प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल: कोलवा
- 19 Jul, 2022
कोलवा (Colva) भारत में मौजूद बेहद खूबसूरत स्थानों में से एक है। यह दक्षिण गोवा के साल्सेट गाँव में स्थित एक समुद्र तट है। कोलवा खाद्य पदार्थों, पब, बार और समुद्र तटों सहित कई चीजों के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ की इमारतें वास्तुकला की पुर्तगाली शैली को दर्शाती हैं। केंद्रीय मंत्रालय ने ‘प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल विकास परियोजना’ के अंतर्गत कोलवा समुद्र तट को भी शामिल किया है। इस पहल के माध्यम से सरकार इस क्षेत्र में आधारभूत संरचना और पर्यटन का विकास करने और इसे आगंतुकों के लिये एक बेहतर जगह बनाने की योजना रखती है।
इस खूबसूरत समुद्र तट में 4 गाँव शामिल हैं- कोलवा, वेनेलिम, गंदौलिम और सेर्नाबतिम। आरंभ में ये 4 गाँव पंचायत के अधिकार क्षेत्र में थे। वे राजस्व संग्रहण और व्यापार लाइसेंस जारी करने से लेकर क्षेत्र के समग्र विकास की देखरेख तक सभी कार्य करते थे। कोलवा से पुर्तगालियों को बेहद लगाव था, इसलिये वे इस जगह पर आते-जाते रहते थे। उनका मानना था कि यह जगह उन्हें सुकून देती है। आज यह क्षेत्र इमारतों और बँगलों से आबाद है। हर सप्ताहांत यहाँ सूर्यास्त का आनंद लेने के लिये भारी भीड़ जुटती है। यह समुद्र तट अपने परम वैभव पर अक्टूबर माह में पहुँचता है जब बड़ी संख्या में लोग आते हैं और प्रसिद्ध कोलवा चर्च का दौरा करते हैं, जिसे रोइज़ परिवार द्वारा वर्ष 1630 में स्थापित किया गया था।
गोवा में पुर्तगाली वास्तुकला
उत्तरी गोवा के अन्य समुद्र तटों की तुलना में कोलवा अधिक निर्मल और शांत है। कोलवा समुद्र तट का कुल विस्तार लगभग 2.4 किमी. है। समुद्र तट के एक हिस्से में महीन सफेद रेत का फैलाव है। समुद्र तट नारियल और ताड़ के सुंदर पेड़ों से भी आच्छादित है जो उत्तर में बोगमालो समुद्र तट से लेकर दक्षिण में काबो डी रामा तक फैले हुए हैं। कोलवा में पर्यटन उद्योग आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित है और दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिये बेहतरीन रेस्तरां और होटल प्रदान करता है। क्षेत्र में गेस्ट हाउस, कुटी, रेस्तरां और पब जैसी सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। समुद्र तट के आसपास हमेशा लाइफगार्ड तैनात देखे जा सकते हैं। यह गोवा के सबसे लंबे समुद्र तटों में से एक भी है।
कोलवा का इतिहास
कोलवा एक विशाल बंजर भूमि थी जिसके चारों ओर अरब सागर का सुंदर दृश्य दिखाई देता था। बाद में मछुआरा समुदाय (जिन्हें ‘हरीम’ के नाम से भी जाना जाता है) के कुछ लोग इस क्षेत्र में आ गए और अंततः यहीं बस गए। मुग़ल साम्राज्य ने इसके चारों ओर बहुत सारे क़िले और गढ़ बनाए, जिससे फिर लोगों का यहाँ बसना कठिन हो गया। बाद में पुर्तगालियों का आगमन हुआ और वे इस बंजर भूमि पर बस गए जिससे आज इसका गोवा के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक के रूप में उभार हुआ है।
