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बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन: वर्तमान चुनौतियाँ और समाधान

  • 04 Feb, 2025

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान के दौरान हुई भगदड़ ने एक बार फिर भीड़ प्रबंधन की विफलता को उजागर कर दिया। इस दुर्घटना में 30 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। प्रशासन की समस्त तैयारियों के बावजूद, अत्यधिक भीड़, निकासी मार्गों की कमी और अव्यवस्थित प्रबंधन ने इस त्रासदी को जन्म दिया। यह घटना कोई अपवाद नहीं है, बल्कि हाल के वर्षों में दुनिया भर में सामने आई ऐसी घटनाओं की कड़ी का नया मामला है, जहाँ भीड़ नियंत्रण में चूक के गंभीर परिणाम देखने को मिले। धार्मिक आयोजनों के अलावा खेल प्रतियोगिता, राजनीतिक रैली या सांस्कृतिक उत्सव लाखों लोगों को आकर्षित करते हैं, जहाँ भीड़ प्रबंधन की मामूली चूक भयावह त्रासदी में बदल सकती है। उदाहरण के लिये, वर्ष 2022 में दक्षिण कोरिया के इटावन हैलोवीन समारोह में अत्यधिक भीड़ के कारण 150 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। इसी तरह, वर्ष 2015 में मक्का में हज के दौरान मची भगदड़ में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी।

भीड़ प्रबंधन केवल विधि-व्यवस्था बनाए रखने का विषय नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन की सुरक्षा, सार्वजनिक स्थानों की संरचना और आपातकालीन स्थितियों से निपटने की रणनीतियों से गहनता से संबद्ध है। दुर्भाग्यवश, कई बार आयोजकों और प्रशासनिक एजेंसियों द्वारा पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किये जाते, जिससे जानमाल की हानि होती है। इस परिदृश्य में, बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन की मौजूदा स्थिति, उससे जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ, हालिया घटनाओं से मिले सबक और प्रभावी समाधानों की चर्चा करना बेहद प्रासंगिक होगा, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके।

बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन की वर्तमान स्थिति 

भारत और दुनिया भर में बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन के लिये विभिन्न व्यवस्थाएँ अपनाई जाती हैं। सरकारें, पुलिस प्रशासन, निजी सुरक्षा एजेंसियाँ और आयोजनकर्ता साथ मिलकर इसे सुचारु रूप से संचालित करने का प्रयास करते हैं। हालाँकि, कई बार ये व्यवस्थाएँ अपर्याप्त सिद्ध होती हैं, जिसके कारण जानलेवा दुर्घटनाएँ घटित होती हैं।

  • भारत में मौजूदा प्रबंधन प्रणाली: भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में धार्मिक उत्सव, खेल आयोजनों और राजनीतिक रैलियों में लाखों लोग जुटते हैं। ऐसे आयोजनों के लिये पुलिस, होम गार्ड, NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया जाता है। कुंभ मेले जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों के लिये प्रशासन द्वारा कई माह पहले से तैयारियाँ की जा रही थीं, जहाँ निगरानी के लिये ड्रोन कैमरों एवं CCTV की तैनाती की गई और भीड़ को नियंत्रित करने के लिये बैरिकेडिंग भी की गई। स्टेडियमों में क्रिकेट आदि खेल आयोजनों के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिये टिकट आधारित प्रवेश, सुरक्षा जाँच और आपातकालीन निकास मार्ग की व्यवस्था की जाती है। संगीत समारोह और बड़े सांस्कृतिक आयोजनों में भी सुरक्षा एजेंसियाँ एवं आयोजन समितियों के समन्वय में उपयुक्त उपाय किये जाते हैं।
  • वैश्विक भीड़ प्रबंधन प्रणाली: विश्व के विभिन्न विकसित देशों में भीड़ प्रबंधन के लिये अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। जापान जैसे देशों में रेलवे स्टेशनों और सार्वजनिक स्थानों पर अत्यधिक भीड़ के प्रबंधन के लिये ऑटोमेटेड एंट्री और एग्जिट सिस्टम स्थापित किये गए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों में स्टेडियमों, एयरपोर्ट्स एवं धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण के लिये AI आधारित कैमरे, आपातकालीन अलर्ट सिस्टम और प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते हैं।
  • भारत में मौजूदा व्यवस्था की कमियाँ: हालाँकि भारत में बड़े आयोजनों के लिये प्रशासनिक तैयारियाँ की जाती हैं, फिर भी समय-समय पर कई कमियाँ उजागर होती रही हैं:
    • भीड़ के लिये पर्याप्त निकासी मार्ग नहीं होते, जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
    • दिशानिर्देश प्रदान करने और अफ़वाहों से निपटने के लिये सुदृढ़ तंत्र का अभाव देखा जाता है।
    • धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों में अनुशासनहीनता बढ़ने पर पुलिस को भीड़ नियंत्रित करने में कठिनाई होती है।
    • अत्याधुनिक तकनीक का सीमित उपयोग किया जाता है, जिससे भीड़ की रियल-टाइम निगरानी कठिन हो जाती है।
    • आपातकालीन स्थितियों में त्वरित चिकित्सा सहायता की कमी के कारण घायलों की संख्या बढ़ जाती है।

