एकाग्रता, निरंतरता और दृढ़ता : RAS टॉपर की सफलता का मूलमंत्र
- 22 Sep, 2021 | शिवाक्षी खांडल
"ताकत और विकास निरंतर प्रयास और संघर्ष से ही आते हैं- नेपोलियन हिल।" जीवन के सभी चरणों में प्रत्येक व्यक्ति को कुछ कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन विजेता वही होता है जो इन कठिन परिस्थितियों से निपटने की कला जानता है। मेरा नाम शिवाक्षी खांडल है और मुझे आरएएस-2018 में तीसरी रैंक प्राप्त हुई है। भविष्य के उम्मीदवारों को प्रेरित करने के लिये मैं अपनी तैयारी के अनुभवों को साझा करने का प्रयास कर रही हूँ।
एकाग्रता, निरंतरता और दृढ़ता तीन प्रमुख तत्त्व हैं। मैं क्वांटिटी की बजाय क्वालिटी में विश्वास करती हूँ। ऐसा कहने से मेरा मतलब एकाग्रता के साथ पढ़ने से है। आप जो कुछ भी पढ़ते हैं, उसे पूरे मन से पढ़ें न कि केवल इसलिये की आपको ‘पढ़ना’ पड़ता है। विषय में रुचि लेने का प्रयास करें, आपका बोझ स्वयं ही कम हो जाएगा। सिविल सेवा एक शांत दिमाग वाले व्यक्ति की मांग करती है।
चलिये मेरे जीवन के विषय में बात करते हैं। मैंने अपने पर्सनालिटी टेस्ट यानी इंटरव्यू से दो महीने पहले ही अपने पिता को खो दिया था। यहाँ तक कि प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के दौरान भी वह गंभीर रूप से बीमार थे। मुझे यह विश्वास है कि मैंने अपने दिवंगत पिता को श्रद्धांजलि दी है। जीवन अनिश्चित है। झटके और चुनौतियाँ आना आम बात है, लेकिन एक बार जब आप एकाग्र और समर्पित हो जाते हैं तो आप ‘शॉक एब्ज़ाॅर्बर’ बन जाते हैं यानी आप जीवन में आने वाली विभिन्न चुनौतियों को सहन करने में सक्षम हो जाते हैं। जब हमारे कंधों पर ज़िम्मेदारियाँ होती हैं, तो हम अपने लिये उपलब्ध सीमित समय का पूरा उपयोग करने के लिये मज़बूर होते हैं।
जब हमारे पास पर्याप्त समय होता है, तब हम अपना समय बर्बाद करने लगते हैं। वहीं इस परीक्षा के तीनों चरण समय प्रबंधन की मांग करते हैं। यह एक काफी आसान सा सवाल है कि आखिर टॉपर कौन बनता है? इस सवाल का एक ही स्पष्ट उत्तर है, वह जो समय का प्रबंधन करना जानता है। मैं सोशल मीडिया से दूर रही हूँ। इससे मुझे अपनी एकाग्रता को स्थिर करने में बहुत मदद मिली है। हालाँकि, मैंने ‘यूट्यूब’ का उपयोग किया है, जिसका एकमात्र उद्देश्य मेरी परीक्षा तैयारी को और अधिक मज़बूत करना था।
इस परीक्षा का दूसरा पहलू है हमारी अपेक्षाएँ। मुझे लगता है कि किसी को भी बहुत ज़्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिये। चीजें अप्रत्याशित होती हैं। प्रायः घटनाओं पर हमारा नियंत्रण नहीं होता है। भगवदगीता में कहा गया है, 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन'। हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिये न कि परिणामों पर, क्योंकि "कर्म" हमारे हाथ में है फल नहीं। मुझे खुद पर विश्वास था, मैने पूरी यात्रा में नियमित रूप से कड़ी मेहनत की और ध्यान भटकने से बचने की कोशिश की। समझें कि विलंब आपका सबसे बड़ा दुश्मन है। हम अक्सर अपने काम को कल के लिये टाल देते हैं। यदि हम इसे लंबे समय तक जारी रखते हैं, तो एक दिन हम पर काफी अधिक बोझ पड़ेगा।
