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दृष्टि आईएएस ब्लॉग

स्मार्टफोन और किशोर मानसिक स्वास्थ्य

  • 13 Feb, 2025

आज के डिजिटल युग में स्मार्टफोन किशोरों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। शिक्षा, मनोरंजन और सामाजिक संपर्क के साधन के रूप में इसकी भूमिका निर्विवाद है। लेकिन जैसे-जैसे स्मार्टफोन का उपयोग बढ़ा है, वैसे-वैसे किशोर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके प्रभावों को लेकर गहरी चिंता भी उभर रही है। लगातार स्क्रीन पर बने रहना, सोशल मीडिया पर मिलने वाली स्वीकार्यता की लालसा और आभासी दुनिया की चकाचौंध किशोरों के मनोविज्ञान को गहराई से प्रभावित कर रही है। अध्ययन बताते हैं कि स्मार्टफोन की लत चिंता, अवसाद और आत्म-सम्मान की समस्याओं को जन्म दे सकती है। इनके अनियंत्रित उपयोग से नींद की कमी, ध्यान के भटकाव और भावनात्मक अस्थिरता जैसी समस्याएँ भी उभरती हैं। हालाँकि स्मार्टफोन के सकारात्मक लाभ भी हैं, लेकिन इसके लिये किशोरों को उनके विवेकपूर्ण उपयोग की दिशा में प्रेरित किया जाना आवश्यक है, ताकि वे डिजिटल संतुलन बनाए रखते हुए मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें।

स्मार्टफोन और किशोरों के बीच उनका बढ़ता उपयोग

स्मार्टफोन ने पिछले कुछ वर्षों में जीवन के लगभग सभी पहलुओं में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और किशोरों के जीवन पर इसका प्रभाव विशेष रूप से गहरा हुआ है। शिक्षा, मनोरंजन और सामाजिक संबंधों के मामलों में स्मार्टफोन ने किशोरों के लिये एक क्रांतिकारी परिवर्तन को जन्म दिया है। यह अब न केवल संवाद का माध्यम है, बल्कि डिजिटल शिक्षा, अध्ययन सामग्री और क्रिएटिव प्लेटफॉर्म के रूप में भी कार्यशील है।