भीड़ प्रबंधन की प्रमुख चुनौतियाँ 

बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन कोई आसान कार्य नहीं है। लाखों लोगों को नियंत्रित करने के लिये ठोस रणनीति, प्रशासनिक कौशल और अत्याधुनिक तकनीक की आवश्यकता होती है। संबद्ध चुनौतियाँ इस प्रक्रिया को जटिल बना देती हैं, जिससे भगदड़ और अन्य दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।

  • ढाँचागत चुनौतियाँ
    • कई मामलों में आयोजन स्थल की ढाँचागत क्षमता से अधिक भीड़ जमा हो जाती है। मंदिरों, स्टेडियमों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर पर्याप्त प्रवेश एवं निकासी मार्ग के अभाव में भगदड़ की स्थिति उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिये, वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश के रत्नागढ़ मंदिर में ढाँचागत कमियों से प्रेरित भगदड़ के कारण 115 लोगों की मौत हो गई थी।
  • तकनीकी सीमाएँ
    • भारत में कई बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन के लिये अभी भी पारंपरिक तरीके अपनाए जाते हैं। AI आधारित निगरानी प्रणाली, ड्रोन कैमरे और रियल-टाइम भीड़ विश्लेषण जैसी तकनीकों का उपयोग अत्यंत सीमित रहा है। यदि इन तकनीकों को प्रभावी रूप से लागू किया जाए तो भीड़ की गतिशीलता को समय रहते नियंत्रित किया जा सकता है।
  • मानवीय और सामाजिक व्यवहार
    • भीड़ का व्यवहार प्रायः अनियंत्रित हो जाने की प्रवृत्ति रखता है। धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालु भावनाओं में बहकर आगे होने की होड़ करने लगते हैं, जिससे भगदड़ मच सकती है। इसी तरह, राजनीतिक रैलियों और खेल आयोजनों में उत्साह, आक्रोश एवं उत्तेजना कभी-कभी हिंसक स्थिति पैदा कर देती है। अफ़वाह भी एक प्रमुख समस्या है, जो दुनिया के विभिन्न भागों में भगदड़ का कारण बनी है। वर्ष 2018 में मुंबई में रेलवे फुट ब्रिज के टूट सकने की अफ़वाह से मची भगदड़ में कई लोगों की जान चली गई थी।
  • आपातकालीन स्थितियाँ
    • कई बार आग, भूकंप या आतंकी हमलों जैसी आपातकालीन परिस्थितियाँ भी भीड़ प्रबंधन को कठिन बना देती हैं। 
  • प्रशासनिक समस्याएँ
    • भीड़ नियंत्रण में प्रशासनिक लापरवाही भी एक बड़ी समस्या है। कई बार पुलिस और आयोजनकर्ताओं के बीच समन्वय की कमी होती है, जिससे सुरक्षा चूक की स्थिति बनती है। स्टेडियमों, धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थानों में सुरक्षाकर्मियों की अपर्याप्त संख्या भीड़ नियंत्रण को कठिन बना सकती है।
  • जागरूकता की कमी
    • आम लोगों में आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के प्रति पर्याप्त जागरूकता नहीं होती। यदि लोगों को आपातकालीन निकास मार्गों, भीड़ नियंत्रण नियमों और सुरक्षा उपायों की सही जानकारी हो तो कई दुर्घटनाओं को टाला जा सकता है।

