प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल: कुमारकोम
- 18 Jul, 2022
कुमारकोम दक्षिण भारतीय राज्य केरल में अवस्थित एक गाँव है। यह कोट्टायम ज़िले में है और गाँव का निकटतम शहर कोट्टायम है। कुमारकोम तक बस के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है। कोट्टायम बस स्टेशन से कुमारकोम गाँव के लिये निजी और सरकारी बसें चलती हैं। यह कोट्टायम से महज 15 किमी. की दूरी पर है। कुमारकोम मध्य केरल का एक लोकप्रिय गंतव्य है।
वर्ष 2019 में देश के केंद्रीय बजट में कुमारकोम को 17 प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों (Iconic Tourism Sites) की सूची में शामिल करने की अनुशंसा की गई थी। इसे दुनिया के दर्शनीय स्थलों में से एक माना जाता है। इससे कुमारकोम और इसके पर्यटन का सर्वांगीण विकास हुआ है। इस गाँव में कई मंत्रमुग्ध करने वाले आकर्षण हैं जिन्हें देखते आँखें नहीं थकतीं।
कुमारकोम थेक्कुमकूर साम्राज्य का अंग था। यह वेम्बनाड झील के पूर्वी तट पर स्थित है और नहरों से समृद्ध है। जल में कई हाउसबोट तैरते हुए देखे जा सकते हैं। इन आवरण-युक्त नावों का इस्तेमाल कभी माल परिवहन के लिये किया जाता था। अब इनका उपयोग मनोरंजन नौकायान के लिये किया जाता है। क्षेत्र की जलवायु अनुकूल है जहाँ वर्ष में दो मानसून मौसम पाए जाते हैं। जल की उपलब्धता और अच्छी जलवायु से परिवेश हरी वनस्पतियों से परिपूर्ण है। यहाँ वन, झीलें, नहरें और बैकवाटर/अप्रवाही जल मौजूद हैं।
कुमारकोम के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से वेम्बनाड झील के आसपास के क्षेत्र वेम्बनाड कोल आर्द्रभूमि (Vembanad Kole Wetlands) के रूप में जाने जाते हैं। कोल भूमि कई वर्ष पूर्व बैकवाटर से पुनः प्राप्त की गई थी। ऐसा मिट्टी का अस्थायी बांध बनाकर किया गया था। इसी भूमि पर किसानों द्वारा ग्रीष्मकाल में चावल की खेती की जाती थी।
वेम्बनाड झील
वेम्बनाड झील, जिसे झील के कुछ भागों में पुन्नमदा झील के रूप में भी जाना जाता है, केरल का सबसे लंबा बैकवाटर है। यह भारत की सबसे लंबी झील भी है और सुंदरबन के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी आर्द्रभूमि है। मैंग्रोव वन और नारियल के पेड़ यहाँ बहुतायत से मौजूद हैं। यहाँ एक समृद्ध मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है। इसके अलावा, यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि ये मैंग्रोव बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण करते हैं। पुन्नमदा झील के किनारे स्थित कुट्टनाड को केरल के चावल के कटोरे के रूप में जाना जाता है और यह विश्व के उन कुछ स्थानों में से एक है जहाँ समुद्र तल से नीचे खेती की जाती है।
कुमारकोम पक्षी अभयारण्य झील के पूर्वी किनारे पर स्थित है। यह एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण केंद्र है। झील झींगा (shrimps and prawns) जैसे शेलफिश/शंख के लिये एक आदर्श पर्यावास भी है। तिलपिया, शार्क कैटफ़िश और रेड बेली फिश सहित मछलियों की लगभग 100 प्रजातियाँ यहाँ मौजूद हैं। झील के किनारे रहने वाले लोगों की प्रमुख आजीविका गतिविधियों में कृषि, मछली पकड़ना, पर्यटन, कॉयर रेटिंग और चूना खोल संग्रहण आदि शामिल हैं।
झील में दस नदियों का बहाव होता है जो इसे जल से समृद्ध करती हैं। इनमें मध्य केरल की छह प्रमुख नदियाँ—अचनकोविल, मणिमाला, मीनाचिल, मुवत्तुपुझा, पंबा और पेरियार शामिल हैं।
