादमी, हैदराबाद में)
    3. व्यावहारिक प्रशिक्षण - 8 माह (आवंटित राज्य के किसी ज़िले में)
    4. संस्थागत/ व्यावसायिक प्रशिक्षण (चरण- II) - 3 माह (पुलिस अकादमी, हैदराबाद में)
  • ‘लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी (उत्तराखंड)’ में 16 सप्ताह का आधारभूत प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात् भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में चयनित उम्मीदवारों को ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद’ में प्रशिक्षण दिया जाता है जो एक वर्ष का होता है। 
  • यहाँ इन प्रशिक्षु अधिकारियों को सर्वप्रथम संस्थागत प्रशिक्षण चरण-I में 4 सप्ताह तक भारतीय दण्ड संहिता, अपराध शास्त्र, भारतीय साक्ष्य अधिनियम तथा भारतीय संवैधानिक व्यवस्था की सूक्ष्म जानकारी दी जाती है। 
  • यहाँ इन अधिकारियों को शारीरिक व्यायाम, ड्रिल तथा हथियार चलाने पर विशेष ध्यान देने को कहा जाता है। 
  • विभिन्न प्रकार के हथियारों का प्रशिक्षण दिलाने के लिये इन अधिकारियों को सीमा सुरक्षा बल के इंदौर (मध्य प्रदेश) स्थित ‘सेण्ट्रल स्कूल फॉर वेपंस एण्ड टैक्टिक्स’ में 28 दिन रखा जाता है, जहाँ इन्हें विभिन्न छोटे-बड़े हथियारों को  खोलना, साफ करना तथा पुनः जोड़ना सिखाया जाता है।
  • इसके अतिरिक्त टैक्टिक्स (व्यूह रचना) के अंतर्गत नक्शा पढ़ना, दबिश देना, रात्रि विचरण, खोज तथा घात लगाना इत्यादि सिखाया जाता है। 
  • इसके साथ-साथ इन प्रशिक्षु अधिकारियों को घुड़सवारी, उग्र भीड़ नियंत्रण, अग्निशमन, जनता से मित्रवत व्यवहार, तैराकी, फोटोग्राफी, पर्वतारोहण, वाहन चलाना, आतंकवाद नियंत्रण, महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा, बेतार संचार प्रणाली तथा साम्प्रदायिक दंगों से संबंधित आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। 
  • संस्थागत प्रशिक्षण चरण-I के पश्चात् प्रशिक्षु अधिकारियों को एक वर्ष के लिये पुलिस अधीक्षक, उपाधीक्षक, वृत्त निरीक्षक तथा थानाधिकारी के साथ नियुक्त किया जाता है। यहाँ प्रशिक्षु अधिकारी विभिन्न प्रकार के आपराधिक मामलों की जाँच तथा कार्यालयी प्रक्रियाओं व थानों की कार्यप्रणाली की व्यावहारिक जानकारी हासिल करते हैं|
  • व्यावहारिक प्रशिक्षण के पश्चात् पुनः अकादमी में इनका संस्थागत प्रशिक्षण चरण-II शुरू होता है। एक वर्ष का प्रशिक्षण पूरा करने के उपरान्त परिवीक्षाधीन अधिकारियों को यूपीएससी द्वारा संचालित एक परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है तत्पश्चात् इन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण से सम्बन्धित (आवंटित) राज्य में ‘सहायक पुलिस अधीक्षक’ के पद पर नियुक्त कर दिया जाता है। 
  • इस प्रकार आरंभिक औपचारिक प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है तथा प्रत्येक अधिकारी को उसके निर्धारित कैडर में भेज दिया जाता है। हालाँकि,यह प्रारंभिक प्रशिक्षण ही होता है, इसके बाद ‘मिड कॅरियर ट्रेनिंग प्रोग्राम’ के तहत सेवाकाल के बीच में भी कई बार प्रशिक्षण दिया जाता है।  

नियुक्ति: 

