तस्वीरें: ज़िंदगी के साथ भी, ज़िंदगी के बाद भी
- 19 Aug, 2021 | नेहा चौधरी
तस्वीरें सुरक्षित रखने के लिए जाने हम कहाँ-कहाँ रखते हैं ताकि पानी उसे धुँधला ना कर सके; हवा उसे गंदा न कर सके; चोर वो तस्वीरें चुरा कर न ले जा सके, हमारी यादें हमारे साथ रहें, पास रहें।
तस्वीरों की बात चली तो ध्यान आया कि आज 19 अगस्त को हर वर्ष 'वर्ल्ड फोटोग्राफी डे' मनाया जाता है। इसके बारे में पढ़ने पर पता चला, 'Photography' एक ग्रीक शब्द है जो 'Phos' यानी Light और 'Graphy' यानी Drawing या Writing से बना है। अगर शब्दार्थ पर जाएँ तो इस शब्द का अर्थ आता है- 'Drawing with Light'।
फोटोग्राफी शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले ब्रिटेन के वैज्ञानिक, गणितज्ञ, एक्सपेरिमेंटल फोटोग्राफर जॉन हर्शेल (John Herschel) ने की थी।
लेकिन वह कौन खुशनसीब होगा जिसकी तस्वीर सबसे पहली ली गई होगी? क्या वो कोई इंसान रहा होगा या जानवर की कोई प्रजाति या कि फूल-पत्ते, नदी झरना? आखिर वो पहला इंसान या पहली चीज क्या थी जिसकी तस्वीर ली गई थी?
इसका जवाब है 'द कंकरर नेपोलियन बोनपार्ट!'
नेपोलियन बोनापार्ट को वाटर लू के युद्ध में हराने के बाद कैदी जीवन बिताने के लिए जब अटलांटिक महासागर के सेंट हेलेना द्वीप पर भेजा गया तब एक फ्रेंच नागरिक जोज़फ नाइसोफ़ॉर निएप्स ने किसी तरह सिल्वर क्लोराइड युक्त पेपर पर उसकी तस्वीर ली थी। लेकिन अफसोस कि उस तस्वीर को लंबे समय तक रखा नहीं जा सका और इस तरह पहली स्थायी तस्वीर बनते-बनते रह गई।
लेकिन नाइसोफ़ॉर निएप्स ने प्रयास नहीं छोड़ा और सन् 1826-27 में उन्होंने अपनी खिड़की से बाहर के दृश्य की तस्वीर ली। इस तरह विश्व की पहली स्थायी तस्वीर तस्वीर में कैद हो गई।
जोज़फ नाइसोफ़ॉर निएप्स द्वारा ली गई पहली स्थायी तस्वीर
यह तो हुई पहली तस्वीर की बात लेकिन इससे इसका क्या संबंध कि 'विश्व फोटोग्राफी दिवस' 19 अगस्त को ही क्यों मनाई जाती है? इसे जानने के लिये हमें वापस सन् 1839 में जाना होगा, जहाँ फ्रांस में फोटोग्राफी प्रक्रिया की घोषणा की जा रही थी, जिसका नाम था- डॉगोरोटाइप। इस प्रक्रिया को दुनिया की पहली फोटोग्राफी प्रक्रिया माना जाता है। जोज़फ नाइसोफ़ॉर निएप्स ने ही लुइस डॉगेर के साथ मिलकर इसका आविष्कार किया था। इसके बाद 19 अगस्त, 1839 को फ्रांस की सरकार ने इस आविष्कार की घोषणा की और इसका पेटेंट हासिल किया। इसीलिये 2010 में इस दिन को विश्व फोटोग्राफी दिवस के रूप में सुरक्षित कर लिया गया।
यह एक फन फैक्ट है कि उस वर्ष न केवल फोटोग्राफी की पहली प्रक्रिया घोषित हुई बल्कि उसी वर्ष दुनिया की पहली सेल्फी भी ली गई थी। अमेरिका के रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने दुनिया की पहली 'सेल्फी' ली थी। हालाँकि उस समय 'सेल्फी' शब्द के बारे में ही जानकारी नहीं थी लेकिन शब्द की उत्पत्ति बाद में होने से तथ्य तो नही बदल जाते हैं। तो आप रॉबर्ट कॉर्नेलियस की वह तस्वीर आज भी यूनाइटेड स्टेट लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस प्रिंट में देख सकते हैं।
जैसा कि हमलोग पिछले लगभग डेढ़ साल से कोविड महामारी से जूझ रहे हैं। दुनिया भर में लाखों लोगों की जान लेने वाले इस घातक वायरस के प्रकोप को कम करने के लिये लॉकडाउन लगाया गया। जिसमें सभी सड़कें सुनसान, कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान और बाज़ार बंद रहे। इस कठिन समय के दौरान इस विशिष्ट जीवन को कैद करने के लिये इस वर्ष की विश्व फोटोग्राफी दिवस की थीम है- "Pandemic lockdown through the lens".
कभी-कभी सोचते हैं कि कोई भी तस्वीर वक्त की मार कब तक सह सकती है! हार्डवेयर में उन्हें सुरक्षित रखने के तमाम तरीके हमें मुँह चिढ़ाकर भाग जाते हैं। पेनड्राईव, हिडन फोल्डर्स, कार्ड्स कुछ काम नहीं आता फिर काम आती है वही खराब आँखें जिनपर चश्में लगे हैं। वही मन की दीवार, जिसपर आँखों ने तस्वीर खींच कर लगा दी थी। हमारी स्मृतियों की रेखाएँ किसी भी अन्य डिवाईस से अधिक मजबूत निकलती है…
लेकिन कब तक? जब तक जीवित हैं। उसके बाद हमारी कहानी कहने के लिए हमारी तस्वीरें ही रह जाएँगी। तस्वीरें जो कभी झूठ नहीं बोल सकती जब तक कि इंसान ही उसे फिर से डिसटॉर्ट ना कर दे। वो एक तस्वीर जो किसी भी सेमिनार हॉल में दिए गए भाषणों से अधिक समझाने की क्षमता रखती है। तस्वीरों की बातों पर दुआ कि ख़ुदा इन तस्वीरों की उम्र दराज़ रखे।
[नेहा चौधरी] |