  • शिक्षा और सूचना तक पहुँच: स्मार्टफोन ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऑनलाइन कक्षाओं, शैक्षिक ऐप्स और डिजिटल सामग्री ने किशोरों को न केवल स्कूल के पाठ्यक्रम में मदद की है, बल्कि उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में नई सूचना प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया है। इसके माध्यम से किशोर अपने शैक्षिक उद्देश्यों—जैसे शैक्षिक वीडियो, इंटरैक्टिव ट्यूटोरियल या सर्च कंटेंट—की पूर्ति के लिये विभिन्न संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, स्मार्टफोन के माध्यम से इंटरनेट का उपयोग किशोरों को वैश्विक ‘एक्सपोज़र’ का अवसर प्रदान करता है, जिससे वे दुनिया भर की जानकारी और घटनाओं से जुड़ सकते हैं।
  • सामाजिक संपर्क और समुदाय निर्माण: स्मार्टफोन ने किशोरों को दुनिया के किसी भी हिस्से से जुड़ने की सुविधा प्रदान की है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने किशोरों को अपने मित्रों और परिवार से जुड़े रहने का अवसर दिया है। यह एक सबल माध्यम है, जिसकी सहायता से किशोर अपनी सामाजिक पहचान और भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं। स्मार्टफोन ने एक प्रकार के वर्चुअल समुदाय के निर्माण का भी अवसर दिया है, जहाँ किशोर एक दूसरे से प्रेरित हो सकते हैं और अपनी रुचियों को साझा कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर मौजूद विविध समूहों और नेटवर्क्स से किशोरों को विभिन्न विचारों तथा संस्कृतियों के बारे में जानने का भी अवसर मिलता है, जो उनके मानसिक विकास में सहायक हो सकता है।
  • मनोरंजन और खेल: स्मार्टफोन के माध्यम से किशोरों के पास गेम्स, वीडियो स्ट्रीमिंग, म्यूज़िक और अन्य मनोरंजन संबंधी गतिविधियों का भरपूर अवसर उपलब्ध हुआ है। यह मानसिक तनाव और थकावट से राहत पाने का एक साधन बन गया है। स्मार्टफोन पर उपलब्ध शैक्षिक और मनोरंजन संबंधी ऐप्स किशोरों को रचनात्मक गतिविधियों में भी संलग्न कर सकते हैं, जैसे कि डिजिटल आर्ट, म्यूज़िक कम्पोज़ीशन और शॉर्ट वीडियो निर्माण। इन गतिविधियों से उनकी क्रिएटिविटी और आत्म अभिव्यक्ति को बढ़ावा मिलता है।
  • उपयोगी ऐप्स तक पहुँच: स्मार्टफोन केवल एक मनोरंजन उपकरण नहीं है, बल्कि यह शारीरिक-मानसिक विकास, सामाजिक समर्थन और भावनात्मक सुरक्षा का भी एक स्रोत हो सकता है। स्मार्टफोन पर उपलब्ध हेल्थ एप्स और ऑनलाइन थेरेपी कार्यक्रम किशोरों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में मदद कर सकते हैं। व्यायाम, योग और ध्यान के ऐप्स उन्हें शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक शांति पाने में मदद कर सकते हैं। स्मार्टफोन पर मौजूद विभिन्न ऐप्स किशोरों को स्वतंत्रता और स्व-व्यवस्थापन की भावना विकसित करने का भी अवसर देते हैं, जहाँ वे अपने समय का प्रबंधन कर सकते हैं और अपने शैक्षिक या व्यक्तिगत लक्ष्यों को तय कर सकते हैं।
  • नौकरी और कॅरियर के अवसर: स्मार्टफोन ने किशोरों के लिये नौकरी और कॅरियर से संबंधित नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। विभिन्न कॅरियर-निर्देशित ऐप्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने किशोरों को फ्रीलांसिंग, इंटर्नशिप तथा ऑनलाइन ट्रेनिंग जैसी नई भूमिकाओं में शामिल होने का अवसर प्रदान किया है। इसके माध्यम से किशोर अपने कौशल को बढ़ा सकते हैं और अपने भविष्य के लिये नए मार्ग खोल सकते हैं।
  • शिक्षा का विस्तार: स्मार्टफोन की सहायता से किशोरों को शिक्षा तक पहुँचने में बाधा नहीं होती। चाहे वे किसी दूर-दराज़ के क्षेत्र में रहते हों या किसी आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि से आते हों, स्मार्टफोन के माध्यम से वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। यह न केवल एक समतपूर्ण अवसर प्रदान करता है, बल्कि आर्थिक स्थिति और भौगोलिक अवस्थिति के कारण शिक्षा से वंचना की स्थिति से बचाता है।
  • स्मार्टफोन उपयोग के नकारात्मक पहलू: हालाँकि स्मार्टफोन के कई लाभ हैं, इसके अत्यधिक उपयोग के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है। इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग, सोशल मीडिया का  नकारात्मक प्रभाव और डिजिटल दुनिया में अधिक संलग्नता किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। 

स्मार्टफोन और किशोर मानसिक स्वास्थ्य 

स्मार्टफोन का अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर विभिन्न नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अत्यधिक स्क्रीन टाइम और सूचना की अधिकता किशोरों की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकती है।