वर्ष 2002 में वेम्बनाड झील को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि (जैसा कि रामसर कन्वेंशन द्वारा परिभाषित किया गया है) की सूची में शामिल किया गया था। विश्व भर में आर्द्रभूमियों के पक्ष में कार्रवाई के सम्मेलन का पहला आयोजन ईरान के रामसर में हुआ था। रामसर कन्वेंशन आर्द्रभूमि के संरक्षण और सतत उपयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। वेम्बनाड झील पश्चिम बंगाल में सुंदरबन के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा रामसर स्थल है।
नेहरू ट्रॉफी बोट रेस
नेहरू ट्रॉफी बोट रेस हर साल अगस्त के महीने में पुन्नमदा झील में आयोजित की जाती है। पुन्नमदा झील वेम्बनाड झील का एक हिस्सा है। नेहरू ट्रॉफी बोट रेस दूर-दूर से लोगों को आकर्षित करती है। इसका उद्घाटन वर्ष 1952 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था। विजेता को नेहरू के नाम पर एक ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था जहाँ से फिर उसे यह नाम मिला।
कुमारकोम पक्षी अभयारण्य
इस अभयारण्य को पहले ‘बेकर्स एस्टेट’ के नाम से जाना जाता था। यह मीनाचिल नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है, जो वेम्बनाड झील की सहायक नदियों में से एक है। यह अभयारण्य और आर्द्रभूमि 10,000 से अधिक जलपक्षियों का घर है। यहाँ जलपक्षी, बगुला, कोयल, जलकाग, उल्लू, सफेद बगुला, जलमुर्गी, डार्टर और ब्राह्मणी चील जैसी कई पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती है। कई प्रवासी पक्षी भी कुछ समय के लिये अभयारण्य में विश्राम करते हैं। गल, चैती, टर्न और फ्लाईकैचर जैसे पक्षी प्रवास मौसम के दौरान हिमालय, मंगोलिया और साइबेरिया जैसे दूर के स्थानों से यहाँ पहुँचते हैं। सर्दियों में साइबेरियाई सारस अभयारण्य के मुख्य आकर्षणों में से एक होते हैं।
बे आइलैंड ड्रिफ्टवुड संग्रहालय
इस संग्रहालय में अत्यंत गुणवत्तापूर्ण कई प्रकार के काष्ठ शिल्प मौजूद हैं। यहाँ ड्रिफ्टवुड या लकड़ी पर बनी मूर्तियों को प्रदर्शित किया गया है जिन्हें जल से निकाला गया था। यहाँ उच्च कलात्मक मूल्य वाले विषद काष्ठ-कर्म का आनंद लिया जा सकता है। इस संग्रहालय की शुरुआत एक विद्यालय शिक्षक द्वारा की गई थी जो समुद्र तट पर जमा होने वाले ड्रिफ्टवुड के टुकड़ों का संग्रहण किया करते थे। उन मुड़ी हुई शाखाओं, पेड़ के तनों, ठूंठ और जड़ों को उत्कृष्ट शिल्प कौशल और प्रयास के साथ मूर्तियों में परिणत किया गया।
संग्रहालय नवीन आधुनिक तरीकों के माध्यम से तैयार किये गए ड्रिफ्टवुड मूर्तियों का भी एक अनूठा संग्रह प्रदर्शित करता है। इसमें जड़ से बनी मूर्तियों का एक बड़ा संग्रह भी शामिल है। पेड़ की जड़ों को विभिन्न आकृतियों में तराशा जाता है और दक्षता के साथ डिज़ाइन किया जाता है। दूर से बहकर आए मज़बूत और दृढ़ ड्रिफ्टवुड को इकट्ठा और साफ किया जाता है। इसके बाद इसे विभिन्न आकारों और आकृतियों में काटा-छाँटा जाता है।
पातिरामणल द्वीप
पातिरामणल द्वीप वेम्बनाड झील में एक छोटा निर्जन द्वीप है। यह दुर्लभ प्रवासी पक्षियों की लगभग 50 प्रजातियों का आश्रय स्थल और पक्षियों की लगभग 90 स्थानीय प्रजातियों का घर है। पिंटेल बतख, चैती, बगुला, किंगफिशर, हंस आदि यहाँ पाए जाने वाले कुछ पक्षी हैं।
इस द्वीप को अनंत पद्मनाभन थोप्पू के नाम से भी जाना जाता है और इस पर पूर्व में कोचीन के मैसर्स भीमजी देवजी ट्रस्ट का स्वामित्व था। बाद में इसे शेवेलियर एसीएम एन्थ्रेपर ने खरीद लिया। वर्ष 1979 में केरल में भूमि सुधार अधिनियमों के कार्यान्वयन के साथ द्वीप सरकारी स्वामित्व में आ गया। इसे अब केरल के पर्यटन विभाग द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
थन्नीरमुकोम साल्ट वाटर बैरियर