प्रभावी भीड़ प्रबंधन के लिये सुझाव और समाधान

बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन एक जटिल एवं चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसका उद्देश्य केवल व्यवस्था बनाए रखना नहीं, बल्कि मानव जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है। वर्तमान में प्रचलित भीड़ प्रबंधन प्रारूपों में कई खामियाँ हैं, जो घटनाओं की भयावहता को बढ़ाती हैं। यदि कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठाए जाएँ तो भीड़ प्रबंधन को अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनाया जा सकता है।

  • स्मार्ट तकनीक का व्यापक इस्तेमाल: आज के डिजिटल युग में तकनीकी नवाचार को भीड़ प्रबंधन का एक आवश्यक अंग बनाया जाना चाहिये। स्मार्ट तकनीक का इस्तेमाल न केवल भीड़ की निगरानी और नियंत्रण में मदद करता है, बल्कि यह निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी आसान बनाता है।
    • ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे: ड्रोन कैमरे और CCTV की मदद से आयोजन स्थल की पूरे समय निगरानी की जा सकती है। यह तकनीक सुरक्षाकर्मियों को समयबद्ध रूप से भीड़ के घनत्व का पता लगाने में मदद करती है, ताकि भीड़ के बढ़ते घनत्व के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
    • AI और बिग डेटा एनालिटिक्स: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बिग डेटा एनालिटिक्स का उपयोग भीड़ की गतिशीलता की रियल-टाइम ट्रैकिंग के लिये किया जा सकता है। इन तकनीकों की मदद से भीड़ के प्रवाह की जानकारी पहले से ही मिल सकती है, जिससे पुलिस और सुरक्षा एजेंसियाँ उचित कार्रवाई कर सकती हैं। इसके अलावा, डेटा विश्लेषण से यह भी जाना जा सकता है कि भीड़ के किस हिस्से में अनियंत्रित प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं, ताकि समय रहते सुरक्षा संबंधी कदम उठाए जा सकें।
  • कड़े सुरक्षा और प्रशासनिक उपाय: भीड़ प्रबंधन का एक अहम भाग है आयोजकों और प्रशासन द्वारा सही एवं त्वरित निर्णय लेने की क्षमता। जब भीड़ बहुत बड़ी होती है तो इसे नियंत्रित करने के लिये सही उपायों का त्वरित कार्यान्वयन आवश्यक होता है।
    • स्थलों की योजना और डिज़ाइन: जहाँ भी बड़े आयोजन किये जाते हैं, वहाँ स्थल के डिज़ाइन और संरचना का उपयुक्त होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। आयोजन स्थल पर पर्याप्त निकासी मार्गों की व्यवस्था होनी चाहिये और वहाँ तैनात कर्मियों को स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिये कि आपातकालीन स्थिति में वे किस प्रकार कार्य करें। वृहत आयोजनों में प्रवेश और निकासी मार्गों का पृथक्करण आवश्यक है, ताकि भीड़ में अराजकता की स्थिति उत्पन्न न हो।
    • आपातकालीन टीमों का गठन: हर बड़े आयोजन के लिये आपातकालीन दल का गठन अनिवार्य होना चाहिये, जिसमें पुलिस, चिकित्सा टीम, फायर ब्रिगेड और अन्य आवश्यक कर्मी दल शामिल हों। इन कार्य दलों को हर प्रकार की आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिये प्रशिक्षित किया जाना चाहिये। हेलीपैड, आपातकालीन चिकित्सा शिविर और त्वरित प्रतिक्रिया वाहन पहले से ही तैयार होने चाहिये।
    • थर्ड पार्टी और निजी सुरक्षा एजेंसियों का सहयोग: बड़े आयोजनों में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी केवल सरकारी एजेंसियों पर नहीं, बल्कि निजी सुरक्षा कंपनियों और अन्य संबंधित संस्थाओं पर भी होनी चाहिये। इन एजेंसियों को सभी सुरक्षा मानकों का पालन करने के लिये प्रशिक्षित किया जाना चाहिये और उन्हें प्राथमिक चिकित्सा एवं आपातकालीन बचाव कार्यों के लिये तैयार किया जाना चाहिये।