  • आत्महत्या और आत्म-हानि के विचार: सोशल मीडिया पर नकारात्मक टिप्पणियाँ, तुलना या अवसादजनक सामग्री किशोरों में आत्महत्या या आत्म-हानि के विचारों को जन्म दे सकती है। यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब किशोरों को वास्तविक जीवन में मानसिक आश्रय नहीं मिल पाता।
  • सामाजिक अलगाव और अकेलापन: स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग वास्तविक सामाजिक संपर्कों को कम कर सकता है, जिससे किशोरों में अकेलापन और सामाजिक अलगाव की भावना उत्पन्न हो सकती है। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिये गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकती है।
  • व्यक्तित्व विकार: स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के निरंतर उपयोग से किशोरों के लिये वास्तविक और आभासी दुनिया में अंतर नहीं रह पाता। इससे उनके व्यक्तित्व में भ्रम और विकार उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे वे असुरक्षा एवं पहचान संकट का सामना कर सकते हैं।
  • डिप्रेशन और एंग्जायटी: लगातार नकारात्मक समाचार, आपत्तिजनक टिप्पणियाँ या हिंसक घटनाओं की सूचना किशोरों में मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) और चिंता (एंग्जायटी) की समस्या उत्पन्न कर सकती है। वे छोटी-छोटी बातों पर तनाव महसूस कर सकते हैं और उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ सकती है।
  • आत्मसम्मान में गिरावट: सोशल मीडिया पर विभिन्न तस्वीरों और पोस्ट्स से तुलनात्मकता किशोरों के आत्मसम्मान को प्रभावित कर सकती है। आदर्श जीवनशैली और सौंदर्य के मानकों का पालन करने का दबाव मानसिक अवसाद तथा आत्मविश्वास की कमी का कारण बन सकता है।
  • नींद की गंभीर समस्या: स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से नींद की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है, विशेष रूप से जब किशोर रात भर स्क्रीन पर व्यस्त रहते हैं। नींद की कमी से मानसिक थकावट, ध्यान में कमी और अवसाद जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: स्मार्टफोन पर ध्यान होना अन्य गंभीर कार्यों के प्रति ध्यान की एकाग्रता में कमी का कारण बन सकता है, जिससे पढ़ाई या अन्य कार्यों में उनका प्रदर्शन प्रभावित होता है। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर समस्या बन सकती है।
  • निर्णय लेने में समस्याएँ: किशोरों के मस्तिष्क में सूचना का अत्यधिक प्रवाह निर्णय लेने की उनकी क्षमता को कमज़ोर कर सकता है। यह उन्हें मानसिक भ्रम का शिकार बना सकता है।
  • मनोविकारों का बढ़ना: अगर किशोरों को स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग के दौरान मानसिक स्वास्थ्य के लिये आवश्यक मदद नहीं मिलती है तो वे OCD (Obsessive Compulsive Disorder), PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder) या अन्य गंभीर मनोवैज्ञानिक स्थितियों का शिकार हो सकते हैं।

