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आत्महत्या: महामारी का रूप लेती एक समस्या

हमारे देश ही नहीं, पूरी दुनिया में अकेलेपन, अवसाद और आत्‍महत्‍या के मामले बढ़ रहे हैं। बल्कि यूं कहना ठीक होगा कि आत्‍महत्‍या एक महामारी का रूप धरती जा रही है। लोग कई वजहों से आत्‍महत्‍या करते हैं, ऐसे में अगर उन्‍हें समय रहते पेशेवर सहायता मिल जाए, दोस्‍त-परिवार वाले उनकी मदद करें तो हम आत्‍महत्‍या के मामलों को कम कर सकते हैं। पिछले साल दुनियाभर में आठ लाख लोगों ने आत्‍महत्‍या की और हमारे देश में 1,64,033 ने आत्‍महत्‍या करके अपनी जान गंवाई। अब भी दुनियाभर में हर साल आत्‍महत्‍या से लगभग 10 लाख लोग जान गंवाते हैं, जो युद्ध या अन्‍य हिंसक मौतों का लगभग 50 प्रतिशत है। शायद यही वजह है कि आत्‍महत्‍या के प्रति जागरूक करने के लिए दुनियाभर में हर साल 10 सितंबर को विश्‍व आत्‍महत्‍या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। हालांकि, हमारे देश में अब भी आत्‍महत्‍या से रोकथाम को लेकर जागरूकता की कमी है और केंद्रीय सरकार की तरफ़ से कोई हेल्‍पलाइन तक नहीं है।

विश्‍व आत्‍महत्‍या रोकथाम दिवस क्‍यों मनाया जाता है?

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार हर 100 में से 1 मौत आत्‍महत्‍या के कारण होती है। शायद यही वजह है कि दुनिया भर में आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या को रोकने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ष 2003 से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम संघ द्वारा 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। विश्‍व आत्‍महत्‍या रोकथाम दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य आत्महत्या के बारे में जागरूकता बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर आत्‍महत्‍या और इसके प्रयासों की संख्या को कम करना है। इसके साथ ही इसे रोकने के लिए निवारक उपायों को बढ़ावा देना भी इसका मकसद है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार हर सेकंड कोई ना कोई व्यक्ति ख़ुदकुशी करने की कोशिश करता है, और हर 40 सेकंड में कोई ना कोई व्यक्ति आत्‍महत्‍या करता है। इस तरह दुनियाभर में हर साल तकरीबन 10 लाख़ लोग आत्‍महत्‍या कर लेते हैं।

ऐसे में यह दिवस आत्मघाती विचारों से मुकाबला करने, अपनी और दूसरों की सहायता करने, उन्हें इससे बाहर निकालकर इन आंकड़ों को कम या खत्म करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

लोग आत्‍महत्‍या करते ही क्‍यों हैं?

यह कल्पना करना मुश्किल है कि किसी मित्र, परिवार के सदस्य या सेलिब्रिटी को किस चीज़ ने आत्महत्या करने के लिए प्रेरित किया। हो सकता है कि कोई स्पष्ट चेतावनी संकेत न हो, और आपको आश्चर्य हो सकता है कि आपने किन संकेतों को अनदेखा कर दिया हो। अक्सर, कई कारकों की वजह से कोई व्यक्ति अपना जीवन लेने का निर्णय करता है।