18वीं शताब्दी के दौरान डिओगो के वंशजों में से एक ने कोलवा के लोगों को भूमि की उत्पादकता, सुरक्षा और मूल्य बढ़ाने के लिये नारियल के पेड़ लगाने का निर्देश दिया। डिओगो रॉड्रिक्स को आज कोलवा के भगवान के रूप में जाना जाता है। वह कोलवा की वास्तुकला को आकार देने वाले प्रमुख व्यक्तियों में से एक था जिसने वर्ष 1551 में सभी कार्यों की शुरुआत कराई थी। उसकी परिकल्पनाएँ कोलवा में पुर्तगाली संस्कृति का शुद्ध प्रतिबिंब थीं। घरों को इस तरह से बनाया गया था कि उनका मुख समुद्र की ओर नहीं हो ताकि शत्रु के किसी हमले से बचा जा सके। आज हम पूरे समुद्र तट को नारियल के पेड़ों से आबाद देख सकते हैं।
भाषा और लोग
कोलवा की स्थानीय भाषा साष्टी (Saxtii) है। यह कोंकणी भाषा से संबद्ध एक बोली है, जो मूल रूप से इंडो-यूरोपीय लोगों द्वारा बोली जाती थी। कोलवा में बहुसंख्यक आबादी रोमन कैथोलिकों की है जबकि हिंदू और मुसलमान दो अन्य प्रमुख समूह हैं। प्रसिद्ध मंगेशी/मंगुशी मंदिर से पुष्टि होती है कि कोलवा में हिंदू आबादी भी धीमी गति से लगातार बढ़ रही है। यहाँ गौड़ सारस्वत ब्राहमणों के एक समूह का भी वास है। क्षेत्र में विभिन्न संस्कृतियों का एक समृद्ध समामेलन देखा जा सकता है। हालाँकि यहाँ बहुमत ईसाइयों का है और हिंदू आबादी में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। इस क्षेत्र में एक स्वस्थ सामुदायिकता की स्थापना हुई है और सभी संस्कृतियों का सम्मान स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
भोजन
कोलवा के अधिकांश व्यंजनों पर पुर्तगाली प्रभाव है। हालाँकि कोलवा का मुख्य आहार मछली और चावल है जो सबसे आम और पसंदीदा व्यंजन है। कोलवा क्षेत्र में नारियल के तेल का उपयोग भी बहुत आम है, इसका उपयोग अधिकांश व्यंजनों में किया जाता है। कोलवा के स्थानीय लोगों के बीच कई समुद्री खाद्य पदार्थ भी लोकप्रिय हैं जिनमें शार्क, पॉमफ्रेट, टूना आदि प्रमुख हैं। कोलवा का सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा पेय फेनी है।
उत्पाद
कोलवा की जातीयता मुख्य रूप से मछुआरों और किसानों से निर्मित होती है। आमतौर पर ‘खार्वी’ (Kharvis) के नाम से जाने जाने वाले ये मछुआरे मछली पकड़ने के लिये पारंपरिक जाल का उपयोग करते हैं जिन्हें ‘रैम्पोन’ (Rampons) कहा जाता है। गोवा का मछली बाज़ार वस्तुतः भारत के सबसे प्रसिद्ध मछली बाज़ारों में से एक है। गोवा में लगभग 10545 समुद्री मछुआरे रहते हैं। यह सबसे उल्लेखनीय बाज़ारों में से एक है जो राज्य के लिये और कोलवा जैसे अपने छोटे क्षेत्रों के लिये बहुत लाभ अर्जित किया है। मछुआरा समुदाय ने वैध समुद्री मत्स्यग्रहण के लिये विभिन्न प्रकार की नौकाओं को भी डिज़ाइन किया है। चूँकि यहाँ भूमि क्षेत्र कम है, सीमित मात्रा में खेती की जाती है। इस क्षेत्र की प्रमुख फसल धान या चावल है।
क्षेत्र और मौसम
कोलवा में तीन प्रमुख समुद्र तट हैं। पहला कोलवा बीच या समुद्र तट है जो कोलवा का सबसे प्रसिद्ध समुद्र तट है। दूसरा समुद्र तट ‘सनसेट बीच’ है जिसे ‘बेटलबटीम’ के नाम से भी जाना जाता है। यह समुद्र तट कम भीड़भाड़ वाला है और कोलवा के गुप्त आकर्षण में शामिल है। तीसरा समुद्र तट ‘बेवॉच बीच’ है जो अपने चमकदार जल और शांतिपूर्ण उपस्थिति से आकर्षण उत्पन्न करता है।
