AI में आत्मनिर्भर भारत
- 10 Mar, 2025

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधुनिक युग की सबसे प्रभावशाली और परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी में से एक बन चुकी है। स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापार, सुरक्षा और शासन जैसे क्षेत्रों में AI ने क्रांतिकारी बदलाव किये हैं। आज AI क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा मुख्य रूप से दो देशों संयुक्त राज्य अमेरिका एवं चीन के बीच केंद्रित है, जो अत्याधुनिक अनुसंधान, विशाल डाटा संसाधनों और उच्च-स्तरीय निवेश के कारण इस क्षेत्र में अग्रणी बने हुए हैं।
विश्व के प्रौद्योगिकीय रूप से उन्नत देशों की तुलना में भारत अभी भी AI के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। इस दृष्टिकोण से, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत AI में स्वदेशी विकास एवं नवाचार को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है ताकि भारत चीन और अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती दे सके। यदि भारत AI में आत्मनिर्भर बनता है तो वह न केवल आर्थिक एवं रणनीतिक रूप से सशक्त होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकीय प्रतिस्पर्द्धा में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।
वैश्विक AI परिदृश्य: चीन और अमेरिका का वर्चस्व
- अमेरिका की अग्रणी स्थिति: संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से AI क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास (R&D) का केंद्र रहा है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, ओपन-एआई, अमेज़न और मेटा जैसी कंपनियाँ AI के क्षेत्र में अग्रणी रही हैं। इन कंपनियों ने प्राकृतिक भाषा संसाधन (NLP), मशीन लर्निंग (ML) और डीप लर्निंग (DL) जैसे तकनीकी क्षेत्र में अनसंधान के लिये बड़े पैमाने पर निवेश किया है।
प्रमुख पहल :- शीर्ष विश्वविद्यालय और शोध स्थान: MIT, स्टैनफोर्ड, हार्वर्ड और UC बर्कले जैसे विश्वविद्यालयों में अत्याधुनिक AI अनुसंधान हो रहा है।
- प्रौद्योगिकी क्षेत्र के स्टार्टअप्स और वृहत् निवेश: सिलिकॉन वैली में AI आधारित स्टार्टअप्स को बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।
- डाटा और क्लाउड कंप्यूटिंग अवसंरचना: AWS, Google Cloud और Microsoft Azure जैसी सेवाएँ AI के विकास में सहायक सिद्ध हुई हैं।
- AI टैलेंट का वैश्विक केंद्र: अमेरिका में विश्व के सबसे बेहतरीन AI इंजीनियर और डाटा वैज्ञानिक कार्यरत हैं।
- चीन का बढ़ता प्रभुत्व: चीन ने वर्ष 2017 में ‘AI सुपरपावर’ बनने के लिये एक राष्ट्रीय योजना की घोषणा की थी। चीन की सरकार और निजी कंपनियाँ संयुक्त रूप से इस क्षेत्र में अग्रणी बनने का प्रयास कर रही हैं।
प्रमुख पहल :- सरकारी निवेश: चीन सरकार ने वर्ष 2030 तक दुनिया की अग्रणी AI शक्ति बनने के लिये अरबों डॉलर के निवेश की योजना बनाई है।
- वृहत् डाटा उपलब्धता: चीन के पास 1.4 अरब लोगों का डाटा है, जो AI मॉडल्स को प्रशिक्षित करने के लिये एक बड़ा संसाधन है।
- टेक कंपनियाँ: बैदू, अलीबाबा, टेंसेंट और हुआवे जैसी कंपनियाँ AI अनुसंधान में भारी निवेश कर रही हैं।
- 5G और सुपर कंप्यूटिंग: चीन का 5G नेटवर्क और शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर AI के विकास में सहायक सिद्ध हुए हैं।
- भारत की वर्तमान स्थिति: भारत AI की इस दौड़ में पीछे है, लेकिन इसमें अपार संभावनाएँ मौजूद हैं।
- तकनीकी टैलेंट: भारत में बड़ी संख्या में AI इंजीनियर और डाटा वैज्ञानिक मौजूद हैं।
- AI स्टार्टअप्स का उदय: बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में कई स्टार्टअप्स AI-आधारित समाधान विकसित कर रहे हैं।
- सरकारी पहलें: ‘राष्ट्रीय AI रणनीति’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहलें इस क्षेत्र में सुधार लाने का प्रयास कर रही हैं।
- हालाँकि, भारत के सामने अभी कई चुनौतियाँ मौजूद हैं:
- AI अनुसंधान में सीमित निवेश: भारत का AI अनुसंधान व्यय अमेरिका और चीन की तुलना में बहुत कम है।
- डाटा अवसंरचना की कमी: भारत में डाटा सुरक्षा और डाटा केंद्रों का विकास अपेक्षाकृत सुस्त रहा है।
- AI हार्डवेयर निर्माण में पिछड़ापन: भारत चिप निर्माण और सुपरकंप्यूटिंग में आत्मनिर्भर नहीं है।
भारत के लिये AI में आत्मनिर्भरता क्यों आवश्यक है?
- रणनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा कारण: AI केवल व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र तक सीमित विषय नहीं है; यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है। साइबर सुरक्षा, स्वायत्त हथियार प्रणाली, खुफिया विश्लेषण और निगरानी में AI की भूमिका तेज़ी से बढ़ती जा रही है। अमेरिका और चीन अपने रक्षा क्षेत्रों में AI को एकीकृत कर रहे हैं।
- साइबर सुरक्षा: भारत को साइबर हमलों और डाटा चोरी से बचने के लिये सुदृढ़ AI संचालित सुरक्षा प्रणाली की आवश्यकता है।
- सीमा निगरानी: AI आधारित ड्रोन और उपग्रह निगरानी सिस्टम का उपयोग कर चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर निगरानी बढ़ाई जा सकती है।
- आतंकवाद से निपटने में सहायक : AI आधारित चेहरा पहचान प्रणाली (Facial Recognition) और डाटा विश्लेषण से आतंकवाद एवं अपराध रोकने में मदद मिलेगी।
- स्वायत्त हथियार: अमेरिका और चीन AI sensi संचालित रोबोटिक हथियारों का विकास कर रहे हैं, जिससे सैन्य शक्ति में क्रांतिकारी परिवर्तन आ सकता है।
- यदि भारत AI प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सम्यक् प्रगति नहीं करता तो उसे विदेशी AI सिस्टम पर निर्भर रहना होगा, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा बन सकता है।
- आर्थिक और औद्योगिक लाभ: AI वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है। रिपोर्टों के अनुसार, AI अगले दो दशकों में वैश्विक जीडीपी (GDP) में $15 ट्रिलियन का योगदान देगा। भारत यदि इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनता है तो उसे बड़े आर्थिक लाभ मिल सकते हैं।
- नौकरी और उद्यमिता: AI-आधारित स्टार्टअप्स, डाटा साइंस, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में लाखों नई नौकरियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- उद्योगों में सुधार: AI का उपयोग कृषि, स्वास्थ्य, बैंकिंग, लॉजिस्टिक्स और उत्पादन क्षेत्रों में किया जा सकता है, जिससे कार्यकुशलता एवं लाभ की वृद्धि होगी।
- डिजिटल इंडिया को बढ़ावा: AI आत्मनिर्भरता से ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को गति मिलेगी।
- डाटा संप्रभुता और निजता: डाटा को ‘न्यू ऑइल’ कहा जा रहा है और AI का मुख्य घटक डाटा ही है। अमेरिका और चीन की AI कंपनियाँ भारतीय डाटा का उपयोग अपने AI सिस्टम को बेहतर बनाने के लिये कर रही हैं।
- यदि भारत AI में आत्मनिर्भर नहीं बना तो भारतीय नागरिकों और संगठनों का डाटा विदेशी कंपनियों के नियंत्रण में रहेगा।
- इससे न केवल डाटा सुरक्षा से जुड़े खतरे पैदा होंगे, बल्कि आर्थिक लाभ भी विदेशी कंपनियों के पास चला जाएगा।
- वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में भारत की भूमिका: यदि भारत AI में आत्मनिर्भर बनता है तो वह चीन और अमेरिका के बीच एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभर सकता है। भारत को केवल एक उपभोक्ता देश नहीं बने रहना चाहिये, बल्कि एक वैश्विक AI नवाचार केंद्र के रूप में उभरना चाहिये। इसके लिये अनुसंधान और विकास (R&D), शिक्षा, नीति-निर्माण और निवेश को प्राथमिकता देनी होगी।