ज्‍यादातर लोग आत्‍महत्‍या करने की योजना बनाने के बजाय कुछ देर पहले ही ऐसा करने का फैसला करते हैं। कई कारक उनके निर्णय को प्रभावित करते हैं, लेकिन अवसाद इनमें से एक प्रमुख कारण है। अवसाद से लोग भावनात्‍मक कष्‍ट और नाउम्‍मीदी महसूस करते हैं और उन्‍हें लगता है कि अब उनके पास जीने की कोई वजह बाकी नहीं रही। ऐसे में ज़रूरी है कि समय रहते अवसाद का इलाज कराया जाए और पेशेवर चिकित्‍सक से सहायता ली जाए। इसके अलावा किसी प्रकार का सदमा लगने के कारण भी लोग मानसिक संतुलन गंवा देते हैं और आत्‍मघाती कदम उठाते हैं। साथ ही, नशा और भावावेग भी आत्‍महत्‍या का कारक बनते हैं। ड्रग और अल्‍कोहल पहले से आत्‍महत्‍या के विचारों का सामना कर रहे व्‍यक्ति को ऐसा करने के लिए भावावेग प्रदान करते हैं और उनका डर खत्‍म कर देते हैं। अवसाद और अन्‍य मनोविकारों से ग्रस्‍त लोग अक्‍सर शराब और ड्रग्‍स का सहारा लेते हैं जो उनकी स्थिति को और बिगाड़ देता है। पारिवारिक कलह, बेरोज़गारी, तलाक, प्रेम में विफलता, गरीबी, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य आदि के कारण भी लोगों को लगता है कि आत्‍महत्‍या के अलावा कोई विकल्‍प ही नहीं है। हालॉंकि यह तात्‍कालिक होता है। आत्‍महत्‍या की भावना कोई स्‍थायी भावना नहीं होती और हर भावना की तरह समय के साथ खत्‍म हो जाती है। लेकिन ऐसे विचार आ रहे हों, तो वे क्षण नाजुक होते हैं। उन पलों में पेशेवर सहायता मिल जाए तो व्‍यक्ति उस स्थिति‍ से निकल कर उस कठिन दौर का सामना करने के काबिल बन सकता है।

आत्‍महत्‍या के जोखिम के कारक:

  • कुछ घटनाओं और परिस्थितियों में जोखिम बढ़ सकता है
  • पिछले आत्महत्या के प्रयास
  • परिवार में आत्महत्या का इतिहास
  • नशीले पदार्थों का सेवन
  • मनोविकार (अवसाद, बाइपोलर डिस्‍ऑर्डर)
  • घातक साधनों तक पहुंच (जैसे, घर में हथियार या धारधार वस्‍तु रखना)
  • नुकसान और अन्य घटनाएँ (उदाहरण के लिए, किसी रिश्ते का टूटना या मृत्यु, शैक्षणिक विफलताएँ, कानूनी मसले, वित्तीय कठिनाइयाँ, किसी के द्वारा तंग किया जाना)
  • आघात या दुर्व्यवहार का इतिहास
  • पुराने दर्द सहित पुरानी शारीरिक बीमारी
  • दूसरों के आत्मघाती व्यवहार से संपर्क

आत्महत्या की चेतावनी देने वाले संकेत:

  • अक्सर मौत, मरने या आत्महत्या के बारे में बात करना या लिखना
  • निराशाजनक, असहाय या बेकार होने के बारे में टिप्पणी करना
  • जीने का कोई कारण न होने की अभिव्यक्तियाँ, जैसे; जीवन में उद्देश्य ना होने की भावना; "मैं यहाँ नहीं होता तो बेहतर होता" या "मैं इस सब से दूर जाना चाहता हूँ" जैसी बातें कहना।
  • शराब और/या नशीली दवाओं के सेवन में वृद्धि
  • मित्रों, परिवार और समुदाय से अलगाव
  • लापरवाह व्यवहार या अधिक जोखिम भरी गतिविधियाँ, जो ऐसा लगता है कि बिना सोचे समझे की गई हैं
  • मनोदशा में नाटकीय परिवर्तन
  • फंसे हुए महसूस करने या दूसरों पर बोझ बनने की बात करना

आत्‍महत्‍या से रोकथाम कैसे की जा सकती है और परिवार-दोस्‍त क्‍या भूमिका निभा सकते हैं?

यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति में आत्महत्या के संकेत देखते हैं, जिसकी आप परवाह करते हैं, तो आपको लग सकता है कि क्या कुछ भी कहना अच्छा होगा। क्या होगा अगर आप गलत हों? क्या होगा अगर व्यक्ति गुस्‍सा हो जाए? ऐसी स्थितियों में असहज या डर लगना स्वाभाविक है। लेकिन जो कोई आत्महत्या के बारे में बात करता है या अन्य चेतावनी संकेत दिखाता है, उसे जितना जल्‍दी हो सके, उतनी जल्‍दी मदद की ज़रूरत है।

किसी मित्र या परिवार के सदस्य से उनके आत्मघाती विचारों और भावनाओं के बारे में बात करना किसी के लिए भी बेहद मुश्किल हो सकता है। लेकिन अगर आप सुनिश्चित नहीं हैं कि कोई आत्महत्या करने की योजना बना रहा है, तो यह पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप पूछें। आपके यह जाहिर करने से कि आप उसकी परवाह करते हैं, किसी को आत्‍महत्‍या के लिए उकसावा नहीं मिलता। वास्तव में, आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर देने से अकेलेपन और दबी हुई नकारात्मक भावनाओं से राहत मिल सकती है, और आत्महत्या के प्रयास को रोका जा सकता है।

संकट में शीघ्र प्रतिक्रिया करें:

यदि कोई मित्र या परिवार का सदस्य आपको बताता है कि वे मृत्यु या आत्महत्या के बारे में सोच रहा है, तो उस व्यक्ति को तत्काल खतरा होने का मूल्यांकन करना ज़रूरी है। निकट भविष्य में आत्महत्या करने के उच्चतम जोखिम वाले लोगों के पास आत्महत्या की खास योजना होती है, योजना को पूरा करने के साधन होते हैं, इसके लिए समय निर्धारित करते हैं और आत्‍महत्‍या करने का इरादा रखते हैं।

निम्नलिखित सवालों से आप आत्महत्या के तत्काल जोखिम का मूल्‍यांकन कर सकते हैं:

  • क्या आपने आत्महत्या की योजना बनाई है? (योजना)
  • क्या आपके पास योजना को पूरा करने के लिए आवश्यक चीजें (दवाएं, बंदूक, धारधार चीज़ जैसे ब्‍लेड, चाकू आदि) हैं? (साधन)
  • क्या आप जानते हैं कि आप आत्‍महत्‍या कब करेंगे? (निर्धारित समय सीमा)
  • क्या आप अपनी जान लेने का इरादा रखते हैं? (इरादा)

क्‍या करें: यदि आत्महत्या का प्रयास आसन्न लगता है, तो आपातकालीन नंबर पर फोन करें, या व्यक्ति को अस्‍पताल के आपातकालीन कक्ष में ले जाएं। आसपास से हथियार, ड्रग्स, चाकू और अन्य संभावित घातक वस्तुओं को हटा दें, लेकिन किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या का इरादा रखने वाले व्यक्ति को अकेला न छोड़ें।

सहायता और समर्थन प्रदान करें: अगर कोई दोस्त या परिवार का सदस्य आत्महत्या के बारे में सोच रहा है, तो मदद करने का सबसे अच्छा तरीका सहानुभूतिपूर्ण तरीके से सुनना है। अपने प्रियजन को बताएं कि वे अकेले नहीं हैं और आप परवाह करते हैं। हालांकि, अपने प्रियजन को ठीक करने की जिम्मेदारी न लें। आप सहायता कर सकते हैं, लेकिन आप आत्महत्या की आशंका वाले व्यक्ति को बेहतर नहीं बना सकते। उन्हें सामान्‍य होने के लिए खुद ही प्रतिबद्ध होना होगा।

क्‍या चिकित्‍सा सहायता से फ़ायदा होता है?