कोलवा का निकटतम रेलवे स्टेशन मडगांव है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में और अरब सागर के निकट अपनी अवस्थिति के कारण यह स्थान आमतौर पर पूरे वर्ष गर्म और आर्द्र बना रहता है, जहाँ मई सबसे गर्म माह होता है। कोलवा समुद्र तट पर शीतकाल की अवधि अत्यंत संक्षिप्त होती है जो दिसंबर-फ़रवरी के मध्य आती है।
गोवा का संक्षिप्त इतिहास
किंवदंतियों के अनुसार गोवा का निर्माण परशुराम ने किया था जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। परशुराम ने क्षत्रियों के विरुद्ध युद्ध में विजय पाई थी और बाद में उन्हें इस भूमि पर रहने की अनुमति दी गई, जिससे गोवा अस्तित्व में आया। बहुत लंबे समय तक हिंदू राजवंशों ने गोवा की भूमि पर शासन किया। वर्ष 1312 में एक छोटी अवधि के लिये मुसलमानों ने भी गोवा पर शासन किया था। बाद में वर्ष 1524 में प्रसिद्ध वास्को डी गामा ‘केप ऑफ गुड होप’ होते हुए गोवा पहुँचा। वह इस मार्ग से भारत पहुँचने वाला पहला यूरोपीय था। बाद में और अधिक पुर्तगाली गोवा आए और यह भारत में एक पुर्तगाली राज्य के रूप में विकसित होने लगा। आज़ादी के बाद वर्ष 1961 में भारतीय सेना ने गोवा को अपने नियंत्रण में ले लिया और यह सुनिश्चित किया कि सभी पुर्तगाली शहर छोड़ कर चले गए हैं। हालाँकि, हम अभी भी गोवा के कुछ क्षेत्रों में पुर्तगाली प्रभाव देख सकते हैं। गोवा के लोग कभी भी महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे और इसलिये उन्होंने एक अलग राज्य की मांग की। वर्ष 1987 में गोवा को देश का 25वाँ राज्य बनाया गया। यह भारत का सबसे छोटा राज्य है लेकिन पर्यटन और मत्स्यग्रहण के क्षेत्र में यह देश की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
कोलवा के कुछ प्रसिद्ध स्थल
1. वरका बीच
कोलवा का वरका बीच एक शांत और सुकूनदेह समुद्र तट है। इसकी सुंदरता मन-मस्तिष्क को एक नई ऊर्जा से भर देती है। इस समुद्र तट पर टहलने, आराम से लेटे हुए अरब सागर में सूर्य को डूबते हुए देखने का अपना ही आनंद है। इसे कोलवा के सबसे अच्छे समुद्र तटों में से एक के रूप में जाना जाता है।
2. गोवा चित्र संग्रहालय
यदि आप एक ऐसी जगह की तलाश में हैं जो कोलवा के आसपास थोड़ा हटकर हो तो गोवा चित्र संग्रहालय की सुंदरता को कुछ भी मात नहीं दे सकता। इस संग्रहालय में लगभग 4000 कलाकृतियों का संग्रह है और यहाँ गोवा की कृषि परंपरा का बखूबी प्रतिनिधित्व किया गया है। इस संग्रहालय में वह सब कुछ है जो गोवा की जीवन शैली को दर्शाता है। यहाँ बहुत-से प्राचीन वस्तुओं का संग्रह किया गया है जो गोवा की संस्कृति का हिस्सा रही हैं। इस संग्रहालय में आना पर्यटकों के लिये पूरी तरह से एक नई दुनिया की खिड़की खोल देता है।
3. चर्च ऑफ अवर लेडी ऑफ मर्सी
कोई भी साइट-सीइंग अधूरा ही माना जाएगा यदि गोवा में सबसे अच्छे दर्शनीय स्थलों की सूची में इस चर्च का नाम शामिल नहीं हो। यह चर्च ‘फामा ओ मेनिनो जीसस’ (Fama O Menino Jesus) नामक एक प्रसिद्ध आयोजन के लिये जाना जाता है। यह एक वार्षिक आयोजन है जो हर वर्ष अक्टूबर के तीसरे सोमवार को मनाया जाता है। इस वार्षिक उत्सव के लिये हर साल हजारों लोग इस चर्च में आते हैं। यह देखने में अन्य चर्चों सा ही लगता है लेकिन इसके साथ एक इतिहास संबद्ध है। इस चर्च का निर्माण वर्ष 1630 में बिशप गवर्नर ने कराया था। इसे 18वीं शताब्दी में फिर से बनाया गया। इस चर्च में बेबी जीसस को स्थापित किया गया और मान्यता है कि इसमें ‘हीलिंग पावर’ है।