  • प्रशिक्षण पूरा होने के बाद प्रशिक्षु अधिकारी को जो राज्य कैडर दिया जाता है, उसी राज्य के किसी एक ज़िले के पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में प्रशिक्षु अधिकारी को एक साल का कार्य-प्रशिक्षण लेना होता है। इसके बाद इन्हें सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में दो वर्ष तक कार्य करना होता है।
  • सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य करते हुए, अधिकारी का उत्तरदायित्व पुलिस उपाधीक्षक के समकक्ष होता है। 

पदोन्नति:

  • पदोन्नति के द्वारा आईपीएस अधिकारी सहायक पुलिस अधीक्षक के पद से पुलिस महानिदेशक तक पहुँच सकता है। पुलिस महानिदेशक राज्य पुलिस बल का मुखिया होता है। 
  • इसके अतिरिक्त आईपीएस अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर भारत सरकार के ख़ुफ़िया विभाग इंटेलिजेन्स ब्यूरो (आईबी)और सीबीआई में भी नियुक्त किया जाता हैं। 
  • दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में कानून और व्यवस्था को बनाए रखना पुलिस बल की विशेष ज़िम्मेदारी है। इन शहरों में पुलिस अधिकारी को सहायक पुलिस आयुक्त(ACP),अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त(ADCP),पुलिस उपायुक्त (DCP), संयुक्त पुलिस आयुक्त और पुलिस आयुक्त (CP) कहा जाता है। पुलिस आयुक्त(CP) इन शहरों के पुलिस बल का प्रमुख होता है।
  • आईपीएस अधिकारी के रूप में इनकी सर्वश्रेष्ठ पदस्थापना सीबीआई, आईबी इत्यादि केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रमुख तथा विभिन्न राज्यों के पुलिस महानिरीक्षक के रूप में होती है|

सेवाकालीन प्रशिक्षण:

  • सेवा में रहते हुए उच्च पदों को धारण करने की क्षमता तथा परिवर्तित परिस्थितियों से सामंजस्य बैठाने के लिये भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारिओं को सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान तथा अन्य संस्थाओं द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। 
  • सेवाकालीन प्रशिक्षण में मुख्यतः प्रशासनिक प्रक्रिया, जन सम्पर्क, दंगा नियंत्रण, मानवाधिकार, उग्र आंदोलन, प्राकृतिक आपदाएँ, दुर्घटनाएँ तथा प्रेस से संबंध इत्यादि विषय सम्मिलित होते हैं।

कार्य:

  • सहायक पुलिस अधीक्षक(ASP) के रूप में कार्य करते हुए इनकी जवाबदेहिता अपने वरिष्ठ अधिकारी- पुलिस अधीक्षक(SP), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक(SSP), उप पुलिस महानिरीक्षक(DIG) के प्रति होती है।
  • आईपीएस की पदस्थापना पुलिस अधीक्षक (SP) के रूप में होती है जो सार्वजनिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण एवं निवारण, ट्रैफिक नियंत्रण इत्यादि के लिये ज़िम्मेदार होता है|
  • ये अन्य केंद्रीय पुलिस संगठनों जैसे- सीबीआई, बीएसएफ, सीआरपीएफ इत्यादि में भी अपनी सेवाएँ देते हैं|
  • दिन-प्रतिदिन के कार्यों में इन्हें सामान्यत: लोक शांति और व्यवस्था, अपराध की रोकथाम, जाँच और पहचान, वीआईपी सुरक्षा, तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी, आर्थिक अपराध, भ्रष्टाचार के मामले, सार्वजनिक जीवन, आपदा प्रबंधन, सामाजिक-आर्थिक कानून, जैव विविधता और पर्यावरण कानूनों आदि के संरक्षण आदि पर विशेष ध्यान देना होता है|
  • आईपीएस अधिकारी पुलिस बलों में मूल्यों और मानदंडों को विकसित करने का कार्य भी करता है |
  • तेज़ी से बदलते सामाजिक और आर्थिक परिवेश में लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप कानून और न्याय,  अखंडता, संवेदनशीलता, मानवाधिकार इत्यादि  की रक्षा करना और जनता में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ाने में आईपीएस अधिकारी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| 
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