हां, आत्‍महत्‍या के हल्‍के-फुल्‍के विचार आने पर परिवार और मित्रों की सहायता से व्‍यक्ति ठीक हो सकता है लेकिन गंभीर स्थिति में पेशेवर मनोचिकित्‍सक की सहायता लेना अनिवार्य हो जाता है। आप जितना जल्‍दी हो सकें, उस व्‍यक्ति को डॉक्‍टर के पास ले जाएं। अगर वह डॉक्‍टर के पास ना जाए, तो डॉक्‍टर से सलाह लेकर उसके अनुसार व्‍यवहार करें। फिर डॉक्‍टर के पास जाने की स्थित‍ि हो जाने पर डॉक्‍टर से मिलें। मनोरोग विशेषज्ञ दो प्रकार के होते हैं, एक वो जो दवाएं देकर ऐसे विचारों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं, और दूसरे परामर्श के जरिए जीवन शैली और विचारों में बदलाव करने में मदद करते हैं। आत्‍महत्‍या का विचार कर रहे व्‍यक्ति को दोनों की ज़रूरत हो सकती है। इससे उन्‍हें उन विचारों से लड़ने और खुद को बदलने में मदद मिलती है।

हमारे देश में आत्‍महत्‍या रोकथाम हेल्‍पलाइन

आत्‍महत्‍या के बारे में सोच रहे या उसकी योजना बना रहे लोगों की मदद के लिए दुनिया के कई देशों में केंद्रीय स्‍तर से लेकर राज्‍य स्‍तर और एनजीओ की हेल्‍पलाइन हैं। हालांकि, भारत में सरकार द्वारा केंद्रीय स्‍तर पर ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया है। यहां जो भी हेल्‍पलाइन हैं, उनमें से अधिकांश एनजीओ द्वारा चलाई जा रही हैं, और वे संसाधनों की कमी की वजह से ठीक से काम नहीं करतीं। कई बार इन हेल्‍पलाइन पर कॉल करो तो या तो ये फ़ोन नहीं उठाते या उठाते हैं तो गैर-प्रशिक्षित व्‍यक्ति द्वारा परामर्श के कारण बहुत मददगार साबित नहीं होते।

कहने को कई हेल्‍पलाइन हैं, लेकिन उनमें से ज्‍़यादातर काम नहीं करती। ऐसे में अगर किसी को मदद की जरूरत हो, वे चाहते हैं कि कोई उनकी बात सुने और उन्‍हें मार्गदर्शन दे तो वे नीचे दी गई हेल्‍पलाइन में से किसी एक पर कॉल कर सकते हैं। ध्‍यान रखें कि आप ऐसे विचार आते ही सहायता लें, और अगर हेल्‍पलाइन उपलब्‍ध ना हो तो अपने किसी मित्र या परिजन से बात करें, लेकिन खुद में घुटते ना रहें।

आत्‍महत्‍या से रोकथाम में मदद के लिए कुछ हेल्‍पलाइन:

संजीवनी:
011 24311918, 011 24318883 (सोमवार से शुक्रवारi)
26862222, 26864488, 40769002 (सोमवार से शनिवार)
समय: सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5.30 बजे तक
स्‍थान: नई दिल्‍ली

आई-कॉल
9152987821
समय: सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक (सोमवार से शनिवार)
स्‍थान: मुंबई

वांद्रवेला फ़ाण्‍डेशन
1860 266 2345, 1800 233 3330
24x7

रोशनी ट्रस्‍ट:
+91 40 6620 2000, +91 40 6620 2001
समय: सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक (सोमवार से शनिवार्)
स्‍थान: सिकंदराबाद, तेलंगाना

संदीप शर्मा

(संदीप शर्मा दस साल तक हिंदी पत्रकारिता से जुड़े रहने और फिर सामाजिक कार्यों में सलग्न रहने के बाद एक लोकलाइजेशन कम्पनी में टीम लीड के तौर पर काम कर रहे हैं।)

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