भारत में AI नवाचार को बढ़ावा देने के लिये सरकारी प्रयास और नीतियाँ
भारत में AI नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हालाँकि, चीन और अमेरिका की तुलना में भारत को अभी वृहत् प्रयास करने की आवश्यकता है। AI क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिये सरकार को स्पष्ट नीतियों, वित्तीय सहायता और तकनीकी अवसंरचना का निर्माण करना होगा।
- राष्ट्रीय AI रणनीति और सरकारी पहल: वर्ष 2018 में नीति आयोग द्वारा ‘राष्ट्रीय AI रणनीति’ (National Strategy for Artificial Intelligence) प्रस्तुत की गई, जिसका उद्देश्य AI विकास को राष्ट्रीय प्राथमिकता में शामिल करना था। इसके अंतर्गत निम्नलिखित पहलें की गईं:
- AIRAWAT (AI Research, Analytics and Knowledge Assimilation Platform): यह एक क्लाउड-आधारित AI कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसे भारतीय स्टार्टअप्स और अनुसंधानकर्ताओं को उपलब्ध कराया जाएगा।
- राष्ट्रीय AI पोर्टल (India AI Portal): यह पोर्टल AI संबंधित रिसर्च, डाटा और सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन: AI में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिये केंद्र सरकार ने 7,000 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है।
- इसके अलावा, ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं के तहत AI के विकास को समर्थन दिया जा रहा है।
- डाटा सुरक्षा और AI नियमन: AI के प्रभावी विकास के लिये डाटा सुरक्षा और गोपनीयता से संबंधित स्पष्ट कानूनों की आवश्यकता है। भारत में ‘डिजिटल डाटा संरक्षण विधेयक, 2022’ लाया गया है, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- डाटा लोकलाइजेशन: सरकार चाहती है कि डाटा भारतीय सर्वरों पर ही संगृहीत किया जाए, जिससे विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम हो।
- नैतिक AI (Ethical AI): सरकार ऐसे कानून बना रही है जो AI के अनुचित उपयोग (जैसे—भेदभाव, निगरानी और निजी डाटा दुरुपयोग) को रोकें।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP Model): सरकार और निजी कंपनियों को मिलकर AI अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देना होगा। उदाहरण के लिये:
- IITs और NITs के साथ तकनीकी कंपनियों (जैसे—TCS, Infosys और Wipro) की साझेदारी।
- भारत सरकार और निजी स्टार्टअप्स के बीच सहयोग, जिससे स्वदेशी AI समाधान विकसित हो सकें।
- विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना ताकि भारत में AI के लिये पूंजी प्रवाह बढ़े।
- सरकारी योजनाओं में AI का उपयोग
- स्वास्थ्य क्षेत्र में AI: आयुष्मान भारत योजना में AI आधारित रोग निदान प्रणाली विकसित की जा रही है।
- शिक्षा में AI: ‘नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर’ (NDEAR) के तहत AI का उपयोग छात्रों के लिये व्यक्तिगत शिक्षा प्रदान करने में किया जा रहा है।
- कृषि में AI: AI का उपयोग फसल के पूर्वानुमान, कीटनाशक नियंत्रण और स्मार्ट सिंचाई के लिये किया जा रहा है।
भारत AI क्षेत्र में चीन और अमेरिका के वर्चस्व को किस प्रकार चुनौती दे सकता है?