स्मार्टफोन उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन का निर्माण 

स्मार्टफोन उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने के लिये कि किशोर स्मार्टफोन के लाभों का सही तरीके से उपयोग करें और इसके नकारात्मक प्रभावों से बचें, कुछ रणनीतियाँ तथा उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  • स्क्रीन टाइम को सीमित करना: स्मार्टफोन के उपयोग में संतुलन बनाए रखने के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण कदम यह है कि स्क्रीन टाइम को नियंत्रित किया जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य विशेषज्ञों के अनुसार, किशोरों को प्रतिदिन दो घंटे से अधिक स्क्रीन पर नहीं बिताना चाहिये। अत्यधिक स्क्रीन टाइम मानसिक तनाव, चिंता, अवसाद और नींद संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है। इसके लिये माता-पिता, शिक्षक और समुदाय द्वारा यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि किशोर स्मार्टफोन का उपयोग एक नियंत्रित एवं समयबद्ध तरीके से करें।
  • ‘डिजिटल डिटॉक्स’ का महत्त्व: किशोरों के लिये नियमित अंतराल पर ‘डिजिटल डिटॉक्स’ (यानी स्मार्टफोन और अन्य डिजिटल उपकरणों से दूर रहना) उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिये लाभकारी सिद्ध हो सकता है। यह उन्हें अपनी मानसिक स्थिति को पुनः संतुलित करने और सामाजिक जीवन में वापस लौटने का अवसर प्रदान करता है। सप्ताह में एक दिन या कुछ घंटों के लिये स्मार्टफोन से पूरी तरह से दूरी बनाए रखना मानसिक शांति एवं तनाव कम करने में सहायक हो सकता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य ऐप्स और ऑनलाइन थेरेपी: स्मार्टफोन के उपयोग का सकारात्मक पहलू यह है कि विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य ऐप्स और ऑनलाइन थेरेपी सेवाएँ किशोरों को मानसिक समस्याओं से निपटने में सहायता प्रदान कर सकती हैं। मेडिटेशन ऐप्स, योजना एवं समय प्रबंधन ऐप्स और सामाजिक समर्थन मंच किशोरों को मानसिक स्थिति में सुधार लाने के लिये मदद दे सकते हैं। इन ऐप्स के माध्यम से किशोर अपने विचारों और भावनाओं को सुरक्षित एवं संरक्षित तरीके से साझा कर सकते हैं।
  • स्वस्थ सोशल मीडिया उपयोग: सोशल मीडिया का अधिक उपयोग किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, लेकिन यदि इसका उपयोग सही तरीके से किया जाए तो यह सकारात्मक लाभ भी प्रदान कर सकता है। उन्हें आत्म-सम्मान और आत्म-स्वीकृति के बारे में जागरूक किया जाना चाहिये ताकि वे अपने आप को सोशल मीडिया पर दूसरों से कम न महसूस करें। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर रचनात्मक और सकारात्मक कंटेंट को फॉलो करना मानसिक स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद सिद्ध हो सकता है।
  • शारीरिक और मानसिक गतिविधियाँ: किशोरों को वर्चुअल दुनिया से बाहर निकलकर वास्तविक जीवन की गतिविधियों में संलग्न होने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • सामाजिक संवाद और समर्थन: स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग सामाजिक संपर्क की कमी का कारण बन सकता है, लेकिन जब इसका इस्तेमाल वास्तविक दुनिया में सामाजिक संवाद को बढ़ाने के लिये किया जाता है तो यह सकारात्मक सिद्ध होता है। किशोरों को अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिये ताकि वे मानसिक रूप से स्वस्थ और संतुलित रह सकें। 
  • मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े संसाधनों का सुलभता: किशोरों के लिये मानसिक स्वास्थ्य संसाधन और सहायता उपलब्ध कराना आवश्यक है। मानसिक स्वास्थ्य ऐप्स, काउंसलिंग और ऑनलाइन हेल्पलाइन सेवाएँ किशोरों को आवश्यक सहायता प्रदान कर सकती हैं। जब किशोर मानसिक समस्याओं का सामना करते हैं तो उन्हें बिना किसी संकोच के इन सेवाओं का उपयोग करना चाहिये। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के प्रसार और किशोरों को इन संसाधनों के बारे में सूचित करने से उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
  • स्व-नियमन और आत्म-संवेदनशीलता: स्मार्टफोन के उपयोग में सुधार के लिये किशोरों में स्व-नियमन और आत्म-संवेदनशीलता की भावना विकसित करने की आवश्यकता है। यह महत्त्वपूर्ण है कि किशोर स्मार्टफोन के उपयोग के साथ-साथ वास्तविक जीवन में संतुलन बनाए रखें, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और सामाजिक संबंध सुदृढ़ हो सकें।

अंत में, स्मार्टफोन के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभावों को समझना और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को नियंत्रित करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस डिजिटल युग में स्मार्टफोन किशोरों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है, जो शिक्षा, मनोरंजन, सामाजिक संपर्क और व्यक्तिगत विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि इसका उपयोग संयमित और उद्देश्यपूर्ण तरीके से किया जाए तो यह किशोरों के मानसिक, शारीरिक एवं सामाजिक विकास को सशक्त बना सकता है। इस विषय में माता-पिता, शिक्षक और समाज की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। वे किशोरों को स्मार्टफोन के सकारात्मक उपयोग, मानसिक स्वास्थ्य के महत्त्व और समय प्रबंधन के बारे में जागरूक कर सकते हैं। डिजिटल डिटॉक्स, मानसिक स्वास्थ्य ऐप्स के उपयोग और शारीरिक गतिविधियाँ किशोरों को मानसिक रूप से स्थिर एवं संतुलित रखने में मदद कर सकती हैं। इस प्रकार, स्मार्टफोन का सुचिंतित उपयोग किशोरों के जीवन को सुरक्षित एवं सकारात्मक दिशा में प्रभावित कर सकता है।


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