अगली गणना में आप भी हो सकते हैं - COVID 19
- 07 Apr, 2020 | अरविंद सिंह
20 मार्च को अंकुश, कॉलेज के मेरे सबसे अच्छे दोस्त अंकुश की चार मिस कॉल आ चुकी थी। पाँचवी रिंग पर फोन उठाते ही अंकुश ने पूछा-
- फोन क्यों नहीं उठा रहा था?"
- बता क्या हुआ? ‘इतनी सुबह कहाँ घूमने का प्लान बना लिया -इसने’ यही सोचते हुए मैंने अंकुश से पूछा।
- तबीयत कैसी है तेरी ठीक है?
- ठीक है भाई अपना बता?
- रमन की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है।
- कौन सी रिपोर्ट (रमन, हमारे कॉलेज का मित्र, जो पुणे में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत है)
- करोना की।
- करोना की?
- क्या! कहाँ है अभी?
- नरेला में उसे क्वारंटाइन करके रखा है। मुझे और अनुपम को सेल्फ आइसोलेशन के लिए बोला है, 14 दिनों में अगर हमारे अंदर कोई Symptoms आए तो हमारा भी टेस्ट करेंगे।
- रमन को कैसे हो गया?
- यार वह ऑनसाइट जर्मनी गया हुआ था 16 को, वहाँ पर शटडाउन होने के बाद दिल्ली आ गया था।
- उसे एयरपोर्ट पर चेक नहीं किया था क्या?
- किया था यार पर कोई सिम्टम्स नहीं थे। उन्होंने उसे 14 दिनों के लिये आइसोलेशन के लिए बोला था।
- 16 को ही उसके साथ बाहर का प्लान कर रहे थे, उसने मना कर दिया था पर फिर भी मैं और अनुपम बिना उसे बताये उसके फ्लैट पर चले गए थे।
- अभी क्या करना है?
- अनुपम अपने दीदी के फ्लैट पर चला गया है, खाली पड़ा था। पर मैं अपने घर पर ही हूँ। ऊपर वाले स्टोर रूम में। यार, मुझे बहुत डर लग रहा है। बेटा अभी 1 महीने का भी नहीं हुआ है, दादी हैं, मम्मी पापा भी sixty above हो रहे हैं। राहुल भैया (मेरे बड़े भाई) के नोएडा वाले फ्लैट का पोजेशन मिल गया क्या?
- हाँ भाई, मिल गया है।
- किसी को किराये पर तो नहीं दिया है?
- नहीं भाई अभी गृह-प्रवेश नहीं हुआ है। मैंने उसे जवाब दिया। -भाई एक बार भैया से बात कर ले मैं कुछ दिन वहीं रह लूँगा।
- अरे यार भैया से क्या बात करनी है? मेरे पास ही चाबी है दो- ढाई घंटे में मैं चाबी लेकर तुम्हारे घर आ रहा हूँ।
- यार सभी लोग वैशाली गए हुए हैं बाहर से लॉक लगाकर। आकर गेट के अंदर चाबी फेंक देना और मुझे कॉल कर देना मैं आकर ले लूँगा।
13 मार्च 2020,
10.30 pm
“भाई हम तेरे घर के नीचे खड़े हैं। आ जा" फोन रिसीव करते ही अनुपम बोला।
- मेरे घर के नीचे? कहां भाई?
- मुखर्जी नगर !
- अरे यार मैं संत नगर शिफ्ट हो गया हूं।
- ठीक है अपनी लोकेशन भेजो हम 10 मिनट में आ रहे हैं।
- हम? और कौन है तुम्हारे साथ?
