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दृष्टि आईएएस ब्लॉग

मानव जीवन में पुस्तकों का महत्व

अब्राहम लिंकन ने कहा है कि “किताबें आदमी को ये बताने के काम आती हैं कि उसके मूल विचार आखिरकार इतने नये भी नहीं हैं।”

सच में किताबों से गुजरना दुनिया के श्रेष्ठ अनुभवों से गुजरने जैसा है। इस दुनिया में किताबें पढ़ने से बड़ा सुख शायद ही कोई हो। तभी तो किताबों को सबसे अच्छा मित्र कहा जाता है। निर्मल वर्मा भी ठीक ही कहते हैं,

“किताबें मन का शोक, दिल का डर या अभाव की हूक कम नहीं करतीं, सिर्फ सबकी आंख बचाकर चुपके से दुखते सिर के नीचे सिरहाना रख देती हैं ।”

किताबें जीवन के विभिन्न चरणों में हमारी सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक के रूप में साथ देती हैं। किताबें न सिर्फ हमें जानकारियां देती है बल्कि हमारे अतीत के चलचित्र से भी रूबरू करवाती हैं। सफदर हाशमी कहते हैं,

किताबें करती हैं बातें

बीते ज़मानों की

दुनिया की, इंसानों की

आज की, कल की

एक-एक पल की

ख़ुशियों की, ग़मों की

फूलों की, बमों की

जीत की, हार की

प्यार की, मार की

क्या तुम नहीं सुनोगे

इन किताबों की बातें?

किताबें कुछ कहना चाहती हैं।

तुम्हारे पास रहना चाहती हैं॥

किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त के रूप में

किताबें हमारे जीवन की सबसे अच्छी साथी होती हैं। जब भी हमें उनकी आवश्यकता होती है वे हमारे लिए उपलब्ध होती हैं। किताबें हमारी आसपास की दुनिया को समझने, सही और गलत के बीच निर्णय लेने में हमारी मदद करती हैं। वे हमारे आदर्श, मार्गदर्शक या सर्वकालिक शिक्षक के रूप में भी हमारे जीवन में शामिल होती हैं। किताबें पढ़ने से हमारे व्यक्तित्व में गुणात्मक परिवर्तन आता है।

वे हमारे लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती हैं साथ ही यथा समय लक्ष्य प्राप्ति में भी मददगार हैं। हममें से कई लोगों को अपने खाली समय में या सोने से पहले किताबें पढ़ने की आदत होती है क्योंकि पढ़ने से अवांछित तनाव पर काबू पाने में भी मदद मिलती है। यह हमें एक अलग ही दुनिया में ले जाती है जिसे हम सुकून की दुनिया कह सकते हैं। लोगों के विपरीत किताबें कभी भी बदले में कुछ भी नहीं मांगती, बल्कि हमारे ज्ञान और रचनात्मकता को बढ़ाने में हमारी मदद करती हैं।

छात्रों के लिए पुस्तकों का महत्व

छात्र जीवन, संघर्ष की एक अनूठी दास्तान होती है और इस के दौरान संघर्ष की सच्ची साथी होती हैं किताबें। हर छात्र को निश्चित रूप से किताबें पढ़ने की आदत डालनी चाहिए। किताबें सिर्फ प्रतियोगी जीवन की ही साथी नहीं है बल्कि यह जीवन के प्रत्येक पड़ाव पर हमारा मार्गदर्शन करती हैं। चूंकि छात्र जीवन का विकासशील चरण होता है, उन्हें अपने माता-पिता, शिक्षकों और बड़ों द्वारा अच्छी तरह से निर्देशित (गाइड) करने की भी आवश्यकता होती है। इसके साथ किताबें जीवन में निर्णय लेने की कला सिखाती हैं। आखिरकार हमारा जीवन हमारे निर्णयों का ही तो परिणाम होता है। इसलिए किताबें हमारी सहयात्री हैं।

विद्यार्थियों को निर्देशित करने का सबसे अच्छा तरीका है किताबों से दोस्ती करने की सलाह देना। कुछ महान व्यक्तियों की आत्मकथाओं वाली कई पुस्तकें हैं। ये किताबें छात्रों को उन लोगों के जीवन से प्रेरित होने में मदद कर सकती हैं जिनसे वे अपने जीवन में प्रभावित रहते हैं, जैसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्य के प्रयोग, जिससे हम जीवन में सत्य, अहिंसा और अनुशासन सीख सकते हैं। दुनिया भर की ईमानदार आत्मकथाओं ने विद्यार्थियों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया।

पढ़ना एकाग्रता को बढ़ाता है जिसकी छात्र जीवन में सबसे अधिक आवश्यकता होती है। रोजाना कुछ घंटों के लिए पढ़ना शब्दावली के साथ-साथ भाषा कौशल के निर्माण में भी मददगार साबित होता है। किताबें विद्यार्थियों को दुनिया के बारे में नई जानकारी, विचार और तथ्य प्राप्त करने में मदद करती हैं। किताबें पढ़ने से छात्र बुद्धिमान बनते हैं और परीक्षाओं में अच्छे अंक भी प्राप्त करते हैं। किताबें विद्यार्थियों को एक नेकदिल इंसान बनने के लिए भी प्रेरित करती हैं। नैतिकता और मूल्यों से संबंधित अच्छी किताबें पढ़ना विद्यार्थियों को अच्छे गुणों से समृद्ध करता है और इस प्रकार वे बड़े होकर समाज के अच्छे और जिम्मेदार नागरिक बनते हैं।

किताब पढ़ना फिल्म देखने से बेहतर क्यों है?