मैंने सफर के बीच में लोगों को बाहर निकलते देखा है। असफलताओं से डरें नहीं। माया एंजेलो का यह कथन याद रखें:
"You may encounter many defeats but you must not be defeated.” अर्थात् आपको कई बार हार का सामना करना पड़ सकता है लेकिन आपको हारना नहीं चाहिये।"
मुख्य उत्तर लेखन की ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हुए, मैं उद्धृत करना चाहूँगी कि "रोल्स रॉयस को बनाने में छह महीने लगते हैं जबकि एक टोयोटा गाड़ी को बनाने में 13 घंटे लगते हैं"। चीजें समय लेती हैं। नियर-परफैक्ट उत्तर लेखन के लिये अभ्यास ही एकमात्र कुंजी है। मैं "नियर-परफैक्ट" कह रही हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि "परफैक्ट" एक अस्पष्ट शब्द है। कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता, हर कोई पूर्णता की ओर बढ़ने का प्रयास करता है। नई चीजें सीखें और परीक्षा के दौरान उन्हें अपने चित्त में रखें। जब आप "सामान्यवादी" परीक्षा दे रहे हों तो "विशेषज्ञ" न बनें। सचित्र प्रस्तुति में आकर्षित करने की शक्ति होती है, अपने उत्तरों को पठनीय बनाने का प्रयास करें। उत्तर की भाषा आसान होनी चाहिये। आखिर आपका कार्यक्षेत्र जनता के बीच है। "एक उत्तर सभी के लिये उपयुक्त है" इस दृष्टिकोण से बचने का प्रयास करें। अपने उत्तर की जाँच अपने साथियों से करवाएँ। बस अपने आप से वादा कीजिये "हर दिन, हर तरह से मैं बेहतर और बेहतर बनूँगा/बनूँगी।" इस मंत्र ने वास्तव में मेरे लिये काम किया।
मेरा मानना है कि एक उम्मीदवार को तैयारी के दौरान एक शौक/हॉबी का अनुसरण करना चाहिये या प्रेरित रहने के लिये किसी मनोरंजक गतिविधि में शामिल होना चाहिये। यह वास्तव में बाद में साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवार के लिये मदददगार होगा। परिवार के साथ खाली समय बिताया जा सकता है। सकारात्मक लोगों को अपने आस-पास रखें और नकारात्मक लोगों को नज़रअंदाज़ करें। मैं यह कहूँगी “चुपचाप काम करो और अपनी सफलता को ढोल पीटने दो”। अपनी योजनाओं को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ साझा न करें जो आपमें बहुत रुचि नहीं रखता है या बाद में आपको डिमोटिवेट कर सकता है। यह सबसे सरल चीज थी जिसका मैंने अनुसरण किया है। हर चीज का श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है। GATE-2017 में अप्रत्याशित रूप से कम अंक प्राप्त करने के बाद भी उन्होंने मेरा समर्थन किया है। कभी-कभी, हम अपने चारों ओर एक भ्रम पैदा करते हैं कि हमें संघर्ष करने के लिये चुना गया है न कि जीतने के लिये लेकिन हमें यह जानना चाहिये कि जितना अधिक हम संघर्ष करते हैं हम उतने ही मज़बूत बन जाते हैं। ताकत से आत्मविश्वास प्राप्त होता है और आत्मविश्वास से सफलता।
मेरी अपनी कुछ पंक्तियाँ:
"Failures occur often
but success can be tasted once. Once tasted, hard work is never wasted."
पढ़ते रहो! अपने आप पर विश्वास रखो!
शिवाक्षी खांडल (शिवाक्षी को RAS-2018 में तीसरा रैंक प्राप्त हुआ है।) |