भारत को AI क्षेत्र में चीन और अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती देने के लिये एक दीर्घकालिक रणनीति अपनानी चाहिये। यह रणनीति निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर केंद्रित होनी चाहिये:
- स्वदेशी AI अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना: अमेरिका और चीन में AI का विकास मुख्य रूप से सरकारी वित्तपोषण एवं बड़े कॉर्पोरेट निवेशों के कारण हुआ है। भारत को भी अपने अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों में AI अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये:
- IITs, IISc, IIITs और अन्य तकनीकी संस्थानों में विशिष्ट AI अनुसंधान केंद्र स्थापित करने होंगे।
- स्वदेशी AI वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को विश्वस्तरीय सुविधाएँ प्रदान करनी होंगी।
- AI में नवाचार के लिये अधिक सरकारी वित्तपोषण और स्टार्टअप्स अनुदान प्रदान करने होंगे।
- स्वदेशी चिप निर्माण और हार्डवेयर उत्पादन: AI के लिये आवश्यक हार्डवेयर चिप्स और कंप्यूटिंग संसाधनों का निर्माण भारत में नहीं होता, जिससे भारत को NVIDIA, Intel और TSMC जैसी विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है।
- भारत को अपने सेमीकंडक्टर और चिप निर्माण उद्योग को विकसित करने की आवश्यकता है।
- ‘भारत सेमीकंडक्टर मिशन’ को प्रभावी तरीके से लागू करना होगा।
- AI के लिये सुपर कंप्यूटर और उच्च प्रदर्शन वाले डाटा सेंटर विकसित करने होंगे।
- वैश्विक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी: भारत को AI क्षेत्र में चीन और अमेरिका को चुनौती देने के लिये यूरोप, जापान, रूस एवं अन्य देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी स्थापित करनी होगी।
- AI अनुसंधान के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना होगा।
- बहुपक्षीय संगठनों (जैसे—G20, BRICS, QUAD) के माध्यम से AI नीति निर्माण में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
- भारतीय स्टार्टअप्स को वैश्विक मंचों पर प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये प्रोत्साहित करना होगा।
- AI में स्टार्टअप्स पारितंत्र को सुदृढ़ करना:
- AI आधारित स्टार्टअप्स को कर में छूट और आर्थिक सहायता दी जानी चाहिये।
- इनक्यूबेशन सेंटर और AI प्रयोगशालाएँ स्थापित करनी होंगी, ताकि युवा उद्यमी AI नवाचार में आगे बढ़ सकें।
- स्वदेशी क्लाउड और AI-as-a-Service (AIaaS) प्लेटफॉर्म विकसित करने होंगे, जिससे छोटे व्यवसाय में भी AI का प्रभावी उपयोग किया जा सके।
- शिक्षा और कौशल विकास में सुधार:
- स्कूली स्तर पर AI और कोडिंग को अनिवार्य विषय बनाना होगा।
- उच्च शिक्षा में AI और डाटा साइंस से संबंधित डिग्री एवं सर्टिफिकेट प्रोग्राम बढ़ाने होंगे।
- इंडस्ट्री-एकेडमिक सहयोग को सुदृढ़ करना होगा, जिससे छात्र व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकें।
- AI में भारतीय संस्कृति और मूल्यों को समाहित करना:
- चीन और अमेरिका की AI नीतियाँ उनके राष्ट्रीय हितों पर आधारित हैं। भारत को भी अपनी AI प्रणाली में भारतीय संस्कृति, भाषाओं और मूल्यों को समाहित करना चाहिये।
- हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में AI आधारित टूल विकसित करना।
- AI नीति में नैतिकता और समावेशिता को प्राथमिकता देना।
- भारतीय संदर्भ में AI आधारित समाधान विकसित करना, जैसे—स्मार्ट गाँव, कृषि सहायक AI और डिजिटल स्वास्थ्य सेवा।
AI में आत्मनिर्भरता केवल तकनीकी प्रगति का प्रश्न नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा की दृष्टि से भी अत्यंत आवश्यक है। संयुक्त राज्य अमेरिका एवं चीन, दोनों ही AI क्षेत्र में अग्रणी देश हैं और अपने नवाचारों के माध्यम से वैश्विक प्रभुत्व स्थापित कर रहे हैं। यदि भारत इस AI प्रतिस्पर्द्धा में पीछे रह जाता है तो वह मात्र एक उपभोक्ता राष्ट्र बनकर रह जाएगा, जिसका डाटा और संसाधन विदेशी कंपनियाँ नियंत्रित करेंगी। भारत के पास AI में आत्मनिर्भर बनने और चीन-अमेरिका को चुनौती देने की पूरी क्षमता मौजूद है। लेकिन इसके लिये सरकार, उद्योग, स्टार्टअप्स और शिक्षाविदों को मिलकर एक ठोस रणनीति अपनानी होगी। यदि भारत अनुसंधान, हार्डवेयर निर्माण, वैश्विक सहयोग और शिक्षा प्रणाली में सुधार करता है तो वह भी AI क्षेत्र में एक अग्रणी देश के रूप में उभर सकता है।