फिल्में देखना अपना मनोरंजन करने का एक बेहतर माध्यम है। आमतौर पर फिल्में दो से तीन घंटे की होती हैं। फिल्में हमें नैतिकता के साथ शिक्षा और मनोरंजन का भी कार्य करती हैं। मुझे याद है भारतीय जन संचार संस्थान में अपने लेक्चर के दौरान प्रो आनंद प्रधान ने कहा था पुस्तक पढ़ने के दौरान हमारी सभी इंद्रियां सक्रिय रहती हैं। पढ़ने के दौरान हम काल्पनिक दुनिया में अपने आप चले जाते हैं। हमारे मन में चित्र बनने लगते हैं। यह हमारी स्मरण शक्ति को भी बढ़ाता है। यह बिल्कुल सत्य भी है जो फिल्म और किताब के बीच के अंतर को स्पष्ट करती है। किताब पढ़ना एक दिन में पूरा नहीं किया जा सकता है। हमारे द्वारा पढ़ने के लिए दिए गए समय के अनुसार इसे कई दिनों तक जारी रखा जाता है। जब हम अलग-अलग अध्यायों को पूरा करते हैं तो कहानी की किताब या उपन्यास पढ़ने से हमें दिन-ब-दिन एक बड़ी जिज्ञासा होती है। हम कल्पना की दुनिया में ऐसे खो जाते हैं जैसे कहानी सच में घटित हो रही हो। किताबें पढ़ने से हमें फिल्में देखने से ज्यादा सटीक जानकारी मिलती है। यह हमें ध्यान केंद्रित करने और हमारी ध्यान केंद्रित करने की शक्ति को बढ़ाने में भी मदद करता है। इन सबके साथ ही यह हमारी कल्पना शक्ति और रचनात्मकता को भी बढ़ाता है।

तकनीक और पुस्तकों का महत्व

इन दिनों इंटरनेट, मोबाइल फोन और कंप्यूटर का इस्तेमाल बहुत आम हो गया है। छात्र इन तकनीकों को अध्ययन के लिए एक अच्छा विकल्प मानते हैं लेकिन ये तकनीकें किताबों के महत्व को कभी खत्म नहीं कर सकतीं। जब हम किताबें पढ़ते हैं तो हमें कई नई जानकारियां मिलती हैं लेकिन कई अनसुलझी बातें भी होती हैं। इन सवालों का जवाब पाने के लिए हमें और अध्ययन करना होगा। इससे छात्रों में पढ़ने और खोजने की क्षमता बढ़ती है। यह हमारे दिमाग का एक अच्छा व्यायाम है और हमारे दिमाग को तेज करने का सबसे अच्छा तरीका भी।

अगर हम इंटरनेट की बात करें तो यह हमें इस प्रकार का लाभ नहीं देता है क्योंकि वहां पर सारी जानकारी पहले से ही उपलब्ध होती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि यह हमारी प्रभावकारिता और क्षमता को क्षरित करता है। प्रौद्योगिकी को भी विद्युत शक्ति के उपयोग की आवश्यकता होती है लेकिन किताबों के साथ ऐसा नहीं है। किताबों को सिर्फ खोलने और पढ़ने की आवश्यकता होती है। वे हमारे लिए किसी भी समय उपलब्ध हैं, लेकिन इंटरनेट को संचालित करने के लिए डेटा और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि इंटरनेट सीखने का एक अच्छा माध्यम है लेकिन किताबों को पढ़ने पर इसे कभी भी तरजीह नहीं दी जा सकती है।

ई-बुक्स और इंटरनेट का प्रभाव

लोगों को इंटरनेट का उपयोग करके और ई-पुस्तकें डाउनलोड करके सूचना प्राप्त करना आसान लगता है। मेरे हिसाब से ई-बुक्स को पढ़ना उतना आसान नहीं है जितना कि किताबों को पढ़ना। इसे कहीं भी डाउनलोड किए जाने पर स्मार्टफोन या कंप्यूटर के निरंतर उपयोग की आवश्यकता होती है। इन उपकरणों को केवल चार्जिंग और इंटरनेट कनेक्शन द्वारा संचालित किया जा सकता है। डिस्चार्ज होने पर ये काम नहीं करेंगे। यह शर्त मैन्युअल रूप से किताबें पढ़ने पर लागू नहीं होती है। हम किसी भी समय किताब पढ़ सकते हैं और इसमें कुछ भी खर्च नहीं होता है, और सबसे महत्वपूर्ण है महसूस होना किताबों के छूने का सुख ई-बुक्स कभी नहीं दे सकता। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए किसी ने सही ही कहा है-

कागज की ये महक, ये नशा रूठने को है।

किताबों से इश्क करने की ये आखिरी सदी है।

आज भी एक गंभीर पाठक हार्डकापी पुस्तक को ज्यादा तरजीह देता है न कि आभासी अक्षरों वाली ई-बुक्स को।

निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि मानव के व्यक्तित्व के विकास के लिए अध्ययन से श्रेष्ठ विकल्प कोई नहीं है। इसलिए किताबें मानव की सबसे अच्छी दोस्त हैं जो सदैव मैं सिर्फ परत दर परत जीवन के उतार-चढ़ाव से इसे परिचित कराती हैं बल्कि हर मुश्किल वक्त में एक दोस्त की भाँति मनुष्य का साथ देती हैं।

  सचिन समर  

सचिन समर ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी से 'हिंदी पत्रकारिता' में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में भारतीय जन संचार संस्थान नई दिल्ली में 'विज्ञापन एवं जनसंपर्क' पाठ्यक्रम में अध्ययनरत है साथ ही स्वतंत्र पत्रकारिता एवं लेखन कर रहे हैं।

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