4. दूधसागर जलप्रपात
इस खूबसूरत चार-स्तरीय जलप्रपात को ‘सी ऑफ मिल्क’ या ‘दूधसागर’ का नाम दिया गया है और यह कोलवा के पास घूमने के लिये सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान के भीतर मंडोवी नदी पर स्थित यह जलप्रपात बस ट्रेन की एक छोटी सवारी भर दूर है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन दूधसागर रेलवे स्टेशन है। जो लोग ट्रेकिंग करना पसंद करते हैं, उन्हें यहाँ अवश्य जाना चाहिये। झरने का खूबसूरत नजारा आपके होश उड़ा देता है और आप इस जगह से कभी नहीं लौटना चाहते।
कोलवा जल्द ही बनेगा प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल
कोलवा के समुद्र तट देश में सबसे अधिक भ्रमण किये जाने वाले समुद्र तटों में गिने जाते हैं। हालाँकि हम देख सकते हैं कि नारियल के सुंदर पेड़ों से आच्छादित इस पूरे खंड का रखरखाव ठीक तरीके से नहीं किया गया है। ऐसी ही स्थिति गोवा के उत्तरी भाग में भी दिखाई पड़ती है। इस पूरी स्थिति से निपटने के लिये केंद्रीय मंत्रालय ने एक पहल का प्रस्ताव किया है जो कोलवा को गोवा राज्य में एक प्रतिष्ठित पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में मदद करेगा। 11 अन्य स्थानों के बीच कोलवा समुद्र तट एकमात्र ऐसा समुद्र तट है जो इस पहल का हिस्सा होगा। यह गोवा के लोगों के लिये गर्व का क्षण है। जिन विभिन्न कारकों को ध्यान में रखा गया उनमें शामिल हैं- क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों की संख्या, क्षेत्र कितना प्रसिद्ध है और यह क्षेत्र परिवहन के दृष्टिकोण से पर्यटकों के लिये कितना सुगम है।
गोवा उत्तर से दक्षिण तक विभिन्न समुद्र तटों से ही घिरा हुआ है, लेकिन कोलवा एकमात्र ऐसा समुद्र तट है जिसे इस परियोजना के लिये चुना गया है। केंद्रीय मंत्रालय आशा करता है कि कोलवा क्षेत्र के निवासी एक साथ आएँगे और इसे एक सफल पहल बनाने के लिये सरकार का समर्थन करेंगे।
गोवा की लड़ाई (9-10 दिसंबर 1510) इस्माइल आदिल शाह और अफोंसो डी अल्बुकर्क के बीच लड़ी गई थी।
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की सचिव रश्मि वर्मा ने बताया है कि वे कोलवा क्षेत्र के लिये एक सुविचारित मास्टर प्लान तैयार करेंगे। यह योजना कोलवा समुद्र तट को भारत का एक प्रतिष्ठित पर्यटन स्थल बनाने के उनके लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।
गोवा राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा की गई एक अन्य पहल ने एजेंसियों के लिये कोलवा समुद्र तट का मूल्यांकन करने हेतु निविदाएँ आमंत्रित की थी। यह अध्ययन समुद्र तट के वनस्पतियों और जीवों पर डेटा एकत्र करने के बारे में है। इस डेटा में लुप्तप्राय प्रजातियों पर भी डेटा को शामिल किया गया है। एक विस्तृत अध्ययन किया जाएगा जो कोलवा समुद्र तट की जैव विविधता की जलगतिकी में परिवर्तन का आकलन करने में मदद करेगा। यह अध्ययन समुद्र तट की भूमि के सही उपयोग के बारे में भी होगा और विचार करेगा कि यह पर्यावरण और परिवेश को कैसे प्रभावित करेगा। इसके अलावा, अध्ययन भूमि को बेहतर बनाने के लिये कमियों को दूर करने हेतु समाधान भी प्रदान करेगा।