इस बैरियर या बांध का निर्माण वेम्बनाड झील में समुद्र से आघातकारी ज्वारीय गतिविधि और लवण के प्रवेश को रोकने के लिये किया गया था। यह भारत का सबसे बड़ा ‘मड रेगुलेटर’ और एकमात्र तटीय जलाशय है। यह बैरियर झील को दो भागों में विभाजित करता है: एक भाग में खारा पानी है जबकि दूसरे में ताज़ा पानी है।
बांध ने कुट्टनाड में खेती को संवर्द्धित किया है। लेकिन, इसने बैकवाटर्स को बुरी तरह प्रभावित किया है। जलीय खरपतवारों की मात्रा बढ़ गई है, जल में ऑक्सीजन की कमी हो रही है और प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है। कम मात्रा में खारे पानी पर निर्भर रहने वाली मछली प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में है। हर साल मानसून के मौसम में बांध को खोला जाता है।
कुमारकोम शिल्प संग्रहालय
यह पक्षी अभयारण्य के निकट स्थित है। यह अनूठी चीज़ों की एक पुरानी दुकान है जहाँ खरीदने और देखने के लिये बहुत-सी प्राचीन वस्तुएँ हैं। आगंतुकों के देखने के लिये बीते युग की पेंटिंग्स, कलाकृतियाँ और हस्तशिल्प प्रदर्शित किये गए हैं। उनमें से कुछ को खरीदा भी जा सकता है।
प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल
प्रतिष्ठित पर्यटक स्थलों की सूची में होने के साथ कुमारकोम का उद्देश्य पर्यटकों के लिये बुनियादी सुख-सुविधाओं का विकास कर उन्हें और आकर्षित करना तथा पर्यावरण संरक्षण करना है। कुमारकोम पर एक मसौदा विकास रिपोर्ट इन कारकों पर बल देते हुए दाखिल की गई थी। जल्द ही बेहतरीन बुनियादी सुविधाएँ, कन्वेंशन सेंटर, वाटर स्पोर्ट्स, आर्ट गैलरी, शॉपिंग सुविधाएँ और मनोरंजन पार्क स्थापित किये जाएँगे। कुमारकोम भारतीय पर्यटन का नया चेहरा बनने की ओर अग्रसर है।
इससे पूर्व वर्ष 2005 में कुमारकोम को विशेष पर्यटन क्षेत्र (Special Tourism Zone- STZs) घोषित किया गया था। भारत सरकार द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs) की तर्ज पर विशेष पर्यटन क्षेत्र (STZs) स्थापित किये गए थे। यह ‘एंक्लेवाइज़ेशन ऑफ टूरिज़्म’ को बढ़ावा देने के लिये है। इसके बाद भूमि और सामान्य संपत्ति को विशेष रूप से लेज़र गतिविधियों के लिये निर्धारित क्षेत्रों में परिवर्तित कर दिया जाता है। उच्च पर्यटन क्षमता वाले स्थानों को विशेष पर्यटन क्षेत्र घोषित किया गया है। नतीजतन, अधिकारियों ने कुमारकोम में हस्तक्षेप किया है और विकास गतिविधियों को विनियमित किया है।
कुमारकोम में कई प्रमुख होटल स्थित हैं। इस क्षेत्र में 1000 से अधिक हाउसबोट संचालित हैं। पर्यटक इन नावों में ठहर सकते हैं या भ्रमण कर सकते हैं। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रिसॉर्ट और होमस्टे फल-फूल रहे हैं। एक अन्य कारक जो कई पर्यटकों को, विशेषकर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है, वह है आयुर्वेद। आयुर्वेदिक उपचार और स्पा शहरों में रहने वाले लोगों को आकर्षित करते हैं। गाँव में कुछ दिनों प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के साथ ही वे अपने मन और शरीर को फिर से जीवंत करने में समय व्यतीत करते हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि हर साल देश के बाहर से आने वाले लोगों सहित लगभग तीन से चार लाख पर्यटक यहाँ आते हैं।
कुमारकोम उत्तरदायी पर्यटन का एक उदाहरण है। यह लोगों के रहने और आने-जाने के लिये किसी जगह को बेहतर बनाने से संबंधित है। क्षेत्र के पर्यटन क्षेत्र के प्रत्येक पक्षकार, चाहे वे ऑपरेटर, होटल व्यवसायी, सरकारें, स्थानीय लोग या पर्यटक, जो भी हों, पर्यटन को अधिक संवहनीय बनाने के लिये उत्तरदायित्व ग्रहण करते हैं।