  • प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान: किसी भी घटना के दौरान लोगों के व्यवहार एवं प्रतिक्रिया की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिये, सार्वजनिक जागरूकता और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना अत्यंत आवश्यक है।
    • सुरक्षा निर्देशों और आपातकालीन मार्गों की जानकारी: सभी आयोजनों में प्रतिभागियों और दर्शकों को सुरक्षा निर्देश और आपातकालीन मार्गों की सूचना प्रदान की जानी चाहिये। यह सूचना मोबाइल ऐप्स, डिजिटल स्क्रीन, और आयोजनों से पहले वितरित किये गए सूचना पैम्फलेट्स आदि विभिन्न माध्यमों से दी जा सकती है।
    • सार्वजनिक जागरूकता अभियानों का आयोजन: आम लोगों को भीड़ नियंत्रण की महत्ता और आपातकालीन स्थितियों में सही प्रतिक्रिया देने के बारे में जागरूक करने के लिये विशेष अभियान चलाए जाने चाहिये। 
      • जनता को आपातकालीन परिस्थितियों के प्रति शिक्षित करना: लोगों को भगदड़ जैसी परिस्थितियों में शांत रहने और व्यवस्थित रूप से बाहर निकलने के उपायों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिये।
      • अफ़वाहों पर नियंत्रण: भगदड़ और अराजकता का एक प्रमुख कारण अफ़वाह होती है। इससे निपटने के लिये जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिये और आपातकालीन घोषणाओं की स्पष्ट प्रणाली विकसित की जानी चाहिये।
    • प्रशिक्षित स्वयंसेवकों का उपयोग: आयोजनों में स्वयंसेवकों की उपस्थिति भी महत्त्वपूर्ण होती है, जो आयोजन स्थल पर सुरक्षा उपायों और नियमों के बारे में लोगों का मार्गदर्शन कर सकते हैं। इन स्वयंसेवकों को दुर्घटनाओं के दौरान लोगों को शांत करने और उचित दिशा-निर्देश देने के लिये विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये।
  • नियम और कानून का सख्त अनुपालन: कानून के अनुपालन और इसके प्रभावी कार्यान्वयन से भीड़ प्रबंधन में व्यापक सुधार लाया जा सकता है।
    • आयोजकों की ज़िम्मेदारी: आयोजनकर्ताओं को उचित सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के लिये कानूनी रूप से ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिये। यदि आयोजकों ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीरता से कार्य नहीं किया हो तो उन्हें कानूनी रूप से दंडित किया जाना चाहिये।
    • सुरक्षा नियमों की कठोर निगरानी: सभी बड़े आयोजनों में सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन होना चाहिये। पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि आयोजक सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं और सुरक्षा मानकों में कोई लापरवाही नहीं की जा रही है।
  • वैकल्पिक उपाय और भविष्योन्मुख दृष्टिकोण: वर्तमान में विश्व के विभिन्न देशों में कुछ नई व्यवस्थाएँ भी प्रायोगिक रूप से अपनाई गई हैं, जो भविष्य में भीड़ प्रबंधन को और भी प्रभावशील बना सकती हैं।
    • हॉलोग्राफिक प्रणाली का उपयोग: कुछ देशों में हॉलोग्राफिक प्रणाली के माध्यम से भीड़ के मार्गदर्शन की दिशा में प्रयोग किया जा रहा है। यह तकनीक भविष्य में भीड़ नियंत्रण को और अधिक सटीक बना सकती है।
    • ‘वर्चुअल रियलिटी’ (VR) ट्रेनिंग: सुरक्षाकर्मियों और आयोजकों को वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से भीड़ प्रबंधन की स्थितियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि उनकी प्रतिक्रिया और निर्णय क्षमता को बेहतर किया जा सके।

संक्षेप में, भीड़ प्रबंधन के लिये एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिये, जहाँ सरकार, आयोजक और सहभागी जनता के रूप में सभी हितधारक शामिल हों। भविष्य के बेहतर प्रबंधन के लिये विद्यमान खामियों को दूर किया जाना चाहिये और तकनीकी नवाचार के साथ ही सर्वोत्तम वैश्विक अभ्यासों का प्रयोग किया जाना चाहिये।


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