- अंकुश, उसी की गाड़ी से हम आ रहे हैं।
"आपके फ्रेंड आएँगे तो बोल दीजिएगा हाथ-पैर धुल लेंगे और आप भी जाइएगा तो मास्क लगा लीजिएगा और हैंड सैनिटाइजर जेब में रख लीजिएगा।" मेरी मालकिन ने निर्देश दिया और मैंने आज्ञाकारी गर्दन हिलाकर हामी भरते बाहर निकल गया। किसी से हाथ मत मिलाएगा। घर से बाहर निकलते हुए बालकनी से आदेश आया और एक बार फिर मुंडी हिलाते हुए मैंने हामी भर दी।
अंकुश गाड़ी यहीं लगा दो घर चलते हैं।
यार, घर कहाँ जाएँगे! चल मुखर्जीनगर चलते हैं, वहीं कुछ खाएँगे-पिएँगे और अंकुश ने गाड़ी स्टार्ट कर दी।
यार अंकुश, मुझे 12:00 बजे से पहले ड्रॉप कर देना।
ठीक है यार 12:00 बजे से पहले तुम्हें ड्राॅप कर दूंगा। अंकुश मुझे आश्वस्त करते हुए कहा।
लेकिन यार इस टाइम क्या मिलेगा वहाँ अभी वहाँ सब बंद हो गया होगा रात के 11:00 बज रहे हैं।
ठीक कह रहा है अनुपम, मुर्थल चलते हैं। करनाल वाला हाईवे यहीं से राइट है ना! यह कहते हुए अंकुश ने बिना किसी की प्रतिक्रिया का इंतज़ार किए गाड़ी मुर्थल की ओर मोड़ दी।
पार्वती के चंडी रूप की कल्पना करते ही मेरी रूह कांप गई। "यार, तुम्हें बोला था ना मेरा गेट 12:00 बजे बंद हो जाता है।" मैंने लगभग चिल्लाते हुए विक्षिप्त प्रतिक्रिया दी।
- क्या हो गया भाई गेट बंद हो जाएगा तो खुलेगा नहीं क्या? कोई इमरजेंसी आती है तो खुलता नहीं है क्या? यार 2 साल बाद मिल रहे हैं, अनुपम का WFH हो गया है (अनुपम बंगलौर में एक आईटी कंपनी में कार्यरत है) 20 तक यह भी दिल्ली में ही है तब तक घूमते हैं।
- Work From Home क्या है यार? Work From Home अनुपम ने जवाब दिया।
- बढ़िया है, वर्क फ्रॉम होम को तुम लोगों ने गर्मी की छुट्टियाँ बना रखी है। रात के 1:00 बजे के आसपास हम मुर्थल पहुंचे और टेबल के लिए लगभग 10 मिनट इंतज़ार करना पड़ा।
- इतनी भीड़? रात को भी इतनी ही भीड़ रहती है क्या? मैंने वेटर से पूछा?
- नहीं सर, सभी कंपनियों में छुट्टी चल रही है ना इसीलिये।
अगले दिन रात को 10:00 बजे अंकुश का फोन आया भाई खाना मत खाना गुड़गाँव चलते हैं रमन भी दिल्ली आया है। भाई कल आधे घंटे गेट पर खड़ा रहने के बाद सुबह 4:00 बजे घर में एंट्री मिली अभी भी कानों में देवी उदघोष गूँज रहा है। मन में सोचते हुए बोला- "भाई तबीयत ठीक नहीं है बुखार आ रहा है।"
- खांसी तो नहीं आ रही?
- नहीं यार मैंने अंकुश के सवाल का जवाब दिया।
- ठीक है भाई आराम कर।
विश्व की शीर्ष कंपनियों के CEO’s का कहना है कि, "WFH के समय किसी कर्मचारी की उत्पादकता कार्य स्थल की अपेक्षा 30 से 50% कम होती है जिसका प्रमुख कारण अनुकूल परिस्थितियों का ना होना एवं संसाधनों की कमी होती है इसीलिये सामान्य परिस्थितियों में हम अपने कर्मचारियों को WFH की सुविधा देने से बचते हैं।"
WFH माने Work From Home की सुविधा मुझे भी मिली है। मैं एक ऐसे बिजनेस मॉडल में कार्य करता हूं जो मासगेदरिंग पर आधारित है, यानि वर्तमान समय में हमारे नियोक्ता (employer) के लिए आर्थिक रूप से एक कठिन समय है इसके बावजूद बिना हमारे आर्थिक हितों को क्षति पहुँचाए हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है उसके लिए हमें बस अपने घर में रहना है।
आज मैं क्वारंटाइन अथवा संदिग्ध संक्रमित नहीं हूँ उसका कारण मैं नहीं हूँ बल्कि इस समस्या की गंभीरता को समझने वाली एवं सतर्क प्रतिक्रिया देने वाली मेरी पत्नी है अगर मैं इस समस्या की गंभीरता को समझता तो शायद अपने सभी सबसे अच्छे मित्रों को क्वारंटाइन होने से बचा लेता करोना (कोविद-19) के प्रति सतर्कता न केवल आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करती है बल्कि आपके प्रियजनों को सुरक्षित रखती है और एक बात वर्क फ्रॉम होम कोई Privilage नहीं है या एक Prevention है और इसकी गंभीरता को समझते हुए घर पर रहें एवं सुरक्षित रहें और अपने अपनों को भी सुरक्षित रखें ।
[अरविंद सिंह] |